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नौजवानो, “अपने उद्धार के लिए काम करते जाओ”

नौजवानो, “अपने उद्धार के लिए काम करते जाओ”

“तुम हमेशा से आज्ञा मानते आए हो। . . . तुम इसी तरह डरते-काँपते हुए अपने उद्धार के लिए काम करते जाओ।”​—फिलि. 2:12.

गीत: 41, 11

1. बपतिस्मा लेना क्यों ज़रूरी है? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

हर साल हज़ारों बाइबल विद्यार्थी बपतिस्मा लेते हैं। इनमें से कई छोटे बच्चे और नौजवान हैं। शायद उनकी परवरिश सच्चाई में हुई हो। क्या आपके बारे में भी यह सच है? अगर हाँ, तो बपतिस्मा लेकर आपने बहुत अच्छा फैसला किया है। मसीहियों के लिए बपतिस्मा लेना ज़रूरी है। वह इसलिए कि इससे उन्हें उद्धार मिल सकता है और हमेशा की ज़िंदगी भी।​—मत्ती 28:19, 20; 1 पत. 3:21.

2. यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करने से आपको क्यों पीछे नहीं हटना चाहिए?

2 यह सच है कि बपतिस्मा लेने से कई आशीषें मिलती हैं, लेकिन इसके साथ कई ज़िम्मेदारियाँ भी आती हैं। वह कैसे? उस दिन को याद कीजिए जब बपतिस्मे का भाषण देनेवाले भाई ने यह सवाल किया, “यीशु मसीह के बलिदान पर विश्वास करते हुए, क्या आपने अपने पापों का पश्‍चाताप किया है और यहोवा की मरज़ी पूरी करने के लिए अपनी ज़िंदगी उसे समर्पित की है?” आपने ‘हाँ’ कहकर इसका जवाब दिया था। उस दिन आपने यहोवा से एक गंभीर वादा किया। वह यह कि आप उससे प्यार करेंगे और उसकी मरज़ी को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देंगे। क्या उस वादे पर आपको कोई पछतावा होना चाहिए? बिलकुल नहीं! अगर आप अपनी ज़िंदगी वैसे जीएँगे जैसे यहोवा चाहता है, तो आप कभी नहीं पछताएँगे। ज़रा सोचिए, जो लोग यहोवा को नहीं जानते वे शैतान की दुनिया का हिस्सा हैं और शैतान को न तो उनकी परवाह है, न ही आपकी। वह तो यही चाहता है कि आप यहोवा की हुकूमत ठुकरा दें और हमेशा की ज़िंदगी खो दें। दरअसल वह आपकी बरबादी चाहता है!

3. यहोवा को अपना जीवन समर्पित करने से आपको क्या आशीषें मिली हैं?

3 ज़रा उन आशीषों के बारे में सोचिए जो समर्पण और बपतिस्मे के बाद आपको यहोवा से मिली हैं। आपने अपनी ज़िंदगी यहोवा के हवाले की है, इसलिए आप पूरे यकीन से कह सकते हैं, “यहोवा मेरी तरफ है, मैं नहीं डरूँगा। इंसान मेरा क्या कर सकता है?” (भज. 118:6) इससे बड़ा सम्मान और क्या हो सकता है कि आप यहोवा की तरफ हैं और उसे आप पर बहुत नाज़ है।

यह आपकी ज़िम्मेदारी है

4, 5. (क) बपतिस्मे के बाद यहोवा के साथ अपना रिश्ता मज़बूत करना क्यों हरेक की अपनी ज़िम्मेदारी है? (ख) कुछ परीक्षाएँ क्या हैं जो सभी मसीहियों पर आती हैं?

