इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्ययन लेख 52

नौजवान बहनो, और भी अच्छे मसीही बनिए!

नौजवान बहनो, और भी अच्छे मसीही बनिए!

‘औरतें हर बात में संयम बरतनेवाली हों, सब बातों में विश्‍वासयोग्य हों।’​—1 तीमु. 3:11.

गीत 133 जवानी में यहोवा की सेवा करें

एक झलक a

1. एक अच्छे या प्रौढ़ मसीही बनने के लिए हमें क्या करना होगा?

 बच्चे कितनी जल्दी बड़े हो जाते हैं, वक्‍त का पता ही नहीं चलता! हम मसीहियों को भी मानो बढ़ते रहना है, हमें प्रौढ़ बनते जाना है। बच्चे तो अपने आप बढ़ जाते हैं, लेकिन हमें एक अच्छे या प्रौढ़ मसीही बनने के लिए मेहनत करनी होगी। b (1 कुरिं. 13:11; इब्रा. 6:1) हम यह कैसे कर सकते हैं? इसके लिए ज़रूरी है कि यहोवा के साथ हमारा एक मज़बूत रिश्‍ता हो। हमें उसकी पवित्र शक्‍ति की भी मदद लेनी होगी। तभी हम अपने अंदर ऐसे गुण बढ़ा पाएँगे जिनसे यहोवा खुश हो, हम ऐसे हुनर सीख पाएँगे जो हमारे काम आएँ और भविष्य में ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के लिए अभी से तैयारी कर पाएँगे।​—नीति.1:5.

2. (क) उत्पत्ति 1:27 से क्या पता चलता है? (ख) इस लेख में हम क्या जानेंगे?

2 यहोवा ने इंसानों को नर और नारी बनाया था। (उत्पत्ति 1:27 पढ़िए।) आदमी और औरत दिखने में तो अलग होते ही हैं, लेकिन उनमें और भी बहुत-सी बातें अलग होती हैं। जैसे यहोवा ने दोनों को ही अलग-अलग ज़िम्मेदारियाँ दी हैं। और इन ज़िम्मेदारियों को अच्छी तरह निभाने के लिए उन्हें अपने अंदर कुछ गुण बढ़ाने होते हैं और कुछ हुनर सीखने होते हैं। (उत्प. 2:18) इस लेख में हम जानेंगे कि नौजवान बहनें कैसे प्रौढ़ बन सकती हैं। और अगले लेख में हम देखेंगे कि नौजवान भाई कैसे प्रौढ़ बन सकते हैं।

ऐसे गुण बढ़ाएँ जिनसे परमेश्‍वर खुश हो

अगर आप रिबका, एस्तेर और अबीगैल जैसी वफादार औरतों की तरह अपने अंदर अच्छे गुण बढ़ाएँ, तो आप प्रौढ़ बन पाएँगी (पैराग्राफ 3-4)

3-4. नौजवान बहनें किनके उदाहरण से बहुत कुछ सीख सकती हैं? (तसवीर भी देखें।)

3 बाइबल में ऐसी बहुत-सी औरतों के बारे में बताया गया है जो यहोवा से प्यार करती थीं और जिन्होंने तन-मन से उसकी सेवा की। (jw.org पर दिया लेख “बाइबल में बतायी गयी औरतों से हम क्या सीख सकते हैं?” पढ़ें।) जैसे इस लेख के मुख्य वचन में बताया गया है, वे औरतें ‘हर बात में संयम बरतती थीं’ और “सब बातों में विश्‍वासयोग्य” थीं। नौजवान बहनो, आप इन औरतों से बहुत कुछ सीख सकती हैं। इनके अलावा हो सकता है, आपकी मंडली में भी ऐसी बहुत-सी प्रौढ़ बहनें हों जिनसे आप काफी कुछ सीख सकती हैं।

4 ज़रा कुछ ऐसी प्रौढ़ बहनों के बारे में सोचिए जिनकी तरह आप बनना चाहती हैं। ध्यान दीजिए कि उनमें कौन-से गुण हैं और फिर सोचिए कि आप उनकी तरह कैसे बन सकती हैं। आगे के कुछ पैराग्राफों में हम ऐसे तीन गुणों पर चर्चा करेंगे जो आप बढ़ा सकती हैं।

5. एक प्रौढ़ मसीही बनने के लिए नम्र होना क्यों ज़रूरी है?

