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अध्ययन लेख 31

प्रार्थना एक अनोखी आशीष है, इसकी कदर कीजिए!

प्रार्थना एक अनोखी आशीष है, इसकी कदर कीजिए!

“तेरे सामने मेरी प्रार्थना तैयार किए हुए धूप जैसी हो।”​—भजन 141:2.

गीत 47 हर दिन यहोवा से प्रार्थना करें

एक झलक *

1. यहोवा से प्रार्थना करने के बारे में हमें कैसा महसूस करना चाहिए?

 ज़रा सोचिए, हम पूरी कायनात के बनानेवाले से प्रार्थना कर सकते हैं। यह कितनी बड़ी बात है! हम उससे किसी भी वक्‍त और किसी भी भाषा में बात कर सकते हैं और उसे अपने दिल का सारा हाल बता सकते हैं। उससे बात करने के लिए हमें इंतज़ार नहीं करना पड़ता, हम जब चाहे उससे बात कर सकते हैं। हम चाहे अस्पताल में हों या जेल में हों, हम कहीं से भी यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं और यकीन रख सकते हैं कि वह हमारी सुनेगा। सच में, यहोवा ने हमें बहुत अनोखी आशीष दी है और हमें इसे कभी-भी हलके में नहीं लेना चाहिए।

2. हम क्यों कह सकते हैं कि दाविद के लिए प्रार्थना करना बहुत बड़ी बात थी?

2 राजा दाविद के लिए भी यहोवा से प्रार्थना करना बहुत बड़ी बात थी। यही वजह थी कि एक बार उसने यहोवा से कहा, “तेरे सामने मेरी प्रार्थना तैयार किए हुए धूप जैसी हो।” (भजन 141:1, 2) दाविद के समय में उपासना करते वक्‍त याजक यहोवा के सामने जो धूप जलाते थे, वह बहुत ध्यान से तैयार किया जाता था। (निर्ग. 30:34, 35) इसलिए जब दाविद ने कहा कि वह चाहता है कि उसकी प्रार्थनाएँ तैयार किए हुए धूप की तरह हों, तो इससे पता चलता है कि वह भी प्रार्थना करने से पहले ध्यान से सोचता था कि वह यहोवा से क्या कहेगा। दाविद की तरह हम भी चाहते हैं कि यहोवा हमारी प्रार्थनाओं से खुश हो, इसलिए हमें सोच-समझकर प्रार्थना करनी चाहिए।

3. हमें यहोवा से कैसे प्रार्थना करनी चाहिए और क्यों?

3 प्रार्थना करते वक्‍त हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम किससे बात कर रहे हैं। हमें यूँ ही कुछ भी नहीं कह देना चाहिए बल्कि यहोवा से आदर से बात करनी चाहिए। हम उन शानदार दर्शनों को याद रख सकते हैं जो यशायाह, यहेजकेल, दानियेल और यूहन्‍ना ने देखे थे। उन सभी दर्शनों में यहोवा को एक महान राजा की तरह दिखाया गया था। यशायाह ने दर्शन में “यहोवा को एक बहुत ही ऊँची राजगद्दी पर बैठे देखा।” (यशा. 6:1-3) यहेजकेल ने देखा कि यहोवा अपने स्वर्गीय रथ पर बैठा हुआ है और ‘उसके चारों तरफ ऐसी रौनक फैली हुई है, जैसी मेघ-धनुष में होती है।’ (यहे. 1:26-28) दानियेल ने दर्शन में “अति प्राचीन” को देखा जिसकी पोशाक बर्फ जैसी उजली थी और जिसकी राजगद्दी से आग की ज्वाला निकल रही थी। (दानि. 7:9, 10) और यूहन्‍ना ने यहोवा को एक राजगद्दी पर बैठे देखा, जिसके चारों तरफ एक मेघ-धनुष था जो दिखने में हरे रंग के एक कीमती रत्न की तरह लग रहा था। (प्रका. 4:2-4) जब हम इस बात को ध्यान में रखेंगे कि यहोवा कितना महान है, तो हम समझ पाएँगे कि प्रार्थना करना कितनी बड़ी बात है और हमें उससे आदर से बात करनी चाहिए। पर हमें किन बातों के लिए प्रार्थना करनी चाहिए?

