अध्ययन लेख 51
गीत 3 हमारी ताकत, आशा और भरोसा
आपके आँसू यहोवा के लिए बहुत अनमोल हैं!
“दया करके मेरे आँसुओं को अपनी मशक में भर ले। उनका हिसाब तेरी किताब में लिखा है।”—भज. 56:8.
क्या सीखेंगे?
जब हम बहुत दुखी या निराश होते हैं, तो यहोवा हमारा दर्द समझता है और हमें दिलासा देता है।
1-2. हमारी आँखों में कब आँसू आ जाते हैं?
हम सभी ने कभी-न-कभी आँसू बहाए हैं। जब हम बहुत खुश होते हैं या हमारे साथ कुछ अच्छा होता है, तो हमारी आँखों में खुशी के आँसू आ जाते हैं। जैसे हो सकता है, जब आपने पहली बार अपने बच्चे को अपनी बाहों में लिया, तो आपकी आँखें भर आयी हों। या किसी मीठे पल को याद करके या सालों बाद अपने जिगरी दोस्त से मिलकर आपके आँसू छलक आए हों।
2 लेकिन कई बार हम इसलिए आँसू बहाते हैं, क्योंकि हम बहुत दुखी होते हैं या तकलीफ में होते हैं। जैसे, जब हमारा कोई अपना हमें धोखा दे या हमारा भरोसा तोड़े, तो शायद हम रोने लगें। या हो सकता है, हमें कोई ऐसी बीमारी हो जिस वजह से हम बहुत दर्द में रहते हों या मौत ने हमारे किसी अपने को हमसे छीन लिया हो और इस वजह से हमारे आँसू थम ही ना रहे हों। ऐसे में हम शायद भविष्यवक्ता यिर्मयाह की तरह महसूस करें। जब बैबिलोन के लोगों ने यरूशलेम का नाश कर दिया, तो उसने कहा, ‘मेरी आँखों से आँसुओं की धारा बहती है। मेरी आँखें रुकने का नाम नहीं लेतीं, बहती रहती हैं।’—विला. 3:48, 49.
3. जब यहोवा अपने सेवकों को तकलीफ में देखता है, तो उसे कैसा लगता है? (यशायाह 63:9)
3 हमने अपनी तकलीफों और परेशानियों की वजह से जितने भी आँसू बहाए हैं, यहोवा ने वह सब देखे हैं। बाइबल में बताया है कि यहोवा अच्छी तरह जानता है कि उसके सेवकों पर क्या बीत रही है और जब वे मदद के लिए उसे पुकारते हैं, तो वह उनकी सुनता है। (भज. 34:15) पर ऐसा नहीं है कि यहोवा सिर्फ हमारे आँसू देखता है या हमारी मदद की पुकार सुनता है। हमें रोता देखकर उसका दिल तड़प उठता है और वह फौरन हमारी मदद करता है। वह इसलिए कि हमारा पिता यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है।—यशायाह 63:9 पढ़िए।
4. इस लेख में हम किन लोगों की मिसाल पर ध्यान देंगे और यहोवा के बारे में क्या जानेंगे?
4 यहोवा ने अपने वचन में लिखवाया है कि जब उसके सेवक रोए, तो उसे कैसा लगा और उसने कैसे उनकी मदद की। इस लेख में हम हन्ना, दाविद और राजा हिजकियाह की मिसाल पर ध्यान देंगे और जानेंगे कि (1) उन्होंने क्यों आँसू बहाए, (2) यहोवा ने कैसे उनकी मदद की और (3) आज जब हमारा मन बहुत दुखी होता है, कोई हमें धोखा देता है या हमें कोई उम्मीद नज़र नहीं आती और इस वजह से हम आँसू बहाते हैं, तो हमें कैसे दिलासा मिल सकता है।
जब आपका मन बहुत दुखी हो
5. हन्ना पर जो बीत रही थी, उस वजह से उसने कैसा महसूस किया?
5 हन्ना की ज़िंदगी में कई मुश्किलें थीं जिनकी वजह से उसने बहुत आँसू बहाए। एक मुश्किल यह थी कि उसके पति की एक और पत्नी थी और उसकी सौतन पनिन्ना उससे नफरत करती थी। इतना ही नहीं, हन्ना के कोई बच्चा नहीं था, जबकि पनिन्ना के कई बच्चे थे। (1 शमू. 1:1, 2) पनिन्ना हन्ना पर लगातार ताने कसती थी, क्योंकि वह बाँझ थी। ज़रा सोचिए: अगर आप हन्ना की जगह होते, तो आपको कैसा लगता? बाइबल में बताया है कि हन्ना इतनी दुखी हो जाती थी कि “रोने लगती और कुछ खाती-पीती नहीं थी।” उसका दिल “कड़वाहट से भर” गया था।—1 शमू. 1:6, 7, 10.
