इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्ययन लेख 33

यहोवा की नज़र हम पर बनी रहती है

यहोवा की नज़र हम पर बनी रहती है

‘जो यहोवा का डर मानते हैं, उन पर उसकी नज़र बनी रहती है।’​—भज. 33:18.

गीत 4 “यहोवा मेरा चरवाहा है”

एक झलक a

1. यीशु ने यहोवा से क्यों बिनती की कि वह उसके चेलों की देखभाल करे?

 अपनी मौत से एक रात पहले, यीशु ने अपने पिता से एक खास बात के लिए प्रार्थना की। उसने यहोवा से बिनती की कि वह उसके चेलों की देखभाल करे। (यूह. 17:15, 20) यीशु को मालूम था कि यहोवा हमेशा अपने लोगों का ध्यान रखता है और उनकी रक्षा करता है। पर आगे चलकर शैतान उसके चेलों पर बहुत ज़ुल्म ढानेवाला था। इसी वजह से यीशु ने उनके लिए बिनती की। वह जानता था कि वे यहोवा की मदद से ही शैतान के हमलों का सामना कर पाएँगे।

2. भजन 33:18-20 के मुताबिक मुश्‍किलें आने पर हमें क्यों घबराना नहीं चाहिए?

2 आज शैतान की इस दुनिया में हमें कई मुश्‍किलों का सामना करना पड़ता है। इस वजह से कभी-कभी हम निराश हो जाते हैं और कई बार तो यहोवा का वफादार रहना भी हमारे लिए मुश्‍किल हो जाता है। पर इस लेख में हम जानेंगे कि हमें घबराने की ज़रूरत नहीं है। यहोवा हमें देख रहा है। वह जानता है कि हम किन मुश्‍किलों से गुज़र रहे हैं और हमारी मदद करने के लिए वह हमेशा तैयार है। आइए बाइबल में दर्ज़ दो लोगों की मिसालों पर ध्यान दें, जिससे हमें यकीन हो जाएगा कि ‘यहोवा की नज़र उन लोगों पर बनी रहती है, जो उसका डर मानते हैं।’​—भजन 33:18-20 पढ़िए।

जब आप अकेला महसूस करें

3. हम शायद कब अकेला महसूस करें?

3 मंडली में हमारे बहुत सारे भाई-बहन हैं। फिर भी शायद कभी-कभी हमें लगे कि हम अकेले हैं। जैसे, जब नौजवानों को स्कूल में सबके सामने बताना हो कि वे क्या मानते हैं और क्या नहीं, तो शायद उन्हें डर लगे और वे अकेला महसूस करने लगें। वे तब भी अकेला महसूस करने लग सकते हैं जब वे किसी नयी मंडली में जाते हैं। इसके अलावा जब हम उदास होते हैं या किसी वजह से निराश होते हैं, तब भी हमें अकेला महसूस होने लग सकता है। हो सकता है हमें लगे कि हमें खुद ही इन भावनाओं से लड़ना होगा। हम शायद दूसरों से बात करने से भी हिचकिचाएँ क्योंकि हमें लग सकता है कि वे नहीं समझ पाएँगे कि हम पर क्या बीत रही है। कई बार तो शायद हम यह तक सोचने लगें कि किसी को हमारी परवाह नहीं है। इन सब बातों की वजह से शायद हम बहुत परेशान या बेचैन रहने लगें और सोचने लगें कि कोई हमारी मदद नहीं कर सकता। पर यहोवा कभी नहीं चाहता कि हम ऐसा सोचें। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं?

4. भविष्यवक्‍ता एलियाह ने ऐसा क्यों कहा, “मैं ही अकेला बचा हूँ”?

