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जिसके पास सबकुछ है, उसे हम अपनी अनमोल चीज़ें क्यों दें?

जिसके पास सबकुछ है, उसे हम अपनी अनमोल चीज़ें क्यों दें?

“हे हमारे परमेश्‍वर, हम तेरा शुक्रिया अदा करते हैं, तेरे खूबसूरत नाम की तारीफ करते हैं।”​—1 इति. 29:13.

गीत: 1, 48

1, 2. यहोवा किस तरह हमारे लिए दरियादिली दिखाता है?

यहोवा एक दरियादिल परमेश्‍वर है। हमारे पास जो कुछ है, वह सब उसी का दिया हुआ है। वह धरती की सभी बेशकीमती चीज़ों का मालिक है और इनके ज़रिए वह जीवन को कायम रखता है। (भज. 104:13-15; हाग्गै 2:8) बाइबल से पता चलता है कि यहोवा ने कभी-कभी चमत्कार करके अपने लोगों को ये बेशकीमती चीज़ें दी हैं और उनकी ज़रूरतें पूरी की हैं।

2 मिसाल के लिए, यहोवा ने इसराएलियों को वीराने में 40 साल तक मन्‍ना और पानी दिया। (निर्ग. 16:35) “उन्हें किसी चीज़ की कमी नहीं हुई।” (नहे. 9:20, 21) बाद में, यहोवा ने भविष्यवक्‍ता एलीशा के ज़रिए एक चमत्कार किया। उसने एक विधवा के पास जो थोड़ा-बहुत तेल बचा था, उसे बढ़ा दिया। यहोवा की इस दरियादिली से वह विधवा अपना कर्ज़ चुका पायी और इसके बाद भी उसके पास इतने पैसे बचे कि उसका और उसके बेटों का गुज़ारा चल सके। (2 राजा 4:1-7) इसी तरह, परमेश्‍वर की मदद से यीशु ने चमत्कार करके लोगों को खाना खिलाया, यहाँ तक कि ज़रूरत पड़ने पर पैसों का इंतज़ाम भी किया।​—मत्ती 15:35-38; 17:27.

3. इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

3 यहोवा अपनी सृष्टि को कायम रखने के लिए किसी भी चीज़ का इस्तेमाल कर सकता है, वह किसी का मोहताज नहीं। फिर भी वह अपने सेवकों को मौका देता है कि वे उसके संगठन को सहयोग देने के लिए अपनी अनमोल चीज़ें दें। (निर्ग. 36:3-7; नीतिवचन 3:9 पढ़िए।) जब सबकुछ यहोवा का दिया हुआ है, तो वह क्यों चाहता है कि हम उसे अपनी अनमोल चीज़ें दें? पुराने ज़माने में यहोवा के सेवकों ने कैसे उसके काम में सहयोग दिया? आज संगठन, दान किए गए पैसों का किस तरह इस्तेमाल करता है? इस लेख में इन सवालों के जवाब दिए जाएँगे।

हम यहोवा को अपनी अनमोल चीज़ें क्यों देते हैं?

4. यहोवा के काम में सहयोग देकर हम क्या दिखाते हैं?

4 हम यहोवा को अपनी अनमोल चीज़ें इसलिए देते हैं क्योंकि हम उससे प्यार करते हैं और उसने हमारे लिए जो कुछ किया है, उसकी कदर करते हैं। जब हम सोचते हैं कि यहोवा ने हमारे लिए कितना कुछ किया है, तो यह बात हमारे दिल को छू जाती है। राजा दाविद ने भी ऐसा ही महसूस किया था। मंदिर बनाने के लिए जो कुछ चाहिए था, उस बारे में बताते वक्‍त उसने कहा कि हमें सबकुछ यहोवा से मिलता है और हम उसे जो भी देते हैं, वह उसी का दिया हुआ है।​—1 इतिहास 29:11-14 पढ़िए।

5. बाइबल किस तरह बताती है कि निस्वार्थ भावना से दान करना सच्ची उपासना का हिस्सा है?

