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अध्ययन लेख 34

मंडली में आप बहुत अहमियत रखते हैं!

मंडली में आप बहुत अहमियत रखते हैं!

“जैसे शरीर एक होता है मगर उसके कई अंग होते हैं और शरीर के अंग चाहे बहुत-से हों, फिर भी सब मिलकर एक ही शरीर हैं, वैसे ही मसीह भी है।”—1 कुरिं. 12:12.

गीत 101 एकता में रहकर काम करें

लेख की एक झलक *

1. हमें क्या आशीष मिली है?

यहोवा की मंडली का हिस्सा होना हमारे लिए बहुत बड़ी आशीष है। यहाँ हम एक-दूसरे के साथ मिलकर और खुशी से यहोवा की उपासना करते हैं। क्या मंडली में आप भी अहमियत रखते हैं?

2. प्रेषित पौलुस ने अपनी चिट्ठियों में कौन-सी मिसाल दी?

2 इस विषय पर प्रेषित पौलुस ने अपनी कई चिट्ठियों में बात की। उसने मंडली की तुलना शरीर से की और कहा कि मंडली के भाई-बहन शरीर के अलग-अलग अंग जैसे हैं।​—रोमि. 12:4-8; 1 कुरिं. 12:12-27; इफि. 4:16.

3. इस लेख से हम कौन-सी तीन बातें सीखेंगे?

3 यहोवा की मंडली में हम सबकी अहमियत है। हम सब मंडली को मज़बूत कर सकते हैं। चाहे हम किसी भी भाषा या जाति के हों, कम पढ़े-लिखे हों या ज़्यादा, चाहे हम किसी भी तबके से हों, हम अमीर हों या गरीब, हममें से हर कोई यहोवा की नज़र में अनमोल है। इस लेख में हम पौलुस की दी मिसाल से तीन अहम बातें सीखेंगे। पहली बात, यहोवा की मंडली में हममें से हर कोई अहमियत रखता है। दूसरी बात, अगर हमें लगता है कि मंडली में हमारी कोई अहमियत नहीं है, तो हम क्या कर सकते हैं? तीसरी बात, यहोवा ने हममें से हरेक को जो काम दिया है, हमें उसमें क्यों लगे रहना चाहिए?

हर कोई अहमियत रखता है

4. रोमियों 12:4, 5 से हमें क्या पता चलता है?

4 पौलुस की बतायी मिसाल से हम पहली बात यह सीखते हैं कि यहोवा के परिवार में हर किसी की अहमियत है। पौलुस ने कहा, “जैसे हमारे एक ही शरीर में कई अंग हैं और सभी अंगों का काम एक जैसा नहीं है, वैसे ही हम भी बहुत होते हुए भी मसीह के साथ एकता में एक शरीर हैं और एक-दूसरे से जुड़े अंग हैं।” (रोमि. 12:4, 5) पौलुस के कहने का क्या मतलब था? यही कि मंडली में हम सबकी अलग-अलग भूमिका है, फिर भी यहोवा हम सबको अनमोल समझता है।

मंडली में सबकी अलग-अलग भूमिका है, फिर भी हर कोई अनमोल है (पैराग्राफ 5-12 देखें) *

5. यहोवा ने मंडलियों को कौन-से “तोहफे” दिए हैं?

5 शायद आपको लगे कि मंडली में सिर्फ उन लोगों की अहमियत है जो अगुवाई करते हैं। (1 थिस्स. 5:12; इब्रा. 13:17) यह सच है कि ये भाई “आदमियों के रूप में तोहफे” हैं जो यहोवा ने मंडलियों को दिए हैं। (इफि. 4:8) ये हैं शासी निकाय के भाई, उनके मददगार, शाखा-समिति के भाई, सर्किट निगरान, संगठन के स्कूलों में सिखानेवाले भाई, मंडली के प्राचीन और सहायक सेवक। इन सभी भाइयों को पवित्र शक्‍ति के ज़रिए नियुक्‍त किया जाता है। वे यहोवा की अनमोल भेड़ों की देखभाल करते हैं और मंडलियों का हौसला बढ़ाते हैं।​—1 पत. 5:2, 3.

6. पहला थिस्सलुनीकियों 2:6-8 के मुताबिक अगुवाई करनेवाले भाई क्यों मेहनत करते हैं?

