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अध्ययन लेख 32

नम्र बनें और मर्यादा में रहें

नम्र बनें और मर्यादा में रहें

‘मर्यादा में रहकर अपने परमेश्‍वर के साथ चल।’—मीका 6:8.

गीत 31 परमेश्‍वर के साथ चल!

लेख की एक झलक *

1. दाविद ने यहोवा के बारे में क्या कहा?

यहोवा एक नम्र परमेश्‍वर है। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? दाविद ने एक बार कहा, “तू मुझे अपनी उद्धार की ढाल देता है, तेरी नम्रता  मुझे ऊँचा उठाती है।” (2 शमू. 22:36; भज. 18:35) दाविद ने शायद उस घटना को ध्यान में रखकर यह बात लिखी होगी जब भविष्यवक्‍ता शमूएल उसके पिता के घर आया था। यहोवा ने शमूएल को इसराएल का अगला राजा चुनने के लिए भेजा था। दाविद अपने पिता के आठ बेटों में से सबसे छोटा था, फिर भी यहोवा ने उसी को शाऊल की जगह राजा चुना।—1 शमू. 16:1, 10-13.

2. इस लेख में हम क्या देखेंगे?

2 दाविद भी यहोवा के बारे में वही मानता था जो भजन 113:6-8 में लिखा है, “वह आसमान और धरती को देखने के लिए नीचे झुकता है, दीन जन को धूल में से उठाता है। गरीब को राख के ढेर से उठाता है ताकि उसे रुतबेदार लोगों के साथ बिठाए।” इस लेख में हम सबसे पहले देखेंगे कि यहोवा कैसे नम्रता से पेश आता है और हम उससे क्या सीख सकते हैं। इसके बाद हम देखेंगे कि मर्यादा में रहने के बारे में हम राजा शाऊल, भविष्यवक्‍ता दानियेल और यीशु से क्या सीख सकते हैं।

हम यहोवा से क्या सीख सकते हैं?

3. यहोवा हमारे साथ कैसे पेश आता है और इससे क्या पता चलता है?

3 यहोवा हम अपरिपूर्ण इंसानों के साथ जिस तरह पेश आता है, उससे पता चलता है कि वह नम्र है। वह हमारी उपासना स्वीकार करता है और हमें अपना दोस्त भी मानता है। (भज. 25:14) हम यहोवा से दोस्ती कर सकें, इसका रास्ता उसी ने हमारे लिए खोला है। हमारे पापों को माफ करने के लिए उसने अपने बेटे का बलिदान दिया। सचमुच, यहोवा बहुत दयालु है।

4. यहोवा ने हमें क्या करने की आज़ादी दी है और क्यों?

4 यहोवा की नम्रता एक और बात से देखी जा सकती है। उसने हमें अपनी छवि में बनाया है और अपने फैसले खुद करने की आज़ादी दी है। वह चाहता तो हमें ऐसी आज़ादी नहीं देता। उसने हमें यह आज़ादी इसलिए दी है ताकि हम अपनी खुशी से उसकी सेवा करें। वह चाहता है कि हम उससे प्यार करें और इस बात को समझें कि उसकी आज्ञा मानने में ही हमारी भलाई है। (व्यव. 10:12; यशा. 48:17, 18) हम यहोवा के कितने शुक्रगुज़ार हैं कि वह नम्र है।

स्वर्ग में यीशु और उसके कुछ साथी राजा खड़े हैं। वे लाखों-करोड़ों स्वर्गदूतों को देख रहे हैं। कुछ स्वर्गदूत धरती की तरफ जा रहे हैं ताकि यहोवा ने उन्हें जो काम सौंपा है, उसे कर सकें। तसवीर में जिन्हें दिखाया गया है, उन सबको यहोवा ने कुछ अधिकार दिया है (पैराग्राफ 5 पढ़ें)

5. यहोवा नम्र होने की वजह से क्या करता है? (बाहर दी तसवीर देखें।)

