इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्ययन लेख 23

आप अकेले नहीं हैं, यहोवा आपके साथ है

आप अकेले नहीं हैं, यहोवा आपके साथ है

“यहोवा उन सबके करीब रहता है जो उसे पुकारते हैं।”​—भज. 145:18.

गीत 28 कौन है यहोवा का दोस्त?

लेख की एक झलक *

1. यहोवा के सेवक शायद किन वजहों से अकेला महसूस करें?

हम सबको कभी-न-कभी लगता है कि हम बहुत अकेले हैं। कुछ भाई-बहन इस भावना से जल्दी उबर जाते हैं पर कुछ को यह भावना इतना सताती है कि भीड़ में भी वे खुद को अकेला पाते हैं। कुछ लोग नयी मंडली में जाते हैं और वे वहाँ जल्दी दोस्त नहीं बना पाते। कुछ लोग ऐसे परिवारों से होते हैं जहाँ सब प्यार से रहते हैं। लेकिन अब वे अपने परिवार से दूर हैं, इसलिए खुद को अकेला महसूस करते हैं। कुछ भाई-बहनों के अज़ीज़ों की मौत हो गयी है और उन्हें उनकी कमी खलती है। कुछ लोग अभी-अभी मसीही बने हैं जिस वजह से उनके परिवारवालों और दोस्तों ने उन्हें छोड़ दिया है।

2. इस लेख में किन सवालों के जवाब दिए जाएँगे?

2 यहोवा हमारे बारे में सबकुछ जानता है। इसलिए जब हमें लगता है कि हमारा कोई नहीं है, तो उसे अच्छी तरह पता होता है कि हम पर क्या बीत रही है और वह हमारी मदद करना चाहता है। यहोवा हमारी मदद कैसे करता है? और जब हम अकेला महसूस करते हैं, तो हम क्या कर सकते हैं? मंडली में जो लोग खुद को अकेला पाते हैं, हम उनकी मदद कैसे कर सकते हैं? आइए इन सवालों के जवाब जानें।

यहोवा को अपने सेवकों की परवाह है

यहोवा ने अपना स्वर्गदूत भेजकर एलियाह को यकीन दिलाया कि वह अकेला नहीं है (पैराग्राफ 3 देखें)

3. यहोवा ने कैसे जताया कि उसे एलियाह की परवाह है?

3 यहोवा चाहता है कि उसके सभी सेवक खुश रहें। वह उनके करीब रहता है और जब वे दुखी और निराश होते हैं, तो उन पर ध्यान देता है। (भज. 145:18, 19) एलियाह का उदाहरण लीजिए। इसराएल के बड़े-बड़े लोग यहोवा के सेवकों को बुरी तरह सता रहे थे और वे एलियाह की जान के पीछे भी पड़े थे। (1 राजा 19:1, 2) एलियाह को शायद लगा होगा कि इसराएल में सिर्फ वही अकेला भविष्यवक्‍ता रह गया है। (1 राजा 19:10) यहोवा ने उसकी तकलीफ देखी और उसकी मदद करने के लिए तुरंत कदम उठाया। उसने अपना एक स्वर्गदूत भेजा जिसने एलियाह को भरोसा दिलाया कि वह अकेला नहीं है। इसराएल में अब भी बहुत-से लोग हैं जो यहोवा की सेवा कर रहे हैं।​—1 राजा 19:5, 18.

4. मरकुस 10:29, 30 से कैसे पता चलता है कि यहोवा को उन सेवकों की परवाह है जिनके अपनों ने उन्हें छोड़ दिया?

4 यहोवा जानता है कि जो उसके सेवक बनेंगे, उन्हें कुछ त्याग करने पड़ेंगे। शायद उनके परिवारवाले और दोस्त उनका साथ छोड़ दें। पतरस भी इस बात को जानता था, इसलिए उसने एक बार यीशु से पूछा, “हम तो सबकुछ छोड़कर तेरे पीछे चल रहे हैं, हमें क्या मिलेगा?” (मत्ती 19:27) यीशु ने वादा किया कि उसके चेलों को एक बड़ा परिवार मिलेगा। मंडली के भाई-बहन उनके परिवार होंगे। (मरकुस 10:29, 30 पढ़िए।) यहोवा भी वादा करता है कि जो उसकी सेवा करते हैं, उनका साथ वह कभी नहीं छोड़ेगा। (भज. 9:10) अब आइए देखें कि अकेलेपन की भावना से लड़ने के लिए आप क्या कर सकते हैं।

जब आप अकेला महसूस करें, तो आप क्या कर सकते हैं?

