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अध्ययन लेख 32

नौजवानो, बपतिस्मे के बाद भी आगे बढ़ते रहिए!

नौजवानो, बपतिस्मे के बाद भी आगे बढ़ते रहिए!

‘आओ हम सब बातों में प्यार से मसीह में बढ़ते जाएँ।’​—इफि. 4:15.

गीत 56 सच्चाई को अपना बनाएँ

एक झलक a

1. बहुत-से नौजवानों ने क्या-क्या किया है?

 हर साल हज़ारों नौजवान बपतिस्मा लेते हैं। क्या आप भी बपतिस्मा ले चुके हैं? अगर हाँ, तो आपके इस फैसले से आपकी मंडली के भाई-बहनों को और यहोवा को बहुत खुशी हुई होगी। (नीति. 27:11) ज़रा सोचिए, अब तक आपने क्या-क्या किया है। शायद आपने कई सालों तक अच्छे-से बाइबल का अध्ययन किया और फिर आपको यकीन हो गया कि बाइबल परमेश्‍वर ने ही लिखवायी है। इससे भी बढ़कर आप यहोवा को जानने लगे, उससे प्यार करने लगे। और उसके लिए आपका प्यार इतना बढ़ गया कि आपने उसे अपनी ज़िंदगी समर्पित कर दी और बपतिस्मा लेकर उसके सेवक बन गए। हमें आप पर बहुत नाज़ है!

2. इस लेख में हम क्या जानेंगे?

 2 बपतिस्मा लेने से पहले आपके सामने कई मुश्‍किलें आयी होंगी जिस वजह से यहोवा का वफादार रहना आपको मुश्‍किल लगा होगा। जैसे-जैसे आप बड़े होंगे ऐसी और भी मुश्‍किलें आएँगी। शैतान चाहता है कि धीरे-धीरे आप यहोवा से दूर चले जाएँ, उससे प्यार करना छोड़ दें और उसकी सेवा भी ना करें। (इफि. 4:14) लेकिन किसी भी हाल में ऐसा मत होने दीजिए। जब आपने यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित की थी, तो आपने उससे वादा किया था कि आप हमेशा उसके वफादार रहेंगे। आप अपना यह वादा कैसे निभा सकते हैं? बपतिस्मा लेने के बाद भी आपको “पूरा ज़ोर लगाकर” आगे बढ़ते जाना होगा, प्रौढ़ बनना होगा। (इब्रा. 6:1) इस लेख में बताया जाएगा कि आप यह कैसे कर सकते हैं।

प्रौढ़ मसीही कैसे बनें?

3. बपतिस्मा लेने के बाद सभी मसीहियों को क्या करते रहना है?

3 बपतिस्मा लेने के बाद हम सभी को प्रेषित पौलुस की वह सलाह माननी चाहिए जो उसने इफिसुस के मसीहियों को दी थी। उसने उनसे कहा था कि वे “पूरी तरह से विकसित” हो जाएँ या बड़े हो जाएँ। (इफि. 4:13) वह चाहता था कि वे आगे बढ़ें और प्रौढ़ मसीही बन जाएँ। इसी बात को समझाने के लिए पौलुस ने एक मसीही की तुलना बच्चे से की। जब एक बच्चा पैदा होता है, तो उसके माता-पिता को कितनी खुशी होती है। लेकिन वह ज़िंदगी-भर बच्चा नहीं रह सकता। एक-न-एक दिन उसे अपना ‘बचपना छोड़ना’ होगा और बड़ा बनना होगा। (1 कुरिं. 13:11) उसी तरह, मसीहियों को बपतिस्मा लेने के बाद वहीं रुक नहीं जाना है बल्कि बढ़ते जाना है। हम यह कैसे कर सकते हैं? आइए कुछ सुझावों पर ध्यान दें।

4. एक प्रौढ़ मसीही बनने के लिए आपको क्या करना होगा? समझाइए। (फिलिप्पियों 1:9)

