इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्ययन लेख 4

‘परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति गवाही देती है कि हम परमेश्‍वर के बच्चे हैं’

‘परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति गवाही देती है कि हम परमेश्‍वर के बच्चे हैं’

“परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति हमारे अंदर के एहसास के साथ मिलकर गवाही देती है कि हम परमेश्‍वर के बच्चे हैं।”—रोमि. 8:16.

गीत 25 खास संपत्ति

लेख की एक झलक *

यहोवा ने बड़े ही अनोखे तरीके से करीब 120 मसीहियों पर पवित्र शक्‍ति उँडेली (पैराग्राफ 1-2 देखें)

1-2. ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के दिन कौन-सी अनोखी घटना घटी?

ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त का दिन था। रविवार की सुबह थी और यरूशलेम में एक घर के ऊपरवाले कमरे में करीब 120 चेले इकट्ठा हुए थे। (प्रेषि. 1:13-15; 2:1) कुछ दिन पहले ही यीशु ने अपने चेलों को आज्ञा दी थी कि वे यरूशलेम में ही रहें, क्योंकि उन्हें एक खास तोहफा मिलनेवाला था। (प्रेषि. 1:4, 5) फिर क्या हुआ?

2 बाइबल बताती है, “तभी अचानक आकाश से साँय-साँय करती तेज़ आँधी जैसी आवाज़ हुई और सारा घर . . . गूँज उठा।” फिर ‘आग की लपटें दिखायी दीं जो जीभ जैसी थीं’ और हरेक चेले के ऊपर जा ठहरी। सभी चेले “पवित्र शक्‍ति से भर” गए। (प्रेषि. 2:2-4) इस तरह यहोवा ने बड़े ही अनोखे तरीके से उन चेलों पर अपनी पवित्र शक्‍ति उँडेली। (प्रेषि. 1:8) ये पहले लोग थे जिनका पवित्र शक्‍ति से अभिषेक किया गया * और जिन्हें स्वर्ग में यीशु के साथ राज करने की आशा दी गयी।

पवित्र शक्‍ति से अभिषेक होने पर क्या होता है?

3. पिन्तेकुस्त के दिन चेलों को क्यों इस बात का यकीन था कि उनका पवित्र शक्‍ति से अभिषेक हुआ है?

3 अगर आप उनमें से एक होते जो यरूशलेम के उस कमरे में इकट्ठा हुए थे, तो आप भी उस दिन को कभी नहीं भूल पाते। शायद आपकी आँखों के सामने वह मंज़र अभी-भी घूम रहा होगा। आग की लपटें जैसी कुछ दिखायी देती है और आप पर जा ठहरती है। फिर आप अलग-अलग भाषाएँ बोलने लगते हैं। (प्रेषि. 2:5-12) आपके मन में कोई शक नहीं रह जाता कि आपका पवित्र शक्‍ति से अभिषेक हुआ है। लेकिन क्या इसका मतलब है कि जिन्हें स्वर्ग में जीने के लिए चुना जाता है, उनका एक ही तरीके से अभिषेक होता है? नहीं! हम ऐसा क्यों कह सकते हैं?

4. क्या पहली सदी के सभी मसीहियों का उनके बपतिस्मे के वक्‍त ही पवित्र शक्‍ति से अभिषेक किया गया था? समझाइए।

4 सबसे पहले आइए देखें कि कब  एक मसीही का पवित्र शक्‍ति से अभिषेक होता है। ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त की बात लें, तो उस दिन सिर्फ 120 चेलों को पवित्र शक्‍ति नहीं दी गयी थी। उसी दिन कुछ समय बाद करीब 3,000 लोगों को भी पवित्र शक्‍ति दी गयी थी। उन्हें यह तब मिली जब उनका बपतिस्मा हुआ था। (प्रेषि. 2:37, 38, 41) लेकिन इसके बाद के सालों में ऐसा नहीं था कि सिर्फ बपतिस्मे के वक्‍त मसीहियों का पवित्र शक्‍ति से अभिषेक हुआ था। सामरिया के लोगों को उनके बपतिस्मे के कुछ समय बाद पवित्र शक्‍ति दी गयी थी। (प्रेषि. 8:14-17) कुरनेलियुस और उसके घराने की बात तो और भी गौर करने लायक है। वह इसलिए कि उनके बपतिस्मे से पहले ही उनका पवित्र शक्‍ति से अभिषेक हुआ था।—प्रेषि. 10:44-48.

5. दूसरा कुरिंथियों 1:21, 22 के मुताबिक जब किसी का पवित्र शक्‍ति से अभिषेक होता है, तब क्या होता है?

