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अध्ययन लेख 5

ऐसे गुण जो हमें सभाओं में जाने के लिए उभारते हैं

ऐसे गुण जो हमें सभाओं में जाने के लिए उभारते हैं

‘प्रभु के आने तक उसकी मौत का ऐलान करते रहो।’​—1 कुरिं. 11:26.

गीत 18 फिरौती के लिए एहसानमंद

लेख की एक झलक *

1-2. (क) जब प्रभु के संध्या-भोज के लिए लाखों लोग इकट्ठा होते हैं, तो यहोवा क्या देखता है? (बाहर दी तसवीर देखें।) (ख) इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

हर साल प्रभु के संध्या-भोज के लिए दुनिया-भर में लाखों लोग इकट्ठा होते हैं। लेकिन यहोवा सिर्फ लोगों की गिनती पर ध्यान नहीं देता, वह वहाँ आनेवाले हर व्यक्‍ति पर ध्यान देता है। उदाहरण के लिए, वह उन लोगों को देखता है, जो हर साल स्मारक में हाज़िर होते हैं। वह जानता है कि उनमें से कुछ लोग बहुत ज़ुल्म सहने के बाद भी आते हैं। दूसरे ऐसे हैं जो नियमित तौर पर सभाओं में नहीं आते, लेकिन उन्हें लगता है कि स्मारक में जाना उनका फर्ज़ है। इसके अलावा कुछ ऐसे लोग भी हैं जो स्मारक में पहली बार आते हैं, शायद इसलिए कि वे इसके बारे में और जानना चाहते हैं। यहोवा ऐसे लोगों पर भी ध्यान देता है।

2 बेशक यहोवा को यह देखकर बहुत खुशी होती है कि इतने सारे लोग स्मारक में आते हैं। (लूका 22:19) मगर उसे सिर्फ इस बात में दिलचस्पी नहीं है कि कितने  लोग स्मारक में हाज़िर होते हैं, बल्कि इस बात में भी कि लोग किस वजह  से आते हैं। इस लेख में हम एक ज़रूरी सवाल पर चर्चा करेंगे: हम हर साल होनेवाले स्मारक समारोह में और हफ्ते की सभाओं में क्यों हाज़िर होते हैं?

दुनिया-भर में लाखों लोग प्रभु के संध्या-भोज में आते हैं और उनका स्वागत किया जाता है (पैराग्राफ 1-2 देखें)

नम्र होने से हम सभाओं में हाज़िर होंगे

3-4. (क) हम सभाओं में क्यों हाज़िर होते हैं? (ख) सभाओं में हाज़िर होकर हम क्या दिखाते हैं? (ग) 1 कुरिंथियों 11:23-26 के मुताबिक हमें हर हाल में स्मारक में क्यों हाज़िर होना चाहिए?

3 मसीही सभाओं में हाज़िर होने का मुख्य कारण है कि ये हमारी उपासना का हिस्सा हैं। एक और कारण यह है कि सभाओं में हम यहोवा से सीखते हैं। जिन लोगों में घमंड होता है, उन्हें लगता है कि उन्हें किसी से कुछ सीखने की ज़रूरत नहीं। (3 यूह. 9) वहीं दूसरी तरफ हम यहोवा और उसके संगठन से सीखने के लिए उत्सुक रहते हैं।​—यशा. 30:20; यूह. 6:45.

4 सभाओं में हाज़िर होकर हम दिखाते हैं कि हम नम्र हैं और सीखने के लिए तैयार हैं। यीशु की मौत की याद में रखी जानेवाली सभा में हम सिर्फ अपना फर्ज़ समझकर नहीं आते, बल्कि इसलिए भी आते हैं कि यीशु ने आज्ञा दी थी, “मेरी याद में ऐसा ही किया करना।” यह आज्ञा मानकर हम दिखाते हैं कि हम नम्र हैं। (1 कुरिंथियों 11:23-26 पढ़िए।) स्मारक में हाज़िर होने से भविष्य के लिए हमारी आशा पक्की होती है। वहाँ हमें यह भी याद दिलाया जाता है कि यहोवा हमसे कितना प्यार करता है! लेकिन यहोवा जानता है कि साल में सिर्फ एक बार हमारा हौसला बढ़ाना और अपने प्यार का यकीन दिलाना काफी नहीं है। इस वजह से वह हर हफ्ते सभाओं का इंतज़ाम करता है और उनमें हाज़िर होने का बढ़ावा देता है। नम्रता का गुण हमें उभारता है कि हम यहोवा की बात मानें। इस वजह से हर हफ्ते सभाओं की तैयारी करने और उनमें हाज़िर होने के लिए हम कई घंटे बिताते हैं।