4 यहोवा से और भी प्यार कीजिए।  ऐसा नहीं कि आप यहोवा से प्यार नहीं करते, लेकिन आप उससे और ज़्यादा प्यार कर सकते हैं। जब आप ऐसा करेंगे, तो प्रौढ़ बन पाएँगे। पौलुस चाहता था कि फिलिप्पी के मसीही भी यहोवा के लिए अपना ‘प्यार बढ़ाते जाएँ।’ उसने उन्हें ऐसा करने का एक तरीका बताया जो हम फिलिप्पियों 1:9 में पढ़ सकते हैं। (पढ़िए।) उसने कहा कि “सही ज्ञान और पैनी समझ” होने से वे ऐसा कर पाएँगे। हम इससे क्या सीख सकते हैं? हम जितना ज़्यादा यहोवा के बारे में जानेंगे, उससे उतना ही ज़्यादा प्यार करने लगेंगे। हम जान पाएँगे कि उसमें कौन-सी खूबियाँ हैं और उसका काम करने का तरीका कितना अच्छा है। फिर हमारा मन करेगा कि हम हमेशा ऐसे काम करें जिससे वह खुश हो और कभी उसका दिल ना दुखाएँ। हम हमेशा यह सोचेंगे कि यहोवा क्या चाहता है और वैसा ही करने की कोशिश करेंगे।

5-6. अगर हम यहोवा से और भी प्यार करना चाहते हैं, तो हमें क्या करना होगा? समझाइए।

5 जैसा हमने देखा अगर हम यहोवा से और भी प्यार करना चाहते हैं, तो हमें उसे अच्छी तरह जानना होगा। ऐसा करने का एक तरीका है, उसके बेटे यीशु को जानना। (इब्रा. 1:3) यीशु को अच्छी तरह जानने के लिए हम खुशखबरी की चार किताबें, मत्ती, मरकुस, लूका और यूहन्‍ना पढ़ सकते हैं। अगर आप रोज़ बाइबल नहीं पढ़ पाते, तो क्यों ना आप इन किताबों से शुरूआत करें और हर दिन बाइबल पढ़ने की आदत डालें। यीशु के बारे में पढ़ते वक्‍त ध्यान दीजिए कि उसमें कौन-कौन-सी खूबियाँ थीं और वह लोगों के साथ किस तरह पेश आता था। लोगों को उसके पास जाना और उससे बातें करना बहुत अच्छा लगता था। यहाँ तक कि बच्चे भी उसके पास खिंचे चले आते थे और वह उन्हें अपनी बाहों में ले लेता था। (मर. 10:13-16) उसके चेले भी उसके सामने डरे-डरे से नहीं रहते थे, बल्कि खुलकर बात करते थे। (मत्ती 16:22) यीशु ऐसा इसलिए था क्योंकि उसका पिता भी ऐसा ही है। हम यहोवा से बेझिझक बात कर सकते हैं, उसे अपने दिल का हाल सुना सकते हैं। हम यकीन रख सकते हैं कि वह हमारे बारे में कभी बुरा नहीं सोचेगा। वह हमसे बहुत प्यार करता है, उसे सच में हमारी परवाह है।​—1 पत. 5:7.

6 जब यीशु देखता था कि लोगों की हालत कितनी बुरी है, तो उसे उन पर बहुत दया आती थी। इस बारे में मत्ती की किताब में लिखा है, “जब उसने भीड़ को देखा तो वह तड़प उठा, क्योंकि वे ऐसी भेड़ों की तरह थे जिनकी खाल खींच ली गयी हो और जिन्हें बिन चरवाहे के यहाँ-वहाँ भटकने के लिए छोड़ दिया गया हो।” (मत्ती 9:36) जब यहोवा ऐसे लोगों को देखता है जो उसके बारे में नहीं जानते, तो उसे भी उन पर तरस आता है। यीशु ने बताया, “मेरा पिता जो स्वर्ग में है, नहीं चाहता कि इन छोटों में से एक भी नाश हो।” (मत्ती 18:14) क्या यह बात आपके दिल को नहीं छू जाती? सच में, जितना ज़्यादा हम यीशु को जानेंगे उतना ज़्यादा हम यहोवा से प्यार करने लगेंगे।

7. अनुभवी भाई-बहनों के साथ वक्‍त बिताकर आप क्या कर पाएँगे?

7 अगर आप यहोवा से और भी प्यार करना चाहते हैं और एक प्रौढ़ मसीही बनना चाहते हैं, तो अपनी मंडली के अनुभवी भाई-बहनों के साथ वक्‍त बिताइए। ध्यान दीजिए कि वे कितने खुश रहते हैं। उन्हें इस बात का कोई अफसोस नहीं है कि उन्होंने यहोवा की सेवा करने का फैसला किया। यहोवा की सेवा करते वक्‍त उन्हें बहुत-से अच्छे अनुभव हुए होंगे। आप उनसे उस बारे में पूछ सकते हैं। जब आपको कोई बड़ा फैसला करना हो, तो आप उनसे सलाह ले सकते हैं। आखिर ‘बहुतों की सलाह से ही तो कामयाबी मिलती है।’​—नीति. 11:14.