5 एक प्रौढ़ या अच्छा मसीही बनने के लिए नम्र होना बहुत ज़रूरी है। जो बहन नम्र होती है, उसका यहोवा और दूसरों के साथ एक अच्छा रिश्‍ता होता है। (याकू. 4:6) जैसे अगर एक बहन नम्र हो और यहोवा से प्यार करती हो, तो वह 1 कुरिंथियों 11:3 में दिया सिद्धांत मानेगी और मंडली में या परिवार में जिन्हें कुछ अधिकार दिया गया है, उनके अधीन रहेगी। c

6. रिबका ने कैसे दिखाया कि वह नम्र है और आज नौजवान बहनें उसकी तरह कैसे बन सकती हैं?

6 ज़रा रिबका के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। वह एक समझदार औरत थी। वह जानती थी कि उसे कब-क्या करना है और उसने पूरी ज़िंदगी हिम्मत से काम लिया। (उत्प. 24:58; 27:5-17) लेकिन वह दूसरों का आदर भी करती थी और जिन्हें कुछ अधिकार दिया गया था, उनके अधीन रहती थी। (उत्प. 24:17, 18, 65) तो क्यों ना आप भी रिबका की तरह नम्र बनें और उन लोगों का पूरा साथ दें जिन्हें यहोवा ने कुछ अधिकार दिया है? इस तरह आप अपने परिवारवालों के लिए और मंडली के भाई-बहनों के लिए एक अच्छी मिसाल बन पाएँगी।

7. हम क्यों कह सकते हैं कि एस्तेर मर्यादा में रहती थी और आज नौजवान बहनें उसकी तरह कैसे बन सकती हैं?

7 एक अच्छा या प्रौढ़ मसीही मर्यादा में रहता है। वह यह नहीं सोचता कि उसे सबकुछ पता है। बाइबल में लिखा है, “जो अपनी मर्यादा में रहता है वह बुद्धिमान है।” (नीति. 11:2) एस्तेर भी ऐसी ही औरत थी। वह मर्यादा में रहती थी और अपने बड़े भाई मोर्दकै की सुनती थी। रानी बनने के बाद भी वह घमंड से नहीं फूल गयी, बल्कि जब मोर्दकै ने उसे अच्छी सलाह दी, तो उसने उसे माना। (एस्ते. 2:10, 20, 22) नौजवान बहनो, जब आप अनुभवी मसीहियों से सलाह लेंगी और उसे मानेंगी, तो आप दिखाएँगी कि आप भी एस्तेर की तरह मर्यादा में रहती हैं।​—तीतु. 2:3-5.

8. 1 तीमुथियुस 2:9, 10 के मुताबिक एक बहन सजने-सँवरने के मामले में कैसे सही फैसला कर सकती है?

8 एस्तेर ने एक और तरीके से दिखाया कि वह मर्यादा में रहती थी। बाइबल में लिखा है कि “वह बहुत खूबसूरत थी और उसका रंग-रूप देखते ही बनता था।” फिर भी उसने अपनी तरफ लोगों का ध्यान नहीं खींचा। (एस्ते. 2:7, 15) आज मसीही बहनें एस्तेर से क्या सीख सकती हैं? ध्यान दीजिए कि इस बारे में 1 तीमुथियुस 2:9, 10 में क्या बताया गया है। (पढ़िए।) इस आयत में प्रेषित पौलुस ने मसीही बहनों से कहा कि वे ऐसे कपड़े पहनें, जिससे पता चले कि वे मर्यादा में रहती हैं और सही सोच रखती हैं। यह बात बताने के लिए पौलुस ने जो यूनानी शब्द कहे, उनसे पता चलता है कि मसीही बहनों को ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जिससे परमेश्‍वर के लिए उनका आदर झलके और यह भी कि वे दूसरों की सोच और भावनाओं का लिहाज़ करती हैं। हमारी जो बहनें यह सलाह मानती हैं, हमें उन पर नाज़ है!

9. अबीगैल ने कैसे समझदारी से काम लिया और हम उसकी तरह कैसे बन सकते हैं?