5 इस बात पर भी ध्यान दीजिए कि जब किसी का पवित्र शक्‍ति से अभिषेक होता है, तब क्या होता है।  हो सकता है, वह यह सोचे, ‘यहोवा ने मुझे ही क्यों चुना, किसी और को क्यों नहीं?’ या शायद उसके मन में ऐसी बात न आए। एक व्यक्‍ति चाहे जो भी सोचे, प्रेषित पौलुस ने समझाया कि हर अभिषिक्‍त मसीही के साथ क्या होता है। वह बताता है, “जब तुमने यकीन किया, तो मसीह के ज़रिए तुम पर उस पवित्र शक्‍ति की मुहर * लगायी गयी जिसका वादा किया गया था। यह पवित्र शक्‍ति हमें अपनी विरासत मिलने से पहले एक बयाने के तौर पर दी गयी है।” (इफि. 1:13, 14, फु.) यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए अभिषिक्‍त मसीहियों को साफ-साफ बताता है कि उन्हें स्वर्ग जाने के लिए चुना गया है। इस मायने में पवित्र शक्‍ति “एक बयाने” की तरह है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह अभिषिक्‍त मसीहियों के लिए इस बात का पक्का सबूत है कि भविष्य में वे धरती पर नहीं, बल्कि स्वर्ग में हमेशा का जीवन पाएँगे।—2 कुरिंथियों 1:21, 22 पढ़िए।

6. स्वर्ग में इनाम पाने के लिए एक अभिषिक्‍त मसीही को क्या करना चाहिए?

6 जब एक मसीही अभिषिक्‍त बनता है, तो क्या इसका यह मतलब है कि उसे इनाम ज़रूर मिलेगा? नहीं। उसे यह तो यकीन है कि यहोवा ने उसे स्वर्ग जाने के लिए चुना है, लेकिन उसे यह सलाह याद रखनी चाहिए, “भाइयो, तुम और भी कड़ी मेहनत करो ताकि तुम्हें जो बुलावा दिया गया है और चुना गया है, तुम उसके योग्य बने रहो। अगर तुम ये सब करते रहोगे,  तो तुम हरगिज़ नाकाम नहीं होगे।” (2 पत. 1:10) इससे पता चलता है कि भले ही एक अभिषिक्‍त मसीही को स्वर्ग का बुलावा मिला है, लेकिन उसे इनाम तभी मिलेगा, जब वह यहोवा का वफादार रहेगा।​—फिलि. 3:12-14; इब्रा. 3:1; प्रका. 2:10.

एक मसीही को कैसे पता चलता है कि वह अभिषिक्‍त है?

7. अभिषिक्‍त मसीहियों को कैसे पता चलता है कि उन्हें स्वर्ग का बुलावा मिला है?

7 लेकिन एक मसीही भाई या बहन को कैसे पता चलता है कि उसे स्वर्ग जाने के लिए चुना गया है? इसका जवाब हमें पौलुस के शब्दों से मिलता है, जो उसने रोम के उन मसीहियों से कहे थे जो “पवित्र जन होने के लिए बुलाए गए” थे। उसने कहा, “परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति न तो हमें गुलाम बनाती है, न ही हमारे अंदर डर पैदा करती है, बल्कि इसके ज़रिए हम बेटों के नाते गोद लिए जाते हैं और यही पवित्र शक्‍ति हमें ‘अब्बा,  हे पिता!’ पुकारने के लिए उभारती है। परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति हमारे अंदर के एहसास के साथ मिलकर गवाही देती है कि हम परमेश्‍वर के बच्चे हैं।”  (रोमि. 1:7; 8:15, 16) परमेश्‍वर पवित्र शक्‍ति के ज़रिए अभिषिक्‍त मसीहियों को एहसास दिलाता है कि उन्हें स्वर्ग का बुलावा मिला है।​—1 थिस्स. 2:12.

8. पहला यूहन्‍ना 2:20, 27 के मुताबिक अभिषिक्‍त मसीहियों को किसी और से यह पक्का करवाने की ज़रूरत क्यों नहीं है कि वे अभिषिक्‍त हैं या नहीं?