6. हन्ना ने दिलासा पाने के लिए क्या किया?
6 हन्ना को किस बात से दिलासा मिला? हन्ना यहोवा की उपासना करने के लिए पवित्र डेरे में गयी। वहाँ शायद आँगन के द्वार के पास “वह फूट-फूटकर रोने लगी और यहोवा से प्रार्थना करने लगी।” उसने यहोवा से बिनती की: ‘अपनी दासी की हालत पर नज़र कर और मुझ पर ध्यान दे।’ (1 शमू. 1:10ख, 11) हन्ना ने यहोवा के आगे अपना दिल खोलकर रख दिया। अपनी प्यारी बेटी के आँसू देखकर, उसका दर्द देखकर, यहोवा का भी दिल भर आया होगा!
7. यहोवा को अपने दिल का हाल बताने के बाद हन्ना ने कैसा महसूस किया?
7 हन्ना ने यहोवा को अपने दिल का सारा हाल कह सुनाया और फिर महायाजक एली ने उसे यकीन दिलाया कि यहोवा उसकी प्रार्थनाओं का जवाब देगा। तब हन्ना ने कैसा महसूस किया? बाइबल में लिखा है, “तब वह औरत वहाँ से चली गयी। उसने जाकर कुछ खाया और उसके चेहरे पर फिर उदासी न रही।” (1 शमू. 1:17, 18) हन्ना के हालात अभी तक बेहतर नहीं हुए थे, फिर भी उसे सुकून मिला। क्यों? क्योंकि उसने अपने दिल का सारा बोझ यहोवा पर डाल दिया था। और यहोवा ने उसकी मदद की पुकार सुनी, उसका दर्द समझा और उसे आशीष दी जिससे आगे चलकर उसके कई बच्चे हुए।—1 शमू. 1:19, 20; 2:21.
8-9. हमें क्यों सभाओं में जाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए? (इब्रानियों 10:24, 25) (तसवीर भी देखें।)
8 हम क्या सीखते हैं? क्या आप किसी ऐसी मुश्किल से गुज़र रहे हैं कि आपके आँसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे? हो सकता है, आपके घर में किसी की या आपके किसी दोस्त की मौत हो गयी हो। ऐसे में शायद आप अकेले रहना चाहें और आपका किसी से बात करने का मन ना करे। पर ज़रा हन्ना को याद कीजिए। जब वह पवित्र डेरे में गयी, तो उसे दिलासा मिला, हिम्मत मिली। उसी तरह, सभाओं में जाने से आपको भी हिम्मत मिल सकती है। हो सकता है, आप इतने दुखी हों कि सभाओं में जाने का आपका मन ही ना करे। फिर भी अगर आप जाएँ, तो आपको दिलासा मिलेगा। (इब्रानियों 10:24, 25 पढ़िए।) सभाओं में जब हम बाइबल की आयतें सुनते हैं, तो हमारा बहुत हौसला बढ़ता है। इस तरह बुरी बातों पर मन लगाने के बजाय यहोवा अच्छी बातों पर मन लगाने में हमारी मदद करता है। और चाहे हमारे हालात तुरंत ना भी सुधरें, हम अच्छा महसूस करते हैं और खुद को सँभाल पाते हैं।
9 इसके अलावा, जब हम सभाओं में भाई-बहनों से मिलते हैं, तो इससे भी हमें दिलासा मिलता है। भाई-बहन हमारा हौसला बढ़ाते हैं और हमें एहसास दिलाते हैं कि वे हमसे बहुत प्यार करते हैं। (1 थिस्स. 5:11, 14) ज़रा एक भाई के अनुभव पर ध्यान दीजिए जो खास पायनियर सेवा कर रहे हैं और जिनकी पत्नी की मौत हो गयी है। भाई बताते हैं, “आज भी अपनी पत्नी को याद करके मेरी आँखें नम हो जाती हैं। कई बार तो मैं बस एक कोने में बैठकर रोता रहता हूँ। लेकिन सभाओं में जाने से मुझे बहुत हिम्मत मिलती है। भाई-बहनों के जवाब सुनकर और वे जिस तरह मुझसे प्यार से बात करते हैं, उससे मुझे बहुत अच्छा लगता है। कई बार ऐसा होता है कि सभा में जाने से पहले मेरा मन बहुत बेचैन होता है, पर वहाँ जाकर मैं हमेशा अच्छा महसूस करता हूँ।” जब हम सभाओं में जाते हैं, तो यहोवा भाई-बहनों के ज़रिए हमारी मदद कर सकता है और हमें दिलासा दे सकता है।
10. जब हम बहुत दुखी होते हैं, तो हम हन्ना की तरह क्या कर सकते हैं?
