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दूसरों की खामियों से ठोकर मत खाइए

दूसरों की खामियों से ठोकर मत खाइए

“एक-दूसरे को दिल खोलकर माफ करो।”—कुलु. 3:13.

गीत: 53, 28

1, 2. बाइबल में यहोवा के लोगों की बढ़ोतरी के बारे में क्या बताया गया था?

पूरी धरती पर ऐसे लोगों का एक संगठन है, जो यहोवा से प्यार करते हैं और उसकी उपासना करना चाहते हैं। वे लोग हैं, यहोवा के साक्षी। हालाँकि उनमें कमियाँ हैं और उनसे भी गलतियाँ हो जाती हैं, फिर भी यहोवा अपने लोगों का पवित्र शक्ति से मार्गदर्शन करता है। आइए देखें कि यहोवा ने अपने लोगों को क्या आशीषें दी हैं।

2 सन्‌ 1914 में मुट्ठी-भर लोग ही यहोवा की उपासना करते थे। लेकिन यहोवा उनके प्रचार काम पर आशीष देता रहा। नतीजा यह हुआ कि लाखों लोगों ने बाइबल की सच्चाइयाँ सीखीं और यहोवा के साक्षी बने। इस शानदार बढ़ोतरी की तरफ इशारा करते हुए यहोवा ने कहा था, “छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूँ; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूँगा।” (यशा. 60:22) आज हम साफ देख सकते हैं कि यह भविष्यवाणी पूरी हुई है। यहोवा के लोग एक बड़े राष्ट्र की तरह हैं। दरअसल दुनिया में बहुत-से ऐसे राष्ट्र हैं जिनकी आबादी यहोवा के साक्षियों की कुल गिनती से कम है।

3. यहोवा के सेवकों ने कैसे दिखाया कि वे लोगों से प्यार करते हैं?

3 “परमेश्वर प्यार है” और इन आखिरी दिनों में एक-दूसरे के लिए प्यार बढ़ाने में वह अपने लोगों की मदद कर रहा है। (1 यूह. 4:8) परमेश्वर की तरह यीशु ने भी लोगों से प्यार किया और उसने अपने चेलों को आज्ञा दी, “एक-दूसरे से प्यार करो। अगर तुम्हारे बीच प्यार होगा, तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो।” (यूह. 13:34, 35) पिछले कुछ सालों का इतिहास देखें, तो यह बात सच साबित हुई है। राष्ट्रों के लोग एक-दूसरे से युद्ध कर रहे थे, मगर यहोवा के सेवक ऐसे में भी एक-दूसरे से प्यार करते रहे। उदाहरण के लिए, दूसरे विश्व युद्ध में करीब 55 लाख लोग मारे गए। लेकिन यहोवा के लोगों ने युद्ध में किसी की जान नहीं ली। (मीका 4:1, 3 पढ़िए।) इससे वे “सब लोगों के खून से निर्दोष” रह पाए।—प्रेषि. 20:26.

4. यहोवा के लोगों में हो रही बढ़ोतरी क्यों गौर करने लायक है?

4 परमेश्वर के लोगों की गिनती दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, इसके बावजूद कि उनका एक ताकतवर दुश्मन है, शैतान। वह ‘इस दुनिया की व्यवस्था का ईश्वर’ है। (2 कुरिं. 4:4) शैतान इस दुनिया की सरकारों और मीडिया को अपने इशारों पर नचाता है। और इनके ज़रिए वह प्रचार काम रोकने की कोशिश करता है। लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हो सकता। फिर भी वह लोगों को सच्ची उपासना करने से रोकने की लगातार कोशिश कर रहा है, क्योंकि वह जानता है कि उसका थोड़ा ही वक्‍त बाकी रह गया है।—प्रका. 12:12.

दूसरों के गलती करने पर क्या आप वफादार रहेंगे?

