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अध्ययन लेख 31

गीत 12 यहोवा, महान परमेश्‍वर

यहोवा ने हमें पाप और मौत से छुड़ाने के लिए क्या किया है?

यहोवा ने हमें पाप और मौत से छुड़ाने के लिए क्या किया है?

“परमेश्‍वर ने दुनिया से इतना प्यार किया कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया।”यूह. 3:16.

क्या सीखेंगे?

हम जानेंगे कि यहोवा ने कैसे पाप से लड़ने में खुद आगे बढ़कर हमारी मदद की है। हम यह भी जानेंगे कि उसने किस तरह हमारे लिए पाप से छुटकारा पाने और हमेशा तक जीने का रास्ता खोला है।

1-2. (क) पाप क्या है और हम इसे कैसे हरा सकते हैं? (“इसका क्या मतलब है?” भी देखें।) (ख) हम इस लेख में और इस अंक के दूसरे लेखों में क्या जानेंगे? (इस अंक में दिया छोटा लेख “आपके लिए एक संदेश” भी देखें।)

 क्या आप जानना चाहते हैं कि यहोवा आपसे कितना प्यार करता है? अगर हाँ, तो यह पता करना ज़रूरी है कि उसने हमें पाप और मौत की गुलामी से छुड़ाने के लिए क्या किया है। पाप a एक खतरनाक दुश्‍मन है जिसे हम अपनी ताकत से नहीं हरा सकते। हम सब हर दिन पाप करते हैं और पाप की वजह से हम एक दिन मर जाते हैं। (रोमि. 5:12) पर खुशी की बात है कि यहोवा की मदद से हम पाप को हरा सकते हैं। उसने वादा किया है कि वह हमें पाप और मौत से ज़रूर छुड़ाएगा!

2 यहोवा करीब 6,000 सालों से पाप से लड़ने में हम इंसानों की मदद कर रहा है। क्यों? क्योंकि वह हमसे प्यार करता है। असल में जब से उसने हमें बनाया है, तब से वह हमसे प्यार करता आया है। उसने हमारे लिए बहुत कुछ किया है ताकि हम अपनी लड़ाई जीत सकें। परमेश्‍वर जानता है कि पाप की वजह से हम मरते हैं और वह नहीं चाहता कि हम मरें, बल्कि वह चाहता है कि हम हमेशा तक जीएँ। (रोमि. 6:23) इस लेख में हम इसी बारे में तीन सवालों पर चर्चा करेंगे: (1) यहोवा ने पापी इंसानों के लिए क्या आशा दी? (2) पुराने ज़माने में लोगों ने परमेश्‍वर की मंज़ूरी पाने के लिए क्या किया? और (3) यीशु ने इंसानों को पाप और मौत से छुड़ाने के लिए क्या किया? आइए एक-एक करके इनके जवाब जानें।

यहोवा ने पापी इंसानों के लिए क्या आशा दी?

3. आदम और हव्वा पापी कैसे बन गए?

3 जब यहोवा ने पहले आदमी और औरत को बनाया, तो वह चाहता था कि वे खुश रहें। उसने उन्हें एक खूबसूरत घर दिया, उनकी शादी करवायी और उन्हें एक बढ़िया काम भी दिया। यहोवा ने उनसे कहा कि वे पूरी धरती को अदन के बाग जैसा खूबसूरत बना दें और उसे अपने बच्चों से भर दें। पर उसने उन पर एक छोटी-सी बंदिश भी लगायी। उसने उन्हें बताया कि अगर वे जानबूझकर उसके खिलाफ जाएँगे और उसकी आज्ञा तोड़ेंगे, तो इस पाप की वजह से वे मर जाएँगे। और हम जानते हैं कि इसके बाद क्या हुआ। एक दुष्ट स्वर्गदूत ने सबकुछ बिगाड़ दिया। उसे ना तो यहोवा से प्यार था, ना ही इंसानों से। उसने आदम-हव्वा को बहकाया और वे उसकी बातों में आ गए। उन्होंने यहोवा की आज्ञा तोड़ दी और इस तरह पापी बन गए। अपने प्यारे पिता पर भरोसा ना करके उन्होंने कितनी बड़ी भूल की! फिर जैसा परमेश्‍वर ने कहा था वैसा ही हुआ। उन्हें परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ने का अंजाम भुगतना पड़ा: वे बूढ़े हुए और फिर एक दिन मर गए।—उत्प. 1:28, 29; 2:8, 9, 16-18; 3:1-6, 17-19, 24; 5:5.