8 जब यहोवा अभिषिक्‍त मसीहियों को चुनता है, तो वह उनके दिलो-दिमाग में शक की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ता कि उन्हें स्वर्ग जाने का बुलावा मिला है। (1 यूहन्‍ना 2:20, 27 पढ़िए।) बेशक, बाकी मसीहियों की तरह अभिषिक्‍त मसीहियों को भी मंडली के ज़रिए यहोवा से सीखना है। लेकिन उन्हें किसी और से यह पक्का करवाने की ज़रूरत नहीं है कि क्या वे वाकई अभिषिक्‍त हैं। यहोवा दुनिया की सबसे ताकतवर शक्‍ति यानी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए उन्हें यकीन दिलाता है कि वे अभिषिक्‍त हैं।

वे “दोबारा पैदा” होते हैं

9. इफिसियों 1:18 के मुताबिक जब परमेश्‍वर किसी का अभिषेक करता है, तो उस व्यक्‍ति में क्या बदलाव आता है?

9 आज परमेश्‍वर के ज़्यादातर सेवकों के लिए शायद यह समझना मुश्‍किल हो कि जब परमेश्‍वर किसी का अभिषेक करता है, तो उस व्यक्‍ति के साथ क्या होता है। वे यह बात इसलिए समझ न पाएँ, क्योंकि खुद उनका अभिषेक नहीं हुआ है। परमेश्‍वर ने इंसानों को हमेशा धरती पर रहने के लिए बनाया है, न कि स्वर्ग में। (उत्प. 1:28; भज. 37:29) लेकिन यहोवा ने कुछ लोगों को स्वर्ग में रहने के लिए चुना है। इस वजह से जब वह उनका अभिषेक करता है, तो उनकी आशा और उनके सोचने का तरीका बदल देता है, ताकि वे स्वर्ग की अपनी आशा पर ध्यान लगा सकें।—इफिसियों 1:18 पढ़िए।

10. “दोबारा पैदा” होने का मतलब क्या है? (फुटनोट भी देखें।)

10 जब एक मसीही का पवित्र शक्‍ति से अभिषेक किया जाता है, तब वह “दोबारा पैदा” होता है या ‘ऊपर से पैदा होता है।’ * यीशु ने यह भी बताया कि जिनका अभिषेक नहीं हुआ है, वे यह नहीं समझ पाएँगे कि ‘दोबारा पैदा होने’ या “पवित्र शक्‍ति से पैदा” होने पर एक व्यक्‍ति कैसा महसूस करता है।—यूह. 3:3-8, फु.

11. समझाइए कि जब एक व्यक्‍ति का अभिषेक होता है, तो उसके सोचने का तरीका कैसे बदल जाता है।

11 पवित्र शक्‍ति से अभिषेक होने पर मसीहियों की सोच में क्या बदलाव आता है? स्वर्ग का बुलावा मिलने से पहले वे धरती पर हमेशा जीने की आशा रखते थे। उन्हें उस वक्‍त का बेसब्री से इंतज़ार था जब यहोवा हर तरह की बुराई मिटा देगा और धरती को फिरदौस बना देगा। शायद उन्होंने यह भी सोचा हो कि जब उनके अज़ीज़ या जिगरी दोस्त मरे हुओं में से ज़िंदा होंगे, तो वे उनका स्वागत करेंगे। लेकिन जब परमेश्‍वर ने उनका अभिषेक किया, तो उनकी सोच बदल गयी। ऐसा क्यों हुआ? क्या वे बहुत निराश हो गए थे या फिर किसी बड़ी तकलीफ से गुज़र रहे थे? क्या उन्हें अचानक यह लगने लगा कि धरती पर हमेशा जीना बहुत उबाऊ होगा और वे यहाँ खुश नहीं रह पाएँगे? नहीं, ऐसा नहीं है। इसके बजाय, यहोवा ने अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए उनके सोचने का तरीका बदल दिया और यह भी कि अब उन्हें किस इनाम की आस लगानी चाहिए।

12. पहला पतरस 1:3, 4 के मुताबिक अभिषिक्‍त मसीही अपनी आशा के बारे में कैसा महसूस करते हैं?

12 जिस मसीही को स्वर्ग में यीशु के साथ राज करने के लिए चुना जाता है, वह शायद सोचे कि क्या वह इस खास सम्मान के काबिल है। लेकिन उसे इस बात पर ज़रा भी शक नहीं होता कि यहोवा ने उसे चुना है। अपनी आशा के बारे में सोचकर उसे बेहद खुशी होती है और वह इसके लिए बहुत एहसानमंद होता है।—1 पतरस 1:3, 4 पढ़िए।

13. अभिषिक्‍त मसीही धरती पर अपनी ज़िंदगी के बारे में कैसा महसूस करते हैं?

