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अध्ययन लेख 3

बड़ी भीड़ यहोवा और यीशु की तारीफ करती है

बड़ी भीड़ यहोवा और यीशु की तारीफ करती है

“हम अपने उद्धार के लिए अपने परमेश्‍वर का जो राज गद्दी पर बैठा है और मेम्ने का एहसान मानते हैं।”—प्रका. 7:10.

गीत 14 धरती के नए राजा की तारीफ करें!

लेख की एक झलक *

1. सन्‌ 1935 में दिए एक ऐतिहासिक भाषण से एक जवान भाई को क्या एहसास हुआ?

बहुत समय पहले एक परिवार था। माता-पिता बाइबल विद्यार्थी थे। * उनके तीन बेटे और दो बेटियाँ थीं जिन्हें उन्होंने बचपन से यहोवा की सेवा करना और यीशु की तरह बनना सिखाया था। सन्‌ 1926 में उनके एक बेटे ने 18 साल की उम्र में बपतिस्मा लिया। बाकी सभी बाइबल विद्यार्थियों की तरह यह जवान भाई भी हर साल स्मारक के दिन रोटी और दाख-मदिरा लेता था। फिर 1935 में अमरीका के वॉशिंगटन डी.सी. में एक अधिवेशन हुआ। उसमें भाई जे. एफ. रदरफर्ड ने एक भाषण दिया जिसका विषय था, “बड़ी भीड़।” उस ऐतिहासिक भाषण से जवान भाई को एहसास हुआ कि उसकी आशा स्वर्ग जाने की नहीं है। उस अधिवेशन में बाइबल विद्यार्थियों को क्या पता चला?

2. भाई रदरफर्ड ने अपने भाषण में क्या समझाया?

2 भाई रदरफर्ड ने अपने भाषण में समझाया कि प्रकाशितवाक्य 7:9 में बतायी “बड़ी भीड़” कौन होंगे। बाइबल विद्यार्थी पहले यह सोचते थे कि बड़ी भीड़ के लोग भी स्वर्ग जाएँगे, लेकिन उनमें अभिषिक्‍त मसीहियों के मुकाबले कम विश्‍वास होगा। भाई रदरफर्ड ने आयतों से समझाया कि बड़ी भीड़ के लोग स्वर्ग नहीं जाएँगे बल्कि “महा-संकट” से ज़िंदा बचकर धरती पर हमेशा के लिए जीएँगे। (प्रका. 7:14) इन लोगों के बारे में यीशु ने कहा, “मेरी दूसरी भेड़ें भी हैं जो इस भेड़शाला की नहीं, मुझे उन्हें भी लाना है। वे मेरी आवाज़ सुनेंगी और तब एक झुंड और एक चरवाहा होगा।” (यूह. 10:16) मसीह की ये दूसरी भेड़ें * यहोवा के वफादार हैं और इन्हें फिरदौस में हमेशा जीने की आशा है। (मत्ती 25:31-33, 46) इस नयी समझ का उस जवान भाई और दूसरे साक्षियों पर क्या असर हुआ? आइए देखें।​—भज. 97:11; नीति. 4:18.

मिली नयी समझ, बदलीं हज़ारों ज़िंदगियाँ

3-4. सन्‌ 1935 के अधिवेशन में हज़ारों भाई-बहनों को क्या बात समझ आयी?

3 अधिवेशन में भाई रदरफर्ड ने अपने भाषण के आखिर में हाज़िर लोगों से पूछा, “आपमें से जो लोग पृथ्वी पर अनंत जीवन पाने की आशा रखते हैं, क्या वे सभी कृपया खड़े होंगे?” उस अधिवेशन में आए एक भाई ने बताया कि वहाँ 20,000 लोग हाज़िर थे और उनमें से आधे से ज़्यादा लोग खड़े हो गए। वह नज़ारा देखकर भाई रदरफर्ड ने ऐलान किया, “देखो! बड़ी भीड़ यही है!” यह सुनकर लोग खुशियाँ मनाने लगे। जो लोग खड़े हुए वे समझ गए कि यहोवा ने उन्हें स्वर्ग में जीने के लिए नहीं चुना है और न ही पवित्र शक्‍ति से उनका अभिषेक हुआ है। अधिवेशन के अगले दिन 840 लोगों ने बपतिस्मा लिया और उनमें से ज़्यादातर लोग दूसरी भेड़ों में से थे।

