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अध्ययन लेख 33

“तेरी बात सुननेवालों” का उद्धार होगा

“तेरी बात सुननेवालों” का उद्धार होगा

“खुद पर और अपनी शिक्षा पर लगातार ध्यान देता रह। इन्हीं बातों में लगा रह क्योंकि ऐसा करने से तू अपना और तेरी बात सुननेवालों का भी उद्धार करेगा।”—1 तीमु. 4:16.

गीत 67 “वचन का प्रचार कर”

लेख की एक झलक *

1. हम अपने परिवारवालों के लिए क्या चाहते हैं?

“जब से मैंने सच्चाई सीखी, मेरा यही सपना था कि मैं और मेरा पूरा परिवार फिरदौस में हों। मैं चाहती थी कि खासकर मेरे पति ऐलेक्स और मेरा बेटा यहोवा की सेवा करें।” यह बात टीना  * नाम की एक बहन ने कही। आपके बारे में क्या? क्या आपके परिवार में भी ऐसे लोग हैं, जो अब तक यहोवा को नहीं जानते और उससे प्यार नहीं करते? अगर हैं, तो शायद आप भी टीना के जैसा महसूस करते होंगे।

2. इस लेख में हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?

2 यह सच है कि हम अपने परिवारवालों या रिश्‍तेदारों के साथ ज़बरदस्ती नहीं कर सकते कि वे खुशखबरी कबूल करें। लेकिन हम उन्हें प्यार से बढ़ावा दे सकते हैं कि वे बाइबल में दिए संदेश के बारे में गहराई से सोचें और कुछ कदम उठाएँ। (2 तीमु. 3:14, 15) हमें अपने परिवारवालों को गवाही क्यों देनी चाहिए? यह क्यों ज़रूरी है कि हम उनके साथ हमदर्दी रखें? हम ऐसा क्या कर सकते हैं, ताकि हमारे परिवारवाले भी यहोवा से प्यार करें, जैसे हम करते हैं? मंडली के भाई-बहन किस तरह हमारी मदद कर सकते हैं? इस लेख में हम इन्हीं सवालों के जवाब जानेंगे।

हमें अपने परिवारवालों को गवाही क्यों देनी चाहिए?

3. दूसरा पतरस 3:9 के मुताबिक हमें अपने परिवारवालों को गवाही क्यों देनी चाहिए?

3 यहोवा बहुत जल्द शैतान की दुनिया का अंत करनेवाला है। उस वक्‍त सिर्फ वे लोग बचेंगे, जो “हमेशा की ज़िंदगी पाने के लायक अच्छा मन रखते” हैं। (प्रेषि. 13:48) हम अपने इलाके के लोगों को प्रचार करने में खूब मेहनत करते हैं और काफी समय बिताते हैं। जब हम अजनबियों के लिए इतना करते हैं, तो क्या हम अपने परिवारवालों के लिए और भी ज़्यादा नहीं करेंगे? हमारा प्यारा पिता यहोवा “नहीं चाहता कि कोई भी नाश हो बल्कि यह कि सबको पश्‍चाताप करने का मौका मिले।”—2 पतरस 3:9 पढ़िए।

4. अपने परिवारवालों और रिश्‍तेदारों को गवाही देते वक्‍त हमसे क्या गलती हो सकती है?

4 हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम किस तरह अपने परिवारवालों और रिश्‍तेदारों को सच्चाई के बारे में बताते हैं। वह इसलिए कि इसका सही तरीका भी होता है और गलत तरीका भी। जैसे, जब हम किसी अजनबी को गवाही देते हैं, तो हम प्यार से और सोच-समझकर ऐसा करते हैं। लेकिन जब अपनों को गवाही देने की बात आती है, तो शायद हम बिना सोचे-समझे ही बोलने लगें या उनके मुँह पर ही कह दें कि वे जो मानते हैं, वह गलत है।

5. अपने परिवारवालों को सच्चाई बताने से पहले हमें किस बात का ध्यान रखना चाहिए?

