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यहोवा हमारा कुम्हार है—क्या आप इसकी कदर करते हैं?

यहोवा हमारा कुम्हार है—क्या आप इसकी कदर करते हैं?

“हे यहोवा, . . . तू हमारा कुम्हार है, हम सब के सब तेरे हाथ के काम हैं।”—यशा. 64:8.

गीत: 11, 26

1. यहोवा सबसे महान कुम्हार क्यों है?

नवंबर 2010 में, इंग्लैंड के लंदन शहर में चीनी मिट्टी के एक गुलदस्ते की 4 अरब 60 करोड़ रुपए बोली लगायी गयी। वह गुलदस्ता 18वीं सदी का था। सच, एक कुम्हार मिट्टी जैसी मामूली चीज़ को बहुत खूबसूरत और महँगी चीज़ में बदल सकता है। यहोवा भी कुम्हार की तरह है और इस मामले में कोई उसकी बराबरी नहीं कर सकता। बाइबल कहती है कि यहोवा ने “भूमि की मिट्टी से” एक सिद्ध आदमी बनाया और उसमें ऐसी काबिलीयत डाली कि वह अपने बनानेवाले के गुण ज़ाहिर कर सके। (उत्प. 2:7) उस सिद्ध आदमी यानी आदम को “परमेश्वर का बेटा” कहा गया।—लूका 3:38.

2, 3. हम पश्‍चाताप करनेवाले इसराएलियों के जैसा रवैया कैसे दिखा सकते हैं?

2 जब आदम ने अपने बनानेवाले से बगावत की, तो वह परमेश्वर का बेटा होने का सम्मान खो बैठा। लेकिन आदम की बहुत-सी संतानों ने यहोवा को ही अपना शासक माना। (इब्रा. 12:1) नम्रता दिखाते हुए उन्होंने अपने सृष्टिकर्ता की आज्ञा मानी। इस तरह उन्होंने दिखाया कि वे चाहते हैं, यहोवा उनका पिता और कुम्हार हो, न कि शैतान। (यूह. 8:44) वे जिस तरह यहोवा के वफादार रहे, उससे हमें पश्‍चाताप करनेवाले इसराएलियों की याद आती है, जिन्होंने कहा, “हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम तो मिट्टी हैं, और तू हमारा कुम्हार है, हम सब के सब तेरे हाथ के काम हैं।”—यशा. 64:8.

3 आज भी यहोवा के सच्चे उपासकों की यही कोशिश रहती है कि वे नम्र बने रहें और उसकी आज्ञा मानें। वे यहोवा को अपना पिता मानना सम्मान समझते हैं। वे चाहते हैं कि वह उनका कुम्हार हो, यानी वह उन्हें ढाले। तो क्या हम नरम मिट्टी की तरह बनना चाहते हैं, जिसे ढालकर परमेश्वर खूबसूरत बरतन बना सकता है? क्या हम अपने हर भाई-बहन को इस नज़र से देखते हैं कि वह तरक्की कर रहा है, यानी परमेश्वर उसे अब भी ढाल रहा है? अब हम चर्चा करेंगे कि यहोवा जिन्हें ढालता है उन्हें वह किस आधार पर चुनता है, उन्हें क्यों ढालता है और यह कैसे करता है। इससे हम लोगों के बारे में सही नज़रिया बनाए रख पाएँगे।

यहोवा उन्हें चुनता है, जिन्हें वह ढालता है

4. यहोवा जिन्हें अपनी तरफ खींचता है, उन्हें वह किस आधार पर चुनता है? उदाहरण दीजिए।

4 यहोवा लोगों को उस तरह से नहीं देखता, जैसे हम देखते हैं। वह दिलों को जाँचता है और देखता है कि हममें से हर एक अंदर से कैसा इंसान है। (1 शमूएल 16:7ख पढ़िए।) यह बात उस वक्‍त साफ ज़ाहिर हुई, जब यहोवा ने मसीही मंडली की शुरूआत की थी। उसने बहुत-से ऐसे लोगों को अपनी तरफ और अपने बेटे की तरफ खींचा, जिन्हें शायद कुछ लोग नाकाबिल समझें। (यूह. 6:44) ऐसा ही एक आदमी था शाऊल, जो एक फरीसी था। वह “परमेश्वर की तौहीन करनेवाला और ज़ुल्म ढानेवाला गुस्ताख था।” (1 तीमु. 1:13) लेकिन यहोवा ने शाऊल का दिल जाँचा और उसे ऐसा नहीं लगा कि यह बेकार मिट्टी है। (नीति. 17:3) यहोवा ने देखा कि उसे ढालकर “चुना हुआ पात्र” बनाया जा सकता है, “जो गैर-यहूदियों, साथ ही राजाओं और इसराएलियों” को गवाही देगा। (प्रेषि. 9:15) यहोवा ने और भी लोगों को चुना, जिन्हें ढालकर ऐसे बरतनों की तरह बनाया गया, जो “आदर के काम के लिए” होते हैं। इनमें वे लोग भी थे, जो पहले पियक्कड़, अनैतिक काम करनेवाले और चोर थे। (रोमि. 9:21; 1 कुरिं. 6:9-11) जब उन्होंने शास्त्र का अध्ययन किया, तो यहोवा पर उनका विश्वास मज़बूत हुआ और उन्होंने यहोवा के हाथों खुद को ढलने दिया।