13 क्या इसका मतलब यह है कि अभिषिक्‍त मसीही मरना चाहते हैं? प्रेषित पौलुस ने इस सवाल का जवाब दिया। उसने उनके शरीर की तुलना एक डेरे से की और कहा, “दरअसल हम जो इस डेरे में हैं, हम बोझ से दबे हुए कराहते हैं। ऐसी बात नहीं कि हम इसे उतारना चाहते हैं,  बल्कि स्वर्ग के उस डेरे को पहनना चाहते हैं ताकि जो नश्‍वर है उसे जीवन निगल सके।” (2 कुरिं. 5:4) जी हाँ, अभिषिक्‍त मसीही धरती पर अपनी ज़िंदगी को एक बोझ नहीं समझते और न ही चाहते हैं कि वे जल्द-से-जल्द इससे छुटकारा पाएँ। वे धरती पर ज़िंदगी का मज़ा लेते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर हर दिन यहोवा की सेवा करना चाहते हैं। मगर वे चाहे जो भी करते हों, वे हमेशा उस शानदार आशा को याद रखते हैं जिसका वादा परमेश्‍वर ने उनसे किया है।—1 कुरिं. 15:53; 2 पत. 1:4; 1 यूह. 3:2, 3; प्रका. 20:6.

क्या यहोवा ने आपको चुना है?

14. किन बातों से यह साबित नहीं होता कि एक व्यक्‍ति अभिषिक्‍त है?

14 आप शायद सोच रहे हों कि कहीं यहोवा ने पवित्र शक्‍ति से आपका अभिषेक तो नहीं किया। अगर आपको ऐसा लगता है, तो इन ज़रूरी सवालों पर ध्यान दीजिए: क्या आपमें परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने की ज़बरदस्त इच्छा है? क्या आपको लगता है कि आप प्रचार में बहुत जोशीले हैं? क्या आपको बाइबल का अध्ययन करने और “परमेश्‍वर की गहरी बातों” के बारे में सीखना अच्छा लगता है? (1 कुरिं. 2:10) क्या आपको लगता है कि यहोवा की आशीष से आपको प्रचार में बढ़िया नतीजे मिल रहे हैं? क्या आप यहोवा के बारे में दूसरों को बताना अपनी ज़िम्मेदारी समझते हैं? क्या आपने यह अनुभव किया है कि यहोवा ने अलग-अलग तरीकों से आपकी मदद की है? अगर आप इन सभी सवालों के जवाब हाँ में देते हैं, तो क्या इसका मतलब है कि आपको स्वर्ग जाने का बुलावा मिला है? जी नहीं। क्यों? क्योंकि ऐसा सिर्फ अभिषिक्‍त मसीही महसूस नहीं करते, बल्कि परमेश्‍वर के सभी  सेवक महसूस करते हैं। यहोवा पवित्र शक्‍ति के ज़रिए अपने किसी भी सेवक को ताकत दे सकता है, फिर चाहे उनकी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर। दरअसल अगर आप इस उलझन में हैं कि क्या आप स्वर्ग जाएँगे, तो इसका मतलब है कि आपको नहीं  बुलाया गया है। जिन्हें यहोवा ने चुना है, वे किसी भी तरह की उलझन में नहीं होते। उन्हें पक्का यकीन होता है कि उन्हें स्वर्ग जाने के लिए बुलाया गया है!

यहोवा ने पवित्र शक्‍ति से अब्राहम, सारा, दाविद और यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले को बड़े-बड़े काम करने की ताकत तो दी, मगर इन्हें स्वर्ग का बुलावा नहीं दिया (पैराग्राफ 15-16 देखें) *

15. हम यह क्यों कह सकते हैं कि जिन्हें पवित्र शक्‍ति मिली है, उन सभी को स्वर्ग जाने की आशा नहीं है?

15 बाइबल में ऐसे कई वफादार सेवकों के उदाहरण हैं, जिन्हें यहोवा की पवित्र शक्‍ति तो मिली थी, मगर जिन्हें स्वर्ग जाने की आशा नहीं थी। दाविद ऐसा ही एक सेवक था। पवित्र शक्‍ति उस पर ज़बरदस्त तरीके से काम करती थी। (1 शमू. 16:13) इसकी मदद से वह यहोवा के बारे में गहरी बातें समझ पाया और इसकी प्रेरणा से बाइबल के कुछ हिस्से भी लिख पाया। (मर. 12:36) फिर भी प्रेषित पतरस ने कहा कि दाविद “स्वर्ग नहीं गया।” (प्रेषि. 2:34) यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले के बारे में भी बताया गया है कि वह “पवित्र शक्‍ति से भरपूर” था। (लूका 1:13-16) यीशु ने कहा था कि यूहन्‍ना से बड़ा कोई भी नहीं है, लेकिन उसने यह भी कहा कि यूहन्‍ना स्वर्ग में राज नहीं करेगा। (मत्ती 11:10, 11) यहोवा ने अपनी पवित्र शक्‍ति से इन सेवकों को बड़े-बड़े काम करने की ताकत तो दी, मगर इन्हें स्वर्ग में रहने का बुलावा नहीं दिया। तो क्या इसका मतलब है कि ये सेवक स्वर्ग की आशा रखनेवाले लोगों से कम वफादार थे? जी नहीं। इसका मतलब सिर्फ यह है कि यहोवा उन्हें धरती पर फिरदौस में दोबारा ज़िंदगी देगा।—यूह. 5:28, 29; प्रेषि. 24:15.

