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अध्ययन लेख 1

गीत 2 यहोवा तेरा नाम

यहोवा की महिमा कीजिए

यहोवा की महिमा कीजिए

2025 का सालाना वचन: यहोवा का नाम जिस महिमा का हकदार है वह महिमा उसे दो।भज. 96:8.

क्या सीखेंगे?

हम जानेंगे कि हम यहोवा को वह महिमा कैसे दे सकते हैं जिसका वह हकदार है।

1. आज ज़्यादातर लोग सिर्फ किस बारे में सोचते हैं?

 आज ज़्यादातर लोग सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं। जैसे आपने देखा होगा कि कुछ लोग सोशल मीडिया के ज़रिए दूसरों का ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं या उन्होंने जो कुछ किया है, उसका ढिंढोरा पीटते हैं। बहुत कम लोग ऐसे हैं जो यहोवा को महिमा देते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि यहोवा को महिमा देने का क्या मतलब है और हमें क्यों उसे महिमा देनी चाहिए। हम यह भी जानेंगे कि हम कैसे यहोवा को वह महिमा दे सकते हैं जिसका वह हकदार है और भविष्य में यहोवा कैसे अपने नाम की महिमा करेगा।

यहोवा को महिमा देने का क्या मतलब है?

2. यहोवा ने सीनै पहाड़ पर अपनी महिमा कैसे ज़ाहिर की? (तसवीर भी देखें।)

2 महिमा का क्या मतलब होता है? बाइबल में जब भी शब्द “महिमा” आया है, तो उसका मतलब है कुछ ऐसा जिससे एक व्यक्‍ति की शान बढ़ जाए या जिसे देखकर लोग दंग रह जाएँ। जब यहोवा ने इसराएलियों को मिस्र की गुलामी से छुड़ाया, तो उसके कुछ ही समय बाद उसने बहुत ही शानदार तरीके से अपनी महिमा ज़ाहिर की। ज़रा कल्पना कीजिए: लाखों इसराएली सीनै पहाड़ के नीचे खड़े हैं। वे अपने परमेश्‍वर की बात सुनने के लिए बेताब हैं। फिर एक काला घना बादल पहाड़ को ढक लेता है। अचानक एक ज़बरदस्त भूकंप आता है और पहाड़ से ऐसा धुआँ उठने लगता है जैसे एक ज्वालामुखी से उठ रहा हो। धरती काँपने लगती है, बिजली चमकने लगती है और तेज़ गरजन होने लगता है। चारों ओर नरसिंगे की ज़ोरदार आवाज़ गूँजने लगती है। (निर्ग. 19:16-18; 24:17; भज. 68:8) यहोवा की महिमा का यह शानदार नज़ारा देखकर इसराएली ज़रूर दंग रह गए होंगे!

सीनै पहाड़ पर यहोवा ने इसराएलियों को अपनी महिमा का शानदार नज़ारा दिखाया (पैराग्राफ 2)


3. हम यहोवा को महिमा कैसे दे सकते हैं?

3 लेकिन क्या हम इंसान भी यहोवा को महिमा दे सकते हैं? बिलकुल। कैसे? हम दूसरों को उसके लाजवाब कामों और उसके बढ़िया गुणों के बारे में बता सकते हैं। इसके अलावा, जब हम यहोवा की मदद से कोई काम अच्छे-से करते हैं, तो उसका श्रेय उसे दे सकते हैं। (यशा. 26:12) इस बारे में हम राजा दाविद से बहुत कुछ सीख सकते हैं। उसने हमेशा यहोवा को महिमा दी। एक बार उसने इसराएल की पूरी मंडली के सामने प्रार्थना में कहा, “हे यहोवा, महानता, ताकत, सौंदर्य, वैभव और प्रताप तेरा ही है क्योंकि आकाश और धरती पर जो कुछ है, सब तेरा है।” दाविद के प्रार्थना करने के बाद “सारी मंडली ने . . . परमेश्‍वर यहोवा की तारीफ की।”—1 इति. 29:11, 20.

4. यीशु ने कैसे यहोवा को महिमा दी?

