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यहोवा उन्हें इनाम देता है जो पूरी लगन से उसकी खोज करते हैं

यहोवा उन्हें इनाम देता है जो पूरी लगन से उसकी खोज करते हैं

“जो उसके पास आता है उसका यह यकीन करना ज़रूरी है कि परमेश्वर सचमुच है और वह उन लोगों को इनाम देता है जो पूरी लगन से उसकी खोज करते हैं।”—इब्रा. 11:6.

गीत: 26, 55

1, 2. (क) प्यार और विश्वास कैसे एक-दूसरे से जुड़े हैं? (ख) हम किन सवालों पर गौर करेंगे?

हमारा पिता यहोवा वादा करता है कि वह अपने वफादार सेवकों को आशीष देगा। यह एक तरीका है जिससे यहोवा दिखाता है कि वह हमसे प्यार करता है। हम उससे इसलिए प्यार करते हैं “क्योंकि पहले परमेश्वर ने हमसे प्यार किया।” (1 यूह. 4:19) जैसे-जैसे यहोवा के लिए हमारा प्यार बढ़ता है, उस पर हमारा विश्वास और भी मज़बूत होता है और हमारा यकीन बढ़ता है कि यहोवा जिन्हें प्यार करता है उन्हें इनाम देता है।—इब्रानियों 11:6 पढ़िए।

2 यहोवा इनाम देनेवाला परमेश्वर है! यह उसकी शख्सियत का एक अहम हिस्सा है। इसलिए परमेश्वर पर हमारा विश्वास तब तक अधूरा है जब तक कि हमें यकीन न हो कि वह उन लोगों को इनाम देता है जो पूरी लगन से उसकी खोज करते हैं। ऐसा क्यों कहा जा सकता है? क्योंकि “विश्वास, आशा की हुई चीज़ों का पूरे भरोसे के साथ इंतज़ार करना है।” (इब्रा. 11:1) विश्वास का मतलब है परमेश्वर पर पूरा भरोसा करना कि वह अपने वफादार लोगों को आशीष देगा। लेकिन इनाम की आशा रखने से हमें कैसे फायदा होता है? यहोवा ने पहले के समय में और आज हमारे समय में कैसे अपने सेवकों को इनाम दिया है? आइए देखें।

यहोवा अपने सेवकों को आशीष देने का वादा करता है

3. मलाकी 3:10 में कौन-सा वादा किया गया है?

3 यहोवा परमेश्वर ने अपने वफादार सेवकों को इनाम देने का वादा किया है। वह हमसे गुज़ारिश करता है कि हम उसे अपना भरसक दें और भरोसा रखें कि वह हमें आशीष देगा। यहोवा कहता है, “मुझे परखो कि मैं आकाश के झरोखे तुम्हारे लिये खोलकर तुम्हारे ऊपर अपरम्पार आशीष की वर्षा करता हूँ कि नहीं।” (मला. 3:10) इस न्यौते को स्वीकार करके हम यहोवा के लिए एहसानमंदी दिखाते हैं।

4. हम मत्ती 6:33 में कहे यीशु के शब्दों पर क्यों भरोसा कर सकते हैं?

4 यीशु ने अपने चेलों से वादा किया था कि अगर वे राज के कामों को पहली जगह देंगे तो परमेश्वर उनकी मदद करेगा। (मत्ती 6:33 पढ़िए।) यीशु ऐसा इसलिए कह पाया क्योंकि वह जानता था कि परमेश्वर के वादे हमेशा सच होते हैं। (यशा. 55:11) इसलिए हम भी यकीन रख सकते हैं कि अगर हम अपने कामों से दिखाएँ कि हमें यहोवा पर पूरा विश्वास है, तो वह अपना यह वादा ज़रूर पूरा करेगा, “मैं तुझे कभी न छोड़ूंगा, न ही कभी त्यागूंगा।” (इब्रा. 13:5) यहोवा के इस वादे की वजह से हम मत्ती 6:33 में कहे यीशु के शब्दों पर भरोसा कर सकते हैं।

यीशु ने अपने चेलों से कहा कि उन्होंने जो भी त्याग किए हैं उनका उन्हें इनाम मिलेगा (पैराग्राफ 5 देखिए)

5. यीशु की कही बात से हमें कैसे हिम्मत मिलती है?