9 प्रौढ़ बहनें समझदारी से काम लेती हैं। समझदारी से काम लेना एक ऐसी काबिलीयत है जिससे एक व्यक्‍ति सही-गलत में फर्क कर पाता है और फिर सही काम करता है। ज़रा अबीगैल के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। उसके पति ने एक गलत फैसला लिया, जिसकी वजह से उसके घर में रहनेवाले हरेक की जान पर बन आयी। तब अबीगैल ने तुरंत कदम उठाया। उसने समझदारी से काम लिया, इसलिए सबकी जान बच गयी। (1 शमू. 25:14-23, 32-35) जो समझदारी से काम लेता है, उसे पता होता है कि कब बोलना है और कब चुप रहना है। ऐसा व्यक्‍ति जब दूसरों का हाल-चाल जानने की कोशिश करता है, उनसे बात करता है, तो वह बेवजह ऐसे सवाल नहीं करता जिससे सामनेवाले को अजीब लगे।​—1 थिस्स. 4:11.

कुछ हुनर सीखिए जो आपके काम आएँ

पढ़ना-लिखना सीखने से आपको क्या फायदा हुआ है? (पैराग्राफ 11)

10-11. अगर आप अच्छी तरह पढ़ना-लिखना सीखें, तो इससे आपको और दूसरों को भी क्या फायदा होगा? (तसवीर भी देखें।)

10 मसीही बहनों को कुछ हुनर भी सीखने चाहिए। जब एक व्यक्‍ति छोटी उम्र में कोई हुनर सीखता है, तो वह पूरी ज़िंदगी उसके काम आता है। आइए देखें कि बहनें कौन-से हुनर सीख सकती हैं।

11 अच्छी तरह पढ़ना-लिखना सीखिए। कुछ संस्कृतियों में औरतों के लिए पढ़ना-लिखना ज़रूरी नहीं माना जाता। लेकिन हर मसीही के लिए यह हुनर बढ़ाना बहुत ज़रूरी है। d (1 तीमु. 4:13) तो चाहे आपके सामने कोई भी मुश्‍किल हो, पक्का इरादा कर लीजिए कि आप अच्छी तरह पढ़ना-लिखना ज़रूर सीखेंगी। इससे आपको क्या फायदा होगा? आपको एक नौकरी मिल पाएगी और बॉस भी आपके काम से खुश होगा। आप परमेश्‍वर के वचन का अच्छी तरह अध्ययन कर पाएँगी और दूसरों को भी उसके बारे में अच्छे-से सिखा पाएँगी। सबसे बढ़कर, जब आप खुद परमेश्‍वर का वचन पढ़ेंगी और उस पर मनन करेंगी, तो आप यहोवा के और करीब आ पाएँगी।​—यहो. 1:8; 1 तीमु. 4:15.

12. आप नीतिवचन 31:26 से क्या सीख सकती हैं?

12 अच्छी तरह बातचीत करना सीखिए। मसीहियों के लिए यह हुनर बढ़ाना बहुत ज़रूरी है। याकूब ने इस बारे में एक बढ़िया सलाह दी। उसने लिखा, “हर कोई सुनने में फुर्ती करे, बोलने में उतावली न करे।” (याकू. 1:19) जब हम ध्यान से दूसरों की सुनते हैं, तो हम उनसे हमदर्दी रख पाते हैं, उनका ‘दर्द महसूस कर पाते’ हैं। (1 पत. 3:8) पर अगर कभी आपको समझ में ना आए कि सामनेवाला क्या कहना चाहता है या कैसा महसूस कर रहा है, तो आप उससे कुछ सवाल कर सकती हैं। फिर कोई जवाब देने से पहले एक पल रुककर सोचिए। (नीति. 15:28, फु.) आप खुद से पूछ सकती हैं, ‘मैं जो कहने जा रही हूँ, क्या वह सच है? और अगर सच है भी, क्या उससे सामनेवाले का हौसला बढ़ेगा? क्या ऐसा कहना समझदारी होगी? क्या इस बात से पता चलेगा कि मुझे उसकी परवाह है?’ उन बहनों से सीखिए जो दूसरों से अच्छी तरह बातचीत करती हैं। (नीतिवचन 31:26 पढ़िए।) ध्यान दीजिए कि वे क्या कहती हैं और कैसे कहती हैं। इस तरह आप भी अच्छी तरह बातचीत करना सीख पाएँगी। आप जितना ज़्यादा यह हुनर बढ़ाएँगी, उतना ही ज़्यादा दूसरों के साथ आपका रिश्‍ता अच्छा होगा।

