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अध्ययन लेख 1

शांत रहिए और यहोवा पर भरोसा रखिए

शांत रहिए और यहोवा पर भरोसा रखिए

सन्‌ 2021 का सालाना वचन है: “शांत रहो और मुझ पर भरोसा करो, तब तुम्हें हिम्मत मिलेगी।”—यशा. 30:15.

गीत 3 हमारी ताकत, आशा और भरोसा

लेख की एक झलक *

1. राजा दाविद की तरह हमारे मन में कौन-से सवाल उठ सकते हैं?

हम सब सुकून की ज़िंदगी जीना चाहते हैं। किसी को भी परेशान रहना, चिंता में डूबे रहना पसंद नहीं है। फिर भी कभी-कभी चिंताएँ हमें सताती हैं। शायद हमारे मन में वही सवाल आएँ जो राजा दाविद के मन में आए थे। उसने यहोवा से कहा, “कब तक मैं चिंताओं से घिरा रहूँगा? कब तक मेरा दिल हर दिन रोता रहेगा?”​—भज. 13:2.

2. इस लेख में हम क्या सीखेंगे?

2 यह सच है कि ज़िंदगी में चिंताएँ आएँगी ही, हम उनसे पूरी तरह बच नहीं सकते। लेकिन हम अपनी चिंताओं को कुछ हद तक कम ज़रूर कर सकते हैं। इस लेख में हम सबसे पहले यह जानेंगे कि हमें किन वजहों से चिंता हो सकती है। फिर हम ऐसी छ: बातों पर ध्यान देंगे जिनकी मदद से हम परेशानियों के दौरान शांत रह सकते हैं।

चिंताओं की वजह

3. हम शायद किन बातों को लेकर परेशान हों और क्या इन बातों को रोकना हमारे बस में है?

3 हम कई बातों को लेकर चिंता में पड़ सकते हैं जैसे, बढ़ती महँगाई और बढ़ते अपराध। जब हमारे साथ काम करनेवाले या साथ पढ़नेवाले बेईमानी करने या अनैतिक काम करने का हम पर दबाव डालते हैं, तब भी हमें चिंता हो सकती है। इन बुरी बातों को रोकना हमारे बस में नहीं, क्योंकि हम ऐसी दुनिया में जीते हैं जहाँ ज़्यादातर लोग बाइबल सिद्धांतों के मुताबिक नहीं जीते। इसके अलावा, इस दुनिया का ईश्‍वर शैतान भी जानता है कि ‘इस ज़माने की ज़िंदगी की चिंताओं’ की वजह से यहोवा के कुछ सेवक उसकी उपासना करना छोड़ देंगे। (मत्ती 13:22; 1 यूह. 5:19) इसी वजह से आज हमारी ज़िंदगी इतनी परेशानियों और चिंताओं से भरी है।

4. जब हम पर समस्याएँ आती हैं, तो क्या हो सकता है?

4 हो सकता है, हम अपनी समस्याओं को लेकर इतने परेशान हो जाएँ कि हम दिन-रात उन्हीं के बारे में सोचते रहें। जैसे, गुज़ारा चलाने के लिए पैसे कहाँ से आएँगे। या अगर हम बीमार हो गए, तो हमारी नौकरी का क्या होगा। या शायद हमें यह चिंता भी सताए कि लुभाए जाने पर कहीं हम परमेश्‍वर की आज्ञा न तोड़ दें। हम शायद यह सोचकर भी परेशान हों कि बहुत जल्द जब शैतान का साथ देनेवाले, परमेश्‍वर के लोगों पर हमला करेंगे, तो उस वक्‍त हम क्या करेंगे। शायद हम सोचें, ‘क्या इन बातों को लेकर परेशान होना सही है?’

5. “चिंता करना छोड़ दो,” इन शब्दों से यीशु का क्या मतलब था?