5. नम्र लोग यहोवा का न्यौता क्यों स्वीकार करते हैं?

5 यहोवा लोगों को न्यौता देता है कि वे उससे सीखने आएँ। हर साल बहुत-से नम्र लोग उसका न्यौता कबूल करते हैं। (यशा. 50:4) आम तौर पर लोग पहले स्मारक में आते हैं और वहाँ उन्हें इतना अच्छा लगता है कि वे दूसरी सभाओं में भी आने लगते हैं। (जक. 8:20-23) इन नए लोगों के साथ हमें भी यहोवा से सीखने और उससे मार्गदर्शन पाने में खुशी होती है, जो “[हमारा] मददगार और छुड़ानेवाला है।” (भज. 40:17) ज़रा सोचिए, यहोवा और उसका प्यारा बेटा यीशु हमें उनसे सीखने का न्यौता दे रहे हैं। इससे अच्छी और ज़रूरी बात क्या हो सकती है कि हम उनका न्यौता स्वीकार करें?​—मत्ती 17:5; 18:20; 28:20.

6. नम्र होने की वजह से एक आदमी ने क्या किया?

6 हर साल हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को स्मारक में बुलाने की कोशिश करते हैं। बहुत-से नम्र लोग हमारा न्यौता स्वीकार करते हैं और इससे उन्हें फायदा भी होता है। एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। कई साल पहले एक भाई ने एक आदमी को स्मारक में आने के लिए न्यौता दिया, लेकिन उस आदमी ने कहा कि वह नहीं आ पाएगा। मगर स्मारक की शाम भाई को यह देखकर हैरानी हुई कि वह आदमी राज-घर में आया। सबने गर्मजोशी से उसका स्वागत किया और उसे इतना अच्छा लगा कि वह हफ्ते की सभाओं में लगातार आने लगा। दरअसल पूरे साल में वह सिर्फ तीन सभाओं में नहीं आ पाया। किस बात ने उसे उभारा कि वह स्मारक में और उसके बाद सारी सभाओं में हाज़िर हो? वह दीन स्वभाव का था और अपना मन बदलने को तैयार था। जिस भाई ने उसे न्यौता दिया था, वह कहता है, “वह सच में बहुत नम्र इंसान है।” इसमें कोई शक नहीं कि यहोवा ने इस आदमी को अपनी तरफ खींचा था। अब वह बपतिस्मा पाया हुआ एक भाई है।​—2 शमू. 22:28; यूह. 6:44.

7. सभाओं में हाज़िर होने और बाइबल पढ़ने से हम नम्र कैसे हो सकते हैं?

7 सभाओं में हाज़िर होने और बाइबल पढ़ने से हम नम्र हो सकते हैं। वह कैसे? अकसर स्मारक से पहले के हफ्तों में सभाओं में यीशु की मिसाल पर चर्चा की जाती है। इस दौरान यह भी बताया जाता है कि उसने फिरौती बलिदान देकर किस तरह नम्रता की मिसाल रखी। स्मारक से कुछ दिन पहले हमें यह भी बढ़ावा दिया जाता है कि हम बाइबल में वे घटनाएँ पढ़ें, जिनमें यीशु की मौत और उसके ज़िंदा किए जाने के बारे में बताया गया है। इस तरह हम सभाओं में जो सीखते हैं और बाइबल में जो पढ़ते हैं, उससे यीशु के बलिदान के लिए हमारी कदरदानी बढ़ जाती है। हमारा दिल हमें उभारता है कि हम उसके जैसा नम्र स्वभाव रखें और यहोवा की मरज़ी पूरी करें, फिर चाहे ऐसा करना मुश्‍किल क्यों न हो।​—लूका 22:41, 42.