4 भविष्यवक्‍ता एलियाह को याद कीजिए। रानी इज़ेबेल ने कसम खा ली थी कि वह उसे मरवाकर ही रहेगी। एलियाह अपनी जान बचाने के लिए 40 दिन से भाग रहा था। (1 राजा 19:1-9) वह एक गुफा में जा छिपा और वहाँ उसने परेशान होकर यहोवा से कहा, ‘मैं ही अकेला भविष्यवक्‍ता बचा हूँ।’ (1 राजा 19:10) ऐसा नहीं था कि इसराएल में और कोई भविष्यवक्‍ता नहीं था। ओबद्याह ने 100 भविष्यवक्‍ताओं को इज़ेबेल के हाथों मरने से बचाया था। (1 राजा 18:7, 13) तो फिर एलियाह को क्यों लग रहा था कि वह अकेला है? शायद उसे लगा हो कि उन सभी सौ-के-सौ भविष्यवक्‍ताओं की मौत हो गयी है। या फिर शायद वह सोच रहा हो, ‘यहोवा करमेल पहाड़ पर साबित कर चुका है कि वह सच्चा परमेश्‍वर है और बाल झूठा। तो अब दूसरे लोग मेरे साथ यहोवा की उपासना क्यों नहीं कर रहे?’ या हो सकता है, उसे लगा हो कि किसी को नहीं पता कि उस पर क्या बीत रही है। या शायद वह सोच रहा हो कि किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह ज़िंदा है या नहीं। हम नहीं जानते कि उस वक्‍त एलियाह के मन में क्या चल रहा था, पर यहोवा ज़रूर जानता था। और उस मुश्‍किल वक्‍त में उसने एलियाह को सँभाला।

जब एलियाह अकेला महसूस कर रहा था, तो यहोवा ने उसे क्या करने के लिए कहा? आज हम उससे क्या सीख सकते हैं? (पैराग्राफ 5-6)

5. यहोवा ने एलियाह को कैसे यकीन दिलाया कि वह अकेला नहीं है?

5 यहोवा ने एलियाह की कई तरीकों से मदद की। उसने कोशिश की कि एलियाह उससे बात करे। उसने उससे दो बार पूछा, “तू यहाँ क्या कर रहा है?” (1 राजा 19:9, 13) और जब एलियाह ने उसे अपने दिल का हाल बताया, तो यहोवा ने ध्यान से उसकी सुनी। फिर उसने एलियाह को आँधी, भूकंप और आग के ज़रिए अपनी शक्‍ति का एहसास दिलाया और यकीन दिलाया कि वह उसके साथ है। उसने एलियाह को यह भी बताया कि वह अकेला नहीं है, और भी बहुत-से लोग उसकी सेवा कर रहे हैं। (1 राजा 19:11, 12, 18) यहोवा को अपने दिल का हाल बताकर और उसकी बात सुनकर एलियाह को बहुत सुकून मिला होगा। इसके बाद यहोवा ने एलियाह को कुछ ज़िम्मेदारियाँ भी दीं। उसने उससे कहा कि वह हजाएल को सीरिया का राजा ठहराए, येहू को इसराएल का राजा ठहराए और एलीशा का अभिषेक करे ताकि वह भविष्यवक्‍ता बने। (1 राजा 19:15, 16) जब यहोवा ने उसे ऐसा करने को कहा तो एलियाह अपना ध्यान अच्छी बातों पर लगा पाया। यहोवा ने उसे एक अच्छा दोस्त भी दिया। अब एलियाह अकेला नहीं था, एलीशा उसके साथ था। जब आप अकेला महसूस करते हैं, तो यहोवा आपकी भी मदद कर सकता है। पर इसके लिए आपको भी कुछ करना होगा।

6. जब आप अकेला महसूस करते हैं, तो आप किस बारे में प्रार्थना कर सकते हैं? (भजन 62:8)

6 यहोवा चाहता है कि आप उससे प्रार्थना करें। वह जानता है कि हम किन मुश्‍किलों से गुज़र रहे हैं और उसने कहा है कि हम चाहे जब भी उससे प्रार्थना करें, वह हमारी सुनेगा। (1 थिस्स. 5:17) उसे हमारी प्रार्थनाएँ सुनकर बहुत खुशी होती है। (नीति. 15:8) जब आप अकेला महसूस करते हैं, तो आप किस बारे में प्रार्थना कर सकते हैं? एलियाह की तरह यहोवा से दिल खोलकर बात कीजिए। (भजन 62:8 पढ़िए।) उसे बताइए कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं, किस बात को लेकर परेशान हैं। और फिर उससे मदद माँगिए ताकि आप इन भावनाओं से लड़ सकें। जैसे अगर आपको अपनी क्लास के बच्चों को यह बताने में डर लग रहा है कि आप क्या मानते हैं और क्या नहीं, तो आप यहोवा से कह सकते हैं कि वह आपको हिम्मत दे। आप यहोवा से बुद्धि भी माँग सकते हैं ताकि आप उन्हें अच्छे से समझा सकें और उन्हें बुरा भी ना लगे। (लूका 21:14, 15) अगर आप किसी बात को लेकर बहुत दुखी हैं, तो यहोवा से कहिए कि वह आपकी मदद करे कि आप किसी अनुभवी भाई या बहन से उस बारे में बात कर सकें। आप उस भाई या बहन के लिए भी प्रार्थना कर सकते हैं कि वह आपकी बात अच्छे-से समझ पाए। तो जब भी आप अकेला महसूस करें, दिल खोलकर यहोवा से प्रार्थना कीजिए, ध्यान दीजिए कि वह किस तरह आपकी प्रार्थनाओं का जवाब देता है और किसी से बात कीजिए।

