इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्ययन लेख 27

गीत 73 दे निडरता का वरदान!

सादोक की तरह हिम्मतवाले बनिए!

सादोक की तरह हिम्मतवाले बनिए!

“सादोक . . . एक ताकतवर और दिलेर जवान था।”​—1 इति. 12:28.

क्या सीखेंगे?

सादोक ने कैसे हिम्मत से काम लिया और हम उसकी तरह कैसे बन सकते हैं?

1-2. सादोक कौन था? (1 इतिहास 12:22, 26-28)

 हेब्रोन के पास 3,40,000 से भी ज़्यादा लोग इकट्ठा हैं। वे दाविद को इसराएल का राजा बनाना चाहते हैं। पिछले तीन दिनों से वे सभी खुशियाँ मना रहे हैं, आपस में बातें कर रहे हैं और यहोवा की तारीफ में गीत गा रहे हैं। (1 इति. 12:39) इस भीड़ में एक जवान आदमी भी है, जिसका नाम है सादोक। इतने लोगों में शायद ही कोई उस पर ध्यान दे रहा होगा। पर यहोवा ने उस पर ध्यान दिया। और वह चाहता है कि हम भी उस पर ध्यान दें और उससे सीखें। (1 इतिहास 12:22, 26-28 पढ़िए।) पर सादोक था कौन?

2 सादोक एक याजक था जो महायाजक अबियातार के साथ सेवा करता था। सादोक एक दर्शी भी था। इसका मतलब, यहोवा ने उसे बुद्धि दी थी और उसकी मरज़ी जानने की अनोखी काबिलीयत भी दी थी। (2 शमू. 15:27) जब भी लोगों को किसी ज़रूरी मामले के बारे में सलाह लेनी होती, तो वे सादोक के पास आते थे। सादोक में एक और खूबी थी। वह बहुत दिलेर और हिम्मतवाला था। इस लेख में हम उसकी इसी खूबी के बारे में चर्चा करेंगे।

3. (क) यहोवा के सेवकों को क्यों हिम्मत से काम लेना है? (ख) इस लेख में हम क्या जानेंगे?

3 आज इन आखिरी दिनों में शैतान हमारा विश्‍वास तोड़ने के लिए पूरा ज़ोर लगा रहा है। (1 पत. 5:8) इसलिए हमें हिम्मत की ज़रूरत है ताकि हम धीरज धर सकें और उस वक्‍त का इंतज़ार कर सकें जब यहोवा शैतान और उसकी दुष्ट दुनिया को खत्म कर देगा। (भज. 31:24) इसलिए आइए तीन तरीकों पर ध्यान दें कि हम कैसे सादोक की तरह हिम्मत से काम ले सकते हैं।

परमेश्‍वर के राज का साथ दीजिए

4. परमेश्‍वर के राज का साथ देने के लिए हमें हिम्मत की ज़रूरत क्यों है? (तसवीर भी देखें।)

4 हम यहोवा के राज का पूरा साथ देना चाहते हैं। लेकिन इसके लिए कई बार हमें हिम्मत से काम लेना होता है। (मत्ती 6:33) जैसे इस दुष्ट दुनिया में यहोवा के स्तरों के हिसाब से जीने के लिए और उसके राज की खुशखबरी सुनाने के लिए हमें हिम्मत की ज़रूरत होती है। (1 थिस्स. 2:2) आज राजनैतिक मामलों को लेकर लोगों में फूट पड़ती जा रही है, इसलिए निष्पक्ष बने रहने के लिए हमें हिम्मत चाहिए। (यूह. 18:36) इसके अलावा, ऐसे कुछ और हालात भी हैं जिनमें हमारे भाई-बहनों को हिम्मत से काम लेना पड़ा है। जैसे कुछ भाई-बहनों ने राजनीति में हिस्सा लेने से या सेना में भर्ती होने से साफ इनकार किया है और इस वजह से उन्हें पैसों की दिक्कत हुई है, उन्हें मारा-पीटा गया है या जेल में डाल दिया गया है।

जब दूसरे राजनैतिक पार्टियों का पक्ष लें, तो आप क्या करेंगे? (पैराग्राफ 4)


5. दाविद का साथ देने के लिए सादोक को हिम्मत की ज़रूरत क्यों पड़ी होगी?

