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अध्ययन लेख 25

प्राचीनो, गिदोन से सीखिए

प्राचीनो, गिदोन से सीखिए

“अगर मैं गिदोन . . . के बारे में बताऊँ तो समय कम पड़ जाएगा।”​—इब्रा. 11:32.

गीत 124 हम निभाएँगे वफा

एक झलक a

1. 1 पतरस 5:2 के मुताबिक प्राचीनों को कौन-सी अहम ज़िम्मेदारी दी गयी है?

 प्राचीनों को यहोवा ने अपनी अनमोल भेड़ों की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी सौंपी है। प्राचीन भी इस बात की बहुत कदर करते हैं कि यहोवा ने उन पर इतना भरोसा किया है। और वे अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। उनकी पूरी कोशिश रहती है कि वे “वाकई चरवाहों की तरह” परमेश्‍वर की भेड़ों की “देखभाल” करें। (यिर्म. 23:4; 1 पतरस 5:2 पढ़िए।) हम कितने एहसानमंद हैं कि यहोवा ने मंडली में ऐसे भाइयों को नियुक्‍त किया है।

2. कुछ प्राचीनों को कौन-सी मुश्‍किलों का सामना करना पड़ता है?

2 प्राचीनों को अपनी ज़िम्मेदारियाँ सँभालते वक्‍त कई मुश्‍किलों का सामना करना पड़ता है। जैसे, मंडली में उन्हें बहुत-से काम करने होते हैं। अमरीका में रहनेवाले एक प्राचीन, टोनी ने सीखा कि जब और काम लेने की बात आती है, तो उन्हें याद रखना है कि वे कितना कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “जब कोविड-19 महामारी शुरू हुई, तो मंडली की सभाएँ चलाने और प्रचार का इंतज़ाम करने के लिए मैं ज़्यादा-से-ज़्यादा काम करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मैं चाहे जितना भी करता, कुछ-न-कुछ और निकल ही आता था। फिर एक वक्‍त ऐसा आया कि बाइबल पढ़ने, निजी अध्ययन करने और प्रार्थना करने के लिए मेरे पास समय ही नहीं बचता था।” कोसोवो में रहनेवाले एक प्राचीन, ईलीर को एक अलग तरह की मुश्‍किल का सामना करना पड़ा। जब वे एक ऐसे इलाके में थे जहाँ युद्ध चल रहा था, तो उन्हें संगठन से मिलनेवाली हिदायतें मानना मुश्‍किल लगा। वे कहते हैं, “शाखा दफ्तर ने मुझे एक ऐसे इलाके के भाई-बहनों की मदद करने के लिए कहा जहाँ बहुत खतरा था। मैं जानता था कि मुझे हिम्मत से काम लेना है, पर मुझे बहुत डर लग रहा था और संगठन ने जो निर्देश दिए थे, वे मुझे सही नहीं लग रहे थे।” वहीं एशिया में रहनेवाले एक मिशनरी, टिम को हर दिन बहुत-से काम होते थे और यह सब सँभालना उन्हें बहुत मुश्‍किल लग रहा था। वे कहते हैं, “कभी-कभी मैं बहुत थक जाता था। ऐसा लगता था कि अब मैं भाई-बहनों की और मदद नहीं कर पाऊँगा।” आज जो प्राचीन ऐसी मुश्‍किलों का सामना कर रहे हैं, उन्हें कैसे मदद मिल सकती है?

3. हम सब गिदोन के उदाहरण पर ध्यान देने से क्या सीख पाएँगे?