5. किस वजह से कभी-कभी भाई-बहन शायद हमें ठेस पहुँचाएँ? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

5 परमेश्वर के लोगों को सिखाया जाता है कि यहोवा और लोगों से प्यार करना बहुत ज़रूरी है। यीशु ने कहा था, “‘तुझे अपने परमेश्वर यहोवा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान और अपने पूरे दिमाग से प्यार करना है।’ यही सबसे बड़ी और पहली आज्ञा है। और इसी की तरह यह दूसरी है, ‘तुझे अपने पड़ोसी से वैसे ही प्यार करना है जैसे तू खुद से करता है।’” (मत्ती 22:35-39) लेकिन बाइबल बताती है कि आदम के पाप की वजह से सभी इंसान जन्म से असिद्ध हैं। (रोमियों 5:12, 19 पढ़िए।) इसलिए कभी-कभी मंडली में शायद कोई कुछ ऐसा कह दे या कर दे जिससे हमारी भावनाओं को ठेस पहुँचे। ऐसे में हम क्या करेंगे? क्या यहोवा के लिए हमारा प्यार मज़बूत बना रहेगा? क्या हम उसके और उसके लोगों के वफादार रहेंगे? बाइबल हमें परमेश्वर के कुछ ऐसे सेवकों के बारे में बताती है, जिनकी बातों या कामों से दूसरों को ठेस पहुँची थी। आइए देखें कि उनके अनुभव से हम क्या सीख सकते हैं।

अगर आप एली और उसके बेटों के समय इसराएल में होते, तो आप कैसा रवैया दिखाते? (पैराग्राफ 6 देखिए)

6. एली किस मायने में अपने बेटों को ताड़ना देने से चूक गया?

6 इसराएल के महायाजक एली को ले लीजिए। उसके दो बेटे यहोवा का कानून नहीं मानते थे। बाइबल बताती है, ‘एली के पुत्र तो लुच्चे थे; उन्होंने यहोवा को न पहचाना।’ (1 शमू. 2:12) एली जानता था कि उसके बेटे बहुत बुरे काम कर रहे हैं। उसे उनको ताड़ना देनी चाहिए थी, मगर उसने ऐसा करने में ढिलायी बरती। इसलिए कुछ समय बाद, यहोवा ने एली और उसके बेटों को सज़ा दी। बाद में उसने एली के वंशजों में से किसी को भी महायाजक बनने का मौका नहीं दिया। (1 शमू. 3:10-14) अगर आप एली के समय में होते और आपको पता होता कि एली अपने बेटों के बुरे काम बरदाश्त कर रहा है, तो आप क्या करते? क्या इस वजह से आपका विश्वास कमज़ोर हो जाता और आप यहोवा की सेवा करना छोड़ देते?

7. दाविद ने कैसे गंभीर पाप किया और परमेश्वर ने उस बारे में क्या किया?

7 दाविद में बहुत अच्छे गुण थे और इसलिए यहोवा उससे बेहद प्यार करता था। (1 शमू. 13:13, 14; प्रेषि. 13:22) लेकिन एक वक्‍त पर दाविद ने बहुत बुरा काम किया। जब ऊरिय्याह युद्ध के लिए गया था, तब दाविद ने उसकी पत्नी बतशेबा के साथ लैंगिक संबंध रखे और वह गर्भवती हो गयी। दाविद चाहता था कि उसके इस काम की किसी के कानों में भनक भी न पड़े। इसलिए उसने ऊरिय्याह को हुक्म दिया कि वह उससे मिलने आए। फिर उसने ऊरिय्याह को अपने घर जाने के लिए कायल करने की कोशिश की। दाविद ने सोचा था कि ऊरिय्याह बतशेबा के साथ लैंगिक संबंध रखेगा और लोगों को लगेगा कि होनेवाले बच्चे का पिता ऊरिय्याह है। लेकिन ऊरिय्याह अपने घर नहीं गया। इसलिए दाविद ने ऊरिय्याह को युद्ध में मरवाने का इंतज़ाम किया। इन गंभीर पापों की वजह से दाविद और उसके परिवार को बहुत दुख झेलने पड़े। (2 शमू. 12:9-12) मगर यहोवा दयालु है, उसने दाविद को माफ कर दिया। वह जानता था कि कुल मिलाकर देखा जाए तो दाविद निर्दोष चाल चलनेवाला इंसान है। (1 राजा 9:4) अगर आप उस समय होते, तो आप दाविद के बारे में क्या सोचते? क्या आप यहोवा की सेवा करना छोड़ देते?