5 प्रेषित पतरस ने एक बार यीशु से पूछा, “हम तो सब कुछ छोड़कर तेरे पीछे हो लिए हैं; फिर हमारे लिए इसमें क्या होगा?” (मत्ती 19:27) यह सवाल पूछने के लिए यीशु ने पतरस को नहीं डाँटा। इसके बजाय, उसने अपने चेलों से कहा कि उन्होंने जो भी त्याग किए हैं उनका उन्हें इनाम मिलेगा। प्रेषित और दूसरे वफादार लोगों को भविष्य में यीशु के साथ स्वर्ग में राज करने का इनाम मिलेगा। लेकिन वफादार लोगों को आज भी आशीषें मिल रही हैं। यीशु ने कहा था, “जिस किसी ने मेरे नाम की खातिर घरों या भाइयों या बहनों या पिता या माँ या बच्चों को छोड़ा हो या ज़मीनें छोड़ी हों, वह इसका कई गुना पाएगा और हमेशा की ज़िंदगी का वारिस होगा।” (मत्ती 19:29) आज मंडली में यीशु के सभी चेलों को ऐसे भाई-बहन मिलते हैं जो उनके लिए पिता, माँ, भाई, बहन और बच्चे साबित होते हैं। बेशक यह आशीष उन सभी त्याग से कहीं बढ़कर है जो हमने परमेश्वर के राज की खातिर किए हैं।

“हमारी ज़िंदगी के लिए एक लंगर”

6. यहोवा ने इनाम देने का जो वादा किया है, उससे उसके सेवकों को कैसे मदद मिलती है?

6 आज कई बढ़िया आशीषों का आनंद उठाने के साथ-साथ, हम भविष्य में और भी आशीषें पाने की उम्मीद कर सकते हैं। (1 तीमु. 4:8) यहोवा ने अपने वफादार सेवकों को इनाम देने का वादा किया है और इस वादे की वजह से हम मुश्किल समय में धीरज रख पाते हैं। जी हाँ, अगर हमें पूरा यकीन है कि यहोवा “उन लोगों को इनाम देता है जो पूरी लगन से उसकी खोज करते हैं,” तो हम वफादार रह सकेंगे।—इब्रा. 11:6.

7. हमारी आशा कैसे एक लंगर की तरह है?

7 पहाड़ी उपदेश में यीशु ने कहा, “तुम आनंद मनाना और खुशी के मारे उछलना। इसलिए कि स्वर्ग में तुम्हारे लिए बड़ा इनाम है। उन्होंने तुमसे पहले के भविष्यवक्ताओं पर भी इसी तरह ज़ुल्म ढाए थे।” (मत्ती 5:12) यहोवा के कुछ सेवकों को स्वर्ग में इनाम मिलेगा और दूसरे सेवकों को धरती पर फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी का इनाम मिलेगा। यह भी ‘आनंद मनाने और खुशी के मारे उछलने’ की एक वजह है। (भज. 37:11; लूका 18:30) चाहे हमारी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर, यह आशा “हमारी ज़िंदगी के लिए एक लंगर है, जो पक्की और मज़बूत है।” (इब्रा. 6:17-20) ठीक जैसे एक लंगर जहाज़ को तूफान के दौरान स्थिर रखता है, वैसे ही हमारी मज़बूत आशा भी हमें स्थिर रखती है। और हमें मुश्किल समय में धीरज रखने की ताकत देती है।

8. हमारी आशा चिंताओं को कम करने में कैसे हमारी मदद करती है?

8 यह आशा अपनी चिंताओं को कम करने में हमारी मदद कर सकती है। जैसे मलहम लगाने से त्वचा को राहत मिलती है वैसे ही परमेश्वर के वादे हमारे बेचैन मन को शांत कर सकते हैं। यह जानकर हमें कितना दिलासा मिलता है कि जब हम यहोवा पर अपना बोझ डालते हैं तो वह हमें सँभालता है। (भज. 55:22) हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि हम परमेश्वर से जो भी माँगते हैं, वह ‘उससे कहीं बढ़कर हमारे लिए कर सकता है।’ (इफि. 3:20) यहोवा ज़रूर हमारी मदद करेगा, हमारी उम्मीद से “कहीं बढ़कर” मदद करेगा!