3 आज प्राचीन गिदोन से बहुत कुछ सीख सकते हैं, जिसे बीते समय में परमेश्‍वर ने न्यायी ठहराया था। (इब्रा. 6:12; 11:32) उसने एक मुश्‍किल दौर में परमेश्‍वर के लोगों की हिफाज़त करने और एक चरवाहे की तरह उनकी देखभाल करने की ज़िम्मेदारी निभायी। (न्यायि. 2:16; 1 इति. 17:6) उसी तरह, आज प्राचीनों को संकटों से भरे वक्‍त में परमेश्‍वर के लोगों की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी दी गयी है। (प्रेषि. 20:28; 2 तीमु. 3:1) गिदोन के उदाहरण पर ध्यान देने से प्राचीन सीख पाएँगे कि कैसे उन्हें मर्यादा में रहना है, नम्र रहना है, हमेशा परमेश्‍वर की आज्ञा माननी है और जब लगे कि उनसे और नहीं हो पाएगा, तब भी डटे रहना है। और जो प्राचीन नहीं हैं, वे भी गिदोन के उदाहरण पर ध्यान देने से प्राचीनों की कड़ी मेहनत की और कदर कर पाएँगे और उनका पूरा-पूरा साथ दे पाएँगे।​—इब्रा. 13:17.

जब मर्यादा में रहना और नम्र रहना मुश्‍किल लगे

4. कैसे पता चलता है कि गिदोन अपनी मर्यादा में रहता था और नम्र था?

4 गिदोन अपनी मर्यादा में रहता था और वह नम्र था। b एक बार यहोवा के स्वर्गदूत ने गिदोन से कहा कि यहोवा ने उसे इसराएलियों को मिद्यानियों के हाथ से छुड़ाने के लिए चुना है। तब गिदोन ने कहा, “मेरा कुल तो मनश्‍शे के गोत्र में सबसे छोटा है और मैं अपने पिता के पूरे घराने में एक मामूली इंसान हूँ।” (न्यायि. 6:15) गिदोन को लगा कि वह इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी नहीं निभा पाएगा, पर यहोवा जानता था कि वह ऐसा कर सकता है। और यहोवा की मदद से गिदोन ने वह ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभायी।

5. एक प्राचीन के लिए मर्यादा में रहना और नम्र होना कब मुश्‍किल हो सकता है?

5 प्राचीनों की पूरी कोशिश रहती है कि वे अपनी मर्यादा में रहें और नम्र हों। (मीका 6:8; प्रेषि. 20:18, 19) वे अपनी काबिलीयतों या कामों के बारे में शेखी नहीं मारते। और अगर उनसे कोई गलती हो जाती है, तो वे ऐसा भी नहीं सोचते कि वे किसी लायक नहीं। लेकिन प्राचीनों के लिए नम्र होना और मर्यादा में रहना हमेशा आसान नहीं होता। जैसे हो सकता है, एक भाई कई सारी ज़िम्मेदारियाँ लेने के लिए तैयार हो जाए, पर बाद में उन्हें पूरा करना उसे मुश्‍किल लगे। या हो सकता है, वह कोई काम अच्छे-से ना कर पाए, इसलिए लोग उसके काम में कमियाँ निकालें। या फिर वह कोई ज़िम्मेदारी बहुत अच्छी तरह निभाए और इसके लिए भाई-बहन उसकी तारीफ करें। ऐसे में प्राचीन गिदोन से क्या सीख सकते हैं?

गिदोन की तरह प्राचीन दूसरों की मदद लेने से पीछे नहीं हटते, जैसे कार्ट लगाकर गवाही देने के इंतज़ाम करने के लिए (पैराग्राफ 6)

6. मर्यादा में रहने के बारे में प्राचीन गिदोन से क्या सीख सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)

