इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्ययन लेख 1

‘जाओ और लोगों को चेला बनना सिखाओ’

‘जाओ और लोगों को चेला बनना सिखाओ’

सन्‌ 2020 का सालाना वचन है: ‘जाओ और लोगों को चेला बनना सिखाओ और उन्हें बपतिस्मा दो।’—मत्ती 28:19.

गीत 79 उन्हें मज़बूत रहना सिखाओ

लेख की एक झलक *

1-2. यीशु की कब्र के पास एक स्वर्गदूत औरतों से क्या कहता है और खुद यीशु उन्हें क्या आज्ञा देता है?

ईसवी सन्‌ 33 के नीसान 16 की सुबह है। कुछ औरतें भारी मन से उस कब्र की तरफ बढ़ रही हैं, जहाँ करीब 36 घंटे पहले उनके प्रभु यीशु मसीह को दफनाया गया था। वे यह सोचकर वहाँ जा रही हैं कि यीशु के शव पर मसाले और खुशबूदार तेल मलेंगी। लेकिन जब वे कब्र के पास पहुँचती हैं, तो उसे खाली देखकर हैरान हो जाती हैं। तभी उन्हें एक स्वर्गदूत दिखायी देता है, जो उनसे कहता है कि यीशु मरे हुओं में से ज़िंदा हो गया है। स्वर्गदूत यह भी कहता है, “वह तुमसे पहले गलील जाएगा और वहाँ तुम उसे देखोगे।”​—मत्ती 28:1-7; लूका 23:56; 24:10.

2 जब ये औरतें कब्र से लौट रही थीं, तो रास्ते में यीशु उनसे मिलता है और कहता है, “जाकर मेरे भाइयों को खबर दो कि वे गलील चले जाएँ। वे मुझे वहाँ देखेंगे।” (मत्ती 28:10) शायद यीशु अपने चेलों को कुछ ज़रूरी निर्देश देना चाहता था, इसीलिए ज़िंदा होने के बाद वह सबसे पहले यह सभा रखता है।

यीशु ने किन्हें आज्ञा दी थी?

जब यीशु को मरे हुओं में से ज़िंदा किया गया, तो वह गलील में प्रेषितों और दूसरे चेलों से मिला और उन्हें आज्ञा दी, ‘जाओ और लोगों को चेला बनना सिखाओ’ (पैराग्राफ 3-4 देखें)

3-4. मत्ती 28:19, 20 में दी आज्ञा सिर्फ प्रेषितों के लिए क्यों नहीं थी? समझाइए। (बाहर दी तसवीर देखें।)

3 मत्ती 28:16-20 पढ़िए। यीशु ने जो सभा रखी थी, उसमें उसने चेलों को एक अहम काम सौंपा, जो उन्हें पहली सदी में करना था। आज हम भी यह काम कर रहे हैं। यीशु ने चेलों को आज्ञा दी, “जाओ और सब राष्ट्रों के लोगों को मेरा चेला बनना सिखाओ . . . और उन्हें वे सारी बातें मानना सिखाओ जिनकी मैंने तुम्हें आज्ञा दी है।”

4 यीशु चाहता है कि उसके सभी चेले प्रचार करें। उसने यह काम सिर्फ अपने 11 वफादार प्रेषितों को नहीं दिया था। हम इतने यकीन से क्यों कह सकते हैं? ज़रा सोचिए, जब यीशु ने गलील पहाड़ पर चेला बनाने की आज्ञा दी, तो क्या वहाँ सिर्फ प्रेषित मौजूद थे? जी नहीं। याद कीजिए कि स्वर्गदूत ने औरतों से कहा था: “[गलील में] तुम  उसे देखोगे।” तो यह मुमकिन है कि प्रेषितों के अलावा, ये वफादार औरतें भी मौजूद थीं। प्रेषित पौलुस ने बताया कि यीशु “एक ही वक्‍त पर 500 से ज़्यादा भाइयों के सामने प्रकट हुआ।” (1 कुरिं. 15:6) ये 500 से ज़्यादा भाई कहाँ इकट्ठा हुए थे?

5. हम यह क्यों कह सकते हैं कि 1 कुरिंथियों 15:6 में पौलुस उसी सभा का ज़िक्र कर रहा था, जिसका वर्णन मत्ती 28 में किया गया है?

