अध्ययन लेख 26
“मेरे पास लौट आओ”
“मेरे पास लौट आओ, तब मैं तुम्हारे पास लौट आऊँगा।”—मला. 3:7.
गीत 102 ‘कमज़ोरों की मदद करें’
लेख की एक झलक *
1. जब कोई यहोवा के पास लौट आता है तो उसे कैसा लगता है?
पिछले लेख में हमने चर्चा की थी कि यहोवा अपनी तुलना एक ऐसे चरवाहे से करता है जो अपनी हरेक भेड़ की प्यार से देखभाल करता है। और अगर एक भी भेड़ खो जाए तो वह उसे ढूँढ़ने निकल पड़ता है। ध्यान दीजिए कि जब इसराएलियों ने यहोवा की उपासना करना छोड़ दिया था, तब यहोवा ने उनसे कहा, “मेरे पास लौट आओ, तब मैं तुम्हारे पास लौट आऊँगा।” यहोवा बदला नहीं है। (मला. 3:6, 7) जो लोग उसे छोड़कर चले गए हैं उनके बारे में भी वह ऐसा ही महसूस करता है। यीशु ने कहा था कि जब इनमें से एक भी यहोवा के पास लौट आता है तो यहोवा को और स्वर्गदूतों को बहुत खुशी होती है।—लूका 15:10, 32.
2. इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?
2 अब हम यीशु की दी तीन मिसालों पर गौर करेंगे। इन मिसालों से हम सीखेंगे कि हम उन लोगों की मदद कैसे कर सकते हैं जो यहोवा से दूर चले गए हैं। हम यह भी देखेंगे कि उनकी मदद करने के लिए हममें कौन-से गुण होने चाहिए। इसके अलावा हम जानेंगे कि ऐसे लोगों की मदद करने से हमें कितनी खुशी मिलती है।
निष्क्रिय लोगों को ढूँढ़ने में मेहनत कीजिए
3-4. लूका 15:8-10 के मुताबिक औरत ने अपना सिक्का ढूँढ़ने के लिए क्यों इतनी मेहनत की?
3 हमें उन लोगों को ढूँढ़ने में बहुत मेहनत करनी होगी जो यहोवा के पास लौट आना चाहते हैं। यह बात हम यीशु की एक मिसाल से सीखते हैं जो लूका की किताब में दर्ज़ है। उस मिसाल में यीशु ने एक औरत के बारे में बताया जिसका चाँदी का एक सिक्का खो गया था। यह सिक्का बहुत कीमती था और उसे ढूँढ़ने के लिए उस औरत ने बहुत मेहनत की।—लूका 15:8-10 पढ़िए।
4 यीशु ने यह भी बताया कि जब उस औरत को अपना खोया हुआ सिक्का मिल गया तो उसे कितनी खुशी हुई। दरअसल यीशु के दिनों में कुछ यहूदी माँएँ अपनी बेटी को उसकी शादी के दिन दस चाँदी के सिक्के देती थीं। हो सकता है कि इस औरत को भी अपनी माँ से दस चाँदी के सिक्के मिले हों। खोया हुआ सिक्का शायद उनमें से एक था। उस औरत को लगा कि वह सिक्का ज़मीन पर कहीं गिर गया होगा। इसलिए वह दीया जलाकर उसे ढूँढ़ने लगी।
लेकिन कम रौशनी की वजह से उसे अपना सिक्का नहीं मिल रहा था। आखिर में उसने पूरे घर में झाड़ू लगायी। तब धूल में उसे चमकता हुआ वह सिक्का नज़र आया। सिक्का देखकर उसे कितनी राहत मिली! यह बात बताने के लिए उसने अपनी सहेलियों और पड़ोसिनों को बुलाया।5. निष्क्रिय लोगों को ढूँढ़ने में क्यों मेहनत लग सकती है?
