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किस तरह का प्यार सच्ची खुशी देता है?

किस तरह का प्यार सच्ची खुशी देता है?

“सुखी हैं वे लोग जिनका परमेश्‍वर यहोवा है!”​—भज. 144:15.

गीत: 28, 25

1. यह क्यों कहा जा सकता है कि आज हम सबसे अनोखे दौर में जी रहे हैं?

आज हम सबसे अनोखे दौर में जी रहे हैं। वह क्यों? क्योंकि यहोवा “सब राष्ट्रों और गोत्रों और जातियों और भाषाओं में से” एक बड़ी भीड़ इकट्ठा कर रहा है, ठीक जैसा बाइबल में बताया गया था। इस भीड़ में 80 लाख से भी ज़्यादा लोग हैं जो एक “ताकतवर राष्ट्र” बन चुके हैं और खुशी-खुशी ‘दिन-रात परमेश्‍वर की पवित्र सेवा करते हैं।’ (प्रका. 7:9, 15; यशा. 60:22) इंसानी इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि इतने सारे लोग परमेश्‍वर से और अपने पड़ोसियों से प्यार करते हैं।

2. जो लोग परमेश्‍वर के दोस्त नहीं, वे किस तरह का प्यार ज़ाहिर करते हैं? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

2 वहीं दूसरी तरफ, हमारे दिनों के बारे में बाइबल में यह भी बताया गया था कि जो लोग परमेश्‍वर के दोस्त नहीं होंगे, उनमें गलत किस्म का प्यार नज़र आएगा। यह प्यार एक इंसान को सिर्फ अपने बारे में सोचने के लिए उकसाता है। प्रेषित पौलुस ने लिखा कि लोग “खुद से प्यार करनेवाले, पैसे से प्यार करनेवाले” और “परमेश्‍वर के बजाय मौज-मस्ती से प्यार करनेवाले होंगे।” (2 तीमु. 3:1-4) यह प्यार मसीही प्यार से बिलकुल अलग है और इस प्यार के पीछे भागने से सच्ची खुशी नहीं मिलती। इस प्यार की वजह से दुनिया मतलबी होती जा रही है और लोगों का जीना मुश्‍किल होता जा रहा है।

3. इस लेख में हम क्या देखेंगे और क्यों?

3 प्रेषित पौलुस जानता था कि इस तरह का प्यार मसीहियों के लिए खतरनाक है। इसीलिए उसने उन लोगों से ‘दूर हो जाने’ की सलाह दी, जिनमें गलत किस्म का प्यार है। (2 तीमु. 3:5) यह सच है कि हम पूरी तरह से ऐसे लोगों से दूर नहीं हो सकते। तो फिर हम क्या कर सकते हैं ताकि उनके रवैए का हम पर असर न हो और हम यहोवा को खुश कर सकें जो प्यार का परमेश्‍वर है? आइए देखें कि 2 तीमुथियुस 3:2-4 में जिस प्यार का ज़िक्र किया गया है और परमेश्‍वर हमसे जिस प्यार की उम्मीद करता है, उन दोनों में क्या फर्क है। फिर हम खुद की जाँच करेंगे कि हम कैसे वह प्यार ज़ाहिर कर सकते हैं जिससे सच्ची खुशी मिलती है।

क्या आप परमेश्‍वर से प्यार करते हैं या खुद से?

4. कुछ हद तक खुद से प्यार करना क्यों गलत नहीं?

4 प्रेषित पौलुस ने लिखा, “लोग सिर्फ खुद से प्यार करनेवाले” होंगे। क्या इसका मतलब है कि खुद से प्यार करना गलत है? नहीं। दरअसल यहोवा ने हमें इस तरह बनाया है कि हम खुद से प्यार करें और ऐसा करना ज़रूरी भी है। यीशु ने कहा, “तू अपने पड़ोसी से वैसे ही प्यार करना जैसे तू खुद से करता है।” (मर. 12:31) ज़रा सोचिए अगर हम खुद से प्यार नहीं करेंगे, तो अपने पड़ोसी से कैसे प्यार कर सकते हैं? बाइबल यह भी बताती है, “पतियों को चाहिए कि वे अपनी-अपनी पत्नी से ऐसे प्यार करें जैसे अपने शरीर से। जो अपनी पत्नी से प्यार करता है, वह खुद से प्यार करता है। इसलिए कि कोई भी आदमी अपने शरीर से कभी नफरत नहीं करता, बल्कि वह उसे खिलाता-पिलाता है और अनमोल समझता है।” (इफि. 5:28, 29) इन बातों से साफ पता चलता है कि कुछ हद तक खुद से प्यार करना गलत नहीं।

5. जो लोग खुद को हद-से-ज़्यादा प्यार करते हैं, उनकी तुलना आप किससे करेंगे?