“तुम इस तरह प्रार्थना करना”

4. प्रार्थना करने के बारे में हम मत्ती 6:9, 10 से क्या सीख सकते हैं?

4 मत्ती 6:9, 10 पढ़िए। पहाड़ी उपदेश देते वक्‍त यीशु ने अपने चेलों को सिखाया कि उन्हें किस तरह प्रार्थना करनी चाहिए जिससे यहोवा खुश हो। उसने कहा, “तुम इस तरह प्रार्थना करना” और फिर सबसे पहले उन बातों का ज़िक्र किया जो ज़्यादा ज़रूरी हैं यानी यह कि परमेश्‍वर का नाम पवित्र हो, उसका राज आए जो उसके दुश्‍मनों को मिटा देगा और उसने धरती और इंसानों के लिए जो सोचा है वह पूरा हो। ये सभी बातें परमेश्‍वर के मकसद से जुड़ी हुई हैं। और जब हम इन बातों के बारे में प्रार्थना करेंगे, तो इससे पता चलेगा कि ये हमारे लिए बहुत मायने रखती हैं।

5. क्या हम अपने लिए भी प्रार्थना कर सकते हैं?

5 इसके बाद यीशु ने सिखाया कि हम अपने लिए भी प्रार्थना कर सकते हैं। हम यहोवा से कह सकते हैं कि हमारे पास हर दिन खाने को हो, वह हमारे पाप माफ करे, जब परीक्षाएँ आएँ तो हम उसके वफादार रह पाएँ और वह हमें शैतान से बचाए। (मत्ती 6:11-13) इन बातों के बारे में प्रार्थना करके हम दिखा रहे होंगे कि हम यहोवा पर निर्भर हैं और हम चाहते हैं कि वह हमसे खुश हो।

एक पति अपनी पत्नी के साथ किन बातों के लिए प्रार्थना कर सकता है? (पैराग्राफ 6) *

6. यीशु ने जिन बातों के बारे में प्रार्थना करना सिखाया था, क्या हमें सिर्फ उन्हीं के बारे में प्रार्थना करनी चाहिए? समझाइए।

6 यीशु यह नहीं चाहता था कि उसके चेले सिर्फ उन्हीं बातों के बारे में प्रार्थना करें, जिनके बारे में उसने सिखाया था। कई बार यीशु ने कुछ दूसरी बातों के लिए भी प्रार्थना की जो उस वक्‍त उसके मन में चल रही थीं। (मत्ती 26:39, 42; यूह. 17:1-26) यीशु की तरह हम भी यहोवा को अपनी चिंताएँ बता सकते हैं। जैसे, हम सही फैसले लेने के लिए यहोवा से बुद्धि माँग सकते हैं। (भज. 119:33, 34) या अगर कोई काम या ज़िम्मेदारी पूरी करना हमें मुश्‍किल लगता है, तो हम यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं कि हम अच्छे से समझ पाएँ कि उसे कैसे करना है। (नीति. 2:6) माता-पिता अपने बच्चों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं और बच्चे अपने माता-पिता के लिए। हमें अपने बाइबल विद्यार्थियों और उन लोगों के लिए भी प्रार्थना करनी चाहिए जिन्हें हम गवाही देते हैं। लेकिन प्रार्थना करते वक्‍त हमें हमेशा यहोवा से कुछ-न-कुछ माँगते नहीं रहना चाहिए।

हम किन बातों के लिए यहोवा की तारीफ और उसका शुक्रिया कर सकते हैं? (पैराग्राफ 7-9) *

7. प्रार्थना करते वक्‍त हमें यहोवा की तारीफ क्यों करनी चाहिए?

