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क्या आपको याद है?

क्या आपको याद है?

क्या आपने हाल की प्रहरीदुर्ग  पत्रिकाएँ ध्यान से पढ़ी हैं? देखिए कि क्या आप नीचे दिए सवालों के जवाब दे पाते हैं या नहीं:

पवित्र शास्त्र से क्या सबूत मिलता है कि ईश्‍वर को हमसे हमदर्दी है?

पुराने ज़माने में जब इसराएली लोग मिस्र में गुलाम थे, तो ईश्‍वर जानता था कि वे तकलीफ में हैं और उनका दर्द भी महसूस करता था। (निर्ग. 3:7; यशा. 63:9) हमें ईश्‍वर की छवि में बनाया गया है और हम भी हमदर्दी जता सकते हैं। ईश्‍वर हर हाल में हमसे हमदर्दी रखता है, तब भी जब हम खुद को उसके प्यार के लायक नहीं समझते।​—जन18 अंक3  पेज 8-9.

यीशु की शिक्षाओं ने किस तरह लोगों की मदद की कि वे भेदभाव न करें?

यीशु के समय में कई यहूदी भेदभाव करते थे। यीशु ने सिखाया कि अपनी जाति पर घमंड करना गलत बात है और नम्र होना कितना ज़रूरी है। उसने चेलों को बढ़ावा दिया कि वे एक-दूसरे को अपना भाई-बहन मानें।​—प्र18.06  पेज 9-10.

परमेश्‍वर ने जिस वजह से मूसा को वादा किए देश में जाने से रोका, उससे हम क्या सीखते हैं?

मूसा की यहोवा के साथ गहरी दोस्ती थी। (व्यव. 34:10) जब इसराएलियों का 40 साल वीराने में भटकने का समय पूरा होनेवाला था, तब उन्होंने दूसरी बार पानी न होने की शिकायत की। परमेश्‍वर ने मूसा को हिदायत दी कि वह पानी के लिए चट्टान से बोले। लेकिन ऐसा करने के बजाय मूसा ने चट्टान को मारा। यहोवा को मूसा पर शायद इसलिए गुस्सा आया कि उसने उसकी हिदायतें नहीं मानी या इसलिए कि मूसा ने इस चमत्कार के लिए परमेश्‍वर की महिमा नहीं की। (गिन. 20:6-12) इस घटना से हम सीखते हैं कि यहोवा की बात मानना और उसकी महिमा करना कितना ज़रूरी है!​—प्र18.07  पेज 13-14.

किन बातों की वजह से हम लोगों के बारे में गलत राय कायम कर सकते हैं?

ऐसी तीन बातें हैं जिनकी वजह से हम लोगों के बारे में गलत राय कायम कर सकते हैं जैसे, उनकी जाति या राष्ट्र, उनकी हैसियत और उनकी उम्र। यह बहुत ज़रूरी है कि हम दूसरों को यहोवा की नज़र से देखने की कोशिश करें, क्योंकि यहोवा किसी के साथ भेदभाव नहीं करता। (प्रेषि. 10:34, 35)​—प्र18.08  पेज 8-12.

बुज़ुर्ग मसीही किन तरीकों से दूसरों की मदद कर सकते हैं?

जिस बुज़ुर्ग मसीही की ज़िम्मेदारी बदल जाती है, उसे परमेश्‍वर अब भी अनमोल समझता है। यही नहीं, वह अब भी दूसरों की बहुत मदद कर सकता है, जैसे मंडली में बहनों के अविश्‍वासी पतियों से दोस्ती करना, कमज़ोर भाई-बहनों की मदद करना, बाइबल अध्ययन चलाना और अलग-अलग तरीकों से प्रचार करना।​—प्र18.09  पेज 8-11.

प्रकाशनों के पिटारे में कौन-से प्रकाशन पाए जाते हैं?

इसमें संपर्क कार्ड और निमंत्रण-पत्र हैं। इसके अलावा, इसमें सोच-समझकर तैयार किए गए आठ परचे, प्रहरीदुर्ग  और सजग होइए!  पत्रिकाएँ, कुछ ब्रोशर, अध्ययन करने के लिए दो मुख्य किताबें और चार वीडियो भी हैं। इनमें से एक वीडियो है बाइबल का अध्ययन क्यों करें?​—प्र18.10  पेज 16.

एक मसीही किस तरह “सच्चाई को खरीद” सकता है जैसे नीतिवचन 23:23 में बढ़ावा दिया गया है?

सच्चाई को खरीदने के लिए हमें पैसे नहीं देने पड़ते, लेकिन उसे पाने के लिए हमें वक्‍त ज़रूर निकालना पड़ता है और मेहनत करनी पड़ती है।​—प्र18.11  पेज 4.

होशे जिस तरह अपनी पत्नी गोमेर से पेश आया, उससे हम क्या सीख सकते हैं?

गोमेर ने बार-बार व्यभिचार किया, फिर भी होशे ने उसे माफ कर दिया और उसे नहीं त्यागा। जब एक मसीही का जीवन-साथी किसी के साथ नाजायज़-यौन संबंध रखता है, तो निर्दोष साथी चाहे तो उसे माफ कर सकता है। अगर वह अपने दोषी साथी के संग दोबारा यौन-संबंध रखता है, तो इसके बाद तलाक लेने का कोई शास्त्रीय आधार नहीं रह जाता।​—प्र18.12  पेज 13.