4 उस भाषण के बाद से उस जवान भाई ने और हज़ारों भाई-बहनों ने स्मारक के वक्‍त रोटी और दाख-मदिरा लेना बंद कर दिया। एक भाई ने कहा, “मैंने आखिरी बार रोटी और दाख-मदिरा 1935 में स्मारक के वक्‍त ली। मुझे एहसास हो गया कि यहोवा ने मुझे स्वर्ग का बुलावा नहीं दिया और पवित्र शक्‍ति से मेरा अभिषेक नहीं हुआ है। मेरी आशा धरती पर जीने की है और मैं इस धरती को फिरदौस बनाने में हाथ बँटाऊँगा।” उस वक्‍त कई भाई-बहनों ने इस भाई की तरह ही महसूस किया। (रोमि. 8:16, 17; 2 कुरिं. 1:21, 22) तब से बड़ी भीड़ के लोगों की गिनती बढ़ती ही जा रही है और वे बचे हुए * अभिषिक्‍त मसीहियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

5. जिन्होंने रोटी और दाख-मदिरा लेना बंद कर दिया है, उनके बारे में यहोवा कैसा महसूस करता है?

5 तो जैसा कि हमने देखा, 1935 से पहले कुछ भाई-बहन सोचते थे कि उन्हें स्वर्ग का बुलावा मिला है और इसलिए वे रोटी और दाख-मदिरा लेते थे। मगर जब उन्हें एहसास हुआ कि वे अभिषिक्‍त नहीं हैं, तो उन्होंने लेना बंद कर दिया। ऐसे भाई-बहनों के बारे में यहोवा ने कैसा महसूस किया होगा? यहोवा ने उन्हें ज़रूर स्वीकार किया होगा। आज भी कुछ भाई-बहन यह सोचकर रोटी और दाख-मदिरा लेते हैं कि वे अभिषिक्‍त हैं। लेकिन जब उन्हें एहसास होता है कि उन्हें स्वर्ग का बुलावा नहीं मिला है, तो उन्हें क्या करना चाहिए? (1 कुरिं. 11:28) अगर वे नम्रता से अपनी गलती मान लें, स्मारक में रोटी और दाख-मदिरा लेना बंद कर दें और यहोवा की सेवा करते रहें, तो यहोवा उन्हें ज़रूर स्वीकार करेगा और दूसरी भेड़ों में गिनेगा। कुछ भाई-बहनों ने ऐसा ही किया है। हालाँकि अब वे रोटी और दाख-मदिरा नहीं लेते फिर भी वे स्मारक में ज़रूर आते हैं, क्योंकि वे यहोवा और यीशु का एहसान मानते हैं।

एक लाजवाब आशा

6. यीशु ने स्वर्गदूतों से क्या करने के लिए कहा है?

6 महा-संकट बहुत जल्द शुरू होनेवाला है। इसलिए अच्छा होगा कि हम प्रकाशितवाक्य अध्याय 7 में अभिषिक्‍त मसीहियों और बड़ी भीड़ के बारे में जो बताया गया है, उस पर चर्चा करें। उस अध्याय में लिखा है कि यीशु ने स्वर्गदूतों को विनाशकारी हवाओं को थामे रखने को कहा। उन्हें इन हवाओं को तब तक रोककर रखना था जब तक सभी अभिषिक्‍त मसीहियों पर आखिरी मुहर नहीं लगायी जाती यानी उन्हें यहोवा से मंज़ूरी नहीं मिल जाती। (प्रका. 7:1-4) इसके बाद यीशु के भाइयों को स्वर्ग में राजा और याजक बनने का इनाम दिया जाएगा। (प्रका. 20:6) जब 1,44,000 अभिषिक्‍त मसीही स्वर्ग में अपना इनाम पाएँगे, तो यहोवा, यीशु और स्वर्गदूतों को बहुत खुशी होगी।