क्या आप दूसरों के साथ मिलकर और ज़्यादा प्रचार करने की कोशिश कर सकते हैं? (पैराग्राफ 7)

7. आपने मौरीसियो से क्या सीखा?

7 यहोवा ने हम सभी को कोई-न-कोई ज़िम्मेदारी दी है। जैसे हम सभी को प्रचार करना है, हमें समय-समय पर सभाओं में भाग पेश करने होते हैं और हममें से कुछ को मंडली में ज़िम्मेदारियाँ सँभालनी होती हैं। (भज. 110:3) यकीन मानिए, जब आप अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाने में मेहनत करते हैं, तो यहोवा उस पर ध्यान देता है और उसे बहुत खुशी होती है। जब हम इन कामों में लगे रहेंगे, तो हम इतना अकेला महसूस नहीं करेंगे। मौरीसियो b के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। उसके बपतिस्मा लेने के कुछ ही समय बाद उसका एक बहुत अच्छा दोस्त धीरे-धीरे यहोवा से दूर जाने लगा। मौरीसियो बताता है, “यह देखकर मैं हिल गया। मैं सोचने लगा, पता नहीं मैं भी यहोवा से किया अपना वादा निभा पाऊँगा या नहीं, कहीं मैं भी उसे छोड़कर ना चला जाऊँ। मैं बहुत अकेला महसूस कर रहा था। मुझे लग रहा था कोई नहीं समझ पाएगा कि मैं कैसा महसूस कर रहा हूँ।” तब मौरीसियो ने क्या किया? वह बताता है, “मैं और ज़्यादा प्रचार करने लगा। इस तरह मैं खुद के बारे में सोचते रहने के बजाय और दुखी रहने के बजाय अच्छी बातों पर ध्यान लगा पाया। जब मैं दूसरों के साथ प्रचार करता था, तो मैं इतना अकेला महसूस नहीं करता था और खुश रहता था।” हम भी ऐसा ही कर सकते हैं। भले ही हम दूसरे भाई-बहनों के साथ घर-घर जाकर प्रचार ना कर पाएँ, लेकिन हम उनके साथ चिट्ठी लिख सकते हैं और फोन के ज़रिए गवाही दे सकते हैं। मौरीसियो ने कुछ और भी किया। वह कहता है, “मैं मंडली के और भी कई काम करने लगा। मुझे सभा में जो भी भाग दिया जाता था, उसकी मैं दिल लगाकर तैयारी करता था। फिर जब मैं वह भाग पेश करता था, तो भाई-बहनों को बहुत अच्छा लगता था और मुझे पता था कि यहोवा भी मुझसे खुश होगा।”

जब बड़ी-बड़ी मुश्‍किलें आएँ

8. जब हम पर मुसीबतें टूट पड़ती हैं, तो हमें कैसा लग सकता है?

8 हम आखिरी दिनों में जी रहे हैं इसलिए हमें पता है कि मुश्‍किलें तो आएँगी ही। (2 तीमु. 3:1) लेकिन कई बार हो सकता है कि अचानक कोई मुश्‍किल आ जाए या कुछ ऐसा हो जाए जिसकी हमें बिलकुल उम्मीद नहीं थी। शायद हमें पैसों की दिक्कत हो जाए, कोई बड़ी बीमारी हो जाए या हमारे किसी दोस्त या रिश्‍तेदार की मौत हो जाए। कई बार ऐसा लगता है कि मुश्‍किलें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं, एक-के-बाद-एक कुछ-न-कुछ होता ही रहता है। और कभी-कभी एक-साथ मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। जब ऐसा होता है, तो हम पूरी तरह हिल जाते हैं। शायद हमें लगे कि हम और नहीं सह पाएँगे। पर याद रखिए कि यहोवा हम पर ध्यान दे रहा है। वह जानता है हम पर क्या बीत रही है और उसकी मदद से हम हर मुश्‍किल का सामना कर सकते हैं।

9. अय्यूब पर कौन-कौन सी मुश्‍किलें आयीं?

