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अध्ययन लेख 3

गीत 124 हम निभाएँगे वफा

मुश्‍किलों के तूफान में यहोवा आपको सँभालेगा

मुश्‍किलों के तूफान में यहोवा आपको सँभालेगा

“हे यहोवा, तेरा अटल प्यार मुझे सँभाले रहा।”​—भज. 94:18.

क्या सीखेंगे?

मुश्‍किलों के दौरान यहोवा से मदद पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

1-2. यहोवा के वफादार सेवकों को शायद किन मुश्‍किलों का सामना करना पड़े?

 जब हमारी ज़िंदगी में अचानक मुश्‍किलों का तूफान आ जाता है, तो रातों-रात सबकुछ उलट-पुलट हो जाता है। लुइस a नाम के एक भाई के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। वे वफादारी से यहोवा की सेवा कर रहे थे। फिर एक दिन डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उन्हें कैंसर है और वे बस कुछ ही महीने जी पाएँगे। बहन मोनिका और उनके पति जोश से यहोवा की सेवा कर रहे थे। उनके पति मंडली में एक प्राचीन थे। फिर एक दिन बहन को पता चला कि वे कई सालों से चोरी-छिपे पाप कर रहे थे। ओलीविया नाम की एक अविवाहित बहन को मजबूरन अपना घर छोड़कर जाना पड़ा, क्योंकि उनके इलाके में एक बड़ा तूफान आनेवाला था। जब वे लौटकर आयीं, तो उन्होंने देखा कि उनका घर पूरी तरह तहस-नहस हो गया है। एक ही पल में इन भाई-बहनों की ज़िंदगी बिखर गयी! हो सकता है, आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ हो। इसलिए आप समझ सकते हैं कि जब ऐसा होता है, तो एक व्यक्‍ति पर क्या बीतती है।

2 दुनिया के लोगों की तरह यहोवा के वफादार सेवकों को भी कई मुश्‍किलों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा कई लोग हमारा विरोध करते हैं या हम पर ज़ुल्म करते हैं क्योंकि हम यहोवा की सेवा करते हैं। यहोवा शायद हमें इस तरह की मुश्‍किलों से ना बचाए, लेकिन उसने वादा किया है कि वह इन्हें पार करने में हमारी मदद ज़रूर करेगा। (यशा. 41:10) उसकी मदद से हम मुश्‍किल-से-मुश्‍किल घड़ी में भी खुश रह सकते हैं, सही फैसले कर सकते हैं और उसके वफादार रह सकते हैं। तो जब हम मुश्‍किलों के भँवर में फँसे होते हैं, तब यहोवा कैसे हमारी मदद करता है? इस लेख में हम इसके चार तरीके देखेंगे। हम यह भी जानेंगे कि यहोवा से मदद पाने के लिए हमें क्या करना होगा।

यहोवा आपकी हिफाज़त करेगा

3. जब हमारे साथ कुछ बुरा होता है, तो शायद हमारे लिए क्या करना मुश्‍किल हो?

3 क्या मुश्‍किल हो सकती है?  जब हमारे साथ कुछ बुरा होता है, तो शायद हम ठीक से सोच ना पाएँ और सही फैसले ना कर पाएँ। वह इसलिए कि ऐसे में हमारा दिल दुख से बेहाल हो जाता है और हमें इतनी चिंता होती है कि हमारा दिमाग ठीक से काम नहीं करता। हमें शायद लगे कि चारों तरफ घना कोहरा छाया है, समझ में नहीं आता कि किधर जाएँ। ध्यान दीजिए कि हमने जिन बहनों का ज़िक्र किया था, उन पर जब मुश्‍किलें आयीं तो उन्हें कैसा लगा। बहन ओलीविया कहती हैं, “जब तूफान से मेरा घर तहस-नहस हो गया, तो लगा जैसे सबकुछ खत्म हो गया है। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ, कहाँ जाऊँ।” और ध्यान दीजिए कि जब बहन मोनिका के पति ने उन्हें धोखा दिया, तो उन्हें कैसा लगा: “मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वे मेरे साथ ऐसा करेंगे। ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरे सीने में छुरा भोंक दिया हो। मुझसे कुछ नहीं हो पा रहा था, मैं बस ज़िंदा लाश बनकर रह गयी थी।” ऐसे हालात में भी आप यकीन रख सकते हैं कि यहोवा आपकी मदद करेगा।

4. फिलिप्पियों 4:6, 7 के मुताबिक यहोवा ने हमसे क्या वादा किया है?