हिम्मत होने से हम सभाओं में हाज़िर होंगे

8. यीशु ने किस तरह हिम्मत से काम लिया?

8 हिम्मत से काम लेने में भी हम यीशु की मिसाल पर चलने की कोशिश करते हैं। गौर कीजिए कि अपनी मौत से कुछ दिन पहले यीशु ने कैसे हिम्मत से काम लिया। उसे अच्छी तरह पता था कि दुश्‍मन उसे ज़लील करेंगे, मारेंगे-पीटेंगे और उसकी जान ले लेंगे। (मत्ती 20:17-19) फिर भी वह मौत से डरा नहीं। अपनी ज़िंदगी की आखिरी रात वह अपने वफादार प्रेषितों के साथ गतसमनी बाग में था। जब वह घड़ी पास आ गयी, तो उसने उनसे कहा, “उठो, आओ चलें। देखो, मुझसे गद्दारी करनेवाला पास आ गया है।” (मत्ती 26:36, 46) फिर जब हथियारों से लैस एक भीड़ उसे गिरफ्तार करने आयी, तो उसने आगे आकर कहा कि जिसे तुम ढूँढ़ रहे हो, मैं वही हूँ और सैनिकों को आदेश दिया कि वे प्रेषितों को जाने दें। (यूह. 18:3-8) सच में, वह कितना हिम्मतवाला था! आज अभिषिक्‍त मसीही और दूसरी भेड़ के लोग यीशु की तरह हिम्मत से काम लेते हैं। आइए देखें कैसे।

जब आप हिम्मत से काम लेकर मसीही सभाओं में जाते हैं, तो दूसरों का हौसला बढ़ता है (पैराग्राफ 9 देखें) *

9. (क) नियमित तौर पर सभाओं में जाने के लिए शायद हमें क्यों हिम्मत से काम लेना पड़े? (ख) हमारी मिसाल का उन भाइयों पर क्या असर हो सकता है, जो अपने विश्‍वास की वजह से जेलों में हैं?

9 मुश्‍किल हालात में नियमित तौर पर सभाओं में जाने के लिए शायद हमें हिम्मत से काम लेना पड़े। कुछ भाई-बहन अपनों को खोने का गम सह रहे हैं या निराशा में डूबे हुए हैं या फिर किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। इस सबके बावजूद वे मसीही सभाओं में जाते हैं। कुछ भाई-बहनों को परिवारवालों या सरकारी अधिकारियों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ता है, फिर भी वे सभाओं में जाते हैं। ज़रा सोचिए, हमारी बढ़िया मिसाल का उन भाइयों पर कितना अच्छा असर होता है, जो अपने विश्‍वास की वजह से जेलों में हैं। (इब्रा. 13:3) जब वे सुनते हैं कि हम मुश्‍किलों के बावजूद यहोवा की सेवा कर रहे हैं, तो विश्‍वास बनाए रखने, वफादार रहने और हिम्मत से काम लेने का उनका इरादा और भी मज़बूत होता है। प्रेषित पौलुस के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। जब वह रोम में कैद था, तब वह यह सुनकर खुश हो जाता था कि उसके भाई वफादारी से परमेश्‍वर की सेवा कर रहे हैं। (फिलि. 1:3-5, 12-14) पौलुस ने रिहा होने से कुछ ही समय पहले या शायद कुछ समय बाद इब्रानी मसीहियों को खत लिखा। उस खत में उसने वफादार मसीहियों को बढ़ावा दिया कि वे “भाइयों की तरह एक-दूसरे से प्यार करते” रहें और सभाओं में एक-दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें।​—इब्रा. 10:24, 25; 13:1.

10-11. (क) हमें किन लोगों को स्मारक में बुलाना चाहिए? (ख) इफिसियों 1:7 में ऐसा करने की कौन-सी वजह बतायी गयी है?