5 यहोवा चाहता है कि हम भी उसकी तरह नम्र रहें और उससे सीखें कि हमें दूसरों के साथ कैसे पेश आना चाहिए। पूरे विश्‍व में यहोवा सबसे बुद्धिमान है। उसे किसी और से सुझाव माँगने की ज़रूरत नहीं है, फिर भी वह दूसरों से सुझाव माँगता है। जब यहोवा सब चीज़ों की सृष्टि कर रहा था, तो उसने अपने बेटे को भी हाथ बँटाने का मौका दिया। (नीति. 8:27-30; कुलु. 1:15, 16) यहोवा सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर है, फिर भी वह दूसरों को कुछ अधिकार सौंपता है। जैसे, उसने यीशु को अपने राज का राजा बनाया है और वह 1,44,000 लोगों को भी भविष्य में यीशु के साथ राज करने का अधिकार देगा। (लूका 12:32) यहोवा ने यीशु को राजा और महायाजक की ज़िम्मेदारी निभाना सिखाया है। (इब्रा. 5:8, 9) आज वह उन लोगों को भी अपनी ज़िम्मेदारी निभाना सिखा रहा है जो यीशु के साथ राज करेंगे। लेकिन वह उनकी हर छोटी-छोटी बात पर नज़र नहीं रखेगा कि वे अपनी ज़िम्मेदारी कैसे निभाएँगे। यहोवा को उन पर भरोसा है कि वे उसकी मरज़ी के मुताबिक काम करेंगे।—प्रका. 5:10.

यहोवा की तरह नम्र होने से हम दूसरों को काम सिखाएँगे और ज़िम्मेदारी सौंपेंगे (पैराग्राफ 6-7 देखें) *

6-7. हम यहोवा से क्या सीख सकते हैं?

6 यहोवा को किसी से मदद लेने की ज़रूरत नहीं है। वह अपना काम खुद कर सकता है, फिर भी वह दूसरों को काम या ज़िम्मेदारी सौंपता है। जब यहोवा ऐसा करता है, तो क्या हमें भी ऐसा नहीं करना चाहिए? अगर आप एक परिवार के मुखिया हैं या मंडली के प्राचीन हैं, तो यहोवा की तरह दूसरों को काम या ज़िम्मेदारी सौंपिए। फिर जब वे काम कर रहे होते हैं, तो उन्हें बार-बार मत टोकिए। तब आपका काम भी हो जाएगा, आप दूसरों को सिखा पाएँगे और उनका भरोसा बढ़ा पाएँगे कि वे भी कुछ कर सकते हैं। (यशा. 41:10) आप यहोवा से और क्या सीख सकते हैं?

7 एक पिता होने के नाते यहोवा अपने बेटों यानी स्वर्गदूतों से उनकी राय जानना चाहता है। हम बाइबल के एक वाकए से यह समझ सकते हैं। (1 राजा 22:19-22) माता-पिताओ, आप यहोवा की तरह क्या कर सकते हैं? कुछ मामलों में बच्चों से उनकी राय पूछिए कि फलाँ काम कैसे करना सही रहेगा। उनका सुझाव सही लगे, तो उसे मानिए।

8. यहोवा ने अब्राहम और सारा के मामले में किस तरह सब्र से काम लिया?

8 नम्र होने की वजह से यहोवा सब्र से भी काम लेता है। उदाहरण के लिए, जब यहोवा का कोई सेवक उसके फैसले से पूरी तरह सहमत नहीं होता और उससे सवाल करता है, तो वह सब्र से सुनता है और उसे जवाब देता है। अब्राहम के मामले में उसने ऐसा ही किया। जब अब्राहम ने उससे पूछा कि सदोम और अमोरा का नाश करना कहाँ तक सही है, तो यहोवा ने सब्र से उसकी सुनी। (उत्प. 18:22-33) यहोवा अब्राहम की पत्नी सारा के साथ भी इसी तरह पेश आया। जब सारा यहोवा की इस बात पर हँसी कि उसे बुढ़ापे में एक बेटा होगा, तो यहोवा ने उसकी बात का बुरा नहीं माना, न ही वह उस पर भड़क गया। (उत्प. 18:10-14) यहोवा सारा के साथ आदर से पेश आया।

9. माता-पिता और प्राचीन यहोवा से क्या सीख सकते हैं?