5 हम यहोवा को अपनी अनमोल चीज़ें इसलिए भी देते हैं क्योंकि इस तरह हम उसकी उपासना करते हैं। प्रेषित यूहन्‍ना ने एक दर्शन में यहोवा के सेवकों को स्वर्ग में यह कहते सुना, “हे यहोवा, हमारे परमेश्‍वर, तू महिमा, आदर और शक्‍ति पाने के योग्य है क्योंकि तू ही ने सारी चीज़ें रची हैं और तेरी ही मरज़ी से ये वजूद में आयीं और रची गयीं।” (प्रका. 4:11) ज़रा सोचिए, जब यहोवा महिमा और आदर पाने के योग्य है, तो क्या हम उसे अपनी सबसे बढ़िया चीज़ें नहीं देंगे? यहोवा ने मूसा के ज़रिए इसराएल राष्ट्र को आज्ञा दी थी कि वे साल में तीन त्योहार मनाएँ। इन त्योहारों पर यहोवा की उपासना में भेंट चढ़ायी जाती थीं। लोगों से कहा गया था, “कोई भी आदमी यहोवा के सामने खाली हाथ न आए।” (व्यव. 16:16) निस्वार्थ भावना से दान करना आज भी हमारी उपासना का एक अहम हिस्सा है। इस तरह हम दिखाते हैं कि हम यहोवा के संगठन की कदर करते हैं और उसे सहयोग देते हैं।

6. हमारे लिए अपनी अनमोल चीज़ें देना क्यों अच्छा है? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

6 हमें सिर्फ दूसरों से पाने की इच्छा नहीं रखनी चाहिए बल्कि दिल खोलकर उन्हें देना भी चाहिए। (नीतिवचन 29:21 पढ़िए।) एक बच्चे के बारे में सोचिए। उसके माता-पिता उसे जेब खर्च के लिए कुछ पैसे देते हैं, लेकिन वह उन्हीं पैसों में से अपने माता-पिता के लिए एक तोहफा खरीदता है। ज़रा सोचिए, तोहफा देखकर माता-पिता को कैसा लगेगा? एक और मिसाल लीजिए। एक जवान पायनियर भाई अपने माता-पिता के साथ रहता है। वह घर के किराए और राशन-पानी के लिए अपनी तरफ से कुछ पैसे देता है। हालाँकि उसके माता-पिता उससे पैसों की उम्मीद नहीं करते, फिर भी वे इसे तोहफा समझकर रख लेते हैं। क्यों? क्योंकि वे जानते हैं कि इस तरह वह उनकी कदर करना सीखेगा। उसी तरह, यहोवा जानता है कि जब हम अपनी अनमोल चीज़ें देते हैं तो इससे हमें ही फायदा होता है।

बीते ज़माने के सेवकों ने कैसे दान किया?

7, 8. यहोवा के सेवकों ने इन मामलों में कैसे एक बढ़िया मिसाल रखी: (क) खास काम को सहयोग देने में? (ख) यहोवा के काम की अगुवाई करनेवालों की मदद करने में?

7 बाइबल बताती है कि बीते ज़माने में यहोवा के लोगों ने दान देकर उसके काम को सहयोग दिया था। कभी-कभी वे किसी खास काम के लिए दान करते थे। मिसाल के लिए, मूसा ने इसराएलियों को बढ़ावा दिया कि वे पवित्र डेरे के निर्माण के लिए दान करें। बाद में, राजा दाविद ने भी लोगों से कहा कि वे यहोवा का मंदिर बनाने के लिए दान दें। (निर्ग. 35:5; 1 इति. 29:5-9) राजा यहोआश के दिनों में लोगों ने जो पैसा दान किया, उससे याजकों ने मंदिर की मरम्मत की। (2 राजा 12:4, 5) फिर पहली सदी में यहूदिया में अकाल पड़ा और वहाँ के भाई-बहनों को मदद की ज़रूरत पड़ी। इसलिए जब बाकी मसीहियों को उनके बारे में पता चला, तो उन्होंने ठान लिया कि उनसे जितना बन पड़ेगा, उतना वे अपने भाइयों के लिए करेंगे।​—प्रेषि. 11:27-30.

8 यहोवा के सेवकों ने दूसरे तरीकों से भी उसके काम को सहयोग दिया। वे उसके काम की अगुवाई करनेवालों को आर्थिक मदद देते थे। मिसाल के लिए, मूसा के कानून में लेवियों को विरासत में कोई ज़मीन नहीं दी गयी थी। बाकी इसराएली अपनी हर चीज़ का दसवाँ हिस्सा लेवियों को देते थे। इस वजह से लेवी अपना पूरा ध्यान पवित्र डेरे के काम-काज पर लगा पाते थे। (गिन. 18:21) उसी तरह, कुछ दरियादिल औरतों ने भी अपनी धन-संपत्ति से यीशु और प्रेषितों की मदद की।​—लूका 8:1-3.