6 दूसरों की मदद लीजिए। जो व्यक्‍ति अपनी मर्यादा में रहता है, वह जानता है कि वह क्या कर पाएगा और क्या नहीं। गिदोन भी जानता था कि वह अकेले सबकुछ नहीं कर सकता, इसलिए वह दूसरों की मदद लेने से पीछे नहीं हटा। (न्यायि. 6:27, 35; 7:24) प्राचीन भी यह बात समझते हैं कि वे अकेले सबकुछ नहीं सँभाल सकते, इसलिए ज़रूरत पड़ने पर वे बेझिझक दूसरों से मदद लेते हैं। भाई टोनी जिनका पहले ज़िक्र किया गया था, कहते हैं, “जिस तरह मेरी परवरिश हुई थी, उस वजह से अकसर ऐसा होता था कि मैं जितना कर सकता हूँ, उससे ज़्यादा ही काम ले लेता था। इसलिए हमने अपनी पारिवारिक उपासना में मर्यादा में रहने के बारे में अध्ययन किया और मैंने अपनी पत्नी से भी पूछा कि मुझे कहाँ सुधार करने की ज़रूरत है। मैंने jw.org पर दिया वीडियो यीशु की तरह दूसरों को सिखाइए, उन पर भरोसा कीजिए  और उन्हें ज़िम्मेदारी दीजिए भी देखा।” फिर भाई टोनी दूसरों से मदद लेने लगे। इसका नतीजा क्या हुआ? भाई कहते हैं, “अब मंडली के सारे काम अच्छे-से हो जाते हैं और यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करने के लिए मेरे पास काफी समय भी होता है।”

7. अगर कोई प्राचीनों को उनकी कमियाँ बताए, तो वे गिदोन की तरह कैसे बन सकते हैं? (याकूब 3:13)

7 जब आपकी कमियाँ बतायी जाएँ, तो नरमी से जवाब दीजिए। जब कोई प्राचीनों को उनकी कमियाँ बताता है, तब भी उनके लिए नम्र रहना मुश्‍किल हो सकता है। ऐसे में भी प्राचीन गिदोन की मिसाल याद रख सकते हैं। गिदोन जानता था कि उसमें कमियाँ हैं, इसलिए जब एप्रैम के आदमी उससे झगड़ने लगे और उसमें नुक्स निकालने लगे तो वह उन पर भड़क नहीं उठा, बल्कि शांत रहा। (न्यायि. 8:1-3) उसने ध्यान से उनकी सुनी और उन्हें प्यार से जवाब दिया। इस तरह उनका गुस्सा शांत हो गया। गिदोन के व्यवहार से पता चलता है कि वह कितना नम्र था। प्राचीन भी गिदोन की तरह बन सकते हैं। जब कोई उन्हें उनकी कमियाँ बताता है, तो वे ध्यान से सुन सकते हैं और नरमी से जवाब दे सकते हैं। (याकूब 3:13 पढ़िए।) इससे मंडली में शांति बनी रहेगी।

8. जब प्राचीनों की तारीफ की जाए, तो उन्हें क्या करना चाहिए? एक उदाहरण दीजिए।

8 जब आपकी तारीफ की जाए, तो यहोवा की महिमा कीजिए। जब इसराएली गिदोन की तारीफ करने लगे कि उसने उन्हें मिद्यानियों पर जीत दिलायी है, तो उसने इसका सारा श्रेय यहोवा को दिया। (न्यायि. 8:22, 23) आज प्राचीन गिदोन की तरह कैसे बन सकते हैं? वे जो कुछ भी करते हैं, उसका सारा श्रेय यहोवा को दे सकते हैं। (1 कुरिं. 4:6, 7) जैसे, अगर एक प्राचीन अच्छी तरह सिखाता है और इसके लिए उसकी तारीफ की जाती है, तो वह कह सकता है कि उसने जो भी सिखाया है, वह परमेश्‍वर के वचन से था या हम सब यहोवा के संगठन से ही सीखते हैं। समय-समय पर प्राचीनों को सोचना चाहिए कि वे जिस तरह सिखाते हैं, उससे कहीं लोगों का पूरा ध्यान उन पर तो नहीं चला जाता। ज़रा भाई टिमोथी के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। जब वे नए-नए प्राचीन बने थे, तब उन्हें जन भाषण देना बहुत अच्छा लगता था। वे कहते हैं, “मेरे भाषणों की शुरूआत बहुत लंबी-चौड़ी होती थी और मैं बड़े-बड़े उदाहरण देता था। इस वजह से लोग अकसर मेरी तारीफ करते थे। पर अफसोस इससे लोगों का ध्यान बाइबल या यहोवा पर इतना नहीं जाता था।” कुछ समय बाद भाई टिमोथी को एहसास हुआ कि उन्हें अपने सिखाने के तरीके में थोड़ा बदलाव करने की ज़रूरत है, ताकि लोग उन पर बहुत ज़्यादा ध्यान ना दें। (नीति. 27:21) इसका क्या नतीजा हुआ? वे कहते हैं, “अब भाई-बहन आकर मुझसे कहते हैं कि आपके भाषण से मैंने सीखा कि मैं कैसे अपनी समस्या का सामना कर सकता हूँ, कैसे किसी मुश्‍किल को पार कर सकता हूँ या कैसे यहोवा के और करीब आ सकता हूँ। सालों पहले मेरी जब तारीफ की जाती थी, उससे कहीं ज़्यादा खुशी मुझे अब मिलती है, जब मैं भाई-बहनों से इस तरह की बातें सुनता हूँ।”