5 हमारे पास यह मानने की ठोस वजह हैं कि 1 कुरिंथियों 15:6 में पौलुस उसी सभा का ज़िक्र कर रहा था, जिसका वर्णन मत्ती अध्याय 28 में किया गया है। कौन-सी वजह? पहली है कि यीशु के ज़्यादातर चेले गलील के रहनेवाले थे। इतने सारे लोगों के लिए यरूशलेम के एक घर में सभा रखने के बजाय गलील के पहाड़ में सभा रखना ज़्यादा आसान होता। दूसरी वजह है कि ज़िंदा होने के बाद यीशु यरूशलेम के एक घर में अपने 11 प्रेषितों से मिला था। अगर वह सिर्फ उन्हें प्रचार और चेला बनाने का काम सौंपना चाहता, तो वह उसी मौके पर उन्हें आज्ञा दे सकता था। वह अलग से प्रेषितों, औरतों और दूसरे लोगों को गलील में आने के लिए नहीं कहता।​—लूका 24:33, 36.

6. (क) मत्ती 28:20 से कैसे पता चलता है कि चेले बनाने की आज्ञा हमारे लिए भी है? (ख) क्या दिखाता है कि आज लोग यह आज्ञा मान रहे हैं?

6 तीसरी वजह पर ध्यान दीजिए। यीशु ने चेले बनाने की आज्ञा सिर्फ पहली सदी में जीनेवाले मसीहियों को नहीं दी। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि चेलों को आज्ञा देने के बाद यीशु ने कहा, “मैं दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्‍त तक  हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।” (मत्ती 28:20) आज बहुत-से लोग चेला बनाने के काम में लगे हुए हैं, ठीक जैसा यीशु ने कहा था। हर साल करीब 3,00,000 लोग यहोवा के साक्षी के नाते बपतिस्मा लेते हैं और यीशु मसीह के चेले बनते हैं। है न कमाल की बात!

7. इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे और क्यों?

7 बाइबल अध्ययन करनेवाले कई लोग तरक्की करते हैं और आगे चलकर बपतिस्मा लेते हैं। मगर कुछ विद्यार्थी मसीह के चेले बनने से पीछे हटते हैं। हालाँकि उन्हें अध्ययन करना अच्छा लगता है, लेकिन वे बपतिस्मा लेने के लिए कदम नहीं उठाते। अगर आप किसी के साथ बाइबल अध्ययन करते हैं, तो आप ज़रूर चाहेंगे कि आपका विद्यार्थी सीखी बातों को अपनी ज़िंदगी में लागू करे और मसीह का चेला बने। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि हम क्या कर सकते हैं, ताकि हमारा विद्यार्थी यहोवा से प्यार करने लगे और तरक्की करे। हमें इस विषय पर क्यों चर्चा करनी चाहिए? क्योंकि कभी-कभी हो सकता है कि हमें यह फैसला करना पड़े कि हम अध्ययन जारी रखेंगे या उसे बंद कर देंगे।

विद्यार्थी के दिल में यहोवा के लिए प्यार बढ़ाइए

8. कुछ बाइबल विद्यार्थियों के लिए यहोवा से प्यार करना मुश्‍किल क्यों हो सकता है?

8 यहोवा चाहता है कि लोग उसकी सेवा प्यार की वजह से करें। आप क्या कर सकते हैं ताकि आपका विद्यार्थी यहोवा से प्यार करने लगे? यह जानने में उसकी मदद कीजिए कि यहोवा उससे प्यार करता है और उसकी बहुत परवाह करता है। उसे यह भी बताइए कि यहोवा “अनाथों का पिता और विधवाओं का रखवाला है।” (भज. 68:5) जैसे-जैसे बाइबल विद्यार्थी को एहसास होगा कि यहोवा उससे बहुत प्यार करता है, तो वह भी उससे प्यार करने लगेगा। लेकिन कुछ बाइबल विद्यार्थियों के लिए यह समझना मुश्‍किल हो सकता है कि यहोवा एक प्यार करनेवाला पिता है। वह इसलिए कि उनके अपने पिता ने कभी उनके लिए प्यार और परवाह ज़ाहिर नहीं की। (2 तीमु. 3:1, 3) ऐसे में अध्ययन के दौरान यहोवा के मनभावने गुणों पर खास ध्यान दिलाइए। उन्हें समझाइए कि यहोवा दिल से चाहता है  कि उन्हें हमेशा की ज़िंदगी मिले और इसे पाने में वह उनकी मदद भी करेगा। इसके अलावा, आप और क्या कर सकते हैं?