5. आपको किस बात पर मनन करना चाहिए और क्यों?

5 मनन कीजिए कि यहोवा किस तरह आपको सँभाल रहा है।  (भज. 55:22) इससे आपको यकीन हो जाएगा कि आप अकेले नहीं हैं। कैरल * नाम की एक अविवाहित बहन की बात पर ध्यान दीजिए जो सच्चाई में अकेली है। वह कहती है, “जब मैं बीते दिनों के बारे में सोचती हूँ, तो मुझे एहसास होता है कि मैं मुश्‍किलों में अकेली नहीं थी। यहोवा मेरे साथ था। उसने मुझे तब सँभाला और आगे भी सँभालेगा।”

6. जो लोग अकेलेपन की भावना से लड़ रहे हैं, उन्हें 1 पतरस 5:9, 10 से क्या हौसला मिलता है?

6 सोचिए कि यहोवा उन भाई-बहनों की कैसे मदद कर रहा है जो अकेले हैं।  (1 पतरस 5:9, 10 पढ़िए।) हीरोशी नाम का एक भाई सालों से सच्चाई में अकेला है। वह कहता है, “मंडली में हर भाई या बहन की ज़िंदगी में कोई-न-कोई तकलीफ है, मगर सब लोग यहोवा की सेवा करने की पूरी कोशिश करते हैं। इस बात से मेरे जैसे लोगों का बहुत हौसला बढ़ता है जो सच्चाई में अकेले हैं।”

7. प्रार्थना करने से आपको क्या मदद मिलेगी?

7 लगातार प्रार्थना कीजिए, बाइबल पढ़िए और सभाओं में जाइए।  यहोवा को खुलकर अपने दिल की बात बताइए। (1 पत. 5:7) मिशैल नाम की एक जवान बहन जब सच्चाई सीख रही थी, तो उसके परिवारवालों ने उसका विरोध किया। उसे लगा कि वह अकेली हो गयी है। उसने कहा, “प्रार्थना से मुझे बहुत मदद मिली। यहोवा मेरे लिए पिता जैसा था। मैं गिड़गिड़ाकर उससे बिनती करती थी और उसे सबकुछ बताती थी। मैं दिन में कई बार प्रार्थना करती थी।”

बाइबल और दूसरे प्रकाशनों की ऑडियो रिकॉर्डिंग सुनने से कुछ लोगों का अकेलापन दूर होता है (पैराग्राफ 8 देखें) *

8. बाइबल पढ़ने और मनन करने से आपको क्या मदद मिलेगी?

8 हर दिन बाइबल पढ़िए और उन हिस्सों पर मनन कीजिए जिससे पता चलता है कि यहोवा आपसे प्यार करता है। बियांका नाम की बहन को सच्चाई की वजह से अपने परिवारवालों से ताने सुनने पड़ते हैं। वह कहती है, “बाइबल के किस्सों और भाई-बहनों की जीवन कहानियाँ पढ़ने से और उनके बारे में सोचने से मैं अपने हालात से लड़ पाती हूँ।” कुछ भाई-बहनों को बाइबल की आयतों से बहुत दिलासा मिलता है, इसलिए वे उन्हें मुँह-ज़बानी याद करते हैं जैसे, भजन 27:10 और यशायाह 41:10. दूसरे भाई-बहन सभाओं की तैयारी करते वक्‍त या बाइबल पढ़ते वक्‍त ऑडियो रिकॉर्डिंग सुनते हैं। इस तरह उनका अकेलापन दूर होता है।

9. सभाओं में जाने से आपको क्या फायदा होगा?

