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अध्ययन लेख 34

बदलाव का सामना करने पर खुश कैसे रहें?

बदलाव का सामना करने पर खुश कैसे रहें?

“परमेश्‍वर अन्यायी नहीं कि तुम्हारे काम और उस प्यार को भूल जाए जो तुम्हें उसके नाम के लिए है।”—इब्रा. 6:10.

गीत 38 वह तुम्हें मज़बूत करेगा

लेख की एक झलक *

1-3. पूरे समय के सेवक शायद किन वजहों से बदलावों का सामना करें?

रौबर्ट और मैरी-जो बताते हैं, “मिशनरी सेवा में 21 साल कैसे गुज़रे, हमें पता ही नहीं चला। वे क्या ही बेहतरीन साल थे! लेकिन फिर हम दोनों के माँ-बाप की उम्र ढलने लगी, वे बीमार रहने लगे। हमने खुशी-खुशी उनकी देखभाल करने का फैसला किया। लेकिन जहाँ हम सेवा कर रहे थे, उस जगह से हमें बहुत लगाव हो गया था और उसे छोड़ने में हमें बहुत दुख हो रहा था।”

2 विलियम और टेरी नाम के एक और पति-पत्नी बताते हैं, “जब हमें पता चला कि अब हमारी सेहत ठीक नहीं है और हम अपनी सेवा जारी नहीं रख पाएँगे, तो हम खूब रोए। हम हमेशा से चाहते थे कि हम दूसरे देश में जाकर यहोवा की सेवा करें, लेकिन अब ऐसा लग रहा था कि हम यह नहीं कर पाएँगे।”

3 अलीकस्ये कहता है, “सरकार उस शाखा दफ्तर को बंद करना चाहती थी, जहाँ मैं सेवा कर रहा था। यह बात बेथेल में हम सबको अच्छी तरह पता थी। फिर भी जब ऐसा हुआ और हमें बेथेल छोड़ना पड़ा, तो हमें बड़ा झटका लगा।”

4. इस लेख में हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?

4 इन भाई-बहनों के अलावा, बेथेल में सेवा करनेवालों और दूसरे पूरे समय के सेवकों को भी बदलावों का सामना करना पड़ा है। * बेशक इन वफादार भाई-बहनों को अपनी सेवा से बहुत लगाव था और उसे छोड़ना उनके लिए बहुत मुश्‍किल रहा होगा। ऐसे बदलावों का सामना करने में क्या बात उनकी मदद कर सकती है? आप उनकी मदद कैसे कर सकते हैं? इस लेख में इन सवालों के जवाब दिए जाएँगे। इनकी मदद से हम सब बदलते हालात का सामना कर पाएँगे।

बदलाव का सामना कैसे करें?

पूरे समय के सेवकों के लिए अपनी सेवा छोड़ना क्यों मुश्‍किल हो सकता है? (पैराग्राफ 5 देखें) *

5. सेवा में होनेवाले बदलाव का हम पर क्या असर हो सकता है?

5 हम चाहे बेथेल में सेवा कर रहे हों या कहीं और, हमें वहाँ के लोगों से और उस जगह से भी लगाव हो जाता है। इस वजह से अगर कभी हमें वह जगह छोड़नी पड़े, तो हमारा दिल छलनी हो जाता है। हमें वहाँ के भाई-बहनों की बहुत याद आती है। हमें उनके लिए चिंता भी होती है खासकर तब जब हमें ज़ुल्मों की वजह से उस देश को छोड़ना पड़ा हो। (मत्ती 10:23; 2 कुरिं. 11:28, 29) इसके अलावा, जब हमें सेवा की नयी ज़िम्मेदारी मिलती है, तो नए माहौल में ढलना शायद आसान न हो। यह बात तब भी सच है जब हमें अपनी सेवा छोड़कर वापस घर आना पड़ता है। रौबर्ट और मैरी-जो बताते हैं, “हम अपने ही देश का रहन-सहन और अपनी ही भाषा में प्रचार करना भूल गए थे। ऐसा लगा मानो हम अपने ही लोगों के बीच पराए हैं।” वहीं जब कुछ लोगों की सेवा में बदलाव आता है, तो शायद उन्हें ऐसे खर्चे उठाने पड़ें जिनके बारे में उन्हें पहले फिक्र नहीं करनी पड़ती थी। हो सकता है, भविष्य को लेकर उनके मन में ढेर सारी चिंताएँ हों और वे निराश महसूस करने लगें। ऐसे में क्या बात उनकी मदद कर सकती है?

यहोवा के करीब आना और उस पर भरोसा रखना बहुत ज़रूरी है (पैराग्राफ 6-7 देखें) *

6. हम यहोवा के करीब कैसे रह सकते हैं?