8. (क) पतरस अपनी बात पर कायम रहने से कैसे चूक गया? (ख) पतरस के गलती करने पर भी, यहोवा उसे क्यों सेवा का मौका देता रहा?

8 एक और मिसाल है पतरस की। यीशु ने उसे प्रेषित चुना था, फिर भी, उसने कई बार ऐसी बातें कहीं या ऐसे काम किए, जो सही नहीं थे। जैसे, पतरस ने कहा था कि चाहे हर कोई यीशु को छोड़ दे, मगर वह उसे कभी नहीं छोड़ेगा। (मर. 14:27-31, 50) लेकिन जब यीशु को गिरफ्तार किया गया, तो सभी प्रेषित उसे छोड़कर चले गए, पतरस भी। यहाँ तक कि उसने तीन बार इस बात से भी इनकार कर दिया कि वह यीशु को जानता है। (मर. 14:53, 54, 66-72) लेकिन बाद में पतरस को अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ। इसलिए यहोवा ने उसे माफ कर दिया और उसे सेवा का मौका देता रहा। अगर आप उस समय यीशु के चेले होते और आपको पता होता कि पतरस ने क्या किया है, क्या तब भी आप यहोवा के वफादार बने रहते?

9. आपको क्यों भरोसा है कि यहोवा हमेशा वही करता है जो सही है?

9 इन अनुभवों से पता चलता है कि यहोवा के कुछ सेवकों ने गलत काम किए और दूसरों को चोट पहुँचायी। आज ऐसा होते देखकर आप क्या करेंगे? क्या आप सभाओं में जाना बंद कर देंगे? यहाँ तक कि यहोवा और उसके लोगों से पूरी तरह नाता तोड़ लेंगे? या यह सोचेंगे कि यहोवा दयालु है और वह शायद इस इंतज़ार में हो कि गलती करनेवाला व्यक्ति पश्‍चाताप करे? लेकिन कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि गंभीर पाप करनेवाले व्यक्ति को अपने किए पर पछतावा न हो। तो क्या आप भरोसा रखेंगे कि यहोवा इस बारे में जानता है और वह सही वक्‍त पर ज़रूर कुछ-न-कुछ करेगा? अगर ज़रूरी हुआ, तो शायद वह उस व्यक्ति को मंडली से निकाल भी दे। क्या आपको विश्वास है कि यहोवा हमेशा वही करेगा जो सही है?

वफादार बने रहिए

10. यहूदा इस्करियोती और पतरस के गलती करने पर यीशु ने कैसा रवैया दिखाया?

10 बाइबल में हम ऐसे कई लोगों के बारे में पढ़ते हैं, जो उस वक्‍त भी यहोवा और उसके लोगों के वफादार बने रहे, जब उनके आस-पास के लोगों ने गंभीर पाप किए। यीशु इसकी उम्दा मिसाल है। उसने अपने पिता से पूरी रात प्रार्थना करने के बाद, 12 प्रेषितों को चुना था। उन्हीं में से एक था, यहूदा इस्करियोती। लेकिन बाद में इस प्रेषित ने उसके साथ गद्दारी की। पतरस ने भी कहा कि वह यीशु को नहीं जानता। (लूका 6:12-16; 22:2-6, 31, 32) इस तरह प्रेषितों ने यीशु का दिल दुखाया। लेकिन इस वजह से उसने यहोवा और उसके लोगों से नाराज़गी नहीं पाली। इसके बजाय, वह अपने पिता के करीब बना रहा और वफादारी से उसकी सेवा करता रहा। यहोवा ने इसका उसे इनाम दिया। उसने उसे दोबारा जी उठाया और बाद में उसे स्वर्ग के राज का राजा बनाया।—मत्ती 28:7, 18-20.

11. आज यहोवा के सेवकों के बीच जो हालात हैं, उस बारे में बाइबल में पहले से क्या बताया गया था?