9. यहोवा की आशीष पाने के लिए क्या करना ज़रूरी है?

9 इनाम पाने के लिए, हमें यहोवा पर पूरा विश्वास होना चाहिए और उसकी हिदायतें माननी चाहिए। मूसा ने इसराएल राष्ट्र से कहा था, “जिस देश को तेरा परमेश्वर यहोवा तेरा भाग करके तुझे देता है, कि तू उसका अधिकारी हो, उसमें वह तुझे बहुत ही आशीष देगा। इतना अवश्य है कि तू अपने परमेश्वर यहोवा की बात चित्त लगाकर सुने, और इन सारी आज्ञाओं के मानने में जो मैं आज तुझे सुनाता हूँ चौकसी करे। तब तेरा परमेश्वर यहोवा अपने वचन के अनुसार तुझे आशीष देगा।” (व्यव. 15:4-6) क्या आपको पूरा यकीन है कि अगर आप वफादारी से यहोवा की सेवा करते रहेंगे तो वह आपको आशीष देगा? बिलकुल।

यहोवा ने उन्हें इनाम दिया

10, 11. यहोवा ने यूसुफ को क्या आशीषें दीं?

10 बाइबल हमारी भलाई के लिए लिखी गयी है। इसमें ऐसे कई उदाहरण दिए गए हैं जो बताते हैं कि परमेश्वर ने पुराने ज़माने के अपने वफादार सेवकों को इनाम दिया था। (रोमि. 15:4) यूसुफ इसका एक बढ़िया उदाहरण है। पहले तो उसके भाइयों ने उसे गुलामी में बेच दिया। बाद में, उसके मालिक की पत्नी ने उस पर झूठा इलज़ाम लगाया और उसे मिस्र की जेल में डाल दिया गया। क्या यहोवा ने यूसुफ को छोड़ दिया? नहीं। बाइबल बताती है, “यहोवा यूसुफ के संग संग रहा और उस पर करुणा” करता रहा। “यहोवा यूसुफ के साथ था; और जो कुछ वह करता था, यहोवा उसको उसमें सफलता देता था।” (उत्प. 39:21, 23) उस मुश्किल दौर में भी यूसुफ ने सब्र रखा और परमेश्वर पर आस लगाए रखी।

11 कई सालों बाद, फिरौन ने यूसुफ को जेल से आज़ाद किया। यूसुफ एक मामूली गुलाम से मिस्र का दूसरा सबसे बड़ा अधिकारी बना। (उत्प. 41:1, 37-43) जब यूसुफ और उसकी पत्नी के दो बेटे हुए तो “यूसुफ ने अपने जेठे का नाम यह कहके मनश्शे रखा, कि ‘परमेश्वर ने मुझ से मेरा सारा क्लेश, और मेरे पिता का सारा घराना भुला दिया है।’” उसने अपने दूसरे बेटे का नाम एप्रैम रखा और कहा, “मुझे दु:ख भोगने के देश में परमेश्वर ने फलवन्त किया है।” (उत्प. 41:51, 52) यहोवा ने यूसुफ की वफादारी के लिए उसे इनाम दिया। यूसुफ की बदौलत इसराएली और मिस्री लोग अकाल से बच पाए। वह जानता था कि उसे जो आशीषें मिली हैं वे यहोवा की तरफ से ही हैं।—उत्प. 45:5-9.

12. परीक्षाओं के दौरान किस बात ने यीशु को वफादार रहने में मदद दी?

12 यूसुफ की तरह, यीशु मसीह ने भी कई परीक्षाओं का सामना किया। उस दौरान उसने यहोवा की आज्ञा मानी और उसे इसका इनाम मिला। किस बात ने उसे वफादार बने रहने में मदद दी? परमेश्वर का वचन बताता है, “उसने उस खुशी के लिए जो उसके सामने थी, यातना की सूली पर मौत सह ली और शर्मिंदगी की ज़रा भी परवाह न की।” (इब्रा. 12:2) यीशु को इस बात की खुशी थी कि उसे परमेश्वर के नाम को पवित्र करने का मौका मिला है। इसके लिए उसे क्या इनाम मिला? उसे परमेश्वर की मंज़ूरी मिली और कई बढ़िया सम्मान भी मिले। बाइबल बताती है कि वह “परमेश्वर की राजगद्दी की दायीं तरफ बैठ गया।” एक और आयत बताती है, “परमेश्वर ने उसे पहले से भी ऊँचा पद देकर महान किया और मेहरबान होकर उसे वह नाम दिया जो दूसरे हर नाम से महान है।”—फिलि. 2:9.