16. आज परमेश्‍वर के ज़्यादातर सेवक कौन-सा इनाम पाने की आस लगाए हुए हैं?

16 आज परमेश्‍वर के ज़्यादातर सेवक स्वर्ग में जीने की आशा नहीं रखते। अब्राहम, सारा, दाविद, यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले और पुराने ज़माने के कई आदमी-औरतों की तरह वे धरती पर उस वक्‍त जीने की आस लगाए हुए हैं, जब परमेश्‍वर की सरकार शासन करेगी।—इब्रा. 11:10.

17. अगले लेख में हम किन सवालों के जवाब देखेंगे?

17 आज भी कुछ अभिषिक्‍त मसीही परमेश्‍वर के लोगों के बीच मौजूद हैं, इसलिए हमारे मन में कुछ सवाल उठते हैं। (प्रका. 12:17) जैसे, अभिषिक्‍त मसीहियों को खुद के बारे में कैसी सोच रखनी चाहिए? अगर आपकी मंडली में कोई स्मारक के दौरान रोटी और दाख-मदिरा लेता है, तो आपको उसके साथ किस तरह पेश आना चाहिए? अगर ऐसे लोगों की गिनती बढ़ती जाती है जो खुद को अभिषिक्‍त कहते हैं, तो क्या आपको चिंता करनी चाहिए? अगले लेख में इन सवालों के जवाब दिए जाएँगे।

^ पैरा. 5 ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के दिन से यहोवा कुछ मसीहियों को एक लाजवाब आशा देता आया है, वह है स्वर्ग में उसके बेटे के साथ राज करने की आशा। इन मसीहियों को कैसे पता चलता है कि उन्हें यह बढ़िया सम्मान मिला है? जब किसी को इस आशा के लिए चुना जाता है, तो उसे कैसा लगता है? इस लेख में इन दिलचस्प सवालों के जवाब दिए जाएँगे। यह लेख जनवरी 2016 की प्रहरीदुर्ग  में दी जानकारी पर आधारित है।

^ पैरा. 2 इसका क्या मतलब है? पवित्र शक्‍ति से अभिषेक किया गया:  यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए एक मसीही पर ज़ाहिर करता है कि उसे स्वर्ग में यीशु के साथ राज करने के लिए चुना गया है। इस मायने में पवित्र शक्‍ति “एक बयाने” की तरह है, यानी उसे भविष्य की गारंटी देती है। (इफि. 1:13, 14) दूसरे शब्दों में कहें तो पवित्र शक्‍ति उस मसीही को साफ-साफ “गवाही देती है” कि उसे स्वर्ग में अपना इनाम मिलेगा।—रोमि. 8:16.

^ पैरा. 5 इसका क्या मतलब है? मुहर:  यह मुहर तब पक्की नहीं की जाती जब एक व्यक्‍ति का पवित्र शक्‍ति से अभिषेक होता है, बल्कि उसकी मौत से कुछ समय पहले की जाती है, जब वह अंत तक अपनी वफादारी साबित करता है। या फिर इस मुहर को महा-संकट के शुरू होने से ठीक पहले पक्का किया जाता है।—इफि. 4:30; प्रका. 7:2-4; अप्रैल 2016 की प्रहरीदुर्ग  में दिया लेख, “आपने पूछा” देखें।

^ पैरा. 10 “दोबारा पैदा” होने का क्या मतलब है, इस बारे में ज़्यादा जानने के लिए 1 अप्रैल, 2009 की प्रहरीदुर्ग  (अँग्रेज़ी) के पेज 3-12 देखें।

गीत 27 परमेश्‍वर के बेटों का ज़ाहिर होना

^ पैरा. 57 तसवीर के बारे में: चाहे हमें प्रचार करने की आज़ादी हो या हमें अपने विश्‍वास की खातिर जेल में डाला गया हो, हम सब धरती पर उस वक्‍त जीने की आस लगा सकते हैं जब परमेश्‍वर की सरकार हम पर शासन करेगी।