5 यीशु की मिसाल से हम सीखते हैं कि जब कोई चीज़ खो जाती है तो उसे ढूँढ़ने में मेहनत लगती है। उसी तरह हमें भी उन लोगों को ढूँढ़ने में मेहनत करनी होगी जो निष्क्रिय हो गए हैं। शायद उन्हें सभाओं में आए कई साल हो गए हों। हो सकता है कि वे किसी दूसरे इलाके में जाकर रहने लगे हों और उस इलाके के भाई-बहन उन्हें नहीं जानते हों। पर अब उनमें से कुछ यहोवा के पास लौट आना चाहते हैं। वे फिर से अपने भाई-बहनों के साथ मिलकर यहोवा की सेवा करना चाहते हैं। लेकिन ऐसा करने में उन्हें हमारी मदद चाहिए।
6. निष्क्रिय लोगों को ढूँढ़ने में हम सब कैसे मदद कर सकते हैं?
6 निष्क्रिय लोगों को ढूँढ़ने में कौन मदद कर सकते हैं? हम सब मदद कर सकते हैं फिर चाहे हम प्राचीन हों, पायनियर हों, प्रचारक हों या उनके परिवार के सदस्य। शायद आपका कोई दोस्त या रिश्तेदार निष्क्रिय हो गया हो, या फिर आपको घर-घर प्रचार करते वक्त या सरेआम गवाही देते वक्त ऐसा कोई भाई या बहन मिला हो। आप उनकी मदद कैसे कर सकते हैं? उनसे कहिए कि अगर वे चाहते हैं कि कोई आकर उनसे मिले, तो आप उनका पता या फोन नंबर अपनी मंडली के प्राचीनों को दे सकते हैं।
7. थॉमस नाम के प्राचीन से आप क्या सीखते हैं?
7 खासकर प्राचीनों की ज़िम्मेदारी है कि वे निष्क्रिय लोगों को ढूँढ़ें। वे यह काम कैसे कर सकते हैं? स्पेन के रहनेवाले एक प्राचीन थॉमस * पर ध्यान दीजिए। उसने यहोवा के पास लौट आने में 40 से ज़्यादा भाई-बहनों की मदद की है। वह कहता है, “सबसे पहले मैं अलग-अलग भाई-बहनों से पूछता हूँ कि क्या वे किसी ऐसे प्रचारक को जानते हैं जो निष्क्रिय हो गया है। फिर मैं उनसे उस प्रचारक का नाम-पता पूछता हूँ। ज़्यादातर भाई-बहन खुशी-खुशी यह जानकारी देते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसे लोगों को ढूँढ़ने में वे भी हाथ बँटा रहे हैं। जब मैं उन भाई-बहनों से मिलता हूँ जो यहोवा से दूर चले गए हैं, तो मैं उनके बच्चों और रिश्तेदारों का हाल-चाल भी पूछता हूँ। इनमें से कुछ लोग सभाओं में अपने बच्चों को साथ लाते थे। शायद उनके बच्चे भी एक समय पर प्रचारक थे। यहोवा के पास लौट आने में हम उनकी भी मदद कर सकते हैं।”
यहोवा के पास लौटने में उनकी मदद कीजिए
8. लूका 15:17-24 में दी मिसाल में पिता अपने बेटे से कैसे पेश आया?
8 अगर हम किसी निष्क्रिय भाई-बहन की मदद करना चाहते हैं तो हममें कौन-से गुण होने चाहिए? यह जानने के लिए आइए यीशु की एक और मिसाल पर ध्यान दें, वह है खोए हुए बेटे की मिसाल। (लूका 15:17-24 पढ़िए।) उस मिसाल में यीशु ने बताया कि यह बेटा घर छोड़कर चला जाता है और ऐयाशी करता है। लेकिन जब उसकी अक्ल ठिकाने आती है तो वह घर लौट आता है। उसे देखते ही पिता दौड़कर उसे गले लगा लेता है। बेटे को अपने किए पर बहुत पछतावा है, इसलिए वह अपने पिता से कहता है कि वह उसका बेटा कहलाने के भी लायक नहीं है। यह सुनकर पिता का दिल भर आता है। वह उसका दर्द अच्छी तरह समझता है और उसे यकीन दिलाता है कि वह अब भी उससे बहुत प्यार करता है। वह उसे पहनने के लिए बढ़िया कपड़े देता है और उसके लौटने की खुशी में एक बड़ी दावत रखता है।
9. जो यहोवा से दूर चले गए हैं उनकी मदद करने के लिए हममें कौन-से गुण होने चाहिए? (“ उनकी मदद कैसे करें जो यहोवा के पास लौट आना चाहते हैं?” नाम का बक्स पढ़ें।)
9 यहोवा उस मिसाल में बताए पिता की तरह है। वह उन सभी भाई-बहनों से बहुत प्यार करता है जो उससे दूर चले गए हैं। वह चाहता कि वे उसके पास लौट आएँ। यहोवा की तरह हम भी उन भाई-बहनों की मदद करना चाहते हैं। इसके लिए ज़रूरी है कि हम उनके साथ प्यार और सब्र से पेश आएँ और उनसे हमदर्दी रखें। हम यह कैसे कर सकते हैं और ऐसा करना क्यों ज़रूरी है?
