क्या आप जानते हैं?
पुराने ज़माने के एक पत्थर में लिखी बातों से कैसे पता चलता है कि बाइबल सच्ची है?
जेरुसलेम में बाइबल लैंड्स म्यूज़ियम नाम का एक संग्रहालय है, जिसमें एक पत्थर का टुकड़ा है जो यीशु के ज़माने से करीब 600-700 साल पुराना है। यह टुकड़ा इसराएल में हेब्रोन के पास एक गुफा में मिला जो दरअसल एक कब्र थी। उस पर लिखा था, “कागाव के बेटे कागाफ पर याहवे शवियोट का शाप पड़े।” इन शब्दों से कैसे पता चलता है कि बाइबल की बातें सच्ची हैं? उस ज़माने के लोग परमेश्वर का नाम यहोवा जानते थे और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में उसका नाम लेते भी थे। इस पत्थर पर यह नाम पुराने इब्रानी अक्षरों में लिखा है। ऐसी और भी कई कब्र या गुफाएँ मिली हैं जहाँ कुछ बातें लिखी हुई हैं। इससे पता चलता है कि जब उन गुफाओं में लोग छिपते थे या मिलते थे, तो वे अकसर दीवारों पर परमेश्वर का नाम लिखते थे। वे अपना नाम भी लिखते थे जिसमें परमेश्वर का नाम जुड़ा होता था।
गुफाओं में लिखी बातों के बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया की डॉक्टर रेचल नबुल्सी ने कुछ टिप्पणी की। उन्होंने कहा, ‘इब्रानी अक्षरों में परमेश्वर का नाम बार-बार लिखा जाना दिखाता है कि यह नाम बहुत मायने रखता है। इससे पता चलता है कि यहोवा नाम का परमेश्वर इसराएल और यहूदा के लोगों की ज़िंदगी में बहुत अहमियत रखता था।’ इस डॉक्टर की बातों से एक बार फिर यह साबित हो जाता है कि बाइबल सच्ची और भरोसेमंद किताब है, जिसमें मूल इब्रानी पाठ में परमेश्वर का नाम इब्रानी अक्षरों में हज़ारों बार आया। कई लोगों के नाम में भी परमेश्वर का नाम जुड़ा होता था।
पत्थर का जो टुकड़ा मिला, उस पर लिखे शब्द “याहवे शवियोट” का मतलब है, “सेनाओं का परमेश्वर यहोवा।” इससे मालूम होता है कि पुराने ज़माने में लोग, न सिर्फ परमेश्वर का नाम बार-बार लेते थे बल्कि यह उपाधि “सेनाओं का परमेश्वर यहोवा” भी अकसर इस्तेमाल करते थे। इब्रानी शास्त्र के मूल पाठ में भी यह उपाधि 283 बार आयी है। और ज़्यादातर यह यशायाह, यिर्मयाह और जकरयाह की किताबों में पायी जाती है। इससे भी यह साबित हो जाता है कि बाइबल में लिखी बातें सच्ची हैं।