अध्ययन लेख 26
यहोवा का प्यार दिलाए डर पर जीत!
“यहोवा मेरी तरफ है, मैं नहीं डरूँगा।”—भज. 118:6.
गीत 105 “परमेश्वर प्यार है”
एक झलक *
1. कुछ भाई-बहनों को किन बातों का डर था?
कुछ भाई-बहनों पर ध्यान दीजिए जिन्हें किसी-न-किसी बात का डर था। नेस्टर और उसकी पत्नी मारिया ऐसी जगह जाकर सेवा करना चाहते थे जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। * लेकिन इसके लिए उन्हें कई बदलाव करने पड़ते और कम पैसों में गुज़ारा करना पड़ता। उन्हें डर था कि इस तरह जीकर वे खुश नहीं रह पाएँगे। बिनियम एक ऐसे देश में रहता है जहाँ हमारे काम का विरोध किया जाता है। जब वह एक साक्षी बना, तो उसे डर था कि एक दिन उस पर भी ज़ुल्म किए जाएँगे। पर इससे ज़्यादा उसे यह डर था कि जब उसके घरवालों को पता चलेगा कि वह साक्षी बन गया है, तो वे क्या कहेंगे। वैलेरी को कैंसर हो गया था और वह बहुत तेज़ी से उसके शरीर में फैल रहा था। वह एक ऐसे डॉक्टर को ढूँढ़ने की बहुत कोशिश कर रही थी जो बिना खून के उसका इलाज कर सके। उसे डर था कि अब वह ज़्यादा दिन नहीं जी पाएगी।
2. हमें अपने डर पर क्यों काबू करना चाहिए?
2 हममें से कई लोग ऐसे हालात का सामना करते हैं और हमें डर लगता है। पर अगर हम अपने डर पर काबू न करें, तो हम गलत फैसले ले सकते हैं। इससे यहोवा के साथ हमारा रिश्ता भी खराब हो सकता है। शैतान भी यही चाहता है। वह यह भी चाहता है कि हम डर के मारे प्रचार करना छोड़ दें और यहोवा की दूसरी आज्ञाएँ भी न मानें। (प्रका. 12:17) वह बहुत दुष्ट है और उसके पास बहुत ताकत है। फिर भी हम उसके झाँसे में आने से बच सकते हैं। वह कैसे?
3. हम अपने डर पर कैसे काबू कर सकते हैं?
3 हमें पक्का यकीन रखना चाहिए कि यहोवा हमसे प्यार करता है और वह हमेशा हमारा साथ देगा। तब हम शैतान के झाँसे में नहीं आएँगे और डरेंगे नहीं। (भज. 118:6) ज़रा भजन 118 के रचयिता के बारे में सोचिए। उसने कई मुश्किलों का सामना किया। उसके बहुत-से दुश्मन थे और उनमें से कई तो बड़े-बड़े लोग थे। (आयत 9, 10) वह बहुत परेशान था (आयत 13) और एक बार तो यहोवा ने उसे फटकार भी लगायी (आयत 18)। लेकिन वह जानता था कि यहोवा उससे प्यार करता है और वह कभी उसका साथ नहीं छोड़ेगा, इसलिए उसने कहा, “मैं नहीं डरूँगा।” उसे पूरा यकीन था कि चाहे जो हो जाए यहोवा हमेशा उसकी मदद करेगा।—भज. 118:29.
4. जब हमें यकीन होगा कि परमेश्वर हमसे प्यार करता है, तो हम किन बातों के बारे में सोचकर नहीं डरेंगे?