6 इन भाइयों को पवित्र शक्‍ति से इसलिए नियुक्‍त किया जाता है ताकि वे अलग-अलग ज़िम्मेदारियाँ निभाएँ। इन भाइयों की कड़ी मेहनत से पूरी मंडली को फायदा होता है, जैसे शरीर के अलग-अलग अंगों के ठीक तरह काम करने से पूरे शरीर को फायदा होता है। ये भाई दूसरों से तारीफ पाने की कोशिश नहीं करते बल्कि भाई-बहनों की हिम्मत बँधाने और उन्हें सच्चाई में मज़बूत करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। (1 थिस्सलुनीकियों 2:6-8 पढ़िए।) हम यहोवा के कितने शुक्रगुज़ार हैं कि उसने हमें ऐसे काबिल भाई दिए हैं जो खुद से ज़्यादा दूसरों की फिक्र करते हैं।

7. पूरे समय के सेवकों को क्या आशीषें मिलती हैं?

7 कुछ भाई-बहन पूरे समय की सेवा करते हैं, जैसे मिशनरी, खास पायनियर या पायनियर के नाते। इस तरह के भाई-बहन पूरी दुनिया में हैं। ये अपना ज़्यादातर समय प्रचार करने और चेला बनाने में लगाते हैं, इसलिए सच्चाई अपनाने में उन्होंने कई लोगों की मदद की है। हालाँकि दौलत के नाम पर उनके पास बहुत कम है, लेकिन यहोवा की आशीष से उनकी ज़िंदगी खुशियों से भरी है। (मर. 10:29, 30) हम खुश हैं कि यहोवा ने हमें ऐसे भाई-बहन दिए हैं और हम उनसे बहुत प्यार करते हैं।

8. यहोवा हर प्रचारक को क्यों अनमोल समझता है?

8 यह सच है कि अगुवाई करनेवाले भाई और पूरे समय के सेवक बहुत मेहनत करते हैं। लेकिन क्या मंडली में सिर्फ इन्हीं लोगों की अहमियत है? जी नहीं। खुशखबरी का हर प्रचारक यहोवा और मंडली के लिए अनमोल है। (रोमि. 10:15; 1 कुरिं. 3:6-9) यह हम इसलिए कह सकते हैं क्योंकि मंडली का मुख्य काम लोगों को मसीह का चेला बनाना है। (मत्ती 28:19, 20; 1 तीमु. 2:4) मंडली के सभी लोग, यहाँ तक कि बपतिस्मा-रहित प्रचारक भी इस काम को सबसे ज़रूरी समझते हैं।​—मत्ती 24:14.

9. हम क्यों मसीही बहनों को अनमोल समझते हैं?

9 यहोवा की मंडली में मसीही बहनें भी बहुत अहमियत रखती हैं। कुछ बहनें शादीशुदा हैं तो कुछ अविवाहित हैं, कुछ माँएँ हैं तो कुछ विधवाएँ हैं। ये सभी दिल से यहोवा की सेवा करती हैं और यहोवा उनसे बहुत प्यार करता है। बाइबल में ऐसी बहुत-सी स्त्रियों के बारे में बताया गया है जिन्होंने बढ़िया मिसाल रखी। हम बाइबल में पढ़ते हैं कि उन्होंने कैसे हिम्मत और समझदारी से काम लिया, उनमें कितना विश्‍वास और जोश था, उन्होंने कैसे दरियादिली दिखायी और भले काम किए। (लूका 8:2, 3; प्रेषि. 16:14, 15; रोमि. 16:3, 6; फिलि. 4:3; इब्रा. 11:11, 31, 35) उनके जैसी बहनें आज भी हमारी मंडलियों में हैं और इसके लिए हम यहोवा का धन्यवाद करते हैं।

10. हम अपने बुज़ुर्ग भाई-बहनों से क्यों प्यार करते हैं?

10 हम अपने बुज़ुर्ग भाई-बहनों से भी बहुत प्यार करते हैं। इनमें से कुछ लोग बरसों से यहोवा की सेवा कर रहे हैं और कुछ ऐसे हैं जिन्होंने हाल ही में सच्चाई सीखी है। कुछ बुज़ुर्ग भाई-बहनों की सेहत ठीक नहीं रहती, इसलिए वे मंडली का काम और प्रचार काम ज़्यादा नहीं कर पाते। फिर भी, वे जितना हो सके प्रचार करते हैं और दूसरों को भी काम सिखाते हैं और उनका हौसला बढ़ाते हैं। हम उनसे बहुत कुछ सीखते हैं। हमारी नज़र में और यहोवा की नज़र में वे वाकई खूबसूरत हैं।​—नीति. 16:31.

11-12. आपको अपनी मंडली के बच्चों और नौजवानों को देखकर क्यों खुशी होती है?