9-10. आपको किन किताबों से अध्ययन कराना चाहिए और क्यों?

9 अपने विद्यार्थियों के साथ “बाइबल हमें क्या सिखाती है?” और “परमेश्‍वर के प्यार के लायक बने रहिए”  किताबों से अध्ययन कीजिए। इन किताबों को खास इस मकसद से तैयार किया गया है कि विद्यार्थी के दिल में यहोवा के लिए प्यार बढ़े। उदाहरण के लिए, सिखाती है  किताब के अध्याय 1 में इन सवालों के जवाब दिए गए हैं: क्या परमेश्‍वर हमारी परवाह करता है या वह पत्थरदिल है? लोगों की तकलीफें देखकर परमेश्‍वर को कैसा लगता है? क्या आप यहोवा के दोस्त बन सकते हैं? अब प्यार के लायक बने रहिए  किताब के बारे में गौर कीजिए। इस प्रकाशन की मदद से विद्यार्थी समझ पाएँगे कि बाइबल सिद्धांतों पर चलने से उनकी ज़िंदगी सँवर सकती है और वे परमेश्‍वर के और भी करीब आ सकते हैं। हो सकता है, इन प्रकाशनों से आपने कई बार अलग-अलग लोगों के साथ अध्ययन किया हो, फिर भी हर अध्ययन की अच्छी तैयारी कीजिए। ऐसा करते वक्‍त हर विद्यार्थी की ज़रूरतों को ध्यान में रखिए।

10 लेकिन तब क्या, जब विद्यार्थी किसी विषय के बारे में पूछता है, जिसका जवाब प्रकाशनों के पिटारे में नहीं, बल्कि किसी और प्रकाशन में दिया गया है? आप विद्यार्थी को बढ़ावा दे सकते हैं कि वह बाद में उस प्रकाशन में अपना जवाब ढूँढ़े। इस तरह अध्ययन के दौरान दूसरे विषयों पर चर्चा करने के बजाय आप उन किताबों से अध्ययन जारी रख पाएँगे, जिनके बारे में हमने अभी चर्चा की।

अध्ययन की शुरूआत प्रार्थना से कीजिए (पैराग्राफ 11 देखें)

11. (क) नए बाइबल विद्यार्थियों के साथ कब से प्रार्थना करना अच्छा होगा? (ख) उन्हें प्रार्थना की अहमियत समझाने के लिए क्या किया जा सकता है?

11 अध्ययन की शुरूआत प्रार्थना से कीजिए।  अच्छा होगा कि आप नए बाइबल विद्यार्थी के साथ जितना जल्दी हो सके प्रार्थना करें। अपने विद्यार्थी को एहसास दिलाइए कि सिर्फ यहोवा की पवित्र शक्‍ति की मदद से ही हम उसका वचन अच्छी तरह समझ पाएँगे। कुछ बाइबल शिक्षक प्रार्थना की अहमियत समझाने के लिए याकूब 1:5 पढ़ते हैं। वहाँ लिखा है, “अगर तुममें से किसी को बुद्धि की कमी हो तो वह परमेश्‍वर से माँगता रहे।” इसके बाद वे विद्यार्थी से सवाल करते हैं, “परमेश्‍वर से बुद्धि माँगने के लिए हमें क्या करना होगा?” आम तौर पर विद्यार्थी जवाब देते हैं कि हमें परमेश्‍वर से प्रार्थना करनी होगी।

12. भजन 139:2-4 की मदद से आप क्या कर सकते हैं ताकि आपका विद्यार्थी दिल खोलकर प्रार्थना करे?