7 प्रार्थना करते वक्‍त हमें यहोवा की तारीफ  भी करनी चाहिए। वह “भला है और माफ करने को तत्पर रहता है।” वह ‘दयालु और करुणा करनेवाला परमेश्‍वर है, क्रोध करने में धीमा, अटल प्यार से भरपूर और विश्‍वासयोग्य है।’ (भज. 86:5, 15) जब हम इस बारे में सोचेंगे कि यहोवा किस तरह का परमेश्‍वर है और वह क्या कुछ करता है, तो खुद ही हमारा दिल करेगा कि हम उसकी तारीफ करें। उससे ज़्यादा तारीफ के काबिल और कोई नहीं!

8. हम किन बातों के लिए यहोवा का धन्यवाद कर सकते हैं? (भजन 104:12-15, 24)

8 यहोवा की तारीफ करने के अलावा, उसने हमें जो कुछ दिया है उसके लिए हमें उसका धन्यवाद  करना चाहिए। ज़रा सोचिए, यहोवा ने हमें कितना कुछ दिया है। उसने कितने सारे रंग-बिरंगे फूल बनाए हैं, हमें खाने के लिए तरह-तरह की स्वादिष्ट चीजें दी हैं और हमें ऐसे दोस्त दिए हैं जिनके साथ समय बिताकर हमें बहुत मज़ा आता है। उसने हमारे लिए और भी बहुत कुछ किया है और वह भी बस इसलिए कि वह चाहता है कि हम खुश रहें। (भजन 104:12-15, 24 पढ़िए।) सबसे बढ़कर, यहोवा ने हमें बाइबल और कई सारे प्रकाशन दिए हैं और भविष्य के लिए एक बेहतरीन आशा दी है। हम इनके लिए भी यहोवा का धन्यवाद कर सकते हैं।

9. अगर हम यहोवा का धन्यवाद करना भूल जाते हैं, तो हम क्या कर सकते हैं? (1 थिस्सलुनीकियों 5:17, 18)

9 यहोवा हमारे लिए बहुत कुछ करता है। लेकिन कई बार शायद हम उसे शुक्रिया कहना ही भूल जाएँ। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है, तो आप क्या कर सकते हैं? आप यहोवा से जिन बातों के लिए प्रार्थना करते हैं, उन्हें लिखकर रख सकते हैं और फिर समय-समय पर देख सकते हैं कि यहोवा ने किस तरह आपकी प्रार्थनाओं का जवाब दिया है। तब आप उन बातों के लिए यहोवा का धन्यवाद कर पाएँगे। (1 थिस्सलुनीकियों 5:17, 18 पढ़िए।) जब हम किसी के लिए कुछ करते हैं और वह आकर हमारा धन्यवाद करता है, तो हमें कितनी खुशी होती है। उसी तरह, जब हम यहोवा का धन्यवाद करते हैं कि उसने हमारी सुन ली, तो उसे भी बहुत अच्छा लगता है। (कुलु. 3:15) यहोवा का धन्यवाद करने की हमारे पास एक और खास वजह है। आइए उस बारे में जानें।

यहोवा का धन्यवाद कीजिए कि उसने अपना प्यारा बेटा भेजा

10. हमें यहोवा का धन्यवाद क्यों करना चाहिए कि उसने यीशु को भेजा? (1 पतरस 2:21)

10 पहला पतरस 2:21 पढ़िए। हमें यहोवा का धन्यवाद करना चाहिए कि उसने हमारे लिए अपने प्यारे बेटे को भेजा ताकि हम उससे सीख पाएँ। जब हम बाइबल में यीशु के बारे में पढ़ते हैं, तो हम यहोवा के बारे में बहुत कुछ जान पाते हैं और समझ पाते हैं कि हम उसे कैसे खुश कर सकते हैं। इसके अलावा, यीशु के फिरौती बलिदान पर विश्‍वास करने से हम यहोवा से दोस्ती कर पाए हैं और हमारा उसके साथ एक शांति-भरा रिश्‍ता है।​—रोमि. 5:1.