5 हो सकता है, हममें से कई लोगों ने अपने परिवारवालों के साथ ऐसा ही किया हो। शायद हमें इस बात का अफसोस हो और हम सोचते हों कि काश! हमने उनसे इस तरह बात न की होती। प्रेषित पौलुस ने मसीहियों को सलाह दी, “तुम्हारे बोल हमेशा  मन को भानेवाले और सलोने हों। तब तुम्हें हर किसी को सही तरह से जवाब देना आ जाएगा।” (कुलु. 4:5, 6) अपने परिवारवालों को गवाही देते समय इस सलाह को याद रखना अच्छा होगा। नहीं तो हम उन्हें बाइबल की सच्चाई की तरफ आकर्षित करने के बजाय उससे दूर भगा रहे होंगे।

हम अपने परिवारवालों की किस तरह मदद कर सकते हैं?

हमदर्दी रखने और अच्छा व्यवहार करने से आप सबसे बढ़िया गवाही दे सकते हैं (पैराग्राफ 6-8 देखें) *

6-7. उदाहरण देकर समझाइए कि मसीहियों को अपने अविश्‍वासी साथी से हमदर्दी क्यों रखनी चाहिए।

6 हमदर्दी रखिए।  टीना, जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, बताती है, “जब मैं सच्चाई सीख रही थी, तब मैं हर वक्‍त अपने पति से परमेश्‍वर और बाइबल के बारे में बात करती रहती थी। इसके सिवा मैं कोई और बात नहीं करती थी।” लेकिन टीना के पति को बाइबल के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं पता था, इसलिए उसे टीना की बातें समझ में नहीं आती थीं। उसे लगने लगा कि टीना इस नए धर्म में कुछ ज़्यादा ही रुचि लेने लगी है। उसे चिंता होने लगी कि कहीं वह किसी खतरनाक पंथ से तो नहीं जुड़ गयी है।

7 टीना बताती है कि वह अकसर शाम को और शनिवार-रविवार के दिन भाई-बहनों के साथ ही रहती थी। वह उनके साथ सभाओं में और प्रचार में जाती थी और फुरसत के पल भी उन्हीं के साथ बिताती थी। ऐसा काफी समय तक चलता रहा। टीना का कहना है, “कभी-कभी जब ऐलेक्स घर आते, तो वहाँ कोई नहीं होता था। वे बहुत अकेला महसूस करते थे।” ऐलेक्स अपनी पत्नी और बेटे के साथ वक्‍त बिताने को तरस जाता था। वह नहीं जानता था कि वे किन लोगों के साथ वक्‍त बिताते हैं। उसे लगने लगा, जैसे उसकी पत्नी को उससे ज़्यादा अपने नए दोस्तों से लगाव हो गया है। ऐलेक्स से अब बरदाश्‍त नहीं हो रहा था, उसने टीना को तलाक देने की धमकी दी। क्या आप सोच सकते हैं कि टीना किस तरह अपने पति की भावनाओं को समझ सकती थी और उससे हमदर्दी रख सकती थी?

8. पहला पतरस 3:1, 2 के मुताबिक हमारे परिवारवालों और रिश्‍तेदारों पर सबसे ज़्यादा किस बात का असर होता है?

8 अच्छी मिसाल रखिए।  हमारे परिवारवालों और रिश्‍तेदारों पर अकसर हमारी बातों  से ज़्यादा हमारे कामों  का असर होता है। (1 पतरस 3:1, 2 पढ़िए।) धीरे-धीरे टीना भी यह बात समझ गयी। वह बताती है, “मैं जानती थी कि ऐलेक्स हमसे बहुत प्यार करते हैं और वे सच में तलाक नहीं चाहते। लेकिन जब उस दिन उन्होंने तलाक की धमकी दी, तो मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में यहोवा के बताए सिद्धांतों पर चलना होगा। मुझे अपनी बातों से ज़्यादा अपने व्यवहार से अच्छी मिसाल रखनी होगी।” टीना ऐलेक्स से हर वक्‍त बाइबल के बारे में बात करने के बजाय दूसरे विषयों पर बात करने लगी। ऐलेक्स ने गौर किया कि टीना पहले से ज़्यादा शांति बनाए रखने की कोशिश करती है और उनका बेटा अब और भी उसका कहना मानता है। (नीति. 31:18, 27, 28) उसने ध्यान दिया कि बाइबल का उसके परिवार पर अच्छा असर हो रहा है, इसलिए वह बाइबल की बातों पर गहराई से सोचने लगा और उसमें दिलचस्पी लेने लगा।—1 कुरिं. 7:12-14, 16.

9. हमें क्यों अपने परिवारवालों की मदद करने में लगे रहना चाहिए?

