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अध्ययन लेख 5

गीत 108 यहोवा का अटल प्यार

यहोवा का प्यार, दे आशीषें बेशुमार!

यहोवा का प्यार, दे आशीषें बेशुमार!

“मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिए दुनिया में आया था।”1 तीमु. 1:15.

क्या सीखेंगे?

फिरौती बलिदान की वजह से हमें क्या-क्या आशीषें मिलती हैं और हम कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं कि हम यहोवा के एहसानमंद हैं?

1. हम यहोवा का दिल खुश करने के लिए क्या कर सकते हैं?

 सोचिए कि आप जिससे बहुत प्यार करते हैं, आप उसे एक खास तोहफा देते हैं। यह तोहफा बहुत खूबसूरत है और उसके बहुत काम भी आएगा। लेकिन अगर वह तोहफे को यूँ ही कहीं रख दे और उसके बारे में भूल जाए, तो सोचिए आपको कितना बुरा लगेगा। पर अगर वह उस तोहफे का इस्तेमाल करे और उसके लिए आपको शुक्रिया कहे, तब आपको कितनी खुशी होगी, है ना? कुछ उसी तरह यहोवा ने भी हमें एक अनमोल तोहफा दिया है। वह हमसे इतना प्यार करता है कि उसने हमारी खातिर अपने बेटे को कुरबान कर दिया। अगर हम यहोवा के इस प्यार और फिरौती बलिदान के लिए उसका एहसान मानें, तो सोचिए उसे कितनी खुशी होगी!—यूह. 3:16; रोमि. 5:7, 8.

2. इस लेख में हम क्या जानेंगे?

2 लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है, हो सकता है कि फिरौती बलिदान के लिए हमारी कदर कम होने लगे। यह ऐसा होगा मानो हमने यहोवा के तोहफे को यूँ ही कहीं रख दिया है और हम उसके बारे में भूल गए हैं। हम नहीं चाहते कि हमारे साथ कभी ऐसा हो। इसलिए ज़रूरी है कि यहोवा और यीशु ने हमारे लिए जो किया, हम उसके बारे में सोचते रहें और हमेशा उसकी कदर करें। इस लेख में बताया जाएगा कि हम यह कैसे कर सकते हैं। हम जानेंगे कि फिरौती बलिदान की वजह से अभी से हमें कौन-सी आशीषें मिल रही हैं और आगे चलकर कौन-सी आशीषें मिलेंगी। हम यह भी जानेंगे कि हम खासकर स्मारक से पहले और उसके बाद कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं कि यहोवा ने हमसे जो प्यार किया है, हम उसकी कदर करते हैं।

हमें अभी से कौन-सी आशीषें मिल रही हैं?

3. फिरौती के इंतज़ाम से हमें अभी से कौन-सी आशीष मिल रही है?

3 मसीह के फिरौती बलिदान की वजह से हमें अभी से कई आशीषें मिल रही हैं। जैसे उसके बलिदान की वजह से यहोवा हमारे पाप माफ करता है। ऐसा नहीं है कि उसे ऐसा करना ही है, बल्कि वह इसलिए हमें माफ करता है, क्योंकि वह ऐसा करना चाहता है। यहोवा से माफी पाकर भजन के एक लेखक का दिल एहसान से भर गया था। इसलिए उसने कहा, “हे यहोवा, तू भला है और माफ करने को तत्पर रहता है।”—भज. 86:5; 103:3, 10-13.

4. यहोवा ने किन लोगों के लिए फिरौती का इंतज़ाम किया है? (लूका 5:32; 1 तीमुथियुस 1:15)