4 यहोवा हममें से हरेक से प्यार करता है। जब हमें इस बात का पक्का यकीन होगा, तो हम अपने डर पर काबू कर पाएँगे। हम परिवार की ज़रूरतों के बारे में सोचकर नहीं डरेंगे, दूसरे लोगों से नहीं डरेंगे और हमें मौत से भी डर नहीं लगेगा। जिन भाई-बहनों के बारे में हमने शुरू में बात की, उन्हें भी इस बात का यकीन था कि यहोवा उनसे प्यार करता है। इसी वजह से वे अपने डर पर काबू कर पाए।
परिवार की ज़रूरतों के बारे में सोचकर
5. एक मुखिया को किस बात की चिंता हो सकती है? (बाहर दी तसवीर देखें।)
5 यहोवा चाहता है कि एक मुखिया अपने परिवार की अच्छी तरह देखभाल करे। (1 तीमु. 5:8) हो सकता है, हाल में हुई महामारी के दौरान आपको यह सोचकर चिंता हुई हो कि कहीं आपकी नौकरी ना छूट जाए। शायद आपने सोचा हो, ‘अगर यह नौकरी चली गयी तो पता नहीं क्या होगा, दूसरी मिलेगी भी कि नहीं? मैं अपने परिवार की ज़रूरतें कैसे पूरी करूँगा? घर की किश्तें कैसे चुकाऊँगा? या किराया कैसे दूँगा?’ या शायद नेस्टर और मारिया की तरह आप भी और ज़्यादा सेवा करना चाहते हों पर आपको डर हो कि आप कम पैसों में गुज़ारा नहीं कर पाएँगे। दुख की बात है कि शैतान ने इस डर का फायदा उठाया है, जिस वजह से बहुत-से भाई-बहन जोश से यहोवा की सेवा नहीं कर पा रहे हैं।
6. शैतान हमारे मन में क्या डालना चाहता है?
6 शैतान चाहता है कि हम सोचें कि यहोवा को हमारी परवाह नहीं है और वह हमारे परिवार की ज़रूरतें पूरी नहीं करेगा, जो करना है हमें खुद ही करना होगा। इसलिए हमें लगने लग सकता है कि हमारी नौकरी ही सबकुछ है और हमें किसी भी कीमत पर इसे हाथ से नहीं जाने देना चाहिए, फिर चाहे हमें बाइबल सिद्धांतों को नज़रअंदाज़ ही क्यों न करना पड़े।
7. यीशु ने हमें किस बात का यकीन दिलाया?
7 यीशु यहोवा को सबसे अच्छी तरह जानता है और उसने हमें यकीन दिलाया है कि यहोवा ‘हमारे माँगने से पहले ही जानता है कि हमें किन चीज़ों की ज़रूरत है।’ (मत्ती 6:8) यीशु को पूरा भरोसा था कि यहोवा अपने सेवकों की ज़रूरतें पूरी करेगा। हम सब यहोवा के परिवार का हिस्सा हैं और वह हमारा मुखिया है। अगर वह चाहता है कि सभी परिवार के मुखिया 1 तीमुथियुस 5:8 में दिया सिद्धांत मानें, तो हम यकीन रख सकते हैं कि वह खुद भी इस सिद्धांत को मानेगा।
8. (क) अगर हमें परिवार की ज़रूरतों के बारे में सोचकर चिंता हो रही है, तो हमें क्या याद रखना चाहिए? (मत्ती 6:31-33) (ख) इस पैराग्राफ से जुड़ी तसवीर में दिखाए पति-पत्नी से हम क्या सीख सकते हैं?
