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अध्ययन लेख 32

गीत 44 दुखियारे की प्रार्थना

यहोवा चाहता है कि सब लोग पश्‍चाताप करें!

यहोवा चाहता है कि सब लोग पश्‍चाताप करें!

“यहोवा . . . नहीं चाहता कि कोई भी नाश हो बल्कि यह कि सबको पश्‍चाताप करने का मौका मिले।”2 पत. 3:9.

क्या सीखेंगे?

हम जानेंगे कि पश्‍चाताप करने का क्या मतलब है, पश्‍चाताप करना क्यों ज़रूरी है और यहोवा ने लोगों को पश्‍चाताप की तरफ ले जाने के लिए क्या किया है।

1. पश्‍चाताप करने का क्या मतलब है?

 जब हमसे कोई गलती हो जाती है, तो पश्‍चाताप करना बहुत ज़रूरी होता है। बाइबल में बताया है कि जो व्यक्‍ति पश्‍चाताप करता है, उसे अपने किए पर अफसोस होता है, वह गलत काम करना छोड़ देता है और ठान लेता है कि वह दोबारा वह काम नहीं करेगा।—बाइबल की शब्दावली में “पश्‍चाताप” पढ़ें।

2. हमारे लिए यह समझना क्यों ज़रूरी है कि पश्‍चाताप क्या होता है? (नहेमायाह 8:9-11)

2 हरेक इंसान के लिए यह समझना ज़रूरी है कि पश्‍चाताप होता क्या है। क्यों? क्योंकि हम सब पाप करते हैं। हर दिन हमसे गलतियाँ होती हैं। पाप और मौत हमें आदम-हव्वा से विरासत में मिले हैं। (रोमि. 3:23; 5:12) हममें से ऐसा कोई नहीं जिसमें पाप ना हो। प्रेषित पौलुस जैसे दूसरे वफादार लोगों को भी पाप से लड़ना पड़ा। (रोमि. 7:21-24) तो फिर क्या हमें यह सोचकर निराश हो जाना चाहिए कि हम जब देखो गलतियाँ करते रहते हैं? नहीं। यहोवा हम पर दया करता है और चाहता है कि हम खुश रहें। ज़रा ध्यान दीजिए कि नहेमायाह के दिनों में उसने यहूदियों से क्या कहा था। (नहेमायाह 8:9-11 पढ़िए।) यहोवा नहीं चाहता था कि वे अपने पाप याद करके दुखी हों, बल्कि वह चाहता था कि वे खुशी-खुशी उसकी उपासना करें। यहोवा जानता है कि पश्‍चाताप करने से हम खुशी पा सकते हैं, इसलिए वह चाहता है कि हम इस बारे में और जानें। अगर हम पश्‍चाताप करें, तो हम यकीन रख सकते हैं कि हमारा दयालु पिता हमें ज़रूर माफ करेगा।

3. इस लेख में हम क्या जानेंगे?

3 अब आइए पश्‍चाताप करने के बारे में तीन बातों पर ध्यान दें। इस लेख में सबसे पहले हम जानेंगे कि यहोवा ने इसराएलियों को पश्‍चाताप करने के बारे में क्या सिखाया। फिर हम देखेंगे कि पाप करनेवालों को पश्‍चाताप की तरफ ले जाने के लिए यहोवा ने क्या किया। और आखिर में हम जानेंगे कि यीशु ने अपने चेलों को पश्‍चाताप करने के बारे में क्या सिखाया।

पश्‍चाताप करने के बारे में यहोवा ने इसराएलियों को क्या सिखाया?

4. यहोवा ने इसराएलियों को पश्‍चाताप करने के बारे में क्या सिखाया?

4 जब यहोवा ने इसराएलियों को एक राष्ट्र के तौर पर संगठित किया, तो उसने उनके साथ एक करार किया। यहोवा ने कहा कि अगर वे उसकी आज्ञाएँ मानेंगे, तो वह उनकी हिफाज़त करेगा और उन्हें आशीषें देगा। उसने यह भी कहा, “आज मैं तुम्हें जो आज्ञाएँ सुना रहा हूँ उन्हें समझना या उन पर चलना तुम्हारे लिए ज़्यादा मुश्‍किल नहीं है।” (व्यव. 30:11, 16) लेकिन अगर इसराएली यहोवा की आज्ञाएँ नहीं मानते, जैसे अगर वे झूठे देवी-देवताओं की उपासना करने लगते, तो यहोवा उन पर से अपनी आशीष हटा लेता और उन्हें तकलीफें झेलनी पड़तीं। पर इसका यह मतलब नहीं था कि यहोवा उन्हें हमेशा के लिए छोड़ देता। अगर वे पश्‍चाताप करते और ‘अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास लौट आते और उसकी बात मानते,’ तो वह उन्हें दोबारा अपना लेता। (व्यव. 30:1-3, 17-20) वह एक बार फिर उनके करीब आ जाता और उन्हें आशीषें देता।

5. यहोवा ने कैसे दिखाया कि उसने अपने लोगों को नहीं छोड़ा? (2 राजा 17:13, 14)

5 दुख की बात है कि यहोवा के लोग बार-बार उसके खिलाफ गए। कभी वे मूर्तिपूजा करने लगते थे, तो कभी दूसरे घिनौने कामों में लग जाते थे। और इस वजह से उन्हें कई मुश्‍किलें सहनी पड़ीं। लेकिन यहोवा ने अपने लोगों को नहीं छोड़ा। वह उनकी मदद करता रहा। उसने बार-बार अपने भविष्यवक्‍ताओं को उनके पास भेजा और उनसे गुज़ारिश की कि वे पश्‍चाताप करें और उसके पास लौट आएँ।2 राजा 17:13, 14 पढ़िए।

6. यहोवा ने भविष्यवक्‍ताओं के ज़रिए कैसे समझाया कि पाप करनेवालों के लिए पश्‍चाताप करना ज़रूरी है? (तसवीर भी देखें।)

6 यहोवा अकसर अपने भविष्यवक्‍ताओं के ज़रिए अपने लोगों को खबरदार करता था और उनकी सोच सुधारता था। जैसे यहोवा ने यिर्मयाह के ज़रिए अपने लोगों से कहा, ‘हे बागी इसराएल, मेरे पास लौट आ। मैं तुझे क्रोध-भरी नज़रों से नहीं देखूँगा क्योंकि मैं वफादार हूँ। मैं तुझसे सदा नाराज़ नहीं रहूँगा। बस तू अपना दोष मान ले क्योंकि तूने अपने परमेश्‍वर यहोवा से बगावत की है।’ (यिर्म. 3:12, 13) योएल के ज़रिए यहोवा ने कहा, “तुम लोग पूरे दिल से मेरे पास लौट आओ।” (योए. 2:12, 13) भविष्यवक्‍ता यशायाह के ज़रिए उसने कहा, “खुद को . . . शुद्ध करो, मेरे सामने से अपने दुष्ट काम दूर करो, बुराई करना बंद करो।” (यशा. 1:16-19) और यहेजकेल के ज़रिए यहोवा ने कहा, “तुम्हें क्या लगता है, क्या मुझे किसी दुष्ट के मरने से खुशी होती है? बिलकुल नहीं। मैं तो यही चाहता हूँ कि वह अपने बुरे रास्ते से पलटकर लौट आए और जीता रहे। . . . मुझे किसी के मरने से खुशी नहीं होती, इसलिए पलटकर लौट आओ और जीते रहो।” (यहे. 18:23, 32) जब लोग पश्‍चाताप करते हैं, तो यहोवा को बहुत खुशी होती है, क्योंकि वह चाहता है कि वे हमेशा तक जीएँ। वह इंतज़ार नहीं करता कि जब एक पापी इंसान खुद को बदलेगा, तब वह उसकी मदद करेगा। इस बात को समझने के लिए आइए कुछ उदाहरणों पर ध्यान दें।

जब यहोवा के सेवक उससे दूर चले जाते थे, तो वह अकसर भविष्यवक्‍ताओं के ज़रिए उन्हें पश्‍चाताप करने के लिए कहता था (पैराग्राफ 6-7)


7. भविष्यवक्‍ता होशे और उसकी पत्नी के किस्से से यहोवा ने अपने लोगों को क्या सिखाया?

7 ध्यान दीजिए कि यहोवा ने भविष्यवक्‍ता होशे और उसकी पत्नी गोमेर के किस्से से अपने लोगों को क्या सिखाया। गोमेर ने व्यभिचार किया और होशे को छोड़कर पराए आदमी के पास चली गयी। तब यहोवा ने क्या किया? क्या उसने यह सोचा कि अब गोमेर के लिए कोई उम्मीद नहीं बची है? यहोवा लोगों का दिल पढ़ सकता है। उसने होशे से कहा, “जा, उस औरत से फिर से प्यार कर, जिसे कोई और प्यार करता है और जो व्यभिचार करती है, ठीक जैसे यहोवा भी इसराएल के लोगों से प्यार करता है इसके बावजूद कि वे दूसरे देवताओं की तरफ मुड़ जाते हैं।” (होशे 3:1; नीति. 16:2) क्या आपने गौर किया, जब होशे की पत्नी बुरे कामों में लगी हुई थी, तभी यहोवा ने होशे से कहा कि वह उसके पास जाए, उसे माफ करे और उसके साथ सुलह कर ले। a उसी तरह यहोवा अपने उन लोगों को अपनाने के लिए तैयार था जो उससे दूर चले गए थे। वे बुरे-बुरे कामों में लगे हुए थे, फिर भी यहोवा ने उनसे प्यार करना नहीं छोड़ा। वह उनके पास अपने भविष्यवक्‍ताओं को भेजता रहा ताकि वे पश्‍चाताप करें और गलत काम करना छोड़ दें। इस उदाहरण से क्या पता चलता है? क्या “दिलों का जाँचनेवाला” परमेश्‍वर एक ऐसे व्यक्‍ति की भी मदद करता है जो पाप में लगा हुआ है और उसे पश्‍चाताप की तरफ ले जाने की कोशिश करता है? (नीति. 17:3) आइए जानें।

यहोवा किस तरह पाप करनेवालों को पश्‍चाताप की तरफ ले जाता है?

8. यहोवा ने कैन को पश्‍चाताप की तरफ ले जाने के लिए क्या किया? (उत्पत्ति 4:3-7) (तसवीर भी देखें।)

8 कैन आदम-हव्वा का पहला बेटा था। उसे अपने माँ-बाप से पाप विरासत में मिला था। बाइबल में यह भी लिखा है, “उसके खुद के काम [भी] दुष्ट थे।” (1 यूह. 3:12) शायद यही वजह थी कि यहोवा ने “कैन और उसके चढ़ावे को मंज़ूर नहीं किया।” तब उसे अपनी सोच और तौर-तरीके बदलने चाहिए थे। लेकिन ऐसा करने के बजाय वह “गुस्से से भर गया और उसका मुँह उतर गया।” तब यहोवा ने क्या किया? (उत्पत्ति 4:3-7 पढ़िए।) यहोवा ने बड़े प्यार से कैन को समझाया कि अगर वह भले काम करेगा, तो उसे भी आशीषें मिलेंगी। पर यहोवा ने उसे खबरदार भी किया कि अगर वह खुद पर ध्यान नहीं देगा, तो पाप कर बैठेगा। उसने कैन को पश्‍चाताप की तरफ ले जाने की कोशिश की। पर अफसोस, कैन ने यहोवा की एक ना सुनी! क्या इसके बाद यहोवा ने यह सोच लिया कि वह पाप करनेवाले किसी भी व्यक्‍ति को पश्‍चाताप की तरफ ले जाने की कोशिश नहीं करेगा? बिलकुल नहीं!

यहोवा ने बड़े प्यार से कैन से बात की और उसे पश्‍चाताप की तरफ ले जाने की कोशिश की ताकि वह पाप ना कर बैठे (पैराग्राफ 8)


9. दाविद को पश्‍चाताप की तरफ ले जाने के लिए यहोवा ने क्या किया?

9 यहोवा राजा दाविद से बहुत प्यार करता था। दाविद के बारे में उसने कहा, “वह एक ऐसा इंसान है जो मेरे दिल को भाता है।” (प्रेषि. 13:22) पर फिर दाविद ने बड़ी-बड़ी गलतियाँ कीं। उसने व्यभिचार किया और एक आदमी को मरवा डाला। मूसा के कानून के मुताबिक उसे मौत की सज़ा मिलनी थी। (लैव्य. 20:10; गिन. 35:31) लेकिन यहोवा उसे पश्‍चाताप की तरफ ले जाना चाहता था। b इसलिए उसने भविष्यवक्‍ता नातान को उसके पास भेजा। गौर करनेवाली बात है कि दाविद ने अब तक अपने पाप कबूल नहीं किए थे और पश्‍चाताप नहीं किया था। नातान ने दाविद को एक ऐसी मिसाल दी जो उसके दिल को छू गयी। उसे एहसास हुआ कि उसने यहोवा का बहुत दिल दुखाया है और उसने पश्‍चाताप किया। (2 शमू. 12:1-14) आगे चलकर उसने एक भजन लिखा जिससे पता चलता है कि उसे अपने किए पर कितना अफसोस था। (भज. 51, उपरिलेख) यह भजन पढ़कर पाप करनेवाले कई लोगों को दिलासा मिला है और उन्होंने भी पश्‍चाताप किया है। क्या यह जानकर हमें खुशी नहीं होती कि यहोवा इतने प्यार से दाविद को पश्‍चाताप की तरफ ले गया?

10. आपको यह जानकर कैसा लगता है कि यहोवा हमारे साथ सब्र रखता है और हमें माफ करने को तैयार रहता है?

10 यहोवा पाप से नफरत करता है। (भज. 5:4, 5) लेकिन वह हमसे बहुत प्यार करता है। इसलिए जब हमसे कोई पाप हो जाता है, तो वह हमारी मदद करना चाहता है। चाहे एक इंसान ने कितना ही बड़ा पाप क्यों ना किया हो, यहोवा उसे पश्‍चाताप की तरफ ले जाने की कोशिश करता है और चाहता है कि वह उसके करीब आए। यह जानकर हमें कितनी तसल्ली मिलती है! जब हम इस बारे में सोचते हैं कि यहोवा हमारे साथ कितना सब्र रखता है और हमें माफ करने को तैयार रहता है, तो हमारा मन करता है कि हम उसके वफादार रहें और गलती हो जाने पर जल्द-से-जल्द पश्‍चाताप करें। अब आइए देखें कि पहली सदी के मसीहियों को यीशु ने पश्‍चाताप करने के बारे में क्या सिखाया।

पश्‍चाताप करने के बारे में यीशु ने अपने चेलों को क्या सिखाया?

11-12. यहोवा माफ करने को तैयार रहता है, यह समझाने के लिए यीशु ने क्या किया? ( तसवीर देखें।)

11 जैसे हमने पिछले लेख में देखा, पहली सदी में यहोवा ने यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले के ज़रिए और फिर यीशु मसीह के ज़रिए लोगों को बताया कि पश्‍चाताप करना बहुत ज़रूरी है।—मत्ती 3:1, 2; 4:17.

12 धरती पर रहते वक्‍त यीशु ने कई बार लोगों को बताया कि उसका पिता माफ करने को तैयार रहता है। यह बात समझाने के लिए यीशु ने खोए हुए बेटे की मिसाल बतायी। वह बेटा अपने पिता का घर छोड़कर चला जाता है और बुरे-बुरे काम करता है। लेकिन फिर “उसकी अक्ल ठिकाने” आती है और वह घर लौट आता है। तब उसका पिता क्या करता है? यीशु ने बताया कि जब बेटा “काफी दूर ही था,” तो “पिता की नज़र उस पर पड़ी और वह तड़प उठा। वह दौड़ा-दौड़ा गया और बेटे को गले लगा लिया और बहुत प्यार से उसे चूमने लगा।” बेटे ने सोचा नहीं था कि उसका पिता उसे माफ कर देगा। वह तो कहनेवाला था कि वह एक मज़दूर की तरह उसे अपने यहाँ रख ले। लेकिन पिता ने उसे अपना “बेटा” कहा और उसे अपना लिया। उसने कहा, “यह खो गया था और अब मिल गया है।” (लूका 15:11-32) धरती पर आने से पहले जब यीशु स्वर्ग में था, तो उसने कई बार देखा होगा कि यहोवा लोगों से कितना प्यार करता है और जो पश्‍चाताप करते हैं, उन्हें माफ कर देता है। इस कहानी से यीशु ने लाजवाब तरीके से समझाया कि हमारा पिता बहुत दयालु है और हमसे बहुत प्यार करता है!

खोया हुआ बेटा घर लौट आया है और उसका पिता उसे गले लगाने के लिए दौड़कर उसकी तरफ जा रहा है (पैराग्राफ 11-12)


13-14. पतरस ने पश्‍चाताप करने के बारे में यीशु से क्या सीखा और उसने दूसरों को इस बारे में क्या सिखाया? (तसवीर भी देखें।)

13 यीशु ने पतरस को भी सिखाया कि उसका पिता पश्‍चाताप करनेवालों को माफ कर देता है। पतरस से कई बार गलतियाँ हुईं, पर यीशु ने उसे दिल खोलकर माफ कर दिया। याद कीजिए कि यीशु को जानने से तीन बार इनकार करने के बाद क्या हुआ। पतरस को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह फूट-फूटकर रोने लगा। (मत्ती 26:34, 35, 69-75) लेकिन ज़िंदा होने के बाद यीशु पतरस से मिला, शायद अकेले में। (लूका 24:33, 34; 1 कुरिं. 15:3-5) यीशु जानता था कि उसे अपने किए पर अफसोस है, इसलिए उसने उसे माफ कर दिया और उसे यकीन दिलाया कि वह अब भी उससे प्यार करता है।

14 पश्‍चाताप करने पर और माफी मिलने पर कैसा लगता है, यह बात पतरस अच्छी तरह समझता था। इसलिए वह अपने अनुभव से दूसरों को भी इस बारे में सिखा सकता था। पिन्तेकुस्त के त्योहार के कुछ समय बाद पतरस ने यहूदियों के सामने एक भाषण दिया। उसने कहा कि उन लोगों ने मसीहा को मार डाला है। लेकिन फिर उसने उनसे गुज़ारिश की, “पश्‍चाताप करो और पलटकर लौट आओ ताकि तुम्हारे पाप मिटाए जाएँ और यहोवा की तरफ से तुम्हारे लिए ताज़गी के दिन आएँ।” (प्रेषि. 3:14, 15, 17, 19) पतरस ने बताया कि अपने पापों का पश्‍चाताप करके एक व्यक्‍ति पलटकर यहोवा के पास लौट आता है। इसका मतलब, वह अपनी सोच बदलता है, बुरे काम करना छोड़ देता है और एक ऐसी ज़िंदगी जीने लगता है जिससे परमेश्‍वर खुश हो। पतरस ने यह भी बताया कि जब यहोवा किसी के पाप माफ करता है, तो वह उन्हें पूरी तरह मिटा देता है, मानो वे पाप कभी हुए ही नहीं। इस भाषण के कई सालों बाद पतरस ने मसीहियों से कहा, “यहोवा . . . तुम्हारे साथ सब्र से पेश आ रहा है, क्योंकि वह नहीं चाहता कि कोई भी नाश हो बल्कि यह कि सबको पश्‍चाताप करने का मौका मिले।” (2 पत. 3:9) यह जानकर कितना दिलासा मिलता है कि कोई गलती करने पर या कोई बड़ा पाप करने पर भी यहोवा हमें माफ करने को तैयार रहता है।

जब प्रेषित पतरस ने पश्‍चाताप किया, तो यीशु ने उसे यकीन दिलाया कि उसने उसे माफ कर दिया है (पैराग्राफ 13-14)


15-16. (क) पौलुस ने पश्‍चाताप करने और माफ करने के बारे में कैसे सीखा? (1 तीमुथियुस 1:12-15) (ख) अगले लेख में हम क्या जानेंगे?

15 तरसुस के रहनेवाले शाऊल ने कई गलतियाँ की थीं। उसे पश्‍चाताप करने और माफी पाने की बहुत ज़रूरत थी। वह बहुत बेरहम था और यीशु के चेलों को बुरी तरह सताता था। (प्रेषि. 7:58–8:3) उस वक्‍त के मसीहियों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक ऐसा व्यक्‍ति बदल सकता है, पश्‍चाताप कर सकता है। लेकिन यीशु और उसके पिता की सोच हम इंसानों से बहुत अलग है। उन्होंने शाऊल की खूबियों पर ध्यान दिया, इसलिए यीशु ने कहा, “मैंने उसे चुना है ताकि वह . . . मेरे नाम की गवाही दे।” (प्रेषि. 9:15) यही नहीं, शाऊल को पश्‍चाताप की तरफ ले जाने के लिए यीशु ने एक चमत्कार भी किया। (प्रेषि. 9:1-9, 17-20) इसके बाद शाऊल ने पश्‍चाताप किया और एक मसीही बन गया। बाद में उसे प्रेषित पौलुस के नाम से जाना गया और उसने कई बार बताया कि वह यहोवा और यीशु का बहुत एहसान मानता है कि उन्होंने उस पर दया की और उसे माफ किया। (1 तीमुथियुस 1:12-15 पढ़िए।) उसने दूसरे मसीहियों को भी सिखाया कि ‘परमेश्‍वर तुम पर कृपा करके तुम्हें पश्‍चाताप की तरफ ले जाने की कोशिश कर रहा है।’—रोमि. 2:4.

16 एक बार पौलुस को पता चला कि कुरिंथ की मंडली का एक आदमी बदचलन ज़िंदगी जी रहा है। ऐसे में पौलुस ने क्या किया? उसने उन्हें एक चिट्ठी लिखी। उसकी चिट्ठी से हम जान सकते हैं कि यहोवा लोगों से प्यार करता है, इसलिए उन्हें सुधारता है और जब वे पश्‍चाताप करते हैं, तो वह उन पर दया करता है। पौलुस की चिट्ठी से हम यह भी सीख सकते हैं कि हम यहोवा की तरह कैसे बन सकते हैं। अगले लेख में हम इस बारे में और जानेंगे।

गीत 33 अपना बोझ यहोवा पर डाल दे!

a यह किस्सा बहुत अलग था। आज अगर एक पति या पत्नी में से कोई व्यभिचार करता है, तो यहोवा बेगुनाह साथी से यह माँग नहीं करता कि वह हर हाल में शादी के बंधन में बँधा रहे। उसने अपने बेटे यीशु के ज़रिए यह इंतज़ाम किया कि अगर बेगुनाह साथी चाहे, तो तलाक दे सकता है।—मत्ती 5:32; 19:9.

b 15 नवंबर, 2012 की प्रहरीदुर्ग में दिया लेख “यहोवा से मिलनेवाली माफी आपके लिए क्या मायने रखती है?” पेज 21-23, पैरा. 3-10 पढ़ें।