5 यीशु ने अपने चेलों से कहा था, “चिंता करना छोड़ दो।” (मत्ती 6:25) क्या यीशु का यह मतलब था कि हमें कभी किसी बात को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए? जी नहीं। बीते समय में यहोवा के कुछ सेवकों के मन में भी चिंताएँ थीं, लेकिन इस वजह से यहोवा ने उन्हें ठुकराया नहीं। * (1 राजा 19:4; भज. 6:3) जब यीशु ने कहा, “चिंता करना छोड़ दो,” तो उसका यह मतलब था कि हमें किसी भी बात को लेकर हद-से-ज़्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए वरना हमारा ध्यान यहोवा की सेवा से हट जाएगा। तो फिर हम क्या कर सकते हैं ताकि हम बहुत ज़्यादा चिंता न करें?​—“ चिंता कम करने के तरीके” नाम का बक्स पढ़ें।

छ: तरीके जिनसे चिंताएँ होंगी कम

पैराग्राफ 6 पढ़ें *

6. फिलिप्पियों 4:6, 7 के मुताबिक क्या करने से हमें मन की शांति मिलेगी?

6 () बार-बार प्रार्थना कीजिए।  अगर आप किसी समस्या को लेकर बहुत परेशान हैं, तो यहोवा से प्रार्थना कीजिए। (1 पत. 5:7) वह आपकी प्रार्थनाएँ ज़रूर सुनेगा और आपको ‘वह शांति देगा जो इंसानों की समझ से परे है।’ (फिलिप्पियों 4:6, 7 पढ़िए।) यहोवा आपको पवित्र शक्‍ति भी देगा ताकि मुश्‍किलों में आप शांत रह सकें।​—गला. 5:22.

7. प्रार्थना करते वक्‍त आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

7 जब आप यहोवा से प्रार्थना करते हैं, तो उसे साफ-साफ बताइए कि आप क्यों परेशान हैं और आप कैसा महसूस कर रहे हैं। अगर आप अपनी समस्या दूर करने के लिए कुछ कर सकते हैं, तो यहोवा से मदद माँगिए। वह आपको सही फैसला लेने के लिए बुद्धि और हिम्मत देगा। लेकिन अगर आप अपनी समस्या को दूर करने के लिए कुछ नहीं कर सकते, तो यहोवा से प्रार्थना कीजिए कि आप इस बारे में ज़्यादा चिंता न करें। यहोवा को साफ-साफ अपनी बात बताने से आप समझ पाएँगे कि उसने किस तरह आपकी प्रार्थनाओं का जवाब दिया है। अगर आपको तुरंत जवाब न मिले, तब भी प्रार्थना करते रहिए। यहोवा चाहता है कि आप साफ-साफ उसे अपने दिल की बात बताएँ। वह यह भी चाहता है कि आप लगातार उससे प्रार्थना करें।​—लूका 11:8-10.

8. हम और किस बात के लिए यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं?

8 जब आप यहोवा को अपनी चिंताएँ बताते हैं, तो उन आशीषों के लिए उसका धन्यवाद करना मत भूलिए जो उसने आपको दी हैं। मुश्‍किल घड़ी में इन आशीषों के बारे में सोचना अच्छी बात है। अगर यहोवा को अपनी भावनाएँ बताना आपको मुश्‍किल लगे, तो आप क्या कर सकते हैं? उससे सिर्फ इतनी बिनती कीजिए, ‘मेरी मदद कर यहोवा!’ वह आपकी ज़रूर सुनेगा।​—2 इति. 18:31; रोमि. 8:26.

पैराग्राफ 9 पढ़ें *

9. यहूदा के लोगों को कौन सच में बचा सकता था?

9 () अपनी बुद्धि पर नहीं, यहोवा की बुद्धि पर निर्भर रहिए।  भविष्यवक्‍ता यशायाह के दिनों में यहूदा के लोगों को डर था कि अश्‍शूरी उन पर हमला करेंगे और उन्हें बंदी बनाकर ले जाएँगे। खुद को बचाने के लिए उन्होंने मिस्र से मदद माँगी। (यशा. 30:1, 2) यहोवा ने उन्हें बताया कि मिस्र पर भरोसा करने का अंजाम बुरा होगा। (यशा. 30:7, 12, 13) यशायाह के ज़रिए यहोवा ने उन्हें यह संदेश भी दिया कि कौन उन्हें सच में बचा सकता है। यहोवा ने कहा, “शांत रहो और मुझ पर भरोसा करो, तब तुम्हें हिम्मत मिलेगी।”​—यशा. 30:15ख.

10. हम किन हालात में यहोवा पर भरोसा रख सकते हैं?