10 हन्ना को एक और बात से दिलासा मिला: उसने यहोवा के आगे अपना दिल खोलकर रख दिया। आप भी “अपनी सारी चिंताओं का बोझ [यहोवा] पर डाल” सकते हैं और यकीन रख सकते हैं कि वह आपकी सुनेगा। (1 पत. 5:7) एक बहन जिनके पति को कुछ लुटेरों ने मार डाला था, बताती हैं: “जब मेरे पति की मौत हुई, तो ऐसा लगा जैसे मेरे दिल के हज़ार टुकड़े हो गए हैं और अब वह कभी नहीं जुड़ पाएगा। पर जब भी मैं अपने प्यारे पिता यहोवा से प्रार्थना करती थी, मुझे बहुत राहत मिलती थी। कई बार मैं अपनी बात शब्दों में बयान नहीं कर पाती थी, पर मैं जानती थी कि यहोवा मेरे दिल का हाल समझता है। जब दुख और चिंता के मारे मुझे कुछ समझ नहीं आता था, तो मैं यहोवा से मन की शांति माँगती थी। तब मुझे बहुत सुकून मिलता था और एक और दिन काटने की हिम्मत मिल जाती थी।” जब आप रो-रोकर यहोवा को अपने दिल का हाल सुनाते हैं, तो उसे भी दुख होता है और वह आपका दर्द अच्छी तरह समझता है। हो सकता है, आपकी चिंता तुरंत दूर ना हो, लेकिन प्रार्थना करने पर यहोवा आपको दिलासा देगा और मन की शांति देगा। (भज. 94:19; फिलि. 4:6, 7) सबकुछ सहते हुए भी आप वफादारी से यहोवा की जो सेवा कर रहे हैं, उसके लिए वह आपको ज़रूर इनाम देगा।—इब्रा. 11:6.
जब आपका कोई अपना धोखा दे
11. दाविद की ज़िंदगी में जो मुश्किलें आयीं, उनकी वजह से उसे कैसा लगा?
11 दाविद की ज़िंदगी में बहुत-सी मुश्किलें आयीं और उसने कई बार आँसू बहाए। कई लोग उससे नफरत करते थे और उसके परिवारवालों और दोस्तों ने भी उसे धोखा दिया। (1 शमू. 19:10, 11; 2 शमू. 15:10-14, 30) एक बार दाविद इतना दुखी था कि उसने लिखा, “आहें भरते-भरते मैं पस्त हो चुका हूँ। मैं पूरी रात अपना बिस्तर आँसुओं से भिगोता हूँ, आँसुओं के सैलाब में मेरा दीवान डूब जाता है।” दाविद क्यों ऐसा महसूस कर रहा था? उसने बताया, ‘अपने सतानेवालों की वजह से।’ (भज. 6:6, 7) लोगों ने दाविद के साथ इतना गलत किया कि उसके आँसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
12. जैसा कि भजन 56:8 से पता चलता है, दाविद को किस बात का यकीन था?