9 याद कीजिए कि अय्यूब के साथ क्या हुआ था। एक-के-बाद-एक उस पर कई बड़ी-बड़ी मुश्‍किलें आयीं। एक ही दिन में उसने अपना सबकुछ खो दिया। उसके कुछ मवेशी लूट लिए गए और कुछ मार डाले गए। उसके सेवक भी मारे गए, यहाँ तक कि एक हादसे में उसके सभी बेटे-बेटियों की मौत हो गयी। (अय्यू. 1:13-19) इससे पहले कि अय्यूब इस सबसे उबर पाता, उसे एक बहुत ही गंदी और दर्दनाक बीमारी हो गयी। (अय्यू. 2:7) वह इस कदर टूट चुका था कि उसने कहा, ‘नफरत हो गयी है मुझे ज़िंदगी से, मैं और जीना नहीं चाहता।’​—अय्यू. 7:16.

यहोवा अय्यूब को यकीन दिलाना चाहता था कि वह उससे प्यार करता है और उसकी परवाह करता है। इसलिए उसने अलग-अलग जानवरों के बारे में बताकर अय्यूब को एहसास दिलाया कि उसे अपनी सृष्टि की कितनी परवाह है (पैराग्राफ 10)

10. यहोवा ने मुश्‍किलों का सामना करने में अय्यूब की मदद कैसे की? (बाहर दी तसवीर देखें।)

10 यहोवा यह सबकुछ देख रहा था। वह अय्यूब से प्यार करता था, इसलिए उसने मुश्‍किलों का सामना करने के लिए अय्यूब की कई तरीकों से मदद की। यहोवा ने अय्यूब से बात की। उसने अलग-अलग जानवरों के बारे में बताकर अय्यूब को एहसास दिलाया कि वह कितना बुद्धिमान और ताकतवर है और उसे अपनी सृष्टि की कितनी परवाह है। (अय्यू. 38:1, 2; 39:9, 13, 19, 27; 40:15; 41:1, 2) फिर यहोवा ने एलीहू नाम के एक जवान आदमी के ज़रिए अय्यूब की हिम्मत बँधायी और उसे दिलासा दिया। एलीहू ने अय्यूब को यकीन दिलाया कि जो लोग यहोवा के वफादार रहते हैं, उन्हें वह आशीष देता है। फिर यहोवा ने एलीहू के ज़रिए अय्यूब की सोच सुधारी। एलीहू ने अय्यूब से कहा कि वह सिर्फ खुद के बारे में ना सोचे, बल्कि याद रखे कि वह पूरी दुनिया के बनानेवाले के सामने कितना छोटा है। (अय्यू. 37:14) यहोवा ने अय्यूब को एक काम भी दिया। उसने उससे कहा कि वह अपने तीन साथियों के लिए प्रार्थना करे। (अय्यू. 42:8-10) आज जब हम पर मुश्‍किलें आती हैं, तो यहोवा हमारी मदद कैसे करता है?

11. मुश्‍किलें आने पर हमें बाइबल से कैसे दिलासा मिल सकता है?