9 लगातार सभाओं में हाज़िर होइए। इससे आपका हौसला बढ़ेगा और आप भाई-बहनों को अच्छे-से जान पाएँगे। (इब्रा. 10:24, 25) मिशैल, जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, कहती है, “मैं बहुत शर्मीली थी। फिर भी मैंने सोच लिया था कि मैं हर सभा में जाऊँगी और जवाब भी दूँगी। इससे मुझे लगने लगा कि मंडली के भाई-बहन मेरे अपने हैं।”

10. मंडली के भाई-बहनों से दोस्ती करना क्यों ज़रूरी है?

10 भाई-बहनों से दोस्ती कीजिए।  मंडली में उन लोगों से दोस्ती कीजिए जिनसे आप अच्छी बातें सीख सकते हैं, फिर चाहे उनकी उम्र या संस्कृति आपसे अलग क्यों न हो। बाइबल बताती है, ‘बुद्धि, बड़े-बूढ़ों में पायी जाती है।’ (अय्यू. 12:12) बुज़ुर्ग लोग भी जवान लोगों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। दाविद और योनातान की उम्र में बहुत बड़ा फर्क था, फिर भी उनमें गहरी दोस्ती थी। (1 शमू. 18:1) उनकी ज़िंदगी में बहुत सारी मुश्‍किलें आयीं, पर उन्होंने यहोवा की सेवा करते रहने में एक-दूसरे की मदद की। (1 शमू. 23:16-18) आइरीना, जो सच्चाई में अकेली है, कहती है, “मंडली के भाई-बहन हमारे माता-पिता और भाई-बहन जैसे बन सकते हैं। उनके ज़रिए यहोवा हमारी हर कमी पूरी कर सकता है।”

11. अच्छे दोस्त बनाने के लिए क्या करना ज़रूरी है?

11 नए दोस्त बनाना आसान नहीं होता, खासकर अगर आप शर्मीले हों। रतना नाम की एक बहन भी शर्मीली थी। उसने विरोध के बावजूद सच्चाई सीखी। वह कहती है, “मुझे एहसास हुआ कि मुझे मंडली के भाई-बहनों का सहारा चाहिए था।” यह सच है कि किसी भाई या बहन को अपने मन की बात बताना आसान नहीं होता। लेकिन अगर आप उसे बताते हैं, तो वह आपका अच्छा दोस्त बन सकता है। मंडली के भाई-बहन आपकी मदद करना चाहते हैं, आपका हौसला बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन वे तभी मदद कर पाएँगे, जब आप उन्हें अपनी परेशानी बताएँगे।

12. दोस्त बनाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है और क्यों?

12 दोस्त बनाने का सबसे अच्छा तरीका है, भाई-बहनों के साथ प्रचार करना। कैरल, जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, कहती है, “मैंने अलग-अलग बहनों के साथ प्रचार किया और यहोवा की सेवा में दूसरे काम किए। इस तरह कई सारी बहनें मेरी अच्छी दोस्त बनीं। यहोवा ने इन दोस्तों के ज़रिए हमेशा मुझे सँभाला।” भाई-बहनों से दोस्ती करना अच्छी बात है। क्योंकि जब आप निराश होते हैं और अकेला महसूस करते हैं, तो यहोवा इन दोस्तों के ज़रिए आपका हौसला बढ़ाता है।​—नीति. 17:17.

एहसास दिलाइए कि हम उनके परिवार जैसे हैं

13. मंडली में हम सबकी क्या ज़िम्मेदारी बनती है?

13 मंडली में हम सबकी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम शांति और प्यार का माहौल बनाए रखें, ताकि किसी को यह न लगे कि वह बिलकुल अकेला है। (यूह. 13:35) हम जो कहते और करते हैं उससे दूसरों का हौसला बढ़ता है। एक बहन बताती है, “जब मैंने सच्चाई सीखी तो मंडली के भाई-बहन मेरा परिवार बन गए। मुझे नहीं लगता कि मैं उनकी मदद के बिना यहोवा की एक साक्षी बन पाती।” अगर आपकी मंडली में कोई सच्चाई में अकेला है, तो आप क्या कर सकते हैं ताकि उसे लगे कि भाई-बहन उससे प्यार करते हैं?