8 जब हमें यकीन होगा कि यहोवा हमसे और हमारे परिवार से प्यार करता है, तो हम यह सोचकर नहीं डरेंगे कि हमारे परिवार की ज़रूरतें कैसे पूरी होंगी। (मत्ती 6:31-33 पढ़िए।) जब यहोवा ने धरती बनायी, तो उसने हमारे लिए सिर्फ गिनी-चुनी चीज़ें नहीं बनायीं, बल्कि बहुत-कुछ बनाया ताकि हम ज़िंदगी का पूरा-पूरा मज़ा लें। (उत्प. 2:9) इससे पता चलता है कि वह ना सिर्फ हमारी ज़रूरतें पूरी करना चाहता है, बल्कि हमसे बहुत प्यार भी करता है। हो सकता है हमारे पास बहुत-कुछ न हो, पर हम इस बात पर ध्यान दे सकते हैं कि कम-से-कम हमारा गुज़ारा तो चल रहा है और यहोवा हमारी ज़रूरतें पूरी कर रहा है। (मत्ती 6:11) आज भले ही हमें कुछ त्याग करने पड़ें या कम में गुज़ारा करना पड़े, पर उनके बदले में यहोवा हमें बहुत-सी आशीषें देगा, आज भी और भविष्य में भी। नेस्टर और मारिया ने भी इस बात का अनुभव किया।—यशा. 65:21, 22.
9. नेस्टर और मारिया से आप क्या सीख सकते हैं?
9 नेस्टर और मारिया कोलंबिया में रहते हैं। उनका एक अच्छा घर था और एक अच्छी-खासी नौकरी थी। वे बताते हैं, “हम सोच रहे थे कि हम अपनी कुछ चीज़ें बेच देंगे और एक ऐसी जगह जाकर सेवा करेंगे जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। पर हमें डर था कि कम में गुज़ारा करना मुश्किल होगा और हम खुश नहीं रह पाएँगे।” लेकिन फिर उन्होंने इस बारे में सोचा कि यहोवा ने अब तक उनके लिए क्या-क्या किया है और वह उनसे कितना प्यार करता है। इस तरह वे अपने डर पर काबू कर पाए। उन्हें यकीन हो गया कि यहोवा उनकी हर ज़रूरत पूरी करेगा। इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी, अपना घर बेच दिया और कोलंबिया में ही ज़्यादा ज़रूरतवाली जगह जाकर सेवा करने लगे। अपने फैसले के बारे में नेस्टर बताता है, “हमने खुद अनुभव किया है कि मत्ती 6:33 में लिखी बात कितनी सच है। हमें कभी किसी चीज़ की कमी नहीं हुई। अब हम दोनों पहले से ज़्यादा खुश हैं।”
दूसरे लोगों के बारे में सोचकर
10. इंसान इंसान से क्यों डरता है?
10 जब से आदम-हव्वा ने बगावत की, तब से इंसान एक-दूसरे पर ज़ुल्म करते आए हैं। (सभो. 8:9) अधिकारी दूसरों पर रौब जमाते हैं। अपराधी खून-खराबा करते हैं। स्कूल में बच्चे दूसरों को परेशान करते हैं और उन्हें डराते-धमकाते हैं। कुछ लोग तो अपने परिवारवालों को ही मारते-पीटते हैं। यही वजह है कि अब इंसान इंसान से डरने लगा है। आइए जानें कि शैतान इस डर का कैसे फायदा उठाता है।
11-12. शैतान किन तरीकों से हमारे मन में इंसानों का डर बिठाने की कोशिश करता है?
11 शैतान चाहता है कि हम इंसानों से इतना डर जाएँ कि प्रचार करना बंद कर दें और यहोवा की दूसरी आज्ञाएँ मानना भी छोड़ दें। वह सरकारों के ज़रिए हमारे काम पर रोक लगा देता है और हम पर ज़ुल्म करता है। (लूका 21:12; प्रका. 2:10) वह लोगों के ज़रिए साक्षियों के बारे में अफवाहें फैलाता है जिनमें से कुछ तो सरासर झूठ होती हैं। ये बातें सुनकर दूसरे शायद हमारा मज़ाक उड़ाएँ या फिर हमें मारे-पीटें। (मत्ती 10:36) यह कोई नयी बात नहीं है। यीशु के चेलों के साथ भी ऐसा ही हुआ था।—प्रेषि. 5:27, 28, 40.