4 यहोवा कैसे मदद करता है?  उसने वादा किया है कि वह हमें ऐसी शांति देगा जिसे बाइबल में ‘परमेश्‍वर की शांति’ कहा गया है। (फिलिप्पियों 4:6, 7 पढ़िए।) यह एक ऐसा सुकून है जो हमें तब मिलता है जब यहोवा के साथ हमारा मज़बूत रिश्‍ता होता है। यह शांति हमारी “समझ से परे है,” यह एक ऐसा एहसास है जिसे हम शब्दों में बयान नहीं कर सकते। क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आपने यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना की और फिर आपका मन एकदम शांत हो गया? यही है ‘परमेश्‍वर की शांति।’

5. परमेश्‍वर से मिलनेवाली शांति हमारे दिल और दिमाग की हिफाज़त कैसे करती है?

5 फिलिप्पियों 4:7 में यह भी कहा गया है कि परमेश्‍वर की शांति “तुम्हारे दिल की और तुम्हारे दिमाग के सोचने की ताकत की हिफाज़त करेगी।” यहाँ जिस शब्द का अनुवाद ‘हिफाज़त करना’ किया गया है, वह अकसर उन सैनिकों के लिए इस्तेमाल होता था जो शहर के फाटक पर पहरा देते थे ताकि दुश्‍मन देश पर हमला ना कर सकें। इस वजह से उस शहर के लोग चैन की नींद सो पाते थे, क्योंकि उन्हें पता होता था कि शहर के फाटक पर पहरेदार तैनात हैं। उसी तरह जब परमेश्‍वर से मिलनेवाली शांति हमारे दिल और दिमाग की हिफाज़त करती है, तो हमारा मन शांत रह पाता है क्योंकि हमें पता होता है कि हम महफूज़ हैं। (भज. 4:8) और अगर हन्‍ना की तरह हमारे हालात तुरंत ना भी बदलें, तब भी काफी हद तक हमारा मन शांत रह पाता है। (1 शमू. 1:16-18) और जब हमारा मन शांत रहता है, तो अकसर हम ठीक से सोच पाते हैं और सही फैसले कर पाते हैं।

तब तक प्रार्थना करते रहिए जब तक कि आपको ‘परमेश्‍वर की शांति’ नहीं मिल जाती, यह शांति आपके दिल और दिमाग की हिफाज़त करेगी (पैराग्राफ 4-6)


6. परमेश्‍वर से शांति पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)

6 हमें क्या करना होगा?  जब आपका मन बहुत बेचैन हो, तो “पहरेदार” को बुलाइए। इसका मतलब, तब तक प्रार्थना करते रहिए जब तक कि आपको परमेश्‍वर से शांति नहीं मिलती। (लूका 11:9; 1 थिस्स. 5:17) ज़रा फिर से भाई लुइस के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। उन्होंने बताया कि जब उन्हें और उनकी पत्नी ऐना को पता चला कि वे कुछ ही महीने और जी पाएँगे, तब उन्होंने क्या किया: “ऐसे वक्‍त में इलाज और दूसरे मामलों के बारे में कोई फैसला लेना बहुत मुश्‍किल होता है। लेकिन प्रार्थना करने से उस वक्‍त हमें वह शांति मिली जिसकी हमें बहुत ज़रूरत थी।” भाई और उनकी पत्नी ने बार-बार गिड़गिड़ाकर यहोवा से बिनती की कि वह उन्हें मन की शांति दे, सुकून दे और बुद्धि दे ताकि वे सही फैसले कर सकें। और यहोवा ने उनकी मदद की पुकार सुनी। अगर आप भी किसी मुश्‍किल से गुज़र रहे हैं, तो लगातार प्रार्थना कीजिए। तब यहोवा आपको भी ऐसी शांति देगा जो आपके दिल और दिमाग की हिफाज़त करेगी।—रोमि. 12:12.