10. निष्क्रिय लोगों की मदद करने के लिए सब्र रखना क्यों ज़रूरी है?
10 हमें निष्क्रिय लोगों के साथ सब्र से पेश आना चाहिए, क्योंकि उन्हें दोबारा यहोवा के साथ रिश्ता मज़बूत करने में वक्त लगता है। जो भाई-बहन लौट आए हैं उनमें से कइयों ने कहा कि मंडली के भाई-बहन और प्राचीन बार-बार उनसे मिलने आते थे। तब जाकर वे मंडली में वापस आए। दक्षिण-पूर्वी एशिया की रहनेवाली बहन नैन्सी ने कहा, “मंडली की एक बहन मेरी अच्छी दोस्त है। उसने एक बड़ी बहन की तरह मेरी बहुत मदद की। वह मुझे याद दिलाती थी कि हमने साथ में कितने अच्छे पल बिताए। जब मैं उसे अपने दिल की बात बताती थी तो वह सब्र से मेरी सुनती थी। वह मुझे अच्छी सलाह भी देती थी। वह मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहती थी। उसने वाकई एक दोस्त होने का फर्ज़ निभाया।”
11. हमें उनके लिए क्यों हमदर्दी रखनी चाहिए जो चोट लगने की वजह से मंडली से दूर चले गए हैं?
11 हमदर्दी मरहम की तरह काम करती है। यह दिल के ज़ख्म भरने में मदद कर सकती है। कुछ भाई-बहन मंडली से इसलिए दूर चले गए हैं कि किसी ने उन्हें चोट पहुँचायी थी और सालों बाद भी वे उसे भुला नहीं पाए हैं। इस वजह से वे वापस नहीं आ पा रहे हैं। कुछ और भाई-बहनों को शायद लगा हो कि उनके साथ जो हुआ, ठीक नहीं हुआ। ऐसे में उन्हें कोई ऐसा चाहिए जो उनकी सुने और उनकी भावनाओं को समझे। (याकू. 1:19) मारिया नाम की बहन, जो एक समय पर निष्क्रिय थी, कहती है, “मैं चाहती थी कि कोई मेरी बात सुने, मुझे दिलासा दे और मेरा हाथ पकड़कर मुझे सही राह दिखाए।”
12. समझाइए कि यहोवा का प्यार कैसे एक डोरी की तरह है।
12 बाइबल में बताया गया है कि परमेश्वर का प्यार एक डोरी या रस्सी की तरह है। ऐसा क्यों कहा गया है? इसे समझने के लिए एक उदाहरण पर गौर कीजिए। मान लीजिए आप समुंदर में डूब रहे हैं। पानी बहुत ठंडा है और ऊँची-ऊँची लहरें उठ रही हैं। खुद को बचाने के लिए आप हाथ-पैर मार रहे हैं। इतने में कोई आपको देखता है और आपकी मदद करने के लिए एक होशे 11:4) आज जो लोग यहोवा को छोड़कर चले गए हैं उनके बारे में भी वह ऐसा ही महसूस करता है। वे मानो अपनी चिंताओं और परेशानियों में डूबे हुए हैं। यहोवा उन्हें यकीन दिलाना चाहता है कि वह अब भी उनसे बहुत प्यार करता है। वह चाहता है कि वे उसके पास लौट आएँ। यहोवा आपके ज़रिए उन्हें अपने प्यार का यकीन दिला सकता है।
लाइफ जैकेट फेंकता है। आप खुश होते हैं कि अब आप डूबेंगे नहीं। लेकिन बचने के लिए सिर्फ लाइफ जैकेट काफी नहीं है। आपको ठंडे पानी से बाहर भी निकलना होगा। इसके लिए ज़रूरी है कि कोई आपकी तरफ एक रस्सी फेंके और आपको खींचकर नाव में ले आए। यहोवा ने उन इसराएलियों के लिए कुछ ऐसा ही किया जो उससे दूर चले गए थे। उनके बारे में उसने कहा, “प्यार की डोरी से मैं उन्हें अपनी तरफ खींचता रहा।” (13. जो लोग यहोवा से दूर चले गए हैं, उन पर प्यार का क्या असर हो सकता है? एक उदाहरण दीजिए।