अगर आपको स्कूल में विकासवाद के बारे में सिखाया जाता है, तो आप क्या कर सकते हैं? (पैराग्राफ 8-9)

8. अगर आपको बाइबल की सच्चाइयों पर शक होने लगे, तो आप क्या कर सकते हैं?

8 बाइबल की सच्चाइयों पर यकीन बढ़ाइए।  जैसा कि हमने  पैराग्राफ 2 में देखा, शैतान कोशिश करेगा कि आपका विश्‍वास कमज़ोर पड़ जाए और आप यहोवा से दूर चले जाएँ। वह चाहता है कि आप बाइबल की सच्चाइयों पर शक करने लगें। जैसे एक सच्चाई यह है कि हमें परमेश्‍वर ने बनाया है। लेकिन हो सकता है, कुछ लोग आपको यह यकीन दिलाना चाहें कि किसी ने हमें बनाया नहीं है, हमारा विकास हुआ है। जब आप छोटे थे, तो शायद आपने इस बारे में इतना सोचा ना हो। पर अब आपको स्कूल में इस बारे में सिखाया जा रहा है और आपके टीचर जिस तरह से आपको इस बारे में सिखाते हैं, उससे आपको लगने लगा है कि क्या पता यह शिक्षा सही हो। लेकिन क्या उन्होंने कभी उन सबूतों पर ध्यान दिया है जिनसे पता चलता है कि एक ईश्‍वर है जिसने सबकुछ बनाया है? ध्यान दीजिए कि नीतिवचन 18:17 में क्या लिखा है, “जो मुकदमे में पहले बोलता है, उसकी बातें सही लगती हैं, मगर जब दूसरा पक्ष सवाल-जवाब करता है, तब हकीकत सामने आती है।” स्कूल में आपको बहुत कुछ सिखाया जाएगा, पर हर बात को सच मत मान बैठिए। बाइबल और हमारे प्रकाशनों में खोजबीन कीजिए। उन भाई-बहनों से बात कीजिए जो पहले विकासवाद की शिक्षा को मानते थे। b उनसे पूछिए कि उन्हें कैसे यकीन हुआ कि कोई बनानेवाला है जो हमसे बहुत प्यार करता है। तब आप जान पाएँगे कि सच क्या है।

9. आप मेलिसा से क्या सीख सकते हैं?

9 मेलिसा c नाम की एक बहन के मन में सवाल था कि क्या किसी ने हमें बनाया है या हम अपने आप आ गए। पर जब उसने इस बारे में खोजबीन की, तो उसका शक दूर हो गया। वह कहती है, “स्कूल में टीचर जिस तरह विकासवाद के बारे में सिखाते हैं, उससे लगता है कि वही सच है। शुरू-शुरू में तो मैं इस बारे में कोई खोजबीन नहीं करना चाहती थी, क्योंकि मुझे डर था कि मुझे इस बात के सबूत नहीं मिलेंगे कि हमें किसी ने बनाया है। पर यहोवा यह नहीं चाहता कि हम यूँ ही किसी बात पर यकीन कर लें। यकीन करने की हमारे पास ठोस वजह होनी चाहिए।” मेलिसा ने जीवन की शुरूआत, पाँच सवाल​—जवाब पाना ज़रूरी  ब्रोशर और कुछ दूसरे प्रकाशन पढ़े। d वह कहती है, “इन्हें पढ़ने से मेरा शक पूरी तरह दूर हो गया। काश! मैंने ये किताबें पहले पढ़ ली होतीं।”

10-11. आप गलत काम करने से खुद को कैसे रोक सकते हैं? (1 थिस्सलुनीकियों 4:3, 4)