12 शैतान एक और तरीके से हमारे मन में डर बिठाने की कोशिश करता है। कुछ लोग यह सोचकर इतना नहीं डरते कि उन्हें मारा-पीटा जाएगा, जितना यह सोचकर कि अगर वे साक्षी बन जाएँगे, तो उनके घरवाले क्या कहेंगे। यही डर उन्हें खाए जाता है। वे अपने रिश्तेदारों से बहुत प्यार करते हैं और चाहते हैं कि वे भी यहोवा के बारे में सीखें। पर जब वे यहोवा और यहोवा के साक्षियों के बारे में बुरा-भला कहते हैं, तो उन्हें बहुत तकलीफ होती है। मगर कई बार ऐसा हुआ है कि जिन रिश्तेदारों ने पहले विरोध किया था, वे बाद में साक्षी बन गए। लेकिन अगर हमारे घरवाले हमसे सारे नाते तोड़ लें, तो हमें क्या बात याद रखनी चाहिए?
13. अगर हमारे घरवाले हमसे नाता तोड़ लें, तो हमें किस बात से हिम्मत मिल सकती है? (भजन 27:10)
13 भजन 27:10 में लिखी बात से हमें बहुत हिम्मत मिल सकती है। (पढ़िए।) चाहे कोई हमारा साथ दे या ना दे, यहोवा हमेशा हमारा साथ देगा। वह हमसे बहुत प्यार करता है और अगर हम उसके वफादार रहें, तो वह हमें ढेरों आशीषें देगा और इतने अच्छे से हमारा खयाल रखेगा जितना कि हमारे घरवाले भी नहीं रख पाते। वह हमारी हर ज़रूरत पूरी करेगा और हमें मन की शांति देगा। हम खुश रह पाएँगे और हमारा उसके साथ एक अच्छा रिश्ता होगा। बिनियम ने भी ऐसा ही महसूस किया।
14. आप बिनियम से क्या सीख सकते हैं?
14 बिनियम अच्छी तरह जानता था कि उसके देश में यहोवा के साक्षियों पर ज़ुल्म किया जा रहा है। फिर भी वह एक साक्षी बन गया। उसने याद रखा कि यहोवा उससे बहुत प्यार करता है। इस तरह वह अपने डर पर काबू कर पाया। वह बताता है, “मैंने नहीं सोचा था कि मुझ पर इतने ज़ुल्म किए जाएँगे। पर सरकार के विरोध से ज़्यादा मुझे इस बात का डर था कि मेरे अपने घरवाले मेरा विरोध करेंगे। मेरे पापा यहोवा के साक्षी नहीं हैं और मुझे डर था कि जब उन्हें और बाकी सबको पता चलेगा कि मैं साक्षी बन गया हूँ, तो वे सोचेंगे कि मैंने अपनी ज़िंदगी बरबाद कर ली है और मैं किसी काम का नहीं हूँ।” लेकिन उसे पूरा यकीन था कि यहोवा जिनसे प्यार करता है, उनका हमेशा खयाल रखता है। वह बताता है, “मैंने उन भाई-बहनों के बारे में सोचा जो पैसों की तंगी झेल रहे थे, जिनके साथ भेदभाव हुआ था और जिन पर भीड़ ने हमला किया था। यहोवा ने उन्हें छोड़ा नहीं, बल्कि उनकी मदद की। मैं जानता था कि अगर मैं भी यहोवा का वफादार रहूँ, तो वह मुझे भी आशीष देगा। मुझे कई बार गिरफ्तार किया गया और बुरी तरह मारा-पीटा गया, पर यहोवा ने हमेशा मेरी मदद की। उसने हर पल मेरा साथ दिया।” यहोवा मानो बिनियम का पिता बन गया और यहोवा के लोग उसका परिवार।
मौत के बारे में सोचकर
15. हम सबको मौत से डर क्यों लगता है?