4 कुछ नौजवान सोचते हैं कि अगर उनके माता-पिता का यहोवा के साथ अच्छा रिश्ता है, तो उनका भी उसके साथ अपने आप अच्छा रिश्ता बन जाएगा। लेकिन यह रिश्ता कोई ज़मीन-जायदाद नहीं जो बच्चों को विरासत में अपने माँ-बाप से मिलती है। बपतिस्मा लेने के बाद यहोवा के साथ आपका अपना एक रिश्ता बन जाता है और इसे मज़बूत करते रहना आपकी ज़िम्मेदारी है, फिर चाहे आप नाबालिग हों। यह बात याद रखना क्यों ज़रूरी है? क्योंकि हममें से कोई नहीं जानता कि आगे चलकर हमें विश्वास की किन परीक्षाओं का सामना करना होगा। मिसाल के लिए, जब आपने बपतिस्मा लिया था तब शायद आप छोटे थे, मगर अब आप बड़े होने लगे हैं। आप नयी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं या आपके अंदर नयी भावनाएँ पैदा हो रही हैं। एक लड़की कहती है, “एक बच्चा यहोवा का साक्षी होने के नाते स्कूल में बर्थडे केक खाने से साफ मना कर दे और उसे इस बात का दुख भी न हो। लेकिन वही बच्चा जब जवान होने लगता है तो उसके लिए शायद सेक्स करने से इनकार करना बहुत मुश्किल हो। ऐसे हालात में उसे पूरा यकीन होना चाहिए कि यहोवा के कानून मानने में उसी की भलाई है।”

5 लेकिन सिर्फ नौजवानों को नयी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता। बपतिस्मे के बाद बड़े लोगों के भी विश्वास की परख होती है। उन्हें शादीशुदा ज़िंदगी में, काम की जगह पर या सेहत को लेकर कई परीक्षाओं का सामना करना पड़ सकता है। सच तो यह है कि ऐसे हालात में हर उम्र के लोगों को यहोवा के लिए अपनी वफादारी बनाए रखनी होगी।​—याकू. 1:12-14.

6. (क) बिना किसी शर्त के यहोवा को जीवन समर्पित करने का क्या मतलब है? (ख) फिलिप्पियों 4:11-13 से आपने क्या सीखा?

6 यहोवा के वफादार रहने में क्या बात आपकी मदद कर सकती है? हमेशा याद रखिए कि आपने बिना किसी शर्त के यहोवा को अपना जीवन समर्पित किया था। इसका मतलब है कि आपने परम-प्रधान यहोवा से वादा किया था कि आप उसकी सेवा करना कभी नहीं छोड़ेंगे, फिर चाहे आपके दोस्त या माता-पिता उसकी सेवा करना छोड़ दें। (भज. 27:10) अपने वादे को निभाते रहने के लिए यहोवा से मदद माँगिए।​—फिलिप्पियों 4:11-13 पढ़िए।

7. “डरते-काँपते हुए” अपने उद्धार के लिए काम करने का क्या मतलब है?

7 यहोवा चाहता है कि आप उसके दोस्त बनें। लेकिन इस दोस्ती को बनाए रखने और उद्धार पाने के लिए मेहनत लगती है। इसलिए फिलिप्पियों 2:12 में लिखा है, “तुम . . . डरते-काँपते हुए अपने उद्धार के लिए काम करते जाओ।” इन शब्दों से पता चलता है कि हमें गहराई से सोचना चाहिए कि हम कैसे यहोवा के करीब रह सकते हैं और हर हाल में अपनी वफादारी बनाए रख सकते हैं। यह क्यों ज़रूरी है? क्योंकि परमेश्वर के कुछ सेवक जिन्होंने कई साल उसकी सेवा की, विश्वास की राह से भटक गए हैं। यह सोचना गलत होगा कि हमारे साथ ऐसा कभी नहीं होगा। तो फिर, उद्धार के लिए काम करते रहने में क्या बातें आपकी मदद कर सकती हैं?

बाइबल का अध्ययन करना ज़रूरी है

8. निजी अध्ययन करने में क्या शामिल है? अध्ययन करना क्यों ज़रूरी है?

8 यहोवा का दोस्त बनने के लिए ज़रूरी है कि आप उसकी सुनें और उससे बात करें। उसकी बात सुनने का एक अहम तरीका है अध्ययन करना। इसमें बाइबल और बाइबल पर आधारित प्रकाशन पढ़ना और उन पर मनन करना शामिल है। लेकिन अध्ययन करने का यह मतलब नहीं कि आप बातों को मुँह-ज़बानी याद कर लें, जैसे आप स्कूल में इम्तहान देने के लिए करते हैं। इसके बजाय, यह ऐसा है मानो आप एक रोमांचक सफर पर निकले हैं और आप यहोवा के बारे में नयी-नयी बातें जानने और सीखने लगे हैं। नतीजा यह होगा कि आप परमेश्वर के करीब आएँगे और वह भी आपके करीब आएगा।​—याकू. 4:8.