5 सादोक हेब्रोन सिर्फ खुशियाँ मनाने नहीं आया था। वह अपने साथ हथियार भी लाया था। (1 इति. 12:38) वह अपने राजा के साथ युद्ध में जाने और इसराएल को दुश्‍मनों से बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार था। वह जवान था और उसे युद्ध करने का ज़्यादा तजुरबा नहीं था, फिर भी वह लड़ने के लिए तैयार था। इसके लिए उसे ज़रूर हिम्मत की ज़रूरत पड़ी होगी।

6. हिम्मत से काम लेने के मामले में सादोक ने दाविद से क्या सीखा होगा? (भजन 138:3)

6 इस याजक में इतनी हिम्मत कहाँ से आयी? सादोक ऐसे कई लोगों को जानता था जो बहुत दिलेर और हिम्मतवाले थे। उसने उनसे बहुत कुछ सीखा होगा। उनमें में से एक था दाविद। वह बहुत हिम्मतवाला था और “लड़ाइयों में इसराएल की अगुवाई करता था,” इसलिए सब लोग उसका साथ देते थे। (1 इति. 11:1, 2) अपने दुश्‍मनों से लड़ने के लिए उसने हमेशा यहोवा पर भरोसा रखा। (भज. 28:7; भजन 138:3 पढ़िए।) दाविद के अलावा सादोक ने कुछ और लोगों से भी हिम्मत से काम लेना सीखा होगा, जैसे यहोयादा और उसके बेटे बनायाह से और इसराएल के घराने के 22 प्रधानों से। (1 इति. 11:22-25; 12:26-28) ये सभी दाविद के वफादार थे, उसे राजा बनाना चाहते थे और हर कीमत पर उसका साथ देना चाहते थे।

7. (क) आज किस तरह कुछ भाई हिम्मत से काम ले रहे हैं और यहोवा का साथ दे रहे हैं? (ख) आपने भाई एंझ सिलु से क्या सीखा? (फुटनोट देखें।)

7 ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने परमेश्‍वर के राज का साथ देने के लिए हिम्मत से काम लिया है। अगर हम उनके उदाहरणों पर ध्यान दें, तो हमें भी ताकत और हिम्मत मिल सकती है। जैसे, जब हमारा राजा यीशु धरती पर था, तो उसने दुनिया की राजनीति में हिस्सा लेने से साफ इनकार कर दिया था। (मत्ती 4:8-11; यूह. 6:14, 15) उसे यहोवा पर पूरा भरोसा था, इसलिए वह हिम्मत से काम ले पाया। आज भी कई नौजवान भाइयों ने ऐसा ही किया है। उन्होंने सेना में भरती होने से या राजनैतिक मामलों में हिस्सा लेने से साफ इनकार किया है। इनमें से कई भाइयों के अनुभव jw.org पर दिए गए हैं। क्यों ना समय निकालकर इन्हें पढ़ें? a ऐसा करने से आप भी हिम्मतवाले बन पाएँगे।

भाई-बहनों की मदद कीजिए

8. भाई-बहनों की मदद करने के लिए प्राचीनों को कब हिम्मत से काम लेना पड़ सकता है?

8 यहोवा के लोग एक-दूसरे से प्यार करते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं। (2 कुरिं. 8:4) लेकिन कभी-कभी ऐसा करने के लिए उन्हें हिम्मत की भी ज़रूरत होती है। जैसे जब युद्ध छिड़ जाता है, तो प्राचीन भाई-बहनों की खातिर बहुत कुछ करते हैं। वे उनकी खाने-पीने की ज़रूरतों का खयाल रखते हैं और ध्यान रखते हैं कि उन्हें बाइबल और दूसरे प्रकाशन मिलते रहें। वे उनका हौसला भी बढ़ाते हैं। प्राचीन सभी भाई-बहनों से बहुत प्यार करते हैं, इसलिए उनकी मदद करने के लिए अपनी जान तक खतरे में डाल देते हैं। (यूह. 15:12, 13) ऐसा करके वे सादोक की तरह हिम्मत से काम लेते हैं।

9. जैसा 2 शमूएल 15:27-29 में बताया गया है, दाविद ने सादोक से क्या करने के लिए कहा? (तसवीर भी देखें।)