12 विद्यार्थी को सिखाइए कि प्रार्थना कैसे करें।  अपने विद्यार्थी को यकीन दिलाइए कि यहोवा उसकी प्रार्थना सुनना चाहता है। उसे यह भी बताइए कि वह यहोवा के सामने अपना दिल खोलकर रख सकता है, उसे वे सारी बातें बता सकता है, जो शायद वह किसी और से न कह पाए। उसे भरोसा दिलाइए कि यहोवा हमें अच्छी तरह समझता है, वह दिल की गहराइयों में छिपे विचारों को भी जानता है। (भजन 139:2-4 पढ़िए।) अपने विद्यार्थी को यह भी बढ़ावा दीजिए कि वह अपनी गलत सोच और आदतों को छोड़ने के लिए यहोवा से मदद माँगे। मान लीजिए, आपका कोई विद्यार्थी काफी समय से बाइबल अध्ययन कर रहा है, लेकिन अभी-भी उसे झूठे धर्मों के कुछ त्योहार मनाना अच्छा लगता है। वह जानता है कि यह गलत है, फिर भी उसे उन त्योहारों की कुछ बातें पसंद है। अपने विद्यार्थी को बढ़ावा दीजिए कि वह यहोवा को अपने दिल की बात साफ-साफ बताए और उससे मदद माँगे जिससे कि वह सिर्फ उन बातों से प्यार कर सके, जिनसे यहोवा प्यार करता है।​—भज. 97:10.

बाइबल विद्यार्थी को सभा में बुलाइए (पैराग्राफ 13 देखें)

13. (क) यह क्यों ज़रूरी है कि आप अपने विद्यार्थियों को जल्द-से-जल्द सभा में बुलाएँ? (ख) आप क्या कर सकते हैं जिससे विद्यार्थियों को सभा में आकर अच्छा लगे?

13 अपने बाइबल विद्यार्थी को जल्द-से-जल्द सभा में बुलाइए।  यह क्यों ज़रूरी है? सभाओं में विद्यार्थी जो देखता और सीखता है, वह उसके दिल को छू सकता है और उसे तरक्की करने के लिए उभार सकता है। आप उसे राज-घरों में क्या होता है?  वीडियो दिखाकर सभाओं के लिए बुला सकते हैं और हो सके तो उसे अपने साथ ले जा सकते हैं। इसके अलावा, आप अलग-अलग भाई-बहनों को उसके बाइबल अध्ययन में ले जा सकते हैं। इस तरह आपका विद्यार्थी, भाई-बहनों को अच्छी तरह जान पाएगा और जब वह सभाओं में आएगा, तो उसे ऐसा नहीं लगेगा कि वह अनजान लोगों के बीच है।

तरक्की करने में अपने विद्यार्थी की मदद कीजिए

14. एक विद्यार्थी कब तरक्की करने लगता है? समझाइए।

14 हमारा लक्ष्य है कि हम तरक्की करने में अपने बाइबल विद्यार्थी की मदद करें। (इफि. 4:13) जब एक व्यक्‍ति बाइबल अध्ययन के लिए राज़ी होता है, तो शायद वह सिर्फ अपने बारे में सोचे कि इस अध्ययन से मुझे क्या फायदा होगा। लेकिन जब उसके दिल में यहोवा के लिए प्यार बढ़ने लगता है, तो वह तरक्की करने लगता है। वह सिर्फ अपने बारे में नहीं बल्कि मंडली के भाई-बहनों और दूसरों के बारे में सोचने लगता है और उनकी मदद करने के तरीके ढूँढ़ता है। (मत्ती 22:37-39) हमें सही मौका देखकर अपने विद्यार्थी को यह बताना चाहिए कि पैसों का दान करके राज के कामों को सहयोग देना मसीहियों की ज़िम्मेदारी है।

विद्यार्थी को सिखाइए कि समस्या आने पर क्या करे (पैराग्राफ 15 देखें)

15. समस्याओं का सामना करने के लिए आप अपने विद्यार्थियों की मदद कैसे कर सकते हैं?

15 अपने विद्यार्थियों को सिखाइए कि समस्याएँ आने पर क्या करें।  मान लीजिए, आपका विद्यार्थी बपतिस्मा-रहित प्रचारक है। वह आकर आपसे कहता है कि फलाँ भाई या बहन ने उसे ठेस पहुँचायी है। आप क्या करेंगे? क्या आप तुरंत उसे बताने लगेंगे कि कौन सही है और कौन गलत? या आप यह समझाएँगे कि ऐसे हालात में बाइबल के कौन-से सिद्धांत लागू करना सही होगा? उन सिद्धांतों के मुताबिक वह चाहे तो उस भाई को माफ कर सकता है और अगर वह माफ नहीं कर पा रहा है, तो उससे मिलकर बात कर सकता है। उसे प्यार और दया से पेश आना चाहिए, क्योंकि उसका मकसद है अपने भाई को ‘पा लेना।’ (मत्ती 18:15 से तुलना करें।) यह तैयारी करने में अपने विद्यार्थी की मदद कीजिए कि वह उस भाई से क्या कहेगा। उसे दिखाइए कि वह JW लाइब्रेरी  ऐप, यहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड  और हमारी वेबसाइट jw.org® की मदद से किस तरह समस्या का सामना कर सकता है। अगर विद्यार्थी बपतिस्मा लेने से पहले समस्याओं को अच्छी तरह सुलझाना सीखेगा, तो बपतिस्मे के बाद मंडली के भाई-बहनों के साथ उसका रिश्‍ता अच्छा रहेगा।