4 कुछ लोगों को शायद लगे कि वे यहोवा से माफी पाने के लायक नहीं हैं। देखा जाए तो हममें से कोई भी इसके लायक नहीं है। प्रेषित पौलुस भी यह बात जानता था, इसलिए उसने कहा, ‘मैं प्रेषित कहलाने के भी लायक नहीं हूँ।’ लेकिन फिर उसने कहा, “आज मैं जो हूँ वह परमेश्‍वर की महा-कृपा से हूँ।” (1 कुरिं. 15:9, 10) जब हम अपने पापों के लिए पश्‍चाताप करते हैं, तो यहोवा हमें माफ कर देता है। वह इसलिए नहीं कि हम इसके लायक या हकदार हैं, बल्कि इसलिए कि वह हमसे प्यार करता है। तो अगर आप यह सोचकर निराश हो जाते हैं कि आप यहोवा की माफी के लायक नहीं हैं, तो आप क्या कर सकते हैं? याद रखिए, यहोवा ने फिरौती बलिदान उन लोगों के लिए नहीं दिया जिन्होंने कोई पाप नहीं किया, बल्कि उनके लिए दिया है जो अपने पापों का पश्‍चाताप करते हैं।—लूका 5:32; 1 तीमुथियुस 1:15 पढ़िए।

5. क्या हममें से कोई भी यहोवा से माफी पाने का हकदार है? समझाइए।

5 भले ही हमें यहोवा की सेवा करते हुए कई साल हो गए हों, हममें से किसी को भी ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि हम यहोवा से माफी पाने के हकदार हैं। यह सच है कि हमने सालों से यहोवा की जो सेवा की है, उसकी वह बहुत कदर करता है। (इब्रा. 6:10) लेकिन ऐसा नहीं है कि उसने अपने बेटे की जो फिरौती दी, वह हमारी सेवा की मज़दूरी या कीमत है। यह तोहफा उसने हमें अपनी खुशी से दिया है। तो अगर हम यह सोचें कि हमने यहोवा की खातिर जो कुछ किया है, उसके बदले में उसे हमें माफ करना ही चाहिए, तो यह गलत होगा। यह ऐसा होगा मानो हम कह रहे हैं कि यीशु को हमारे लिए मरने की ज़रूरत ही नहीं थी, उसका मरना तो बेकार था।—गलातियों 2:21 से तुलना करें।

6. पौलुस ने यहोवा की सेवा में इतनी मेहनत क्यों की?

6 पौलुस जानता था कि चाहे वह कुछ भी कर ले, वह यहोवा से माफी पाने का हकदार नहीं बन सकता। तो फिर उसने यहोवा की सेवा में इतनी मेहनत क्यों की? वह इसलिए कि यहोवा ने उस पर जो महा-कृपा की थी, उसके लिए वह बहुत एहसानमंद था। (इफि. 3:7) पौलुस की तरह हम भी इसलिए जोश से यहोवा की सेवा करते हैं क्योंकि हम उसका एहसान मानते हैं, ना कि इसलिए कि सेवा करके हम माफी पाने के हकदार बन जाएँगे।

7. फिरौती के इंतज़ाम से हमें अभी से और कौन-सी आशीष मिल रही है? (रोमियों 5:1; याकूब 2:23)

7 फिरौती बलिदान की वजह से हमें अभी से एक और आशीष मिल रही है। वह यह कि हम यहोवा के साथ एक रिश्‍ता बना सकते हैं और उसके करीब आ सकते हैं। a जैसा हमने पिछले लेख में देखा था, जब हम पैदा हुए थे तो यहोवा के साथ हमारा कोई रिश्‍ता नहीं था। लेकिन फिरौती बलिदान की वजह से हम ‘परमेश्‍वर के साथ शांति का रिश्‍ता’ बना सकते हैं और उसके करीब आ सकते हैं।—रोमियों 5:1; याकूब 2:23 पढ़िए।

8. हम यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं, इस बात के लिए हम क्यों उसके एहसानमंद हैं?

8 यहोवा के साथ एक रिश्‍ता होने की वजह से हम उससे कभी-भी प्रार्थना कर सकते हैं। यह भी एक बहुत बड़ी आशीष है। जब कुछ लोग साथ मिलकर यहोवा से प्रार्थना करते हैं, तब तो वह उनकी सुनता ही है, पर वह अकेले में की गयी हमारी प्रार्थनाएँ भी सुनता है। प्रार्थना करने से हमें मन की शांति और सुकून मिलता है। लेकिन हम बस अच्छा महसूस करने के लिए प्रार्थना नहीं करते, बल्कि इससे यहोवा के साथ हमारी दोस्ती और पक्की हो जाती है। (भज. 65:2; याकू. 4:8; 1 यूह. 5:14) जब यीशु धरती पर था, तो वह बार-बार यहोवा से प्रार्थना करता था, क्योंकि उसे यकीन था कि यहोवा उसकी सुनेगा और इस तरह उन दोनों का रिश्‍ता मज़बूत बना रहेगा। (लूका 5:16) हम कितने एहसानमंद हैं कि फिरौती बलिदान की वजह से हम यहोवा के दोस्त बन सकते हैं और प्रार्थना करके उससे बात भी कर सकते हैं!