9 सादोक ने भी मुश्‍किल हालात में दूसरों की मदद की थी। एक बार दाविद की जान खतरे में थी। उसका बेटा अबशालोम उसकी राजगद्दी हथियाना चाहता था। (2 शमू. 15:12, 13) नौबत यहाँ तक आ गयी कि दाविद को तुरंत यरूशलेम छोड़कर भागना पड़ा। उसने अपने सेवकों को बुलाया और उनसे कहा, “चलो हम सब यहाँ से भाग निकलते हैं, वरना हममें से कोई भी अबशालोम के हाथ से नहीं बच पाएगा!” (2 शमू. 15:14) जब वे यरूशलेम छोड़कर जा रहे थे, तो दाविद ने सोचा कि किसी को तो यरूशलेम में रहना ही होगा, ताकि वह अबशालोम के हर कदम की खबर उन्हें भेजता रहे। इसलिए उसने सादोक और दूसरे कुछ याजकों को यरूशलेम लौटने को कहा, ताकि वे उसके लिए जासूसी कर सकें। (2 शमूएल 15:27-29 पढ़िए।) उन्हें बहुत सँभलकर रहना था, क्योंकि यह काम खतरे से खाली नहीं था। अबशालोम बहुत मतलबी था और अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता था। उस धोखेबाज़ ने अपने पिता तक को नहीं छोड़ा, तो अगर उसे यह पता चलता कि सादोक और दूसरे याजक दाविद के लिए जासूसी कर रहे हैं, तो सोचिए वह उनका क्या हाल करता!

दाविद ने सादोक को एक ऐसा काम दिया जो खतरे से खाली नहीं था (पैराग्राफ 9)


10. सादोक और उसके साथियों ने दाविद की जान बचाने के लिए क्या किया?

10 दाविद ने एक योजना बनायी और उसे अंजाम देने के लिए उसने सादोक और अपने दोस्त हूशै की मदद ली। (2 शमू. 15:32-37) उसने हूशै से कहा कि वह जाकर अबशालोम का भरोसा जीते और उसे कोई ऐसी तरकीब सुझाए जिसे पूरा करने में वक्‍त लगे। इससे दाविद को युद्ध की तैयारी करने के लिए समय मिल जाता। उसने हूशै से यह भी कहा कि राजमहल में उसे जो भी खबर मिले, वह सादोक और अबियातार को बताए, ताकि वे यह खबर उस तक पहुँचा दें। (2 शमू. 17:8-16) दाविद ने जैसा कहा था, इन आदमियों ने वैसा ही किया। (2 शमू. 17:17) यहोवा की मदद से सादोक और उसके साथी हिम्मत से काम ले पाए और दाविद की जान बचा पाए।​—2 शमू. 17:21, 22.

11. भाई-बहनों की मदद करते वक्‍त हम कैसे सादोक की तरह हिम्मत से काम ले सकते हैं?

11 अगर किसी खतरनाक हालात में हमें अपने भाई-बहनों की मदद करनी पड़े, तो हम कैसे सादोक की तरह हिम्मत से काम ले सकते हैं? (1) हिदायतें मानिए।  ऐसे हालात में बहुत ज़रूरी होता है कि हम अपने बीच एकता बनाए रखें। इसलिए शाखा दफ्तर से जो हिदायतें मिलती हैं, उन्हें मानिए। (इब्रा. 13:17) विपत्ति आने पर क्या किया जाना चाहिए, इस बारे में हरेक मंडली में कुछ इंतज़ाम किए जाते हैं और संगठन भी इस बारे में कुछ हिदायतें देता है। प्राचीनों को समय-समय पर उन इंतज़ामों और हिदायतों पर गौर करना चाहिए। (1 कुरिं. 14:33, 40) (2) हिम्मत से काम लीजिए, पर सतर्क भी रहिए।  (नीति. 22:3) कुछ भी करने से पहले सोचिए और बेवजह खतरा मोल मत लीजिए। (3) यहोवा पर भरोसा रखिए।  याद रखिए कि यहोवा को आपकी और सभी भाई-बहनों की बहुत फिक्र है। उनकी रक्षा करने में वह आपकी मदद ज़रूर करेगा।

12-13. आपने भाई विक्टर और भाई विटाली के अनुभवों से क्या सीखा? (तसवीर भी देखें।)

12 भाई विक्टर और भाई विटाली के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। इन दोनों भाइयों ने बहुत हिम्मत दिखायी। वे यूक्रेन में भाई-बहनों तक खाना-पानी और दूसरी चीज़ें पहुँचा रहे थे। भाई विक्टर बताते हैं, “हमारे आस-पास गोलीबारी हो रही थी। जहाँ कहीं से खाने-पीने की चीज़ें मिल सकती थीं, हमने लेकर भाई-बहनों तक पहुँचायीं। एक भाई ने इतनी सारी चीज़ें दीं जिससे कई भाई-बहनों का काफी दिनों तक गुज़ारा चल सकता था। और पता है, जब हम उन चीज़ों को ट्रक में भर रहे थे, तो क्या हुआ? हमारी गाड़ी से सिर्फ 20 मीटर (66 फुट) दूर एक बम आकर गिरा। शुक्र है वह फटा नहीं! उसके बाद मैं दिन-भर यहोवा के आगे गिड़गिड़ाता रहा कि वह मुझे हिम्मत दे ताकि मैं भाई-बहनों की मदद करने से पीछे ना हटूँ।”