जो बहन अच्छी तरह घर सँभालती है, उसका घर प्यार और खुशी का आशियाना होता है और वह मंडली के लिए भी आशीष होती है (पैराग्राफ 13)

13. आप घर सँभालना कैसे सीख सकती हैं? (तसवीर भी देखें।)

13 घर सँभालना सीखिए। कई जगहों पर औरतें घर के बहुत-से काम सँभालती हैं। नौजवान बहनो, आप अपनी मम्मी या किसी और काबिल बहन से कुछ हुनर सीख सकती हैं, ताकि आप अच्छी तरह घर सँभाल पाएँ। सिंडी नाम की एक बहन बताती है, “मम्मी ने मुझे एक बहुत बढ़िया बात सिखायी। उन्होंने सिखाया कि मेहनत करने से ही खुशी मिलती है। मम्मी से मैंने खाना बनाना, साफ-सफाई करना, सिलाई करना और सोच-समझकर खरीदारी करना सीखा। ये बातें मेरे बहुत काम आयीं। मैं खुद का खयाल रख पायी और मुझे यहोवा की और ज़्यादा सेवा करने का मौका मिला। मम्मी से मैंने मेहमान-नवाज़ी करना भी सीखा। इस वजह से मैं ऐसे कई भाई-बहनों से मिल पायी जिनसे मैंने बहुत कुछ सीखा।” (नीति. 31:15, 21, 22) जो बहन मेहनती होती है, मेहमान-नवाज़ी करती है और अच्छे-से घर सँभालती है, वह सच में दूसरों के लिए आशीष होती है। उसका घर प्यार और खुशी का आशियाना होता है और मंडली के लिए भी वह एक बढ़िया मिसाल होती है।​—नीति. 31:13, 17, 27; प्रेषि. 16:15.

14. (क) आपने बहन क्रिस्टल से क्या सीखा? (ख) आपको किस बात पर ध्यान देना चाहिए?

14 अपने पैरों पर खड़े होना सीखिए। यह एक ऐसा लक्ष्य है जो सभी मसीहियों को रखना चाहिए। इस तरह आप प्रौढ़ बन पाएँगी। (2 थिस्स. 3:7, 8) बहन क्रिस्टल बताती है, “जब स्कूल में विषय चुनने की बात आयी, तो मैंने और मम्मी-पापा ने मिलकर तय किया कि मैं कौन-से विषय लूँगी, ताकि मैं कुछ हुनर भी सीख पाऊँ। पापा ने मुझसे कहा कि मैं अकाउंट्‌स की पढ़ाई करूँ और यह मेरे बहुत काम आयी।” लेकिन ऐसे कुछ हुनर सीखना ही काफी नहीं है जिससे आप पैसे कमा सकें, आपको यह भी समझना होगा कि कहाँ-कितना खर्च करना सही होगा। (नीति. 31:16, 18) अगर आप थोड़े में संतुष्ट रहना सीखें और बेवजह कर्ज़ ना लें, तो आप अपने लक्ष्यों पर ध्यान दे पाएँगी यानी यहोवा की और ज़्यादा सेवा कर पाएँगी।​—1 तीमु. 6:8.

भविष्य में ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के लिए तैयारी कीजिए

15-16. अविवाहित बहनें क्यों इतनी अनमोल हैं? (मरकुस 10:29, 30)

15 जब आप ऐसे गुण बढ़ाएँगी जिनसे यहोवा खुश हो और कुछ हुनर सीखेंगी जो आपके काम आएँ, तो आप भविष्य में अच्छी तरह ज़िम्मेदारियाँ सँभाल पाएँगी। अब आइए गौर करें कि आप आगे चलकर क्या कुछ कर सकती हैं।

16 आप कुछ समय के लिए अविवाहित रह सकती हैं। कुछ देशों में अगर लड़कियाँ शादी ना करें, तो यह अच्छा नहीं माना जाता। ऐसे देशों में भी हमारी कुछ बहनें यीशु की सलाह को ध्यान में रखते हुए शादी ना करने का फैसला करती हैं। (मत्ती 19:10-12) वहीं कुछ बहनें शायद किसी और वजह से अविवाहित रहें। पर आप यकीन रख सकती हैं कि यहोवा और यीशु आप अविवाहित बहनों को नीची नज़रों से नहीं देखते, आप उनके लिए बहुत अनमोल हैं। पूरी दुनिया में हमारी अविवाहित बहनें बहुत मेहनत करती हैं और वे अपनी मंडली के लिए एक आशीष हैं। वे भाई-बहनों से बहुत प्यार करती हैं और उनकी परवाह करती हैं। इस वजह से वे भाई-बहनों के लिए उनकी बहनों या माँओं जैसी हैं।​—मरकुस 10:29, 30 पढ़िए; 1 तीमु. 5:2.

