इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्ययन लेख 33

एक अनोखी आशा—यहोवा के प्यार, बुद्धि और सब्र का सबूत

एक अनोखी आशा—यहोवा के प्यार, बुद्धि और सब्र का सबूत

‘मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा।’—प्रेषि. 24:15.

गीत 151 वह उन्हें पुकारेगा

लेख की एक झलक *

1. यहोवा ने दूसरे प्राणियों को क्यों बनाया?

एक समय ऐसा था जब पूरे जहान में यहोवा के सिवा और कोई नहीं था। फिर भी उसने अकेला महसूस नहीं किया। उसे किसी की ज़रूरत नहीं थी, लेकिन वह दूसरों को ज़िंदगी देना चाहता था और उन्हें खुश देखना चाहता था। यह यहोवा का प्यार ही था कि उसने दूसरे प्राणियों की सृष्टि की।​—भज. 36:9; 1 यूह. 4:19.

2. यहोवा की रचनाएँ देखकर यीशु और स्वर्गदूतों को कैसा लगा?

2 उसने सबसे पहले अपने बेटे यीशु को बनाया। फिर उसने यीशु के साथ मिलकर “बाकी सब चीज़ें” बनायीं। (कुलु. 1:16) उसने लाखों स्वर्गदूत बनाए और आकाश और धरती की सृष्टि की। यीशु को अपने पिता के साथ काम करके बहुत खुशी हुई। (नीति. 8:30) स्वर्गदूत भी यह देखकर बहुत खुश हुए कि यहोवा और उसका कुशल कारीगर यीशु कैसे आकाश और धरती की एक-एक चीज़ बना रहे हैं। वे मारे खुशी के “जयजयकार” करने लगे। आखिर में जब धरती की सबसे लाजवाब सृष्टि इंसान को बनाया गया, तब भी उन्होंने ज़रूर जयजयकार की होगी। (अय्यू. 38:7; नीति. 8:31) यहोवा की एक-एक रचना से साफ दिख रहा था कि उसमें कितना प्यार है और वह कितना बुद्धिमान है।​—भज. 104:24; रोमि. 1:20.

3. पहला कुरिंथियों 15:21, 22 के मुताबिक यहोवा ने अपने बेटे की फिरौती क्यों दी?

3 यहोवा चाहता था कि इंसान इस खूबसूरत धरती पर हमेशा जीएँ। लेकिन आदम और हव्वा के पाप की वजह से इंसानों पर मौत आ गयी। (रोमि. 5:12) तब यहोवा ने क्या किया? उसने तुरंत इस समस्या का हल बताया। (उत्प. 3:15) वह फिरौती के रूप में अपने बेटे का बलिदान करेगा ताकि आदम और हव्वा की संतान पाप और मौत से छुटकारा पा सके। इससे हर इंसान को यह मौका मिलता कि वह यहोवा की सेवा करने का फैसला करे और हमेशा की ज़िंदगी पाए।​—यूह. 3:16; रोमि. 6:23; 1 कुरिंथियों 15:21, 22 पढ़िए।

4. इस लेख में हम किन सवालों पर गौर करेंगे?

4 परमेश्‍वर ने फिरौती बलिदान की वजह से ही वादा किया है कि जिन लोगों की मौत हो गयी है, उन्हें वह ज़िंदा करेगा। इस बारे में लोगों के मन में कई सवाल उठते हैं। जैसे, क्या सब लोग एक-साथ ज़िंदा हो जाएँगे या उन्हें एक क्रम में ज़िंदा किया जाएगा? जब हमारे अपने ज़िंदा होंगे, तो क्या हम उन्हें पहचान पाएँगे? नयी दुनिया में हमारी खुशी क्यों बढ़ती जाएगी? इस आशा से कैसे पता चलता है कि यहोवा प्यार करता है, वह बुद्धिमान है और सब्र रखता है? इससे हमें क्या बढ़ावा मिलता है? आइए एक-एक करके इन सवालों पर गौर करें।

क्या सब लोग एक-साथ ज़िंदा हो जाएँगे?

