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उन्होंने खुशी-खुशी खुद को पेश किया​—मेडागास्कर में

उन्होंने खुशी-खुशी खुद को पेश किया​—मेडागास्कर में

सत्ताईस साल की एक पायनियर बहन सिलवियाना कहती है, “मेरे कई दोस्तों ने उन इलाकों में सेवा की है, जहाँ पायनियरों की बहुत ज़रूरत थी। उनके अनुभव सुनकर मेरा भी मन करता था कि मैं ऐसी जगह जाकर सेवा करूँ जहाँ ज़्यादा ज़रूरत है। लेकिन मुझे लगता था कि ऐसा करना मेरे बस की बात नहीं।”

क्या आप भी सिलवियाना की तरह महसूस करते हैं? अगर हाँ, तो हिम्मत रखिए! ऐसे हज़ारों भाई-बहन हैं जिन्होंने यहोवा की मदद से रुकावटें पार की हैं और अपनी सेवा बढ़ायी है। आइए कुछ भाई-बहनों के अनुभव पढ़ें और देखें कि कैसे यहोवा ने उनकी मदद की। इसके लिए हम मेडागास्कर चलेंगे जो दुनिया का चौथा सबसे बड़ा द्वीप है।

पिछले दस सालों में 11 देशों * से 70 से भी ज़्यादा जोशीले प्रचारक और पायनियर अफ्रीका के इस द्वीप में सेवा करने आए हैं। यहाँ ज़्यादातर लोग बाइबल का आदर करते हैं और भाई-बहनों को प्रचार में अच्छे नतीजे मिले हैं। इसके अलावा, इसी द्वीप के कई प्रचारक दूसरे इलाकों में गए हैं ताकि वे राज का संदेश पूरे द्वीप में सुना सकें। आइए ऐसे कुछ भाई-बहनों के अनुभव सुनें।

डर और निराशा पर काबू पाया

पेरिन और लूई

लूई और उसकी पत्नी पेरिन की उम्र 30 के ऊपर है। सालों से वे दूसरे देश जाकर सेवा करने की सोच रहे थे लेकिन पेरिन के मन में कई चिंताएँ थीं। वह कहती है, “मैं एक अनजान जगह जाने से डरती थी। मैं सोचने लगी कि अपने परिवार, मंडली, जानी-पहचानी जगह, फ्लैट और हमारा जो एक शेड्‌यूल बन गया था, यह सब छोड़कर मैं कैसे रह पाऊँगी। सच पूछो तो ये चिंताएँ ही मेरी सबसे बड़ी रुकावट थीं।” सन्‌ 2012 में पेरिन ने हिम्मत जुटायी और लूई के साथ फ्रांस से मेडागास्कर में सेवा करने आयी। इस फैसले के बारे में वह कैसा महसूस करती है? वह कहती है, “इतने सालों में हम साफ देख पाए कि यहोवा ने सचमुच हमारी मदद की है और इससे हमारा विश्‍वास मज़बूत हुआ है।” लूई भी कहता है, “मेडागास्कर में हमें आए एक साल भी नहीं हुआ था कि स्मारक में हमारे दस बाइबल विद्यार्थी आए। हम बहुत खुश थे!”

जब मुश्‍किलें आयीं तो किस बात ने इस जोड़े को अपनी सेवा में बने रहने की हिम्मत दी? उन्होंने यहोवा से मिन्‍नतें कीं कि वह उन्हें धीरज धरने की ताकत दे। (फिलि. 4:13) लूई कहता है, “यहोवा ने हमारी मिन्‍नतें सुनीं और हमें एक अनोखी किस्म की शांति दी। इस तरह हम अपनी सेवा से मिलनेवाली खुशियों पर ध्यान लगाए रख पाए। यही नहीं, फ्रांस से हमारे दोस्तों ने हमें कई ई-मेल और खत लिखे और हमारा हौसला बढ़ाया कि हम हिम्मत न हारें।”—फिलि. 4:6, 7; 2 कुरिं. 4:7.