जब आपको आज्ञा मानना और हिम्मत से काम लेना मुश्‍किल लगे

गिदोन ने यहोवा की आज्ञा मानकर सैनिकों की गिनती कम कर दी और अपने साथ सिर्फ 300 सैनिक रखे जो सतर्क थे (पैराग्राफ 9)

9. गिदोन के लिए यहोवा की आज्ञा मानना और हिम्मत से काम लेना क्यों मुश्‍किल था? (बाहर दी तसवीर देखें।)

9 जब गिदोन को न्यायी ठहराया गया, तो उसे यहोवा की आज्ञा माननी थी और हिम्मत से काम लेना था। पर उसके लिए यह आसान नहीं था। वह क्यों? क्योंकि यहोवा ने उससे कहा था कि वह बाल की उस वेदी को गिरा दे जो उसके पिता ने बनवायी थी। यह काम खतरे से खाली नहीं था। (न्यायि. 6:25, 26) बाद में गिदोन ने जब एक सेना इकट्ठी की, तब परमेश्‍वर ने दो बार उससे कहा कि वह सैनिकों की गिनती कम कर दे। (न्यायि. 7:2-7) और फिर यहोवा ने उससे कहा कि वह रात के अंधेरे में जाकर दुश्‍मनों की छावनी पर हमला बोले।​—न्यायि. 7:9-11.

10. प्राचीनों के लिए आज्ञा मानना कब मुश्‍किल हो सकता है?

10 प्राचीनों को “आज्ञा मानने के लिए तैयार” रहना चाहिए। (याकू. 3:17) जो प्राचीन आज्ञा मानने के लिए तैयार रहते हैं, वे बाइबल में दिए सिद्धांत और संगठन से मिलनेवाली हिदायतें मानने में आनाकानी नहीं करते। इस तरह वे दूसरों के लिए एक अच्छी मिसाल रखते हैं। फिर भी कई बार आज्ञा मानना शायद उन्हें मुश्‍किल लगे। जैसे हो सकता है, प्राचीनों को बहुत सारी हिदायतें दी जाएँ या एक-के-बाद-एक उनमें कई बदलाव हों। ऐसे में वे सारी हिदायतें मानना उनके लिए मुश्‍किल हो सकता है। या एक प्राचीन शायद सोचे कि उसे संगठन से जो हिदायतें दी जा रही हैं, क्या उन्हें मानना वाकई समझदारी होगी। या हो सकता है, एक प्राचीन से कुछ ऐसा करने के लिए कहा जाए जिस वजह से उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है। ऐसे में प्राचीन गिदोन की तरह कैसे आज्ञा मान सकते हैं?

11. यहोवा की आज्ञा मानने में क्या बात प्राचीनों की मदद कर सकती है?

