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क्या आपको याद है?

क्या आपको याद है?

क्या आप 2019 की प्रहरीदुर्ग  पत्रिकाओं के आधार पर यहाँ दिए सवालों के जवाब दे पाएँगे?

परमेश्‍वर के इस वादे से हमें क्या भरोसा मिलता है: “तुम्हारे खिलाफ उठनेवाला कोई भी हथियार कामयाब नहीं होगा”? (यशा. 54:17)

हमें यह भरोसा मिलता है कि परमेश्‍वर ‘ज़ालिमों के कहर’ से हमारी हिफाज़त करेगा। (यशा. 25:4, 5) दुश्‍मन हमारा ऐसा कोई नुकसान नहीं कर सकते, जिसकी भरपाई न की जा सके।—प्र19.01  पेज 6-7.

परमेश्‍वर जिस तरह कनानियों और आज्ञा न माननेवाले इसराएलियों के साथ पेश आया, उससे कैसे ज़ाहिर हुआ कि वह न्याय का परमेश्‍वर है?

परमेश्‍वर उन लोगों को सज़ा देता था, जो नाजायज़ यौन-संबंध जैसे घिनौने काम करते थे या जो औरतों और बच्चों को सताते थे। दूसरी तरफ, वह उन लोगों को आशीषें देता था, जो उसकी आज्ञा मानते और दूसरों के साथ न्याय से पेश आते थे।—प्र19.02  पेज 22-23.

अगर हम किसी जगह मौजूद हों और वहाँ कोई अविश्‍वासी प्रार्थना करे, तब हमें क्या करना चाहिए?

हम शांत रहेंगे और आदर से पेश आएँगे, लेकिन हम “आमीन” कहकर उस प्रार्थना में शामिल नहीं होंगे, न ही प्रार्थना के दौरान दूसरों का हाथ पकड़ेंगे। हम चाहे तो मन-ही-मन अपनी प्रार्थना कर सकते हैं।—प्र19.03  पेज 31.

बाल यौन-शोषण कितना गंभीर है?

बाल यौन-शोषण पीड़ित व्यक्‍ति के खिलाफ, मंडली, सरकारी अधिकारियों और यहोवा के खिलाफ एक गंभीर पाप है। जिन देशों में यह कानून है कि बाल यौन-शोषण का मामला पुलिस में रिपोर्ट किया जाना चाहिए, वहाँ प्राचीन यह कानून मानते हैं।—प्र19.05  पेज 9-10.

अपनी सोच और नज़रिया बदलने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

कुछ ज़रूरी कदम हैं: यहोवा से प्रार्थना करना, खुद की जाँच करने के लिए मनन करना और सोच-समझकर संगति करना।—प्र19.06  पेज 11.

ज़ुल्मों का सामना करने के लिए हमें अभी से क्या तैयारी करनी चाहिए?

हमें यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करना चाहिए। हमें यकीन रखना चाहिए कि वह हमसे प्यार करता है और हमें कभी नहीं त्यागेगा। हमें हर दिन बाइबल पढ़नी चाहिए और लगातार प्रार्थना करनी चाहिए। हमें यकीन रखना चाहिए कि परमेश्‍वर ने अपने राज के बारे में जो वादे किए हैं, वे ज़रूर पूरे होंगे। हमें अपनी मनपसंद आयतें और यहोवा की स्तुति में गाए जानेवाले गीत मुँह-ज़बानी याद करने चाहिए।—प्र19.07  पेज 2-4.

उद्धार पाने में हम अपने रिश्‍तेदारों की किस तरह मदद कर सकते हैं?

इसके लिए ज़रूरी है कि हम उनसे हमदर्दी रखें, अपनी अच्छी मिसाल से गवाही दें, उनके साथ सब्र रखें और प्यार से पेश आएँ।—प्र19.08  पेज 15-17.

जैसे यीशु ने मत्ती 11:28 में वादा किया था, हमें ताज़गी क्यों मिलती है?

वह इसलिए कि हमारे निगरान सबसे अच्छे हैं और हमसे बहुत प्यार करते हैं, हमें सबसे अच्छे किस्म के दोस्त मिले हैं और हमें सबसे बढ़िया काम दिया गया है।—प्र19.09  पेज 23.

परमेश्‍वर कैसे अपनी मरज़ी पूरी करने के लिए हममें इच्छा पैदा करता है और उसे पूरा करने की ताकत देता है? (फिलि. 2:13)

जब हम परमेश्‍वर का वचन पढ़ते हैं और उस पर मनन करते हैं, तो यहोवा हमारे अंदर इच्छा पैदा करता है और हमें ताकत देता है, ताकि हमने उसकी सेवा में जो करने की सोची है, उसे पूरा कर सकें। यहोवा की पवित्र शक्‍ति की मदद से हम अपना हुनर भी निखार पाते हैं।—प्र19.10  पेज 21.

कोई अहम फैसला लेने से पहले क्या करना ज़रूरी है?

पाँच कदम उठाने ज़रूरी हैं: अच्छी तरह खोजबीन कीजिए, बुद्धि के लिए प्रार्थना कीजिए, अपने इरादों की जाँच कीजिए, लक्ष्य हासिल करने के लिए कुछ कीजिए और सही उम्मीदें लगाइए।—प्र19.11  पेज 27-29.

शैतान ने हव्वा से जो कहा, क्या उससे अमर आत्मा की शिक्षा की शुरूआत हुई?

शायद नहीं। शैतान ने हव्वा से यह नहीं कहा था कि उसका शरीर तो मर जाएगा, मगर आत्मा कहीं-न-कहीं ज़िंदा रहेगी। इसके बजाय, उसने कहा कि वह हरगिज़ नहीं मरेगी। जलप्रलय में सभी झूठी शिक्षाएँ मिट गयी थीं। अमर आत्मा की शिक्षा की शुरूआत शायद तब हुई जब लोग बाबेल की मीनार बना रहे थे, क्योंकि जब यहोवा ने उनकी भाषा में गड़बड़ी डाली, तो वे अपने साथ यह झूठी शिक्षा भी ले गए।—प्र19.12  पेज 15.