यहोवा ने लूई और पेरिन को धीरज धरने के लिए ढेरों आशीषें दीं। लूई कहता है, “अक्टूबर 2014 में हम फ्रांस में ‘मसीही जोड़ों के लिए बाइबल स्कूल’ * में हाज़िर हुए। यह वाकई यहोवा की तरफ से एक खूबसूरत तोहफा था जिसे हम कभी नहीं भूलेंगे।” उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि उन्हें वापस मेडागास्कर में सेवा करने के लिए भेजा जा रहा है।

“हमें बहुत खुशी होगी!”

नादीन और डीडीयार

डीडीयार और नादीन फ्रांस में रहनेवाले एक पति-पत्नी हैं। सन्‌ 2010 में जब वे मेडागास्कर सेवा करने आए तो उनकी उम्र 50 से ऊपर थी। डीडीयार कहता है, “हमने अपनी जवानी में पायनियर सेवा की थी और इसके बाद तीन बच्चों की परवरिश की। फिर जब बच्चे बड़े हो गए तो हम पति-पत्नी दूसरे देश में जाकर सेवा करने की सोचने लगे।” लेकिन नादीन कबूल करती है, “मैं यह सोचकर झिझक रही थी कि मैं अपने बच्चों से दूर कैसे रह पाऊँगी। मगर बच्चों ने हमसे कहा, ‘अगर आप वहाँ जाकर सेवा करोगे जहाँ ज़्यादा ज़रूरत है, तो हमें बहुत खुशी होगी!’ उनकी बातों से हमें हौसला मिला और हमने जाने का फैसला किया। हालाँकि अब हम अपने बच्चों से बहुत दूर हैं लेकिन हमारी उनसे अकसर बातचीत होती है।”

डीडीयार और नादीन के लिए मलागासी भाषा सीखना आसान नहीं था। नादीन मुस्कुराते हुए कहती है, “अब हम जवान नहीं रहे कि तुरंत नयी भाषा सीख लें।” फिर उन्होंने इस मुश्‍किल को कैसे पार किया? सबसे पहले, वे फ्रेंच बोलनेवाली मंडली में जाने लगे। इसके कुछ समय बाद जब उन्हें लगा कि वे नयी भाषा सीखने के लिए तैयार थे, तब वे मलागासी भाषा की मंडली के साथ संगति करने लगे। नादीन कहती है, “प्रचार में हमें बहुत-से लोग मिलते हैं जो बाइबल सीखना चाहते हैं। वे अकसर हमारा धन्यवाद करते हैं कि हम उनके घर आए। शुरू-शुरू में मुझे यकीन नहीं हुआ कि प्रचार में मुझे ऐसे लोग भी मिलेंगे। इस इलाके में पायनियर सेवा करने में मुझे बहुत मज़ा आता है। हर दिन जब मैं सुबह उठती हूँ तो खुद से कहती हूँ, ‘आज का दिन अच्छा बीतेगा क्योंकि मैं प्रचार में जा रही हूँ।’”

डीडीयार उन दिनों को याद करता है जब वह मलागासी सीख रहा था। वह कहता है, “एक बार मैं मंडली की सभा चला रहा था लेकिन मुझे भाई-बहनों के जवाब समझ में नहीं आ रहे थे। उनके जवाब सुनकर मैं बस उन्हें ‘शुक्रिया’ कह रहा था। एक बहन के जवाब के बाद जब मैंने उसे ‘शुक्रिया’ कहा, तो उसके पीछे बैठे भाई-बहन इशारा करने लगे कि उसका जवाब गलत था। मैंने फौरन एक भाई से जवाब पूछा और शायद उसने सही जवाब ही दिया हो।”