10 गलत काम करने से खुद को रोकिए।  बड़े होते-होते नौजवानों में यह इच्छा बढ़ने लगती है कि वे किसी दूसरे व्यक्‍ति के साथ संबंध रखें। दुनिया के लोग कहते हैं कि शादी से पहले यौन-संबंध रखने में कोई बुराई नहीं है और शायद वे आपको भी ऐसा करने के लिए कहें। शैतान भी चाहता है कि आप इन इच्छाओं को खुद पर हावी होने दें और कुछ गलत कर बैठें। लेकिन आप कुछ गलत करने से खुद को कैसे रोक सकते हैं? (1 थिस्सलुनीकियों 4:3, 4 पढ़िए।) जब आप अकेले में यहोवा से प्रार्थना करते हैं, तो उसे साफ-साफ बताइए कि आपके मन में क्या चल रहा है और उससे कहिए कि वह आपको अपनी इच्छाओं पर काबू पाने में मदद करे। (मत्ती 6:13) यह सोचकर डरिए मत कि यहोवा आपके बारे में क्या सोचेगा या आपको सज़ा देगा। वह आपका दोस्त है, दुश्‍मन नहीं। (भज. 103:13, 14) बाइबल पढ़ने से भी आपको बहुत मदद मिल सकती है। मेलिसा को भी बुरी इच्छाओं पर काबू पाना मुश्‍किल लग रहा था। वह बताती है, “हर दिन बाइबल पढ़ने से मुझे बहुत मदद मिली है। इसे पढ़कर मैं याद रख पाती हूँ कि मैंने अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित की है और मुझे उसे खुश करना है।”​—भज. 119:9.

11 ऐसा मत सोचिए कि आपको खुद ही अपनी इच्छाओं से लड़ना है। आप इस बारे में अपने मम्मी-पापा से बात कर सकते हैं। हो सकता है, आपको ऐसी बातों के बारे में उनसे बात करना मुश्‍किल लगे, लेकिन उनसे बात करना ज़रूरी है। मेलिसा कहती है, “मैंने यहोवा से हिम्मत के लिए प्रार्थना की और फिर पापा को बताया कि मेरे मन में क्या चल रहा है। उनसे बात करके मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं जानती थी कि यहोवा भी मुझसे ज़रूर खुश होगा।”

12. आप सही फैसला कैसे ले सकते हैं?

12 बाइबल के सिद्धांतों को ध्यान में रखकर फैसले कीजिए।  जब आप छोटे थे, तो शायद आपके मम्मी-पापा आपको बताते थे कि आपको क्या करना चाहिए। लेकिन जैसे-जैसे आप बड़े होंगे, आपको खुद कई फैसले लेने पड़ेंगे। मगर आपको ज़िंदगी का इतना तजुरबा नहीं है। तो आप कैसे सही फैसले ले सकते हैं जिससे यहोवा के साथ आपका रिश्‍ता ना बिगड़े? (नीति. 22:3) कारी नाम की एक बहन बताती है कि अच्छे फैसले लेने के लिए ज़रूरी नहीं कि आपके पास हर बात के लिए कायदे-कानून हों। वह कहती है, “मैं समझ गयी कि मुझे हर चीज़ के लिए नियम ढूँढ़ने की ज़रूरत नहीं, बल्कि मुझे यह सोचना चाहिए कि बाइबल में इस बारे में क्या सिद्धांत दिए गए हैं।” इसलिए आप जब भी बाइबल पढ़ते हैं, तो खुद से ये सवाल कीजिए: ‘इन आयतों से मैंने यहोवा के बारे में क्या जाना, वह किस तरह सोचता है? क्या इनमें कोई ऐसा सिद्धांत दिया गया है जिसे ध्यान में रखने से मैं सही फैसले ले पाऊँगा? और इस सिद्धांत को मानने से मुझे क्या फायदा होगा?’ (भज. 19:7; यशा. 48:17, 18) अगर आप बाइबल पढ़ें और उसमें दिए सिद्धांतों के बारे में थोड़ा रुककर सोचें, तो आप ऐसे फैसले ले पाएँगे जिनसे यहोवा खुश होगा। हर बार कोई फैसला लेने से पहले आपको उस बारे में नियम ढूँढ़ने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। आपको पता होगा कि यहोवा कैसे सोचता है, इसलिए आप सही फैसले ले पाएँगे।

इस जवान बहन ने कैसे दोस्त बनाए? (पैराग्राफ 13)

13. अच्छे दोस्तों का हम पर क्या असर हो सकता है? (नीतिवचन 13:20)