13 जो लोग यहोवा से दूर चले गए हैं, हमें उन्हें यकीन दिलाना चाहिए कि यहोवा अब भी उनसे प्यार करता है और भाई-बहन भी। भाई पाब्लो की मिसाल लीजिए, जिसका ज़िक्र पिछले लेख में आया था। वह करीब 30 साल से निष्क्रिय था। वह कहता है, “एक सुबह जब मैं घर से निकला तो एक बुज़ुर्ग बहन मुझे मिली। उन्होंने मुझसे बहुत प्यार से बात की। उनकी बातों का मुझ पर इतना असर हुआ कि मैं बच्चे की तरह रोने लगा। मैंने उनसे कहा, ‘ऐसा लगता है कि यहोवा ने ही आपको मेरे पास भेजा है।’ उस वक्त मैंने फैसला कर लिया कि मैं यहोवा के पास लौट आऊँगा।”
निष्क्रिय लोगों की प्यार से मदद कीजिए
14. लूका 15:4, 5 के मुताबिक खोयी हुई भेड़ मिलने पर चरवाहा क्या करता है?
14 हमें ऐसे भाई-बहनों की मदद करते रहना चाहिए जो मंडली से दूर चले गए हैं। खोए हुए बेटे की तरह उनकी ज़िंदगी में भी बहुत कुछ हुआ है। वे अपने बीते कल को याद करके अब भी दुखी हो जाते हैं। उनके लूका 15:4, 5 पढ़िए।
ज़ख्मों को भरने में वक्त लग सकता है। इसके अलावा शैतान की दुनिया में रहने की वजह से यहोवा के साथ उनका रिश्ता कमज़ोर पड़ गया है। हमें उनकी मदद करते रहना चाहिए ताकि यहोवा के साथ उनका रिश्ता फिर से मज़बूत हो सके। हम यह कैसे कर सकते हैं? आइए यीशु की एक और मिसाल पर गौर करें और वह है खोयी हुई भेड़ की मिसाल। इसमें यीशु ने समझाया कि खोयी हुई भेड़ मिलने पर चरवाहा क्या करता है। वह उसे अपने कंधों पर उठाकर वापस झुंड में ले आता है। चरवाहे ने भेड़ को ढूँढ़ने में पहले ही काफी समय और ताकत लगा दी थी। लेकिन जब उसने देखा कि भेड़ कमज़ोर है और खुद चलकर झुंड तक नहीं जा सकती, तो वह उसे प्यार से उठाकर वापस ले आता है।—15. निष्क्रिय भाई-बहनों की मदद करने के लिए हम क्या कर सकते हैं? (“ यहोवा के प्यार का सबूत” नाम का बक्स पढ़ें।)
15 निष्क्रिय लोगों की मदद करने में हमारा काफी समय और ताकत लग सकती है। शायद वे किसी समस्या का सामना कर रहे हों जिस वजह से उनके लिए यहोवा के पास लौट आना मुश्किल हो रहा हो। लेकिन यहोवा की पवित्र शक्ति, उसके वचन और प्रकाशनों से हम उनकी मदद कर सकते हैं ताकि यहोवा के साथ उनका रिश्ता फिर से जुड़ जाए। (रोमि. 15:1) हम यह कैसे कर सकते हैं? एक अनुभवी प्राचीन कहता है, “जब भाई-बहन यहोवा के पास लौट आने का फैसला करते हैं, तो उनमें से ज़्यादातर लोगों के साथ दोबारा बाइबल अध्ययन किया जाता है।” * इसलिए अगर आपसे किसी ऐसे भाई या बहन का अध्ययन कराने के लिए कहा जाता है तो ऐसा करने के लिए तैयार रहिए। यही भाई आगे कहता है, “जो प्रचारक ऐसे भाई-बहनों का अध्ययन कराते हैं, उन्हें एक ऐसा दोस्त बनना चाहिए जिस पर वे भरोसा कर सकते हैं और अपने दिल की बात बता सकते हैं।”
स्वर्ग में और धरती पर खुशियाँ
16. निष्क्रिय लोगों को ढूँढ़ने में स्वर्गदूत कैसे हमारी मदद करते हैं?