10 हम उस वक्‍त भी हिम्मत से काम ले रहे होते हैं, जब हम अपने रिश्‍तेदारों, साथ काम करनेवालों और पड़ोसियों को स्मारक में आने का न्यौता देते हैं। हम उन्हें क्यों न्यौता देते हैं? यहोवा और यीशु ने हमारी खातिर जो किया, उसके लिए हम इतने एहसानमंद हैं कि हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को स्मारक में बुलाते हैं। हम चाहते हैं कि वे भी यह जानें कि यहोवा ने फिरौती का इंतज़ाम करके जो “महा-कृपा” की, उससे वे कैसे फायदा पा सकते हैं।​—इफिसियों 1:7 पढ़िए; प्रका. 22:17.

11 जब हम हिम्मत से काम लेकर सभाओं में इकट्ठा होते हैं, तो हम एक और खास गुण ज़ाहिर कर रहे होते हैं। यह ऐसा गुण है, जो परमेश्‍वर और उसके बेटे ने लाजवाब तरीकों से ज़ाहिर किया।

प्यार हमें सभाओं में जाने के लिए कायल करता है

12. (क) सभाएँ किस तरह यहोवा और यीशु के लिए हमारा प्यार बढ़ाती हैं? (ख) 2 कुरिंथियों 5:14, 15 में यीशु की तरह हमें क्या करने का बढ़ावा दिया गया है?

12 यहोवा और यीशु के लिए प्यार हमें कायल करता है कि हम सभाओं में हाज़िर हों। वहाँ हम जो सीखते हैं, उससे उनके लिए हमारा प्यार और गहरा होता है। सभाओं में बार-बार हमें याद दिलाया जाता है कि उन्होंने हमारे लिए कितना कुछ किया है। (रोमि. 5:8) खासकर स्मारक के मौके पर हमें याद दिलाया जाता है कि यहोवा और यीशु को हम इंसानों से बेइंतिहा प्यार है, यहाँ तक कि उनसे भी जो अभी तक फिरौती बलिदान की अहमियत नहीं समझते। एहसान से भरा हमारा दिल हमें उभारता है कि हम हर दिन यीशु की मिसाल पर चलें। (2 कुरिंथियों 5:14, 15 पढ़िए।) हमारा दिल हमें यहोवा की तारीफ करने के लिए भी उभारता है कि उसने फिरौती का इंतज़ाम किया। उसकी तारीफ करने का एक तरीका है, सभाओं में दिल से जवाब देना।

13. हम कैसे दिखा सकते हैं कि हमें यहोवा और यीशु से गहरा प्यार है? समझाइए।

13 हम कैसे दिखा सकते हैं कि हमें यहोवा और यीशु से गहरा प्यार है? उनकी खातिर खुशी-खुशी कोई भी त्याग करके। अकसर हम सभाओं में हाज़िर होने के लिए कई त्याग करते हैं। बहुत-सी मंडलियों में एक सभा हफ्ते के बीच किसी शाम को रखी जाती है, जब भाई-बहन शायद काम की वजह से बहुत थके हों। दूसरी सभा शनिवार या रविवार को रखी जाती है, जब बाकी लोग आराम कर रहे होते हैं। जब हम थके होने के बावजूद सभाओं में हाज़िर होते हैं, तो क्या यहोवा हमारा त्याग देखता है? बिलकुल! सभाओं में आने के लिए हम जो त्याग और मेहनत करते हैं, उसकी यहोवा दिल से कदर करता है।​—मर. 12:41-44.

14. निस्वार्थ प्यार ज़ाहिर करने में यीशु ने किस तरह एक बेहतरीन मिसाल रखी?