16. बाइबल अध्ययन के लिए अलग-अलग भाई-बहनों को ले जाना क्यों अच्छा होता है?

16 दूसरे भाई-बहनों को और दौरे के वक्‍त सर्किट निगरान को अध्ययन के लिए ले जाइए।  ऐसा करना क्यों अच्छा रहेगा? जैसे कि हमने पहले देखा, दूसरे भाई-बहन आपके विद्यार्थी की उन तरीकों से मदद कर सकते हैं, जिन तरीकों से शायद आप न कर पाएँ। उदाहरण के लिए, आपका विद्यार्थी सिगरेट छोड़ने की कोशिश कर रहा है, मगर वह हर बार नाकाम हो जाता है। ऐसे में अध्ययन के लिए उस साक्षी को ले जाइए, जिसे एक वक्‍त सिगरेट पीने की लत थी और वह भी इसे छोड़ने में कई बार नाकाम हुआ था। हो सकता है, वह साक्षी कुछ सलाह दे जिससे आपके विद्यार्थी को बहुत फायदा हो। वहीं दूसरी तरफ, अगर कोई अनुभवी भाई आपके साथ आता है और आप उसके सामने अध्ययन कराने से झिझकते हैं, तो उसे अध्ययन कराने के लिए कहिए। इस तरह आपका बाइबल विद्यार्थी अलग-अलग भाई-बहनों के तजुरबे से फायदा पा सकेगा। याद रखिए कि हमारा लक्ष्य है, तरक्की करने में अपने विद्यार्थियों की मदद करना।

क्या मुझे अध्ययन बंद कर देना चाहिए?

17-18. अध्ययन बंद करने से पहले आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

17 अगर आपका बाइबल विद्यार्थी सीखी बातों के मुताबिक बदलाव नहीं कर रहा है, तो आप शायद सोचें, ‘क्या मुझे उसके साथ अध्ययन बंद कर देना चाहिए?’ कोई भी फैसला लेने से पहले अपने विद्यार्थी की काबिलीयतों को ध्यान में रखिए। तरक्की करने में कुछ लोगों को शायद ज़्यादा वक्‍त लग सकता है। ऐसे में खुद से पूछिए, ‘क्या मेरा बाइबल विद्यार्थी अपने हालात के मुताबिक उतना तरक्की कर रहा है, जितना उसे करना चाहिए?’ ‘क्या वह सीखी बातों को “मान रहा है” और अपनी ज़िंदगी में ज़रूरी बदलाव कर रहा है?’ (मत्ती 28:20) हो सकता है, एक विद्यार्थी तुरंत कोई बड़ा बदलाव न करे, फिर भी यह ज़ाहिर होना चाहिए कि वह अपनी ज़िंदगी में छोटे-छोटे बदलाव कर रहा है।

18 लेकिन अगर बाइबल विद्यार्थी काफी समय तक अध्ययन करने के बाद भी कोई बदलाव न कर रहा हो, तो आप क्या करेंगे? मान लीजिए, आपका विद्यार्थी सिखाती है  किताब से अध्ययन कर चुका है और प्यार के लायक बने रहिए  किताब से पढ़ रहा है, लेकिन वह अब तक एक भी सभा में नहीं आया, यहाँ तक कि स्मारक में भी नहीं आया। ऊपर से वह छोटी-छोटी बातों की वजह से अध्ययन को टाल देता है। ऐसे में विद्यार्थी से खुलकर बात करना अच्छा होगा। *

19. आप विद्यार्थी से क्या सवाल कर सकते हैं और उसका जवाब सुनकर आप क्या करेंगे?