आप कितनी अच्छी तरह यहोवा की सुनते हैं और उससे बात करते हैं? (पैराग्राफ 8-11 देखिए)

9. किन प्रकाशनों से आपको अध्ययन करने में मदद मिली है?

9 अध्ययन से पूरा फायदा पाने के लिए यहोवा के संगठन ने आपके लिए कई प्रकाशन तैयार किए हैं। मिसाल के लिए, jw.org वेबसाइट पर “नौजवानों के लिए” भाग में “पढ़ो, समझो और करो” श्रृंखला दी गयी है। इसमें बताया गया है कि आप बाइबल की घटनाओं से क्या सीख सकते हैं और किस तरह उसे लागू कर सकते हैं। वेबसाइट पर “पवित्र शास्त्र असल में क्या सिखाता है?” श्रृंखला भी दी गयी है। इसमें दिए अभ्यास की मदद से आप अपना विश्वास मज़बूत कर सकते हैं और दूसरों को भी अपने विश्वास के बारे में बता सकते हैं। अध्ययन करने के और भी सुझाव जुलाई 2009 की सजग होइए! के लेख, “मैं अपनी बाइबल पढ़ाई मज़ेदार कैसे बनाऊँ?” में दिए गए हैं। जी हाँ, उद्धार पाने के लिए अध्ययन और मनन करना बहुत ज़रूरी है।​—भजन 119:105 पढ़िए।

प्रार्थना करना ज़रूरी है

10. बपतिस्मा पाए मसीहियों को क्यों प्रार्थना करनी चाहिए?

10 जब हम बाइबल का अध्ययन करते हैं तो हम यहोवा की सुन रहे होते हैं, लेकिन जब हम प्रार्थना करते हैं तो हम यहोवा से बात कर रहे होते हैं। याद रखिए प्रार्थना कोई जादुई मंत्र नहीं है, न ही यह खानापूर्ति के लिए की जानी चाहिए। दरअसल जब हम प्रार्थना करते हैं तो हम पूरी दुनिया के बनानेवाले यहोवा से बात कर रहे होते हैं। ज़रा सोचिए, यहोवा आपकी सुनना चाहता है। वह जानना चाहता है कि आप उससे क्या कहना चाहते हैं। (फिलिप्पियों 4:6 पढ़िए।) इसलिए जब आप किसी वजह से परेशान हो उठते हैं, तो बाइबल की इस सलाह को मानिए, “अपना सारा बोझ यहोवा पर डाल दे।” (भज. 55:22) लाखों भाई-बहन बता सकते हैं कि इस सलाह से उन्हें कितना फायदा हुआ है। आपको भी इससे फायदा हो सकता है।

11. आपको क्यों यहोवा का हमेशा धन्यवाद करना चाहिए?

11 लेकिन हमें सिर्फ तभी प्रार्थना नहीं करनी चाहिए जब हमें यहोवा से मदद चाहिए। बाइबल बताती है, “दिखाओ कि तुम कितने एहसानमंद हो।” (कुलु. 3:15) कभी-कभी हम अपनी समस्याओं को लेकर इतने परेशान हो जाते हैं कि हम उन आशीषों पर ध्यान नहीं देते जो यहोवा ने हमें दी हैं। इसलिए इस सुझाव को आज़माइए: हर दिन ऐसी तीन चीज़ों के बारे में सोचिए जिनके लिए आप एहसानमंद हैं और फिर उनके लिए यहोवा को शुक्रिया कहिए। अबीगैल जिसने 12 साल की उम्र में बपतिस्मा लिया था, कहती है, “मैं मानती हूँ कि पूरे विश्व में यहोवा ही ऐसा है जिसका हमें सबसे ज़्यादा एहसान मानना चाहिए। उसने हमें ढेरों तोहफे दिए हैं और हमें हमेशा उसका धन्यवाद करना चाहिए।” कभी-कभी अबीगैल खुद से यह सवाल करती है जो उसने एक बार कहीं सुना था, “मान लीजिए, कल आपके पास सिर्फ वही चीज़ें बचेंगी जिनके लिए आप आज यहोवा का धन्यवाद करते हैं, तो सोचिए कल आपके पास कितनी चीज़ें होंगी?”

अपने अनुभव से सीखिए

12, 13. यहोवा ने किस तरह आपके मामले में दिखाया है कि वह भला है? इस बारे में सोचना क्यों ज़रूरी है?