यहोवा हमारे काम नहीं भूलता

13, 14. हम यहोवा के लिए जो भी करते हैं, वह उस बारे में कैसा महसूस करता है?

13 हम यकीन रख सकते हैं कि हम यहोवा की सेवा में जो भी करते हैं, उसकी वह बहुत कदर करता है। जब हमें खुद पर या अपनी काबिलीयतों पर भरोसा नहीं होता तो वह हमारी भावनाओं को समझता है। जब नौकरी या परिवार का गुज़ारा चलाने की चिंता हमें सताती है तो वह हमारी परेशानी जानता है। वह यह भी समझता है कि बीमार या मायूस होने पर हम उसकी सेवा में उतना नहीं कर पाते जितना हम पहले करते थे। मगर हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि इन परेशानियों के बावजूद जब हम उसके वफादार बने रहते हैं तो वह उसकी कदर करता है।—इब्रानियों 6:10, 11 पढ़िए।

14 यह भी याद रखिए कि यहोवा ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ परमेश्वर है। हम यकीन रख सकते हैं कि जब हम उससे प्रार्थना करते हैं, तो वह हमारी सुनता है। (भज. 65:2) ‘कोमल दया का पिता और हर तरह का दिलासा देनेवाला परमेश्वर’ हमारी हर तरह से मदद करेगा ताकि हम उसके करीब बने रहें। कभी-कभी वह शायद भाई-बहनों के ज़रिए हमारी मदद करे। (2 कुरिं. 1:3) जब हम दूसरों के साथ दया और करुणा से पेश आते हैं, तो यह बात यहोवा के दिल को छू जाती है। बाइबल बताती है, “जो कंगाल पर अनुग्रह करता है, वह यहोवा को उधार देता है, और वह अपने इस काम का प्रतिफल पाएगा।” (नीति. 19:17; मत्ती 6:3, 4) इसलिए जब हम उन भाई-बहनों की मदद करते हैं जो मुसीबत में हैं तो यहोवा की नज़र में यह ऐसा है मानो हमने उसे उधार दिया हो और वह वादा करता है कि वह इस उपकार का हमें इनाम देगा।

आज और आगे हमेशा के लिए मिलनेवाली आशीषें

15. आप कौन-से इनाम पाने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

15 अभिषिक्‍त मसीहियों की आशा है कि यीशु उन्हें इनाम में “नेकी का ताज” देगा। (2 तीमु. 4:7, 8) लेकिन अगर आपकी आशा धरती पर जीने की है तो इसका यह मतलब नहीं कि परमेश्वर की नज़र में आपका मोल कम है। दरअसल लाखों की तादाद में यीशु की “दूसरी भेड़ें” धरती पर अपना इनाम पाने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही हैं। वहाँ वे हमेशा के लिए जीएँगी और ‘बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएँगी।’—यूह. 10:16; भज. 37:11.

16. पहला यूहन्ना 3:19, 20 से हमें क्या दिलासा मिलता है?

16 कभी-कभी हमें शायद लगे कि हम यहोवा की सेवा में ज़्यादा नहीं कर पा रहे या हम शायद सोचें कि क्या पता यहोवा मेरी सेवा से खुश है भी कि नहीं। हमें शायद यह भी लगे कि हम कोई भी इनाम पाने के लायक नहीं। लेकिन हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि “परमेश्वर हमारे दिलों से बड़ा है और सारी बातें जानता है।” (1 यूहन्ना 3:19, 20 पढ़िए।) जब हम यहोवा की सेवा इसलिए करते हैं क्योंकि हम उससे प्यार करते हैं और उस पर विश्वास करते हैं तो हम यकीन रख सकते हैं कि वह हमें इनाम देगा। फिर चाहे हमें लगे कि हम जो कर रहे हैं उसका कोई खास मोल नहीं है।—मर. 12:41-44.