6 यहोवा के करीब रहिए।  (याकू. 4:8) हम यह कैसे कर सकते हैं? भजन 62:8 बताता है, “[यहोवा के] आगे अपना दिल खोलकर रख दो।” भरोसा रखिए कि वह ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ है। (भज. 65:2) “हम उससे जो माँगते हैं या जितना सोच सकते हैं, वह उससे कहीं ज़्यादा बढ़कर कर सकता है।” (इफि. 3:20) हो सकता है, हम अपनी समस्याओं के लिए यहोवा से किसी खास किस्म की मदद माँगें। लेकिन यहोवा उससे कहीं बढ़कर कर सकता है। शायद वह हमारी समस्याओं का कोई ऐसा हल निकाले, जिसके बारे में हमने कभी सोचा भी न हो।

7. (क) यहोवा के करीब रहने के लिए क्या करना ज़रूरी है? (ख) अगर हम वफादारी से यहोवा की सेवा करें, तो इब्रानियों 6:10-12 के मुताबिक नतीजा क्या होगा?

7 यहोवा के करीब रहने के लिए यह ज़रूरी है कि हम रोज़ बाइबल पढ़ें और उस पर मनन करें। एक भाई जो पहले मिशनरी रह चुके हैं, सलाह देते हैं, “आपने पारिवारिक उपासना और सभाओं की तैयारी करने की जो अच्छी आदत बनायी थी, उसे मत छोड़िए। अपने नए हालात में भी उसे बनाए रखिए।” इसके अलावा, अपनी नयी मंडली में खुशखबरी का प्रचार करने में जी-जान से लगे रहिए। यहोवा उन लोगों को नहीं भूलता जो वफादारी से उसकी सेवा करते हैं, फिर चाहे अब वे पहले जितना न कर पाते हों।—इब्रानियों 6:10-12 पढ़िए।

8. पहला यूहन्‍ना 2:15-17 के मुताबिक हमें क्यों अपना जीवन सादा रखना चाहिए?

8 अपने जीवन को सादा रखिए।  शैतान की दुनिया में ज़िंदगी की चिंताएँ हमें यहोवा की सेवा करने से रोक सकती हैं, लेकिन ऐसा मत होने दीजिए! (मत्ती 13:22) दुनिया के लोग या हमारे दोस्त और रिश्‍तेदार शायद हमसे कहें, “पैसा होगा तो ज़िंदगी आराम से कटेगी।” लेकिन उनकी बातों में मत आइए! (1 यूहन्‍ना 2:15-17 पढ़िए।) यहोवा पर भरोसा रखिए कि हमें जिस किसी चीज़ की भी ज़रूरत होगी, वह “सही वक्‍त पर” हमें देगा। वह वादा करता है कि वह हमारे विश्‍वास को कमज़ोर पड़ने नहीं देगा, हमें मन की शांति देगा और हमारी रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करेगा।—इब्रा. 4:16; 13:5, 6.

9. (क) नीतिवचन 22:3, 7 के मुताबिक आपको बेवजह उधार क्यों नहीं लेना चाहिए? (ख) आप सही फैसला कैसे ले पाएँगे?

9 बेवजह उधार मत लीजिए।  (नीतिवचन 22:3, 7 पढ़िए।) जब आप एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं, तो बहुत खर्चे हो सकते हैं और ऐसे में आप शायद उधार ले लें। अगर आप बेवजह उधार नहीं लेना चाहते, तो जिन चीज़ों की आपको ज़रूरत नहीं उन्हें खरीदने के लिए उधार मत लीजिए। पर कई बार ऐसे हालात उठते हैं जब शायद उधार लेना पड़े। जैसे, परिवार में कोई बीमार हो जाए और आपको पैसों की सख्त ज़रूरत हो। ऐसे में आपको शायद समझ में न आए कि कितना उधार लेना चाहिए। याद रखिए कि सही फैसला लेने में ‘प्रार्थना और मिन्‍नतें’ बहुत काम आ सकती हैं। आपकी प्रार्थनाएँ सुनकर यहोवा आपको वह शांति दे सकता है, जो “[आपके] दिल की और [आपके] दिमाग के सोचने की ताकत की हिफाज़त” करेगी। इस तरह आप शांत मन से सही फैसला ले पाएँगे।—फिलि. 4:6, 7; 1 पत. 5:7.

10. हम नए दोस्त कैसे बना सकते हैं?