14. नए लोगों से दोस्ती करने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

14 नए लोगों से दोस्ती कीजिए।  हमें प्यार से मंडली में नए लोगों का स्वागत करना चाहिए। जैसे, बाइबल विद्यार्थी, वे भाई-बहन जो दूसरी मंडली से हमारी मंडली में आ गए हैं और जिनका अभी-अभी बपतिस्मा हुआ है। (रोमि. 15:7) लेकिन सिर्फ हाई-हैलो कहने के बजाय, उनमें सच्ची दिलचस्पी लीजिए और उनसे दोस्ती करने की कोशिश कीजिए। ध्यान रहे कि आप ऐसा कुछ न कहें जिससे वे शर्मिंदा हो जाएँ। कुछ नए लोग शायद खुलकर अपने मन की बात न बताएँ, इसलिए उनसे ज़्यादा पूछताछ मत कीजिए। इसके बजाय सोच-समझकर सवाल कीजिए। जैसे आप पूछ सकते हैं कि उन्होंने सच्चाई कैसे सीखी। और जब वे कुछ बताते हैं, तो ध्यान से उनकी सुनिए।

15. अनुभवी भाई-बहन मंडली में किस तरह दूसरों की मदद कर सकते हैं?

15 जब प्राचीन और अनुभवी भाई-बहन सबकी परवाह करते हैं, तो भाई-बहनों का विश्‍वास मज़बूत होता है। मैलिसा के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। उसकी माँ ने अकेले सच्चाई में उसकी परवरिश की थी। मैलिसा कहती है, “मंडली के भाई मेरे पिता जैसे थे। जब-जब मुझे उनकी ज़रूरत थी, वे मुझे अपना समय देते थे और ध्यान से मेरी सुनते थे। मैं उनका बहुत एहसान मानती हूँ।” एक जवान भाई मौरिसियो का उदाहरण लीजिए। उसे बहुत दुख हुआ जब उस भाई का जोश ठंडा पड़ गया जिसने उसका अध्ययन कराया था। वह खुद को बहुत अकेला महसूस करने लगा। वह कहता है, “इस दौरान प्राचीनों ने मुझे बहुत सँभाला। वे लगातार मुझसे बात करते थे, मेरे साथ प्रचार करते थे, अपने निजी अध्ययन से जो सीखते थे मुझे बताते थे और हम साथ में मज़े भी करते थे।” आज मैलिसा और मौरिसियो दोनों पूरे समय की सेवा कर रहे हैं।

अगर आपकी मंडली में कोई अकेला है, तो उसके साथ वक्‍त बिताइए, उसे अच्छा लगेगा (पैराग्राफ 16-19 देखें) *

16-17. दूसरों की मदद करने के लिए और क्या किया जा सकता है?

16 दूसरे तरीकों से मदद कीजिए।  (गला. 6:10) लियो नाम का एक भाई, जो अपने घर से दूर एक दूसरे देश में मिशनरी सेवा कर रहा है, कहता है, “कभी-कभी दूसरों की मदद के लिए हमें कोई बड़ी चीज़ करने की ज़रूरत नहीं है। अगर हम सही समय पर ज़रा-सी भी मदद कर दें, तो उससे बहुत फर्क पड़ जाता है। मुझे याद है कि एक बार गाड़ी से मेरा एक्सीडेंट हो गया था। जब तक मैं घर लौटा, मैं बहुत थका हुआ और परेशान था। लेकिन तभी एक पति-पत्नी ने मुझे अपने घर खाने पर बुलाया। उन्होंने कहा, ‘घर पर जो भी बना है हम सब मिल-बाँटकर खा लेंगे।’ उस शाम हमने क्या खाया वह मुझे याद तो नहीं है, पर यह याद है कि उन्होंने मेरी बात ध्यान से सुनी। उनसे बात करके मेरा मन हलका हो गया।”