बड़ी भीड़ के लोग सफेद चोगे पहने हैं और वे हाथ में खजूर की डालियाँ लिए यहोवा के शानदार सिंहासन और मेम्ने के सामने खड़े हैं (पैराग्राफ 7 पढ़ें)

7. जैसा प्रकाशितवाक्य 7:9, 10 में बताया गया है, यूहन्‍ना ने अपने दर्शन में किसे देखा और वे लोग क्या कर रहे हैं? (बाहर दी तसवीर देखें।)

7 यूहन्‍ना सबसे पहले 1,44,000 राजाओं और याजकों का ज़िक्र करता है, इसके बाद वह “एक बड़ी भीड़” देखता है। यह भीड़ हर-मगिदोन से बचकर निकली है। यह भीड़ इतनी बड़ी है कि कोई इसे गिन नहीं सकता। (प्रकाशितवाक्य 7:9, 10 पढ़िए।) बड़ी भीड़ के लोग “सफेद चोगे पहने” हैं यानी उन्होंने खुद को शैतान की दुनिया से “बेदाग” रखा है और वे परमेश्‍वर और मसीह के वफादार हैं। (याकू. 1:27) वे ज़ोरदार आवाज़ में कहते हैं कि यहोवा और परमेश्‍वर के मेम्ने यीशु ने जो किया है, उससे उनका उद्धार हुआ है। वे अपने हाथों में खजूर की डालियाँ लिए खड़े हैं जिससे पता चलता है कि वे खुशी-खुशी यीशु को अपना राजा मानते हैं।​—यूहन्‍ना 12:12, 13 से तुलना करें।

8. प्रकाशितवाक्य 7:11, 12 के मुताबिक बड़ी भीड़ को देखकर स्वर्ग में क्या होगा?

8 प्रकाशितवाक्य 7:11, 12 पढ़िए। बड़ी भीड़ को देखकर स्वर्ग में क्या होता है? दर्शन में यूहन्‍ना देखता है कि स्वर्ग में सब खुशी के मारे यहोवा की तारीफ कर रहे हैं। भविष्य में यह सच में होगा। बड़ी भीड़ के लोग महा-संकट से ज़िंदा बच निकलेंगे और उन्हें देखकर स्वर्ग में खुशियाँ मनायी जाएँगी।

9. प्रकाशितवाक्य 7:13-15 के हिसाब से बड़ी भीड़ के लोग आज क्या कर रहे हैं?

9 प्रकाशितवाक्य 7:13-15 पढ़िए। यूहन्‍ना बताता है कि बड़ी भीड़ के लोगों ने “अपने चोगे मेम्ने के खून में धोकर सफेद किए हैं।” इसका मतलब है कि उनका ज़मीर साफ है और यहोवा उनसे खुश है। (यशा. 1:18) उन्होंने अपना जीवन यहोवा को समर्पित किया है, बपतिस्मा लिया और यीशु के बलिदान पर विश्‍वास किया है। उनका यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता भी है। (यूह. 3:36; 1 पत. 3:21) इस तरह वे धरती पर ‘दिन-रात यहोवा की पवित्र सेवा’ करते रहने के योग्य बने हैं। वे पूरे जोश के साथ चेला बनाने का काम कर रहे हैं और परमेश्‍वर के राज को सबसे ज़्यादा अहमियत दे रहे हैं।​—मत्ती 6:33; 24:14; 28:19, 20.

बड़ी भीड़ के लोग खुशियाँ मना रहे हैं क्योंकि वे महा-संकट से बच निकले हैं (पैराग्राफ 10 देखें)

10. (क) बड़ी भीड़ को किस बात का यकीन है? (ख) वह किस वादे को पूरा होते देखेगी?