9 माता-पिताओ और प्राचीनो, आप यहोवा की तरह नम्र कैसे हो सकते हैं? अगर आपके बच्चे या मंडली के भाई-बहन आपके किसी फैसले से सहमत नहीं होते और आपसे सवाल करते हैं, तो आप क्या करते हैं? क्या आप उनसे यह कहते हैं कि यह जानना उनका काम नहीं है। या आप यह समझने की कोशिश करते हैं कि उन्होंने यह सवाल क्यों किया। जब माता-पिता और प्राचीन यहोवा की तरह नम्र होते हैं और सब्र से काम लेते हैं, तो परिवार और मंडली में सब लोग खुश रहते हैं। अब तक हमने सीखा कि हम यहोवा की तरह नम्र कैसे हो सकते हैं। अब आइए जानें कि हम बाइबल में बताए लोगों की तरह मर्यादा में कैसे रह सकते हैं।

हम दूसरों से क्या सीखते हैं?

10. बाइबल में बताए लोगों से हम क्या सीख सकते हैं?

10 हमारे “महान उपदेशक” यहोवा ने हमें सिखाने के लिए अपने वचन में कुछ लोगों के बारे में लिखवाया है। (यशा. 30:20, 21) हम उनके बारे में पढ़ सकते हैं और मनन कर सकते हैं कि उन्होंने कैसे परमेश्‍वर को भानेवाले गुण दर्शाए, जैसे मर्यादा का गुण। बाइबल में यह भी बताया गया है कि जब कुछ लोग अपनी मर्यादा में नहीं रहे, तो अंजाम क्या हुआ।—भज. 37:37; 1 कुरिं. 10:11.

11. हमें शाऊल से क्या सबक मिलता है?

11 राजा शाऊल  के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। वह पहले एक नम्र इंसान था और अपनी मर्यादा में रहता था। जब उसे एक बड़ी ज़िम्मेदारी दी गयी, तो वह उसे लेने से झिझकने लगा क्योंकि वह अपनी हद पहचानता था। (1 शमू. 9:21; 10:20-22) मगर जब वह राजा बना, तो कुछ ही समय बाद उसमें घमंड आ गया। वह ऐसे काम करने लगा जिन्हें करने का अधिकार उसे नहीं था। एक बार उसे भविष्यवक्‍ता शमूएल का इंतज़ार करना था कि वह आकर होम-बलि चढ़ाए। जब शमूएल को आने में देर होने लगी, तो शाऊल उतावला होने लगा। उसे यहोवा पर भरोसा रखना था कि वह बलि चढ़ाने के लिए कोई इंतज़ाम करेगा। लेकिन शाऊल ने भरोसा नहीं रखा। उसने खुद जाकर बलि चढ़ा दी जबकि उसे ऐसा करने का अधिकार नहीं था। अंजाम क्या हुआ? यहोवा ने शाऊल को ठुकरा दिया और बाद में उसे राजा के पद से हटा दिया। (1 शमू. 13:8-14) हमें शाऊल से सबक लेना चाहिए और कभी-भी अपनी मर्यादा नहीं लाँघनी चाहिए।

12. दानियेल कैसे अपनी मर्यादा में रहा?

12 अब भविष्यवक्‍ता दानियेल  के उदाहरण पर गौर कीजिए। वह शाऊल से बिलकुल अलग था। वह सारी ज़िंदगी नम्र रहा और उसने कभी अपनी हद पार नहीं की। उसने हमेशा यहोवा से सलाह माँगी। एक बार उसने नबूकदनेस्सर के सपने का मतलब बताया था। तब उसने अपनी बड़ाई नहीं की बल्कि यह कहा कि वह यहोवा की मदद से ही सपने का मतलब बता पाया है। (दानि. 2:26-28) हम दानियेल से क्या सीखते हैं? अगर हम बढ़िया भाषण दे पाते हैं या हमें प्रचार में अच्छे नतीजे मिलते हैं, तो हमें खुद की बड़ाई नहीं करनी चाहिए। हमें यह मानना चाहिए कि हम यह सब यहोवा की मदद से ही कर पा रहे हैं। (फिलि. 4:13) इस तरह अपनी मर्यादा में रहने से हम यीशु के आदर्श पर भी चल रहे होंगे। आइए देखें कैसे।

13. यूहन्‍ना 5:19, 30 से कैसे पता चलता है कि यीशु अपनी मर्यादा में रहा?