4 जब यीशु धरती पर था, तो उसने भी हमेशा अपने पिता को महिमा दी। जब भी वह कोई चमत्कार करता, तो लोगों को बताता कि उसने यहोवा की मदद से ही चमत्कार किया है। (मर. 5:18-20) जिस तरह वह अपने पिता के बारे में बात करता था और लोगों के साथ व्यवहार करता था, उससे भी उसने यहोवा को महिमा दी। एक बार यीशु एक सभा-घर में लोगों को सिखा रहा था। वहाँ एक ऐसी औरत थी जिसमें 18 साल से एक दुष्ट स्वर्गदूत समाया हुआ था। इस वजह से वह औरत कुबड़ी हो गयी थी और सीधी नहीं हो पाती थी। ज़रा सोचिए, वह कितनी तकलीफ में होगी! उसकी हालत देखकर यीशु को उस पर तरस आया। वह उसके पास गया और उसने प्यार से कहा, “जा, तुझे अपनी कमज़ोरी से छुटकारा दिया जा रहा है।” फिर यीशु ने उस पर अपने हाथ रखे और वह फौरन सीधी हो गयी और “परमेश्‍वर की महिमा करने लगी।” वह औरत यहोवा की बहुत एहसानमंद थी कि वह ठीक हो गयी है, इसलिए उसने उसकी महिमा की। (लूका 13:10-13) उस औरत की तरह हमारे पास भी यहोवा की महिमा करने के बहुत-से कारण हैं।

हम क्यों यहोवा को महिमा देते हैं?

5. हम क्यों यहोवा का आदर करते हैं?

5 हम यहोवा को महिमा देते हैं, क्योंकि हम उसका बहुत आदर करते हैं। हमारे पास यहोवा का आदर करने की कई वजह हैं। यहोवा सर्वशक्‍तिमान है, उसके पास इतनी ताकत है कि वह जो चाहे कर सकता है। (भज. 96:4-7) वह बहुत बुद्धिमान है और उसकी बनायी चीज़ों से यह साफ पता चलता है। यहोवा ने ही हमें जीवन दिया है और ज़िंदा रहने के लिए हर ज़रूरी चीज़ भी दी है। (प्रका. 4:11) यहोवा वफादार है। (प्रका. 15:4) वह अपने हर काम में कामयाब होता है और हमेशा अपने वादे पूरे करता है। (यहो. 23:14) तभी भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह ने उसके बारे में कहा, “राष्ट्रों और उनके सब राज्यों में जितने भी बुद्धिमान हैं, उनमें से एक भी तेरे जैसा नहीं है”! (यिर्म. 10:6, 7) सच में, हमारे पास अपने पिता यहोवा का आदर करने की ढेरों वजह हैं। पर यहोवा का आदर करने के साथ-साथ हम उससे बहुत प्यार भी करते हैं।

6. हम क्यों यहोवा से प्यार करते हैं?

6 हम यहोवा को महिमा देते हैं, क्योंकि हम उससे बहुत प्यार करते हैं। यहोवा में ऐसी कई खूबियाँ हैं जिस वजह से हम उससे प्यार करते हैं। उसका दिल करुणा से भरा है और वह बहुत दयालु है। (भज. 103:13; यशा. 49:15) वह हमसे हमदर्दी रखता है। जब हमें दुख होता है, तो उसे भी दुख होता है। (जक. 2:8) उसने हमारी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है और वह चाहता है कि हम उसे जानें और उसके करीब आएँ। (भज. 25:14; प्रेषि. 17:27) यहोवा नम्र भी है, “वह आसमान और धरती को देखने के लिए नीचे झुकता है, दीन जन को धूल में से उठाता है।” (भज. 113:6, 7) सच, हमारा परमेश्‍वर इतना अच्छा है कि हम उसकी महिमा करने से खुद को रोक नहीं पाते!—भज. 86:12.

7. हमें कौन-सा खास मौका मिला है?

7 हम यहोवा को महिमा देते हैं, क्योंकि हम चाहते हैं कि हर कोई उसे जाने। आज बहुत-से लोग यहोवा के बारे में सच्चाई नहीं जानते। वह इसलिए कि शैतान ने उसके बारे में बहुत-सी झूठी बातें फैलायी हैं और लोगों की आँखों पर परदा डाल दिया है। (2 कुरिं. 4:4) इस वजह से लोगों को लगता है कि परमेश्‍वर हमेशा गुस्से में रहता है, इस ताक में रहता है कि कब किसे सज़ा दे। वे यह भी सोचते हैं कि परमेश्‍वर को किसी की परवाह नहीं और आज दुनिया में जो दुख-तकलीफें हैं, वह सब उसी की वजह से हैं। लेकिन हम परमेश्‍वर के बारे में सच्चाई जानते हैं। और हमारे पास यह मौका है कि हम दूसरों को बताएँ कि यहोवा असल में कैसा परमेश्‍वर है ताकि वे भी उसकी महिमा करें। (यशा. 43:10) भजन 96 में बताया है कि हम कैसे यहोवा को महिमा दे सकते हैं। आइए परमेश्‍वर के लिखवाए इस भजन पर चर्चा करें। ऐसा करते वक्‍त सोचिए कि आप यहोवा को वह महिमा कैसे दे सकते हैं जिसका वह हकदार है।

हम यहोवा को वह महिमा कैसे दे सकते हैं जिसका वह हकदार है?