11 आज यहोवा हमसे उस तरह तो बात नहीं करता, जिस तरह उसने अय्यूब से की थी। लेकिन वह अपने वचन बाइबल के ज़रिए हमसे ज़रूर बात करता है। (रोमि. 15:4) उसने बाइबल में ऐसी बहुत-सी बातें लिखवायी हैं जिन्हें पढ़कर हमें मुश्‍किल वक्‍त में दिलासा मिलता है। जैसे उसने हमें यकीन दिलाया है कि बड़ी-से-बड़ी मुश्‍किल भी ‘हमें उसके प्यार से अलग नहीं कर सकती।’ (रोमि. 8:38, 39) उसने वादा किया है कि वह “उन सबके करीब रहता है जो उसे पुकारते हैं।” (भज. 145:18) यहोवा कहता है कि अगर हम उस पर निर्भर रहेंगे, तो हम किसी भी मुश्‍किल का सामना कर पाएँगे और तकलीफों के बावजूद खुश रह पाएँगे। (1 कुरिं. 10:13; याकू. 1:2, 12) बाइबल में हमें यह भी याद दिलाया गया है कि भविष्य में हम हमेशा की ज़िंदगी जीएँगे और उसके सामने आज की परेशानियाँ बस पल-भर की हैं। (2 कुरिं. 4:16-18) यहोवा ने यह भी वादा किया है कि वह सारी मुसीबतों की जड़, शैतान और उसका साथ देनेवालों का सफाया कर देगा। (भज. 37:10) जब हम इस बारे में सोचते हैं कि आनेवाले वक्‍त में यहोवा सारी मुश्‍किलें दूर कर देगा, तो हमें कितना दिलासा मिलता है! बाइबल में और भी बहुत-सी आयतें हैं जिन्हें पढ़कर हमें हिम्मत मिलती है। इन्हें याद रखने से हम आनेवाली मुश्‍किलों का अच्छे-से सामना कर पाएँगे। क्या आपने ऐसी कुछ आयतें मुँह-ज़ुबानी याद की हैं?

12. मुश्‍किलों का सामना करने के लिए हमें और क्या करना होगा?

12 यहोवा चाहता है कि हम बाइबल का अध्ययन करने और मनन करने के लिए समय निकालें। फिर जब हम उन बातों को मानेंगे, तो हमारा विश्‍वास बढ़ेगा और हम यहोवा के और करीब आ जाएँगे। इस तरह हम मुश्‍किलों का डटकर सामना कर पाएँगे। अगर हम बाइबल पढ़ेंगे और उसके मुताबिक काम करेंगे, तो यहोवा हमें अपनी पवित्र शक्‍ति भी देगा। वह हमें ऐसी ‘ताकत देगा जो आम इंसानों की ताकत से कहीं बढ़कर है’ ताकि हम हिम्मत से मुश्‍किलों का सामना कर सकें।​—2 कुरिं. 4:7-10.

13. “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने जो इंतज़ाम किए हैं, उनकी मदद से हम मुश्‍किलें कैसे सह पाते हैं?

13 यहोवा की मदद से आज “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” बहुत-से लेख, वीडियो और गाने तैयार कर रहा है। (मत्ती 24:45) इनसे भी हमारा विश्‍वास बढ़ता है और हम यहोवा के करीब बने रहते हैं। हम कोशिश कर सकते हैं कि हम इन इंतज़ामों से पूरा-पूरा फायदा पाएँ। अमरीका में रहनेवाली एक बहन बताती हैं कि उन्हें इनसे बहुत मदद मिली है। वे कहती हैं, “मैं 40 सालों से यहोवा की सेवा कर रही हूँ। इस दौरान मैंने बहुत-सी मुश्‍किलों का सामना किया, कई बार तो यहोवा का वफादार रहना भी मुश्‍किल था।” बहन ने बहुत कुछ सहा। एक शराबी ने अपनी गाड़ी से उनके नाना की गाड़ी को टक्कर मार दी, जिस वजह से उनकी मौत हो गयी। एक बड़ी बीमारी की वजह से उनके मम्मी-पापा की भी मौत हो गयी और खुद उन्हें दो बार कैंसर हो गया। बहन यह सबकुछ कैसे सह पायीं? वे बताती हैं, “यहोवा ने हमेशा मेरा खयाल रखा। विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास के ज़रिए उसने जो भी इंतज़ाम किए हैं, उनसे मुझे बहुत मदद मिली। अय्यूब की तरह मैंने भी ठान लिया है, ‘मैं मरते दम तक निर्दोष बनी रहूँगी।’”​—अय्यू. 27:5.