10 बड़ी भीड़ को पूरा यकीन है कि महा-संकट से बचने के बाद भी यहोवा उनकी देखभाल करता रहेगा। क्योंकि “राजगद्दी पर बैठा परमेश्‍वर [उन] पर अपना तंबू तानेगा।” वे उस वादे को पूरा होते देखेंगे जिसका उन्हें बहुत समय से इंतज़ार था: “[परमेश्‍वर] उनकी आँखों से हर आँसू पोंछ देगा और न मौत रहेगी, न मातम, न रोना-बिलखना, न ही दर्द रहेगा।”​—प्रका. 21:3, 4.

11-12. (क) प्रकाशितवाक्य 7:16, 17 के मुताबिक बड़ी भीड़ को भविष्य में क्या आशीषें मिलेंगी? (ख) स्मारक में हाज़िर होकर दूसरी भेड़ें क्या कर सकती हैं और वे ऐसा क्यों करती हैं?

11 प्रकाशितवाक्य 7:16, 17 पढ़िए। आज कुछ देशों में आर्थिक मंदी या युद्ध और दंगों की वजह से परमेश्‍वर के लोगों को भरपेट खाना नहीं मिलता। कुछ और भाई-बहनों को अपने विश्‍वास की वजह से जेल में डाला जा रहा है। लेकिन बड़ी भीड़ जानती है कि बहुत जल्द इस दुष्ट दुनिया का अंत होगा। तब उन्हें भरपूर मात्रा में खाना मिलेगा और वह सब मिलेगा जिससे यहोवा के साथ उनका रिश्‍ता मज़बूत हो। जब यहोवा शैतान की दुनिया का नाश करेगा, तो वह इस बात का ध्यान रखेगा कि बड़ी भीड़ उसके क्रोध की “झुलसाती गरमी” से बच जाए। महा-संकट से बचनेवालों को यीशु ‘पानी के उन सोतों के पास ले जाएगा जो हमेशा की ज़िंदगी देंगे।’ ज़रा सोचकर देखिए, बड़ी भीड़ के आगे कितनी लाजवाब आशा है। उन्हें कभी मरना नहीं पड़ेगा!​—यूह. 11:26.

12 इस बढ़िया आशा के लिए दूसरी भेड़ें यहोवा और यीशु का एहसान मानती हैं। हालाँकि उन्हें स्वर्ग में जीने के लिए नहीं चुना गया, फिर भी यहोवा की नज़रों में उनका मोल कम नहीं है। अभिषिक्‍त मसीहियों की तरह वे भी यहोवा और मसीह की तारीफ कर सकती हैं। ऐसा करने का एक तरीका है, यीशु की मौत के स्मारक में हाज़िर होना।

स्मारक में दिल से यहोवा और यीशु की तारीफ कीजिए

स्मारक में रोटी और दाख-मदिरा इस बात की निशानी हैं कि यीशु ने हमारे लिए अपनी जान दी (पैराग्राफ 13-15 देखें)

13-14. हमें मसीह की मौत के स्मारक में क्यों हाज़िर होना चाहिए?

13 कुछ सालों से देखा गया है कि 1,000 लोगों में से मुश्‍किल से एक व्यक्‍ति स्मारक के दौरान रोटी और दाख-मदिरा लेता है। यानी ज़्यादातर मंडलियों में ऐसा कोई नहीं है जो स्मारक के दिन रोटी और दाख-मदिरा लेता हो। इसका मतलब है कि अधिकतर लोग धरती पर जीने की आशा रखते हैं। तो फिर वे स्मारक में क्यों आते हैं? ज़रा सोचकर देखिए, आप अपने दोस्त की शादी में क्यों जाते हैं? इसलिए कि आप इस नए जोड़े की खुशी में शामिल होना चाहते हैं और उनके लिए अपना प्यार जताना चाहते हैं। उसी तरह, दूसरी भेड़ के लोग स्मारक में इसलिए हाज़िर होते हैं क्योंकि वे यीशु और अभिषिक्‍त मसीहियों की खुशी में शामिल होना चाहते हैं और उनके लिए अपना प्यार जताना चाहते हैं। स्मारक में हाज़िर होकर वे यीशु के बलिदान के लिए भी अपनी कदर ज़ाहिर करते हैं। इस बलिदान की वजह से ही उन्हें धरती पर हमेशा जीने की आशा मिली है।