19 आप विद्यार्थी से यह पूछ सकते हैं, ‘आपको क्या लगता है, यहोवा का साक्षी बनने के लिए आपके सामने सबसे बड़ी रुकावट क्या है?’ विद्यार्थी शायद यह जवाब दे, ‘मुझे बाइबल पढ़ना तो अच्छा लगता है, मगर यहोवा का साक्षी बनना, यह मुझसे नहीं होगा!’ अगर विद्यार्थी की अब भी यही सोच है, तो क्या हमें उसके साथ अध्ययन जारी रखना चाहिए? वहीं दूसरी तरफ, विद्यार्थी शायद पहली बार आपको बताए कि क्या बात उसे तरक्की करने से रोक रही है। हो सकता है, वह बताए कि उससे घर-घर का प्रचार नहीं हो पाएगा। अब क्योंकि आप उसके दिल की बात जानते हैं, तो आप उसकी और अच्छी तरह मदद कर पाएँगे।

तरक्की न करनेवालों के साथ अध्ययन करते मत रहिए (पैराग्राफ 20 देखें)

20. प्रेषितों 13:48 की मदद से आप कैसे तय कर सकते हैं कि किसी के साथ अध्ययन जारी रखना है या उसे बंद करना है?

20 दुख की बात है कि कुछ विद्यार्थी यहेजकेल के समय के इसराएलियों के जैसे हैं। यहोवा ने उन इसराएलियों के बारे में यहेजकेल से कहा था, “देख! तू उनके लिए कोई प्रेम गीत गानेवाले जैसा है, जो तारोंवाले बाजे की मधुर धुन पर सुरीली आवाज़ में गीत गाता है। वे सब तेरा संदेश सुनेंगे, मगर कोई उसके मुताबिक काम नहीं करेगा।” (यहे. 33:32) शायद आपको अपने विद्यार्थी को यह बताना मुश्‍किल लगे कि आप उसका अध्ययन बंद कर रहे हैं। लेकिन याद रखिए कि “जो वक्‍त रह गया है उसे घटाया गया है।” (1 कुरिं. 7:29) तो फिर, जो बाइबल विद्यार्थी तरक्की नहीं कर रहा है, उसके साथ अध्ययन जारी रखने के बजाय अपना समय उन लोगों को ढूँढ़ने में लगाइए, जो “हमेशा की ज़िंदगी पाने के लायक अच्छा मन रखते” हैं।​—प्रेषितों 13:48 पढ़िए।

शायद आपके इलाके में दूसरे लोग मदद के लिए प्रार्थना कर रहे हों (पैराग्राफ 20 देखें)

21. सन्‌ 2020 का सालाना वचन क्या है और इससे हमें क्या करने का बढ़ावा मिलेगा?

21 सन्‌ 2020 का सालाना वचन इसी बात पर हमारा ध्यान दिलाएगा कि हम चेला बनाने का काम और अच्छी तरह कैसे कर सकते हैं। इस सालाना वचन में वही शब्द दिए गए हैं, जो यीशु ने गलील में रखी खास सभा में कहे थे, ‘जाओ और लोगों को चेला बनना सिखाओ और उन्हें बपतिस्मा दो।’ मत्ती 28:19.

आइए हम ठान लें कि हम चेला बनाने का काम और अच्छी तरह से करेंगे और बपतिस्मा लेने में अपने विद्यार्थियों की मदद करेंगे (पैराग्राफ 21 देखें)

गीत 70 योग्य लोगों को ढूँढ़ो

^ पैरा. 5 सन्‌ 2020 का सालाना वचन हमें ‘चेले बनाने’ का बढ़ावा देता है। यहोवा के हर सेवक को यह आज्ञा माननी है। हम ऐसा क्या कर सकते हैं ताकि हमारे बाइबल विद्यार्थी, मसीह के चेले बनने के लिए उभारे जाएँ? इस लेख में हम देखेंगे कि यहोवा के और भी करीब आने में हम अपने विद्यार्थियों की मदद कैसे कर सकते हैं। हम यह भी सीखेंगे कि हम किस आधार पर यह तय कर सकते हैं कि हम अपने विद्यार्थी के साथ बाइबल अध्ययन जारी रखेंगे या उसे बंद कर देंगे।

^ पैरा. 18 JW ब्रॉडकास्टिंग पर तरक्की न करनेवालों का अध्ययन बंद कर दीजिए  वीडियो देखें।