प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण जून 2020

इस अंक में 3-30 अगस्त, 2020 के लिए अध्ययन लेख दिए गए हैं।

“तेरा नाम पवित्र किया जाए”

अध्ययन लेख 23: 3-9 अगस्त, 2020. इंसानों और स्वर्गदूतों के सामने कौन-सा अहम मसला है? यह मसला क्यों इतना अहम है? इस मसले को सुलझाने में हमारी क्या भूमिका है? इन सवालों के जवाब जानने से यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत होगा।

“मेरे मन को एक कर कि मैं तेरे नाम का डर मानूँ”

अध्ययन लेख 24: 10-16 अगस्त, 2020. इस लेख में हम उस बात पर गौर करेंगे जो राजा दाविद ने प्रार्थना में कही थी। यह बात भजन 86:11, 12 में दर्ज़ है। यहोवा नाम का डर मानने का क्या मतलब है? उस महान नाम के लिए हममें विस्मय और श्रद्धा क्यों होनी चाहिए? परमेश्‍वर का डर किस तरह हमें गलत काम करने से रोकता है?

आपने पूछा

क्या सिर्फ उन्हीं गुणों को “पवित्र शक्‍ति का फल” कहा जा सकता है, जिनका ज़िक्र गलातियों 5:22, 23 में किया गया है?

“मैं खुद अपनी भेड़ों को ढूँढ़कर लाऊँगा”

अध्ययन लेख 25: 17-23 अगस्त, 2020. कुछ मसीही सालों से यहोवा की सेवा कर रहे थे, मगर फिर वे मंडली से दूर चले गए। वह क्यों? उनके बारे में परमेश्‍वर कैसा महसूस करता है? इस लेख में हम इन सवालों के जवाब जानेंगे और यह भी सीखेंगे कि पुराने समय में यहोवा ने कैसे उन लोगों की मदद की, जो उससे दूर चले गए थे।

“मेरे पास लौट आओ”

अध्ययन लेख 26: 24-30 अगस्त, 2020. यहोवा चाहता है कि जिन लोगों ने सभाओं और प्रचार में जाना छोड़ दिया है वे उसके पास लौट आएँ। वह उनसे गुज़ारिश करता है, “मेरे पास लौट आओ।” हम भी ऐसे भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं। इस लेख में बताया जाएगा कि हम यह कैसे कर सकते हैं।