10 आज आपको शायद किन हालात में यहोवा पर भरोसा करना पड़े? मान लीजिए आपको एक ऐसी नौकरी मिल रही है जिसमें आपको अच्छे-खासे पैसे मिलेंगे। लेकिन इसके लिए आपको ज़्यादा घंटे काम करने पड़ेंगे और प्रचार और सभाओं के लिए आपको ज़्यादा वक्‍त नहीं मिलेगा। या हो सकता है, काम की जगह पर कोई आकर आपसे कहता है कि वह आपको पसंद करता है, लेकिन वह यहोवा का साक्षी नहीं है। या परिवार का कोई सदस्य जिससे आप बहुत प्यार करते हैं, आपसे कहता है, “अगर तुम्हें मेरे साथ रहना है, तो तुम्हें यहोवा को छोड़ना होगा।” इन तीनों हालात में सही फैसला करना आसान नहीं है। लेकिन हर हालात में यहोवा आपको अच्छी सलाह देगा। (मत्ती 6:33; 10:37; 1 कुरिं. 7:39) मगर सवाल यह है कि क्या आपको यहोवा पर भरोसा है और क्या आप उसकी सलाह मानेंगे?

पैराग्राफ 11 पढ़ें *

11. बाइबल में दी कौन-सी घटनाएँ पढ़ने से हम विरोध के बावजूद शांत रह पाएँगे?

11 () अच्छी और बुरी मिसालों से सीखिए।  बाइबल में दी कई घटनाओं से पता चलता है कि शांत रहना और यहोवा पर भरोसा रखना कितना ज़रूरी है। जब आप इन घटनाओं को पढ़ेंगे, तो ध्यान दीजिए कि यहोवा के सेवक कैसे दुश्‍मनों के विरोध के बावजूद शांत रह पाए। मिसाल के लिए, जब यहूदी महासभा ने प्रेषितों को कड़ा आदेश दिया कि वे प्रचार करना बंद कर दें, तो प्रेषित डरे नहीं। इसके बजाय उन्होंने हिम्मत से कहा, “इंसानों के बजाय परमेश्‍वर को अपना राजा जानकर उसकी आज्ञा मानना ही हमारा फर्ज़ है।” (प्रेषि. 5:29) कोड़े खाने के बाद भी प्रेषित घबराए नहीं, क्योंकि वे जानते थे कि यहोवा उनके साथ है और उनसे खुश है। इसलिए वे खुशखबरी का प्रचार करते रहे। (प्रेषि. 5:40-42) जब विरोधी स्तिफनुस को जान से मारनेवाले थे, तब भी वह शांत रहा। बाइबल बताती है, ‘उसका चेहरा एक स्वर्गदूत के चेहरे जैसा दिख रहा था।’ (प्रेषि. 6:12-15) स्तिफनुस इतना शांत इसलिए रह पाया क्योंकि उसे यकीन था कि यहोवा उससे खुश है।

12. पहला पतरस 3:14 और 4:14 के मुताबिक ज़ुल्मों के दौरान भी हम खुश कैसे रह सकते हैं?

12 प्रेषितों को पूरा यकीन था कि यहोवा उनके साथ है, क्योंकि उसने उन्हें चमत्कार करने की शक्‍ति दी थी। (प्रेषि. 5:12-16; 6:8) आज भले ही हमें चमत्कार करने की शक्‍ति नहीं मिली है, फिर भी यहोवा हमारे साथ है। अपने वचन के ज़रिए वह हमें यकीन दिलाता है कि जब हम नेकी की खातिर दुख उठाते हैं, तो वह हमसे खुश होता है और हमें अपनी पवित्र शक्‍ति देता है। (1 पतरस 3:14; 4:14 पढ़िए।) इसलिए हमें यह सोचकर परेशान नहीं होना चाहिए कि आनेवाले समय में जब हमें सताया जाएगा, तो हम क्या करेंगे। इसके बजाय, आज हमें यहोवा पर अपना भरोसा बढ़ाना चाहिए कि आगे जैसे भी हालात आएँ, वह हमें बचा सकता है। यीशु ने पहली सदी के चेलों से जो वादा किया वही वादा वह आज हमसे भी करता है, “मैं तुम्हें ऐसे शब्द और ऐसी बुद्धि दूँगा कि सब विरोधी साथ मिलकर भी तुम्हारा मुकाबला नहीं कर पाएँगे, न ही जवाब में कुछ कह पाएँगे।” उसने एक और बात कही, “तुम धीरज धरने की वजह से अपनी जान बचा पाओगे।” (लूका 21:12-19) याद रखिए, अगर हमारी जान भी चली जाए, तो यहोवा अपने वफादार सेवकों की छोटी-से-छोटी बात भी याद रखेगा और उन्हें ज़िंदा करेगा।

13. बाइबल में दी बुरी मिसालों पर ध्यान देने से हमें क्या फायदा होगा?