11. हम यीशु के नाम से प्रार्थना क्यों करते हैं?

11 हमें यहोवा का धन्यवाद करना चाहिए कि हम उसके बेटे के ज़रिए उससे प्रार्थना कर सकते हैं। जब हम यीशु के नाम से प्रार्थना करते हैं, तो यहोवा हमारी सुनता है। और हम उससे जो भी गुज़ारिश करते हैं, वह उसे यीशु के ज़रिए ही पूरा करता है। यीशु ने कहा था, “जो कुछ तुम मेरे नाम से माँगोगे, वह मैं करूँगा ताकि बेटे के ज़रिए पिता महिमा पाए।”​—यूह. 14:13, 14.

12. हमें और किस बात के लिए यहोवा का शुक्रिया करना चाहिए?

12 यीशु ने जो फिरौती बलिदान दिया, उसके आधार पर यहोवा हमारे पापों को माफ करता है। बाइबल में बताया गया है कि यीशु ‘हमारा महायाजक है, जो स्वर्ग में महामहिम की राजगद्दी के दाएँ हाथ बैठा है।’ (इब्रा. 8:1) बाइबल में यह भी बताया गया है कि यीशु हमारा “मददगार है जो पिता के पास है।” (1 यूह. 2:1) यीशु जानता है कि हममें कौन-सी कमज़ोरियाँ हैं। वह हमसे हमदर्दी रखता है और ‘हमारी खातिर यहोवा से बिनती करता है।’ हम यहोवा के कितने एहसानमंद हैं कि उसने हमें इतना अच्छा महायाजक दिया है! (रोमि. 8:34; इब्रा. 4:15) अगर यीशु ने हमारे लिए अपनी जान ना दी होती, तो हम पापी इंसान कभी यहोवा से प्रार्थना नहीं कर पाते। यहोवा ने हमारी खातिर अपने प्यारे बेटे को दे दिया! इसके लिए हम उसका जितना शुक्रिया करें उतना कम है।

भाई-बहनों के लिए प्रार्थना कीजिए

13. किस बात से पता चलता है कि यीशु अपने चेलों से प्यार करता था?

13 यीशु ने अपनी मौत से एक रात पहले, अपने चेलों के लिए काफी देर तक प्रार्थना की। उसने अपने पिता से बिनती की, “शैतान की वजह से उनकी देखभाल कर।” (यूह. 17:15) यीशु जानता था कि उसके साथ क्या होनेवाला है और उसे बहुत कुछ सहना होगा। पर ऐसे में भी उसे अपने चेलों की चिंता हो रही थी। यीशु सही में अपने चेलों से बहुत प्यार करता था।

भाई-बहनों के लिए प्रार्थना करते वक्‍त हम किन बातों का ज़िक्र कर सकते हैं? (पैराग्राफ 14-16) *

14. अगर हम अपने भाई-बहनों से प्यार करते हैं, तो हम क्या करेंगे?

14 हमें भी यीशु की तरह बनना चाहिए। सिर्फ अपने बारे में प्रार्थना करने के बजाय, हमें अपने भाई-बहनों के लिए भी प्रार्थना करनी चाहिए। यीशु ने हमें आज्ञा दी है कि हम एक-दूसरे से प्यार करें। जब हम अपने भाई-बहनों के लिए प्रार्थना करते हैं, तो हम यह आज्ञा मान रहे होते हैं और इस तरह यहोवा भी देख पाता है कि हमें अपने भाई-बहनों की कितनी परवाह है। (यूह. 13:34) कभी-कभी शायद हमें लगे, ‘पता नहीं भाई-बहनों के लिए प्रार्थना करने का कोई फायदा है भी कि नहीं।’ पर हमें ऐसा बिलकुल नहीं सोचना चाहिए। बाइबल में लिखा है, “एक नेक इंसान की मिन्‍नतों का ज़बरदस्त असर होता है।”​—याकू. 5:16.

