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क्या आप नयी मंडली में हैं?

क्या आप नयी मंडली में हैं?

ऐलन * नाम का एक भाई अपने घर से करीब 1,400 किलोमीटर दूर एक नयी जगह जाकर बस गया। वह कहता है, “यहाँ आने से पहले मैं बहुत घबरा रहा था। मुझे नहीं पता था कि मैं नए दोस्त बना पाऊँगा या नहीं या लोग मेरे साथ घुल-मिल पाएँगे या नहीं।” ऐलन अपनी नयी मंडली में खुद को ढालने की कोशिश कर रहा है।

अगर आप दूसरी जगह जाकर बस गए हैं और एक नयी मंडली के साथ संगति करने लगे हैं, तो आप भी शायद ऐलन जैसा महसूस करें। आप नयी मंडली में खुद को कैसे ढाल सकते हैं? अगर ऐसा करना आपके लिए मुश्किल हो रहा है, तो आप क्या कर सकते हैं? वहीं दूसरी तरफ, अगर आपकी मंडली में नए भाई-बहन आते हैं, तो आप उनकी मदद कैसे कर सकते हैं?

नयी मंडली में ढलने और फलने-फूलने के लिए क्या करें?

ज़रा इस मिसाल पर गौर कीजिए: जब एक पेड़ को नयी जगह लगाने के लिए उसे ज़मीन से निकाला जाता है, तो उसकी ज़्यादातर जड़ें काट दी जाती हैं ताकि उसे दूसरी जगह ले जाने में सुविधा हो। ऐसे में पेड़ के लिए ज़िंदा रहना आसान नहीं होता। दूसरी जगह में फलने-फूलने के लिए उसे तुरंत नयी जड़ें बढ़ानी होती हैं। उसी तरह, आपने अपनी पुरानी मंडली में कई पक्के दोस्त बनाए होंगे और प्रचार और सभाओं में आप व्यस्त रहे होंगे। आपकी “जड़ें” मानो पुरानी मंडली में थीं। आपके लिए नयी मंडली में जाना आसान नहीं रहा होगा। आप काफी तनाव से भी गुज़रे होंगे। लेकिन अब अपने नए माहौल में फलने-फूलने के लिए ज़रूरी है कि आप नयी जड़ें बढ़ाएँ। आइए बाइबल के कुछ सिद्धांतों पर गौर करें जिनसे आप ऐसा कर पाएँगे।

जो इंसान रोज़ परमेश्वर का वचन पढ़ता है, “वह ऐसे पेड़ की तरह होगा जो बहते पानी के पास लगाया गया है, जो समय पर फल देता है, जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। वह आदमी अपने हर काम में कामयाब होगा।”​भज. 1:1-3.

एक पेड़ तभी हरा-भरा रहता है जब उसे बहते पानी के पास लगाया जाता है। उसी तरह, अगर एक मसीही परमेश्वर के साथ अपना रिश्ता मज़बूत बनाए रखना चाहता है, तो उसे उसके वचन से पोषण लेते रहना चाहिए। इसलिए रोज़ बाइबल पढ़िए, सभाओं में जाइए, नियमित तौर पर पारिवारिक उपासना और निजी अध्ययन कीजिए। परमेश्वर के साथ अपना रिश्ता मज़बूत रखने के लिए आपको वह हर काम करते रहना है, जो आप अपनी पुरानी मंडली में करते थे।

“जो दूसरों को ताज़गी पहुँचाता है उसे खुद ताज़गी मिलती है।”​नीति. 11:25.

प्रचार में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने से आपको ताज़गी मिलेगी और आप जल्दी से नयी मंडली में खुद को ढाल पाएँगे। एक मसीही प्राचीन केविन बताता है, “नयी मंडली में आने के तुरंत बाद मैंने और मेरी पत्नी ने सहयोगी पायनियर सेवा की। इससे हमें बहुत मदद मिली। कुछ ही समय में मंडली के भाई-बहनों और पायनियरों से हमारी जान-पहचान हो गयी और हम प्रचार के इलाके से भी अच्छी तरह वाकिफ हो गए।” रौजर जो अपने घर से करीब 1,600 किलोमीटर दूर एक नयी जगह जाकर बस गया, कहता है, “नयी मंडली में खुद को ढालने का सबसे अच्छा तरीका है, प्रचार में ज़्यादा-से-ज़्यादा हिस्सा लेना। इसके अलावा, प्राचीनों को बताइए कि अगर राज-घर की सफाई करनी हो, सभा में किसी और का भाग पेश करना हो या किसी भाई या बहन को सभा में ले जाना हो, तो आप ये काम करने के लिए तैयार हैं। जब भाई-बहन देखते हैं कि आपमें त्याग की भावना है, तो वे तुरंत आपको अपना लेंगे।”

“अपने दिलों को बड़ा करो।”​2 कुरिं. 6:13.