11 हिदायतों को ध्यान से सुनिए और उन्हें मानिए। परमेश्‍वर ने गिदोन को बताया कि उसे अपने पिता की वेदी कैसे नाश करनी है, यहोवा के लिए नयी वेदी कहाँ बनानी है और उस पर किस जानवर का बलिदान चढ़ाना है। गिदोन को जो हिदायतें दी गयीं, उन पर उसने कोई सवाल नहीं किया। उससे जो कहा गया, उसने वैसा ही किया। आज प्राचीनों को भी यहोवा के संगठन से अलग-अलग तरीकों से कई हिदायतें दी जाती हैं। जैसे खतों के ज़रिए, घोषणाओं के ज़रिए या दूसरे तरीकों से। इनमें उन्हें बताया जाता है कि वे कैसे भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं जिससे वे सुरक्षित रहें और यहोवा के करीब बने रहें। प्राचीन ये हिदायतें अच्छी तरह मानते हैं, इसलिए हम उनसे बहुत प्यार करते हैं। उनके काम से पूरी मंडली को फायदा होता है।​—भज. 119:112.

12. अगर संगठन प्राचीनों को किसी और तरीके से काम करने की हिदायत देता है, तो वे इब्रानियों 13:17 में लिखी बात कैसे मान सकते हैं?

12 फेरबदल करने के लिए तैयार रहिए। याद कीजिए जब यहोवा ने गिदोन से कहा था कि वह अपने लगभग सभी आदमियों को घर भेज दे, तो क्या हुआ था। (न्यायि. 7:8) शायद उसने सोचा हो, ‘क्या ऐसा करना ज़रूरी है? अगर मैं इतने लोगों को घर जाने दूँ, तो हम युद्ध कैसे जीतेंगे?’ फिर भी गिदोन ने यहोवा की बात मानी। उसी तरह, आज जब संगठन प्राचीनों को हिदायतें देता है कि अब से वे कोई काम किसी और तरीके से करें, तो गिदोन की तरह वे उन्हें मानते हैं। (इब्रानियों 13:17 पढ़िए।) उदाहरण के लिए, 2014 में शासी निकाय ने सम्मेलन भवन और राज-घरों के निर्माण के सिलसिले में कुछ बदलाव किए। (2 कुरिं. 8:12-14) पहले अगर कोई राज-घर या सम्मेलन भवन बनाना होता था, तो संगठन उसके लिए पैसे देता था और बाद में मंडलियों को वे पैसे लौटाने होते थे। लेकिन अब मंडलियों को पैसे लौटाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। अब संगठन ऐसी इमारतों के निर्माण के लिए दुनिया-भर की मंडलियों से मिलनेवाले दान का इस्तेमाल करता है। इस तरह अगर एक मंडली ज़्यादा दान नहीं भी इकट्ठा कर पाती है, तब भी उनका अपना राज-घर बन सकता है। जब भाई होसे को इस बदलाव के बारे में पता चला, तो उन्हें लगा कि शायद यह तरीका कामयाब नहीं हो पाएगा। वे सोचने लगे, ‘ऐसे तो एक भी राज-घर नहीं बन पाएगा। हमारे यहाँ यह तरीका नहीं चलनेवाला।’ लेकिन फिर उन्होंने अपनी सोच बदली। वे यह कैसे कर पाए? भाई कहते हैं, “नीतिवचन 3:5, 6 में लिखी बात से मुझे याद आया कि मुझे यहोवा पर भरोसा करना चाहिए। और इस तरीके से काम करने के बहुत ही बढ़िया नतीजे निकले। अब हम पहले से ज़्यादा राज-घर बना पा रहे हैं। और अब दान का पैसा जिस तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, उस वजह से किसी की बहुतायत से किसी की घटी पूरी हो पा रही है।”

जहाँ हमारे काम पर रोक लगी है, वहाँ भी हम हिम्मत से काम लेकर लोगों को अच्छी तरह गवाही दे सकते हैं (पैराग्राफ 13)

13. (क) गिदोन को किस बात का यकीन था? (ख) आज प्राचीन उसकी तरह कैसे बन सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)