15. भाई-बहनों के लिए प्रार्थना करना क्यों बहुत ज़रूरी है?

15 हमारे भाई-बहन बहुत-सी तकलीफें झेल रहे हैं, इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि हम उनके लिए प्रार्थना करें। कई भाई-बहन बीमार हैं, कुछ कुदरती आफतों की मार झेल रहे हैं, कई ऐसे देशों में रहते हैं जहाँ युद्ध चल रहे हैं और कुछ को सताया जा रहा है। हम यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं कि वे धीरज रख पाएँ और हिम्मत से सबकुछ सह पाएँ। हम उन भाई-बहनों के लिए भी प्रार्थना कर सकते हैं जो मुश्‍किल की घड़ी में दूसरे भाई-बहनों की मदद करते हैं। क्या आप भी किसी ऐसे भाई या बहन को जानते हैं जिसे बहुत तकलीफें झेलनी पड़ रही हैं? तो क्यों ना जब आप अकेले में प्रार्थना करते हैं, तो उन भाई-बहनों का नाम लेकर उन्हें याद करें? ऐसा करके हम दिखा रहे होंगे कि हम उनसे सच्चा प्यार करते हैं।

16. हमें अगुवाई करनेवाले भाइयों के लिए क्यों प्रार्थना करनी चाहिए?

16 हमें अगुवाई करनेवाले भाइयों के लिए भी प्रार्थना करनी चाहिए। जब हम इन भाइयों के लिए प्रार्थना करते हैं, तो यहोवा उनकी मदद करता है कि वे अपनी ज़िम्मेदारी अच्छे से निभा पाएँ और वे भाई भी इसकी बहुत कदर करते हैं। पौलुस भी चाहता था कि भाई-बहन उसके लिए प्रार्थना करें। क्यों? उसने अपनी चिट्ठी में लिखा, “मेरे लिए भी प्रार्थना करो कि बोलते समय मेरे मुँह में शब्द दिए जाएँ ताकि जब मैं खुशखबरी का पवित्र रहस्य सुनाऊँ तो निडर होकर बात कर सकूँ।” (इफि. 6:19) पौलुस की तरह आज भी अगुवाई करनेवाले भाई हमारी खातिर बहुत कुछ करते हैं। हम उनसे प्यार करते हैं, इसलिए यहोवा से प्रार्थना करते हैं कि वह उनकी मेहनत पर आशीष दे।

जब हमें प्रार्थना करने के लिए कहा जाए

17-18. हमें कब प्रार्थना करने के लिए कहा जा सकता है और उस वक्‍त हमें क्या याद रखना चाहिए?

17 हम अकेले में तो प्रार्थना करते ही हैं, लेकिन कई बार शायद हमें कुछ लोगों के बीच प्रार्थना करने को कहा जाए। जैसे हो सकता है, एक बहन एक दूसरी बहन को अपने बाइबल अध्ययन पर ले जाए और अध्ययन से पहले उसे प्रार्थना करने को कहे। पर शायद वह बहन उस विद्यार्थी को अच्छी तरह ना जानती हो और इसलिए कहे कि वह आखिर में प्रार्थना करेगी। इस तरह वह बाइबल विद्यार्थी की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रार्थना कर पाएगी।

18 हो सकता है, एक भाई को प्रचार की सभा में या मंडली की सभा में प्रार्थना करने के लिए कहा जाए। ऐसे में वह कुछ बातों का ध्यान रख सकता है। उसे याद रखना चाहिए कि वह सभा किसलिए रखी गयी है। प्रार्थना करते वक्‍त उसे ना तो भाई-बहनों को कोई सलाह देनी चाहिए और ना ही कोई घोषणा करनी चाहिए। आम तौर पर सभाओं की शुरूआत और आखिर में गीत और प्रार्थना के लिए पाँच-पाँच मिनट दिए जाते हैं। जिस भाई से प्रार्थना करने के लिए कहा जाता है, उसे ध्यान रखना चाहिए कि वह ‘बहुत ज़्यादा न बोले,’ खासकर जब वह सभा की शुरूआत में प्रार्थना करता है।​—मत्ती 6:7.