9 अपने परिवारवालों की मदद करने में लगे रहिए।  यहोवा हमारे लिए एक अच्छी मिसाल है। वह लोगों को “बार-बार” मौका देता है कि वे खुशखबरी पर ध्यान दें और जीवन पाएँ। (यिर्म. 44:4) पौलुस ने भी तीमुथियुस को सलाह दी कि वह लोगों की मदद करने में लगा रहे। वह इसलिए कि ऐसा करने से ही तीमुथियुस खुद अपना और उसकी बात सुननेवालों का उद्धार कर सकता था। (1 तीमु. 4:16) हम अपने परिवारवालों से प्यार करते हैं और चाहते हैं कि वे परमेश्‍वर के वचन में दी सच्चाई जानें। टीना की बात करें तो वह अपने परिवारवालों की मदद करने में लगी रही। कुछ समय बाद, उसकी बातों और व्यवहार का उसके परिवार पर अच्छा असर हुआ। अब उसका पति मंडली का प्राचीन है और वे दोनों पायनियर सेवा कर रहे हैं। टीना बहुत खुश है कि उसका पति उसके साथ मिलकर यहोवा की सेवा कर रहा है।

10. सब्र रखना क्यों ज़रूरी है?

10 सब्र रखिए।  जब हम यहोवा के स्तरों के मुताबिक जीने के लिए अपने विश्‍वास और तौर-तरीकों में बदलाव करते हैं, तो इन्हें कबूल करना शायद हमारे परिवारवालों के लिए आसान न हो। अकसर वे हममें सबसे पहले यह बदलाव देखते हैं कि अब हम उनके साथ त्योहार नहीं मनाते और न ही राजनैतिक मामलों में हिस्सा लेते हैं। शुरू-शुरू में हमारे परिवार के कुछ लोग शायद हमसे बहुत नाराज़ हो जाएँ। (मत्ती 10:35, 36) लेकिन हमें यह नहीं सोच लेना चाहिए कि वे कभी सच्चाई कबूल नहीं करेंगे। अगर हम ऐसा सोचें और उन्हें अपने विश्‍वास के बारे में बताना बंद कर दें, तो यह ऐसा होगा मानो हमने तय कर दिया है कि वे हमेशा की ज़िंदगी पाने के लायक नहीं हैं। लेकिन याद रखिए, यहोवा ने न्याय करने का अधिकार हमें नहीं, यीशु को दिया है। (यूह. 5:22) अगर हम सब्र रखें, तो शायद एक-न-एक दिन हमारे परिवारवाले हमारी बात सुनने को तैयार हो जाएँ।—“ हमारी वेबसाइट इस्तेमाल कीजिए” बक्स देखें।

11-13. ऐलिस जिस तरह अपने माता-पिता के साथ पेश आयी, उससे आप क्या सीखते हैं?

11 प्यार से पेश आइए मगर अपने फैसले पर अटल रहिए।  (नीति. 15:2) ऐलिस के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। उसके माता-पिता ईश्‍वर को नहीं मानते थे और वे राजनीति में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। जब ऐलिस कुछ साल घर से दूर थी, तब उसने यहोवा के बारे में सीखा। उसे एहसास हुआ कि अपने नए विश्‍वास के बारे में अपने माता-पिता को जल्द-से-जल्द बताना ज़रूरी है। वह कहती है, “अपने परिवार को बताने में आप जितनी देर करेंगे, उतना ही उन्हें धक्का लगेगा।” इस वजह से वह ऐसे विषयों के बारे में सोचने लगी, जिनमें उसके माता-पिता को दिलचस्पी हो सकती है, जैसे प्यार का विषय। फिर वह उन्हें खत लिखकर बताती थी कि इन विषयों पर बाइबल क्या कहती है और उनकी राय भी पूछती थी। (1 कुरिं. 13:1-13) वह अपने माता-पिता का धन्यवाद करती थी कि उन्होंने उसकी अच्छी परवरिश की है। वह उन्हें तोहफे भी भेजती थी और जब घर जाती थी, तो घर के काम में माँ का हाथ बँटाती थी। लेकिन शुरू-शुरू में ऐलिस के माता-पिता उसके नए विश्‍वास से खुश नहीं थे।