13 परमेश्‍वर का बेटा यीशु  परिपूर्ण था, फिर भी वह हमेशा यहोवा पर निर्भर रहा। (यूहन्‍ना 5:19, 30 पढ़िए।) उसने कभी-भी अपने पिता का अधिकार छीनने की कोशिश नहीं की। फिलिप्पियों 2:6 बताता है कि यीशु ने “उस पद को हथियाने की यानी परमेश्‍वर की बराबरी करने की कभी नहीं सोची।” एक बेटे के नाते वह अपनी हद जानता था और हमेशा अपने पिता के अधीन रहता था।

यीशु अपनी हद में रहा। उसने कभी वह काम नहीं किया जिसे करने का उसे अधिकार नहीं था (पैराग्राफ 14 देखें)

14. जब यीशु से एक ऐसा काम करने के लिए कहा गया जो उसके अधिकार में नहीं था, तो उसने क्या किया?

14 एक बार याकूब और यूहन्‍ना अपनी माँ के साथ यीशु के पास आए और उससे गुज़ारिश की कि वह उन्हें अपने राज में दाएँ और बाएँ तरफ बैठने का सम्मान दे। ध्यान दीजिए यीशु ने क्या किया। उसने तुरंत कहा कि यह फैसला करने का अधिकार सिर्फ उसके पिता के पास है कि कौन दाएँ तरफ बैठेगा और कौन बाएँ तरफ। (मत्ती 20:20-23) यीशु ने अपनी हद पार नहीं की, बल्कि वह अपनी मर्यादा में रहा। उसने कभी ऐसा काम नहीं किया जिसे करने का अधिकार यहोवा ने उसे नहीं दिया था। (यूह. 12:49) हम कैसे यीशु की तरह अपनी हद में रह सकते हैं?

यीशु की तरह हम कैसे अपनी मर्यादा में रह सकते हैं? (पैराग्राफ 15-16 देखें) *

15-16. हम 1 कुरिंथियों 4:6 में दी सलाह कैसे मान सकते हैं?

15 हम 1 कुरिंथियों 4:6 में दी यह सलाह मान सकते हैं, “जो लिखा है उससे आगे न जाना।” जब कोई किसी बात पर हमसे सलाह माँगता है, तो हमें अपनी राय नहीं देनी चाहिए, न ही बिना सोचे-समझे सलाह देनी चाहिए। इसके बजाय, हमें उसे बताना चाहिए कि बाइबल में और हमारे प्रकाशनों में क्या सलाह दी गयी है। इस तरह हमें अपनी हद में रहना चाहिए, क्योंकि हम सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के ‘नेक आदेशों’ से बढ़कर सलाह नहीं दे सकते।—प्रका. 15:3, 4.

16 अब तक हमने देखा कि जब हम अपनी मर्यादा में रहते हैं, तो इससे यहोवा की महिमा होती है। अब आइए देखें कि नम्र होने और अपनी मर्यादा में रहने से हम कैसे खुश रहेंगे और दूसरों के साथ हमारा रिश्‍ता अच्छा होगा।

नम्र होना और मर्यादा में रहना क्यों अच्छा है?

17. नम्र होने और अपनी हद पहचानने से हम क्यों खुश रहेंगे?

17 नम्र होने और अपनी हद पहचानने से हम खुश रहेंगे। वह कैसे? हम इस बात को समझेंगे कि कुछ काम हम खुद नहीं कर सकते, इसलिए जब कोई हमारी मदद करता है तो हम उसके एहसानमंद होंगे और खुश होंगे। उस वाकए को याद कीजिए जब यीशु ने दस कोढ़ियों को ठीक किया था। उनमें से सिर्फ एक आदमी ने यीशु के पास आकर उसका धन्यवाद किया। क्यों? क्योंकि वह नम्र था और जानता था कि उसे जो भयानक बीमारी थी, उसे वह खुद ठीक नहीं कर सकता था। यीशु ने जो किया, उसके लिए वह एहसानमंद था और उसने परमेश्‍वर की महिमा की।—लूका 17:11-19.