17 सम्मेलन और अधिवेशन खुशी के मौके होते हैं। उस वक्‍त हम भाई-बहनों के साथ होते हैं और उनके साथ कार्यक्रम के बारे में बात करते हैं। लेकिन कैरल, जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, कहती है, “सम्मेलनों और अधिवेशनों में हाज़िर होना मेरे लिए आसान नहीं होता। भले ही इन मौकों पर बहुत सारे भाई-बहन होते हैं, लेकिन वे अपने-अपने परिवारों के साथ होते हैं। उन्हें साथ में देखकर मुझे लगता है कि मेरा कोई नहीं है।” कुछ और भाई-बहन अपने जीवन-साथी की मौत के बाद पहली बार अधिवेशन या सम्मेलन में आते हैं। अपने जीवन-साथी के बगैर हाज़िर होना इन भाई-बहनों के लिए मुश्‍किल होता है। क्या आप किसी भाई या बहन को जानते हैं जो ऐसे किसी मुश्‍किल हालात से गुज़र रहा है? अगर हाँ, तो क्यों न आप उसे अगले सम्मेलन या अधिवेशन में अपने परिवार के साथ बिठाएँ?

18. जब आप भाई-बहनों के साथ वक्‍त बिताने की सोचते हैं, तो आप क्या बात ध्यान में रख सकते हैं? (2 कुरिंथियों 6:11-13)

18 साथ मिलकर वक्‍त बिताइए।  अलग-अलग भाई-बहनों के साथ वक्‍त बिताइए, खासकर उनके साथ जो खुद को बहुत अकेला महसूस करते हैं। बाइबल बताती है कि “अपने दिलों को बड़ा” करना ज़रूरी है। (2 कुरिंथियों 6:11-13 पढ़िए।) मैलिसा, जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, कहती है, “जब मंडली के दोस्त हमें अपने घर बुलाते थे या हम साथ मिलकर छुट्टियाँ मनाने जाते थे, तो हमें बहुत मज़ा आता था।” क्या आपकी मंडली में ऐसा कोई है जिसके साथ आप वक्‍त बिता सकते हैं?

19. भाई-बहनों के साथ वक्‍त बिताना खासकर कब अच्छा होगा?

19 कुछ भाई-बहन खुद को तब अकेला पाते हैं जब उनके परिवारवाले झूठे धार्मिक त्योहार मनाते हैं। और कुछ भाई-बहनों के लिए वह दिन काटना बहुत मुश्‍किल होता है, जिस दिन उनके जीवन-साथी की मौत हुई थी। ऐसे में अगर हम उनके साथ वक्‍त बिताएँगे तो उन्हें अच्छा लगेगा। उन्हें लगेगा कि हमें ‘सच्चे दिल से उनकी परवाह है।’​—फिलि. 2:20.

20. जब हम अकेला महसूस करते हैं, तो मत्ती 12:48-50 के शब्दों से हमें क्या हौसला मिलता है?

20 हम सबको अलग-अलग कारणों से अकेलापन महसूस होता है। लेकिन हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि यहोवा हमारी भावनाएँ समझता है। वह अकसर भाई-बहनों के ज़रिए हमारी मदद करता है। (मत्ती 12:48-50 पढ़िए।) जब हमें उनसे मदद मिलती है तो बदले में हम उन भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं, जिन्हें हमारी ज़रूरत है। हमें कभी नहीं सोचना चाहिए कि हम अकेले हैं क्योंकि यहोवा हमेशा हमारे साथ है।

गीत 46 तेरा एहसान मानते यहोवा

^ पैरा. 5 क्या कभी-कभी आपको लगता है कि आप बिलकुल अकेले हैं? अगर हाँ, तो यकीन रखिए कि यहोवा आपकी तकलीफ जानता है और आपकी मदद करना चाहता है। इस लेख में बताया जाएगा कि आप अकेलेपन की भावना से लड़ने के लिए क्या कर सकते हैं। इसमें यह भी चर्चा की जाएगी कि उन भाई-बहनों की मदद करने के लिए क्या किया जा सकता है जो खुद को अकेला महसूस करते हैं।

^ पैरा. 5 कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

^ पैरा. 60 तसवीर के बारे में: एक भाई जिसकी पत्नी की मौत हो चुकी है, बाइबल और दूसरे प्रकाशनों की ऑडियो रिकॉर्डिंग सुन रहा है।

^ पैरा. 62 तसवीर के बारे में: एक भाई अपनी बेटी के साथ मंडली के एक बुज़ुर्ग भाई से मिलने आया है और उनके लिए कुछ लाया है।