11 ज़रा हमारे बच्चों और नौजवानों के बारे में भी सोचिए। शैतान की इस दुनिया में उन्हें कई मुश्‍किलों का सामना करना पड़ता है। उन पर गलत काम करने और गलत सोच अपनाने का दबाव आता है। (1 यूह. 5:19) फिर भी वे सच्चाई में डटे हुए हैं। जब हम देखते हैं कि वे सभाओं में अच्छे जवाब देते हैं, प्रचार करते हैं और हिम्मत से दूसरों को अपने विश्‍वास के बारे में बताते हैं, तो हमें बहुत खुशी होती है। बच्चो और नौजवानो, यहोवा की मंडली में आपकी बहुत अहमियत है।​—भज. 8:2.

12 मगर कुछ भाई-बहनों को लगता है कि वे मंडली में कुछ नहीं हैं। तो आइए देखें, हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि मंडली में हममें से हरेक की अहमियत है।

आप क्यों अहमियत रखते हैं?

13-14. कुछ लोग ऐसा क्यों सोचते हैं कि मंडली में उनकी कोई अहमियत नहीं है?

13 हममें से हर कोई क्यों अहमियत रखता है? यह जानने के लिए आइए हम उस दूसरी बात पर ध्यान दें जो हम पौलुस की मिसाल से सीखते हैं। पौलुस बताता है कि कई भाई-बहन अपने बारे में गलत सोच रखते हैं। उन्हें यह मानना मुश्‍किल लगता है कि वे मंडली में कोई काम आ सकते हैं। पौलुस ने कहा, “अगर पाँव कहे, ‘मैं हाथ नहीं हूँ इसलिए मैं शरीर का हिस्सा नहीं,’ तो क्या वह इस वजह से शरीर का हिस्सा नहीं है? और अगर कान कहे, ‘मैं आँख नहीं हूँ इसलिए मैं शरीर का हिस्सा नहीं,’ तो क्या वह इस वजह से शरीर का हिस्सा नहीं?” (1 कुरिं. 12:15, 16) पौलुस के कहने का क्या मतलब था?

14 अगर आप सोचते हैं कि दूसरों के मुकाबले आप इतना अच्छा नहीं कर रहे हैं या आप उनके जितने काबिल नहीं हैं, तो आप खुद को बेकार समझने लगेंगे। कुछ भाई-बहन वाकई सिखाने में बहुत काबिल हैं, हर काम की अच्छी व्यवस्था करते हैं और कुछ भाई बहुत अच्छे से मंडली की देखभाल करते हैं। शायद आपको लगे कि आप उनके जितने काबिल नहीं हैं। अगर आप ऐसा सोचते हैं, तो इसका मतलब आप नम्र हैं और अपनी मर्यादा में रहते हैं। (फिलि. 2:3) लेकिन एक बात का ध्यान रखिए, हमेशा अपनी तुलना उन भाई-बहनों से मत कीजिए जो बहुत काबिल हैं, वरना आप निराश हो जाएँगे। जैसा पौलुस ने कहा, आप यह भी सोचने लगेंगे कि मंडली में आपकी कोई अहमियत नहीं है। आप इस तरह की सोच अपने मन से कैसे निकाल सकते हैं?

15. पहला कुरिंथियों 12:4-11 के मुताबिक हमें क्या याद रखना चाहिए?

15 ज़रा इस बात पर ध्यान दीजिए। यहोवा ने पहली सदी के कुछ मसीहियों को पवित्र शक्‍ति के ज़रिए तरह-तरह के वरदान दिए थे। मगर सबको एक जैसे वरदान नहीं मिले थे। (1 कुरिंथियों 12:4-11 पढ़िए।) यहोवा ने सबको अलग-अलग काबिलीयतें दी थीं, फिर भी हर कोई उसकी नज़र में अनमोल था। आज भले ही हमें चमत्कार से ऐसे वरदान नहीं मिले हैं, मगर हममें से कुछ लोगों के पास खास काबिलीयतें हैं। फिर भी हम सब यहोवा के लिए अनमोल हैं।

16. हमें प्रेषित पौलुस की कौन-सी सलाह माननी चाहिए?

16 यह सोचने के बजाय कि हम दूसरों के मुकाबले कुछ नहीं हैं, हमें प्रेषित पौलुस की यह सलाह माननी चाहिए, “हर कोई अपने काम की जाँच करे। तब वह अपने ही काम से खुशी पाएगा, न कि दूसरों से खुद की तुलना करके।”​—गला. 6:4.

17. पौलुस की सलाह मानना हमारे लिए क्यों अच्छा है?