14 दूसरी भेड़ के लोग एक और वजह से स्मारक में हाज़िर होते हैं। यीशु ने उन्हें ऐसा करने की आज्ञा दी है और वे उसकी आज्ञा मानना चाहते हैं। जब यीशु ने पहली बार स्मारक की शुरूआत की, तो उसने अपने वफादार प्रेषितों से कहा, “मेरी याद में ऐसा ही किया करना।” (1 कुरिं. 11:23-26) दूसरी भेड़ के लोग तब तक यीशु की मौत का स्मारक मनाएँगे, जब तक अभिषिक्‍त मसीही धरती पर ज़िंदा हैं। और वे स्मारक में दूसरे लोगों को भी बुलाते हैं।

15. स्मारक में हम क्या कर सकते हैं जिससे यहोवा और यीशु की तारीफ हो?

15 स्मारक में जब हम गीत गाते हैं और प्रार्थना करते हैं, तो हमें परमेश्‍वर और मसीह की तारीफ करने का मौका मिलता है। इस साल के भाषण का विषय है, “यहोवा और यीशु ने आपके लिए जो किया है उसकी कदर कीजिए!” यह भाषण सुनकर यहोवा और यीशु के लिए हमारी कदर और बढ़ेगी। जब रोटी और दाख-मदिरा फिरायी जाएँगी, तो हम इस बात पर मनन कर पाएँगे कि ये यीशु के शरीर और खून की निशानी हैं। हम इस बारे में भी सोच पाएँगे कि यहोवा हमसे कितना प्यार करता है। इसलिए उसने हमारे लिए अपना बेटा कुरबान कर दिया। (मत्ती 20:28) जो कोई यहोवा और उसके बेटे से प्यार करता है, वह स्मारक में ज़रूर आएगा।

अपनी आशा के लिए यहोवा का धन्यवाद कीजिए

16. अभिषिक्‍त मसीहियों और दूसरी भेड़ों में क्या समानताएँ हैं?

16 भले ही अभिषिक्‍त मसीहियों की आशा और दूसरी भेड़ों की आशा अलग है, फिर भी यहोवा की नज़र में दोनों अनमोल हैं। यहोवा ने दोनों समूहों के लिए अपने प्यारे बेटे की फिरौती दी। अभिषिक्‍त मसीही और दूसरी भेड़ें, दोनों से उम्मीद की जाती है कि वे यहोवा और यीशु के वफादार रहें। (भज. 31:23) याद रखिए, यहोवा हर व्यक्‍ति को उसकी ज़रूरत के हिसाब से पवित्र शक्‍ति देता है, फिर चाहे वह स्वर्ग में जीने की आशा रखता हो या धरती पर।

17. धरती पर आज जो अभिषिक्‍त मसीही ज़िंदा हैं, वे किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं?

17 अभिषिक्‍त मसीही  जन्म से ही स्वर्ग में जीने की आशा नहीं रखते। यह आशा उन्हें परमेश्‍वर देता है। वे अपनी आशा के बारे में गहराई से सोचते हैं, प्रार्थना करते हैं और स्वर्ग में इनाम पाने का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। वे ठीक-ठीक नहीं जानते कि स्वर्ग में उन्हें जो शरीर मिलेगा, वह कैसा होगा। (फिलि. 3:20, 21; 1 यूह. 3:2) फिर भी वे यहोवा, यीशु, स्वर्गदूतों और बाकी अभिषिक्‍त मसीहियों से मिलने के लिए बेताब हैं। उन्हें उस वक्‍त का इंतज़ार है जब वे यीशु और अपने अभिषिक्‍त भाइयों के साथ मिलकर स्वर्ग में राज करेंगे।

18. दूसरी भेड़ के लोग किस वक्‍त का इंतज़ार कर रहे हैं?