8. एक तरीका बताइए जिससे हम यहोवा की महिमा कर सकते हैं। (भजन 96:1-3)

8 भजन 96:1-3 पढ़िए। हम यहोवा के बारे में जो कहते हैं, उससे हम उसकी महिमा कर सकते हैं। इन आयतों में यहोवा के लोगों से कहा गया है, “यहोवा के लिए गीत गाओ,” “उसके नाम की तारीफ करो,” “वह जो उद्धार दिलाता है, उसकी खुशखबरी . . . सुनाओ” और “राष्ट्रों में उसकी महिमा का ऐलान करो।” इन सब तरीकों से हम अपने पिता यहोवा की महिमा कर सकते हैं। वफादार यहूदियों ने और पहली सदी के मसीहियों ने हिम्मत से यहोवा के नाम की पैरवी की। वे यह बताने से पीछे नहीं हटे कि यहोवा कैसा परमेश्‍वर है और उसने उनके लिए क्या कुछ किया है। (दानि. 3:16-18; प्रेषि. 4:29) आज हम यहोवा के नाम की पैरवी कैसे कर सकते हैं?

9-10. आपने ऐंजेलीना के अनुभव से क्या सीखा? (तसवीर भी देखें।)

9 ज़रा ऐंजेलीना a के अनुभव पर ध्यान दीजिए जो अमरीका में रहती है। एक कंपनी में उसकी नयी-नयी नौकरी लगी थी। उसने वहाँ हिम्मत से दूसरों को यहोवा के बारे में बताया और उसके नाम की पैरवी की। एक बार एक मीटिंग रखी गयी, जिसमें सभी नए लोगों को बुलाया गया। उस मीटिंग में सबको अपने बारे में कुछ बताना था। ऐंजेलीना ने सोचा कि वह कुछ फोटो दिखाएगी और बताएगी कि वह एक यहोवा की साक्षी है और अपनी ज़िंदगी में बहुत खुश है। लेकिन उससे पहले जो आदमी अपने बारे में बता रहा था, उसने कहा कि उसकी परवरिश एक साक्षी परिवार में हुई थी। और फिर वह यहोवा और साक्षियों के बारे में बुरा-भला कहने लगा। ऐंजेलीना बताती है, “उसकी बातें सुनकर मेरी धड़कनें तेज़ हो गयीं। पर फिर मैंने सोचा, ‘यह यहोवा के बारे में कितना झूठ बोल रहा है। मैं चुप नहीं रह सकती! मुझे बताना ही होगा कि यहोवा ऐसा नहीं है।’”

10 जब उस आदमी ने अपनी बात खत्म की, तो ऐंजेलीना ने मन में छोटी-सी प्रार्थना की। फिर उसने बहुत आराम से उस आदमी से कहा, “मेरी परवरिश भी एक साक्षी के तौर पर हुई है और मैं आज भी एक साक्षी हूँ।” उसके यह कहते ही कमरे में तनाव का माहौल बन गया, लेकिन ऐंजेलीना शांत रही। उसने सभी को अधिवेशन के और कुछ दूसरे फोटो दिखाए जिसमें वह और उसके दोस्त बहुत खुश नज़र आ रहे थे। उसने सूझ-बूझ से काम लिया और सबको बताया कि वह क्या मानती है। (1 पत. 3:15) इसका क्या नतीजा हुआ? जब तक ऐंजेलीना ने अपनी बात खत्म की, वह आदमी थोड़ा शांत हो गया। उसने यह भी बताया कि उसे बचपन के कुछ मीठे पल याद हैं, जब वह यहोवा के साक्षियों के साथ मिलता-जुलता था। ऐंजेलीना कहती है, “यहोवा को महिमा पाने का पूरा हक है, इसलिए हमें उसके पक्ष में बोलना चाहिए। यह हमारे लिए एक सम्मान की बात है।” आज जब कोई यहोवा को बदनाम करता है, तो हमारे पास यह मौका होता है कि हम उसके नाम की पैरवी करें और उसकी महिमा करें।

हम अपनी बातों से यहोवा की महिमा कर सकते हैं (पैराग्राफ 9-10) b


11. मसीहियों ने हमेशा से ही भजन 96:8 में दिया सिद्धांत कैसे माना है?