17 पौलुस की सलाह मानकर हमें खुद की जाँच करनी चाहिए। तब हम पाएँगे कि हमारे अंदर भी ऐसी काबिलीयतें और अच्छाइयाँ हैं जो दूसरों में नहीं हैं। उदाहरण के लिए, शायद एक प्राचीन बहुत अच्छे भाषण न देता हो लेकिन वह चेला बनाने के काम में बहुत अच्छा हो। या एक प्राचीन दूसरे प्राचीनों के मुकाबले मंडली के कामों की अच्छी तरह व्यवस्था न कर पाता हो, लेकिन वह सबके साथ बहुत अच्छा व्यवहार करता होगा। इसलिए भाई-बहन बाइबल से सलाह लेने के लिए उसके पास आते होंगे। या हो सकता है कि वह मेहमान-नवाज़ी करने के लिए जाना जाता हो। (इब्रा. 13:2, 16) जब हमें एहसास होगा कि हममें भी कुछ काबिलीयतें और अच्छाइयाँ हैं, तो हम खुद के बारे में अच्छा महसूस करेंगे कि हम भी मंडली के लिए कुछ कर सकते हैं। फिर हम दूसरे भाइयों की काबिलीयतें देखकर उनसे नहीं जलेंगे।

18. हम प्रचार काम और अच्छी तरह कैसे कर सकते हैं?

18 मंडली में हम चाहे जो भी हों, हम सबको और अच्छी तरह सेवा करने और अपनी काबिलीयतें बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। यहोवा अपने संगठन के ज़रिए हमें बहुत बढ़िया तरीके से सिखा रहा है कि हमें उसका काम कैसे करना चाहिए। उदाहरण के लिए, हफ्ते के बीच होनेवाली सभा में हमें सिखाया जाता है कि हम प्रचार काम में कुशल कैसे बन सकते हैं। आप इस सभा से जो सीखते हैं, क्या उसे लागू करते हैं?

19. आप राज प्रचारकों के लिए स्कूल में जाने का लक्ष्य कैसे पा सकते हैं?

19 राज प्रचारकों के लिए स्कूल एक और इंतज़ाम है जिसके ज़रिए यहोवा भाई-बहनों को बढ़िया प्रशिक्षण दे रहा है। इस स्कूल में वे भाई-बहन जा सकते हैं जो पूरे समय की सेवा कर रहे हैं और जिनकी उम्र 23 से 65 के बीच है। शायद आप भी इस स्कूल में जाना चाहते हों। मगर आपको लगे कि आप इसके काबिल नहीं हैं। ऐसे में यह सोचने के बजाय कि आप किन-किन कारणों से काबिल नहीं हैं, यह सोचिए कि इस स्कूल में जाने के क्या-क्या फायदे  हैं। फिर कुछ लक्ष्य रखिए ताकि आप इस स्कूल में जाने के काबिल बन सकें। जब आप कड़ी मेहनत करेंगे, तो यहोवा भी आपकी मदद करेगा। फिर आपको जो नामुमकिन लगता था, वह मुमकिन हो जाएगा।

मंडली को मज़बूत करने में अपनी काबिलीयतें लगाइए

20. हम रोमियों 12:6-8 से क्या सीखते हैं?

20 पौलुस की मिसाल से हम जो तीसरी बात सीखते हैं, वह हमें रोमियों 12:6-8 से पता चलती है। (पढ़िए।) इन आयतों में भी पौलुस यही बताता है कि मंडली में सब लोगों के पास अलग-अलग काबिलीयतें होती हैं। पर साथ ही पौलुस यह ज़ोर देकर बताता है कि हमारे पास चाहे जो भी काबिलीयत हो, हमें उसे मंडली को मज़बूत करने में लगाना चाहिए।

21-22. रौबर्ट और फेलिस से हम क्या सीखते हैं?

