अध्ययन लेख 16
गीत 64 कटनी में खुशी से हिस्सा लें
प्रचार काम में और भी खुशी पाइए
“खुशी-खुशी यहोवा की सेवा करो।”—भज. 100:2.
क्या सीखेंगे?
इस लेख में हम जानेंगे कि हम प्रचार में कैसे और भी खुशी पा सकते हैं।
1. कुछ भाई-बहनों को प्रचार करना कैसा लगता है और क्यों? (तसवीर भी देखें।)
हम यहोवा से बहुत प्यार करते हैं और चाहते हैं कि सब लोग उसके बारे में जानें और इसलिए हम प्रचार करते हैं। इस काम में हमें बहुत मज़ा आता है। लेकिन कुछ भाई-बहनों को प्रचार करना मुश्किल लग सकता है। वह क्यों? हो सकता है, वे शर्मीले हों या उन्हें दूसरों से बात करने से डर लगता हो। या बिन बुलाए दूसरों के घर जाना उन्हें थोड़ा अजीब लगता हो। कुछ भाई-बहनों को यह भी डर लगता है कि अगर दूसरे उन पर भड़क गए, तो वे क्या करेंगे। और कुछ ऐसे हैं जो बहस में नहीं पड़ना चाहते। यह सच है कि इन भाई-बहनों को प्रचार करने में थोड़ा डर लगता है, फिर भी वे इस काम में लगे रहते हैं। वह इसलिए कि वे यहोवा से बहुत प्यार करते हैं और जानते हैं कि प्रचार करना कितना ज़रूरी है। सच में, इन भाई-बहनों को देखकर यहोवा को कितनी खुशी होती होगी!
2. अगर आपको प्रचार करने से डर लगता है और इतना मज़ा नहीं आता, तो आपको क्या करना चाहिए?
2 क्या कभी-कभी आपको भी प्रचार करने से डर लगता है और इसमें इतना मज़ा नहीं आता? अगर हाँ, तो दिल छोटा मत कीजिए। हम सबको लोगों से बात करने में थोड़ी घबराहट होती है, क्योंकि हम किसी बहस में नहीं पड़ना चाहते और नहीं चाहते कि सबका ध्यान हम पर जाए। हम तो लोगों के भले के लिए उन्हें खुशखबरी सुनाते हैं और नहीं चाहते कि वे हम पर भड़क जाएँ। याद रखिए, आपका पिता यहोवा आपकी उलझनें जानता है और आपकी मदद करना चाहता है। (यशा. 41:13) इस लेख में हम पाँच सुझावों पर ध्यान देंगे जिन्हें मानने से आप अपने डर पर काबू कर पाएँगे और खुशी-खुशी प्रचार कर पाएँगे।
परमेश्वर के वचन से हिम्मत पाइए
3. भविष्यवक्ता यिर्मयाह क्यों हिम्मत से प्रचार कर पाया?