17. आज हमें कौन-सी आशीषें मिल रही हैं?

17 शैतान की दुष्ट दुनिया के इन आखिरी दिनों में भी यहोवा अपने लोगों को आशीषें दे रहा है। हम दुनिया-भर में फैली भाइयों की जिस बिरादरी का हिस्सा हैं, उसे वह भरपूर ज्ञान और शांति दे रहा है। (यशा. 54:13) जी हाँ, जैसा यीशु ने वादा किया था, यहोवा ने आज भी हमें इनाम दिया है और वह है, भाई-बहनों से मिलकर बना परिवार। (मर. 10:29, 30) यही नहीं, जो लोग पूरी लगन से परमेश्वर की खोज करते हैं उन्हें वह मन की शांति, संतुष्टि और खुशी देता है।—फिलि. 4:4-7.

18, 19. यहोवा के सेवकों ने उन आशीषों के बारे में क्या कहा जो उन्हें यहोवा से मिली हैं?

18 पूरी दुनिया में यहोवा के सेवकों को उससे कई आशीषें मिली हैं। उदाहरण के लिए, जर्मनी की रहनेवाली बीआन्का कहती है, “यहोवा मेरी परेशानियों में मेरी मदद करता है और हर दिन मेरा साथ देता है। मैं जितना यहोवा का धन्यवाद करूँ वह कम है। यह दुनिया बड़ी खतरनाक है लेकिन यहोवा के करीब रहने से मुझे सुकून मिलता है। मुझे लगता है कि मैं यहोवा की बाँहों में एकदम सुरक्षित हूँ। मैं उसके लिए जो भी त्याग करती हूँ वह मुझे सौ गुना आशीष देता है।”

19 अब 70 साल की पौला पर गौर कीजिए जो कनाडा की रहनेवाली है। उसे रीढ़ की हड्डी की एक गंभीर बीमारी है। वह बताती है कि इस बीमारी की वजह से वह ज़्यादा चल-फिर नहीं पाती। मगर इसका यह मतलब नहीं कि वह प्रचार में ज़्यादा नहीं कर पाती। वह कहती है, “मैं प्रचार के अलग-अलग तरीकों का फायदा उठाती हूँ। मैं टेलीफोन पर और मौके ढूँढ़कर लोगों को गवाही देती हूँ। मैं एक किताब में कुछ आयतें और अच्छे विचार लिखती हूँ जो हमारे प्रकाशनों से होते हैं और अपना हौसला बढ़ाने के लिए उसे समय-समय पर पढ़ती हूँ। मैंने उस किताब का नाम भी रखा है, ‘जीने की आस देनेवाली किताब।’ अगर हम यहोवा के वादों पर अपना ध्यान लगाए रखते हैं तो निराशा बस कुछ समय की होती है। यहोवा हमेशा हमारी मदद करने के लिए तैयार है, फिर चाहे हमारे हालात जैसे भी हों।” आपके हालात शायद बीआन्का या पौला से बिलकुल अलग हों। फिर भी, आप सोच सकते हैं कि यहोवा ने आपको और आपके आस-पास जो लोग हैं उन्हें किन तरीकों से आशीष दी है। वाकई इस बात पर मनन करना हमारे लिए फायदेमंद है कि यहोवा किस तरह आज हमें आशीष दे रहा है और आनेवाले समय में भी देगा।

20. अगर हम तन-मन से और पूरी वफादारी से यहोवा की सेवा करते रहेंगे तो हम क्या आस लगा सकते हैं?

20 कभी मत भूलिए कि सच्चे दिल से की गयी आपकी प्रार्थनाओं के लिए आपको “बड़ा इनाम दिया जाएगा।” आप यकीन रख सकते हैं कि ‘परमेश्वर की मरज़ी पूरी करने के बाद आप वह पा सकेंगे जिसका वादा परमेश्वर ने किया है।’ (इब्रा. 10:35, 36) इसलिए आइए हम अपना विश्वास मज़बूत करते जाएँ और यहोवा की सेवा करते रहने की पूरी कोशिश करें। हमें यकीन है कि यहोवा हमें इनाम देगा।—कुलुस्सियों 3:23, 24 पढ़िए।