5 लेकिन 2 तीमुथियुस 3:2 में खुद से प्यार करने की बात को गलत क्यों बताया गया है? क्योंकि इससे एक इंसान स्वार्थी बन सकता है और खुद को दूसरों से बेहतर समझ सकता है। (रोमियों 12:3 पढ़िए।) उसे सिर्फ अपनी परवाह होती है। गलती करने पर वह खुद के बजाय दूसरों पर दोष लगाता है। ऐसे इंसान के बारे में बाइबल पर लिखी एक किताब बताती है कि वह झाऊ चूहे की तरह होता है जिसके शरीर पर काँटे होते हैं। वह खुद को गरम और सुरक्षित रखने के लिए गेंद की तरह गोल हो जाता है लेकिन उसके काँटे दूसरों को चुभते हैं। खुद से प्यार करनेवाले लोग कभी खुश नहीं रहते।

6. जो इंसान परमेश्‍वर से प्यार करता है, उसे क्या फायदा होता है?

6 पौलुस ने सबसे पहले खुद से प्यार करने की बात क्यों कही? कुछ बाइबल विद्वानों का मानना है कि इस तरह के प्यार से एक इंसान में वे सारे बुरे गुण आ जाते हैं जिनके बारे में पौलुस ने आगे बताया था। इसके उलट, जो इंसान परमेश्‍वर से प्यार करता है वह अपने अंदर अच्छे गुण बढ़ाएगा जैसे, खुशी, शांति, सब्र, कृपा, भलाई, विश्‍वास, कोमलता और संयम। (गला. 5:22, 23) भजन के लिखनेवाले ने कहा, “सुखी हैं वे लोग जिनका परमेश्‍वर यहोवा है!” (भज. 144:15) यहोवा आनंदित परमेश्‍वर है और उसके लोग भी आनंदित रहते हैं। यही नहीं, वे दूसरों को देने के मौके ढूँढ़ते हैं और इस वजह से भी खुश रहते हैं। (प्रेषि. 20:35) सच, यहोवा के सेवक दुनिया के लोगों से कितने अलग हैं जो सिर्फ अपने आपसे प्यार करते हैं और हमेशा यही सोचते हैं कि उन्हें दूसरों से क्या मिलेगा।

हम खुद से प्यार करने से कैसे दूर रह सकते हैं? (पैराग्राफ 7 देखिए)

7. हम कैसे जान सकते हैं कि हम खुद से ज़्यादा परमेश्‍वर से प्यार करते हैं?

7 हम कैसे जान सकते हैं कि हम परमेश्‍वर से ज़्यादा खुद से प्यार करने लगे हैं? इस सलाह के बारे में सोचिए, “झगड़ालू रवैए या अहंकार की वजह से कुछ न करो, मगर नम्रता से दूसरों को खुद से बेहतर समझो। और हर एक सिर्फ अपने भले की फिक्र में न रहे, बल्कि दूसरे के भले की भी फिक्र करे।” (फिलि. 2:3, 4) अब खुद से पूछिए, ‘क्या मैं इस आयत में दी सलाह को मानता हूँ? क्या मैं परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने की कोशिश करता हूँ? क्या मैं मंडली और प्रचार में दूसरों की मदद करने के मौके ढूँढ़ता हूँ?’ दूसरों के लिए अपना समय और ताकत लगाना हमेशा आसान नहीं होता। इसके लिए शायद हमें कड़ी मेहनत करनी पड़े या कुछ त्याग करने पड़ें। इससे ज़्यादा खुशी हमें और किस बात से मिल सकती है कि हमारे काम देखकर सारे जहान का मालिक यहोवा खुश होता है!

8. परमेश्‍वर से प्यार होने की वजह से कुछ मसीहियों ने क्या किया है?

8 परमेश्‍वर से प्यार होने की वजह से कुछ मसीहियों ने ऐसा करियर छोड़ दिया जिससे वे अच्छा-खासा पैसा कमा सकते थे। इसके बजाय, उन्होंने यहोवा की सेवा को अपना करियर बनाया। एरिका की मिसाल लीजिए, जो एक डॉक्टर है। अपने करियर में आगे बढ़ने के बजाय उसने पायनियर सेवा शुरू की। उसने अपने पति के साथ कई देशों में प्रचार किया। वह कहती है, “दूसरी भाषा बोलनेवाले इलाकों में सेवा करने से हमें कई बेहतरीन अनुभव मिले और हमने अच्छे दोस्त भी बनाए। इस वजह से हमारी ज़िंदगी और भी खुशनुमा बन गयी है।” हालाँकि एरिका अब भी डॉक्टर के तौर पर काम करती है लेकिन वह अपना ज़्यादातर समय और मेहनत प्रचार में लगाती है और भाई-बहनों की मदद करती है। वह कहती है, “इससे मुझे सच्ची खुशी और संतुष्टि मिलती है।”

क्या आप पृथ्वी पर धन जमा कर रहे हैं या स्वर्ग में?