हमें आगे चलकर कौन-सी आशीषें मिलेंगी?

9. फिरौती के इंतज़ाम से यहोवा के वफादार सेवकों को आगे चलकर कौन-सी आशीष मिलेगी?

9 फिरौती बलिदान की वजह से यहोवा के वफादार सेवकों को आगे चलकर कौन-सी आशीषें मिलेंगी? वे इस धरती पर हमेशा तक जी पाएँगे। बहुत-से लोगों को यह नामुमकिन लगता है, क्योंकि अब तक तो ऐसा हुआ ही नहीं है। लेकिन जब यहोवा ने इंसानों को बनाया था, तो वह चाहता था कि वे हमेशा तक जीएँ। और अगर आदम ने पाप ना किया होता, तो किसी को भी यह नामुमकिन नहीं लगता क्योंकि लोग हमेशा तक जीते। और यह सच है कि किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वह हमेशा तक जी सकता है, लेकिन किसी ने यह भी नहीं सोचा होगा कि इसे मुमकिन बनाने के लिए यहोवा इतनी बड़ी कुरबानी देगा। बेशक, फिरौती यहोवा की तरफ से मिला एक अनमोल तोहफा है!—रोमि. 8:32.

10. अभिषिक्‍त मसीहियों और दूसरी भेड़ों को किस वक्‍त का इंतज़ार है?

10 माना कि हमेशा की ज़िंदगी हमें आगे चलकर मिलेगी, पर यहोवा चाहता है कि हम अभी से उसके बारे में सोचें। अभिषिक्‍त मसीहियों को उस वक्‍त का इंतज़ार है जब वे यीशु के साथ स्वर्ग से राज करेंगे। (प्रका. 20:6) और दूसरी भेड़ के लोग उस वक्‍त की राह देख रहे हैं, जब वे इस धरती पर फिरदौस में हमेशा जीएँगे, जहाँ कोई दुख-दर्द नहीं होगा। (प्रका. 21:3, 4) क्या आपको भी धरती पर जीने की आशा है? तो यह मत सोचिए कि यह इनाम किसी मायने में कम है। धरती पर ज़िंदगी बहुत ही खुशनुमा और मज़ेदार होगी। आखिर इंसानों को ऐसी ज़िंदगी जीने के लिए ही तो बनाया गया था!

11-12. फिरदौस में मिलनेवाली कौन-सी आशीषों का हम बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं? (तसवीरें भी देखें।)

11 कल्पना कीजिए कि नयी दुनिया में ज़िंदगी कितनी लाजवाब होगी! आप कभी बीमार नहीं होंगे, ना ही किसी की मौत होगी। (यशा. 25:8; 33:24) यहोवा आपकी हर वह ख्वाहिश पूरी करेगा जो उसकी मरज़ी के मुताबिक होगी। आप नयी दुनिया में क्या करना चाहेंगे? कौन-से हुनर बढ़ाना चाहेंगे? क्या आप विज्ञान के बारे में, जानवरों या पंछियों के बारे में और सीखना चाहेंगे? संगीत या कोई साज़ बजाना चाहेंगे? या फिर ड्रॉइंग या पेंटिंग सीखना चाहेंगे? नयी दुनिया में ऐसे लोगों की भी ज़रूरत होगी जिन्हें औज़ार बनाना, इमारतों की डिज़ाइन बनाना और उन्हें खड़ा करना आता हो। इसके अलावा, ऐसे लोगों की भी ज़रूरत होगी जिन्हें बागबानी करना, खेती-बाड़ी करना और खाना पकाना आता हो। (यशा. 35:1; 65:21) नयी दुनिया में आपके पास वक्‍त-ही-वक्‍त होगा। तब आप गिने-चुने नहीं, बल्कि जितने चाहे उतने हुनर सीख पाएँगे!