5, 6. यहोवा हमारा कुम्हार है और हमें उस पर भरोसा है, इसलिए (क) हमारे इलाके के लोगों की तरफ हमारा कैसा रवैया होना चाहिए? (ख) भाई-बहनों की तरफ हमारा कैसा रवैया होना चाहिए?

5 हमें भरोसा है कि यहोवा सही किस्म के लोगों को चुनने और उन्हें अपनी तरफ खींचने के काबिल है। इसलिए हमें अपने इलाके में या मंडली में किसी के बारे में कोई गलत राय कायम नहीं करनी चाहिए। एक उदाहरण पर गौर कीजिए। देखिए कि माइकल नाम के आदमी से जब यहोवा के साक्षी मिलते थे, तो वह उनके साथ कैसा व्यवहार करता था। वह कहता है, ‘मैं यहोवा के साक्षियों को देखते ही दरवाज़ा बंद कर लेता था और उन्हें इस तरह नज़रअंदाज़ कर देता था, जैसे उनका कोई वजूद ही नहीं है। मैं बड़ी रुखाई से पेश आता था! बाद में एक जगह मैं ऐसे परिवार से मिला जो बड़े अच्छे से पेश आ रहा था। इसके लिए मैंने उनकी तारीफ की। लेकिन एक दिन यह जानकर मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ कि वे यहोवा के साक्षी थे! उनका व्यवहार देखकर मैं यह सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिर मैं साक्षियों को क्यों पसंद नहीं करता। जल्द ही मुझे एहसास हो गया कि मैं उनके साथ जो व्यवहार कर रहा हूँ, उसकी कोई ठोस वजह नहीं है। मैं बस यूँ ही उन्हें नज़रअंदाज़ कर रहा हूँ और सुनी-सुनायी बातों पर यकीन कर रहा हूँ।’ माइकल और भी सच्चाई जानना चाहता था, इसलिए वह बाइबल अध्ययन करने लगा। कुछ समय बाद उसका बपतिस्मा हुआ और बाद में वह पायनियर सेवा करने लगा।

6 जब हम यह मानकर चलते हैं कि यहोवा हमारा कुम्हार है, तो हमारे भाई-बहनों की तरफ भी हमारा रवैया बदल जाता है। हम उन्हें इस नज़र से देखते हैं कि वे तरक्की कर रहे हैं। और यहोवा भी तो उन्हें ऐसे ही देखता है। वह देखता है कि वे अंदर से कैसे इंसान हैं। वह जानता है कि उनकी कमज़ोरियाँ बस कुछ दिनों की हैं। वह यह भी जानता है कि आगे चलकर हर कोई कैसा इंसान बन सकता है। (भज. 130:3) अगर हम अपने भाई-बहनों को सही नज़र से देखें, तो हम यहोवा की मिसाल पर चल रहे होंगे। और अगर हम तरक्की करने में उनकी मदद करें, तो मानो हम अपने कुम्हार के साथ काम कर रहे होंगे। (1 थिस्स. 5:14, 15) इस मामले में मंडली के प्राचीनों को बढ़िया मिसाल रखनी चाहिए।—इफि. 4:8, 11-13.

यहोवा हमें क्यों ढालता है?

7. यहोवा से मिलनेवाले अनुशासन की आप क्यों कदर करते हैं?

7 कुछ लोग शायद कहें, ‘मुझे अपने माता-पिता से जो अनुशासन मिला, उसकी अहमियत मैं तब तक पूरी तरह नहीं समझ पाया, जब तक मेरे अपने बच्चे नहीं हुए।’ जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हम अनुशासन की अहमियत समझने लगते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि यह प्यार का सबूत है। (इब्रानियों 12:5, 6, 11 पढ़िए।) सच, यहोवा हमसे अपने बच्चों की तरह प्यार करता है। इसीलिए वह सब्र से हमें अनुशासन देता है या हमें ढालता है। वह चाहता है कि हम बुद्धिमान हों और खुश रहें और उससे वैसे ही प्यार करें, जैसे अपने पिता से करते हैं। (नीति. 23:15) वह हमें दर्द में देखकर खुश नहीं होता और न ही वह यह चाहता है कि हम पश्‍चाताप न करनेवालों की तरह मौत के मुँह में चले जाएँ।—इफि. 2:2, 3.