10 परिवारवालों और दोस्तों के साथ अच्छा रिश्‍ता रखिए।  अपने जिगरी दोस्तों को बताइए कि आप किन भावनाओं और मुश्‍किलों से गुज़र रहे हैं, खासकर उन दोस्तों को जिन्होंने आपके जैसे हालात का सामना किया है। ऐसा करके आपका मन हलका होगा। (सभो. 4:9, 10) अपनी पिछली सेवा में आपने जो दोस्त बनाए, वे हमेशा आपके दोस्त रहेंगे, लेकिन इस नयी जगह पर नए दोस्त बनाना भी ज़रूरी है। अगर आप चाहते हैं कि दूसरे आपके दोस्त बनें, तो पहले आपको उनका दोस्त बनना होगा। यह आप कैसे कर सकते हैं? दूसरों को बताइए कि पूरे समय की सेवा में आपको क्या-क्या अनुभव हुए हैं। इस तरह वे जान पाएँगे कि आपको यहोवा की सेवा में कितनी खुशी मिली है। भले ही मंडली में कुछ लोग यह न समझ पाएँ कि आपको पूरे समय की सेवा से इतना लगाव क्यों है, मगर यही बात दूसरों को आपकी तरफ खींच सकती है और वे आपके अच्छे दोस्त बन सकते हैं। लेकिन ध्यान रखिए कि आप अपने बारे में या यहोवा की सेवा में आपने जो-जो काम किए हैं, उस बारे में हद-से-ज़्यादा बातें न करें। यह भी ध्यान रखिए कि आप ऐसी कोई बात न करें जिससे दूसरों का हौसला टूट जाए।

11. आप अपनी शादीशुदा ज़िंदगी खुशहाल कैसे रख सकते हैं?

11 अगर आपको अपने पति या पत्नी की खराब सेहत की वजह से अपनी सेवा छोड़नी पड़ी हो, तो उसे दोष मत दीजिए। ऐसा भी हो सकता है कि आपकी खराब सेहत की वजह से आप दोनों को अपनी सेवा छोड़नी पड़ी हो। ऐसे में यह सोचकर खुद को दोष मत दीजिए कि आपने अपने साथी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। याद रखिए कि आप दोनों “एक तन” हैं और आपने यहोवा के सामने हर हाल में एक-दूसरे का साथ देने का वादा किया था। (मत्ती 19:5, 6) यह भी हो सकता है कि आप दोनों को बच्चा होनेवाला था, इसलिए आपको अपनी सेवा छोड़नी पड़ी थी। ऐसे में अपने बच्चे को भरोसा दिलाइए कि वह आपके लिए आपकी सेवा से कहीं ज़्यादा अनमोल है। इस बात को बार-बार दोहराइए कि आप उसे परमेश्‍वर से मिला “इनाम” समझते हैं। (भज. 127:3-5) लेकिन उसे यह भी बताइए कि आपको पूरे समय की सेवा में कितनी खुशियाँ मिली थीं! यह सुनकर उसे बढ़ावा मिलेगा कि वह भी आपकी तरह पूरे समय की सेवा करे।

दूसरे किस तरह मदद कर सकते हैं?

12. (क) हम पूरे समय के सेवकों की कैसे मदद कर सकते हैं, ताकि वे अपनी सेवा जारी रख सकें? (ख) हम ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे कि नए हालात में ढलना उनके लिए आसान हो?

12 बहुत-से भाई-बहन एक मंडली के तौर पर और निजी तौर पर भी पूरे समय के सेवकों की मदद करते हैं, ताकि वे अपनी सेवा जारी रख सकें। इस बात के लिए हम उनकी दिल से तारीफ करते हैं। ये भाई-बहन किस तरह उनकी मदद करते हैं? वे अपनी बातों से पूरे समय के सेवकों की हिम्मत बँधाते हैं, उन्हें पैसे या दूसरी ज़रूरी चीज़ें देते हैं या फिर उनके घर में जो बीमार हैं, उनकी देखभाल करते हैं। (गला. 6:2) अगर पूरे समय के सेवकों के हालात बदल जाते हैं और उन्हें आपकी मंडली में भेजा जाता है, तो यह मत सोचिए कि उन्हें इसलिए भेजा गया है कि अब उनकी कोई ज़रूरत नहीं या उन्होंने कोई गलत काम किया है। * इसके बजाय नए हालात में ढलने में उनकी मदद कीजिए। प्यार से उनका स्वागत कीजिए और उन्होंने पूरे समय की सेवा में जो मेहनत की है, उसकी तारीफ कीजिए फिर चाहे अब वे खराब सेहत की वजह से ज़्यादा न कर पाते हों। उनसे जान-पहचान बढ़ाइए। उनके पास ज्ञान, बेहतरीन प्रशिक्षण और अनुभव का जो भंडार है, उससे पूरा फायदा पाने की कोशिश कीजिए।

13. बदलाव का सामना करनेवाले भाई-बहनों की हम किस तरह मदद कर सकते हैं?