13 ऐसे दोस्त बनाइए जो यहोवा से प्यार करते हैं।  हम जिन लोगों से दोस्ती करते हैं, धीरे-धीरे उन्हीं के जैसे बन जाते हैं। इसलिए जैसे हमने पैराग्राफ 7 में देखा, अगर आप प्रौढ़ बनना चाहते हैं, तो प्रौढ़ भाई-बहनों से दोस्ती कीजिए। (नीतिवचन 13:20 पढ़िए।) सारा नाम की एक बहन बताती है कि एक वक्‍त पर यहोवा की सेवा करने से उसे इतनी खुशी नहीं मिल रही थी। फिर किस बात ने उसकी मदद की? वह कहती है, “मुझे सही वक्‍त पर बहुत-से अच्छे दोस्त मिले। एक जवान बहन मेरे साथ हर हफ्ते प्रहरीदुर्ग  अध्ययन की तैयारी करने लगी। मेरी एक और दोस्त ने मेरी मदद की कि मैं सभाओं में जवाब दे पाऊँ। अपने दोस्तों की मदद से मैं और भी अच्छी तरह निजी अध्ययन और प्रार्थना करने लगी। यहोवा के साथ मेरा रिश्‍ता मज़बूत होने लगा और मैं फिर से खुश रहने लगी।”

14. जूलियन अच्छे दोस्त कैसे बना पाया?

14 आप अच्छे दोस्त कैसे बना सकते हैं? जूलियन जो एक प्राचीन है, बताता है, “जब मैं छोटा था, तब प्रचार करते वक्‍त भाई-बहनों से मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी। वे बहुत जोशीले थे और उनके साथ रहने से मुझे भी प्रचार करने में बहुत मज़ा आने लगा। मैंने सोच लिया कि बड़ा होकर मैं पूरे समय की सेवा करूँगा। पहले मैं अपनी उम्रवालों से ही दोस्ती करता था, लेकिन फिर मैंने देखा कि बड़े लोग भी बहुत अच्छे दोस्त हो सकते हैं। फिर मैं बेथेल आ गया और यहाँ पर भी मैंने बहुत अच्छे दोस्त बनाए हैं। उन्हें देखकर मैं इस बात पर और ध्यान देने लगा कि मैं किस तरह का मनोरंजन करता हूँ और इससे यहोवा के साथ मेरी दोस्ती और भी पक्की हो गयी है।”

15. पौलुस ने तीमुथियुस को किस बात से खबरदार किया? (2 तीमुथियुस 2:20-22)

15 हम सभी ऐसे दोस्त बनाना चाहते हैं जिनका यहोवा के साथ एक मज़बूत रिश्‍ता हो। इसलिए मंडली में भी हमें सोच-समझकर दोस्त बनाने चाहिए, क्योंकि ज़रूरी नहीं कि हर किसी का यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता हो। पहली सदी में भी कुछ ऐसे ही लोग थे, इसलिए पौलुस ने तीमुथियुस से कहा कि वह उनसे दूर रहे। (2 तीमुथियुस 2:20-22 पढ़िए।) यहोवा के साथ आपका रिश्‍ता बहुत अनमोल है। और उसके साथ रिश्‍ता बनाने के लिए आपने बहुत मेहनत की है। इसलिए ऐसे किसी भी व्यक्‍ति से दोस्ती मत कीजिए जिसकी वजह से यहोवा के साथ आपका रिश्‍ता खराब हो जाए। ऐसा किसी भी हाल में मत होने दीजिए!​—भज. 26:4.

लक्ष्य रखिए, प्रौढ़ बनिए

16. आपको कैसे लक्ष्य रखने चाहिए?

16 अच्छे लक्ष्य रखिए।  ऐसे लक्ष्य रखिए जिनसे आपका विश्‍वास बढ़े और आप एक प्रौढ़ मसीही बन पाएँ। (इफि. 3:16) जैसे, आप हर दिन बाइबल पढ़ने और लगातार निजी अध्ययन करने की आदत डाल सकते हैं। (भज. 1:2, 3) या आप और भी अच्छी तरह प्रार्थना करने का लक्ष्य रख सकते हैं और कोशिश कर सकते हैं कि ज़्यादा-से-ज़्यादा प्रार्थना करें। या आप लक्ष्य रख सकते हैं कि अब से आप इस बात पर और भी ध्यान देंगे कि आप कैसा मनोरंजन करते हैं और किन कामों में वक्‍त बिताते हैं। (इफि. 5:15, 16) जब यहोवा देखेगा कि आप आगे बढ़ने के लिए कितनी मेहनत कर रहे हैं, तो उसे बहुत खुशी होगी।

इस जवान बहन ने क्या लक्ष्य रखा? (पैराग्राफ 17)

17. आपको दूसरों की मदद क्यों करनी चाहिए?