वे जाने के लिए खुशी-खुशी तैयार हो गयीं

टीयेरी और उसकी पत्नी नाडिया ने 2005 के अधिवेशन में एक ड्रामा देखा था जिसका शीर्षक था, “ऐसे लक्ष्यों का पीछा कीजिए जिनसे परमेश्‍वर की महिमा होती है।” ड्रामा तीमुथियुस के बारे में था। इसे देखकर जोड़े पर गहरा असर हुआ। उनकी इच्छा और बढ़ गयी कि वे वहाँ जाकर सेवा करें जहाँ राज प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। टीयेरी कहता है, “ड्रामे के आखिर में जब हम तालियाँ बजा रहे थे, तो मैंने अपनी पत्नी से पूछा, ‘तो बताओ, हम कहाँ जाएँगे?’ मेरी पत्नी ने कहा कि उसके मन में भी यही बात आयी।” इस अधिवेशन के फौरन बाद उन्होंने अपने लक्ष्य को पाने के लिए कदम उठाया। नाडिया बताती है, “हम एक-एक करके अपना सामान कम करने लगे। आखिर में हमारा सामान इतना कम हो गया कि चार सूटकेस में ही आ गया।”

एकदम बायीं तरफ: नाडिया और मारी-मैडलेन; एकदम दायीं तरफ: टीयेरी

सन्‌ 2006 में वे मेडागास्कर आए और शुरू से ही उन्हें प्रचार काम में बहुत मज़ा आने लगा। नाडिया कहती है, “यहाँ के लोगों को प्रचार करने से हमें बेहद खुशी मिलती है।”

लेकिन छ: साल बाद उनके सामने एक मुश्‍किल खड़ी हुई। फ्रांस में नाडिया की माँ मारी-मैडलेन गिर गयी जिस वजह से उनका हाथ टूट गया और सिर पर चोट आयी। अब टीयेरी और नाडिया क्या करते? उन्होंने डॉक्टर से सलाह की और फिर अपनी माँ से पूछा कि क्या वे उनके साथ मेडागास्कर में रहने आएँगी। उस वक्‍त वे 80 साल की थीं फिर भी वे जाने के लिए खुशी-खुशी तैयार हो गयीं। दूसरे देश में रहने के बारे में मारी-मैडलेन कैसा महसूस करती हैं? वे कहती हैं, “नयी जगह में खुद को ढालना आसान नहीं। हालाँकि मैं ज़्यादा नहीं कर पाती हूँ, फिर भी मुझे इस बात की खुशी है कि मैं मंडली के कुछ तो काम आ सकती हूँ। लेकिन मुझे सबसे ज़्यादा खुशी इस बात की है कि यहाँ रहने से मेरे बच्चे अपनी सेवा जारी रख पाए हैं और उन्हें इसके अच्छे नतीजे मिले हैं।”

“यहोवा ने सही समय पर मेरी मदद की”

रिअन्‍ना टंडरौय भाषा में भाषण देते हुए

रिअन्‍ना 22 साल का एक जवान भाई है। वह पूर्वी मेडागास्कर में अलाउत्रा माँगूरू नाम के एक उपजाऊ इलाके से था। वह पढ़ाई में अच्छा था और ऊँची शिक्षा हासिल करना चाहता था। लेकिन जब वह बाइबल का अध्ययन करने लगा, तो उसने अपना लक्ष्य बदला। वह बताता है, “मैं जल्द-से-जल्द स्कूल की पढ़ाई खत्म करना चाहता था और मैंने यहोवा से वादा किया, ‘अगर मैं परीक्षा में पास हो गया तो पायनियर सेवा शुरू करूँगा।’” पढ़ाई पूरी करने के बाद रिअन्‍ना ने अपना वादा निभाया। वह एक पायनियर भाई के साथ रहने लगा, उसने पार्ट-टाइम नौकरी की और पायनियर सेवा शुरू की। वह कहता है, “यह मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा फैसला था।”