11 भजन 96:8 पढ़िए। हम अपनी अनमोल चीज़ों से यहोवा की महिमा कर सकते हैं। यहोवा के सेवकों ने हमेशा से ही ऐसा किया है। (नीति. 3:9) जैसे बीते ज़माने में इसराएलियों ने मंदिर बनाने और उसका रख-रखाव करने के लिए दान दिया। (2 राजा 12:4, 5; 1 इति. 29:3-9) यीशु के कुछ चेलों ने “अपनी धन-संपत्ति से” उसकी और उसके चेलों की ज़रूरतें पूरी कीं। (लूका 8:1-3) और पहली सदी में जब कुछ मसीही अकाल की मार झेल रहे थे, तो दूसरे भाई-बहनों ने उन्हें राहत का सामान भेजा। (प्रेषि. 11:27-29) आज हम भी अपनी मरज़ी से दान करके यहोवा की महिमा कर सकते हैं।

12. जब हम दान देते हैं, तो इससे यहोवा की महिमा कैसे होती है? (तसवीर भी देखें।)

12 ज़रा एक अनुभव पर ध्यान दीजिए जिससे पता चलता है कि जब हम दान देते हैं, तो उससे यहोवा की महिमा होती है। 2020 में ज़िम्बाबवे में एक भारी अकाल पड़ा और यह काफी लंबे समय तक चला। एक रिपोर्ट में बताया गया कि खाने-पीने की कमी की वजह से लाखों लोगों की जान पर बन आयी है। इनमें से एक हमारी बहन प्रिस्का भी थीं। बहन हर बुधवार और शुक्रवार प्रचार में जाया करती थीं। और जब अकाल पड़ा, तब भी उन्होंने ऐसा करना नहीं छोड़ा। यहाँ तक कि जब जुताई का वक्‍त आया, तब भी बहन प्रचार में जाती रहीं। जब पड़ोसियों ने देखा कि बहन खेतों में काम करने के बजाय प्रचार करने जा रही हैं, तो वे उन पर ताने कसने लगे और कहने लगे, “तू तो भूखी मरेगी।” लेकिन बहन को यहोवा पर पूरा भरोसा था, इसलिए वे कहती थीं, “यहोवा हमेशा अपने सेवकों का खयाल रखता है।” इसके कुछ ही समय बाद बहन को संगठन से राहत का सामान मिला। दुनिया-भर में हमारे भाई-बहन जो दान देते हैं, उसी वजह से ज़िम्बाबवे में हमारे भाई-बहनों को ज़रूरत की चीज़ें मिल पायीं। यह देखकर बहन के पड़ोसी दंग रह गए और उन्होंने कहा, “तुम्हारे ईश्‍वर ने हमेशा तुम्हारा खयाल रखा। हम उसके बारे में और जानना चाहते हैं।” इसके बाद बहन के सात पड़ोसियों ने सभाओं में आना शुरू कर दिया।

हम अपनी अनमोल चीज़ों से यहोवा की महिमा कर सकते हैं (पैराग्राफ 12) c


13. हम अपने चालचलन से यहोवा की महिमा कैसे कर सकते हैं? (भजन 96:9)

13 भजन 96:9 पढ़िए। हम अपने चालचलन से यहोवा की महिमा कर सकते हैं। जो याजक पवित्र डेरे में और आगे चलकर मंदिर में सेवा करते थे, उन्हें साफ-सुथरा रहना था। (निर्ग. 40:30-32) उनकी तरह आज हमें भी साफ-सुथरा रहना चाहिए। लेकिन इससे भी ज़्यादा ज़रूरी है कि हमारा चालचलन शुद्ध हो। (भज. 24:3, 4; 1 पत. 1:15, 16) हमें अपनी “पुरानी शख्सियत” उतारने और “नयी शख्सियत” पहनने के लिए मेहनत करनी है। (कुलु. 3:9, 10) इसका मतलब, हमें ना तो ऐसी बातें सोचनी चाहिए और ना ही ऐसे काम करने चाहिए जो यहोवा को पसंद नहीं। इसके बजाय हमें यहोवा की तरह बनने की कोशिश करनी चाहिए। हमें उसकी तरह सोचना चाहिए और उसके जैसे बढ़िया गुण ज़ाहिर करने चाहिए। यहोवा की मदद से ऐसे लोग भी खुद को बदल सकते हैं और नयी शख्सियत पहन सकते हैं जो गलत कामों में लगे हुए हैं या बहुत खूँखार हैं।

14. आपने जैक के अनुभव से क्या सीखा? (तसवीर भी देखें।)