यहोवा आपको सँभालेगा

7. जब हम बहुत तकलीफ में होते हैं, तो शायद हम कैसा महसूस करें?

7 क्या मुश्‍किल हो सकती है?  जब हम किसी मुश्‍किल से गुज़र रहे होते हैं, तो हमारा मूड एक जैसा नहीं रहता, हम ठीक से सोच नहीं पाते और शायद हमारे व्यवहार में भी बदलाव आ जाए। हमें शायद ऐसा लगे जैसे हम जज़्बातों की लहरों में इधर-उधर उछाले जा रहे हैं। भाई लुइस की मौत के बाद बहन ऐना ने कुछ ऐसा ही महसूस किया। उन्होंने कहा, “कई बार मुझे बहुत खालीपन-सा लगता था। अपनी हालत पर मुझे रोना आता था। और कभी-कभी बहुत गुस्सा आता था कि वे क्यों मुझे छोड़कर चले गए।” बहन ऐना को कभी-कभी अकेलापन भी सताने लगता था। और जब उन्हें ऐसे फैसले लेने होते थे जो पहले भाई लुइस लिया करते थे, तो वे बहुत परेशान हो जाती थीं। कई बार उन्हें लगता था कि वे समुंदर के बीच किसी तूफान में फँस गयी हैं। तो जब चिंताएँ और परेशानियाँ हमें डुबाने लगती हैं, तो यहोवा कैसे हमारी मदद करता है?

8. भजन 94:18 के मुताबिक यहोवा हमें किस बात का यकीन दिलाता है?

8 यहोवा कैसे मदद करता है?  वह हमें यकीन दिलाता है कि वह हमें सँभालेगा। (भजन 94:18 पढ़िए।) जब एक जहाज़ तूफान में फँस जाता है, तो वह बुरी तरह इधर-उधर डोलने लगता है। इसलिए कई जहाज़ों के नीचे दोनों तरफ एक तरह के यंत्र (स्टेबलाइज़र) लगे होते हैं। इस वजह से तूफान के दौरान जहाज़ काफी हद तक सँभल पाता है और उस पर बैठे लोग सुरक्षित महसूस करते हैं और उन्हें थोड़ी राहत मिलती है। लेकिन अकसर ये यंत्र तब ज़्यादा अच्छी तरह काम करते हैं, जब जहाज़ आगे बढ़ रहा हो। उसी तरह अगर मुश्‍किलों के दौरान हम आगे बढ़ते रहें यानी वफादारी से यहोवा की सेवा करते रहें, तो यहोवा हमें भी सँभालेगा।

हमारे प्रकाशनों में खोजबीन कीजिए, इससे आप खुद को सँभाल पाएँगे (पैराग्राफ 8-9)


9. खोजबीन करने से हम कैसे खुद को सँभाल सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)