17. एक नौजवान बहन आगे चलकर पूरे समय की सेवा करने के लिए अभी से क्या कर सकती है?

17 आप पूरे समय की सेवा कर सकती हैं। दुनिया-भर में जो प्रचार काम हो रहा है, उसमें बहनों का बहुत बड़ा हाथ है। (भज. 68:11) क्या आप आगे चलकर पूरे समय की सेवा करने के लिए अभी से सोच सकती हैं? आप पायनियर सेवा करने, निर्माण काम में हाथ बँटाने या बेथेल में सेवा करने का लक्ष्य रख सकती हैं। फिर अपने लक्ष्य के बारे में यहोवा से प्रार्थना कीजिए। जिन लोगों ने पूरे समय की सेवा करने का लक्ष्य हासिल किया है, आप उनसे इस बारे में बात कर सकती हैं। आप उनसे पूछ सकती हैं कि आपको अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए क्या करना होगा। फिर आप एक प्लान बना सकती हैं यानी सोच सकती हैं कि आप कैसे-क्या करेंगी। एक बार जब आप अपना लक्ष्य हासिल कर लेंगी, तो आपके सामने यहोवा की सेवा करने के और भी बहुत-से बढ़िया मौके होंगे।

अगर आप शादी करने की सोच रही हैं, तो आपको बहुत सोच-समझकर तय करना चाहिए कि आप किससे शादी करेंगी (पैराग्राफ 18)

18. एक बहन को क्यों बहुत सोच-समझकर तय करना चाहिए कि वह किससे शादी करेगी? (तसवीर भी देखें।)

18 आप शायद शादी करने का फैसला करें। इस लेख में हमने जिन गुणों और हुनर के बारे में बात की, अगर आप उन्हें अपने अंदर बढ़ाएँ, तो आप आगे चलकर एक अच्छी पत्नी बन पाएँगी। और अगर आप अभी शादी करने की सोच रही हैं, तो आपको बहुत सोच-समझकर तय करना होगा कि आप किससे शादी करेंगी। यह आपकी ज़िंदगी का बहुत बड़ा फैसला होगा। याद रखिए, आप जिस आदमी से शादी करेंगी, वह आपका मुखिया होगा और आपको उसके अधीन रहना होगा। (रोमि. 7:2; इफि. 5:23, 33) इसलिए किसी को “हाँ” कहने से पहले खुद से पूछिए, ‘क्या वह एक प्रौढ़ मसीही है? क्या वह यहोवा को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देता है? क्या वह सही फैसले करता है? जब उससे गलती हो जाती है, तो क्या वह उसे मान लेता है? क्या वह औरतों की इज़्ज़त करता है? क्या वह यहोवा के साथ रिश्‍ता मज़बूत करने में मेरी मदद कर पाएगा, मेरी ज़रूरतें पूरी कर पाएगा, मेरा अच्छा दोस्त बन पाएगा? क्या वह अपनी ज़िम्मेदारियाँ अच्छी तरह निभाता है? जैसे, उसे मंडली में कौन-से काम या ज़िम्मेदारियाँ दी गयी हैं और वह उन्हें किस तरह पूरा करता है?’ (लूका 16:10; 1 तीमु. 5:8) और हाँ, अगर आप चाहती हैं कि आपको एक अच्छा पति मिले, तो आपको भी एक अच्छी पत्नी बनने के लिए अभी से तैयारी करनी होगी।

19. एक “मददगार” होना क्यों कोई छोटी बात नहीं है?