12 घर पर ऐलिस हमेशा की तरह हर दिन बाइबल पढ़ती थी। वह बताती है, “मुझे ऐसा करते देख माँ समझ गयीं कि बाइबल मेरे लिए कितनी अहमियत रखती है।” इसी दौरान ऐलिस के पिता जानना चाहते थे कि उसने किस वजह से अपना विश्‍वास बदला, इसलिए वे बाइबल की जाँच करने लगे। वे इस मकसद से भी ऐसा करने लगे कि बाइबल में कुछ खामियाँ ढूँढ़ सकें। ऐलिस बताती है, “मैंने उन्हें बाइबल दी और उसमें खास उनके लिए कुछ लिखा।” नतीजा क्या हुआ? ऐलिस के पिता बाइबल में कोई खामी नहीं ढूँढ़ पाए। इसके बजाय बाइबल की बातों का उनके दिल पर गहरा असर हुआ।

13 हमें अपने परिवारवालों के साथ प्यार से पेश आना है और अपने फैसले पर भी अटल रहना है, फिर चाहे हमारे सामने कितने भी मुश्‍किल हालात खड़े हो जाएँ। (1 कुरिं. 4:12ख) ऐलिस के उदाहरण पर एक बार फिर ध्यान दीजिए। उसे अपनी माँ से विरोध का सामना करना पड़ा। वह बताती है, “जब मेरा बपतिस्मा हुआ, तो माँ ने कहा कि मैं उनकी अच्छी बेटी नहीं हूँ, मैंने उनका बहुत दिल दुखाया है।” ऐलिस ने क्या किया? वह कहती है, “इस बारे में चुप रहने के बजाय मैंने आदर से माँ को बताया कि यहोवा की साक्षी बनने का मैंने जो फैसला किया है, वह मैं किसी भी हाल में नहीं बदलूँगी। फिर मैंने माँ को यकीन दिलाया कि मैं अब भी उनसे प्यार करती हूँ। उस दिन हम दोनों बहुत रोए और फिर मैंने उनके लिए बढ़िया खाना बनाया। उसके बाद से माँ भी यह मानने लगीं कि बाइबल की वजह से मैं एक बेहतर इंसान बनी हूँ।”

14. हमें क्यों अपने परिवारवालों के दबाव में आकर अपना फैसला नहीं बदलना चाहिए?

14 यह समझने में हमारे परिवारवालों को वक्‍त लग सकता है कि यहोवा की सेवा करना हमारे लिए कितना मायने रखता है। उदाहरण के लिए, ऐलिस के माता-पिता चाहते थे कि उनकी बेटी फलाँ करियर चुने। लेकिन ऐसा करने के बजाय जब ऐलिस ने पायनियर सेवा करने का फैसला किया, तो उसकी माँ बहुत दुखी हुईं, वे फिर से रोने लगीं। मगर ऐलिस अपने फैसले पर अटल रही। वह बताती है, “अगर हम परिवारवालों के दबाव में आकर किसी एक मामले में अपना फैसला बदल दें, तो वे दूसरे मामलों में भी हम पर दबाव डालेंगे। वहीं अगर हम उनके साथ प्यार से पेश आएँ, लेकिन अपने फैसले पर अटल रहें, तो शायद हमारे परिवार के कुछ लोग सच्चाई में दिलचस्पी लें।” ऐलिस के साथ ऐसा ही हुआ। उसके माता-पिता ने सच्चाई कबूल कर ली। अब वे दोनों पायनियर सेवा कर रहे हैं और उसके पिता मंडली में एक प्राचीन हैं।

मंडली के भाई-बहन किस तरह मदद कर सकते हैं?

मंडली के भाई-बहन हमारे अविश्‍वासी रिश्‍तेदारों की मदद कैसे कर सकते हैं? (पैराग्राफ 15-16 देखें) *

15. मत्ती 5:14-16 और 1 पतरस 2:12 के मुताबिक दूसरों के “भले काम” का हमारे परिवारवालों पर क्या असर हो सकता है?

15 यहोवा मंडली के भाई-बहनों के ‘भले कामों’ के ज़रिए लोगों को अपनी तरफ खींचता है। (मत्ती 5:14-16; 1 पतरस 2:12 पढ़िए।) अगर आपका जीवन-साथी यहोवा का साक्षी नहीं है, तो क्या आपने उसे मंडली के भाई-बहनों से मिलवाया है? टीना ने, जिसका ज़िक्र पहले किया गया है, भाई-बहनों को अपने घर बुलाया ताकि उसके पति ऐलेक्स की उनसे अच्छी जान-पहचान हो जाए। ऐलेक्स याद करता है कि एक बार एक भाई ने क्या किया, जिससे साक्षियों के बारे में उसकी गलतफहमी दूर हुई। वह बताता है, “उस भाई ने नौकरी से एक दिन की छुट्टी ली, ताकि वह मेरे साथ मैच देख सके। तब मुझे एहसास हुआ कि ये लोग हमारी तरह ही आम इंसान हैं।”

16. हमें अपने परिवारवालों को मंडली की सभाओं में क्यों बुलाना चाहिए?