9. पैसे से प्यार करनेवाला इंसान क्यों कभी खुश नहीं हो सकता?

9 पौलुस ने लिखा कि लोग “पैसे से प्यार करनेवाले” होंगे। कुछ साल पहले, आयरलैंड में एक पायनियर भाई एक आदमी से परमेश्‍वर के बारे में बात कर रहा था। उस आदमी ने अपने बटुए से कुछ नोट निकाले और कहा, “यह देखो! यह है मेरा भगवान!” कई लोग पैसे को ही भगवान मानते हैं, भले ही वे यह बात खुलकर न कहें। उन्हें पैसों और उससे खरीदी जानेवाली चीज़ों से प्यार है। लेकिन बाइबल हमें चेतावनी देती है, “जिसे चाँदी से प्यार है उसका मन चाँदी से नहीं भरता, वैसे ही दौलत से प्यार करनेवाले का मन अपनी कमाई से नहीं भरता।” (सभो. 5:10) पैसे से प्यार करनेवाला इंसान कभी तृप्त नहीं होता। उसे हमेशा और पैसा चाहिए होता है और वह ज़िंदगी-भर इसके पीछे भागता रहता है। नतीजा, वह खुद को “कई दुख-तकलीफों” से छलनी कर लेता है।​—1 तीमु. 6:9, 10.

10. आगूर ने अमीरी और गरीबी के बारे में क्या कहा?

10 बेशक पैसा हम सबकी एक ज़रूरत है और यह कुछ हद तक हमारी हिफाज़त करता है। (सभो. 7:12) लेकिन अगर हमारे पास सिर्फ इतना पैसा है कि हमारी बुनियादी ज़रूरतें पूरी हों, तो क्या हम खुश रह सकते हैं? बिलकुल! (सभोपदेशक 5:12 पढ़िए।) याके के बेटे आगूर ने लिखा, “मुझे न गरीबी दे, न अमीरी। मुझे बस मेरे हिस्से का खाना दे।” हम समझ सकते हैं कि आगूर ने क्यों कहा कि मुझे बहुत गरीब मत बना। वह इसलिए कि गरीबी एक इंसान को चोरी करने के लिए लुभा सकती है जिससे परमेश्‍वर का नाम बदनाम हो सकता है। लेकिन वह अमीर क्यों नहीं बनना चाहता था? उसने कहा, “ऐसा न हो कि मेरे पास बहुत हो जाए और मैं तुझसे मुकरकर कहूँ, ‘यहोवा कौन है?’” (नीति. 30:8, 9) आज कई लोग हैं जो परमेश्‍वर से ज़्यादा पैसों पर भरोसा रखते हैं और आप शायद ऐसे कुछ लोगों को जानते हों।

11. यीशु ने पैसे के बारे में क्या सलाह दी?

11 पैसे से प्यार करनेवाला इंसान कभी परमेश्‍वर को खुश नहीं कर सकता। वह क्यों? यीशु ने कहा, “कोई भी दास दो मालिकों की सेवा नहीं कर सकता। क्योंकि या तो वह एक से नफरत करेगा और दूसरे से प्यार या वह एक से जुड़ा रहेगा और दूसरे को तुच्छ समझेगा। तुम परमेश्‍वर के दास होने के साथ-साथ धन-दौलत की गुलामी नहीं कर सकते।” उसने यह भी कहा, “अपने लिए पृथ्वी पर धन जमा करना बंद करो, जहाँ कीड़ा और ज़ंग उसे खा जाते हैं और चोर सेंध लगाकर चुरा लेते हैं। इसके बजाय, अपने लिए स्वर्ग में धन जमा करो, जहाँ न तो कीड़ा, न ही ज़ंग उसे खाते हैं और न चोर सेंध लगाकर चुराते हैं।”​—मत्ती 6:19, 20, 24.