5. हम क्यों कह सकते हैं कि सब लोग एक-साथ ज़िंदा नहीं होंगे?

5 यहोवा अपने बेटे के ज़रिए लाखों लोगों को ज़िंदा करेगा। लेकिन क्या सब लोग एक-साथ ज़िंदा हो जाएँगे? शायद नहीं। अगर ऐसा हुआ तो बहुत गड़बड़ी हो जाएगी। यहोवा अपना हर काम व्यवस्थित तरीके से करता है। वह जानता है कि सबकुछ कायदे से होना ज़रूरी है, तभी शांति बनी रहेगी। इसलिए हम कह सकते हैं कि सब लोग एक-साथ ज़िंदा नहीं किए जाएँगे। (1 कुरिं. 14:33) जब यहोवा ने धरती को इंसान के रहने के लिए तैयार किया, तो उसने हर चीज़ एक क्रम में बनायी थी। हज़ार साल के राज में यीशु भी इसी तरह बुद्धिमानी और सब्र से काम लेगा। वह हर-मगिदोन से बचनेवालों को निर्देश देगा कि जो लोग ज़िंदा किए जाएँगे, उनके लिए वे घर, खाना, कपड़े सबकुछ पहले से तैयार रखें।

जो लोग हर-मगिदोन से बचेंगे, वे दोबारा ज़िंदा होनेवालों को परमेश्‍वर के राज और उसके स्तरों के बारे में सिखाएँगे (पैराग्राफ 6 देखें) *

6. प्रेषितों 24:15 के मुताबिक ज़्यादातर किन लोगों को ज़िंदा किया जाएगा?

6 जिन लोगों को ज़िंदा किया जाएगा उन्हें यहोवा के राज और उसके स्तरों के बारे में सिखाया जाएगा, जो कि सबसे ज़रूरी काम होगा। बाइबल के मुताबिक ज़्यादातर “बुरे” लोग ज़िंदा किए जाएँगे। (प्रेषितों 24:15 पढ़िए।) उन्हें मसीह के फिरौती बलिदान से फायदा पाने के लिए अपने अंदर काफी बदलाव करने होंगे। इन लाखों लोगों को यहोवा के बारे में कुछ नहीं पता होगा, इसलिए उन्हें सिखाने में हमें मेहनत करनी होगी। लेकिन उन्हें कैसे सिखाया जाएगा? क्या उनमें से हरेक को अलग से सिखाया जाएगा, जैसे आज बाइबल अध्ययन किया जाता है? जब इन लोगों को सिखाया जाएगा, तो क्या वे मंडली का हिस्सा बनेंगे? फिर क्या वे भी उन लोगों को सिखाएँगे जो उनके बाद ज़िंदा किए जाएँगे? हम नहीं जानते। लेकिन हम इतना ज़रूर जानते हैं कि मसीह के हज़ार साल के आखिर तक ‘पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से भर जाएगी।’ (यशा. 11:9) वाकई, हज़ार साल के दौरान हमारे पास बहुत काम होगा और हम खुशी से वे काम करेंगे।

7. यहोवा के लोग दूसरों की कमज़ोरियाँ क्यों समझ पाएँगे?

7 हज़ार साल के दौरान यहोवा के सभी लोगों को उसके स्तरों के मुताबिक चलने के लिए लगातार बदलाव करने होंगे। इस वजह से वे ज़िंदा होनेवाले लोगों की कमज़ोरियाँ अच्छी तरह समझ पाएँगे। वे बुरी इच्छाओं पर काबू पाने और यहोवा के स्तरों के मुताबिक जीने में उनकी मदद कर पाएँगे। (1 पत. 3:8) वे खुद भी अपने अंदर बदलाव करते रहेंगे और “अपने उद्धार के लिए काम” करते रहेंगे। (फिलि. 2:12) जो लोग ज़िंदा होंगे, वे उनकी नम्रता देखकर उनमें से एक होना चाहेंगे और यहोवा की उपासना करना चाहेंगे।

क्या हम अपनों को पहचान पाएँगे?

8. हम क्यों कह सकते हैं कि हमारे जो अपने ज़िंदा होंगे उन्हें हम पहचान पाएँगे?