9 हमें क्या करना होगा?  जब आपको लगे कि आपके जज़्बात आप पर हावी होने लगे हैं, तो लगातार प्रार्थना करने, सभाओं में जाने और प्रचार करने की पूरी कोशिश कीजिए। हाँ आप शायद उतना ना कर पाएँ जितना आप पहले करते थे, पर याद रखिए कि यहोवा हमसे कुछ ऐसा करने की उम्मीद नहीं करता जो हमारे बस के बाहर हो। (लूका 21:1-4 से तुलना कीजिए।) निजी अध्ययन और मनन करने के लिए भी वक्‍त तय कीजिए। वह इसलिए कि यहोवा ने अपने संगठन के ज़रिए बाइबल पर आधारित बहुत-सी जानकारी उपलब्ध करवायी है जिससे हम इस तूफान में खुद को सँभाल सकते हैं। आप यहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड  और JW लाइब्रेरी  ऐप में खोजबीन करके वह जानकारी पा सकते हैं जिसकी आपको ज़रूरत है। ज़रा फिर से बहन मोनिका के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। वे बताती हैं कि जब भी उन्हें लगता था कि उनके जज़्बात उन पर हावी हो रहे हैं, तो वे खोजबीन करने लगती थीं। जैसे कभी वे “गुस्सा” शब्द टाइप करती थीं तो कभी “धोखा,” तो कभी “वफादार।” फिर वे उन विषयों पर लेख पढ़ती रहती थीं, जब तक कि उन्हें तसल्ली ना मिले। वे बताती हैं, “जब मैं खोजबीन करने बैठती थी, तो बहुत परेशान होती थी, यूँ ही कोई शब्द टाइप कर देती थी। लेकिन कुछ समय बाद मेरा मन शांत हो जाता था। ऐसा लगता था जैसे यहोवा प्यार से मुझे गले लगा रहा है। पढ़ते-पढ़ते मुझे एहसास होता था कि यहोवा मेरी भावनाएँ समझता है और वह मेरी मदद कर रहा है।” यहोवा की मदद से आप भी अपनी भावनाओं पर काबू पा सकते हैं और आपका मन शांत हो सकता है।​—भज. 119:143, 144.

यहोवा आपको सहारा देगा

10. जब हमारे साथ कुछ बुरा होता है, तो शायद हमें कैसा लगे?

10 क्या मुश्‍किल हो सकती है?  जब हमारे साथ कुछ बुरा होता है, तो शायद किसी दिन हमें ठीक लगे, लेकिन किसी दिन शायद हम बहुत दुखी महसूस करें, कुछ करने की हिम्मत ही ना हो। हमें शायद एक ऐसे खिलाड़ी की तरह लगे जो एक वक्‍त पर बहुत तेज़ दौड़ता था, लेकिन चोट लगने की वजह से अब लंगड़ाकर चल रहा है। जो काम हम पहले आसानी से कर लेते थे, उन्हें करना भी शायद हमें बहुत मुश्‍किल लगे। या एक वक्‍त पर जिन कामों से हमें बहुत खुशी मिलती थी, उन्हें भी करने का हमारा मन ना करे। शायद एलियाह की तरह हममें उठने की हिम्मत ही ना हो, मन करे कि बस सोते ही रहें। (1 राजा 19:5-7) पर यहोवा ने वादा किया है कि जब कभी हम कमज़ोर महसूस करें, तो वह हमारी मदद करेगा।

11. यहोवा और कैसे हमारी मदद करता है? (भजन 18:18)

11 यहोवा कैसे मदद करता है?  यहोवा ने वादा किया है कि वह हमें सहारा देगा। (भजन 18:18 पढ़िए।) जब एक खिलाड़ी को चोट लग जाती है, तो वह खुद से चल-फिर नहीं पाता। उसे सहारे की ज़रूरत होती है। उसी तरह जोश से यहोवा की सेवा करने के लिए शायद हमें भी सहारे की ज़रूरत हो। जब हम कमज़ोर महसूस करते हैं, तो यहोवा हमसे कहता है, “मैं तेरा परमेश्‍वर यहोवा, तेरा दायाँ हाथ थामे हुए हूँ, मैं तुझसे कहता हूँ, ‘मत डर, मैं तेरी मदद करूँगा।’” (यशा. 41:13) यहोवा ने राजा दाविद की भी मदद की थी। जब उसके दुश्‍मन उसकी जान के पीछे पड़े हुए थे और वह एक-के-बाद-एक मुश्‍किलों का सामना कर रहा था, तो उसने यहोवा से कहा, “तेरा दायाँ हाथ मुझे थाम लेता है।” (भज. 18:35) लेकिन यहोवा कैसे हमें थाम लेता है या हमें सहारा देता है?