9. बीते ज़माने के सेवकों को दान करने के लिए पैसा या कीमती चीज़ें कहाँ से मिलीं?

9 बीते ज़माने के इन सेवकों के पास दान करने के लिए पैसा या कीमती चीज़ें कहाँ से आयीं? पवित्र डेरा बनाने के लिए इसराएलियों ने जो अनमोल चीज़ें दीं, उन्हें वे शायद मिस्र से लाए थे। (निर्ग. 3:21, 22; 35:22-24) पहली सदी में, कुछ मसीहियों ने अपने खेत या घर बेचे और रकम लाकर प्रेषितों को दी। प्रेषितों ने उन पैसों से ज़रूरतमंद भाई-बहनों की मदद की। (प्रेषि. 4:34, 35) दूसरे मसीही नियमित तौर पर दान करने के लिए कुछ पैसा अलग रखते थे। (1 कुरिं. 16:2) इस तरह अमीर-गरीब सभी कुछ-न-कुछ दान करते थे।​—लूका 21:1-4.

आज हम कैसे दान करते हैं?

10, 11. (क) हम बाइबल के ज़माने के सेवकों की तरह कैसे दरियादिल बन सकते हैं? (ख) आप राज के कामों को सहयोग देने के बारे में कैसा महसूस करते हैं?

10 आज शायद हमसे भी गुज़ारिश की जाए कि हम किसी खास काम के लिए दान करें। मिसाल के लिए, शायद हमारी मंडली राज-घर की मरम्मत करने या एक नया राज-घर बनाने की योजना बना रही हो। या फिर हमें बताया जाता है कि हमारे देश के शाखा दफ्तर में कुछ मरम्मत का काम किया जाना है, अधिवेशन में होनेवाले खर्च पूरे किए जाने हैं या फिर किसी जगह पर कुदरती आफत के शिकार भाई-बहनों की मदद की जानी है। इसके अलावा, हमारे दान से मिशनरियों, खास पायनियरों, सर्किट निगरानों साथ ही, विश्‍व मुख्यालय और दुनिया-भर के शाखा दफ्तरों में काम करनेवाले भाई-बहनों की भी मदद की जाती है। यह भी हो सकता है कि आपकी मंडली, दूसरे देश में सम्मेलन भवनों और राज-घरों के निर्माण के लिए नियमित तौर पर दान भेजती हो।

11 इन आखिरी दिनों में यहोवा के संगठन में जो काम हो रहा है, उसमें सहयोग देने के लिए हम सब कुछ-न-कुछ कर सकते हैं। ज़्यादातर मामलों में किसी को पता नहीं होता कि एक भाई या बहन ने कितना दान किया है। जब हम दान-पेटी में दान डालते हैं या jw.org वेबसाइट पर जाकर दान करते हैं, तो हम दूसरों को इस बारे में नहीं बताते। लेकिन कभी-कभी हमें लग सकता है कि हमारा दान बहुत छोटा है। मगर सच तो यह है कि संगठन को मिलनेवाले ज़्यादातर दान छोटे ही होते हैं, बड़े नहीं। हमारे कई गरीब भाई-बहन भी पहली सदी के मकिदुनिया के मसीहियों जैसा जज़्बा दिखाते हैं। उन मसीहियों ने “घोर गरीबी” के बावजूद मिन्‍नतें कीं कि वे दान करना चाहते हैं और उन्होंने दिल खोलकर ऐसा किया।​—2 कुरिं. 8:1-4.

12. दान का इस्तेमाल करने के बारे में यहोवा का संगठन किस बात का ध्यान रखता है?