13 भाई विटाली बताते हैं, “इस काम के लिए बहुत हिम्मत की ज़रूरत थी। जब मैं पहली बार भाई-बहनों के लिए सामान ले जा रहा था, तो उन तक पहुँचने में मुझे 12 घंटे लगे। मैं पूरे रास्ते यहोवा से प्रार्थना करता रहा।” भाई विटाली ने हिम्मत से काम लिया, मगर वे सतर्क भी थे। वे बताते हैं, “मैंने यहोवा से बुद्धि माँगी ताकि मैं बेवजह कोई खतरा मोल ना लूँ और अधिकारियों की हिदायतें भी मानूँ। मैं सिर्फ उन्हीं रास्तों से गया जो सरकार ने खोल रखे थे। जब मैंने देखा कि किस तरह भाई-बहन मिलकर काम कर रहे हैं, तो मैं बता नहीं सकता मेरा विश्‍वास कितना बढ़ गया। वे रास्ते से मलबा हटा रहे थे और दूसरों के लिए चीज़ें इकट्ठा करके ट्रक में भर रहे थे। यही नहीं, जब भी मैं और विक्टर सामान लेकर जाते थे, तो भाई-बहन हमारे खाने-पीने और आराम करने का इंतज़ाम करते थे। यह बात भी मेरे दिल को छू गयी।”

मुश्‍किल हालात में भाई-बहनों की मदद करते वक्‍त हिम्मत से काम लीजिए, पर सतर्क भी रहिए (पैराग्राफ 12-13)


यहोवा के वफादार बने रहिए

14. जब हमारा कोई अपना यहोवा को छोड़ देता है, तो हम पर क्या गुज़रती है?

14 कुछ मुश्‍किलें ऐसी होती हैं जो हमें बहुत दुख पहुँचाती हैं। जैसे जब हमारे परिवार का कोई सदस्य या हमारा कोई दोस्त यहोवा को छोड़कर चला जाता है, तो वह दर्द सहना बहुत मुश्‍किल होता है। (भज. 78:40; नीति. 24:10) जितना ज़्यादा वह व्यक्‍ति हमारे दिल के करीब होता है, उतना ही ज़्यादा हमें दुख पहुँचता है। हो सकता है, हम अंदर से पूरी तरह टूट जाएँ। हम ऐसे हालात का सामना कैसे कर सकते हैं? सादोक जिस तरह यहोवा का वफादार रहा, उससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।

15. यहोवा के वफादार रहने के लिए सादोक को क्यों हिम्मत से काम लेना पड़ा होगा? (1 राजा 1:5-8)

15 सादोक की ज़िंदगी में एक ऐसा वक्‍त भी आया जब उसके लिए यहोवा का वफादार रहना मुश्‍किल रहा होगा और उसे हिम्मत से काम लेना पड़ा होगा। बात उस वक्‍त की है जब दाविद बहुत बूढ़ा हो गया था और उसकी मौत करीब थी। ऐसे में उसके बेटे अदोनियाह ने उसकी राजगद्दी हथियाने की कोशिश की। यहोवा ने पहले ही बता दिया था कि सुलैमान अगला राजा बनेगा, फिर भी अदोनियाह ने राजा बनने की जुर्रत की। (1 इति. 22:9, 10) उस वक्‍त सादोक के दोस्त अबियातार ने अदोनियाह का साथ दिया। (1 राजा 1:5-8 पढ़िए।) ऐसा करके उसने दाविद से गद्दारी की और सबसे बढ़कर यहोवा से। ज़रा सोचिए, यह सब देखकर सादोक पर क्या बीती होगी! उसे यकीन ही नहीं हुआ होगा कि उसका सबसे अच्छा दोस्त ऐसा कर सकता है। अबियातार और सादोक करीब 40 साल से साथ में सेवा कर रहे थे। (2 शमू. 8:17) उन दोनों ने मिलकर ‘सच्चे परमेश्‍वर के संदूक’ की देखरेख से जुड़े काम किए थे। (2 शमू. 15:29) उन्होंने दाविद को राजगद्दी दिलाने में उसका साथ दिया था और मिलकर यहोवा की सेवा में ना जाने कितना कुछ किया था। (2 शमू. 19:11-14) जब अबियातार वफादार नहीं रहा, तो सादोक को बहुत दुख हुआ होगा।

16. वफादार बने रहने में किस बात से सादोक को मदद मिली होगी?