12. मिसाल देकर समझाइए कि कैसे ज़िंदगी को सादा करने से हम परमेश्‍वर की सेवा कर सकते हैं।

12 यहोवा के कई सेवकों ने अपनी ज़िंदगी को सादा किया है। इस वजह से वे यहोवा की सेवा में ज़्यादा कर पाए हैं और बहुत खुश हैं। अमरीका के रहनेवाले जैक को लीजिए। उसने अपना आलीशान घर और कारोबार बेच दिया ताकि अपनी पत्नी के साथ पायनियर सेवा कर सके। वह कहता है, “मेरा एक खूबसूरत घर और ज़मीन-जायदाद थी। इन्हें छोड़ना मेरे लिए आसान नहीं था। लेकिन कई सालों से मैं अपने काम को लेकर परेशान था और मुझे कोई खुशी नहीं मिल रही थी। वहीं मेरी पत्नी जो एक पायनियर है, हमेशा खुश नज़र आती थी। वह कहती थी, ‘मेरा बॉस दुनिया का सबसे अच्छा बॉस है!’ आज मैं भी एक पायनियर हूँ और हम दोनों एक ही बॉस, यहोवा के लिए काम करते हैं!”

हम पैसों से प्यार करने से कैसे दूर रह सकते हैं? (पैराग्राफ 13 देखिए)

13. हम कैसे जान सकते हैं कि पैसों के बारे में हमारा नज़रिया सही है या नहीं?

13 पैसों के बारे में अपना नज़रिया जानने के लिए हमें खुद से पूछना चाहिए, ‘क्या मेरे जीने के तरीके से साफ दिखता है कि मैं पैसों के बारे में बाइबल की सलाह मानता हूँ? क्या पैसा कमाना मेरी ज़िंदगी का मकसद बन गया है? क्या मैं यहोवा और लोगों के साथ अपने रिश्‍ते से ज़्यादा ऐशो-आराम की चीज़ों को अहमियत देता हूँ? क्या मुझे पूरा भरोसा है कि यहोवा मेरी ज़रूरतें पूरी करेगा?’ यकीन रखिए, यहोवा पर भरोसा रखनेवालों को कभी निराश नहीं होना पड़ेगा।​—मत्ती 6:33.

क्या आप यहोवा से प्यार करते हैं या मौज-मस्ती से?

14. मौज-मस्ती के बारे में सही नज़रिया क्या है?

14 बाइबल में यह भी भविष्यवाणी की गयी थी कि कई लोग “मौज-मस्ती से प्यार करनेवाले होंगे।” इस मामले में भी हमें एक संतुलित नज़रिया रखना चाहिए। कुछ लोग मानते हैं कि उन्हें किसी भी तरह की मौज-मस्ती नहीं करनी चाहिए, लेकिन यहोवा ऐसा नहीं सोचता। बाइबल परमेश्‍वर के वफादार सेवकों को बढ़ावा देती है, “जा! मगन होकर अपना खाना खा और खुशी-खुशी दाख-मदिरा पी।”​—सभो. 9:7.

15. इसका क्या मतलब है कि लोग “मौज-मस्ती से प्यार करनेवाले होंगे”?

15 लेकिन 2 तीमुथियुस 3:4 में मौज-मस्ती से प्यार करनेवाले ऐसे लोगों के बारे में बताया गया है, जिनकी ज़िंदगी में परमेश्‍वर के लिए कोई जगह नहीं। ध्यान दीजिए, आयत यह नहीं कहती कि लोग परमेश्‍वर से ज़्यादा मौज-मस्ती से प्यार करेंगे। अगर ऐसी बात होती तो इसका मतलब होता कि उनमें परमेश्‍वर के लिए थोड़ा-बहुत प्यार है। मगर आयत में लिखा है कि वे “परमेश्‍वर के बजाय” मौज-मस्ती से प्यार करेंगे। इस आयत के बारे में एक विद्वान कहता है कि यहाँ “ऐसे लोगों की बात नहीं की गयी है जो परमेश्‍वर से कुछ हद तक प्यार करते हैं बल्कि ऐसे लोगों की बात की गयी है जो उससे बिलकुल भी प्यार नहीं करते।” मौज-मस्ती से प्यार करनेवालों के लिए यह क्या ही गंभीर बात है! बाइबल बिलकुल सही कहती है कि ऐशो-आराम और मौज-मस्ती से प्यार करनेवाले ‘भटक’ गए हैं।​—लूका 8:14.

16, 17. यीशु ने मौज-मस्ती के मामले में क्या मिसाल रखी?