16 परिवारवालों और रिश्‍तेदारों की मदद करने का एक बढ़िया तरीका है, उन्हें मंडली की सभाओं में बुलाना। (1 कुरिं. 14:24, 25) ऐलेक्स पहली बार स्मारक सभा में हाज़िर हुआ था। वह इसलिए गया क्योंकि यह सभा ज़्यादा लंबी नहीं थी और यह उसके काम के बाद ही शुरू होनेवाली थी। वह कहता है, “मुझे भाषण पूरी तरह से तो समझ में नहीं आया, लेकिन लोगों से मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई। उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया, मेरा स्वागत किया। मैं देख सकता था कि वे काफी अच्छे लोग हैं।” टीना की मंडली में खासकर एक पति-पत्नी उसका बहुत खयाल रखते थे। वे सभाओं और प्रचार में उसकी और उसके बेटे की मदद करते थे। इस वजह से जब ऐलेक्स ने आखिरकार फैसला किया कि वह टीना के विश्‍वास के बारे में और जानना चाहता है, तो उसने उसी पति से बाइबल अध्ययन की गुज़ारिश की।

17. (क) हमें किस बात के लिए खुद को दोष नहीं देना चाहिए? (ख) हमें क्यों यह नहीं सोचना चाहिए कि हमारे परिवारवाले कभी नहीं बदलेंगे?

17 हम यही उम्मीद करते हैं कि हमारे परिवार के सभी लोग यहोवा की सेवा करेंगे। लेकिन हो सकता है कि हमारी कोशिशों के बावजूद वे सच्चाई में न आएँ। ऐसे में हमें खुद को दोष नहीं देना चाहिए। यह उनका फैसला है और हम किसी से ज़बरदस्ती नहीं कर सकते। फिर भी एक बात हमेशा याद रखिए: जब आपके परिवारवाले देखते हैं कि आप यहोवा की सेवा करने से कितने खुश हैं, तो इसका उन पर काफी असर हो सकता है। उनके लिए प्रार्थना करते रहिए! उनसे प्यार और आदर से बात कीजिए। इस मामले में उनकी मदद करने से पीछे मत हटिए। (प्रेषि. 20:20) भरोसा रखिए कि यहोवा आपकी मेहनत पर ज़रूर आशीष देगा। अगर आगे चलकर आपके परिवारवाले आपकी सुनें, तो उनका उद्धार होगा!

गीत 57 सब किस्म के लोगों को सच्चाई बताइए

^ पैरा. 5 हम सब चाहते हैं कि हमारे परिवारवाले और रिश्‍तेदार यहोवा को जानें, मगर वे यहोवा की सेवा करेंगे या नहीं यह फैसला उन्हें करना है। लेकिन हम ऐसा क्या कर सकते हैं, ताकि हमारे परिवारवाले हमारी बातों पर ध्यान दें? इस लेख में इस बारे में चर्चा की जाएगी।

^ पैरा. 1 कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

^ पैरा. 53 तसवीर के बारे में: एक जवान भाई अपने पिता के साथ, जो साक्षी नहीं हैं, गाड़ी की मरम्मत कर रहा है। फिर सही मौका देखकर वह उन्हें jw.org® वेबसाइट पर एक वीडियो दिखाता है।

^ पैरा. 55 तसवीर के बारे में: एक बहन का अविश्‍वासी पति उसे बताता है कि उसका दिन कैसा बीता और बहन उसकी बातें ध्यान से सुन रही है। बाद में वह अपने परिवार के साथ फुरसत के पल बिताती है।

^ पैरा. 57 तसवीर के बारे में: उसी बहन ने मंडली के कुछ भाई-बहनों को अपने घर बुलाया है। भाई-बहन उसके पति में सच्ची दिलचस्पी लेते हैं और उसे अच्छी तरह जानने की कोशिश करते हैं। बाद में पति अपनी पत्नी के साथ स्मारक में हाज़िर होता है।