14 यीशु ने निस्वार्थ प्यार ज़ाहिर करने में हमारे लिए बेहतरीन मिसाल रखी। वह चेलों की खातिर न सिर्फ अपनी जान देने को तैयार था, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी उनकी ज़रूरतों को खुद से पहले रखता था। उदाहरण के लिए, जब यीशु बहुत थका हुआ था और मन से बहुत दुखी था, तब भी वह चेलों के पास गया और उन्हें ज़रूरी सीख दी। (लूका 22:39-46) उसका ध्यान इस बात पर रहता था कि वह लोगों को क्या दे सकता है, न कि उसे क्या मिल सकता है। (मत्ती 20:28) अगर यहोवा और भाई-बहनों के लिए हमारा प्यार यीशु जितना गहरा होगा, तो हम प्रभु के संध्या-भोज में और मंडली की दूसरी सभाओं में जाने की पूरी कोशिश करेंगे।

15. हम खास तौर पर किन लोगों की मदद करना चाहते हैं?

15 हम भाइयों की ऐसी बिरादरी का हिस्सा हैं, जिनमें सच्चा प्यार है। हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को इस बिरादरी का हिस्सा होने के लिए बुलाते हैं और इससे हमें खुशी मिलती है। लेकिन खास तौर पर हम उन लोगों की मदद करना चाहते हैं, जो “विश्‍वास में हमारे भाई-बहन हैं,” मगर जिन्होंने प्रचार करना या सभाओं में आना बंद कर दिया है। (गला. 6:10) हम उन्हें बढ़ावा देते हैं कि वे सभाओं में आएँ, खासकर स्मारक में। इस तरह हम उनके लिए अपने प्यार का सबूत देते हैं। जब इनमें से कोई हमारे प्यारे पिता और हमारे चरवाहे यहोवा के पास लौट आता है, तो यहोवा और यीशु के साथ-साथ हमें भी बेहद खुशी होती है।​—मत्ती 18:14.

16. (क) हम एक-दूसरे का हौसला कैसे बढ़ा सकते हैं? (ख) सभाओं से हमें क्या मदद मिलती है? (ग) साल के इस वक्‍त यूहन्‍ना 3:16 में दर्ज़ यीशु के शब्दों पर गौर करना क्यों अच्छा है?

16 आनेवाले हफ्तों में ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को स्मारक में आने का न्यौता दीजिए, जो 19 अप्रैल, 2019 को शुक्रवार की शाम को मनाया जाएगा। (“ क्या आप लोगों को बुलाएँगे?” नाम का बक्स देखें।) आइए ठान लें कि हम पूरे साल सारी सभाओं में हाज़िर होकर एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते रहेंगे। जैसे-जैसे इस दुनिया का अंत करीब आ रहा है, हमें सभाओं की और ज़्यादा ज़रूरत है। इनकी मदद से हम नम्र रह पाएँगे, हिम्मत से काम ले पाएँगे और प्यार ज़ाहिर कर पाएँगे। (1 थिस्स. 5:8-11) यहोवा और उसका बेटा हमसे बेइंतिहा प्यार करते हैं। आइए हम दिल की गहराइयों से यह ज़ाहिर करें कि उनका यह प्यार पाकर हम उनके बारे में कैसा महसूस करते हैं।​—यूहन्‍ना 3:16 पढ़िए।

गीत 126 जागते रहो, शक्‍तिशाली बनते जाओ

^ पैरा. 5 उन्‍नीस अप्रैल, 2019 को शुक्रवार की शाम मसीह की मौत की यादगार मनायी जाएगी। यह पूरे साल की सबसे खास सभा होगी। क्या बात हमें उभारती है कि हम उस सभा में हाज़िर हों? इसमें कोई शक नहीं कि हम यहोवा को खुश करना चाहते हैं। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि स्मारक में और हफ्ते में होनेवाली सभाओं में हाज़िर होकर हम क्या दिखाते हैं।

^ पैरा. 52 तसवीर के बारे में: अपने विश्‍वास की वजह से जेल में कैद एक भाई को घर से चिट्ठी आती है और उसे पढ़कर उसका हौसला बढ़ता है। उसे यकीन हो जाता है कि उसका परिवार उसे भूला नहीं है और यह जानकर उसे खुशी होती है कि उसके इलाके में राजनैतिक उथल-पुथल के बावजूद उसका परिवार यहोवा का वफादार है।