8, 9. (क) आज यहोवा कैसे हमें सिखा रहा है? (ख) भविष्य में यह सिखाने का काम कैसे और बड़े पैमाने पर होगा?

8 यहोवा को जानने से पहले हममें शायद कई बुराइयाँ रही हों। लेकिन यहोवा ने हमें ढाला और बदलाव करने में हमारी मदद की। इसी का नतीजा है कि आज हममें कुछ बढ़िया गुण हैं। (यशा. 11:6-8; कुलु. 3:9, 10) हम आध्यात्मिक फिरदौस में जी रहे हैं। यह ऐसा अनोखा माहौल है, जो यहोवा हमारे दिनों में तैयार कर रहा है, ताकि वह हमें ढाल सके। इस माहौल में हम सुरक्षित महसूस करते हैं, इसके बावजूद कि हमारे चारों तरफ बुराई का बोलबाला है। कुछ ऐसे हैं जिनकी परवरिश ऐसे परिवारों में हुई जहाँ उन्हें कभी प्यार नहीं मिला, लेकिन आज उन्हें अपने भाई-बहनों से सच्चा प्यार मिल रहा है। (यूह. 13:35) हमने लोगों से प्यार करना सीखा है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि हम यहोवा को जान पाए हैं और हमें उससे एक पिता का प्यार मिला है।—याकू. 4:8.

9 नयी दुनिया में हम आध्यात्मिक फिरदौस से पूरा-पूरा फायदा पाएँगे। यही नहीं, परमेश्वर के राज में हम सचमुच के फिरदौस में भी ज़िंदगी का मज़ा लेंगे। उस वक्‍त भी यहोवा हमें ढालता और सिखाता रहेगा, वह भी इस तरह से जिसकी आज हम कल्पना भी नहीं कर सकते। (यशा. 11:9) और हाँ, यहोवा हमारे शरीर और हमारे दिमाग को सिद्ध बनाएगा। इससे हम उसकी हिदायतें आसानी से समझ पाएँगे और उन्हें पूरी तरह मान पाएँगे। तो आइए हम लगातार यहोवा को यह मौका देते रहें कि वह हमें ढाले। साथ ही, यह ज़ाहिर करते रहें कि हम उसके इस प्यार की कदर करते हैं।—नीति. 3:11, 12.

यहोवा हमें कैसे ढालता है?

10. यीशु ने कैसे दिखाया कि महान कुम्हार कितना कुशल और सब्र रखनेवाला है?

10 एक कुशल कुम्हार की तरह यहोवा हमें बहुत अच्छी तरह जानता है। वह हमारी कमज़ोरियाँ और हमारी हदें जानता है और यह भी कि हमने किस हद तक तरक्की की है। इन सब बातों को ध्यान में रखकर ही वह हर एक को ढालता है। (भजन 103:10-14 पढ़िए।) अगर हम यह गौर करें कि यीशु अपने प्रेषितों की कमज़ोरियाँ देखकर कैसे पेश आया, तो हम जान सकते हैं कि यहोवा हमें किस नज़र से देखता है। कभी-कभी प्रेषित बहस करते थे कि उनमें सबसे बड़ा कौन है। अगर आप उस समय होते, तो प्रेषितों का व्यवहार देखकर आप क्या सोचते? आप शायद सोचते कि वे नरम मिट्टी की तरह नहीं हैं। लेकिन यीशु ने उनके बारे में गलत राय कायम नहीं की। वह जानता था कि वह उन्हें प्यार से और सब्र दिखाते हुए जो सलाह दे रहा है, उसे अगर वे सुनेंगे और उसकी तरह नम्र बनेंगे, तो उन्हें ढाला जा सकता है। (मर. 9:33-37; 10:37, 41-45; लूका 22:24-27) यीशु के दोबारा ज़िंदा होने के बाद, प्रेषितों को परमेश्वर की पवित्र शक्ति मिली। अब वे इस बात पर ध्यान नहीं देते थे कि कौन सबसे बड़ा है, बल्कि उनका पूरा ध्यान उस काम पर लगा रहता था जो यीशु ने उन्हें सौंपा था।—प्रेषि. 5:42.

11. (क) दाविद ने कैसे दिखाया कि वह नरम मिट्टी की तरह है? (ख) हम उसकी मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?