3 बीते समय में, परमेश्वर के कई सेवकों को ऐसी ज़िम्मेदारियाँ मिलीं जो उन्हें मुश्किल लग रही थीं। लेकिन जब उन्होंने परमेश्वर की बातों पर, उसके संदेश पर ध्यान दिया, तो उन्हें हिम्मत मिली और वे उस ज़िम्मेदारी को पूरा कर पाए। ज़रा भविष्यवक्ता यिर्मयाह के बारे में सोचिए। यहोवा ने उसे प्रचार करने की ज़िम्मेदारी दी, लेकिन उसे डर लग रहा था। उसने यहोवा से कहा, “मुझे तो बोलना भी नहीं आता, मैं बस एक लड़का हूँ।” (यिर्म. 1:6) तो फिर उसने अपने डर पर कैसे काबू किया? उसे परमेश्वर के संदेश से हिम्मत मिली। उसने कहा, “यह मेरी हड्डियों में धधकती आग जैसा था, मैं उसे रोकते-रोकते थक गया।” (यिर्म. 20:8, 9) यिर्मयाह को ऐसे लोगों को प्रचार करना था जो उसकी सुनना ही नहीं चाहते थे। फिर भी जब उसने सोचा कि यह संदेश कितना ज़रूरी है, तो वह इसे सुनाने से खुद को रोक नहीं पाया।
4. परमेश्वर का वचन पढ़ने और उस पर मनन करने से क्या फायदा होता है? (कुलुस्सियों 1:9, 10)
4 आज हमें भी परमेश्वर के संदेश से या उसके वचन से हिम्मत मिलती है। प्रेषित पौलुस ने कुलुस्से के भाई-बहनों को बढ़ावा दिया था कि वे सही ज्ञान लेते रहें। क्यों? ताकि वे ‘ऐसा चालचलन’ बनाए रख पाएँ, ‘जैसा यहोवा के सेवक का होना चाहिए और हर भला काम करते हुए फल पैदा करते जाएँ।’ (कुलुस्सियों 1:9, 10 पढ़िए।) भले कामों में से एक है, खुशखबरी का प्रचार करना। इसलिए जब हम बाइबल का अध्ययन करते हैं, उस पर मनन करते हैं, तो यहोवा पर हमारा विश्वास मज़बूत होता है। हम समझ पाते हैं कि खुशखबरी का प्रचार करना कितना ज़रूरी है।
5. बाइबल से पूरा फायदा पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
5 परमेश्वर के वचन से पूरा फायदा पाने के लिए ज़रूरी है कि आप इसे पढ़ने में जल्दबाज़ी ना करें। इसका अध्ययन करने के लिए और इस पर मनन करने के लिए समय निकालिए। अगर बाइबल पढ़ते वक्त कोई आयत आपको समझ में नहीं आती, तो यूँ ही आगे मत बढ़ जाइए। इसके बजाय, यहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड में या दूसरे प्रकाशनों में उस आयत के बारे में खोजबीन कीजिए और उसे अच्छी तरह समझने की कोशिश कीजिए। अगर आप समय निकालकर इस तरह अध्ययन करेंगे, तो परमेश्वर के वचन पर आपका भरोसा बढ़ जाएगा। (1 थिस्स. 5:21) आपको यकीन हो जाएगा कि इसमें लिखी बातें एकदम सही हैं। और जितना आपका यकीन बढ़ेगा उतना ही आपको दूसरों को इस बारे में बताने में खुशी मिलेगी।
अच्छी तरह तैयारी कीजिए
6. हमें क्यों प्रचार के लिए अच्छे-से तैयारी करनी चाहिए?
6 अगर आप प्रचार के लिए अच्छे-से तैयारी करेंगे, तो आप लोगों से आराम से बात कर पाएँगे और घबराएँगे नहीं। यीशु ने भी अपने चेलों को प्रचार में भेजने से पहले कुछ बातें बतायी थीं। उसने उन्हें सिखाया था कि उन्हें क्या कहना है और क्या करना है। (लूका 10:1-11) और जब चेलों ने ये बातें मानीं, तो उन्हें अच्छे नतीजे मिले और बहुत खुशी हुई।—लूका 10:17.
7. हम प्रचार के लिए कैसे अच्छे-से तैयारी कर सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)
7 हम भी प्रचार के लिए अच्छे-से तैयारी कर सकते हैं। हम पहले से सोच सकते हैं कि हम लोगों से किस बारे में बात करेंगे और उन्हें कैसे अपनी बात समझाएँगे। हम इस बारे में भी सोच सकते हैं कि हमारी बात सुनकर लोग क्या-क्या कह सकते हैं और हम उन्हें क्या जवाब देंगे। यह सब तैयारी करने के बाद जब आप प्रचार में जाते हैं, तो घबराइए मत। मुस्कुराइए और आराम से बात कीजिए।
8. पौलुस ने हम मसीहियों की तुलना मिट्टी के बरतनों से क्यों की?
8 हमें यह भी याद रखना चाहिए कि प्रचार काम कितना ज़रूरी है। ध्यान दीजिए कि प्रेषित पौलुस ने क्या कहा। उसने कहा, “हमारे पास यह खज़ाना मिट्टी के बरतनों में है।” (2 कुरिं. 4:7) यह खज़ाना क्या है? परमेश्वर के राज की खुशखबरी। जब हम लोगों को यह खुशखबरी सुनाते हैं, तो उन्हें जीवन मिल सकता है। (2 कुरिं. 4:1) और मिट्टी के बरतन कौन हैं? परमेश्वर के सेवक जो लोगों को खुशखबरी सुनाते हैं। पहली सदी में व्यापारी मिट्टी के बरतनों में अनाज, दाख-मदिरा, पैसे और ऐसी ही दूसरी ज़रूरी चीज़ें ले जाया करते थे। उसी तरह, यहोवा ने हम मिट्टी के बरतनों को यह ज़िम्मेदारी दी है कि हम खुशखबरी का ज़रूरी संदेश लोगों तक पहुँचाएँ। और इस काम को अच्छी तरह करने में यहोवा हमारी मदद करेगा।
हिम्मत के लिए प्रार्थना कीजिए
9. अगर आपको लोगों से बात करने में डर लगता है, तो आप क्या कर सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)
9 कभी-कभी शायद हम यह सोचकर डर जाएँ कि अगर लोग हम पर भड़क गए या हमारा विरोध किया, तो हम क्या करेंगे। क्या आपको भी यह डर सताता है? ध्यान दीजिए, जब प्रेषितों को हुक्म दिया गया कि वे प्रचार करना बंद कर दें, तो उन्होंने क्या किया। उन्होंने यहोवा से प्रार्थना की और उससे कहा कि वह उनकी मदद करे ताकि “वे पूरी तरह निडर होकर [उसका] वचन सुनाते रहें।” यहोवा ने उनकी प्रार्थना सुनी और तुरंत उनकी मदद की। (प्रेषि. 4:18, 29, 31) अगर कभी आपको भी लोगों से बात करने में डर लगे, तो यहोवा से प्रार्थना कीजिए और उससे मदद माँगिए। उससे कहिए कि वह आपके दिल में लोगों के लिए इतना प्यार बढ़ा दे कि आपके दिल से लोगों का डर ही निकल जाए।
10. लोगों को हिम्मत से गवाही देने में यहोवा कैसे हमारी मदद करता है? (यशायाह 43:10-12)
10 लोगों को गवाही देने की ज़िम्मेदारी यहोवा ने हमें दी है। उसने कहा है कि हम उसके साक्षी हैं और उसने वादा किया है कि इस काम को पूरा करने के लिए वह हमें हिम्मत देगा। (यशायाह 43:10-12 पढ़िए।) यहोवा कैसे हमें हिम्मत देता है? ज़रा चार बातों पर ध्यान दीजिए। पहली, उसका बेटा यीशु हमारे साथ है और वह प्रचार में हमारी मदद करता है। (मत्ती 28:18-20) दूसरी, उसने स्वर्गदूतों को यह ज़िम्मेदारी दी है कि वे हमारी मदद करें। (प्रका. 14:6) तीसरी, वह हमें अपनी पवित्र शक्ति देता है। इसकी मदद से हम वे बातें याद कर पाते हैं जो हमने सीखी हैं। (यूह. 14:25, 26) और चौथी, उसने हमें भाई-बहन दिए हैं जो प्रचार में हमारा साथ देते हैं। तो जब यहोवा ने हमें यह सब मदद दी है, तो हम ज़रूर हिम्मत से प्रचार कर सकते हैं!
फेरबदल कीजिए और सही सोच बनाए रखिए
11. अगर हम प्रचार में ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों से मिलना चाहते हैं, तो हमें क्या करना होगा? (तसवीर भी देखें।)
11 जब लोग घर पर नहीं मिलते, तो क्या आप निराश हो जाते हैं? ऐसे में खुद से पूछिए, ‘अगर लोग घर पर नहीं हैं, तो कहाँ हैं?’ (प्रेषि. 16:13) ‘क्या वे काम की जगह पर होंगे या खरीदारी कर रहे होंगे?’ अगर लोग घर से बाहर हैं, तो क्यों ना आप सड़क पर गवाही दें, जहाँ आपको ज़्यादा लोग मिल सकते हैं? भाई जौशुया कहते हैं, “मुझे बाज़ार में, मॉल में और पार्किंग में जहाँ लोग गाड़ियाँ खड़ी करते हैं, वहाँ बहुत-से लोगों से बात करने का मौका मिला है।” इसके अलावा, भाई जौशुआ और उनकी पत्नी ब्रिजिट ने देखा है कि जब वे शाम के वक्त या रविवार दोपहर में प्रचार के लिए जाते हैं, तो उन्हें ज़्यादातर लोग घर पर मिलते हैं।—इफि. 5:15, 16.
12. हम कैसे पता लगा सकते हैं कि लोग क्या मानते हैं या किस बारे में चिंता करते हैं?
12 अगर ज़्यादातर लोग हमारा संदेश सुनना इतना पसंद नहीं करते, तो हम क्या कर सकते हैं? पता लगाने की कोशिश कीजिए कि वे क्या मानते हैं और वे किस बारे में चिंता करते हैं। ध्यान दीजिए कि भाई जौशुआ और उनकी पत्नी ब्रिजिट यह कैसे करते हैं। वे लोगों से ट्रैक्ट के पहले पेज पर दिया सवाल करते हैं ताकि उनके मन की बात जान सकें। जैसे, वे लोगों को बाइबल के बारे में आपकी क्या राय है? ट्रैक्ट दिखाकर उनसे पूछते हैं, “कई लोगों को लगता है कि बाइबल ईश्वर की तरफ से है, पर कुछ लोग ऐसा नहीं मानते। आप क्या मानते हैं?” इस तरह सवाल करके उनकी कई लोगों से अच्छी बातचीत हो पायी है।
13. जब लोग हमारी नहीं सुनते, तो हम क्या याद रख सकते हैं? (नीतिवचन 27:11)
13 अगर प्रचार में लोग हमारी नहीं सुनते, तो हमें याद रखना चाहिए कि हमने अपनी ज़िम्मेदारी पूरी की है। वह इसलिए कि जब हम लोगों को खुशखबरी सुनाते हैं, तो हम यहोवा और यीशु की मरज़ी पूरी कर रहे होते हैं। (प्रेषि. 10:42) तो अगर हमें प्रचार में लोग ना भी मिलें या हमारा विरोध करें, हम इस बात से खुश हो सकते हैं कि स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता यहोवा हमसे खुश है।—नीतिवचन 27:11 पढ़िए।
14. जब किसी को प्रचार में एक ऐसा व्यक्ति मिलता है जो परमेश्वर के बारे में सीखना चाहता है, तो हमें क्यों खुशी होती है?
14 हमें तब भी खुशी मिलती है जब किसी भाई या बहन को एक ऐसा व्यक्ति मिलता है जो परमेश्वर के बारे में सीखना चाहता है। एक प्रहरीदुर्ग में बताया गया था कि प्रचार काम ऐसा है मानो लोग मिलकर एक खोए हुए बच्चे को ढूँढ़ रहे हों। उसे ढूँढ़ने में सब लोग लग जाते हैं और चप्पा-चप्पा छान मारते हैं। और जब किसी को वह बच्चा मिल जाता है, तो सब-के-सब खुश होते हैं। उसी तरह, चेला बनाने का काम भी हम सब मिलकर करते हैं। अपने इलाके में अच्छी तरह प्रचार करने के लिए हम सब मेहनत करते हैं और जब कोई व्यक्ति सभाओं में आने लगता है, तो हम सबको खुशी होती है।
सोचिए कि आप यहोवा और लोगों से कितना प्यार करते हैं
15. प्रचार काम में और भी खुशी पाने के लिए हमें क्या करना होगा? (मत्ती 22:37-39) (तसवीर भी देखें।)
15 प्रचार काम में और भी खुशी पाने के लिए और अपना जोश बढ़ाने के लिए हम क्या कर सकते हैं? हम इस बात पर मनन कर सकते हैं कि प्रचार करके हम दिखाते हैं कि हम यहोवा से और लोगों से कितना प्यार करते हैं। (मत्ती 22:37-39 पढ़िए।) साथ ही, जब हम सोचेंगे कि हमें प्रचार करता देखकर यहोवा को कितनी खुशी होती है, तो प्रचार करने का हमारा और भी मन करेगा। और जब हम यह सोचेंगे कि लोगों को बाइबल अध्ययन करने से कितनी खुशी मिलेगी और आगे चलकर उन्हें हमेशा की ज़िंदगी मिल सकती है, तो प्रचार के लिए हमारा जोश और भी बढ़ जाएगा।—यूह. 6:40; 1 तीमु. 4:16.
16. अगर आप किसी वजह से घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, तब भी आप कैसे परमेश्वर की सेवा में खुशी पा सकते हैं? उदाहरण दीजिए।
16 क्या आप किसी वजह से घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं और प्रचार में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं? अगर ऐसा है, तो निराश मत होइए। सोचिए कि आप यहोवा और लोगों के लिए अपना प्यार कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं। भाई सैमुएल और उनकी पत्नी डानीया पर ध्यान दीजिए। कोविड-19 महामारी की वजह से जब वे घर से नहीं निकल पा रहे थे, तो उन्होंने फोन पर गवाही दी, चिट्ठियाँ लिखीं और ज़ूम पर बाइबल अध्ययन चलाए। इसके अलावा, जब भाई कैंसर का इलाज करवाने के लिए डॉक्टर के पास जाते थे, तो वहाँ भी लोगों को गवाही देते थे। भाई बताते हैं, “जब हम पर मुश्किलें आती हैं, तो हम बहुत परेशान हो जाते हैं, थक जाते हैं और इस बात की भी परख होती है कि हमारा विश्वास कितना मज़बूत है। ऐसे हालात में भी अगर हम यहोवा की सेवा में लगे रहें, तो हम खुश रह सकते हैं।” जब महामारी चल ही रही थी, तो एक दिन बहन डानीया गिर गयीं और तीन महीने तक बिस्तर से नहीं उठ पायीं। और फिर छ: महीने तक उन्हें व्हीलचेयर पर रहना पड़ा। वे कहती हैं, “मैं यहोवा की सेवा में जितना कर सकती थी, मैंने किया। जो नर्स मेरी देखभाल करती थी, मैं उसे गवाही देती थी। जो लोग हमारे घर सामान देने आते थे, मैं उनसे भी बात करती थी। और फोन पर मैं एक लड़की से भी बात करती थी जो एक मेडिकल कंपनी में काम करती थी।” अपने हालात की वजह से भाई सैमुएल और उनकी पत्नी उतना नहीं कर पा रहे थे जितना वे पहले किया करते थे। लेकिन उनसे जो हो सकता था, उन्होंने किया और इससे उन्हें खुशी मिली।
17. अगर आप इस लेख में दिए सुझावों से फायदा पाना चाहते हैं, तो आपको क्या करना होगा?
17 इस लेख में हमने जिन पाँच सुझावों पर ध्यान दिया, उन सभी को मानिए। ये सुझाव मसालों की तरह हैं। जब हम कोई सब्ज़ी बनाते हैं, तो उसमें अलग-अलग मसाले डालते हैं, तभी वह स्वादिष्ट बनती है। उसी तरह जब हम इन सारे सुझावों को मानेंगे, तो हम अपने डर पर काबू कर पाएँगे और प्रचार में हमें और भी खुशी मिलेगी।
प्रचार में और भी खुशी पाने में आगे दी बातों से कैसे मदद मिलती है?
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समय निकालकर अच्छी तरह तैयारी करना।
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हिम्मत के लिए प्रार्थना करना।
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इस बारे में सोचना कि प्रचार करके हम यहोवा और लोगों के लिए प्यार ज़ाहिर करते हैं।
गीत 80 “परखकर देखो कि यहोवा कितना भला है”