भाई-बहनों को जानने के लिए अपने दिलों को बड़ा कीजिए। जब मेलिसा और उसका परिवार एक नयी मंडली में जाने लगा, तो उन्होंने नए दोस्त बनाने की कोशिश की। वह बताती है, “हम सभा से पहले और बाद में राज-घर में सबके साथ घुलने-मिलने लगे। इस तरह हमें उनसे बात करने, उन्हें जानने का मौका मिला। हमारी बातचीत सिर्फ हैलो कहने तक सीमित नहीं थी।” मेलिसा और उसके घर के लोग थोड़े ही समय में भाई-बहनों के नाम सीख गए। उन्होंने मेहमान-नवाज़ी करके भी अपने दिलों को बड़ा किया और इससे नए भाई-बहनों के साथ उनकी दोस्ती मज़बूत हो गयी। मेलिसा बताती है, “हमने एक-दूसरे को अपने फोन नंबर दिए ताकि अगर हमें मंडली में या फुरसत के वक्‍त कुछ करना हो, तो हम फोन करके एक-दूसरे को बुला सकते हैं।”

अगर आप नए लोगों से मिलने के खयाल से घबरा जाते हैं, तो छोटी-छोटी बातों से शुरूआत कीजिए। जैसे, लोगों को देखकर मुस्कुराइए फिर चाहे ऐसा करने का आपका मन न हो। आपकी मुस्कान से दूसरों का ‘दिल झूम उठेगा’ और वे आपकी तरफ खिंचे चले आएँगे। (नीति. 15:30) रेचल जिस जगह पली-बढ़ी थी, वहाँ से दूर एक जगह जाकर बस गयी है। वह बताती है, “मैं स्वभाव से शर्मीली हूँ और कभी-कभी नयी मंडली के भाई-बहनों से बात करना मेरे लिए बहुत मुश्किल होता है। फिर भी मैं लोगों से बात करने की कोशिश करती हूँ। मैं देखती हूँ कि राज-घर में कौन अकेला बैठा है और किसी से बात नहीं कर रहा है। शायद वह मेरी तरह शर्मीले स्वभाव का हो, ऐसे में मैं उससे जाकर मिलती हूँ।” क्यों न आप एक लक्ष्य रखें कि आप हर सभा से पहले और बाद में किसी ऐसे भाई या बहन से बात करेंगे जिससे आपने पहले बात न की हो?

यह भी हो सकता है कि शुरू-शुरू में आपको नए लोगों से मिलना बहुत अच्छा लगे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है आपका जोश शायद कम होने लगे। ऐसे में नए दोस्त बनाते रहने में मेहनत कीजिए।

जब पेड़ों को नयी जगह लगाया जाता है तो यह उनके लिए आसान नहीं होता, लेकिन फिर वे नयी जड़ें बढ़ा लेते हैं

जितना वक्‍त चाहिए उतना वक्‍त लीजिए

कुछ पेड़ों को नयी जगह में जड़ पकड़ने में ज़्यादा समय लगता है। उसी तरह, नयी मंडली में ढलने में कुछ लोगों को दूसरों के मुकाबले ज़्यादा वक्‍त लग सकता है। अगर आपके बारे में यह बात सच है, तो आगे बताए बाइबल के कुछ सिद्धांत आपकी मदद कर सकते हैं:

“आओ हम बढ़िया काम करने में हार न मानें क्योंकि अगर हम हिम्मत न हारें, तो वक्‍त आने पर ज़रूर फल पाएँगे।”​गला. 6:9.

शायद आपने शुरू में सोचा न हो कि नयी मंडली में ढलने में आपको इतना वक्‍त लग जाएगा। लेकिन आपको जितना वक्‍त चाहिए उतना लीजिए। मिसाल के लिए, गिलियड से प्रशिक्षण पाए कई मिशनरी, सालों तक छुट्टियों के लिए घर नहीं जाते बल्कि नयी जगह में ही रहकर सेवा करते हैं। इस तरह वे वहाँ के भाई-बहनों को अच्छी तरह जान पाते हैं और वहाँ की संस्कृति में खुद को ढाल पाते हैं।

आलेहान्द्रो अच्छी तरह जानता है कि नयी जगह और नयी मंडली में खुद को ढालने में वक्‍त लगता है क्योंकि वह कई बार नयी जगह जाकर बसा है। वह बताता है, “जब हम इस बार नयी जगह आकर बस गए, तो मेरी पत्नी ने मुझसे कहा, ‘मेरे सारे दोस्त तो पुरानी मंडली में हैं!’” आलेहान्द्रो ने अपनी पत्नी को याद दिलाया कि उसने यही बात दो साल पहले कही थी जब वे एक नयी जगह जाकर बसे थे। लेकिन उन दो सालों के दौरान उसने लोगों में दिलचस्पी ली और नए दोस्त बनाए। नतीजा, जो लोग एक वक्‍त पर अजनबी थे, अब उसके करीबी दोस्त बन गए हैं।

“यह मत कहना, ‘इन दिनों से अच्छे तो बीते हुए दिन थे।’ क्योंकि ऐसा कहकर तू बुद्धिमानी से काम नहीं ले रहा।”​सभो. 7:10.