12 नयी दुनिया में जब लोगों को ज़िंदा किया जाएगा और हम उनका स्वागत करेंगे, तो चारों तरफ खुशी का माहौल होगा। (प्रेषि. 24:15) सोचिए उस वक्‍त हम यहोवा की बनायी चीज़ों से उसके बारे में कितना कुछ जान पाएँगे और इसमें कितना मज़ा आएगा। (भज. 104:24; यशा. 11:9) और जब हम परिपूर्ण हो जाएँगे और कभी दोषी महसूस नहीं करेंगे, तब यहोवा की उपासना करने से कितनी खुशी मिलेगी। इससे बड़ी आशीष और क्या हो सकती है! क्या आप “चंद दिनों के लिए पाप का सुख भोगने” के बदले ये सारी आशीषें दाँव पर लगा देंगे? (इब्रा. 11:25) कभी नहीं! आज हमें चाहे जो भी त्याग करने पड़ें, वे नयी दुनिया में मिलनेवाली आशीषों के आगे कुछ भी नहीं। याद रखिए, फिरदौस में जीना हमेशा एक आशा नहीं रहेगी। आगे चलकर यह हकीकत बन जाएगी। यह सब इसलिए मुमकिन हो पाया, क्योंकि यहोवा ने हमारी खातिर अपने प्यारे बेटे को कुरबान कर दिया!

फिरदौस में मिलनेवाली कौन-सी आशीषों का आप बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं? (पैराग्राफ 11-12)


यहोवा के प्यार के लिए अपनी कदर ज़ाहिर कीजिए

13. हम कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं कि यहोवा ने हमसे जो प्यार किया है, हम उसकी कदर करते हैं? (2 कुरिंथियों 6:1)

13 हम कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं कि हम फिरौती बलिदान के लिए यहोवा के एहसानमंद हैं? यहोवा की सेवा को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देकर। (मत्ती 6:33) और ऐसा करना सही भी है। यीशु ने भी इसलिए अपनी कुरबानी दी ताकि हम “अब से खुद के लिए न जीएँ, बल्कि उसके लिए जीएँ जो [हमारे] लिए मरा और ज़िंदा किया गया।” (2 कुरिं. 5:15) तन-मन से यहोवा की सेवा करके हम ज़ाहिर कर सकते हैं कि हम उसकी महा-कृपा का मकसद नहीं भूले हैं और उसके बहुत एहसानमंद हैं।—2 कुरिंथियों 6:1 पढ़िए।

14. हम यहोवा पर विश्‍वास कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं?

14 यहोवा ने हमसे जो प्यार किया है, उसकी कदर करने का एक और तरीका है, उस पर विश्‍वास करके उसकी हिदायतें मानना। हम यह कैसे कर सकते हैं? कोई भी फैसला लेने से पहले हमें सोचना चाहिए कि यहोवा हमसे क्या चाहेगा, जैसे जब हमें यह फैसला करना हो कि हम कितनी पढ़ाई करेंगे या किस तरह की नौकरी करेंगे। (1 कुरिं. 10:31; 2 कुरिं. 5:7) जब हम यहोवा पर विश्‍वास करके कोई फैसला लेंगे, तो इसका बहुत बढ़िया नतीजा निकलेगा: यहोवा पर हमारा विश्‍वास बढ़ेगा, उसके साथ हमारा रिश्‍ता और मज़बूत होगा और हमारी आशा और पक्की हो जाएगी।—रोमि. 5:3-5; याकू. 2:21, 22.

15. स्मारक से पहले और उसके बाद के हफ्तों में हम कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं कि हम यहोवा के एहसानमंद हैं?