13 बाइबल में ऐसे लोगों की भी मिसालें दी गयी हैं, जो मुश्‍किल की घड़ी में शांत नहीं रहे और जिन्होंने यहोवा पर भरोसा नहीं रखा। उनके बारे में पढ़कर हम वह गलती नहीं दोहराएँगे जो उन्होंने की थी। यहूदा के राजा आसा की मिसाल लीजिए। आसा की हुकूमत के दौरान जब एक विशाल सेना यहूदा पर हमला करने आयी, तो उसने यहोवा पर भरोसा रखा और यहोवा ने उसे जीत दिलायी। (2 इति. 14:9-12) कुछ समय बाद, इसराएल का राजा बाशा एक छोटी-सी सेना लेकर आसा से लड़ने आया। इस बार आसा ने यहोवा पर भरोसा नहीं रखा। उसने पैसे देकर सीरिया के लोगों से मदद माँगी। (2 इति. 16:1-3) जब बुढ़ापे में उसे एक बहुत बड़ी बीमारी हो गयी थी, तब भी उसने यहोवा से मदद नहीं माँगी।​—2 इति. 16:12.

14. आसा की गलती से हम क्या सीखते हैं?

14 शुरू-शुरू में जब आसा पर मुसीबत आयी, तो उसने यहोवा पर भरोसा रखा और उससे मदद माँगी। लेकिन बाद में जब उस पर एक और मुसीबत आयी, तब उसने यहोवा पर भरोसा नहीं किया बल्कि अपनी समझ का सहारा लिया। आसा को शायद लगा होगा कि सीरिया से मदद माँगकर उसने बहुत बुद्धिमानी का काम किया। मगर उसकी तरकीब ज़्यादा देर तक काम नहीं आयी। यहोवा ने अपने एक भविष्यवक्‍ता के ज़रिए आसा से कहा, “तूने अपने परमेश्‍वर यहोवा पर भरोसा करने के बजाय सीरिया के राजा पर भरोसा किया, इसलिए सीरिया के राजा की सेना तेरे हाथ से निकल गयी है।” (2 इति. 16:7) आसा ने जो गलती की उससे हम क्या सीखते हैं? हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें यहोवा से सलाह लेने की ज़रूरत नहीं है, हम अपनी समस्याएँ खुद सुलझा लेंगे। यहाँ तक कि जब हमें तुरंत कोई फैसला लेना होता है, तब भी हमें शांत रहकर यहोवा पर भरोसा करना चाहिए ताकि हम सही फैसला ले पाएँ।

पैराग्राफ 15 पढ़ें *

15. बाइबल पढ़ते वक्‍त आप क्या कर सकते हैं?

15 () बाइबल की आयतें याद कीजिए।  बाइबल पढ़ते वक्‍त जब आपको कोई आयत मिलती है, जो आपको शांत रहने और यहोवा पर भरोसा करने का हौसला देगी, तो उसे याद करने की कोशिश कीजिए। ऐसा करने के लिए आप चाहें तो उसे ज़ोर से पढ़ सकते हैं या उसे कहीं लिख सकते हैं और बार-बार पढ़ सकते हैं। यहोशू से कहा गया था कि वह दिन-रात कानून को धीमी आवाज़ में पढ़े, ताकि वह बुद्धिमानी से काम कर पाए। कानून की किताब पढ़ने से वह अपने डर पर भी काबू कर पाता और हिम्मत से परमेश्‍वर के लोगों की अगुवाई कर पाता। (यहो. 1:8, 9) मुश्‍किल की घड़ी में आप शायद तुरंत घबरा जाएँ या चिंता करने लगें, ऐसे में परमेश्‍वर का वचन आपको मन की शांति देगा।​—भज. 27:1-3; नीति. 3:25, 26.

पैराग्राफ 16 पढ़ें *

16. यहोवा मंडली के ज़रिए किस तरह हमें शांत रहने और उस पर भरोसा रखने का बढ़ावा देता है?