11 आज यहोवा हमें बाइबल, अपनी पवित्र शक्ति और मंडली के ज़रिए ढालता है। लेकिन बाइबल के ज़रिए हम कैसे ढाले जा सकते हैं? हमें इसे पढ़ना होगा, जो हम पढ़ते हैं उस पर मनन करना होगा और सीखी हुई बातें लागू करने के लिए यहोवा से मदद लेनी होगी। राजा दाविद ने लिखा, “जब मैं बिछौने पर पड़ा तेरा स्मरण करूँगा, तब रात के एक एक पहर में तुझ पर ध्यान करूँगा।” (भज. 63:6) उसने यह भी लिखा, “मैं यहोवा को धन्य कहता हूँ, क्योंकि उस ने मुझे सम्मति दी है; वरन मेरा मन भी रात में मुझे शिक्षा देता है।” (भज. 16:7) जी हाँ, दाविद ने यहोवा की सलाह पर मनन किया, ताकि इससे उसके दिल की गहराइयों में छिपे विचार और भावनाएँ परमेश्वर की सोच के मुताबिक ढाली जा सकें। यहाँ तक कि उसने उस सलाह पर भी मनन किया, जिसे कबूल करना मुश्किल था। (2 शमू. 12:1-13) नम्रता दिखाने और आज्ञा मानने में दाविद ने हमारे लिए क्या ही बढ़िया मिसाल रखी। तो खुद से पूछिए, ‘जब मैं बाइबल पढ़ता हूँ, तो क्या मैं उस पर मनन करता हूँ, ताकि परमेश्वर की सलाह मेरे दिल की गहराइयों में छिपे विचारों और भावनाओं को छू सके? क्या मैं और भी ज़्यादा ऐसा कर सकता हूँ?’—भज. 1:2, 3.

12, 13. यहोवा पवित्र शक्ति और मसीही मंडली के ज़रिए कैसे हमें ढालता है?

12 पवित्र शक्ति कई तरीकों से हमें ढाल सकती है। मिसाल के लिए, इसकी मदद से हम मसीह के जैसी शख्सियत बना सकते हैं। इसका मतलब हम अपने अंदर पवित्र शक्ति के गुण पैदा कर सकते हैं। (गला. 5:22, 23) इसका एक गुण है, प्यार। हम परमेश्वर से प्यार करते हैं और उसकी आज्ञा मानना चाहते हैं और उसके हाथों ढलना चाहते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि उसकी आज्ञाएँ हमारे फायदे की हैं। यही नहीं, पवित्र शक्ति हमें ऐसी ताकत दे सकती है, जिससे हम इस दुनिया के साँचे में ढलने से बच सकें। (इफि. 2:2) जब प्रेषित पौलुस जवान था, तो वह घमंडी यहूदी धर्म-गुरुओं के रंग में रंगा हुआ था। लेकिन पवित्र शक्ति ने बदलाव करने में उसकी मदद की। बाद में उसने लिखा, “जो मुझे ताकत देता है, उसी से मुझे सब बातों के लिए शक्ति मिलती है।” (फिलि. 4:13) तो आइए हम भी पवित्र शक्ति की गुज़ारिश करते रहें, क्योंकि सच्चे दिल से की गयी हमारी बिनतियाँ यहोवा नज़रअंदाज़ नहीं करेगा।—भज. 10:17.

यहोवा मसीही प्राचीनों के ज़रिए हमें ढालता है, इसलिए हमें उनकी सलाह माननी चाहिए (पैराग्राफ 12, 13 देखिए)

13 यहोवा मंडली और प्राचीनों के ज़रिए भी हममें से हर एक को ढालता है। जैसे, अगर प्राचीनों को पता चलता है कि हम किसी कमज़ोरी से जूझ रहे हैं, तो वे हमारी मदद करने की कोशिश करते हैं। लेकिन वे अपने सोच-विचार के आधार पर हमें सलाह नहीं देते। (गला. 6:1) वे नम्रता दिखाते हुए बुद्धि और समझ के लिए यहोवा से प्रार्थना करते हैं। फिर वे बाइबल और हमारी किताबों-पत्रिकाओं में खोजबीन करते हैं, ताकि वे ऐसी जानकारी पा सकें जिससे हमें मदद मिलेगी। अगर प्राचीन आपके पास आते हैं और आपको प्यार से सलाह देते हैं, जैसे आपके पहनावे के बारे में, तो याद रखिए उनकी सलाह आपके लिए परमेश्वर के प्यार का सबूत है। जब आप उनकी सलाह मानते हैं, तो आप दिखा रहे होते हैं कि आप नरम मिट्टी की तरह हैं, जिसे यहोवा ढाल सकता है। इससे आपको ज़रूर फायदा होगा।

14. हमारा कुम्हार होने के नाते यहोवा को हम पर पूरा अधिकार है, फिर भी वह हमारी आज़ाद मरज़ी के लिए कैसे आदर दिखाता है?