18 दूसरी भेड़  के लोग धरती पर हमेशा जीने की आशा रखते हैं, क्योंकि इंसानों में हमेशा जीने की इच्छा शुरू से होती है। (सभो. 3:11) वे उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं जब वे पूरी धरती को फिरदौस बना देंगे। उस वक्‍त वे खुद अपने घर बनाएँगे और बगीचे लगाएँगे। वे और उनके बच्चे कभी बीमार नहीं होंगे। (यशा. 65:21-23) फिरदौस में वे बहुत कुछ कर पाएँगे। वे पहाड़ों, जंगलों और गहरे समुंदर का मज़ा ले पाएँगे और यहोवा ने जो कुछ बनाया है, उससे सीख पाएँगे। सबसे बढ़कर, यहोवा के साथ उनका रिश्‍ता और गहरा हो जाएगा।

19. (क) स्मारक के दिन हम सबको क्या मौका मिलेगा? (ख) इस साल स्मारक कब होगा?

19 यहोवा ने अपने हर समर्पित सेवक को एक बेहतरीन आशा दी है। (यिर्म. 29:11) हम सबको हमेशा की ज़िंदगी देने के लिए यहोवा और यीशु ने बहुत कुछ किया है। स्मारक के दिन हमें उनकी तारीफ करने का बढ़िया मौका मिलेगा। स्मारक साल में होनेवाली सबसे खास सभा है। इस बार यह सभा शनिवार, 27 मार्च, 2021 को सूरज ढलने के बाद होगी। ज़्यादातर लोग बिना रोक-टोक इस सभा में आ पाएँगे, पर कुछ लोगों को विरोध का सामना करना पड़ेगा। और कुछ लोगों को इसे जेल में मनाना पड़ेगा। याद रखिए, स्वर्ग में यहोवा, यीशु, स्वर्गदूत और अभिषिक्‍त मसीही हर व्यक्‍ति, समूह और मंडली पर ध्यान देते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आप यह स्मारक अच्छे से मना पाएँगे!

गीत 150 अपने बचाव के लिए यहोवा की खोज करें

^ पैरा. 5 27 मार्च, 2021 यहोवा के साक्षियों के लिए एक बहुत ही खास दिन है। उस शाम मसीह की मौत का स्मारक मनाया जाएगा। हाज़िर होनेवाले ज़्यादातर लोग उस समूह में से होंगे जिसे यीशु ने “दूसरी भेड़ें” कहा। सन्‌ 1935 में यहोवा के साक्षियों को इस समूह के बारे में कौन-सी नयी समझ मिली? महा-संकट के बाद दूसरी भेड़ के लोगों को क्या-क्या आशीषें मिलेंगी? जब वे स्मारक में हाज़िर होते हैं, तो वे ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे यहोवा और यीशु की तारीफ हो?

^ पैरा. 1 उस वक्‍त यहोवा के साक्षी बाइबल विद्यार्थी के नाम से जाने जाते थे।

^ पैरा. 2 इसका क्या मतलब है? दूसरी भेड़ें  वे लोग हैं जो मसीह के नक्शे-कदम पर चलते हैं और धरती पर हमेशा जीने की आशा रखते हैं। जिन लोगों ने इन आखिरी दिनों में यहोवा की उपासना करना शुरू किया है, उन्हें भी इस समूह में गिना जाता है। जब मसीह महा-संकट के दौरान पूरी मानवजाति का न्याय करने आएगा, तो दूसरी भेड़ों में से जो लोग उस वक्‍त जीवित रहेंगे और महा-संकट से बच निकलेंगे उस समूह को बड़ी भीड़  कहा जाता है।

^ पैरा. 4 इसका क्या मतलब है? बचे हुए  अभिषिक्‍त मसीही वे लोग हैं जो अभी धरती पर ज़िंदा हैं और स्मारक के दौरान रोटी और दाख-मदिरा लेते हैं।