परमेश्वर की किताब में दिए निर्देश के मुताबिक संगठित
“यहोवा ने पृथ्वी की नींव बुद्धि ही से डाली; और स्वर्ग को समझ ही के द्वारा स्थिर किया।”—नीति. 3:19.
गीत: 15, 16
1, 2. (क) परमेश्वर का एक संगठन है, यह सुनकर कुछ लोग क्या कहते हैं? (ख) इस लेख में हम किन बातों पर गौर करेंगे?
क्या परमेश्वर का एक संगठन है? कुछ लोग शायद कहें, “आपको किसी संगठन की ज़रूरत नहीं जो यह बताए कि आपको क्या करना है। अगर आपका परमेश्वर के साथ एक रिश्ता है तो यही काफी है।” क्या यह सोच सही है? सबूत क्या दिखाते हैं?
2 इस लेख में हम उन सबूतों पर गौर करेंगे जो दिखाते हैं कि सब चीज़ों को संगठित करने और कायदे से चलाने में यहोवा जैसा कोई नहीं। हम यह भी गौर करेंगे कि यहोवा के संगठन से मिलनेवाले निर्देशों को मानना क्यों ज़रूरी है। (1 कुरिं. 14:33, 40) पहली सदी में यहोवा के लोगों ने शास्त्र में दिए निर्देशों को माना और वे दूर-दूर के इलाकों में खुशखबरी सुना पाए। उनकी तरह आज हम भी बाइबल के मुताबिक चलते हैं और संगठन से मिलनेवाले निर्देशों को मानते हैं। इसलिए हम पूरी दुनिया में खुशखबरी सुना पाते हैं। यही नहीं, हम पूरी मंडली की शुद्धता बनाए रखते हैं और शांति और एकता को बढ़ावा देते हैं।
सब चीज़ों को कायदे से चलाने में यहोवा जैसा कोई नहीं
3. कौन-सी बात आपको यकीन दिलाती है कि सब चीज़ों को संगठित करने और कायदे से चलाने में परमेश्वर जैसा कोई नहीं?
3 सृष्टि से साफ पता चलता है कि सब चीज़ों को संगठित करने और कायदे से नीति. 3:19) सृष्टि से हम परमेश्वर के कामों के बारे में जो जानते हैं वह उसके कामों के किनारे को छूने जैसा है और उसकी फुसफुसाहट सुनने जैसा है। (अय्यू. 26:14) हम ग्रहों, तारों और मंदाकिनियों के बारे में बहुत कम जानते हैं, मगर जितना जानते हैं वह हमें कायल कर देता है कि ये सभी चीज़ें लाजवाब तरीके से संगठित की गयी हैं। (भज. 8:3, 4) मंदाकिनियों में अरबों-खरबों तारे हैं और ये सभी अंतरिक्ष में बहुत व्यवस्थित तरीके से घूम रहे हैं। देखा जाए तो हमारे सौर-मंडल में सारे ग्रह सूरज के चारों ओर ऐसे चक्कर काटते हैं मानो वे ट्रैफिक के नियम को मानते हों। सचमुच यह देखकर हम चकरा जाते हैं कि पूरे विश्व में सबकुछ कितने कायदे से चल रहा है। ये बातें हमें यकीन दिलाती हैं कि यहोवा जिसने “अपनी बुद्धि से आकाश” और पृथ्वी को बनाया है वह हमारी तारीफ, वफादारी और उपासना का हकदार है।—भज. 136:1, 5-9.
चलाने में परमेश्वर जैसा कोई नहीं। बाइबल बताती है, “यहोवा ने पृथ्वी की नींव बुद्धि ही से डाली; और स्वर्ग को समझ ही के द्वारा स्थिर किया।” (4. विज्ञान हमारे कई सवालों के जवाब क्यों नहीं दे पाया है?
4 विज्ञान ने हमें विश्व-मंडल के बारे में और हमारे घर यानी पृथ्वी के बारे में बहुत-सी जानकारी दी है। इससे ज़िंदगी के अलग-अलग पहलुओं में हमें बहुत फायदे हुए हैं। लेकिन विज्ञान हमारे कई सवालों के जवाब नहीं दे पाया है। उदाहरण के लिए, अंतरिक्ष का अध्ययन करनेवाले वैज्ञानिक हमें ठीक-ठीक नहीं बता सकते कि विश्व-मंडल की शुरूआत कैसे हुई या पृथ्वी पर क्यों इंसान, पेड़-पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं? इसके अलावा, इंसान यह नहीं समझा सकते कि हमारे अंदर हमेशा के लिए जीने की चाहत क्यों है? (सभो. 3:11) इंसान के पास इतने सारे सवाल हैं लेकिन इनके जवाब क्यों नहीं हैं? इसके लिए कुछ हद तक वैज्ञानिक और ऐसे लोग ज़िम्मेदार हैं, जो इस शिक्षा को बढ़ावा देते हैं कि परमेश्वर वजूद में नहीं है और सब चीज़ों का विकास हुआ है। लेकिन यहोवा ने अपनी किताब, बाइबल में उन सवालों के जवाब दिए हैं जो लोगों के मन में उठते हैं।
5. हम किस तरह कुदरत के नियमों पर निर्भर हैं?
5 हम इंसान यहोवा के ठहराए कुदरत के नियमों पर निर्भर हैं जो भरोसेमंद हैं और कभी नहीं बदलते। बिजली का काम करनेवाले, नलसाज़, इंजीनियर, पायलेट, सर्जन, सब-के-सब इन नियमों पर निर्भर रहकर अपना काम करते हैं। मिसाल के लिए, एक सर्जन को इस बात का पूरा भरोसा होता है कि सभी इंसानों के शरीर की रचना एक जैसी है। इसलिए ऑपरेशन करते वक्त उसे पता होता है कि मरीज़ का दिल कहाँ है, उसे ढूँढ़ना नहीं पड़ता। हम सब कुदरत के नियम मानते हैं और उनका आदर करते हैं। अगर हम गुरुत्वाकर्षण का नियम न मानें तो हमारी जान जा सकती है।
परमेश्वर के ज़रिए संगठित
6. हम क्यों यह उम्मीद करते हैं कि यहोवा के सेवक अच्छी तरह संगठित हों?
6 पूरे विश्व-मंडल में हमें गज़ब का कायदा दिखायी देता है। ज़ाहिर है कि यहोवा चाहता है कि उसके सेवक भी अच्छी तरह संगठित हों। इसीलिए उसने हमें बाइबल दी है ताकि वह हमारा मार्गदर्शन कर सके। परमेश्वर के संगठन और उसके स्तरों के बिना हम खुश नहीं रह सकते।
7. बाइबल जिस तरह लिखी गयी थी, उससे हम क्या सीखते हैं?
7 बाइबल वाकई परमेश्वर की तरफ से एक अनमोल तोहफा है। कुछ विद्वान कहते हैं कि बाइबल कुछ यहूदी और मसीही किताबों से मिलकर बनी है और इन्हें इंसानों ने लिखा है। लेकिन बाइबल परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी गयी है क्योंकि उसी ने तय किया कि इसकी किताबें कौन लिखेगा, कब लिखेगा और उनमें क्या लिखा जाएगा। इसलिए बाइबल में दी सारी किताबों से हम समझ पाते हैं कि परमेश्वर का संदेश क्या है। इसकी पहली किताब उत्पत्ति से लेकर आखिरी किताब प्रकाशितवाक्य तक एक ही विषय को पिरोया गया है। वह विषय है, यहोवा के हुकूमत करने के अधिकार को बुलंद करना और धरती के लिए उसने जो मकसद ठहराया है उसे पूरा करना। परमेश्वर यह सब अपने राज के ज़रिए करेगा, जिसका राजा मसीह है यानी वादा किया गया “वंश।”—उत्पत्ति 3:15; मत्ती 6:10; प्रकाशितवाक्य 11:15 पढ़िए।
8. हम क्यों कह सकते हैं कि इसराएली अच्छी तरह संगठित थे?
निर्ग. 38:8, एन.डब्ल्यू.) जब इसराएली अपने-अपने तंबू और निवास-स्थान को उठाकर आगे बढ़ते थे तो यह बड़े कायदे से हुआ करता था। आगे चलकर, राजा दाविद ने लेवियों और याजकों को अलग-अलग समूहों में संगठित किया। (1 इति. 23:1-6; 24:1-3) जब इसराएलियों ने यहोवा की आज्ञा मानी तो उसने उन्हें आशीष दी और इस वजह से उनके बीच बढ़िया कायदा, शांति और एकता रही।—व्यव. 11:26, 27; 28:1-14.
8 जब संगठित होने की बात आती है तो प्राचीन इसराएल इसकी एक बढ़िया मिसाल है। उदाहरण के लिए, मूसा के कानून के मुताबिक कुछ औरतें “भेंट के तंबू के द्वार पर ठहराए गए इंतज़ाम के मुताबिक सेवा करती थीं।” (9. क्या बात दिखाती है कि पहली सदी की मसीही मंडली संगठित थी?
9 पहली सदी की मसीही मंडली भी संगठित थी। इसे शासी निकाय से ज़रूरी निर्देश मिलते थे, जो पहले प्रेषितों से मिलकर बना था। (प्रेषि. 6:1-6) बाद में और भी भाई शासी निकाय के सदस्य बने। (प्रेषि. 15:6) मंडली को परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी चिट्ठियों के ज़रिए भी हिदायतें और सलाह मिलती थी। इन चिट्ठियों को लिखनेवाले या तो शासी निकाय के सदस्य हुआ करते थे या फिर निकाय के साथ काम करनेवाले भाई। (1 तीमु. 3:1-13; तीतु. 1:5-9) शासी निकाय के निर्देश मानने से मंडली को क्या फायदा हुआ?
10. पहली सदी में जब मंडलियों ने शासी निकाय के आदेशों को माना तो क्या नतीजा हुआ? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
10 प्रेषितों 16:4, 5 पढ़िए। शासी निकाय की तरफ से भेजे गए भाई मंडलियों को “उन आदेशों को मानने के बारे में बताते गए जिनका फैसला यरूशलेम में मौजूद प्रेषितों और बुज़ुर्गों ने किया था।” जब मंडलियाँ इन आदेशों को मानती थीं तो वे “विश्वास में लगातार मज़बूत होती रहीं और उनकी तादाद दिनों-दिन बढ़ती चली गयी।” बाइबल के इस ब्यौरे से हम क्या सीख सकते हैं जिससे मंडली में सबको फायदा हो सकता है?
क्या आप निर्देश मानते हैं?
11. जब परमेश्वर के संगठन से कोई निर्देश मिलता है तो ज़िम्मेदारी सँभालनेवाले भाई क्या करते हैं?
11 आज जब शाखा-समिति या देश-समिति के सदस्यों को, सर्किट निगरानों और मंडली के प्राचीनों को परमेश्वर के संगठन से निर्देश मिलते हैं तो वे क्या करते हैं? यहोवा की किताब बाइबल बताती है कि हम सबको आज्ञा माननी चाहिए और अधीन रहना चाहिए। (व्यव. 30:16; इब्रा. 13:7, 17) यहोवा के संगठन में ऐसे रवैए के लिए कोई जगह नहीं, जैसे अगुवाई करनेवालों में नुक्स निकालना या उनके खिलाफ बातें करना। ऐसा रवैया मंडली में प्यार, शांति और एकता के माहौल को भंग कर सकता है। बेशक कोई भी वफादार मसीही, दियुत्रिफेस की तरह नहीं बनना चाहेगा जो भाइयों का आदर नहीं करता था और वफादार नहीं रहा। (3 यूहन्ना 9, 10 पढ़िए।) हम खुद से पूछ सकते हैं, ‘क्या मेरी बातों से भाई-बहनों का विश्वास मज़बूत होता है? अगुवाई करनेवाले भाइयों से जो निर्देश मिलते हैं क्या मैं उसे तुरंत कबूल करता हूँ और उसके मुताबिक काम करता हूँ?’
12. प्राचीनों और सहायक सेवकों को ठहराने के तरीके में क्या फेरबदल किया गया है?
12 शासी निकाय ने हाल में जो फैसला लिया है उस पर ज़रा गौर कीजिए। पंद्रह नवंबर, 2014 की प्रहरीदुर्ग के लेख “आपने पूछा” में बताया गया था कि प्राचीनों और सहायक सेवकों को नियुक्त करने के तरीके में फेरबदल किया गया है। लेख में समझाया गया था कि पहली सदी के शासी निकाय ने सफरी निगरानों को अधिकार दिया था कि वे प्राचीनों और सहायक सेवकों को ठहराएँ। इस नमूने को ध्यान में रखते हुए 1 सितंबर, 2014 से सर्किट निगरान प्राचीनों और सहायक सेवकों को नियुक्त कर रहा है। सर्किट निगरान उस भाई और उसके परिवार को अच्छी तरह जानने की कोशिश करता है जिसकी सिफारिश की जाती है। और हो सके तो वह उसके साथ प्रचार में भी काम करता है। (1 तीमु. 3:4, 5) फिर वह प्राचीनों के निकाय के साथ मिलता है और ध्यान से देखता है कि वह भाई प्राचीन या सहायक सेवक के बारे में दी योग्यताओं पर खरा उतर रहा है या नहीं।—1 तीमु. 3:1-10, 12, 13; 1 पत. 5:1-3.
13. जब प्राचीन निर्देश देते हैं तो हम कैसे सहयोग दे सकते हैं?
13 प्राचीन जो भी निर्देश बाइबल से देते हैं हमें उन्हें मानना चाहिए। ये वफादार चरवाहे परमेश्वर की किताब में दी “खरी शिक्षा” या हिदायतों के मुताबिक काम करते हैं जो मंडली के फायदे के लिए होती हैं। (1 तीमु. 6:3) पौलुस ने मनमानी करनेवालों के बारे में जो सलाह दी थी उसे याद कीजिए। मंडली में कुछ लोग ऐसे थे जो ‘कोई काम-धंधा नहीं करते थे बल्कि उन बातों में दखल देते फिरते थे जिनसे उनका कोई लेना-देना नहीं।’ ऐसा मालूम होता है कि इन लोगों को प्राचीन बार-बार समझाते थे लेकिन वे उनकी सलाह नहीं मानते थे। मंडली को ऐसे व्यक्ति के साथ किस तरह पेश आना था? पौलुस ने हिदायत दी, “ऐसे आदमी पर नज़र रखो और उसके साथ मिलना-जुलना छोड़ दो।” मंडली के भाई-बहनों को यह सलाह मानने के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखना था कि वे मनमानी करनेवाले व्यक्ति को दुश्मन न समझने लगें। (2 थिस्स. 3:11-15) आज शायद एक मसीही ऐसे काम में लगा रहे जिससे मंडली का नाम खराब हो जाए। जैसे, वह किसी अविश्वासी के साथ डेटिंग करे और प्राचीनों के बार-बार सलाह देने पर भी न माने। (1 कुरिं. 7:39) ऐसे में प्राचीन शायद मंडली को आगाह करने के लिए एक भाषण दें। भाषण सुनकर आप क्या करेंगे? अगर आप यह जानते हैं कि किस व्यक्ति को ध्यान में रखकर भाषण दिया गया है तो क्या आप उससे मेल-जोल रखना बंद करेंगे? ऐसा करके आप उस व्यक्ति को एहसास दिला पाएँगे कि उसका चालचलन खुद उसे नुकसान पहुँचा रहा है और वह यहोवा को नाराज़ कर रहा है। और हो सकता है वह गलत रास्ता छोड़ दे। [1]
शुद्धता, शांति और एकता बनाए रखिए
14. हम किस तरह मंडली की शुद्धता बनाए रख सकते हैं?
14 परमेश्वर के वचन में दिए निर्देश मानकर हम मंडली की शुद्धता बनाए रख सकते हैं। कुरिंथ की मंडली के बारे में सोचिए। पौलुस ने कुरिंथ शहर में जी-जान लगाकर प्रचार किया था और वह मंडली के ‘पवित्र जनों’ से बहुत प्यार करता था। (1 कुरिं. 1:1, 2) पर जब उसे पता चला कि वहाँ की मंडली में व्यभिचार को बरदाश्त किया जा रहा है तो उसे बहुत दुख हुआ। इसलिए उसने प्राचीनों को आदेश दिया कि वे उस बदचलन आदमी को शैतान के हवाले सौंप दें यानी मंडली से उसका बहिष्कार कर दें। मंडली की शुद्धता बनाए रखने के लिए प्राचीनों को अपने बीच से “खमीर” को निकालकर फेंक देना था। (1 कुरिं. 5:1, 5-7, 12) जब कोई पश्चाताप नहीं करता और प्राचीन उसका बहिष्कार करते हैं तो हम उस फैसले का साथ देकर मंडली की शुद्धता बनाए रखते हैं। ऐसा करने से शायद वह व्यक्ति पश्चाताप करने और यहोवा से माफी माँगने के लिए उभारा जाए।
15. हम किस तरह मंडली की शांति बनाए रख सकते हैं?
15 कुरिंथ की मंडली में एक और समस्या थी। कुछ भाई अपने ही मसीही भाइयों पर मुकदमा कर रहे थे। पौलुस ने उनसे कहा कि अपने ही भाई को अदालत ले जाने के बजाय “तुम खुद अन्याय क्यों नहीं सह लेते?” (1 कुरिं. 6:1-8) आज भी ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं। एक भाई ने दूसरे भाई के बिज़नेस में पैसा लगाया मगर उसका पैसा डूब गया और उसे लगा कि उस भाई ने उसके साथ धोखा किया है। इसलिए उसने उस पर मुकदमा किया। इस वजह से मंडली में जो शांति-भरा माहौल था वह भंग हो गया। लेकिन परमेश्वर की किताब बाइबल बताती है कि परमेश्वर के नाम को बदनाम करने या मंडली की शांति भंग करने से बेहतर है कि हम खुद नुकसान सह लें। [2] गंभीर समस्याओं और झगड़ों को निपटाने के लिए हमें यीशु की सलाह माननी चाहिए। (मत्ती 5:23, 24; 18:15-17 पढ़िए।) जब हम ऐसा करते हैं तो हम मंडली में शांति और एकता बनाए रखते हैं।
16. हम क्यों उम्मीद कर सकते हैं कि परमेश्वर के लोगों के बीच एकता होगी?