मगर उसके रिश्‍तेदार समझ नहीं पा रहे थे कि वह क्यों एक अच्छा करियर नहीं बनाना चाहता है। रिअन्‍ना बताता है, “मेरे पापा, चाचा और दादी की छोटी बहन, सब मेरे पीछे पड़े थे कि मैं ऊँची शिक्षा हासिल करूँ। लेकिन मैं किसी भी कीमत पर पायनियर सेवा नहीं छोड़ना चाहता था।” कुछ समय बाद रिअन्‍ना ऐसी जगह जाने की सोचने लगा जहाँ प्रचारकों की ज़रूरत थी। इसी बीच उसके साथ एक घटना हुई जिससे उसका इरादा और पक्का हो गया। वह कहता है, “एक दिन हमारे घर चोर घुस आए और उन्होंने मेरी बहुत-सी चीज़ें चुरा लीं। इस घटना ने मुझे यीशु के इन शब्दों पर सोचने के लिए मजबूर किया कि अपने लिए ‘स्वर्ग में धन’ जमा करो। मैंने फैसला कर लिया कि मैं परमेश्‍वर की नज़र में अमीर बनने के लिए और भी मेहनत करूँगा।” (मत्ती 6:19, 20) रिअन्‍ना मेडागास्कर के सबसे दक्षिणी हिस्से में जाकर सेवा करने लगा। यह एक सूखा इलाका है जो उसके घर से 1,300 किलोमीटर दूर है। इस इलाके में एनटंडरौय नाम के लोग रहते हैं। रिअन्‍ना ने वहाँ जाने का फैसला क्यों किया?

चोरी होने से एक महीने पहले रिअन्‍ना ने दो एनटंडरौय आदमियों के साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया था। उसने उनकी भाषा में कुछ शब्द भी सीखे। वह उनके जैसे और भी लोगों की मदद करना चाहता था जिन्होंने कभी राज का संदेश नहीं सुना था। वह कहता है, “मैंने यहोवा से प्रार्थना की कि मैं टंडरौय भाषा बोलनेवाले इलाके में सेवा करना चाहता हूँ और मैंने उससे मदद माँगी।”

लेकिन वहाँ जाते ही रिअन्‍ना के सामने एक मुश्‍किल आयी। उसे नौकरी नहीं मिल रही थी। एक आदमी ने उससे कहा, “लोग तो नौकरी ढूँढ़ने के लिए तुम्हारे इलाके में जाते हैं और तुम यहाँ आए हो?” दो हफ्ते बाद जब रिअन्‍ना क्षेत्रीय अधिवेशन के लिए जा रहा था, तो उसके पास फूटी कौड़ी तक नहीं थी। वह सोच में पड़ गया कि अब वह क्या करेगा। अधिवेशन के आखिरी दिन एक भाई ने उसकी कोट की जेब में कुछ डाल दिया। दरअसल उस भाई ने कुछ पैसे डाले थे और वह इतना था कि उस पैसे से रिअन्‍ना एनटंडरौय वापस आया और दही बेचने का छोटा-सा कारोबार भी शुरू कर पाया। रिअन्‍ना कहता है, “मैं देख सका कि यहोवा ने सही समय पर मेरी मदद की। मैं यहीं रहकर लगातार उन लोगों की मदद कर पाया जिन्होंने कभी यहोवा के बारे में नहीं सुना था।” इसके अलावा मंडली में भी बहुत काम था। रिअन्‍ना कहता है, “हर दूसरे हफ्ते मुझे जन भाषण देने के लिए कहा जाता था। सच, यहोवा अपने संगठन के ज़रिए मुझे प्रशिक्षण दे रहा था।” आज भी रिअन्‍ना, टंडरौय बोलनेवाले बहुत-से नेकदिल लोगों को राज का संदेश सुना रहा है।

“वह सच्चाई के परमेश्‍वर से आशीष पाएगा”