4. यहोवा क्यों पाप से नफरत करता है और इससे लड़ने में हमारी मदद करता है? (रोमियों 8:20, 21)

4 यहोवा ने ये सारी बातें हमारे लिए बाइबल में दर्ज़ करवायीं। इससे हम समझ पाते हैं कि यहोवा पाप से क्यों इतनी नफरत करता है। क्योंकि पाप हमें अपने प्यारे पिता से दूर कर देता है और इसकी वजह से हम एक दिन मर जाते हैं। (यशा. 59:2) लेकिन शैतान जो सारी मुसीबतों की जड़ है, पाप से प्यार करता है और हमें भी पाप करने के लिए लुभाता है। आदम-हव्वा के पाप करने के बाद शैतान को लगा होगा कि उसने यहोवा का मकसद नाकाम कर दिया है। लेकिन वह यह नहीं जानता था कि यहोवा इंसानों से कितना प्यार करता है। यहोवा ने आदम-हव्वा के बच्चों के लिए अपना मकसद नहीं बदला। उनके पाप करने के तुरंत बाद उसने सभी इंसानों के लिए एक आशा दी। (रोमियों 8:20, 21 पढ़िए।) वह जानता था कि उनके कुछ बच्चे उससे प्यार करेंगे और पाप से लड़ने में उन्हें मदद की ज़रूरत होगी। इसलिए एक पिता और सृष्टिकर्ता होने के नाते उसने उन्हें पाप और मौत की गुलामी से आज़ाद करने और अपने करीब लाने के लिए एक रास्ता खोला। उसने क्या किया?

5. आदम-हव्वा के पाप करने के तुरंत बाद यहोवा ने क्या आशा दी? (उत्पत्ति 3:15)

5 उत्पत्ति 3:15 पढ़िए। इस भविष्यवाणी के ज़रिए यहोवा ने बताया कि शैतान का क्या होगा और इस तरह इंसानों के लिए आशा दी। उसने कहा कि एक “वंश” आएगा जो आखिर में शैतान का सिर कुचल डालेगा और शैतान की वजह से आयी सारी तकलीफों को खत्म कर देगा। (1 यूह. 3:8) पर उसने यह भी बताया कि इससे पहले शैतान उस वंश को घायल करेगा यानी उसे मरवा डालेगा। इससे यहोवा को बहुत दुख होता। पर वह यह दुख सहने के लिए तैयार था, क्योंकि इससे इंसानों को पाप और मौत की गुलामी से आज़ादी मिलती।

पुराने ज़माने में लोगों ने परमेश्‍वर की मंज़ूरी पाने के लिए क्या किया?

6. यहोवा के करीब आने के लिए हाबिल और नूह जैसे वफादार इंसानों ने क्या किया?

6 सदियों के दौरान यहोवा ने धीरे-धीरे यह और भी साफ तरीके से बताया कि पापी इंसान उसके करीब आने के लिए क्या कर सकते हैं। आदम-हव्वा का दूसरा बेटा हाबिल, वह पहला इंसान था जिसने यहोवा पर भरोसा किया। हाबिल यहोवा से प्यार करता था। वह उसे हर हाल में खुश करना चाहता था और उसके करीब आना चाहता था, इसलिए उसने यहोवा के लिए एक बलिदान चढ़ाया। वह एक चरवाहा था, इसलिए उसने कुछ मेम्ने लिए और उन्हें यहोवा को अर्पित किया। यह देखकर यहोवा ने क्या किया? उसने ‘हाबिल और उसके बलिदान को मंज़ूर किया।’ (उत्प. 4:4) यहोवा ने ऐसे और भी लोगों के बलिदान स्वीकार किए जो उससे प्यार करते थे और उस पर भरोसा रखते थे, जैसे नूह के बलिदान। (उत्प. 8:20, 21) ये सारे बलिदान स्वीकार करके यहोवा ने दिखाया कि पापी इंसान उसकी मंज़ूरी पा सकते हैं और उसके करीब आ सकते हैं। b

7. अब्राहम अपने बेटे की बलि चढ़ाने के लिए तैयार था, इससे हम क्या सीखते हैं?

7 अब्राहम यहोवा पर बहुत विश्‍वास करता था। एक बार यहोवा ने उसे एक बहुत मुश्‍किल काम दिया। उसने उससे कहा कि वह अपने बेटे इसहाक का बलिदान चढ़ाए। ज़रा सोचिए, यह सुनकर अब्राहम पर क्या गुज़री होगी। अपने जिगर के टुकड़े का बलिदान करना उसके लिए कितना मुश्‍किल रहा होगा! लेकिन वह ऐसा करने के लिए तैयार था। फिर जब वह अपने बेटे की बलि चढ़ाने ही वाला था, तो यहोवा ने ऐन वक्‍त पर उसे रोक दिया। इस किस्से से यहोवा ने क्या सिखाया? यही कि वह भी अपने प्यारे बेटे का बलिदान करने के लिए तैयार था। क्या आप देख सकते हैं कि यहोवा हम इंसानों से कितना प्यार करता है?—उत्प. 22:1-18.

8. मूसा के कानून के मुताबिक जो बलिदान चढ़ाए जाते थे, वे किस बात की निशानी थे? (लैव्यव्यवस्था 4:27-29; 17:11)

8 सदियों बाद यहोवा ने इसराएल राष्ट्र को कानून दिया। उसने अपने लोगों को बताया कि अपने पापों की माफी के लिए उन्हें जानवरों के बलिदान चढ़ाने हैं। (लैव्यव्यवस्था 4:27-29; 17:11) ये बलिदान इस बात की निशानी थे कि यहोवा इंसानों को पाप से छुड़ाने के लिए आगे चलकर और भी बड़ा बलिदान देनेवाला है। फिर उसने भविष्यवक्‍ताओं के ज़रिए समझाया कि वादा किया गया वंश बहुत तकलीफें झेलेगा और उसे मार डाला जाएगा, ठीक जैसे एक भेड़ को बलि किया जाता है। यह वंश कोई और नहीं, यहोवा का एक खास बेटा था। (यशा. 53:1-12) ज़रा सोचिए, इंसानों को पाप और मौत से छुड़ाने के लिए यहोवा ने कितना बढ़िया इंतज़ाम किया। वह आपकी खातिर अपना प्यारा बेटा कुरबान करने को तैयार था।

यीशु ने इंसानों को पाप से छुड़ाने के लिए क्या किया?

9. यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु के बारे में क्या कहा? (इब्रानियों 9:22; 10:1-4, 12)

9 पहली सदी में यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने नासरत के रहनेवाले यीशु के बारे में कहा, “देखो, परमेश्‍वर का मेम्ना जो दुनिया का पाप दूर ले जाता है!” (यूह. 1:29) यूहन्‍ना के इन शब्दों से यह साफ हो गया कि यीशु ही वह वंश था जिसके बारे में सदियों पहले वादा किया गया था। आखिरकार वह वंश आ गया था जो इंसानों की खातिर अपनी जान देकर उन्हें पाप से पूरी तरह छुटकारा दिलाता। इस तरह यहोवा ने जो आशा दी थी, वह और पक्की हो गयी।—इब्रानियों 9:22; 10:1-4, 12 पढ़िए।

10. यीशु ने कैसे दिखाया कि वह “पापियों को बुलाने आया” है?

10 यीशु ने उन लोगों पर खास ध्यान दिया जो पाप के बोझ से दबे हुए थे और उन्हें अपना चेला बनने के लिए बुलाया। वह जानता था कि पापी होने की वजह से इंसानों पर दुख आते हैं। इसलिए उसने खासकर उन लोगों की मदद की जो अपने पापों की वजह से दुखी थे। उसने एक उदाहरण देकर समझाया, “जो भले-चंगे हैं उन्हें वैद्य की ज़रूरत नहीं होती, मगर बीमारों को होती है।” फिर उसने कहा, “मैं धर्मियों को नहीं, पापियों को बुलाने आया हूँ।” (मत्ती 9:12, 13) यीशु ने जैसा कहा वैसा किया भी। जब एक पापी औरत उसके पास आयी और उसने रो-रोकर अपने आँसुओं से उसके पैर भिगो दिए, तो यीशु ने बहुत प्यार से उससे बात की और उसके पाप माफ कर दिए। (लूका 7:37-50) यही नहीं, उसने सामरी औरत को भी कुछ अहम सच्चाइयाँ बतायीं, जबकि वह जानता था कि वह एक बदचलन औरत है। (यूह. 4:7, 17-19, 25, 26) और तो और, यहोवा ने यीशु को इतनी शक्‍ति दी थी कि वह पाप के सभी अंजामों को मिटा सकता था, मौत को भी। इसलिए यीशु ने लोगों को ज़िंदा किया, आदमी-औरत, छोटे-बड़े हर तरह के लोगों को।—मत्ती 11:5.

11. जिन लोगों ने पाप किए थे, वे क्यों यीशु की तरफ खिंचे चले आते थे?

11 यीशु लोगों का दर्द समझता था और उन पर दया करता था, इसलिए जो लोग बुरे-बुरे काम करते थे वे भी उसकी तरफ खिंचे चले आते थे। वे उससे बात करने से बिलकुल नहीं हिचकिचाते थे। (लूका 15:1, 2) और जब लोग यीशु पर विश्‍वास करते थे, तो वह उनकी तारीफ करता था और उनके साथ प्यार से पेश आता था। (लूका 19:1-10) वह बिलकुल अपने पिता की तरह लोगों पर दया करता था। (यूह. 14:9) उसने अपनी बातों और कामों से साफ दिखाया कि उसका दयालु पिता लोगों से प्यार करता है और पाप से लड़ने में उनकी मदद करना चाहता है। यीशु से मिलकर लोगों का मन करता था कि वे खुद को बदलें और उसके पीछे हो लें।—लूका 5:27, 28.

12. अपनी मौत के बारे में यीशु ने अपने चेलों को क्या बताया था?

12 यीशु जानता था कि उसके साथ आगे क्या होनेवाला है। उसने कई बार चेलों को बताया कि उसे धोखे से पकड़वाया जाएगा और काठ पर मार डाला जाएगा। (मत्ती 17:22; 20:18, 19) वह जानता था कि उसके बलिदान से दुनिया का पाप दूर हो जाएगा, जैसा यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने और दूसरे भविष्यवक्‍ताओं ने बताया था। उसने चेलों से यह भी कहा था कि अपनी कुरबानी देने के बाद वह ‘सब किस्म के लोगों को अपनी ओर खींचेगा।’ (यूह. 12:32) तब पापी इंसान उसे अपना प्रभु मानकर और उसके नक्शे-कदम पर चलकर यहोवा को खुश कर सकेंगे। यही नहीं, वे “पाप से” पूरी तरह “आज़ाद” हो पाएँगे। (रोमि. 6:14, 18, 22; यूह. 8:32) यीशु यह सब जानता था, इसलिए वह खुशी-खुशी और हिम्मत के साथ एक दर्दनाक मौत सहने को तैयार था।—यूह. 10:17, 18.

13. (क) यीशु के साथ क्या-क्या हुआ? (ख) यहोवा ने यीशु को मरने दिया इससे हम उसके बारे में क्या सीखते हैं? (तसवीर भी देखें।)

13 यीशु को धोखा दिया गया, गिरफ्तार किया गया, उसकी बेइज़्ज़ती की गयी, उस पर झूठे इलज़ाम लगाए गए और बहुत तड़पाया गया। आखिर में उसे काठ पर ठोंककर मार डाला गया। इस सबके दौरान यीशु वफादार बना रहा और उसने यह सारा दर्द बरदाश्‍त कर लिया। लेकिन यीशु से भी ज़्यादा दर्द किसी और को हुआ। अपने प्यारे बेटे को तड़पता देखकर यहोवा का दिल छलनी हो गया। पर सवाल है कि उसने अपने बेटे को बचाया क्यों नहीं? उसके पास तो बेहिसाब ताकत है, फिर उसने कुछ किया क्यों नहीं? वह इसलिए कि यहोवा हम इंसानों से बहुत प्यार करता है। यीशु ने कहा था, “परमेश्‍वर ने दुनिया से इतना प्यार किया कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे, वह नाश न किया जाए बल्कि हमेशा की ज़िंदगी पाए।”—यूह. 3:16.

हमें पाप और मौत से छुड़ाने के लिए यहोवा ने अपने बेटे की कुरबानी दी; हम अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते कि यहोवा ने कितना दर्द सहा है (पैराग्राफ 13)


14. यीशु ने जो बलिदान दिया, उससे आपको क्या पता चलता है?

14 यीशु का बलिदान इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि यहोवा आदम और हव्वा के बच्चों से बहुत प्यार करता है। यह इस बात का भी सबूत है कि वह आपसे भी बहुत प्यार करता है। ज़रा सोचिए, आपको पाप और मौत से छुड़ाने के लिए उसने कितनी बड़ी कुरबानी दी है और कितना दर्द सहा है! हम इस बात का अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। (1 यूह. 4:9, 10) वह हममें से हरेक की मदद करना चाहता है कि हम पाप से लड़ सकें और इस पर जीत हासिल कर सकें।

15. यीशु के फिरौती बलिदान से फायदा पाने के लिए हमें क्या करना होगा?

15 फिरौती बलिदान यहोवा की तरफ से मिला सबसे बढ़िया तोहफा है। इस बलिदान की वजह से हमें अपने पापों की माफी मिल सकती है। लेकिन यहोवा से माफी पाने के लिए हमें भी कुछ करना होगा। इस बारे में यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने और यीशु मसीह ने कहा था, “पश्‍चाताप करो क्योंकि स्वर्ग का राज पास आ गया है।” (मत्ती 3:1, 2; 4:17) पश्‍चाताप करने से हम पाप से लड़ सकते हैं और अपने प्यारे पिता के करीब आ सकते हैं। लेकिन पश्‍चाताप करने का क्या मतलब है? और पश्‍चाताप करने से हम पाप से कैसे लड़ सकते हैं? इस बारे में अगले लेख में बताया जाएगा।

गीत 18 फिरौती के लिए एहसानमंद

a इसका क्या मतलब है? जब एक इंसान कोई गलत काम करता है या यहोवा के स्तरों के मुताबिक नहीं जीता, तो बाइबल में उसे “पाप” कहा गया है। बाइबल में हमारी अपरिपूर्ण या पापी हालत को भी “पाप” कहा गया है जो हमें आदम से विरासत में मिली है और इसी वजह से हम एक दिन मर जाते हैं।

b यीशु के धरती पर आने से पहले भी यहोवा ने अपने वफादार सेवकों के बलिदान कबूल किए, क्योंकि वह जानता था कि आगे चलकर यीशु सभी इंसानों के लिए अपना जीवन कुरबान करेगा और उन्हें पाप और मौत से पूरी तरह छुड़ाएगा।—रोमि. 3:25.