16 सादोक के दोस्त अबियातार ने दाविद को छोड़ दिया, लेकिन सादोक दाविद का वफादार बना रहा। दाविद को सादोक पर पूरा भरोसा था। इसलिए जब उसे अदोनियाह की साज़िश के बारे में पता चला, तो उसने सादोक, नातान और बनायाह को बुलाया और उनसे कहा कि वे सुलैमान को राजा बनाएँ। (1 राजा 1:32-34) ज़रा सोचिए, जब सादोक ने देखा होगा कि नातान और दूसरे सेवक दाविद के वफादार हैं, तो उसे कितनी हिम्मत मिली होगी। और इस वजह से वह भी वफादार रह पाया होगा। (1 राजा 1:38, 39) फिर जब सुलैमान राजा बना, तो उसने “सादोक को अबियातार की जगह याजक ठहराया।”​—1 राजा 2:35.

17. अगर आपका कोई अपना यहोवा को छोड़ दे, तो आप सादोक की तरह क्या कर सकते हैं?

17 अगर आपका कोई अपना यहोवा को छोड़ देता है, तो सादोक की तरह अपने कामों से दिखाइए कि आप यहोवा के वफादार हैं। (यहो. 24:15) ऐसा करने के लिए यहोवा आपको हिम्मत देगा। इसलिए उससे प्रार्थना कीजिए और अपने उन दोस्तों के करीब बने रहिए जो यहोवा के वफादार हैं। याद रखिए, जब आप यहोवा के वफादार बने रहेंगे, तो यह बात उसके दिल को छू जाएगी और वह आपको इसका इनाम भी देगा।​—2 शमू. 22:26.

18. आपने भाई मारको और बहन सिडसे के उदाहरण से क्या सीखा?

18 ज़रा भाई मारको और उनकी पत्नी सिडसे के उदाहरण पर गौर कीजिए। उनकी दोनों बेटियों ने बड़े होकर यहोवा की सेवा करना छोड़ दिया। भाई मारको कहते हैं, “जब आपके बच्चे होते हैं, तो आप उनसे बहुत प्यार करते हैं, उन्हें हर बुरी चीज़ से बचाते हैं। इसलिए जब आपका कोई बच्चा यहोवा से दूर चला जाता है, तो आप अंदर से पूरी तरह टूट जाते हैं।” भाई ने आगे कहा, “लेकिन यहोवा ने हमें कभी अकेला नहीं छोड़ा। उसने हम दोनों को ताकत दी कि हम एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते रहें। जब मैं  कमज़ोर होता था, तो मेरी पत्नी मेरा हौसला बढ़ाती थी। और जब वह  कमज़ोर पड़ जाती थी, तो मैं उसका हौसला बढ़ाता था।” बहन सिडसे बताती हैं, “अगर यहोवा नहीं होता, तो हम यह सब नहीं सह पाते। मुझे बार-बार यही लग रहा था कि मेरी ही गलती है, मेरी वजह से ही यह सब हुआ है। मैंने यह बात प्रार्थना में यहोवा को भी बतायी। इसके कुछ समय बाद एक बहन मुझसे मिलने आयी जिससे मैं सालों पहले मिली थी। उसने मेरे कंधों पर हाथ रखा और मेरी आँखों में देखकर कहा, ‘याद रखना सिडसे, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं।’ यहोवा ने मेरी बहुत मदद की है, इसलिए मैं आज भी खुशी से उसकी सेवा कर पा रही हूँ।”

19. यह लेख पढ़ने के बाद आपने क्या करने की सोची है?

19 यहोवा चाहता है कि उसके सभी सेवक सादोक की तरह हिम्मतवाले बनें। (2 तीमु. 1:7) लेकिन वह यह नहीं चाहता कि हम अपनी ताकत पर भरोसा करें, बल्कि चाहता है कि हम उस पर भरोसा रखें। इसलिए जब कभी मुश्‍किल हालात में आपको हिम्मत की ज़रूरत हो, तो यहोवा से मदद माँगिए। तब आप पूरा यकीन रख सकते हैं कि सादोक की तरह वह आपको भी हिम्मतवाला बनाएगा!​—1 पत. 5:10.

गीत 126 जागते रहो, शक्‍तिशाली बनते जाओ