12 राजा दाविद ने अपनी ज़िंदगी में कई मुश्किलों का सामना किया लेकिन यहोवा ने उसका साथ नहीं छोड़ा। इस वजह से दाविद कह सका, “परखकर देखो कि यहोवा कितना भला है, सुखी है वह इंसान जो उसकी पनाह में आता है।” (भज. 34:8) यह आयत दिखाती है कि हरेक को परखकर खुद देखना होगा कि यहोवा कितना भला है। जब आप बाइबल और दूसरे प्रकाशनों को पढ़ते हैं, सभाओं में हाज़िर होते हैं, तो आप सीखते हैं कि कैसे परमेश्वर ने दूसरों की मदद की कि वे वफादार रहें। लेकिन जैसे-जैसे यहोवा के साथ आपका रिश्ता मज़बूत होता है, यह समझने की कोशिश कीजिए कि यहोवा किस तरह आपकी मदद कर रहा है। आप क्या कहेंगे, यहोवा ने किस तरह आपके मामले में दिखाया है कि वह भला है?

13 दरअसल सभी मसीहियों ने एक खास तरीके से यहोवा की भलाई का अनुभव किया है। वह कैसे? यहोवा ने हममें से हरेक को अपने और अपने बेटे के करीब आने का सुनहरा मौका दिया है। यीशु ने कहा, “कोई भी इंसान मेरे पास तब तक नहीं आ सकता जब तक कि पिता जिसने मुझे भेजा है, उसे मेरे पास खींच न लाए।” (यूह. 6:44) क्या आपको लगता है कि यहोवा ने आपको अपने पास खींचा है? या क्या आप यह सोचते हैं, ‘यहोवा ने मेरे माता-पिता को अपनी तरफ खींचा है और मैं तो बस वही करता हूँ जो वे करते हैं।’ याद रखिए कि जब आपने यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित की और बपतिस्मा लिया तो उसके साथ आपका एक खास रिश्ता बन गया। बाइबल इस बारे में बताती है, “अगर कोई परमेश्वर से प्यार करता है, तो परमेश्वर उसे जानता है।” (1 कुरिं. 8:3) यहोवा ने आपको अपने संगठन में एक जगह दी है, इसकी हमेशा कदर कीजिए।

14, 15. प्रचार से किस तरह आपका विश्वास मज़बूत होता है?

14 जब आप प्रचार में और स्कूल में हिम्मत के साथ अपने विश्वास के बारे में बताते हैं, तब भी आप यहोवा की भलाई का अनुभव कर पाते हैं। शायद अपने साथियों को सच्चाई के बारे में बताना आपके लिए मुश्किल हो। आप शायद सोचें कि पता नहीं वे क्या कहेंगे। और-तो-और, पूरी क्लास के सामने अपने विश्वास के बारे में बताना हरगिज़ आसान नहीं। ऐसे में क्या बात आपकी मदद करेगी?

15 सबसे पहले सोचिए कि आप जो मानते हैं उस पर आपको इतना यकीन क्यों है। हमारी वेबसाइट पर “अभ्यास” नाम का जो भाग दिया गया है, उसका अच्छा इस्तेमाल कीजिए। उसकी मदद से आप जाँच सकते हैं कि आप क्या मानते हैं, ऐसा क्यों मानते हैं और आप जो मानते हैं, वह दूसरों को कैसे समझा सकते हैं। जब आप अच्छी तैयारी करेंगे और आपको अपने विश्वास का पक्का यकीन होगा, तो आप यहोवा के बारे में बताने से खुद को रोक नहीं पाएँगे।​यिर्म. 20:8, 9.

16. आप किस तरह हिम्मत के साथ अपने विश्वास के बारे में बता सकते हैं?