16 यहोवा की दी किताब बाइबल बताती है कि हम क्यों उम्मीद कर सकते हैं कि उसके लोगों के बीच एकता होगी। भजन के लिखनेवाले ने एक गीत में लिखा, “देखो, यह क्या ही भली और मनोहर भज. 133:1) जब इसराएलियों ने यहोवा की बात मानी तो उनके बीच एकता थी और वे अच्छी तरह संगठित थे। आनेवाले समय में यहोवा के लोगों के बीच कैसा माहौल होगा इस बारे में उसने कहा, “मैं उन्हें एकता में ऐसे रखूँगा, जैसे भेड़ें एक-साथ बाड़े में रहती हैं।” (मीका 2:12, एन.डब्ल्यू.) यही नहीं यहोवा ने सपन्याह के ज़रिए भविष्यवाणी की, “मैं देश-देश के लोगों से एक नई और शुद्ध भाषा [शास्त्र में दी सच्चाइयाँ] बुलवाऊँगा, कि वे सब के सब यहोवा से प्रार्थना करें, और एक मन से कन्धे से कन्धा मिलाए हुए उसकी सेवा करें।” (सप. 3:9) हम कितने शुक्रगुज़ार हैं कि यहोवा ने हमें एकता में रहकर उसकी उपासना करने का सम्मान दिया है!
बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें!” (17. मंडली में एकता और शुद्धता बनाए रखने के लिए प्राचीनों को क्यों गंभीर पाप के मामले जल्द-से-जल्द निपटाने चाहिए?
17 मंडली में एकता और शुद्धता बनाए रखने के लिए यह ज़रूरी है कि प्राचीन प्यार की भावना के साथ जल्द-से-जल्द गंभीर पाप के मामले निपटाएँ। वे जानते हैं कि यहोवा बुराई से मंडली की हिफाज़त करना चाहता है और उसकी शुद्धता और एकता बनाए रखना चाहता है। (नीति. 15:3) पौलुस कुरिंथ के अपने भाइयों से बहुत प्यार करता था और ज़रूरत पड़ने पर उसने उन्हें कड़ी सलाह भी दी, जैसे कि उन्हें लिखी पहली चिट्ठी से पता चलता है। फिर कुछ महीने बाद उन्हें लिखी दूसरी चिट्ठी से पता चलता है कि वहाँ के प्राचीनों ने प्रेषित पौलुस के निर्देश मानकर ज़रूरी कदम उठाए थे। आज भी अगर कोई मसीही “गलत कदम उठाए और उसे इस बात का एहसास न हो” तो ज़िम्मेदार भाइयों को उसे कोमलता की भावना के साथ सुधारना चाहिए।—गला. 6:1.
18. (क) परमेश्वर के वचन में दी सलाह मानने से पहली सदी की मंडलियों को किस तरह फायदा हुआ? (ख) अगले लेख में हम किस बारे में चर्चा करेंगे?
18 इसमें कोई शक नहीं कि परमेश्वर की किताब में दी सलाह मानने से कुरिंथ की मंडली और दूसरी मंडलियों की शुद्धता, शांति और एकता बनी रही। (1 कुरिं. 1:10; इफि. 4:11-13; 1 पत. 3:8) इस वजह से उस वक्त के हमारे भाई-बहन प्रचार में बहुत कुछ कर पाए और पौलुस यह कह सका कि खुशखबरी का प्रचार “दुनिया के कोने-कोने में किया जा चुका है।” (कुलु. 1:23) आज भी भाई-बहन संगठन के साथ एकता में रहकर प्रचार का काम कर रहे हैं और उनकी इस मेहनत की वजह से परमेश्वर के शानदार मकसद की खुशखबरी धरती के कोने-कोने में बतायी जा रही है। अगले लेख में हम और भी बातों पर गौर करेंगे कि किस तरह परमेश्वर के लोग बाइबल की कदर करते हैं और दिल से यहोवा का आदर करते हैं, जो सारे जहान का मालिक है।—भज. 71:15, 16.
^ [1] (पैराग्राफ 13) यहोवा की इच्छा पूरी करने के लिए संगठित के पेज 134-135 देखिए।
^ [2] (पैराग्राफ 15) एक मसीही किन हालात में दूसरे मसीही के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता है, इस बारे में खुद को परमेश्वर के प्यार के लायक बनाए रखो किताब के पेज 255 पर फुटनोट देखिए।