13 यहोवा की मरज़ी पूरी करने के लिए हिम्मत से काम लीजिए। गिदोन को यहोवा की हिदायत मानने में डर लग रहा था और इसमें उसकी जान को भी खतरा था। (न्यायि. 9:17) फिर भी उसने वह हिदायत मानी। यहोवा से हौसला पाने के बाद गिदोन को पूरा यकीन हो गया कि यहोवा अपने लोगों की हिफाज़त करने में ज़रूर उसका साथ देगा। आज जो प्राचीन ऐसे इलाकों में रहते हैं जहाँ हमारे काम पर रोक लगी है, वे भी गिदोन की तरह हिम्मत से काम लेते हैं। वे मंडली की सभाएँ चलाते हैं और प्रचार काम में अगुवाई लेते हैं, जबकि ऐसा करने से उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है, उनसे पूछताछ की जा सकती है, उनकी नौकरी जा सकती है या उन्हें मारा-पीटा जा सकता है। c महा-संकट के दौरान मिलनेवाली हिदायतें मानने के लिए भी प्राचीनों को हिम्मत से काम लेना होगा, क्योंकि शायद कुछ हिदायतें ऐसी हों जिन्हें मानने से उनकी जान को खतरा हो। जैसे शायद उन्हें इस बारे में हिदायतें दी जाएँ कि न्याय का कड़ा संदेश कैसे सुनाना है, जो बड़े-बड़े ओलों की तरह होगा और मागोग देश के गोग के हमले से बचने के लिए सबको क्या करना होगा।​—यहे. 38:18; प्रका. 16:21.

जब आपको लगे कि आपसे और नहीं हो पाएगा

14. गिदोन के लिए अपनी ज़िम्मेदारी निभाना और किस वजह से मुश्‍किल रहा होगा?

14 गिदोन को न्यायी के तौर पर जो ज़िम्मेदारी दी गयी थी, उसे पूरा करने के लिए उसे कड़ी मेहनत करनी थी। जब मिद्यानी रात को युद्ध का मैदान छोड़कर भागने लगे, तो गिदोन ने उनका पीछा किया। वह यिजरेल घाटी से लेकर यरदन नदी तक उनका पीछा करता रहा और वह इलाका शायद घनी झाड़ियों से घिरा हुआ था। (न्यायि. 7:22) क्या गिदोन यरदन नदी पर जाकर रुक गया? नहीं। वह और उसके 300 आदमी थककर चूर हो गए थे, फिर भी वे डटे रहे। उन्होंने यरदन नदी पार की और दुश्‍मनों का पीछा करते रहे। आखिरकार उन्होंने मिद्यानियों को पकड़ लिया और उन्हें हरा दिया।​—न्यायि. 8:4-12.

15. कभी-कभी प्राचीनों को ऐसा क्यों लग सकता है कि अब उनसे और नहीं हो पाएगा?

15 कुछ प्राचीनों को मंडली की बहुत सारी ज़िम्मेदारियाँ निभानी होती हैं और अपने परिवार की भी देखभाल करनी होती है। इस वजह से कई बार शायद वे बहुत थक जाएँ और उन्हें लगने लगे कि अब उनसे और नहीं हो पाएगा। ऐसे में वे गिदोन से क्या सीख सकते हैं?

यहोवा की मदद से प्राचीन ज़रूरत के वक्‍त भाई-बहनों का हौसला बढ़ा पाते हैं (पैराग्राफ 16-17)

16-17. (क) गिदोन किस वजह से अपनी ज़िम्मेदारी निभा पाया? (ख) प्राचीन किस बात का भरोसा रख सकते हैं? (यशायाह 40:28-31) (तसवीर भी देखें।)

16 भरोसा रखिए कि यहोवा आपको ताकत देगा। गिदोन को भरोसा था कि यहोवा उसे ताकत देगा और यहोवा ने उसका भरोसा तोड़ा नहीं। (न्यायि. 6:14, 34) एक बार गिदोन और उसके आदमी मिद्यानी राजाओं का पीछा कर रहे थे। वे लोग पैदल जा रहे थे, जबकि वे राजा शायद ऊँटों पर सवार थे। (न्यायि. 8:12, 21) फिर भी परमेश्‍वर की मदद से उन्होंने राजाओं को हरा दिया। उसी तरह प्राचीन भी यहोवा पर भरोसा रख सकते हैं, जो “न कभी थकता है न पस्त होता है।” जब भी उन्हें लगने लगे कि अब उनसे और नहीं हो पाएगा, तब यहोवा उन्हें ताकत देगा।​यशायाह 40:28-31 पढ़िए।