अपने परिवारवालों, दोस्तों और प्राचीनों की मदद लेने से इनकार मत कीजिए (पैराग्राफ 11-13)


12. जब हम कमज़ोर होते हैं, तो यहोवा शायद किनके ज़रिए हमें सहारा दे?

12 यहोवा अकसर दूसरों को हमारी मदद करने के लिए उभारता है और इस तरह हमें सहारा देता है। जैसे एक बार जब दाविद कमज़ोर महसूस कर रहा था, तो उसका दोस्त योनातान उससे मिलने आया। उसने उसकी हिम्मत बँधायी और उसे सहारा दिया। (1 शमू. 23:16, 17) और जब एलियाह को मदद की ज़रूरत थी, तो यहोवा ने एलीशा के ज़रिए उसे मदद दी। (1 राजा 19:16, 21; 2 राजा 2:2) आज यहोवा शायद हमारे परिवारवालों, दोस्तों या प्राचीनों के ज़रिए हमें सहारा दे। लेकिन जब हम दुखी होते हैं तो शायद हमारा किसी से मिलने का मन ना करे, हम अकेले रहना चाहें। और ऐसा महसूस करना गलत नहीं है। तो यहोवा से सहारा पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

13. यहोवा से सहारा पाने के लिए हमें क्या करना होगा? (तसवीर भी देखें।)

13 हमें क्या करना होगा?  शायद हमें दूसरों से मिलने-जुलने का मन ना करे, लेकिन ऐसी भावनाओं को खुद पर हावी मत होने दीजिए। जब हम खुद को दूसरों से अलग कर लेते हैं, तो हम बस अपने ही बारे में सोचने लगते हैं, अपनी परेशानियों में ही उलझकर रह जाते हैं। इस वजह से शायद हम गलत फैसले कर बैठें। (नीति. 18:1) यह तो है कि कभी-कभी हम सबको कुछ पल अकेले बिताने का मन करता है और अगर हमारे साथ कुछ बुरा हुआ हो, तब तो शायद ऐसा करने का और भी मन करे। और यह गलत नहीं है। लेकिन अगर हम लंबे समय तक अकेले ही रहें, तो हम मानो यहोवा की मदद लेने से इनकार कर रहे होंगे, क्योंकि यहोवा दूसरों के ज़रिए हमें सहारा देता है। तो जब आप दुखी या निराश हों, शायद आपको दूसरों से मिलने का मन ना करे, फिर भी अपने परिवारवालों, दोस्तों और प्राचीनों की मदद कबूल कीजिए। याद रखिए, उनके ज़रिए असल में यहोवा आपको सहारा दे रहा है।—नीति. 17:17; यशा. 32:1, 2.

यहोवा आपको दिलासा देगा

14. शायद किन हालात में हमें बहुत डर लगे?

14 क्या मुश्‍किल हो सकती है?  कभी-कभी शायद हमें बहुत डर लगे। बाइबल में बताया गया है कि यहोवा के कुछ वफादार सेवक भी बहुत डर गए थे और थर-थर काँपने लगे थे, क्योंकि उनके दुश्‍मन उनकी जान के पीछे पड़े थे या वे दूसरी मुश्‍किलों का सामना कर रहे थे। (भज. 18:4; 55:1, 5) उसी तरह यहोवा की सेवा करने की वजह से आज शायद हमारे स्कूल के बच्चे, हमारे साथ काम करनेवाले, हमारे परिवारवाले या सरकार हमारा विरोध करे। या हो सकता है, हमें कोई बड़ी बीमारी हो जिस वजह से हमारी जान को खतरा हो। ऐसे में शायद हम भी बहुत डर जाएँ और बेबस महसूस करने लगें। हमें शायद एक छोटे बच्चे की तरह लगे जो कुछ नहीं कर सकता। ऐसे में यहोवा किस तरह हमारी मदद करता है?