11 यीशु की मिसाल से हम सीखते हैं कि हमें यहोवा और उसके लोगों के वफादार रहना चाहिए। ऐसा करने के हमारे पास वाजिब कारण हैं। हम साफ देख सकते हैं कि इन आखिरी दिनों में यहोवा अपने सेवकों का मार्गदर्शन कर रहा है। पूरी दुनिया में सच्चाई फैलाने में वह अपने लोगों की मदद कर रहा है। सिर्फ उसी के लोग ये काम कर रहे हैं। उनके बीच सच्ची एकता है और यहोवा उन्हें जो शिक्षा दे रहा है उसकी वजह से वे खुश हैं। इस बारे में यहोवा ने कहा था, “देखो, मेरे दास हर्ष के मारे जयजयकार करेंगे।”—यशा. 65:14.

12. दूसरों की खामियों को हमें किस नज़र से देखना चाहिए?

12 यहोवा के मार्गदर्शन और उसकी मदद की वजह से हम बहुत-से भले काम कर पाते हैं। इसलिए हम वाकई खुश हैं। लेकिन शैतान की दुनिया में लोग मानो मातम मना रहे हैं, क्योंकि हालात बद-से-बदतर होते जा रहे हैं। अब सोचिए, मंडली में किसी के कुछ गलत करने या कहने की वजह से अगर कोई यहोवा या मंडली को छोड़ता है, तो क्या यह सही होगा? क्या यह अक्लमंदी होगी? हरगिज़ नहीं! इसके बजाय, कितना ज़रूरी है कि हम यहोवा के वफादार बने रहें और उसका निर्देशन मानें। साथ ही, हम यह सीखें कि दूसरों की खामियों को हम किस नज़र से देखेंगे और कैसा रवैया दिखाएँगे।

आपको कैसा रवैया दिखाना चाहिए?

13, 14. (क) हमें एक-दूसरे के साथ क्यों सब्र से पेश आना चाहिए? (ख) हम कौन-सा वादा याद रखना चाहते हैं?

13 अगर कोई भाई या बहन कुछ ऐसा कहता या करता है जिससे आपकी भावनाओं को चोट पहुँचती है, तो आपको क्या करना चाहिए? बाइबल सलाह देती है, “अपने मन में उतावली से क्रोधित न हो, क्योंकि क्रोध मूर्खों ही के हृदय में रहता है।” (सभो. 7:9) हम सभी असिद्ध हैं और गलतियाँ करते हैं। इसलिए हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि हमारे भाई हमेशा सही बात कहेंगे और सही काम करेंगे। और उनकी गलतियों के बारे में सोचते रहने से भी हमें कुछ फायदा नहीं होगा। इसके बजाय, ऐसा करने से यहोवा की सेवा में हमारी खुशी छिन सकती है। इससे भी बदतर, उस पर हमारा विश्वास कमज़ोर हो सकता है और शायद हम यहोवा का संगठन ही छोड़ दें। तब हम यहोवा की सेवा नहीं कर सकते और न ही नयी दुनिया में जीने की उम्मीद कर सकते हैं।

14 तो फिर जब दूसरे कुछ ऐसा करते हैं जिससे आपको तकलीफ होती है, तब खुशी-खुशी यहोवा की सेवा करते रहने में क्या बात आपकी मदद करेगी? हमेशा यहोवा का यह वादा याद रखिए जो हमें दिलासा देता है, “देखो, मैं नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्न करता हूँ; और पहली बातें स्मरण न रहेंगी और सोच विचार में भी न आएँगी।” (यशा. 65:17; 2 पत. 3:13) यहोवा आपको यह आशीषें तभी देगा, जब आप उसके वफादार रहेंगे।

15. जब दूसरे गलती करते हैं तब हमें क्या करना चाहिए, इस बारे में यीशु ने क्या कहा?