प्रार्थना करने को अहमियत दीजिए

19. अगर हम यहोवा के न्याय के दिन के लिए तैयार रहना चाहते हैं, तो हमें क्या करना होगा?

19 यहोवा के न्याय का दिन बहुत करीब है, इसलिए आज प्रार्थना करना पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है। यीशु ने भी कहा था, “इसलिए आँखों में नींद न आने दो और हर घड़ी प्रार्थना और मिन्‍नत करते रहो ताकि जिन बातों का होना तय है, उन सबसे तुम बच सको और इंसान के बेटे के सामने खड़े रह सको।” (लूका 21:36) अगर हम यहोवा से प्रार्थना करते रहें, तो हमारा विश्‍वास बढ़ेगा और जब उसका दिन आएगा, तो हम उसके लिए तैयार होंगे।

20. हमें क्या करना होगा ताकि हमारी प्रार्थनाएँ सुगंधित धूप की तरह हों?

20 इस लेख में हमने क्या-क्या सीखा? यहोवा से प्रार्थना करना बहुत बड़ी बात है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम उन बातों के बारे में प्रार्थना करना ना भूलें जो ज़्यादा ज़रूरी हैं, यानी वे बातें जो यहोवा के मकसद से जुड़ी हुई हैं। हमें यहोवा का धन्यवाद करना चाहिए कि उसने हमारे लिए अपना बेटा भेजा और बहुत जल्द वह अपना राज लानेवाला है। हमें अपने भाई-बहनों के लिए भी प्रार्थना करनी चाहिए। और हम इस बारे में भी प्रार्थना कर सकते हैं कि हमारी ज़रूरतें पूरी हों और हमारा विश्‍वास बढ़े। जब हम सोच-समझकर प्रार्थना करेंगे, तो इससे पता चलेगा कि हम इस अनोखी आशीष की कितनी कदर करते हैं और तब हमारी प्रार्थनाएँ सुगंधित धूप की तरह होंगी और यहोवा उनसे खुश होगा।​—नीति. 15:8.

गीत 45 मेरे मन के विचार

^ हम यहोवा का बहुत एहसान मानते हैं कि उसने हमें प्रार्थना करने का मौका दिया है। हम सभी चाहते हैं कि हमारी प्रार्थनाएँ सुगंधित धूप की तरह हों और यहोवा उनसे खुश हो। इस लेख में हम जानेंगे कि हम किन बातों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। हम यह भी जानेंगे कि जब हमें कुछ लोगों के बीच प्रार्थना करने को कहा जाता है, तो हम किन बातों का ध्यान रख सकते हैं।

^ तसवीर के बारे में: एक भाई अपनी पत्नी के साथ प्रार्थना कर रहा है कि उनकी बेटी स्कूल में सुरक्षित रहे, उसके ससुर बीमारी से लड़ पाएँ और उनकी बाइबल विद्यार्थी अच्छी तरह सीखती रहे।

^ तसवीर के बारे में: एक जवान भाई यीशु के फिरौती बलिदान, इस सुंदर धरती और बढ़िया खाने के लिए यहोवा को शुक्रिया कह रहा है।

^ तसवीर के बारे में: एक बहन यहोवा से प्रार्थना कर रही है कि वह शासी निकाय के भाइयों को पवित्र शक्‍ति दे और उन भाई-बहनों की मदद करे जो कुदरती आफतों या ज़ुल्मों की वजह से तकलीफें झेल रहे हैं।