12 दाविद की ज़िंदगी में कई मुश्किलें तो आयीं, पर उसे यकीन था कि यहोवा उससे प्यार करता है और वह उसके साथ है। उसने लिखा, “यहोवा मेरा बिलखना ज़रूर सुनेगा।” (भज. 6:8) एक और मौके पर दाविद ने एक दिल छू लेनेवाली बात लिखी जिसे हम भजन 56:8 में पढ़ सकते हैं। (पढ़िए।) दाविद के शब्दों से पता चलता है कि यहोवा हमसे कितना प्यार करता है और उसे हमारी कितनी परवाह है। उसने कहा कि यहोवा मानो उसके आँसुओं को एक बोतल में भर रहा है और उसके पास एक किताब में उसके एक-एक आँसू का हिसाब लिखा है। दाविद को पूरा भरोसा था कि यहोवा उस पर ध्यान दे रहा है और जानता है कि वह किस मुश्किल से गुज़र रहा है। यही नहीं, यहोवा को यह भी पता है कि इस सबकी वजह से उस पर क्या बीत रही है।
13. जब कोई हमारा भरोसा तोड़ता है या हमें धोखा देता है, तो हमें किस बात से दिलासा मिल सकता है? (तसवीर भी देखें।)
13 हम क्या सीखते हैं? क्या आपके किसी अपने ने आपका भरोसा तोड़ा है या आपको धोखा दिया है और इस वजह से आप बहुत दुखी हैं? हो सकता है, आप जिसके साथ डेटिंग कर रहे थे उसने आपके साथ रिश्ता तोड़ दिया हो। या अचानक आपका जीवन-साथी आपको छोड़कर चला गया हो या फिर आपके किसी अपने ने यहोवा की सेवा करना छोड़ दिया हो। ध्यान दीजिए कि जब एक भाई की पत्नी ने उनके साथ बेवफाई की और उन्हें छोड़कर चली गयी, तो उन पर क्या बीती। वे बताते हैं, “मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरे साथ ऐसा हुआ है। मुझे बहुत बुरा लग रहा था, गुस्सा आ रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे मैं एकदम बेकार आदमी हूँ।” अगर किसी ने आपका भरोसा तोड़ा है या आपको धोखा दिया है, तो यकीन रखिए कि यहोवा कभी आपका साथ नहीं छोड़ेगा। क्या यह जानकर आपको दिलासा नहीं मिलता? भाई यह भी कहते हैं, “मैं एक बात समझ गया हूँ, इंसानों के साथ हमारे रिश्ते टूट सकते हैं, लेकिन यहोवा हमारा साथ कभी नहीं छोड़ता। वह हमारी चट्टान है। चाहे जो हो जाए, वह हमेशा अपने वफादार सेवकों को सहारा देगा।” (भज. 37:28) यह भी याद रखिए कि यहोवा किसी भी इंसान से कहीं ज़्यादा आपसे प्यार करता है। यह सच है कि जब कोई धोखा देता है, तो बहुत दुख होता है। लेकिन इस वजह से आपके लिए यहोवा का प्यार कम नहीं होता। आप उसके लिए बहुत अनमोल हैं! (रोमि. 8:38, 39) सौ बात की एक बात: किसी व्यक्ति ने आपके साथ चाहे जैसा भी व्यवहार किया हो, आपका पिता यहोवा आपसे बहुत प्यार करता है।
14. भजन 34:18 से हमें किस बात का यकीन हो जाता है?
14 अगर किसी ने आपको धोखा दिया है, तो आपको दाविद के उन शब्दों से भी दिलासा मिल सकता है जो भजन 34:18 में लिखे हैं। (पढ़िए।) एक किताब में इस आयत के बारे में समझाया है कि “जिनका मन कुचला हुआ है,” वे ऐसे लोग हो सकते हैं जिनके पास कोई उम्मीद नहीं है। यहोवा इन लोगों की कैसे मदद करता है? ज़रा सोचिए, जब एक बच्चा रोता है, तो कैसे उसकी माँ या पिता उसे तुरंत गोद में ले लेते हैं और उसे पुचकारने लगते हैं। उसी तरह जब कोई हमें धोखा देता है या हमें छोड़कर चला जाता है, तो यहोवा हमारे “करीब रहता है।” वह जानता है हम किस दर्द से गुज़र रहे हैं और तुरंत हमारी मदद करता है। वह हमारे कुचले हुए मन को दिलासा देता है। यही नहीं, उसने हमें उम्मीद दी है, भविष्य के लिए ढेरों वादे किए हैं जिनके बारे में सोचने से हमें अपनी मुश्किलें सहने की हिम्मत मिल जाती है।—यशा. 65:17.
जब कोई उम्मीद नज़र ना आए
15. हिजकियाह क्यों फूट-फूटकर रोया?
15 जब यहूदा का राजा हिजकियाह 39 साल का था, तो उसे एक बड़ी बीमारी हो गयी। भविष्यवक्ता यशायाह ने उसे यहोवा का यह संदेश दिया कि उसकी बीमारी ठीक नहीं होगी और उसकी मौत हो जाएगी। (2 राजा 20:1) हिजकियाह के बचने की कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही थी। वह इतना दुखी हो गया कि फूट-फूटकर रोने लगा। तब उसने यहोवा से गिड़गिड़ाकर बिनती की।—2 राजा 20:2, 3.
16. हिजकियाह का रोना और गिड़गिड़ाना देखकर यहोवा ने क्या किया?
16 हिजकियाह के आँसू और उसका गिड़गिड़ाना देखकर यहोवा का दिल भर आया और उसने कहा, “मैंने तेरी प्रार्थना सुनी है, तेरे आँसू देखे हैं। मैं तेरी बीमारी दूर कर दूँगा।” यहोवा को हिजकियाह पर तरस आया और यशायाह के ज़रिए उसने उससे वादा किया कि वह उसकी उम्र बढ़ा देगा और यरूशलेम को अश्शूरियों के हाथ से बचाएगा।—2 राजा 20:4-6.