16 () भाई-बहनों के साथ वक्‍त बिताइए।  यहोवा अपने लोगों के ज़रिए आपको शांत रहने और उस पर भरोसा रखने का बढ़ावा देता है। सभाओं में आपको भाषणों से, दूसरों के जवाबों से और भाई-बहनों से बात करने से हौसला मिलेगा। (इब्रा. 10:24, 25) जब आप मंडली में किसी अच्छे दोस्त को अपनी चिंताएँ बताते हैं, तब भी आपको हिम्मत मिलेगी। आपके दोस्त की कही एक “अच्छी बात” से आपकी चिंता कम हो सकती है।​—नीति. 12:25.

पैराग्राफ 17 पढ़ें *

17. इब्रानियों 6:19 के मुताबिक नयी दुनिया की आशा हमें किस तरह मुश्‍किलों में सँभालती है?

17 () अपनी आशा पक्की कीजिए।  नयी दुनिया की आशा जहाज़ के एक “लंगर” की तरह है। यह हमें मुश्‍किलों और चिंताओं में डगमगाने नहीं देगी। (इब्रानियों 6:19 पढ़िए।) यहोवा के उस वादे पर मनन कीजिए जब हमें किसी बात की चिंता नहीं होगी। (यशा. 65:17) कल्पना कीजिए कि आप नयी दुनिया में हैं, चारों तरफ शांति है और आपको किसी बात का डर नहीं। (मीका 4:4) जब आप दूसरों को नयी दुनिया के बारे में बताएँगे, तो इससे भी आपकी आशा पक्की होगी। इसलिए जी-जान से प्रचार कीजिए ताकि आपको “अपनी आशा के पूरा होने का पक्का भरोसा” रहे।​—इब्रा. 6:11.

18. आनेवाले समय में क्या होगा और ऐसे में हम क्या कर सकते हैं?

18 जैसे-जैसे इस दुनिया का अंत करीब आ रहा है, हमारी ज़िंदगी में मुश्‍किलें और चिंताएँ और बढ़ेंगी। सन्‌ 2021 का सालाना वचन याद रखने से हम मुश्‍किलों में शांत रह पाएँगे। हम अपनी ताकत पर नहीं, बल्कि यहोवा पर भरोसा रखेंगे। जैसे कि हमने इस लेख में चर्चा की, यहोवा ने वादा किया है, “शांत रहो और मुझ पर भरोसा करो, तब तुम्हें हिम्मत मिलेगी।”  (यशा. 30:15) तो फिर आइए हम अपने कामों से यह ज़ाहिर करें कि हमें यहोवा के इस वादे पर पूरा भरोसा है।

गीत 8 यहोवा हमारा गढ़ है

^ पैरा. 5 ज़िंदगी की कई सारी समस्याएँ हमें परेशान कर सकती हैं, हमें चिंता में डाल सकती हैं। सन्‌ 2021 का सालाना वचन इस बात पर हमारा ध्यान दिलाता है कि ऐसे वक्‍त में हमें यहोवा पर भरोसा करना चाहिए। इस लेख में बताया जाएगा कि हम सालाना वचन में दी सलाह को कैसे मान सकते हैं।

^ पैरा. 5 कुछ भाई-बहन छोटी-छोटी बातों को लेकर बहुत ज़्यादा घबराते हैं या हद-से-ज़्यादा चिंता करने लगते हैं। यह एक तरह की बीमारी है लेकिन यीशु इस तरह की चिंता की बात नहीं कर रहा था।

^ पैरा. 63 तसवीर के बारे में: (1) एक बहन दिन में बार- बार अपनी चिंताओं के बारे में प्रार्थना कर रही है।

^ पैरा. 65 तसवीर के बारे में: (2) काम की जगह पर लंच ब्रेक के दौरान वह बुद्धि पाने के लिए यहोवा का वचन पढ़ रही है।

^ पैरा. 67 तसवीर के बारे में: (3) वह बाइबल में लिखी अच्छी और बुरी मिसालों के बारे में सोच रही है।

^ पैरा. 69 तसवीर के बारे में: (4) जिस आयत से उसे हौसला मिला, उसे वह याद करना चाहती है। इसलिए वह उसे लिखकर फ्रिज पर चिपका रही है।

^ पैरा. 71 तसवीर के बारे में: (5) उसे दोस्तों के साथ प्रचार करने में मज़ा आ रहा है।

^ पैरा. 73 तसवीर के बारे में: (6) वह नयी दुनिया के बारे में सोचकर अपनी आशा पक्की कर रही है।