15 हम सभी को मौत से डर लगता है। इसलिए जब हम या हमारे घरवाले बहुत बीमार पड़ जाते हैं, तो हमें चिंता होने लगती है। बाइबल में भी बताया गया है कि मौत हमारी दुश्मन है। (1 कुरिं. 15:25, 26) पर हम मौत से क्यों डरते हैं? क्योंकि यहोवा ने हमारे अंदर हमेशा तक जीने की इच्छा डाली है। (सभो. 3:11) हममें से कोई मरना नहीं चाहता। इसी वजह से हम अपनी सेहत का खयाल रखते हैं, अच्छे से खाते-पीते हैं और कसरत करते हैं। जब हम बीमार पड़ जाते हैं, तो डॉक्टर के पास जाते हैं, दवाइयाँ लेते हैं और बेवजह अपनी जान खतरे में नहीं डालते।
16. शैतान हमें किस तरह डराने की कोशिश करता है?
16 शैतान जानता है कि हम सबको अपनी जान बहुत प्यारी है। उसका दावा है कि अपनी जान बचाने के लिए हम कुछ भी करने को तैयार हो जाएँगे, यहोवा के साथ अपनी दोस्ती भी तोड़ देंगे। (अय्यू. 2:4, 5) यह सरासर झूठ है! लेकिन शैतान के पास हमें “मार डालने की ताकत है,” इसलिए वह हमें डराने की कोशिश करता है ताकि हम यहोवा को छोड़ दें। (इब्रा. 2:14, 15) कई बार वह कुछ लोगों या सरकारों के ज़रिए हमें डराता-धमकाता है कि अगर हमने यहोवा की सेवा करना नहीं छोड़ा, तो हमें मार डाला जाएगा। या अगर कभी हम बहुत बीमार पड़ जाएँ, तो वह डॉक्टरों या हमारे परिवारवालों के ज़रिए हम पर दबाव डाल सकता है कि हम जान बचाने के लिए खून चढ़वा लें या कोई ऐसा इलाज करवा लें जो बाइबल के हिसाब से गलत है।
17. रोमियों 8:37-39 के मुताबिक हमें मौत से क्यों नहीं डरना चाहिए?
17 हममें से कोई भी मरना नहीं चाहता। लेकिन हम जानते हैं कि अगर हमारी मौत भी हो जाए, तब भी यहोवा हमसे प्यार करता रहेगा। (रोमियों 8:37-39 पढ़िए।) जब यहोवा के दोस्तों की मौत हो जाती है, तो वह उन्हें भूलता नहीं है। वे उसकी याद में महफूज़ रहते हैं और वह उन्हें दोबारा जीवन देने के लिए तरस रहा है। (लूका 20:37, 38; अय्यू. 14:15) उसने हमें “हमेशा की ज़िंदगी” देने के लिए अपने इकलौते बेटे तक को कुरबान कर दिया। (यूह. 3:16) इसमें कोई शक नहीं कि यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है और उसे हमारी बहुत परवाह है। इसलिए अगर हम कभी बीमार पड़ जाएँ या लोग हमें डराएँ-धमकाएँ तो हम यहोवा से मुँह नहीं मोड़ेंगे, बल्कि उससे कहेंगे कि वह हमें बुद्धि, हिम्मत और दिलासा दे। वैलेरी और उसके पति ने भी ऐसा ही किया।—भज. 41:3.
18. आप वैलेरी से क्या सीख सकते हैं?