17. जब हमें कोई बड़ी बीमारी हो जाती है, तो यहोवा हमें कैसे सँभालता है? (भजन 41:3) (तसवीर भी देखें।)
17 हम क्या सीखते हैं? क्या आपको कोई ऐसी बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है? तो यहोवा से प्रार्थना कीजिए। अगर आपको रोना आ रहा है, तो रोइए और उसे बताइए कि आपको कैसा लग रहा है। बाइबल में हमें यकीन दिलाया गया है कि “कोमल दया का पिता” और “हर तरह का दिलासा देनेवाला परमेश्वर” हमारी सब परीक्षाओं में हमें दिलासा देगा। (2 कुरिं. 1:3, 4) आज हम यह उम्मीद तो नहीं कर सकते कि यहोवा हमारी सारी मुश्किलें दूर कर देगा, लेकिन हम यह भरोसा ज़रूर रख सकते हैं कि वह हमें सँभालेगा। (भजन 41:3 पढ़िए।) यहोवा अपनी पवित्र शक्ति के ज़रिए हमें ताकत, बुद्धि और मन की शांति देगा ताकि हम अपनी मुश्किल सह पाएँ। (नीति. 18:14; फिलि. 4:13) यही नहीं, यहोवा ने हमें जो आशा दी है कि बहुत जल्द वह हर तरह की बीमारी दूर कर देगा, उससे भी हमें बहुत हिम्मत मिलती है।—यशा. 33:24.
18. जब आप किसी बड़ी मुश्किल का सामना कर रहे थे, तो आपको किस आयत से दिलासा मिला? (“ आयतें जिनसे मिले दिलासा” नाम का बक्स भी देखें।)
18 यहोवा की बातें सुनकर हिजकियाह को दिलासा मिला। हमें भी परमेश्वर के वचन से दिलासा मिल सकता है। यहोवा ने बाइबल में दिलासा देनेवाली बातें इसलिए लिखवायीं ताकि जब हम दुखी या निराश हों, तो उन बातों को पढ़कर हमें हिम्मत मिले और हमारा मन शांत हो सके। (रोमि. 15:4) जब पश्चिम अफ्रीका में रहनेवाली हमारी एक बहन को पता चला कि उन्हें कैंसर है, तो उन्होंने बहुत आँसू बहाए। वे बताती हैं, “यशायाह 26:3 से मुझे बहुत दिलासा मिला। इस आयत में यहोवा ने हमसे वादा किया है कि वह हमें मन की शांति देगा। कई बार अपने हालत सुधारना हमारे हाथ में नहीं होता, लेकिन यहोवा हमें जो शांति देता है, उसकी वजह से हम हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं।” क्या कोई ऐसी आयत है जिससे आपको दिलासा मिला है, खासकर उस वक्त जब आप किसी मुश्किल से गुज़र रहे थे और आपको कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही थी?
19. हमारा भविष्य कैसा होगा?
19 हम इस दुष्ट दुनिया के आखिरी समय में जी रहे हैं। हम जानते हैं कि हमारी मुश्किलें बढ़ती ही जाएँगी और हम कई बार आँसू बहाएँगे। पर जैसा कि हमने हन्ना, दाविद और राजा हिजकियाह के उदाहरण से सीखा, यहोवा हमारे आँसुओं पर ध्यान देता है। और जब हम रोते हैं, तो उसका भी दिल भर आता है। हमारे आँसू यहोवा के लिए बहुत अनमोल हैं। तो जब हम किसी मुश्किल से गुज़रते हैं, आइए हम यहोवा के सामने अपना दिल खोलकर रख दें, भाई-बहनों से मिलते रहें, उनसे दूरियाँ ना बनाएँ और बाइबल में लिखी बातों से दिलासा पाते रहें। अगर हम मुश्किलों में भी वफादारी से यहोवा की सेवा करते रहें, तो वह हमें ज़रूर इनाम देगा। और बहुत जल्द वह अपना वादा पूरा करेगा और हमारी आँखों से हर आँसू पोंछ देगा। (प्रका. 21:4) आज जब हमारा मन बहुत दुखी होता है, कोई हमें धोखा देता है या हमें कोई उम्मीद नज़र नहीं आती, तो हमारे आँसू छलक पड़ते हैं। लेकिन नयी दुनिया में हमारी आँखों में सिर्फ खुशी के आँसू होंगे!
गीत 4 “यहोवा मेरा चरवाहा है”