17 दूसरों की मदद करके भी आप एक प्रौढ़ मसीही बन सकते हैं। यीशु ने कहा था, “लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।” (प्रेषि. 20:35) अभी आप जवान हैं और आपमें बहुत ताकत है। अगर आप समय निकालकर दूसरों की मदद करेंगे, तो आपको बहुत खुशी मिलेगी। जैसे, आप अपनी मंडली के बुज़ुर्ग या बीमार भाई-बहनों की मदद करने का लक्ष्य रख सकते हैं। अगर उन्हें बाज़ार से कुछ चाहिए, तो आप उन्हें वह लाकर दे सकते हैं। या फिर आप उन्हें फोन-कंप्यूटर वगैरह चलाने में मदद कर सकते हैं। भाई सहायक सेवक बनने का लक्ष्य रख सकते हैं, क्योंकि इस तरह वे भाई-बहनों की और भी मदद कर पाएँगे। (फिलि. 2:4) आप प्रचार करके दूसरे लोगों की भी मदद कर सकते हैं। (मत्ती 9:36, 37) और हो सके तो आप पूरे समय की सेवा करने का भी लक्ष्य रख सकते हैं।

18. पूरे समय की सेवा करने से आप यहोवा के और करीब कैसे आ पाएँगे?

18 पूरे समय की सेवा करने से आपको यहोवा की सेवा करने के और मौके मिलेंगे। इस तरह आप उसके ज़्यादा करीब आ पाएँगे और प्रौढ़ बन पाएँगे। जैसे, अगर आप पायनियर सेवा करें, तो आपको राज-प्रचारकों के लिए स्कूल में जाने का मौका मिल सकता है, आप शायद बेथेल में सेवा कर पाएँ या निर्माण काम में हाथ बँटा पाएँ। केटलिन नाम की एक बहन, जो 21 साल की है और पायनियर सेवा कर रही है, कहती है, “बपतिस्मा लेने के बाद, मैंने अनुभवी भाई-बहनों के साथ प्रचार करने में काफी वक्‍त बिताया। इससे यहोवा के साथ मेरी दोस्ती और भी पक्की हो गयी। उन्हें देखकर मेरा भी मन किया कि मैं और भी अच्छी तरह बाइबल का अध्ययन करूँ और दूसरों को और अच्छी तरह सिखाने की कोशिश करूँ।”

19. जैसे-जैसे आप प्रौढ़ बनते जाएँगे, आपको कौन-सी आशीषें मिलेंगी?

19 जैसे-जैसे यहोवा के साथ आपका रिश्‍ता मज़बूत होता जाएगा और आप प्रौढ़ बनते जाएँगे, आपको बहुत-सी आशीषें मिलेंगी। अपना सारा समय दुनिया में बरबाद करने के बजाय, आप सही कामों में वक्‍त बिता पाएँगे। (1 यूह. 2:17) आप गलत फैसले लेने से बच पाएँगे और आपको किसी बात का अफसोस नहीं होगा। आप सही फैसले लेंगे और खुश रहेंगे। (नीति. 16:3) आपकी बढ़िया मिसाल का मंडली के बाकी भाई-बहनों पर अच्छा असर होगा और उनका हौसला बढ़ेगा। (1 तीमु. 4:12) सबसे बढ़कर, आपको इस बात की खुशी होगी कि आपका यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता है और वह आपसे बहुत खुश है।​—नीति. 23:15, 16.

गीत 88 मुझे अपनी राहें सिखा

a जब नौजवान बपतिस्मा लेते हैं, तो यहोवा के सभी सेवकों को बहुत खुशी होती है। लेकिन बपतिस्मा लेना ही सबकुछ नहीं है। इसके बाद भी इन भाई-बहनों को आगे बढ़ते रहना है। इस लेख में हम जानेंगे कि जिन नौजवान भाई-बहनों ने बपतिस्मा लिया है, वे कैसे एक प्रौढ़ मसीही बन सकते हैं।

b ऐसे ही कुछ भाई-बहनों के इंटरव्यू देखने के लिए jw.org के भाग “जीवन की शुरूआत के बारे में उनकी राय” पर जाएँ।

c इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।