16 कई अनुभवों से पता चलता है कि निष्क्रिय लोगों को ढूँढ़ने में स्वर्गदूत भी हमारी मदद करते हैं। (प्रका. 14:6) इक्वाडोर के रहनेवाले सिलविओ का उदाहरण लीजिए। वह यहोवा के पास लौट आना चाहता था। इसलिए उसने गिड़गिड़ाकर यहोवा से बिनती की। वह प्रार्थना कर ही रहा था कि दो प्राचीनों ने उसके घर का दरवाज़ा खटखटाया। वे उसकी मदद करने में फौरन लग गए।
17. निष्क्रिय लोगों की मदद करने से हमें क्या फायदा होता है?
17 जब हम निष्क्रिय लोगों को यहोवा के पास लौट आने में मदद करते हैं तो हमें बहुत खुशी मिलती है। ध्यान दीजिए कि एक पायनियर भाई जो ऐसे लोगों की मदद करने के लिए बहुत मेहनत करता है, कहता है, “जब मैं उन लोगों के बारे में सोचता हूँ जो यहोवा के पास लौट आए हैं तो मेरी आँखों में आँसू आ जाते हैं। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि यहोवा इन भाई-बहनों को शैतान की दुनिया से बचाकर अपने पास वापस ले आया है। मेरे लिए यह एक सम्मान की बात है कि मैंने यहोवा के साथ मिलकर उनकी मदद की।”—प्रेषि. 20:35.
18. अगर आपने सभाओं में जाना और प्रचार करना बंद कर दिया है, तो आप किस बात का यकीन रख सकते हैं?
18 क्या आपने भी सभाओं में जाना और प्रचार करना बंद कर दिया है? अगर हाँ, तो यकीन रखिए कि यहोवा अब भी आपसे प्यार करता है। वह चाहता है कि आप उसके पास लौट आएँ। ऐसा करने के लिए आपको कुछ कदम उठाने होंगे। आपको काफी मेहनत करनी होगी। लेकिन यकीन रखिए, खोए हुए बेटे की मिसाल में बताए पिता की तरह यहोवा आपका इंतज़ार कर रहा है और वह खुशी-खुशी आपका स्वागत करेगा।
गीत 103 चरवाहे, आदमियों के रूप में तोहफे
^ पैरा. 5 यहोवा चाहता है कि जो लोग निष्क्रिय हो गए हैं यानी जिन लोगों ने सभाओं और प्रचार में जाना छोड़ दिया है वे उसके पास लौट आएँ। यहोवा उनसे गुज़ारिश करता है, “मेरे पास लौट आओ।” हम भी ऐसे भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं जो यहोवा के पास लौट आना चाहते हैं। इस लेख में बताया जाएगा कि हम यह कैसे कर सकते हैं।
^ पैरा. 7 कुछ नाम बदल दिए गए हैं।
^ पैरा. 15 कुछ भाई-बहनों के साथ अध्ययन करते वक्त परमेश्वर के प्यार के लायक बने रहिए किताब के कुछ हिस्सों पर चर्चा की जा सकती है। दूसरे भाई-बहनों के साथ यहोवा के करीब आओ किताब से अध्ययन किया जा सकता है। अध्ययन करते वक्त किताब के अध्यायों पर सिर्फ सरसरी नज़र डाली जा सकती है। इन भाई-बहनों का कौन अध्ययन कराएगा, यह मंडली सेवा-समिति तय करती है।
^ पैरा. 68 तसवीर के बारे में: तीन अलग-अलग भाई एक ऐसे भाई की मदद कर रहे हैं, जो यहोवा के पास लौट आना चाहता है। वे उससे बात करते रहते हैं, उसे यकीन दिलाते हैं कि भाई-बहन उससे प्यार करते हैं और वे ध्यान से उसकी सुनते हैं और उसकी भावनाओं को समझने की कोशिश करते हैं।