14 अगर हम यह समझ लें कि यहोवा हमें कैसे ढालता है, तो हम अपने भाई-बहनों के साथ अच्छा रिश्ता बनाए रख पाएँगे। साथ ही, हम अपने इलाके के लोगों के बारे में भी सही नज़रिया रख पाएँगे, अपने बाइबल विद्यार्थियों के बारे में भी। एक कुम्हार को मिट्टी को ढालने से पहले, उसे साफ करना होता है और उसमें से कंकड़-पत्थर और दूसरी चीज़ें निकालनी होती हैं। उसी तरह महान कुम्हार यहोवा उन लोगों की मदद करता है, जो खुद को ढालना चाहते हैं। लेकिन वह किसी को बदलने के लिए ज़बरदस्ती नहीं करता, बल्कि उन्हें अपने नेक स्तर बताता है, ताकि वे खुद को शुद्ध कर सकें या अपने अंदर ज़रूरी बदलाव कर सकें।

15, 16. बाइबल विद्यार्थी कैसे दिखाते हैं कि वे चाहते हैं, यहोवा उन्हें ढाले? उदाहरण दीजिए।

15 गौर कीजिए कि ऑस्ट्रेलिया में रहनेवाली बहन टेसी के साथ क्या हुआ। वह बाइबल की शिक्षाएँ तो आराम से सीख रही थी। लेकिन उसने ज़्यादा तरक्की नहीं की। यहाँ तक कि वह सभाओं में भी नहीं जाती थी। जो बहन उसका अध्ययन कराती थी, उसने यहोवा से प्रार्थना की और फैसला किया कि वह अध्ययन बंद कर देगी। वह बहन कहती है, “लेकिन तभी हैरान कर देनेवाली बात हुई। मैंने सोचा कि यह उसके साथ आखिरी अध्ययन होगा, लेकिन उसी अध्ययन में टेसी ने मुझे बताया कि वह अभी तक तरक्की क्यों नहीं कर पायी। उसने कहा कि उसे लगता है वह दोहरी ज़िंदगी जी रही है, क्योंकि उसे जुआ खेलना बहुत अच्छा लगता है। लेकिन अब उसने ठान लिया है कि वह जुआ नहीं खेलेगी।”

16 कुछ ही समय बाद, टेसी सभाओं में जाने लगी और मसीह के जैसे गुण पैदा करने लगी, हालाँकि उसकी पहले की सहेलियाँ उसका मज़ाक उड़ाती थीं। कुछ समय बाद टेसी का बपतिस्मा हो गया और वह पायनियर सेवा करने लगी, इसके बावजूद कि उसके छोटे बच्चे थे। इससे पता चलता है कि जब बाइबल विद्यार्थी परमेश्वर को खुश करने के लिए अपने अंदर बदलाव करते हैं, तो परमेश्वर उनके करीब आता है और उन्हें ढालकर अनमोल बरतन की तरह बनाता है।

17. (क) यहोवा आपका कुम्हार है, इस नाते उसकी कौन-सी बात आपको अच्छी लगती है? (ख) ढालने के मामले में हम अगले लेख में क्या गौर करेंगे?

17 आज भी कुम्हार बड़े ध्यान से हाथ से मिट्टी को ढालकर खूबसूरत बरतन बनाते हैं। उसी तरह यहोवा हम पर बहुत ध्यान देता है, हमारे साथ सब्र दिखाता है और हमें सलाह देकर ढालता है और गौर से देखता है कि हम कैसा रवैया दिखाएँगे। (भजन 32:8 पढ़िए।) क्या आप देख सकते हैं कि यहोवा को आपकी कितनी फिक्र है? क्या आप देख सकते हैं कि वह कैसे ध्यान से आपको ढाल रहा है? अगर हाँ, तो कौन-से गुण नरम मिट्टी की तरह बने रहने में आपकी मदद करेंगे, ताकि यहोवा आपको ढाल सके? कौन-सी आदतों से आपको बचना चाहिए, ताकि आप सख्त मिट्टी न बनें जिसे ढाला नहीं जा सकता? और माता-पिता यहोवा के साथ कैसे काम कर सकते हैं, ताकि वह उनके बच्चों को ढाल सके? इन सवालों के जवाब अगले लेख में दिए जाएँगे।