16 हो सकता है, अच्छी तैयारी करने के बाद भी आपको अपने विश्वास के बारे में बताने में घबराहट हो। अठारह साल की एक बहन का उदाहरण लीजिए जिसने 13 की उम्र में बपतिस्मा लिया था। वह कहती है, “मैं अच्छी तरह जानती हूँ कि मैं क्या मानती हूँ लेकिन कभी-कभी इसे शब्दों में बयान करना मेरे लिए मुश्किल होता है।” यह बहन इस मुश्किल का सामना कैसे करती है? वह बिना घबराए खुलकर सच्चाई के बारे में बताने की कोशिश करती है। वह कहती है, “मैंने देखा है कि क्लास के बच्चे जो भी करते हैं उसके बारे में खुलकर बात करते हैं। फिर मैंने सोचा कि मुझे भी ऐसा करना चाहिए। मैं बातों-बातों में उनसे कहती हूँ, ‘पता है उस दिन मैं किसी को बाइबल के बारे में सिखा रही थी और हुआ यह . . .’ इसके बाद मैं अपनी बात जारी रखती हूँ। हालाँकि मैं सीधे-सीधे उन्हें बाइबल के बारे में नहीं बताती, लेकिन मेरी बात सुनकर वे जानना चाहते हैं कि मैं क्या काम करती हूँ। कभी-कभी तो वे मुझसे बाइबल के बारे में भी सवाल करते हैं। मैं जब भी यह तरीका अपनाती हूँ मेरे लिए अपने विश्वास के बारे में दूसरों को बताना आसान हो जाता है। इससे मुझे बहुत खुशी मिलती है!”

17. अपने विश्वास के बारे में बताने में और क्या बात आपकी मदद कर सकती है?

17 जब आप दूसरों में दिलचस्पी लेंगे और आदर के साथ पेश आएँगे तो वे भी आपके साथ इसी तरह पेश आएँगे। सत्रह साल की औलिवीया जिसने छोटी उम्र में बपतिस्मा लिया था कहती है, “मुझे हमेशा यह डर सताता था कि अगर मैं बाइबल का ज़िक्र करूँ, तो स्कूल के बच्चे मुझे पागल समझेंगे।” लेकिन फिर उसने अपनी सोच बदली। यह चिंता करने के बजाय कि दूसरे क्या कहेंगे वह सोचने लगी, “कई नौजवान यहोवा के साक्षियों के बारे में कुछ नहीं जानते। वे सिर्फ हम गिने-चुने साक्षियों को ही जानते हैं जो उनके साथ स्कूल में पढ़ते हैं। इसलिए हम जिस तरह उनके साथ पेश आएँगे उससे वे हम साक्षियों के बारे में राय कायम कर लेंगे। अगर हम अपने विश्वास के बारे में बताने में शर्म महसूस करें या झिझकें तो वे हमारे बारे में क्या सोचेंगे? यही कि हमें साक्षी होने पर गर्व नहीं। वे शायद यह देखकर हमारा मज़ाक उड़ाएँ कि हम जो बोल रहे हैं, उस पर हमें खुद यकीन नहीं। लेकिन जब हम अपनी बातचीत में अपने साथियों को अपने विश्वास के बारे में खुलकर और पूरे यकीन के साथ बताते हैं तो यह देखकर वे हमारा आदर करेंगे।”

अपने उद्धार के लिए काम करते जाइए

18. उद्धार पाने के लिए आपको क्या करना होगा?

18 अब तक हमने यह सीखा कि हममें से हरेक को अपने उद्धार के लिए काम करना होगा। इसके लिए आपको परमेश्वर का वचन पढ़ना और उस पर मनन करना होगा, यहोवा से प्रार्थना करनी होगी और सोचना होगा कि किन तरीकों से यहोवा ने आपका साथ दिया है। ऐसा करने से आपका यकीन बढ़ेगा कि यहोवा आपका दोस्त है और आप दूसरों को अपने विश्वास के बारे में बताने के लिए उभारे जाएँगे।​—भजन 73:28 पढ़िए।

19. अपने उद्धार के लिए आप जो भी मेहनत करेंगे वह बेकार क्यों नहीं जाएगी?

19 यीशु ने कहा, “अगर कोई मेरे पीछे आना चाहता है, तो वह खुद से इनकार करे और अपना यातना का काठ उठाए और मेरे पीछे चलता रहे।” (मत्ती 16:24) जी हाँ, यीशु का चेला बनने के लिए ज़रूरी है कि हर मसीही यहोवा को अपना जीवन समर्पित करे और बपतिस्मा ले। लेकिन बपतिस्मा, उस खूबसूरत सफर की बस एक शुरूआत है जो हमें नयी दुनिया तक ले जा सकता है और हमेशा की ज़िंदगी दिला सकता है। इसलिए अपने उद्धार के लिए काम करते जाइए। यकीन रखिए, आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी।