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अध्ययन लेख 16

“तेरा भाई ज़िंदा हो जाएगा”!

“तेरा भाई ज़िंदा हो जाएगा”!

‘यीशु ने मारथा से कहा, “तेरा भाई ज़िंदा हो जाएगा।”’​—यूह. 11:23.

गीत 151 वह उन्हें पुकारेगा

एक झलक a

1. एक लड़के ने ऐसा क्या कहा जिससे यहोवा के वादे पर उसका यकीन ज़ाहिर हुआ?

 मैथ्यू नाम का एक लड़का बहुत बीमार है। उसके कई बड़े-बड़े ऑपरेशन हुए हैं। जब वह सात साल का था, तो एक बार अपने परिवार के साथ JW ब्रॉडकास्टिंग देख रहा था। कार्यक्रम के आखिर में गाने के वीडियो में दिखाया गया था कि नयी दुनिया में जब मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा, तो उनके अपने कैसे उनका स्वागत करेंगे। b कार्यक्रम देखने के बाद मैथ्यू अपने मम्मी-पापा के पास गया और उनका हाथ पकड़कर कहा, “मम्मी-पापा देखा आपने, अगर मैं मर भी गया, तो यहोवा मुझे ज़िंदा कर देगा। आप चिंता मत करना, मेरा इंतज़ार करना। सबकुछ ठीक हो जाएगा।” सोचिए, जब उसके मम्मी-पापा ने यह सुना होगा कि उनके बेटे को परमेश्‍वर के वादे पर कितना यकीन है, तो उन्हें कैसा लगा होगा!

2-3. परमेश्‍वर ने मरे हुओं को ज़िंदा करने का जो वादा किया है, उस बारे में हमें क्यों सोचना चाहिए?

2 यहोवा ने मरे हुओं को ज़िंदा करने का जो वादा किया है, हम सबको उस बारे में सोचना चाहिए। (यूह. 5:28, 29) वह इसलिए कि हालात कभी-भी बदल सकते हैं। हो सकता है, हमें कोई जानलेवा बीमारी हो जाए या अचानक हमारे किसी अपने की मौत हो जाए। (सभो. 9:11; याकू. 4:13, 14) ऐसे में इस आशा की वजह से हम खुद को सँभाल पाएँगे। (1 थिस्स. 4:13) बाइबल पढ़कर हमें यकीन हो जाता है कि यहोवा हमें अच्छी तरह जानता है और हमसे बहुत प्यार करता है। (लूका 12:7) सोचिए यहोवा इंसानों को कितनी अच्छी तरह जानता होगा, तभी तो जब वह लोगों को ज़िंदा करेगा, तो उनका स्वभाव बिलकुल वैसा ही होगा जैसा पहले था और उन्हें बीती बातें भी याद होंगी। वह हमसे कितना प्यार करता है, इसी वजह से उसने हमें हमेशा जीने का मौका दिया है और अगर हमारी मौत भी हो जाए, तो वह हमें ज़िंदा कर देगा!

3 इस लेख में सबसे पहले हम चर्चा करेंगे कि हम क्यों यकीन कर सकते हैं कि यहोवा उन्हें ज़िंदा करेगा जिनकी मौत हो गयी है। फिर हम बाइबल के एक किस्से पर गौर करेंगे जिससे हमारा विश्‍वास बढ़ेगा। इस लेख का मुख्य वचन भी उसी किस्से से लिया गया है: “तेरा भाई ज़िंदा हो जाएगा।” (यूह. 11:23) आखिर में हम चर्चा करेंगे कि हम अपना यह विश्‍वास कैसे बढ़ा सकते हैं कि यहोवा का वादा सच में पूरा होगा।

हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा अपना वादा पूरा करेगा?

4. किसी के वादे पर भरोसा करने के लिए हमें किस बात का यकीन होना चाहिए? एक उदाहरण दीजिए।

4 हम किसी के वादे पर तभी भरोसा कर सकते हैं जब हमें यकीन हो कि वह उसे पूरा करना चाहता है  और उसमें ऐसा करने की ताकत  या काबिलीयत भी है। एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। सोचिए, एक बहुत बड़ा तूफान आया है जिससे आपका घर तहस-नहस हो गया है। मगर फिर आपका दोस्त आपसे वादा करता है, ‘यह घर दोबारा बनाने में मैं तुम्हारी मदद करूँगा।’ वह एक अच्छा इंसान है और आपको विश्‍वास है कि वह सच में आपकी मदद करना चाहता है। अगर उसे घर बनाना आता है और उसके पास इस काम के लिए औज़ार भी हैं, तो इसका मतलब उसमें ऐसा करने की काबिलीयत भी है। इसलिए आपको उसके वादे पर पूरा भरोसा होगा। परमेश्‍वर ने मरे हुओं को ज़िंदा करने का जो वादा किया है, उस बारे में हम क्या कह सकते हैं? क्या वह सच में ऐसा करना चाहता है? क्या उसमें ऐसा करने की ताकत है?

5-6. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा मौत की नींद सो रहे लोगों को ज़िंदा करना चाहता है?

5 जिनकी मौत हो गयी है, क्या यहोवा उन्हें ज़िंदा करना चाहता है?  बिलकुल। उसने बाइबल के कई लेखकों से यह बात लिखवायी कि वह आगे चलकर मरे हुओं को ज़िंदा करेगा। (यशा. 26:19; होशे 13:14; प्रका. 20:11-13) और जब यहोवा कोई वादा करता है, तो उसे हर हाल में पूरा करता है। (यहो. 23:14) वह तो लोगों को ज़िंदा करने के लिए बेताब है। हम यह क्यों कह सकते हैं?

6 ध्यान दीजिए कि अय्यूब ने क्या कहा था। उसे पूरा यकीन था कि अगर उसकी मौत भी हो जाए, तो यहोवा उसे दोबारा देखने के लिए तरसेगा। यहोवा तो अपने उन सभी सेवकों को दोबारा देखने के लिए तरस रहा है जो अब नहीं रहे। (अय्यू. 14:14, 15) वह बेसब्री से उस वक्‍त का इंतज़ार कर रहा है जब वह उन्हें ज़िंदा करेगा। तब वे पूरी तरह सेहतमंद होंगे और खुशी से जीएँगे। लेकिन क्या यहोवा उन अरबों लोगों को भी ज़िंदा करेगा जो जीते-जी उसे अच्छी तरह जान नहीं पाए? बिलकुल! यहोवा उनसे भी प्यार करता है और उन्हें ज़िंदा करना चाहता है। (प्रेषि. 24:15) वह चाहता है कि वे भी उसके दोस्त बनें और धरती पर हमेशा जीएँ। (यूह. 3:16) इससे पता चलता है कि यहोवा सच में मौत की नींद सो रहे लोगों को ज़िंदा करना चाहता है।

7-8. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा में मरे हुओं को ज़िंदा करने की ताकत  है?

7 जिनकी मौत हो गयी है, क्या उन्हें ज़िंदा करने की परमेश्‍वर में ताकत  भी है? बिलकुल! वह तो “सर्वशक्‍तिमान” है। (प्रका. 1:8) इसका मतलब, उसमें इतनी ताकत है कि वह अपने किसी भी दुश्‍मन को हरा सकता है, मौत को भी। (1 कुरिं. 15:26) यह जानकर हमें कितनी हिम्मत और तसल्ली मिलती है। ज़रा बहन एमा आर्नल्ड के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान उन्होंने और उनके परिवार ने कई मुश्‍किलें झेलीं और नाज़ी यातना शिविर में उनके कई अज़ीज़ों की मौत हो गयी। एक बार अपनी बेटी को तसल्ली देते हुए उन्होंने कहा, “अगर मौत इंसान को हमेशा के लिए अपने शिकंजे में जकड़ ले, तब तो वह परमेश्‍वर से भी ताकतवर ठहरेगी। मगर क्या ऐसा हो सकता है?” यहोवा से ताकतवर और कोई नहीं! ज़रा सोचिए, जो परमेश्‍वर लोगों को जीवन दे सकता है,  क्या वह उन्हें दोबारा ज़िंदा  नहीं कर सकता?

8 हम और क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा लोगों को ज़िंदा करेगा? उसकी याददाश्‍त बेमिसाल है। वह हरेक तारे को नाम से बुलाता है। (यशा. 40:26) वह उन लोगों को भी याद रखता है जो अब नहीं रहे। (अय्यू. 14:13; लूका 20:37, 38) वह जिन्हें ज़िंदा करेगा, उनके बारे में हर छोटी-से-छोटी बात याद रख सकता है: वह कैसे दिखते थे, उनका स्वभाव कैसा था, उनकी ज़िंदगी में क्या-क्या हुआ, उनकी यादें, सबकुछ।

9. आपको क्यों यकीन है कि यहोवा उन्हें ज़िंदा करेगा जिनकी मौत हो गयी है?

9 जैसे हमने देखा, हम यहोवा के इस वादे पर पूरा भरोसा रख सकते हैं कि वह मरे हुओं को ज़िंदा करेगा। वह इसलिए कि वह उन्हें ज़िंदा करना चाहता है और उसमें ऐसा करने की ताकत भी है। हम एक और वजह से उसके वादे पर भरोसा कर सकते हैं। वह यह कि यहोवा ने पहले भी लोगों को ज़िंदा किया है। बीते ज़माने में उसने अपने कुछ सेवकों को मरे हुओं को ज़िंदा करने की ताकत दी। उसने यीशु को भी यह ताकत दी। अब आइए एक ऐसे किस्से पर ध्यान दें जिसमें यीशु ने एक व्यक्‍ति को ज़िंदा किया था। यह किस्सा यूहन्‍ना अध्याय 11 में दर्ज़ है।

यीशु के दोस्त की मौत

10. जब यीशु यरदन के उस पार प्रचार कर रहा था, तो क्या होता है और वह क्या करता है? (यूहन्‍ना 11:1-3)

10 यूहन्‍ना 11:1-3 पढ़िए। ज़रा कल्पना कीजिए: ईसवी सन्‌ 32 के आखिर का समय है। यीशु के बहुत अच्छे दोस्त लाज़र और उसकी बहनें मरियम और मारथा बैतनियाह गाँव में रहते हैं। (लूका 10:38-42) लाज़र बीमार हो गया है और उसकी बहनों को चिंता होने लगी है। वे यीशु को इसकी खबर भेजती हैं। इस वक्‍त यीशु यरदन के उस पार जहाँ है, बैतनियाह से वहाँ तक पैदल जाने में लगभग दो दिन लगते हैं। (यूह. 10:40) अफसोस, जब तक यीशु के पास खबर पहुँचती है, लाज़र की मौत हो जाती है। यीशु जानता है कि उसके दोस्त की मौत हो गयी है, लेकिन वह वहाँ दो दिन और रुकता है और फिर बैतनियाह के लिए निकलता है। जब तक यीशु वहाँ पहुँचता है, लाज़र को मरे चार दिन हो जाते हैं। लेकिन यीशु कुछ ऐसा करने की सोच रहा है जिससे ना सिर्फ उसके दोस्तों को फायदा होगा, बल्कि परमेश्‍वर की भी महिमा होगी।​—यूह. 11:4, 6, 11, 17.

11. इस किस्से से हमें दोस्ती के बारे में क्या सीख मिलती है?

11 इस किस्से से हमें दोस्ती के बारे में एक अच्छी सीख मिलती है। ध्यान दीजिए, जब मरियम और मारथा ने यीशु को खबर भेजी, तो उन्होंने उससे यह नहीं कहा कि वह बैतनियाह आए। उन्होंने उसे बस यह बताया कि उसका दोस्त बीमार है। (यूह. 11:3) और जब लाज़र की मौत हुई, तो यीशु चाहता तो उसे वहीं से ज़िंदा कर सकता था। फिर भी उसने बैतनियाह जाने का फैसला किया ताकि वह इस दुख की घड़ी में मरियम और मारथा के साथ हो। क्या आपका भी कोई ऐसा दोस्त है जो बिना कहे आपकी मदद करने को तैयार रहता हो? अगर हाँ, तो आप जानते हैं कि “मुसीबत की घड़ी” में आप उस पर भरोसा कर सकते हैं। (नीति. 17:17) क्यों ना हम भी दूसरों के लिए यीशु के जैसे दोस्त बनें? आइए दोबारा उस किस्से पर ध्यान दें और देखें कि आगे क्या होता है।

12. यीशु मारथा से क्या वादा करता है और वह उसकी बात पर क्यों यकीन कर सकती थी? (यूहन्‍ना 11:23-26)

12 यूहन्‍ना 11:23-26 पढ़िए। मारथा को पता चलता है कि यीशु बैतनियाह के पास पहुँच चुका है। वह दौड़कर उससे मिलने जाती है और कहती है, “प्रभु, अगर तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता।” (यूह. 11:21) यह सच है कि अगर यीशु वहाँ होता, तो उसे ठीक कर सकता था। लेकिन यीशु कुछ और करना चाहता है जिसकी किसी ने उम्मीद भी नहीं की होगी। वह मारथा से वादा करता है, “तेरा भाई ज़िंदा हो जाएगा।” फिर अपनी बात पर और भी यकीन दिलाने के लिए वह उससे कहता है, “मरे हुओं को ज़िंदा करनेवाला और उन्हें जीवन देनेवाला मैं ही हूँ।” यीशु ने यह इसलिए कहा क्योंकि परमेश्‍वर ने उसे मरे हुओं को ज़िंदा करने की ताकत दी है। इससे पहले यीशु ने एक छोटी लड़की को उसकी मौत के कुछ ही वक्‍त बाद ज़िंदा किया था। और उसने एक नौजवान आदमी को भी शायद उसी दिन ज़िंदा किया था जिस दिन उसकी मौत हुई थी। (लूका 7:11-15; 8:49-55) पर लाज़र को मरे तो चार दिन हो चुके हैं और अब उससे बदबू भी आने लगी होगी। क्या यीशु उसे भी ज़िंदा कर सकता है?

“लाज़र, बाहर आ जा!”

अपने दोस्तों को रोते हुए देखकर यीशु का भी दिल भर आया (पैराग्राफ 13-14)

13. जैसे यूहन्‍ना 11:32-35 में बताया गया है, जब यीशु मरियम और दूसरे लोगों को रोते हुए देखता है, तो वह क्या करता है? (तसवीर भी देखें।)

13 यूहन्‍ना 11:32-35 पढ़िए। अब लाज़र की दूसरी बहन मरियम भी यीशु से मिलने आ जाती है। मारथा की तरह वह भी यीशु से कहती है, “प्रभु, अगर तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता।” मरियम और उसके साथ आए दूसरे लोग बहुत दुखी हैं। उन्हें देखकर और उनका रोना सुनकर यीशु का भी दिल भर आता है। अपने दोस्तों के लिए यीशु के दिल में इस कदर करुणा भर आती है कि उसके आँसू बहने लगते हैं। यीशु अच्छी तरह समझता है कि जब हमारे अपनों की मौत होती है, तो हम पर क्या बीतती है। वह अपने दोस्तों का दर्द दूर करने के लिए बेताब है!

14. मरियम को रोते हुए देखकर यीशु ने जो किया उससे हमें यहोवा के बारे में क्या पता चलता है?

14 मरियम को रोते हुए देखकर यीशु ने जो किया, उससे हम जान पाते हैं कि यहोवा के दिल में कितनी करुणा है। ऐसा हम क्यों कह सकते हैं? जैसे हमने पिछले लेख में जाना, यीशु बिलकुल अपने पिता की तरह सोचता है और महसूस करता है। (यूह. 12:45) इसलिए जब हम पढ़ते हैं कि अपने दोस्तों को रोते हुए देखकर यीशु इस कदर तड़प उठा कि वह भी रोने लगा, तो हम समझ पाते हैं कि जब यहोवा हमारे गम के आँसू देखता है, तो उसे भी बहुत दुख होता है। (भज. 56:8) क्या यह जानकर आपको यहोवा के और करीब आने का मन नहीं करता?

यीशु ने दिखाया कि उसमें मरे हुओं को ज़िंदा करने की ताकत है (पैराग्राफ 15-16)

15. यूहन्‍ना 11:41-44 के मुताबिक लाज़र की कब्र के पास क्या होता है? (तसवीर भी देखें।)

15 यूहन्‍ना 11:41-44 पढ़िए। यीशु लाज़र की कब्र के पास जाता है। फिर वह गुफा के मुँह पर रखा पत्थर हटाने के लिए कहता है। इस पर मारथा एतराज़ जताती है और कहती है कि अब तक तो उसमें से बदबू आने लगी होगी। यीशु उससे कहता है, “क्या मैंने तुझसे नहीं कहा था कि अगर तू विश्‍वास करेगी, तो परमेश्‍वर की महिमा देखेगी?” (यूह. 11:39, 40) फिर यीशु स्वर्ग की तरफ आँखें उठाकर सबके सामने प्रार्थना करता है। वह अब जो करनेवाला है, उसका सारा श्रेय यहोवा को देना चाहता है। फिर यीशु ज़ोर से पुकारता है, “लाज़र, बाहर आ जा!” तभी लाज़र कब्र से बाहर निकल आता है! शायद कुछ लोगों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि ऐसा भी हो सकता है। c

16. यूहन्‍ना अध्याय 11 में दर्ज़ किस्से से इस वादे पर हमारा विश्‍वास कैसे बढ़ता है कि यहोवा मरे हुओं को ज़िंदा करेगा?

16 यूहन्‍ना अध्याय 11 में अभी हमने जो पढ़ा, उससे इस वादे पर हमारा विश्‍वास और भी बढ़ता है कि यहोवा उन्हें ज़िंदा करेगा जिनकी मौत हो गयी है। ध्यान दीजिए, यीशु ने मारथा से वादा किया था, “तेरा भाई ज़िंदा हो जाएगा।” (यूह. 11:23) अपने पिता की तरह यीशु भी अपना यह वादा पूरा करना चाहता है और उसमें ऐसा करने की ताकत भी है। याद कीजिए, जब यीशु ने अपने दोस्तों को रोते हुए देखा, तो उसके भी आँसू बहने लगे थे। इससे पता चलता है कि वह हमारे गम के आँसू पोंछने और हमारे अज़ीज़ों को दोबारा ज़िंदा करने के लिए तरस रहा है। और लाज़र को ज़िंदा करके यीशु ने एक बार फिर यह साबित किया कि उसमें मरे हुओं को ज़िंदा करने की ताकत है। ज़रा यह भी सोचिए कि यीशु ने मारथा को क्या याद दिलाया था, “क्या मैंने तुझसे नहीं कहा था कि अगर तू विश्‍वास  करेगी, तो परमेश्‍वर की महिमा देखेगी?”  (यूह. 11:40) इसलिए हम पूरा विश्‍वास रख सकते हैं कि यहोवा का यह वादा ज़रूर पूरा होगा। लेकिन हम इस वादे पर अपना विश्‍वास कैसे बढ़ा सकते हैं?

यहोवा के वादे पर कैसे विश्‍वास बढ़ाएँ?

17. मरे हुओं के ज़िंदा किए जाने के बारे में किस्से पढ़ते वक्‍त हमें क्या बात ध्यान में रखनी चाहिए?

17 मरे हुओं के ज़िंदा किए जाने के बारे में किस्से पढ़िए और उन पर मनन कीजिए। यीशु के अलावा, बाइबल में ऐसे आठ और किस्से दर्ज़ हैं। d क्यों ना इनमें से हरेक का अच्छे-से अध्ययन करें? ऐसा करते वक्‍त याद रखिए कि ये कहानियाँ नहीं हैं, ये आदमी, औरत और बच्चे सच में जीए थे। इन किस्सों का अध्ययन करते वक्‍त यह भी सोचिए कि आप इनसे क्या सीख सकते हैं। सोचिए, इनसे कैसे पता चलता है कि यहोवा मरे हुओं को ज़िंदा करना चाहता है और उसमें ऐसा करने की ताकत भी है। खासकर उस किस्से के बारे में सोचिए जब यीशु को ज़िंदा किया गया था। यह बहुत मायने रखता है। याद है, उसके ज़िंदा किए जाने के बाद सैकड़ों लोगों ने उसे देखा था। इससे हमें यह विश्‍वास करने की ठोस वजह मिलती है कि जिनकी मौत हो गयी है, उन्हें ज़िंदा किया जाएगा।​—1 कुरिं. 15:3-6, 20-22.

18. जिन गीतों में मरे हुओं के ज़िंदा किए जाने के बारे में बताया गया है, आप उनसे पूरा फायदा कैसे पा सकते हैं? (फुटनोट भी देखें।)

18 उपासना के वे गीत सुनिए, गाइए और उनके बारे में सोचिए, जिनमें मरे हुओं के ज़िंदा किए जाने के बारे में बताया गया है। e (इफि. 5:19) इन गीतों से हम समझ पाएँगे कि यहोवा ने मरे हुओं को ज़िंदा करने का जो वादा किया है, एक दिन वह सच में पूरा होगा और इस वादे पर हमारा विश्‍वास और भी बढ़ जाएगा। तो इन गानों को सुनिए और इन्हें बार-बार गाइए। अपनी पारिवारिक उपासना में इन गीतों के जो बोल हैं, उन पर चर्चा कीजिए और उनका मतलब समझने की कोशिश कीजिए। इनके बोल अपने दिलो-दिमाग में अच्छी तरह बिठा लीजिए। फिर अगर आपके सामने कोई ऐसी मुश्‍किल आए कि आपकी जान पर बन आए या आपके किसी अपने की मौत हो जाए, तो यहोवा की पवित्र शक्‍ति आपको ये गीत याद दिलाएगी और आपको इनसे हिम्मत और तसल्ली मिलेगी।

19. हम उस वक्‍त के बारे में क्या-क्या कल्पना कर सकते हैं जब मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा? (“ आप उनसे क्या पूछेंगे?” नाम का बक्स देखें।)

19 नयी दुनिया के बारे में कल्पना कीजिए। यहोवा ने हमें इस तरह बनाया है कि हम उन चीज़ों के बारे में भी सोच सकते हैं जो अब तक नहीं हुईं। एक बहन कहती है, “मैं अकसर यह सोचती हूँ कि मैं नयी दुनिया में पहुँच गयी हूँ। कई बार तो ऐसा लगता है कि मैं वहाँ खिले गुलाब के फूलों की खुशबू भी ले रही हूँ।” उस वक्‍त के बारे में सोचिए जब आप बीते ज़माने के वफादार लोगों से मिलेंगे। आप किससे मिलने के लिए बेताब हैं? आप उससे कौन-से सवाल करेंगे? अपने उन अज़ीज़ों से मिलने के बारे में भी सोचिए जो अब नहीं रहे। सोचिए, पहली बार मिलने पर आप उनसे क्या कहेंगे, किस तरह उन्हें प्यार से गले लगाएँगे और कैसे खुशी से आपकी आँखों से आँसू छलक आएँगे।

20. हमें क्या ठान लेना चाहिए?

20 हम यहोवा के बहुत एहसानमंद हैं कि उसने वादा किया है कि वह मरे हुओं को ज़िंदा करेगा। हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि वह अपना वादा निभाएगा, क्योंकि यहोवा मरे हुओं को ज़िंदा करना चाहता है और उसमें ऐसा करने की ताकत भी है। तो आइए हम इस वादे पर अपना विश्‍वास बढ़ाते रहें। इस तरह हम परमेश्‍वर के और करीब आएँगे जिसने हमसे वादा किया है, ‘तुम्हारे अज़ीज़ ज़िंदा हो जाएँगे।’

गीत 147 हमेशा की ज़िंदगी का वादा

a क्या आपके किसी अपने की मौत हो गयी है? अगर हाँ, तो आपको यहोवा के इस वादे के बारे में सोचकर बहुत तसल्ली मिलती होगी कि एक दिन वह उसे ज़िंदा कर देगा। लेकिन आप दूसरों को कैसे बता सकते हैं कि आपको इस वादे पर यकीन है? और आप इस वादे पर अपना यकीन कैसे बढ़ा सकते हैं? इस लेख में हम इस बारे में जानेंगे। इससे हमारा यह विश्‍वास बढ़ जाएगा कि जिनकी मौत हो गयी है, यहोवा उन्हें ज़िंदा करेगा।

b इस गाने का नाम है, बस चार कदम आगे  जो नवंबर 2016 के JW ब्रॉडकास्टिंग कार्यक्रम में आया था।

e गीत गाकर यहोवा की “जयजयकार करें”  किताब में ये गीत देखें: “जब होंगे नयी दुनिया में!” (गीत 139), “रखो तुम इनाम पे नज़र” (गीत 144) और “वह उन्हें पुकारेगा” (गीत 151)। jw.org/hi पर ब्रॉडकास्टिंग के ये गाने भी देखें: “बस चार कदम आगे,” “जब दुनिया होगी नयी” और “देखो ना।