अपनी नयी मंडली की तुलना पुरानी मंडली से मत कीजिए। हो सकता है, नयी मंडली के भाई-बहन शर्मीले किस्म के हों या उसके बिलकुल उलट हों और आप इसके आदी न हों। ऐसे में उनके अच्छे गुणों पर ध्यान दीजिए, ठीक जैसा आप चाहते हैं कि वे आपकी अच्छाइयों पर ध्यान दें। नयी मंडली में आकर कुछ भाई-बहन यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं, ‘क्या मैं “भाइयों की सारी बिरादरी” से सचमुच प्यार करता हूँ?’​—1 पत. 2:17.

“माँगते रहो तो तुम्हें दिया जाएगा।”​लूका 11:9.

मदद के लिए प्रार्थना करते रहिए। डेविड जो एक प्राचीन है कहता है, “ऐसे बहुत-से हालात हैं जिनमें सिर्फ यहोवा हमारी मदद कर सकता है। इसलिए अकेले इनका सामना मत कीजिए बल्कि प्रार्थना कीजिए।” रेचल भी जिसका ज़िक्र पहले किया गया था, यही कहती है, “जब भी मुझे और मेरे पति को लगने लगता है कि मंडली में किसी को हमारी परवाह नहीं, तो हम तुरंत यहोवा से इस बारे में प्रार्थना करते हैं। हम उससे बिनती करते हैं, ‘हे यहोवा, अगर हम कुछ ऐसा कर रहे हैं जिससे कि भाई-बहन हमसे दूर-दूर रहते हैं, तो अपनी गलती सुधारने में हमारी मदद कीजिए।’ फिर हम भाई-बहनों के साथ ज़्यादा-से-ज़्यादा वक्‍त बिताने की कोशिश करते हैं।”

माता-पिताओ, अगर आपके बच्चों को लगता है कि मंडली में उनका कोई दोस्त नहीं तो क्यों न इस बारे में उनके साथ प्रार्थना करें। इसके अलावा कुछ ऐसा कीजिए जिससे आपके बच्चे नयी मंडली के लोगों के साथ दोस्ती कर सकें। आप शायद उन्हें अपने घर बुला सकते हैं।

नए लोगों के सच्चे दोस्त बनिए

आप उन भाई-बहनों की किस तरह मदद कर सकते हैं, जो दूसरी मंडली से आपकी मंडली में आए हैं? शुरू से ही उनके सच्चे दोस्त बनने की कोशिश कीजिए। इसके लिए सोचिए कि अगर आप उनकी जगह होते तो आप क्या चाहते कि वे आपके लिए करें, फिर वैसा ही कीजिए। (मत्ती 7:12) जैसे, आप अपनी पारिवारिक उपासना में या महीने की JW ब्रॉडकास्टिंग देखने के लिए उन्हें बुला सकते हैं या उन्हें अपने साथ प्रचार ले जा सकते हैं। आप उन्हें अपने घर खाने पर भी बुला सकते हैं, वे आपकी मेहमान-नवाज़ी कभी नहीं भूलेंगे। आप और किन तरीकों से इन भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं?

कारलोस नाम का एक भाई कहता है, “जब हम नयी मंडली में आए तो एक बहन ने हमें उन दुकानों की सूची दी, जहाँ अच्छी और सस्ती चीज़ें मिलती हैं। इससे हमें बहुत मदद मिली।” कई भाई-बहन नयी जगह के मौसम के आदी नहीं होते। इसलिए आप उन्हें बता सकते हैं कि यहाँ की गरमियों, सर्दियों या बारिश के मौसम में किस तरह के कपड़े पहनना सही होगा। यही नहीं, आप प्रचार के इलाके, वहाँ के लोगों और उनके धार्मिक विश्वासों के बारे में भी उन्हें कुछ जानकारी दे सकते हैं। इस तरह वे प्रचार में लोगों से और भी अच्छी तरह बात कर पाएँगे।

आपकी मेहनत रंग लाएगी

ऐलन को, जिसका ज़िक्र लेख की शुरूआत में किया गया था अपनी नयी मंडली में आए एक साल से ऊपर हो गया है। वह याद करता है, “मुझे भाई-बहनों को जानने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। लेकिन अब ये मेरे परिवार की तरह हैं और मैं यहाँ बहुत खुश हूँ।” ऐलन ने अपने अनुभव से सीखा कि जब हम किसी नयी मंडली में जाते हैं, तो पुराने दोस्तों के साथ हमारा रिश्ता खत्म नहीं हो जाता। उलटा हम नए दोस्त बनाते हैं जिनके साथ हमारी दोस्ती उम्र-भर कायम रहती है।

^ पैरा. 2 कुछ नाम बदल दिए गए हैं।