15 स्मारक से पहले और उसके बाद के हफ्तों में अपने वक्‍त का अच्छा इस्तेमाल करके भी हम ज़ाहिर कर सकते हैं कि हम यहोवा के प्यार की कदर करते हैं। पहले से तैयारी कीजिए ताकि आप स्मारक में हाज़िर हो सकें। यही नहीं, दूसरों को भी स्मारक में बुलाइए। (1 तीमु. 2:4) आप उन्हें समझा सकते हैं कि वहाँ क्या-क्या होगा। आप चाहें तो उन्हें jw.org से यीशु क्यों मरा? और यीशु के बलिदान को याद कीजिए वीडियो भी दिखा सकते हैं। प्राचीनों को उन भाई-बहनों को भी ज़रूर बुलाना चाहिए जिन्होंने सभाओं और प्रचार में आना छोड़ दिया है। सोचिए, अगर यहोवा की खोयी हुई भेड़ें उसके पास लौट आएँ, तो स्वर्ग में और धरती पर कितनी खुशियाँ मनायी जाएँगी। (लूका 15:4-7) स्मारक में हम एक-दूसरे से तो मिलेंगे ही, पर आइए कोशिश करें कि जो लोग पहली बार आएँगे या जो काफी समय से स्मारक में नहीं आए हैं, उनका हम पूरे जोश से स्वागत करें और उन्हें अपने प्यार का एहसास दिलाएँ।—रोमि. 15:7.

16. स्मारक से पहले और उसके बाद के हफ्तों में हमें क्यों बढ़-चढ़कर प्रचार करने का लक्ष्य रखना चाहिए?

16 क्या आप स्मारक से पहले और उसके बाद के हफ्तों में बढ़-चढ़कर यहोवा की सेवा कर सकते हैं? इस तरह आप ज़ाहिर कर सकते हैं कि परमेश्‍वर और मसीह ने आपके लिए जो किया है, आप उसका दिल से एहसान मानते हैं। जब आप बढ़-चढ़कर यहोवा की सेवा करेंगे, तो आप साफ देख पाएँगे कि यहोवा कैसे आपका साथ दे रहा है और फिर उस पर आपका भरोसा और बढ़ जाएगा। (1 कुरिं. 3:9) इसके अलावा रोज़ाना बाइबल वचनों पर ध्यान दीजिए या सभा-पुस्तिका में दी स्मारक से जुड़ी आयतें भी हर दिन पढ़िए। आप चाहें तो अपने निजी अध्ययन में इन आयतों के बारे में और अच्छी तरह खोजबीन कर सकते हैं।

17. यहोवा को किस बात से बहुत खुशी होती है? (“ यहोवा के प्यार के लिए आप अपनी कदर कैसे ज़ाहिर करेंगे?” नाम का बक्स भी देखें।)

17 हो सकता है, अपने हालात की वजह से आप वह सब ना कर पाएँ जो इस लेख में बताया गया है। पर याद रखिए, यहोवा यह नहीं देखता कि दूसरों के मुकाबले आप कितना कर रहे हैं, बल्कि वह यह देखता है कि आपके दिल में उसके लिए कितना प्यार है। जब हम ज़ाहिर करते हैं कि हम यहोवा के अनमोल तोहफे की यानी फिरौती बलिदान की दिल से कदर करते हैं, तो यहोवा को बहुत खुशी होती है।—1 शमू. 16:7; मर. 12:41-44.

18. हम यहोवा परमेश्‍वर और यीशु मसीह के क्यों इतने एहसानमंद हैं?

18 फिरौती बलिदान की वजह से ही हमें अपने पापों की माफी मिलती है, हम यहोवा के दोस्त बन पाए हैं और हमें हमेशा तक जीने की आशा मिली है। यहोवा ने हमसे जो प्यार किया है, आइए उसे हम कभी ना भूलें! और उस वजह से हमें जो आशीषें मिली हैं, हमेशा उनकी कदर करें। (1 यूह. 4:19) आइए हम यह भी ज़ाहिर करें कि हम यीशु का कितना एहसान मानते हैं, जिसने हमसे इतना प्यार किया कि हमारी खातिर अपनी जान दे दी।—यूह. 15:13.

गीत 154 प्यार है अटल

a मसीह के फिरौती बलिदान देने से पहले भी यहोवा ने अपने वफादार सेवकों के पाप माफ किए थे। उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसे पूरा यकीन था कि उसका बेटा आखिरी दम तक वफादार रहेगा। तो यहोवा की नज़र में मानो फिरौती पहले ही दी जा चुकी थी।—रोमि. 3:25.