15. भजन 94:19 से हमें किस बात का यकीन हो जाता है?

15 यहोवा कैसे मदद करता है?  यहोवा हमें दिलासा देता है, हमें सुकून देता है। (भजन 94:19 पढ़िए।) यह आयत पढ़कर शायद हमारे मन में एक छोटी बच्ची का खयाल आए जो बहुत डर गयी है और सो नहीं पा रही, क्योंकि बाहर बादल गरज रहे हैं और बिजली कड़क रही है। लेकिन फिर उसके पापा आते हैं और उसे अपनी बाहों में ले लेते हैं और तब तक उसके पास रहते हैं जब तक कि वह सो नहीं जाती। तूफान अभी थमा नहीं है, लेकिन अपने पापा की बाहों में वह इतना सुरक्षित महसूस करती है कि उसका डर गायब हो जाता है। कुछ उसी तरह जब हम मुश्‍किलों से गुज़रते हैं और हमें डर लगता है, तो शायद हम भी चाहें कि यहोवा हमें अपनी बाहों में ले ले और तब तक ना छोड़े जब तक कि हमारा मन शांत नहीं हो जाता। पर यहोवा से ऐसा दिलासा पाने के लिए हमें क्या करना होगा?

बाइबल पढ़िए और यहोवा से दिलासा पाइए (पैराग्राफ 15-16)


16. यहोवा से दिलासा पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)

16 हमें क्या करना होगा?  प्रार्थना कीजिए और बाइबल पढ़िए और इस तरह यहोवा के साथ वक्‍त बिताइए। (भज. 77:1, 12-14) अगर आप ऐसा करने की आदत बना लें, तो जब कभी आप परेशान होंगे, सबसे पहले आप अपने पिता यहोवा को पुकारेंगे। उसे अपनी हर परेशानी बताइए, उसे बताइए कि आपको क्यों डर लग रहा है। फिर बाइबल पढ़िए और यहोवा की भी सुनिए। तब आप महसूस कर पाएँगे कि यहोवा आपको दिलासा दे रहा है। (भज. 119:28) जब आपको डर लगे, तो हो सकता है कि बाइबल का कोई हिस्सा पढ़कर आपको तसल्ली मिले। जैसे शायद आपको अय्यूब की किताब, कोई भजन, नीतिवचन या मत्ती अध्याय 6 पढ़कर हिम्मत मिले। जब आप यहोवा से प्रार्थना करेंगे और बाइबल पढ़ेंगे, तो आपको बहुत दिलासा मिलेगा।

17. हम किस बात का यकीन रख सकते हैं?

17 हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि जब हम मुश्‍किलों के भँवर में फँसे हों, तो यहोवा हमें हमारे हाल पर नहीं छोड़ेगा। वह हमारी मदद करेगा। (भज. 23:4; 94:14) यहोवा ने वादा किया है कि वह हमारी हिफाज़त करेगा, हमें सँभालेगा, हमें सहारा और दिलासा देगा। यशायाह 26:3 में यहोवा के बारे में लिखा है, “तू उन्हें सलामत रखेगा जो पूरी तरह तुझ पर निर्भर हैं, तू पल-पल उन्हें शांति देगा, क्योंकि वे तुझ पर भरोसा रखते हैं।” तो यहोवा पर भरोसा रखिए और वह जिन तरीकों से आपकी मदद कर रहा है, उनसे पूरा-पूरा फायदा पाइए। अगर आप ऐसा करें, तो आपमें फिर से दम भर जाएगा और आप मुश्‍किलों में भी डटे रह पाएँगे।

आपका जवाब क्या होगा?

  • हमें खासकर कब यहोवा की मदद चाहिए होती है?

  • जब हम मुश्‍किलों के भँवर में फँसे होते हैं, तब यहोवा किन चार तरीकों से हमारी मदद करता है?

  • यहोवा से मदद पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

गीत 12 यहोवा, महान परमेश्‍वर

a इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।