यहोवा हमें भरोसा दिलाता है कि “धरती पर जो कोई अपने लिए आशीष माँगेगा, वह सच्चाई के परमेश्‍वर से आशीष पाएगा।” (यशा. 65:16) जी हाँ, जब हम अपनी सेवा को बढ़ाने के लिए रुकावटों को पार करने की पूरी कोशिश करते हैं, तो यहोवा हमें ज़रूर आशीष देगा। ज़रा सिलवियाना पर ध्यान दीजिए जिसका ज़िक्र लेख की शुरूआत में किया गया था। उसे लगता था कि दूसरी जगह जाकर सेवा करना उसके बस की बात नहीं है। वह क्यों? वह समझाती है, “मेरा बायाँ पैर दाएँ पैर से करीब साढ़े तीन इंच छोटा है। इस वजह से मैं लँगड़ाकर चलती हूँ और जल्दी थक जाती हूँ।”

सिलवियाना (बायीं तरफ) और सिलवी ऐन (दायीं तरफ) के साथ खड़ी डोराटीन, उसके बपतिस्मे के दिन

इन रुकावटों के बावजूद 2014 में सिलवियाना अपने घर से 85 किलोमीटर दूर एक छोटे-से गाँव में सेवा करने लगी। वह अपनी मंडली की एक जवान पायनियर बहन सिलवी ऐन के साथ वहाँ गयी। आखिरकार, उसका सपना पूरा हुआ और उसे क्या ही बढ़िया आशीष मिली! वह बताती है, “नयी जगह में सेवा शुरू करने के तुरंत बाद मैं डोराटीन नाम की एक जवान माँ के साथ अध्ययन करने लगी। उसने इतनी अच्छी तरक्की की कि उसी साल उसने सर्किट सम्मेलन में बपतिस्मा ले लिया।”

“मैं . . . तेरी मदद करूँगा”

दूसरी जगह जाकर सेवा करनेवाले इन भाई-बहनों की बातों से हमने क्या सीखा? यही कि जब हम अपनी सेवा को बढ़ाने के लिए रुकावटों को पार करते हैं, तो हम खुद यहोवा के इस वादे को पूरा होते देखेंगे: “मैं तेरी हिम्मत बँधाऊँगा, तेरी मदद करूँगा।” (यशा. 41:10) नतीजा, यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता और मज़बूत हो जाएगा। इसके अलावा, जब हम अपने ही इलाके में या दूसरे देश में सेवा करने के लिए खुशी-खुशी आगे आते हैं, तो हम नयी दुनिया के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं जहाँ बहुत-से काम होंगे। इस बारे में डीडीयार जिसका ज़िक्र पहले आया था कहता है, “जहाँ ज़रूरत है वहाँ जाकर सेवा करना ऐसा प्रशिक्षण है जो हमें भविष्य के लिए तैयार कर रहा है।” हमारी दुआ है कि और भी प्रचारक जल्द-से-जल्द इस सेवा के लिए आगे आएँ और यह बेहतरीन प्रशिक्षण पाएँ।

^ पैरा. 4 ये भाई-बहन कनाडा, चेक गणराज्य, फ्रांस, जर्मनी, ग्वाडेलोप, लक्जमबर्ग, न्यू कैलेडोनिया, स्वीडन, स्विट्‌ज़रलैंड, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्‍त राज्य अमरीका से आए हैं।

^ पैरा. 8 अब इस स्कूल की जगह “राज प्रचारकों के लिए स्कूल” चलाया जाता है। अगर दूसरे देश में सेवा करनेवाले पूरे समय के सेवक इस स्कूल में हाज़िर होने की योग्यताएँ पूरी करते हैं, तो वे अपनी मातृ-भाषा में होनेवाले स्कूल के लिए अर्ज़ी भर सकते हैं, फिर चाहे यह स्कूल उनके देश में चलाया जाए या दूसरे देश में।