14 ज़रा जैक के अनुभव पर ध्यान दीजिए। वह इतना खतरनाक और खूँखार था कि लोग उसे राक्षस बुलाते थे। जैक ने इतने अपराध किए थे कि उसे मौत की सज़ा सुनायी गयी थी। जब वह सज़ा पाने का इंतज़ार कर रहा था, तो वह एक भाई के साथ बाइबल अध्ययन करने लगा जो उस जेल में लोगों को सिखाने के लिए आया करता था। जैक ने बहुत बुरे-बुरे काम किए थे। पर उसने अपनी पुरानी शख्सियत उतार फेंकी और कुछ समय बाद बपतिस्मा ले लिया। जैक इतना बदल गया था कि जिस दिन उसे मौत की सज़ा दी जानी थी, कुछ पहरेदार उसे अलविदा कहने आए और उनकी आँखें भर आयीं। और वहाँ के एक पुलिसवाले ने कहा, “इस जेल में जैक से बुरा कोई नहीं था। लेकिन अब उससे अच्छा कोई नहीं है।” जैक की मौत के एक हफ्ते बाद जब भाई उस जेल में सभा चलाने आए, तो उनकी मुलाकात एक कैदी से हुई। वह पहली बार हमारी सभा में आया था। पर वह क्यों आया था? जैक ने जिस तरह खुद को बदला था, वह देखकर यह आदमी इतना दंग रह गया था कि वह यहोवा के बारे में सीखना चाहता था और एक साक्षी बनना चाहता था। इस अनुभव से पता चलता है कि हम अपने चालचलन से अपने पिता यहोवा की महिमा कर सकते हैं।—1 पत. 2:12.

हम अपने चालचलन से यहोवा की महिमा कर सकते हैं (पैराग्राफ 14) d


बहुत जल्द यहोवा कैसे अपने नाम की महिमा करेगा?

15. बहुत जल्द यहोवा कैसे अपने नाम की महिमा करेगा? (भजन 96:10-13)

15 भजन 96:10-13 पढ़िए। भजन 96 की इन आखिरी आयतों में बताया गया है कि यहोवा एक राजा है और वह किसी का पक्ष लिए बिना न्याय करेगा। बहुत जल्द वह अपने नाम की महिमा करेगा। वह कैसे? एकदम सही न्याय करके। जल्द ही यहोवा महानगरी बैबिलोन का नाश कर देगा, क्योंकि झूठे धर्मों ने उसके पवित्र नाम पर कीचड़ उछाला है। जो लोग महानगरी बैबिलोन का नाश होते देखेंगे, उनमें से कुछ शायद यहोवा पर विश्‍वास करने लगें और हमारे साथ उसकी सेवा करने लगें। (प्रका. 17:5, 16; 19:1, 2) और आखिर में हर-मगिदोन के युद्ध में यहोवा शैतान की इस दुष्ट दुनिया का नाश कर देगा और उन सब लोगों का नामो-निशान मिटा देगा जो उसका विरोध करते हैं और जिन्होंने उसके नाम की निंदा की है। लेकिन जो यहोवा से प्यार करते हैं, उसकी आज्ञा मानते हैं और खुशी-खुशी उसकी महिमा करते हैं, उन सब लोगों को वह बचाएगा। (मर. 8:38; 2 थिस्स. 1:6-10) जब मसीह का हज़ार साल का राज खत्म होगा और आखिरी परीक्षा हो चुकी होगी, तब यहोवा अपने नाम पर लगे सारे कलंक मिटा देगा और उसे पूरी तरह पवित्र करेगा। (प्रका. 20:7-10) तब “पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी, जैसे समुंदर पानी से भरा रहता है।”—हब. 2:14.

16. आपने क्या करने की सोची है? (तसवीर भी देखें।)

16 सोचिए वह कैसा समाँ होगा जब हर कोई यहोवा को वह महिमा देगा जिसका वह हकदार है! लेकिन जब तक वह दिन नहीं आता, आइए हम यहोवा की महिमा करने का एक भी मौका ना छोड़ें। हमारे लिए ऐसा करना बहुत ज़रूरी है, इसलिए शासी निकाय ने 2025 का सालाना वचन भजन 96:8 से लिया है: यहोवा का नाम जिस महिमा का हकदार है वह महिमा उसे दो।

आगे चलकर हर कोई यहोवा को वह महिमा देगा जिसका वह हकदार है! (पैराग्राफ 16)

गीत 12 यहोवा, महान परमेश्‍वर

a इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।

b तसवीर के बारे में: ऐंजेलीना के साथ जो हुआ, उसका प्रदर्शन।

c तसवीर के बारे में: प्रिस्का के साथ जो हुआ, उसका प्रदर्शन।

d तसवीर के बारे में: जैक के साथ जो हुआ, उसका प्रदर्शन।