16 यीशु ने मौज-मस्ती के बारे में सही नज़रिया रखा। बाइबल बताती है कि वह एक “शादी की दावत” में और एक दूसरी “बड़ी दावत” में गया। (यूह. 2:1-10; लूका 5:29) शादी की दावत में जब दाख-मदिरा कम पड़ गयी तो उसने चमत्कार करके पानी को दाख-मदिरा में बदला। एक और मौके पर जब लोगों ने यह कहकर उसकी निंदा की कि वह पेटू और पियक्कड़ है, तो उसने साफ-साफ बताया कि खाने-पीने के बारे में उनका नज़रिया संतुलित नहीं।​—लूका 7:33-36.

17 मगर यीशु ने इन चीज़ों को अपनी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा अहमियत नहीं दी। उसने यहोवा को पहली जगह दी और दूसरों की मदद करने की पूरी कोशिश की। वह इंसानों की खातिर एक दर्दनाक मौत मरने को भी तैयार था। यीशु ने अपने पीछे चलनेवालों से कहा, “सुखी हो तुम जब लोग तुम्हें मेरे चेले होने की वजह से बदनाम करें, तुम पर ज़ुल्म ढाएँ और तुम्हारे बारे में तरह-तरह की झूठी और बुरी बातें कहें। तब तुम मगन होना और खुशियाँ मनाना इसलिए कि स्वर्ग में तुम्हारे लिए बड़ा इनाम है। उन्होंने तुमसे पहले के भविष्यवक्‍ताओं पर भी इसी तरह ज़ुल्म ढाए थे।”​—मत्ती 5:11, 12.

हम मौज-मस्ती से प्यार करने से कैसे दूर रह सकते हैं? (पैराग्राफ 18 देखिए)

18. मौज-मस्ती के बारे में अपना नज़रिया जानने के लिए हम खुद से क्या पूछ सकते हैं?

18 हम कैसे जान सकते हैं कि मौज-मस्ती के बारे में हमारा नज़रिया सही है या नहीं? हम खुद से पूछ सकते हैं, ‘क्या मनोरंजन करना मेरे लिए सभाओं और प्रचार से ज़्यादा ज़रूरी है? परमेश्‍वर की सेवा करने के लिए क्या मैं उन चीज़ों को भी छोड़ने के लिए तैयार हूँ जो मुझे पसंद हैं? जब मैं कोई मनोरंजन चुनता हूँ, तो क्या यह सोचता हूँ कि यहोवा इसे किस नज़र से देखता है?’ हम परमेश्‍वर से प्यार करते हैं और उसे खुश करना चाहते हैं, इसलिए हम न सिर्फ उन चीज़ों से दूर रहेंगे जो हमें पता है कि परमेश्‍वर को पसंद नहीं बल्कि उन चीज़ों से भी जो हमें लगती हैं कि उसे पसंद नहीं आएँगी।​—मत्ती 22:37, 38 पढ़िए।

खुशी कैसे पाएँ?

19. किस तरह के लोग कभी सच्ची खुशी नहीं पा सकते?

19 शैतान की दुनिया में लोगों ने करीब 6,000 सालों से दुख-तकलीफों के सिवा कुछ नहीं देखा। आज जहाँ देखो वहाँ ऐसे लोग हैं जो खुद से, पैसों से और मौज-मस्ती से प्यार करते हैं। वे हमेशा यही सोचते हैं कि उन्हें दूसरों से क्या फायदा हो सकता है और अपनी इच्छाएँ पूरी करना ही उनकी ज़िंदगी का मकसद बन गया है। लेकिन ऐसे लोग सच्ची खुशी कभी नहीं पा सकते! बाइबल बताती है कि सच्ची खुशी या सुख कैसे मिलता है। इसमें लिखा है, “सुखी है वह जिसका मददगार याकूब का परमेश्‍वर है, जो अपने परमेश्‍वर यहोवा पर आशा रखता है।”​—भज. 146:5.

20. परमेश्‍वर से प्यार करने की वजह से आपको क्या खुशी मिली है?

20 यहोवा के सेवक सचमुच उससे प्यार करते हैं और हर साल ऐसे लोगों की गिनती बढ़ती जा रही है जो उसके बारे में सीखते हैं और उससे प्यार करने लगते हैं। यह इस बात का सबूत है कि परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है और बहुत जल्द वह ऐसी आशीषें लाएगा जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। जब हम यहोवा की मरज़ी पर चलते हैं, तो हम उसे खुश करते हैं और यह बात हमें सच्ची खुशी देती है। यहोवा से प्यार करनेवाले हमेशा तक खुश रहेंगे! अगले लेख में हम देखेंगे कि जिन लोगों में गलत किस्म का प्यार है, उनमें कौन-से बुरे गुण आ जाते हैं। फिर हम चर्चा करेंगे कि इन बुरे गुणों और यहोवा के सेवकों में पाए जानेवाले अच्छे गुणों में क्या फर्क है।