15 बेशक अभी हम नयी दुनिया में नहीं हैं। इसलिए अगर कोई हमारी भावनाओं को चोट पहुँचाता है, तो हमें सोचना चाहिए कि यहोवा हमसे क्या उम्मीद करता है। उदाहरण के लिए, यीशु ने कहा था, “अगर तुम दूसरों के अपराध माफ करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें माफ करेगा। लेकिन अगर तुम दूसरों के अपराध माफ नहीं करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध माफ नहीं करेगा।” और फिर जब पतरस ने उससे पूछा कि क्या उन्हें दूसरों को “सात बार तक” माफ करना चाहिए, तब यीशु ने कहा, “मैं तुझसे कहता हूँ कि ‘सात बार तक’ नहीं, बल्कि सतहत्तर बार तक।” दरअसल यीशु ने सिखाया कि हमें दूसरों को माफ करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।—मत्ती 6:14, 15; 18:21, 22.

16. यूसुफ ने क्या बढ़िया मिसाल रखी?

16 यूसुफ पर ध्यान दीजिए। उसके उदाहरण से हम सीखते हैं कि जब दूसरे हमारा दिल दुखाते हैं, तो हमें कैसा रवैया दिखाना चाहिए। यूसुफ और उसका छोटा भाई, याकूब और राहेल के बेटे थे। यूसुफ के दस सौतेले भाई भी थे, मगर उसका पिता उससे सबसे ज़्यादा प्यार करता था। इसलिए उसके सौतेले भाई उससे बहुत जलते थे। यहाँ तक कि वे उससे इतनी नफरत करते थे कि उन्होंने उसे दास होने के लिए बेच दिया। और उसे मिस्र ले जाया गया। कई सालों बाद, मिस्र के राजा ने यूसुफ को उस देश का दूसरा शासक बना दिया, क्योंकि वह यूसुफ का अच्छा काम देखकर बहुत खुश था। बाद में अकाल की वजह से यूसुफ के भाई राशन-पानी खरीदने के लिए मिस्र आए। जब उन्होंने यूसुफ को देखा तो वे उसे पहचान नहीं पाए, लेकिन यूसुफ ने उन्हें पहचान लिया। हालाँकि उन्होंने उसके साथ बुरा सलूक किया था, लेकिन उसने उन्हें सज़ा नहीं दी। हाँ उसने उन्हें परखा ज़रूर, यह देखने के लिए कि क्या वे वाकई बदल गए हैं। जब यूसुफ ने यह देखा कि वे बदल गए हैं, तब उसने उन्हें बताया कि वह उनका भाई है। फिर उसने उनकी हिम्मत बँधायी। बाद में उसने कहा, “मत डरो; मैं तुम्हारा और तुम्हारे बाल-बच्चों का पालन-पोषण करता रहूँगा।”—उत्प. 50:21.

17. जब दूसरे गलती करते हैं, तब आप क्या करना चाहेंगे?

17 याद रखिए कि हर किसी में खामियाँ हैं। शायद आप भी किसी को चोट पहुँचाएँ। इसलिए अगर आपको लगता है कि आपने किसी को चोट पहुँचायी है, तो बाइबल की सलाह मानिए। उससे माफी माँगिए और उसके साथ शांति बनाने की कोशिश कीजिए। (मत्ती 5:23, 24 पढ़िए।) जब दूसरे हमें माफ करते हैं, तो हमें अच्छा लगता है। इसलिए हमें भी उन्हें माफ कर देना चाहिए। कुलुस्सियों 3:13 हमें बताता है, “अगर किसी के पास दूसरे के खिलाफ शिकायत की कोई वजह है, तो एक-दूसरे की सहते रहो और एक-दूसरे को दिल खोलकर माफ करो। जैसे यहोवा ने तुम्हें दिल खोलकर माफ किया है, वैसे ही तुम भी दूसरे को माफ करो।” अगर हम अपने भाइयों से प्यार करते हैं, तो हम उनकी किसी गलती को याद करके हमेशा दुखी नहीं रहेंगे। (1 कुरिं. 13:5) अगर हम दूसरों को माफ करेंगे, तो यहोवा हमें भी माफ करेगा। इसलिए जब दूसरे गलतियाँ करते हैं, तो आइए हम उन पर दया करें, ठीक जैसे हमारा पिता यहोवा हम पर दया करता है।भजन 103:12-14 पढ़िए।