17 ज़रा भाई मैथ्यू के उदाहरण पर ध्यान दीजिए, जो अस्पताल संपर्क समिति के एक सदस्य हैं। कई बार उन्हें अपनी ज़िम्मेदारी निभाना मुश्‍किल लगता है। ऐसे में डटे रहने में उन्हें किस बात से मदद मिलती है? वे कहते हैं, “मैंने खुद महसूस किया है कि फिलिप्पियों 4:13 में लिखी बात कितनी सच है। कई बार मैं बहुत थक जाता हूँ और ऐसा लगता है कि मुझसे अब और नहीं हो पाएगा। तब मैं यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना करता हूँ कि वह मुझे ताकत दे, मुझे हिम्मत दे ताकि मैं भाई-बहनों की मदद कर सकूँ। उस वक्‍त मैं महसूस करता हूँ कि यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति देकर मुझमें दम भर देता है, मुझे डटे रहने की ताकत देता है।” गिदोन की तरह आज प्राचीन भी परमेश्‍वर के झुंड की देखभाल करने में कड़ी मेहनत करते हैं। उन्हें बहुत-सी ज़िम्मेदारियाँ सँभालनी होती हैं और कभी-कभी तो कुछ मुश्‍किलें भी आती हैं। ऐसे में उन्हें याद रखना है कि वे सबकुछ नहीं कर सकते। लेकिन वे इस बात का भी भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा उनकी मदद की पुकार सुनेगा और उन्हें ताकत देगा ताकि वे डटे रहें।​—भज. 116:1; फिलि. 2:13.

18. जैसे हमने इस लेख में सीखा प्राचीन गिदोन की तरह कैसे बन सकते हैं?

18 आज प्राचीन गिदोन से बहुत कुछ सीख सकते हैं। जब ज़िम्मेदारियाँ या काम लेने की बात आती है या फिर जब प्राचीनों को उनकी कमियाँ बतायी जाती हैं या उनकी तारीफ की जाती है, तब उन्हें अपनी मर्यादा में रहना चाहिए और नम्र रहना चाहिए। उन्हें हमेशा यहोवा की आज्ञा माननी चाहिए और हिम्मत से काम लेना चाहिए, खासकर इन आखिरी दिनों में जब दुनिया का अंत बहुत करीब है। साथ ही, उन्हें यहोवा पर भरोसा रखना चाहिए कि उनके सामने चाहे जैसी भी मुश्‍किलें आएँ, वह उन्हें ताकत देगा। प्राचीन हमारी खातिर जो कड़ी मेहनत करते हैं, उसकी हम बहुत कदर करते हैं। सच में, ये भाई हमारे लिए “अनमोल” हैं।​—फिलि. 2:29.

गीत 120 यीशु जैसे कोमल बनें

a गिदोन को यहोवा ने नियुक्‍त किया था, ताकि वह उसके लोगों की देखभाल करे और उनकी हिफाज़त करे। उस वक्‍त इसराएल राष्ट्र बहुत मुश्‍किल दौर से गुज़र रहा था। गिदोन के लिए अपनी ज़िम्मेदारी निभाना आसान नहीं था, उसे कई मुश्‍किलों का सामना करना पड़ा। फिर भी उसने करीब 40 साल तक अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभायी। इस लेख में हम जानेंगे कि आज प्राचीनों के सामने जब मुश्‍किलें आती हैं, तो वे गिदोन से क्या सीख सकते हैं।

b मर्यादा में रहने और नम्र होने के बीच गहरा नाता है। जो लोग मर्यादा में रहते हैं, वे खुद को बहुत ज़्यादा नहीं समझते और वे जानते हैं कि वे क्या कर पाएँगे और क्या नहीं। और एक नम्र इंसान दूसरों का आदर करता है और उन्हें खुद से बेहतर समझता है। (फिलि. 2:3) आम तौर पर जो व्यक्‍ति मर्यादा में रहता है, वह नम्र भी होता है।