12 शासी निकाय दान का इस्तेमाल करने में विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान साबित हुआ है। (मत्ती 24:45) इस निकाय के सदस्य प्रार्थना करते हैं ताकि वे सोच-समझकर फैसले ले सकें कि दान के पैसे किन कामों में इस्तेमाल किए जाएँ। (लूका 14:28) बाइबल के ज़माने में दान सँभालनेवाले आदमी विश्‍वासयोग्य होते थे और इस बात का ध्यान रखते थे कि दान सिर्फ यहोवा की उपासना के लिए इस्तेमाल हों। मिसाल के लिए, जब एज्रा यरूशलेम लौट रहा था, तो फारस के राजा ने यहोवा के भवन के लिए सोना-चाँदी और दूसरी बेशकीमती चीज़ें दान कीं। आज के ज़माने में इनकी कीमत 640 करोड़ से ज़्यादा है। एज्रा की नज़र में यह सब दान यहोवा को दिए तोहफे थे। इसलिए उसने साफ-साफ हिदायतें दीं ताकि खतरनाक इलाकों से गुज़रते वक्‍त इस दान की हिफाज़त की जाए। (एज्रा 8:24-34) कई साल बाद प्रेषित पौलुस ने यहूदिया के ज़रूरतमंद भाइयों की मदद करने के लिए पैसे इकट्ठे किए। उसने दान पहुँचाने के लिए ऐसे भाइयों को चुना जो “न सिर्फ यहोवा की नज़र में बल्कि इंसानों की नज़र में भी हर काम ईमानदारी से करने के लिए” सावधानी बरतते थे। (2 कुरिंथियों 8:18-21 पढ़िए।) एज्रा और पौलुस की तरह यहोवा का संगठन भी दान का सोच-समझकर इस्तेमाल करता है।

13. हाल के सालों में संगठन ने क्यों फेरबदल किए हैं?

13 एक परिवार के सदस्य शायद कुछ फेरबदल करें ताकि उनके खर्चे आमदनी से ज़्यादा न हो। या फिर वे अपनी ज़िंदगी को सादा बनाएँ ताकि यहोवा की सेवा में ज़्यादा कर सकें। यह बात यहोवा के संगठन के बारे में भी सच है। हाल के सालों में संगठन ने कई प्रोजेक्ट हाथ में लिए हैं और कुछ मामलों में खर्चे, मिलनेवाले दान से ज़्यादा हुए हैं। इसलिए संगठन ने खर्चा कम करने और काम को और भी आसान करने के तरीके ढूँढ़े। नतीजा, उदारता से दिए गए आपके दान का बेहतर तरीके से इस्तेमाल हो रहा है।

आपके दान से क्या फायदा होता है?

आपके दान से अलग-अलग काम हो पाते हैं (पैराग्राफ 14-16 देखिए)

14-16. (क) आपके दिए दान से क्या-क्या काम हो पाता है? (ख) संगठन से मिलनेवाले अलग-अलग तोहफों से आपको क्या फायदा हुआ है?

14 कई भाई-बहन जो लंबे समय से यहोवा की सेवा कर रहे हैं कहते हैं कि आज उन्हें पहले से ज़्यादा संगठन से तोहफे मिल रहे हैं। ज़रा सोचिए, हमारे पास jw.org वेबसाइट और JW ब्रॉडकास्टिंग है। इसके अलावा, हमारे पास पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद बाइबल है जो बहुत-सी भाषाओं में उपलब्ध है। सन्‌ 2014 और 2015 में, “पहले परमेश्‍वर के राज की खोज में लगे रहो!” नाम के अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन का इंतज़ाम किया गया। तीन दिन का यह अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन 14 शहरों के बड़े-बड़े स्टेडियम में रखा गया था और इसमें हाज़िर होनेवाले सभी खुशी से फूले नहीं समाए।

15 बहुत-से भाई-बहनों का कहना है कि इन तोहफों के लिए वे यहोवा के संगठन के कितने एहसानमंद हैं! मिसाल के लिए, एशिया में सेवा करनेवाले एक पति-पत्नी ने JW ब्रॉडकास्टिंग के बारे में लिखा, “हम एक छोटे-से शहर में सेवा करते हैं। इसलिए कभी-कभी हम खुद को अकेला महसूस करते हैं और यह भूल जाते हैं कि यहोवा का काम कितने बड़े पैमाने पर हो रहा है। लेकिन जब हम JW ब्रॉडकास्टिंग पर तरह-तरह के कार्यक्रम देखते हैं, तो हमें एहसास होता है कि हम एक अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी का हिस्सा हैं। यहाँ के भाई-बहन ब्रॉडकास्टिंग देखने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं। वे अकसर कहते हैं कि जब वे हर महीने ब्रॉडकास्टिंग देखते हैं, तो वे शासी निकाय के और भी करीब महसूस करते हैं। अब उन्हें और भी ज़्यादा गर्व है कि वे परमेश्‍वर के संगठन का हिस्सा हैं।”