13 बदलाव का सामना करनेवाले भाई-बहनों को घर ढूँढ़ने, बस-ट्रेन वगैरह से सफर करने, नौकरी ढूँढ़ने और दूसरी ज़रूरी चीज़ें जुटाने में आपकी मदद की ज़रूरत पड़ सकती है। आप उन्हें दूसरी ज़रूरी जानकारी भी दे सकते हैं जैसे, बीमा कैसे करवाएँ या खाने की चीज़ें कहाँ से खरीदें। लेकिन इन सबसे बढ़कर उन्हें एक और मदद चाहिए। वह यह कि आप समझने की कोशिश करें कि वे किन हालात और भावनाओं से जूझ रहे हैं। शायद वे अपनी या अपने किसी परिवारवाले की खराब सेहत की वजह से परेशान हों। या वे किसी अज़ीज़ की मौत से बहुत दुखी हों। * यही नहीं, भले ही वे खुलकर न कहें लेकिन वे अपने पुराने दोस्तों को भी याद करके दुखी होते होंगे। उनके मन में शायद तरह-तरह की भावनाएँ उठें और उनसे जूझने में उन्हें वक्‍त लग सकता है।

14. मंडली के भाई-बहनों ने एक बहन के लिए क्या किया, ताकि वह अपने नए हालात में ढल सके?

14 नए हालात में ढलने के लिए आप इन भाई-बहनों के लिए और क्या कर सकते हैं? उनके साथ प्रचार में जाइए और अपनी अच्छी मिसाल से उनका हौसला बढ़ाइए। एक बहन जिसने कई साल तक दूसरे देश में सेवा की, कहती है, “वहाँ मैं हर दिन कई बाइबल अध्ययन कराती थी, पर यहाँ लोगों को कोई आयत पढ़कर सुनाना या वीडियो दिखाना भी बहुत मुश्‍किल है। लेकिन मेरी नयी मंडली के भाई-बहन मुझे अपने साथ वापसी-भेंट और बाइबल अध्ययन पर ले जाते थे। ये जोशीले और वफादार भाई-बहन कई अच्छे बाइबल अध्ययन कराते हैं। उनकी अच्छी मिसाल से मैं प्रचार के बारे में सही नज़रिया रख पायी हूँ। मैंने यहाँ के लोगों से बातचीत शुरू करना सीखा है। इससे मुझे फिर से खुशी मिली है।”

आपसे जो बन पड़ता है, वह करते रहिए

अपने ही इलाके में प्रचार करने के अलग-अलग तरीके ढूँढ़िए (पैराग्राफ 15-16 देखें) *

15. नयी जगह पर आपको अच्छे नतीजे कैसे मिल सकते हैं?

15 बदलाव का सामना करने पर भी आप खुशी पा सकते हैं। यह मत सोचिए कि आप पहले जहाँ सेवा कर रहे थे, वहाँ आपने अच्छे से काम नहीं किया या अब आपकी कोई ज़रूरत नहीं है। इसके बजाय, यह सोचिए कि यहोवा किन-किन तरीकों से आपकी मदद कर रहा है। प्रचार में लगे रहिए। पहली सदी के वफादार मसीहियों की मिसाल पर चलिए। “वे जहाँ कहीं गए, वहाँ वचन की खुशखबरी सुनाते गए।” (प्रेषि. 8:1, 4) प्रचार में मेहनत करने से आपको अच्छे नतीजे मिल सकते हैं। एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। कुछ पायनियर भाई-बहनों को एक देश से निकाल दिया गया था। वे पास के एक दूसरे देश में गए जहाँ उन्हीं की भाषा में प्रचारकों की बहुत ज़रूरत थी। कुछ ही महीनों में कई लोगों ने दिलचस्पी दिखायी और बहुत-से समूह बने।

16. अपने नए हालात में आप खुशी कैसे पा सकते हैं?

16 बाइबल बताती है, “जो खुशी यहोवा देता है वह तुम्हारी ताकत है।” (नहे. 8:10, फु.) इससे पता चलता है कि भले ही हमें अपनी सेवा बहुत पसंद हो, लेकिन हमें सिर्फ इसी से खुशी नहीं मिलती। हमारी खुशी की सबसे बड़ी वजह है, यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता। इस वजह से यहोवा के करीब रहिए। बुद्धि, मार्गदर्शन और सहारे के लिए उस पर निर्भर रहिए। ज़रा सोचिए कि आपको अपनी पिछली सेवा से लगाव कैसे हुआ था। आपने लोगों की मदद करने में जी-जान लगा दी थी। यहाँ भी वैसा ही कीजिए। फिर देखिए कैसे यहोवा की मदद से आपको यहाँ भी अपनी सेवा से लगाव हो जाएगा।—सभो. 7:10.

17. फिलहाल हमें यहोवा की सेवा में जो काम मिला है, उसके बारे में हमें क्या याद रखना चाहिए?

17 याद रखिए कि यहोवा की सेवा में फिलहाल हमें जो काम मिला है, वह बदल सकता है। लेकिन एक बात कभी नहीं बदल सकती। वह यह कि हम हमेशा यहोवा की सेवा करते रहेंगे। नयी दुनिया में शायद हम सबकी ज़िम्मेदारियाँ बदल जाएँ, हम वह काम न करें जो हम आज कर रहे हैं। अलीकस्ये, जिसका लेख की शुरूआत में ज़िक्र किया गया था, मानता है कि उसकी सेवा में होनेवाले बदलाव दरअसल उसे भविष्य में होनेवाले बदलाव के लिए तैयार कर रहे हैं। वह बताता है, “मैं हमेशा से जानता था कि यहोवा सचमुच में है और नयी दुनिया ज़रूर आएगी। लेकिन अब मैं सही मायनों में यहोवा के करीब महसूस करता हूँ और मुझे यकीन है कि नयी दुनिया बस आने ही वाली है।” (प्रेषि. 2:25) तो फिर आइए हम हमेशा यहोवा के करीब रहें। वह कभी हमारा साथ नहीं छोड़ेगा। वह हमारी मदद करेगा ताकि हम उसकी सेवा में खुशी पा सकें, फिर चाहे हम जहाँ भी रहकर यह सेवा करें।—यशा. 41:13.

गीत 90 एक-दूसरे की हिम्मत बँधाएँ

^ पैरा. 5 कभी-कभी ऐसा होता है कि पूरे समय के सेवकों को शायद अपनी सेवा छोड़नी पड़े या फिर उन्हें दूसरी जगह सेवा करने के लिए भेजा जाए। इस बदलाव की वजह से उनके सामने कौन-सी मुश्‍किलें आती हैं? वे अपने नए हालात में कैसे ढल सकते हैं और खुश रह सकते हैं? इस लेख में इन बातों पर चर्चा की जाएगी। हम यह भी देखेंगे कि मंडली के भाई-बहन कैसे उनकी मदद कर सकते हैं और उनका हौसला बढ़ा सकते हैं। साथ ही, हम बाइबल के कुछ सिद्धांतों पर गौर करेंगे जो बदलाव का सामना करने में सबकी मदद कर सकते हैं।

^ पैरा. 4 कई बुज़ुर्ग भाइयों ने भी एक उम्र पार करने पर अपनी ज़िम्मेदारियाँ जवान भाइयों को सौंपी हैं। सितंबर 2018 की प्रहरीदुर्ग  में लेख, “बुज़ुर्ग मसीहियो—यहोवा आपकी वफादारी की बहुत कदर करता है” और अक्टूबर 2018 की प्रहरीदुर्ग  में लेख, “हालात बदलने पर भी मन की शांति बनाए रखिए” देखें।

^ पैरा. 12 पूरे समय के सेवकों की पुरानी मंडली के प्राचीनों को जल्द-से-जल्द परिचय पत्र लिखना चाहिए, ताकि नयी मंडली में ये भाई-बहन पायनियर, प्राचीन या सहायक सेवक के नाते अपनी सेवा जारी रख सकें।

^ पैरा. 13 2018 की सजग होइए!  अंक 3 में शृंखला लेख, “अपनों को खोने का गम कैसे सहें?” देखें।

^ पैरा. 57 तसवीर के बारे में: एक पति-पत्नी मिशनरी सेवा छोड़कर जा रहे हैं और बहुत दुखी होकर अपनी मंडली से विदा ले रहे हैं।

^ पैरा. 59 तसवीर के बारे में: अब वे वापस अपने देश आ गए हैं। वे मुश्‍किलों का सामना करने के लिए लगातार यहोवा से मिन्‍नत कर रहे हैं।

^ पैरा. 61 तसवीर के बारे में: यहोवा की मदद से पति-पत्नी दोबारा पूरे समय की सेवा शुरू करते हैं। मिशनरी सेवा के दौरान उन्होंने जो भाषा सीखी थी, उसी भाषा में वे अपनी नयी मंडली में लोगों को प्रचार कर रहे हैं।