19 बाइबल में बताया गया है कि एक अच्छी पत्नी अपने पति की “मददगार” होती है, एक “ऐसा साथी जो उससे मेल खाए।” (उत्प. 2:18) तो क्या पत्नियों को मददगार कहकर उन्हें नीचा दिखाया गया है? नहीं, ऐसा नहीं है। एक मददगार होना बहुत बड़ी बात है। बाइबल में यहोवा को भी “मददगार” कहा गया है। (भज. 54:4; इब्रा. 13:6) तो एक पत्नी कैसे एक अच्छी मददगार बन सकती है? अपने पति का पूरा साथ देकर। जैसे, अगर उसका पति परिवार के लिए कोई फैसला ले, तो वह उसे मानेगी। और क्योंकि वह यहोवा से बहुत प्यार करती है, वह दूसरों के सामने अपने पति की बुराई नहीं करेगी, बल्कि कोशिश करेगी कि सबके बीच उसका अच्छा नाम हो। (नीति. 31:11, 12; 1 तीमु. 3:11) तो बहनो, यहोवा से और भी प्यार कीजिए और घर पर और मंडली में दूसरों की मदद कीजिए। इस तरह आप आगे चलकर एक अच्छी पत्नी बन पाएँगी।

20. अगर एक बहन एक अच्छी माँ बनने के लिए मेहनत करे, तो उसके परिवार को क्या फायदा होगा?

20 आप शायद माँ बनने का फैसला करें। शादी के बाद शायद आप और आपके पति बच्चा करना चाहें। (भज. 127:3) इसलिए पहले से यह सोचना अच्छा होगा कि आप एक अच्छी माँ कैसे बन सकती हैं। इस लेख में हमने जिन गुणों और हुनर के बारे में बात की, उन्हें बढ़ाने से आप एक अच्छी पत्नी बन पाएँगी और एक अच्छी माँ भी। जब आप दूसरों के साथ प्यार से पेश आएँगी, उनकी परवाह करेंगी और उनके साथ सब्र रखेंगी, तो आपका घर प्यार का आशियाना होगा जहाँ आपके बच्चे सुरक्षित महसूस करेंगे और खुश रहेंगे।​—नीति. 24:3.

कई नौजवान बहनों ने बाइबल की बातें सीखीं और उन्हें माना, इसलिए वे प्रौढ़ मसीही बन पायीं (पैराग्राफ 21)

21. हम अपनी बहनों के बारे में कैसा महसूस करते हैं और क्यों? (बाहर दी तसवीर देखें।)

21 नौजवान बहनो, हम आपसे बहुत प्यार करते हैं! आप यहोवा और उसके लोगों के लिए कितना कुछ कर रही हैं। (इब्रा. 6:10) आप अपने अंदर ऐसे गुण बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं, जिनसे यहोवा खुश हो और कुछ हुनर सीखती हैं, ताकि आप, आपके परिवारवाले और दोस्त खुश रहें और उन्हें आपसे हौसला मिले। आप भविष्य में ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के लिए भी अभी से तैयारी कर रही हैं। आप सच में यहोवा के संगठन के लिए एक आशीष हैं!

गीत 137 वफादार औरतें, मसीही बहनें

a हमारी प्यारी नौजवान बहनो, आप हम सबके लिए बहुत अनमोल हैं! अगर आप अपने अंदर ऐसे गुण बढ़ाएँ जिनसे परमेश्‍वर खुश हो, कुछ हुनर सीखें जो आपके काम आएँ और भविष्य में ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के लिए अभी से तैयारी करें, तो आप प्रौढ़ हो पाएँगी। इससे आप अच्छी तरह यहोवा की सेवा कर पाएँगी और आपको ढेरों आशीषें मिलेंगी।

b इसका क्या मतलब है? एक अच्छा या प्रौढ़ मसीही होने का मतलब दुनिया की नज़रों में होशियार या तेज़ होना नहीं है। इसके बजाय ऐसा मसीही हमेशा यहोवा की तरह सोचने और उसके स्तरों के हिसाब से जीने की कोशिश करता है। वह यीशु के जैसा बनने की कोशिश करता है, यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत बनाए रखने के लिए मेहनत करता है और दूसरों से सच्चा प्यार करता है।

d पढ़ना-लिखना कितना ज़रूरी है, इस बारे में और जानने के लिए 15 जुलाई, 2010 की प्रहरीदुर्ग  में दिया लेख “अपने बच्चों में पढ़ाई और अध्ययन के लिए प्यार जगाएँ” पढ़ें।