16 दुनिया-भर में आज करीब 2,500 नए राज-घर बनाए जा रहे हैं या राज-घरों की मरम्मत की जा रही है। होंडुरास में एक मंडली के सदस्यों का हमेशा से सपना रहा है कि उनका अपना एक राज-घर हो। आखिरकार उनका यह सपना पूरा हुआ। वे लिखते हैं, “हम बेहद खुश हैं कि हम यहोवा के विश्‍वव्यापी परिवार का हिस्सा हैं और दुनिया-भर में फैली भाइयों की हमारी एक बिरादरी है।” कई भाई-बहन इसी तरह की खुशी महसूस करते हैं खासकर तब जब उन्हें अपनी भाषा में बाइबल या बाइबल पर आधारित प्रकाशन मिलते हैं, जब किसी कुदरती आफत के बाद भाई-बहन आकर उनकी मदद करते हैं या फिर तब जब उन्हें सरेआम गवाही देने और महानगरों में सरेआम गवाही देने के बढ़िया नतीजे मिलते हैं।

17. हम कैसे जानते हैं कि आज यहोवा अपने संगठन को सहयोग दे रहा है?

17 कई लोग जो यहोवा के साक्षी नहीं हैं, समझ नहीं पाते कि हमारा काम स्वेच्छा से दिए दान से कैसे चलता है। एक बार एक बड़ी कंपनी का अधिकारी हमारे एक शाखा दफ्तर में छपाई खाने का दौरा करने आया। वह यह जानकर हैरान रह गया कि यहाँ सारा काम स्वेच्छा से दिए दान से चलता है और काम करनेवाले सभी लोग स्वयंसेवक हैं। इतना ही नहीं, उसे यह जानकर भी हैरानी हुई कि लोगों से पैसे इकट्ठा करने के लिए हम किसी कार्यक्रम का आयोजन नहीं करते। उस अधिकारी ने बताया कि दान से इतना बड़ा काम करना नामुमकिन है। उसने बिलकुल सही कहा! हम जानते हैं कि यह काम सिर्फ यहोवा की मदद से मुमकिन हो पाता है।​—अय्यू. 42:2.

अपनी अनमोल चीज़ें देने से क्या आशीषें मिलती हैं?

18. (क) राज के काम में सहयोग देने से क्या आशीषें मिलती हैं? (ख) हम किस तरह अपने बच्चों और नए लोगों को दान करना सिखा सकते हैं?

18 यहोवा हमें राज के काम में सहयोग देने का मौका और सम्मान दे रहा है, जो आज बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। वह गारंटी देता है कि जब हम ऐसा करेंगे, तो हमें आशीषें मिलेंगी। (मला. 3:10) उसका वादा है कि अगर हम दिल खोलकर दान दें, तो हमारा भला होगा। (नीतिवचन 11:24, 25 पढ़िए।) दूसरों को देने से हमें खुशी भी मिलेगी क्योंकि “लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।” (प्रेषि. 20:35) यही नहीं, हम अपनी बातों और कामों से अपने बच्चों और नए लोगों को सिखा पाएँगे कि वे कैसे राज के कामों के लिए दान कर सकते हैं और बदले में ढेरों आशीषें पा सकते हैं।

19. इस लेख से आपको क्या बढ़ावा मिला है?

19 हमारे पास जो कुछ है, वह सब यहोवा का दिया हुआ है। इसलिए जब हम अपनी अनमोल चीज़ों में से उसे देते हैं, तो हम दिखाते हैं कि हम उससे प्यार करते हैं और उसने हमारे लिए जो कुछ किया है उसकी कदर करते हैं। (1 इति. 29:17) जब इसराएलियों ने मंदिर बनाने के लिए दान दिया, तो उन्हें “भेंट करने में बड़ी खुशी हुई क्योंकि उन्होंने पूरे दिल से और अपनी इच्छा से यहोवा को भेंट की थी।” (1 इति. 29:9) आइए हम अपनी अनमोल चीज़ों में से यहोवा को देते रहें और इससे मिलनेवाली खुशी पाते रहें!