8 ऐसा कहने के कई कारण हैं कि जब हमारे अपने ज़िंदा होंगे, तो हम उन्हें पहचान पाएँगे। बीते ज़माने में यहोवा ने जिन लोगों को ज़िंदा किया था, उनकी शक्ल-सूरत, बात करने का तरीका और सोचने का तरीका वैसा ही था जैसा मरने से पहले था। भविष्य में यहोवा मरे हुए लोगों को इसी तरह ज़िंदा करेगा। याद कीजिए, यीशु ने कहा था कि जिन लोगों की मौत हो गयी है, वे मानो सो रहे हैं और उन्हें ज़िंदा करना नींद से जगाने जैसा होगा। (मत्ती 9:18, 24; यूह. 11:11-13) एक व्यक्‍ति जब नींद से जागता है, तो वह वैसा ही दिखता है जैसा पहले दिखता था, वैसे ही बात करता है जैसे पहले करता था और उसकी याददाश्‍त भी वैसी ही रहती है। लाज़र की घटना याद कीजिए। उसकी मौत को चार दिन हो चुके थे और उसका शरीर सड़ने लगा था। लेकिन जब यीशु ने उसे ज़िंदा किया, तो उसकी बहनों ने उसे तुरंत पहचान लिया। लाज़र ने भी उन्हें ज़रूर पहचान लिया होगा।​—यूह. 11:38-44; 12:1, 2.

9. जब लोग ज़िंदा होंगे, तब उनका दिमाग और शरीर क्यों परिपूर्ण नहीं होगा?

9 यहोवा ने वादा किया है कि फिरदौस में कोई नहीं कहेगा, “मैं बीमार हूँ।” (यशा. 33:24; रोमि. 6:7) इस वजह से हम कह सकते हैं कि जब लोगों को ज़िंदा किया जाएगा, तो उन्हें एक नया शरीर दिया जाएगा और वे पूरी तरह सेहतमंद होंगे। मगर वे तब भी अपरिपूर्ण होंगे। अगर वे परिपूर्ण हो गए, तो उनके दोस्त और परिवारवाले उन्हें पहचान नहीं पाएँगे। ऐसा मालूम होता है कि हज़ार साल के राज के दौरान सभी इंसान धीरे-धीरे परिपूर्ण होंगे। हज़ार साल के आखिर में यीशु पिता को अपना राज वापस सौंप देगा। तब तक यह राज अपना मकसद पूरा कर चुका होगा और सभी इंसानों को परिपूर्ण बना देगा।​—1 कुरिं. 15:24-28; प्रका. 20:1-3.

हमारी खुशी क्यों बढ़ती जाएगी?

10. अपने अज़ीज़ों से दोबारा मिलकर आपको कैसा लगेगा?

10 ज़रा सोचिए, जब आप अपने अज़ीज़ों से दोबारा मिलेंगे तो आपको कैसा लगेगा। हो सकता है, आप खुशी से उछल पड़ें या आपकी आँखें भर आएँ। या हो सकता है कि आप खुशी के मारे यहोवा की जयजयकार करने लगें। बेशक आपके दिल में यहोवा और यीशु के लिए प्यार उमड़ आएगा कि उन्होंने आपके लिए कितना कुछ किया है। यीशु की कुरबानी की वजह से ही आप अपने अज़ीज़ों से दोबारा मिल पा रहे हैं।

11. जो लोग यहोवा के नेक स्तरों पर चलेंगे, उन्हें यूहन्‍ना 5:28, 29 के मुताबिक क्या मिलेगा?

11 जो लोग ज़िंदा किए जाएँगे वे धीरे-धीरे अपनी पुरानी शख्सियत उतार फेंकेंगे और यहोवा के नेक स्तरों के मुताबिक जीने लगेंगे। ज़रा सोचिए, ऐसा करने से उन्हें कितनी खुशी मिलेगी। ऐसे लोगों को फिरदौस में हमेशा जीने दिया जाएगा। लेकिन जो लोग सबकुछ जानते हुए भी अपने अंदर बदलाव नहीं करेंगे और फिरदौस का माहौल खराब करेंगे, उन्हें और जीने नहीं दिया जाएगा।​—यशा. 65:20; यूहन्‍ना 5:28, 29 पढ़िए।

12. परमेश्‍वर के सेवकों को कौन-सी आशीषें मिलेंगी?

12 परमेश्‍वर के राज में उसके सभी सेवक पाएँगे कि नीतिवचन 10:22 में लिखी बात सच है, “यहोवा की आशीष ही एक इंसान को अमीर बनाती है और वह उसके साथ कोई दर्द नहीं देता।” वे दिनों-दिन मसीह के जैसे गुण दर्शाएँगे और धीरे-धीरे परिपूर्ण हो जाएँगे। (यूह. 13:15-17; इफि. 4:23, 24) हर दिन उनकी सेहत अच्छी होती जाएगी और उनका दमखम बढ़ता जाएगा। जीने में कितना मज़ा आएगा! (अय्यू. 33:25) दोबारा जी उठने की आशा पर मनन करने से आज भी हमें फायदा होता है। आइए देखें कैसे।

यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है

13. (क) भजन 139:1-4 से क्या पता चलता है? (ख) जब यहोवा लोगों को ज़िंदा करेगा, तो उनके लिए क्या करेगा?

13 जैसे हमने पहले चर्चा की, जब यहोवा मरे हुए लोगों को ज़िंदा करेगा, तो उनकी याददाश्‍त वही रहेगी और उनका स्वभाव भी वैसा ही रहेगा जैसा मरने से पहले था। इससे पता चलता है कि यहोवा हमसे कितना प्यार करता है। वह हमारे बारे में एक-एक बात याद रखता है, हम क्या कहते हैं, क्या करते हैं, क्या सोचते हैं और कैसा महसूस करते हैं। अगर हमारी मौत हो जाए, तो यहोवा हमें वैसे ही ज़िंदा कर सकता है जैसे हम आज हैं। यह उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं है। वह हमारी याददाश्‍त, हमारा स्वभाव सबकुछ लौटा सकता है। राजा दाविद को एहसास था कि यहोवा अपने हर सेवक को अच्छी तरह जानता है। (भजन 139:1-4 पढ़िए।) इस बात से आज हमें बहुत हिम्मत मिलती है।

14. हमें इस बात से क्यों हिम्मत मिलती है कि यहोवा हमारे बारे में सबकुछ जानता है?

14 जब हम इस बात पर मनन करते हैं कि यहोवा हमें अच्छी तरह जानता है, तो हमें किसी बात का डर नहीं रहता। वह हममें खामियाँ नहीं ढूँढ़ता बल्कि हममें से हरेक को अनमोल समझता है। यहोवा ध्यान देता है कि बचपन से अब तक हमारी ज़िंदगी कैसी रही है। इस बात से हमें कितनी हिम्मत मिलती है! हमें कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि हम अकेले हैं। यहोवा हर पल हमारे साथ रहता है ताकि जब भी ज़रूरत पड़े वह हमारी मदद कर सके।​—2 इति. 16:9.

यहोवा बहुत बुद्धिमान है

15. यहोवा ने दोबारा जीने की आशा देकर कैसे बुद्धिमानी का काम किया है?

15 मौत का डर इंसान से कुछ भी करवा सकता है। दुनिया के लोग इसी बात का फायदा उठाते हैं। वे मौत की धमकी देकर लोगों से विश्‍वासघात करवाते हैं और उन्हें अपने उसूलों के खिलाफ काम करने के लिए मजबूर करते हैं। लेकिन यहोवा के सेवक मौत से नहीं डरते। हम जानते हैं कि अगर दुश्‍मन हमारी जान ले लें, तो भी यहोवा हमें ज़िंदा कर सकता है। (प्रका. 2:10) हमें पूरा यकीन है कि दुश्‍मन चाहे कुछ भी कर लें, वे हमें यहोवा से अलग नहीं कर सकते। (रोमि. 8:35-39) यहोवा ने हमें दोबारा ज़िंदा होने की आशा देकर मौत का डर हमारे मन से निकाल दिया है। उसने कितनी बुद्धिमानी का काम किया है! यह आशा हमें हिम्मत देती है। इसलिए चाहे शैतान के लोग हमें मार डालने की धमकी दें, तो भी हम यहोवा के वफादार रहते हैं।

हम किस तरह के फैसले करते हैं? क्या हमें भरोसा है कि यहोवा हमारी ज़रूरतें पूरी करेगा? (पैराग्राफ 16 देखें) *

16. आपको खुद से कौन-से सवाल करने चाहिए और क्यों?