हम मंडली के भाई-बहनों को प्यार कैसे जता सकते हैं? (पैराग्राफ 14)

14. मुश्‍किलें आने पर यहोवा भाई-बहनों के ज़रिए किस तरह हमारी मदद करता है? (1 थिस्सलुनीकियों 4:9)

14 यहोवा ने अपने लोगों को सिखाया है कि मुश्‍किलें आने पर वे एक-दूसरे को दिलासा दें और एक-दूसरे से प्यार करते रहें। (2 कुरिं. 1:3, 4; 1 थिस्सलुनीकियों 4:9 पढ़िए।) जिस तरह एलीहू ने अय्यूब की मदद की थी, उसी तरह मुश्‍किल घड़ी में भाई-बहन वफादार रहने में हमारी मदद करते हैं। (प्रेषि. 14:22) बहन डीऐन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनके पति को एक बड़ी बीमारी हो गयी थी। उस वक्‍त मंडली के भाई-बहनों ने उन्हें बहुत सँभाला और यहोवा के करीब बने रहने में उनकी मदद की। वे कहती हैं, “उस मुश्‍किल दौर में यहोवा ने मानो मुझे अपनी बाहों में ले लिया। उस दौरान मंडली के भाई-बहनों ने हमारे लिए बहुत कुछ किया। वे हमें फोन करते थे, हमसे मिलने आते थे और हमें गले लगाते थे। इससे हमें बहुत हिम्मत मिली। मुझे गाड़ी चलानी नहीं आती, इसलिए कोई-न-कोई भाई या बहन मुझे प्रचार और सभाओं के लिए ले जाने आता था।” हमारे भाई-बहन सच में हमसे बहुत प्यार करते हैं। वे हमारे लिए कितनी बड़ी आशीष हैं!

हम कितने खुश हैं कि यहोवा हमारा खयाल रखता है!

15. हमें क्यों यकीन है कि हम मुश्‍किलों का डटकर सामना कर सकते हैं?

15 हम सभी को कभी-न-कभी मुश्‍किलों का सामना करना पड़ेगा। पर जैसा हमने इस लेख में सीखा, हम अकेले नहीं हैं। यहोवा हमारे साथ है। जैसे एक पिता अपने बच्चे से प्यार करता है और हमेशा उसका ध्यान रखता है, उसी तरह यहोवा भी हमसे प्यार करता है और हर पल हमारा ध्यान रखता है। हम जब भी उसे पुकारते हैं, वह हमारी सुनता है और हमारी मदद करने के लिए तैयार रहता है। (यशा. 43:2) हमारी मदद करने के लिए यहोवा ने हमें बहुत कुछ दिया है। उसने हमें उससे प्रार्थना करने का मौका दिया है, हमें बाइबल दी है, बाइबल पर आधारित प्रकाशन और वीडियो दिए हैं और हमें ऐसे भाई-बहन भी दिए हैं जो हमसे बहुत प्यार करते हैं। तो चाहे कोई भी मुश्‍किल क्यों ना आए, हम उसका डटकर सामना कर सकते हैं।

16. अगर हम चाहते हैं कि यहोवा हमेशा हमारा खयाल रखे, तो हमें क्या करना होगा?

16 हम यहोवा के बहुत शुक्रगुज़ार हैं कि उसकी नज़र हम पर बनी रहती है! इस बारे में सोचकर हमारा दिल खुशी से भर जाता है। (भज. 33:21) लेकिन अगर हम चाहते हैं कि यहोवा हमारा खयाल रखे, तो हमें भी कुछ करना होगा। उसने हमारी मदद करने के लिए जो इंतज़ाम किए हैं, हमें उनसे पूरा-पूरा फायदा पाना होगा। इसके अलावा हमें कोशिश करनी होगी कि हम हमेशा उसकी बात मानें और वही करें जो उसके हिसाब से सही है। तब उसकी नज़र हमेशा हम पर बनी रहेगी!​—1 पत. 3:12.

गीत 30 यहोवा, मेरा परमेश्‍वर, पिता और दोस्त

a आज हम सबको कई मुश्‍किलें झेलनी पड़ती हैं और हम अकेले इनका सामना नहीं कर सकते। हमें यहोवा की ज़रूरत है। इस लेख से इस बात पर हमारा यकीन बढ़ेगा कि यहोवा हम पर ध्यान देता है और उसे हमारी बहुत परवाह है। वह जानता है कि हममें से हर कोई किस मुश्‍किल से गुज़र रहा है और उसका सामना करने के लिए वह हमारी मदद करता है।

b इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।