18 जब वैलेरी 35 साल की थी, तो उसे एक ऐसा कैंसर हो गया जो बहुत कम लोगों को होता है और वह तेज़ी से उसके शरीर में फैल रहा था। वह बताती है, “इस बारे में सुनकर हमारे पैरों तले ज़मीन खिसक गयी। डॉक्टरों ने कहा कि मुझे एक बड़ा ऑपरेशन करवाना पड़ेगा, वरना मैं नहीं बचूँगी। मैंने जितने भी डॉक्टरों को दिखाया उन सबने कहा कि मुझे खून तो चढ़वाना ही पड़ेगा। मैं बहुत डर गयी थी! पर मैंने सोच लिया था कि चाहे जो हो जाए, मैं परमेश्वर का कानून नहीं तोड़ूँगी और खून नहीं चढ़वाऊँगी। मैं जानती थी कि यहोवा मुझसे कितना प्यार करता है और अब मेरी बारी थी कि मैं उसके लिए अपना प्यार दिखाऊँ। जब भी डॉक्टर बताते कि मेरी हालत और खराब होती जा रही है, तो मेरा इरादा और पक्का हो जाता कि मैं यहोवा की वफादार रहूँगी और शैतान को झूठा साबित करूँगी। आखिरकार डॉक्टर मान गए और मेरा ऑपरेशन बिना खून के हो पाया। अभी-भी मुझे कुछ-न-कुछ तकलीफ होती रहती है, पर यहोवा की मदद से हम हमेशा उनका सामना कर पाते हैं। मुझे याद है, जब मुझे पता चला कि मुझे कैंसर है, तो उसके कुछ दिन पहले ही हमने सभा में एक लेख पर चर्चा की थी। उसका विषय था, ‘मुश्किलों को दें मात, हिम्मत के साथ।’ * हमने वह लेख बार-बार पढ़ा और इससे हमें बहुत तसल्ली मिली। हमने इस तरह के और भी लेख पढ़े। हमने प्रचार करना और सभाओं में जाना भी नहीं छोड़ा। ऐसा करने से हमें मन की शांति मिली है और हम सही फैसले कर पाए हैं।” वैलेरी ने हमेशा याद रखा कि यहोवा उससे कितना प्यार करता है। इसी वजह से वह अपने डर पर काबू कर पायी।
आप डर पर काबू पा सकते हैं!
19. बहुत जल्द क्या होनेवाला है?
19 पूरी दुनिया में हमारे भाई-बहन यहोवा की मदद से शैतान का विरोध कर रहे हैं और हिम्मत से मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। (1 पत. 5:8, 9) आप भी ऐसा कर सकते हैं! बहुत जल्द, यहोवा यीशु और उसके साथ राज करनेवालों से कहेगा कि वे ‘शैतान के कामों को नष्ट कर दें।’ (1 यूह. 3:8) उसके बाद परमेश्वर के लोगों को ‘किसी बात का डर नहीं होगा, न ही वे खौफ खाएँगे।’ (यशा. 54:14; मीका 4:4) पर जब तक वह वक्त नहीं आता, हमें अपने डर पर काबू पाने के लिए मेहनत करते रहनी होगी।
20. अपने डर पर काबू पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
20 अपने डर पर काबू पाने के लिए हमें इस बात पर अपना यकीन बढ़ाते रहना है कि यहोवा अपने सेवकों से प्यार करता है और जब भी कोई मुश्किल आती है, तो वह उन्हें संभालता है। ऐसा करने के लिए हम सोच सकते हैं कि उसने बीते समय में कैसे अपने लोगों की हिफाज़त की और इस बारे में दूसरों को बता सकते हैं। हम यह भी सोच सकते हैं कि यहोवा ने अब तक हमें कैसे सँभाला है। याद रखिए कि आप अकेले नहीं हैं, यहोवा आपके साथ है। और जब यहोवा है साथ, तो डरने की क्या बात!—भज. 34:4.
गीत 129 हम धीरज धरेंगे
^ कई बार डर की वजह से हम खतरों में पड़ने से बच सकते हैं। लेकिन कभी-कभी शैतान इसी डर का फायदा उठाकर हमें सही फैसला लेने से रोक सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि अगर हमें यकीन होगा कि यहोवा हमारे साथ है और वह हमसे प्यार करता है, तो हम अपने डर पर काबू कर पाएँगे।
^ इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।