16 अगर यहोवा के दुश्‍मन आपको मार डालने की धमकी दें, तो आप क्या करेंगे? क्या आप यहोवा के वफादार रहेंगे और भरोसा रखेंगे कि अगर आपकी मौत हो जाए, तो यहोवा आपको दोबारा ज़िंदा करेगा? आप आज जैसी ज़िंदगी जीते हैं और जो फैसले करते हैं, उससे पता चलेगा कि आप उस समय यहोवा पर भरोसा रखेंगे या नहीं। तो खुद से पूछिए, ‘मैं हर दिन जो छोटे-छोटे फैसले करता हूँ, क्या उससे पता चलता है कि मुझे यहोवा पर भरोसा है?’ (लूका 16:10) अपने आपसे यह भी पूछिए, ‘क्या मैं अपनी ज़िंदगी में यहोवा के राज को पहली जगह देता हूँ और भरोसा रखता हूँ कि वह मेरी ज़रूरतें पूरी करेगा?’ (मत्ती 6:31-33) अगर आप आज यहोवा पर भरोसा रखते हैं, तो आप भविष्य में आनेवाली हर मुश्‍किल का सामना कर पाएँगे।​—नीति. 3:5, 6.

यहोवा सब्र रखता है

17. (क) मरे हुओं को ज़िंदा करने के लिए यहोवा कैसे सब्र से काम लेता है? (ख) आज हमें क्या करना चाहिए?

17 यहोवा ने वह दिन और वह घड़ी तय कर दी है जब वह इस दुष्ट दुनिया का नाश कर देगा। (मत्ती 24:36) लेकिन यहोवा बेसब्र होकर समय से पहले अंत नहीं लाएगा। यहोवा मरे हुए लोगों को ज़िंदा करने के लिए तरस रहा है, लेकिन वह तय वक्‍त का इंतज़ार कर रहा है। (अय्यू. 14:14, 15; यूह. 5:28) हम यहोवा के एहसानमंद हो सकते हैं कि वह सब्र से काम लेता है। उसके सब्र की वजह से आज कई लोगों को “पश्‍चाताप करने का मौका” मिला है। हमें भी यह मौका मिला है। (2 पत. 3:9) यहोवा चाहता है कि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग हमेशा की ज़िंदगी पाएँ। हमें खुश होना चाहिए कि यहोवा सब्र से काम लेता है और हमें उसकी तरह सब्र रखना चाहिए। हमें ऐसे लोगों को ढूँढ़ना चाहिए जो “हमेशा की ज़िंदगी पाने के लायक अच्छा मन रखते” हैं। (प्रेषि. 13:48) हमें उन्हें यहोवा के बारे में सिखाना चाहिए ताकि वे भी उससे प्यार करें और उसकी सेवा करें। फिर यहोवा के सब्र रखने से उन्हें भी फायदा होगा जैसे हमें हुआ है।

18. हमें क्यों दूसरों के साथ व्यवहार करते वक्‍त सब्र रखना चाहिए?