21 रौबर्ट  * नाम के एक प्राचीन के अनुभव पर ध्यान दीजिए। वह किसी और देश में सेवा करता था, मगर कुछ समय बाद उसे अपने ही देश के बेथेल में सेवा करने के लिए भेजा गया। उसे लगा कि उसने कोई गलती की होगी इसीलिए उसे बेथेल भेज दिया गया। भाइयों ने उसे यकीन दिलाया कि उसने कुछ गलत नहीं किया। फिर भी उसे यकीन नहीं हुआ। वह कहता है, “कई महीनों तक मैं उदास रहा, क्योंकि मुझे लगा कि मैंने विदेश में ठीक से सेवा नहीं की होगी, इसीलिए मुझे यहाँ भेज दिया गया है। कई बार मैंने बेथेल छोड़ देने की भी सोची।” मगर फिर एक प्राचीन ने सँभलने में उसकी मदद की और वह दोबारा खुशी से सेवा करने लगा। उस प्राचीन ने रौबर्ट को बताया, “बीते दिनों में हमने जहाँ कहीं सेवा की, वहाँ यहोवा ने हमें बहुत कुछ सिखाया है ताकि आज  हम जहाँ हैं वहाँ पहले से अच्छी तरह सेवा कर सकें।” रौबर्ट इस बात को समझ पाया कि गुज़रे दिनों के बारे में सोचते रहने के बजाय, आज  वह जहाँ सेवा कर रहा है उस पर पूरा ध्यान देना चाहिए।

22 भाई फेलिस इपिसकोपो ने भी कुछ ऐसी ही मुश्‍किल का सामना किया। भाई और उसकी पत्नी 1956 में गिलियड स्कूल से ग्रैजुएट हुए थे और उन्होंने बोलिविया में सर्किट काम किया था। सन्‌ 1964 में उनका एक बच्चा हुआ, जिस वजह से उन्हें सर्किट काम छोड़ना पड़ा। फेलिस कहता है, “हमें सर्किट काम करना बहुत अच्छा लगता था इसलिए जब हमें वह छोड़ना पड़ा तो हम बहुत दुखी हो गए। जो हुआ उस पर अफसोस करते-करते मैंने एक साल बरबाद कर दिया। मगर फिर यहोवा की मदद से मैंने अपनी सोच बदली और एक पिता की ज़िम्मेदारी निभाने पर ध्यान देने लगा।” क्या आप भी रौबर्ट और फेलिस की तरह इस बात को लेकर निराश हैं कि पहले आपके पास सेवा के जो मौके थे, वे अब नहीं हैं? अगर हाँ, तो अपना ध्यान इस बात पर लगाइए कि आज  आप यहोवा की सेवा करने और भाई-बहनों की मदद करने के लिए क्या कुछ कर सकते हैं। यहोवा की सेवा करते रहिए, दूसरों की मदद करने में अपनी काबिलीयतें लगाइए। तब मंडली को मज़बूत करने में आपको खुशी मिलेगी।

23. (क) हमें किस बारे में सोचना चाहिए? (ख) अगले लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

23 यहोवा हममें से हरेक को अनमोल समझता है। वह हमें एहसास दिलाना चाहता है कि हम उसके परिवार का हिस्सा हैं। हमें थोड़ा वक्‍त निकालकर सोचना चाहिए कि हम भाई-बहनों को मज़बूत करने के लिए क्या कर सकते हैं। जब हम ऐसा करेंगे, तो हमें यह नहीं लगेगा कि मंडली में हमारी कोई अहमियत नहीं है। इस लेख में हमने देखा कि हमें अपने बारे में कैसा महसूस करना चाहिए। लेकिन अब सवाल यह है कि हमें मंडली के भाई-बहनों के बारे में कैसी सोच रखनी चाहिए और कैसे उनका आदर करना चाहिए। इस बारे में हम अगले लेख में चर्चा करेंगे।

गीत 24 यहोवा के पर्वत पर आओ

^ पैरा. 5 हम सब चाहते हैं कि यहोवा हमें अनमोल समझे, लेकिन शायद कभी-कभी हमें लगे कि हम यहोवा के लिए किसी काम के नहीं हैं। इस लेख से हम जानेंगे कि मंडली में हर कोई अहमियत रखता है।

^ पैरा. 21 कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

^ पैरा. 62 तसवीर के बारे में: तीनों तसवीरों में दिखाया गया है कि सभा से पहले, सभा में और सभा के बाद क्या होता है। 1. सभा से पहले एक प्राचीन एक नए व्यक्‍ति का स्वागत कर रहा है, एक जवान भाई स्टेज पर माइक लगाने जा रहा है और एक बहन एक बुज़ुर्ग बहन से बात कर रही है। 2. हर उम्र के भाई-बहनों ने प्रहरीदुर्ग  अध्ययन में जवाब देने के लिए हाथ खड़े किए हैं। 3. एक भाई और उसकी पत्नी राज-घर साफ करने में हाथ बँटा रहे हैं। एक बहन दान डालने में अपनी बच्ची की मदद कर रही है। एक जवान भाई किताबें-पत्रिकाएँ रखने की जगह ठीक कर रहा है। एक भाई एक बुज़ुर्ग बहन की हिम्मत बँधा रहा है।