18. नम्र होने और अपनी मर्यादा में रहने से दूसरों के साथ हमारा रिश्‍ता कैसा होगा? (रोमियों 12:10)

18 जो लोग नम्र होते हैं और अपनी हद में रहते हैं, वे दूसरों के साथ अच्छा रिश्‍ता बनाए रख पाते हैं। उनके कई दोस्त होते हैं। वे इस बात को मानते हैं कि दूसरों में अच्छे गुण होते हैं और वे उन पर भरोसा करते हैं। जब वे देखते हैं कि कोई यहोवा की सेवा में अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभा रहा है, तो वे खुश होते हैं। वे उसकी तारीफ करने से झिझकते नहीं और उसका आदर करते हैं।—रोमियों 12:10 पढ़िए।

19. हमें क्यों घमंडी नहीं होना चाहिए?

19 लेकिन घमंडी लोग इतनी जल्दी दूसरों की तारीफ नहीं करते, क्योंकि वे चाहते हैं कि सब उनकी तारीफ करें। वे यह सोचते हैं कि दूसरे उनसे अच्छा नहीं कर सकते और अगर कोई अच्छा करता है तो वे उससे आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। वे दूसरों को कोई काम नहीं सिखाते और न ही उन्हें अधिकार सौंपते हैं। वे सोचते हैं कि कोई काम अच्छे से होना है, तो खुद ही करना बेहतर रहेगा। एक घमंडी इंसान हमेशा सबसे आगे रहने की कोशिश करता है और दूसरों से जलता है। (गला. 5:26) ऐसे लोगों के दोस्त बहुत कम होते हैं। अगर हमें लगता है कि हममें थोड़ा-बहुत घमंड है, तो इस पर काबू पाने के लिए हमें मन लगाकर यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए। उसकी मदद से हम अपनी सोच बदल सकते हैं ताकि हममें घमंड इतना न बढ़ जाए कि इसे निकालना मुश्‍किल हो जाए।—रोमि. 12:2.

20. हमें क्यों नम्र होना चाहिए और अपनी मर्यादा में रहना चाहिए?

20 हम यहोवा के कितने एहसानमंद हैं कि वह एक नम्र परमेश्‍वर है। वह जिस तरह अपने सेवकों के साथ पेश आता है, हमें भी वैसे ही दूसरों के साथ पेश आना चाहिए। हमें बाइबल में बताए उन लोगों की तरह बनना चाहिए जो अपनी मर्यादा में रहे थे। आइए हम हमेशा यहोवा की महिमा और उसका आदर करें, क्योंकि वह इसका हकदार है। (प्रका. 4:11) तब हमें सदा तक यहोवा के साथ-साथ चलने का मौका मिलेगा जो नम्र लोगों से और अपनी मर्यादा में रहनेवालों से प्यार करता है।

गीत 123 परमेश्‍वर के संगठन का कानून दिल से मानें

^ पैरा. 5 जो नम्र होता है, वह दूसरों पर दया करता है। यहोवा भी नम्र है, इसीलिए वह दूसरों पर दया करता है। इस लेख में हम नम्रता और मर्यादा के गुण के बारे में सीखेंगे। सबसे पहले हम यहोवा के उदाहरण से सीखेंगे कि हम कैसे नम्र हो सकते हैं। फिर हम राजा शाऊल, भविष्यवक्‍ता दानियेल और यीशु से सीखेंगे कि हम कैसे अपनी मर्यादा में रह सकते हैं।

^ पैरा. 58 तसवीर के बारे में: एक प्राचीन समय निकालकर एक जवान भाई को सिखा रहा है कि मंडली के प्रचार के इलाके को कैसे व्यवस्थित किया जाता है। बाद में जब जवान भाई अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा होता है, तो प्राचीन बार-बार जाकर नहीं देखता कि वह काम ठीक से कर रहा है या नहीं।

^ पैरा. 62 तसवीर के बारे में: एक बहन एक प्राचीन से पूछ रही है कि क्या वह एक चर्च में होनेवाली शादी में जा सकती है। प्राचीन उसे अपनी राय नहीं बता रहा है, बल्कि बाइबल से कुछ सिद्धांत बता रहा है।