18 यहोवा जानता है कि हम हज़ार साल के आखिर में ही परिपूर्ण होंगे। तब तक यहोवा सब्र रखेगा और हमारी गलतियों को माफ करता रहेगा। हमें भी यहोवा की तरह सब्र रखना चाहिए और दूसरों की गलतियाँ माफ कर देनी चाहिए। हमें उनकी अच्छाइयों पर ध्यान देना चाहिए। एक बहन ने ऐसा ही किया। उसके पति को बहुत ज़्यादा घबराहट होने लगी थी। इस वजह से उसने सभाओं में जाना बंद कर दिया। बहन बताती है, “यह मेरे लिए बहुत मुश्‍किल दौर था। एक ही पल में सबकुछ उलट-पुलट हो गया। हमने भविष्य के बारे में जो भी सोचा था, सब धरा-का-धरा रह गया।” लेकिन इस पूरे दौर में बहन ने सब्र नहीं खोया और वह अपने पति का साथ देती रही। उसने यहोवा पर भरोसा रखा और अपने पति की अच्छाइयों पर ध्यान दिया। वह कहती है, “मेरे पति में बहुत-से अच्छे गुण हैं। वे अपनी घबराहट पर भी काबू पाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।” इस अनुभव से हम क्या सीखते हैं? यही कि हमें अपने परिवारवालों और मंडली के लोगों के साथ व्यवहार करते वक्‍त सब्र रखना चाहिए, खासकर उन लोगों के साथ जो बड़ी-बड़ी मुश्‍किलों से जूझ रहे हैं।

19. आज हमें क्या करना चाहिए?

19 जब धरती को इंसानों के लिए तैयार किया जा रहा था, तो यीशु और स्वर्गदूत बहुत खुश हुए थे। ज़रा सोचिए, उनकी खुशी तब और कितनी बढ़ जाएगी जब वे देखेंगे कि यह धरती परिपूर्ण इंसानों से भर गयी है। सब लोग यहोवा से प्यार करेंगे और उसकी सेवा करेंगे। जिन लोगों को मसीह के साथ राज करने के लिए धरती से स्वर्ग लिया गया है, उन्हें यह देखकर कितनी खुशी होगी कि उनके कामों से सभी इंसानों को फायदा हो रहा है। (प्रका. 4:4, 9-11; 5:9, 10) उस वक्‍त ज़िंदगी कितनी खुशहाल होगी जब बीमारी, दुख-तकलीफें और मौत नहीं होगी। हमारी आँखों में दुख के नहीं खुशी के आँसू होंगे। (प्रका. 21:4) आज जब हम उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं, तो आइए हम अपने पिता यहोवा की तरह बनने की कोशिश करें, जो सबसे प्यार करता है, बुद्धिमान है और सब्र से काम लेता है। अगर हम ऐसा करें, तो हमारी ज़िंदगी में चाहे कैसी भी मुश्‍किलें आएँ हम खुश रहेंगे। (याकू. 1:2-4) हम यहोवा के कितने शुक्रगुज़ार हैं कि उसने हमें यह आशा दी है कि ‘मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा।’​—प्रेषि. 24:15.

गीत 141 जीवन का करिश्‍मा

^ पैरा. 5 यहोवा ने जिस तरह सब चीज़ें बनायी हैं और मरे हुओं को ज़िंदा करने का जो वादा किया है, उससे पता चलता है कि वह इंसानों से प्यार करता है, बुद्धिमान है और सब्र रखता है। दोबारा जी उठने की आशा के बारे में शायद हमारे मन में कुछ सवाल हों। इस बारे में हम इस लेख में देखेंगे। हम यह भी जानेंगे कि यहोवा के गुणों से हमें क्या करने का बढ़ावा मिलता है।

^ पैरा. 59 तसवीर के बारे में: नयी दुनिया में एक अमरीकी आदिवासी ज़िंदा हुआ है, जिसकी मौत सैकड़ों साल पहले हो गयी थी। एक भाई जो हर-मगिदोन से बचा था, उस आदमी को सिखा रहा है कि मसीह के फिरौती बलिदान से फायदा पाने के लिए उसे क्या करना होगा।

^ पैरा. 61 तसवीर के बारे में: एक भाई अपने बॉस को बता रहा है कि वह हफ्ते के कुछ दिन ओवरटाइम नहीं कर सकता। उसे यहोवा की उपासना से जुड़े कुछ काम करने होते हैं। लेकिन बाकी दिन अगर ऑफिस में कोई ज़रूरी काम हो, तो वह ओवरटाइम करने के लिए तैयार है।