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खुशी से जयजयकार करो!

खुशी से जयजयकार करो!

“हमारे परमेश्वर की तारीफ में गीत गाना कितना अच्छा है।”​—भज. 147:1.

गीत: 9, 138

1. राज-गीतों की क्या अहमियत है?

एक मशहूर गीतकार ने कहा था, “जब हम शब्द सुनते हैं तो हमारे मन में विचार आते हैं, जब हम कोई संगीत सुनते हैं तो यह हममें भावनाएँ जगाता है। लेकिन जब हम गाना गाते हैं तो इसके बोल हमारे दिल को छू जाते हैं।” यह बात हमारे राज-गीतों के बारे में भी सच है। हम राज-गीत गाकर स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता यहोवा की तारीफ करते हैं और उसके लिए अपना प्यार ज़ाहिर करते हैं। ये गीत हमें उसके और करीब ले आते हैं। इससे साफ पता चलता है कि गीत गाना शुद्ध उपासना का एक अहम हिस्सा है, फिर चाहे हम इन्हें अकेले में गाएँ या मंडली में भाई-बहनों के साथ।

2, 3. (क) कुछ मसीही, मंडली में राज-गीत गाने के बारे में कैसा महसूस करते हैं? (ख) इस लेख में हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?

2 मंडली में राज-गीत गाने के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं? क्या आप गाने से झिझकते हैं? कुछ संस्कृति में आदमियों को सबके सामने गाना अजीब लगता है। मंडली के भाई खासकर प्राचीन जब इस तरह की सोच रखते हैं या फिर गाने के दौरान दूसरे काम करते हैं, तो इसका असर पूरी मंडली पर हो सकता है।​—भज. 30:12.

3 राज-गीत गाना यहोवा की उपासना का एक अहम हिस्सा है। इसलिए हम हरगिज़ नहीं चाहेंगे कि गीत के दौरान हम उठकर कहीं जाएँ या गैर-हाज़िर रहें। हम सबको खुद से पूछना चाहिए, ‘मैं सभाओं में गीत गाने के बारे में कैसा महसूस करता हूँ? अगर मैं सबके सामने गाने से घबराता हूँ तो मैं क्या कर सकता हूँ? मैं पूरे दिल से कैसे गा सकता हूँ?’

गीत गाना​—सच्ची उपासना का एक अहम हिस्सा

4, 5. प्राचीन इसराएल में गीत गाने और संगीत बजाने का क्या इंतज़ाम था?

4 सदियों से यहोवा के सेवक संगीत के ज़रिए उसकी तारीफ करते आए हैं। गौर करनेवाली बात है कि जब इसराएली यहोवा के वफादार थे, तो गीत गाना उनकी उपासना का अहम हिस्सा था। मिसाल के लिए, दाविद ने 4,000 लेवियों को संगठित किया ताकि आगे चलकर वे मंदिर में यहोवा की तारीफ में गीत गाएँ और साज़ बजाएँ। इनमें 288 लोग ऐसे थे, “जिन्हें यहोवा के लिए गीत गाने की तालीम दी गयी थी और वे सभी कुशल गायक थे।”​—1 इति. 23:5; 25:7.

5 फिर जब मंदिर का उद्‌घाटन हुआ तब संगीत बजाया गया और गीत गाए गए। बाइबल बताती है, ‘तुरहियाँ फूँकनेवाले और गायक सुर-में-सुर मिलाकर यहोवा की तारीफ और उसका शुक्रिया अदा कर रहे थे। उनकी तुरहियों, झाँझ और दूसरे साज़ों की तेज़ आवाज़ गूँज रही थी और वे यहोवा की तारीफ कर रहे थे। जब वे ऐसा कर रहे थे तो सच्चे परमेश्वर यहोवा का भवन उसकी महिमा से भर गया था।’ सोचिए, इससे वहाँ हाज़िर इसराएलियों का विश्वास कितना मज़बूत हुआ होगा!​—2 इति. 5:13, 14; 7:6.

6. जब नहेमायाह यरूशलेम का राज्यपाल था, तो उसने गीत गाने और संगीत बजाने के क्या इंतज़ाम किए?

6 नहेमायाह के समय में भी जब यरूशलेम की शहरपनाह का उद्‌घाटन किया गया, तो गीत गाने और संगीत बजाने के लिए लेवियों को संगठित किया गया। इससे खुशी के इस मौके पर चार चाँद लग गए। नहेमायाह ने “धन्यवाद के गीत गानेवाले दो बड़े दल” बनाए। एक दल शहरपनाह के ऊपर एक दिशा में गया और दूसरा दल उलटी दिशा में। फिर वे शहरपनाह पर उस हिस्से में मिले, जिसके सामने परमेश्वर का मंदिर था। उनके गाने की आवाज़ दूर-दूर तक सुनायी दे रही थी। (नहे. 12:27, 28, 31, 38, 40, 43) उन्होंने बड़े जोश के साथ यहोवा की तारीफ में गीत गाए। बेशक इससे यहोवा का दिल बहुत खुश हुआ होगा!

7. यीशु ने कैसे दिखाया कि मसीहियों के लिए गीत गाना उपासना का अहम हिस्सा होगा?

7 यीशु के समय में भी सच्ची उपासना में संगीत की बहुत अहमियत थी। याद कीजिए कि इंसानी इतिहास के सबसे यादगार दिन पर यीशु ने क्या किया। अपने चेलों के साथ प्रभु का संध्या भोज मनाने के बाद, उसने उनके साथ मिलकर यहोवा की तारीफ में गीत गाए।​—मत्ती 26:30 पढ़िए।

8. पहली सदी के मसीहियों ने गीत गाने में किस तरह एक अच्छी मिसाल रखी?

8 पहली सदी के मसीहियों ने परमेश्वर की तारीफ में गीत गाने में एक अच्छी मिसाल रखी। उनके हालात इसराएलियों से बिलकुल अलग थे। उनके पास उपासना के लिए कोई आलीशान मंदिर नहीं था, वे लोगों के घर में इकट्ठा होते थे। फिर भी यहोवा की तारीफ में वे जोश के साथ गीत गाते थे। प्रेषित पौलुस ने अपने मसीही भाइयों को बढ़ावा दिया, “भजन गाकर, परमेश्वर का गुणगान करके और एहसान-भरे दिल से उपासना के गीत गाकर एक-दूसरे को सिखाते रहो और एक-दूसरे की हिम्मत बँधाते रहो और अपने दिलों में यहोवा के लिए गीत गाते रहो।” (कुलु. 3:16) हमें भी राज-गीतों को “एहसान-भरे दिल से” गाना चाहिए। दरअसल ये गीत “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” की तरफ से सही वक्‍त पर दिया खाना है।​—मत्ती 24:45.

बेझिझक गीत गाना कैसे सीखें?

9. (क) कुछ लोग सभाओं और सम्मेलनों में गाने से क्यों हिचकिचाते हैं? (ख) हमें क्या करना चाहिए ताकि हम यहोवा की तारीफ में अच्छे से गा सकें? गीत गाने में किन्हें अगुवाई करनी चाहिए? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

9 कुछ भाई-बहन गाना गाने से हिचकिचाते हैं। क्यों? हो सकता है, गीत गाना उनके परिवार या संस्कृति में आम बात न हो। या वे रेडियो या टी.वी. पर अच्छे गायकों को सुनते हों और उन्हें लगता है कि उनकी आवाज़ उन गायकों की तरह सुरीली नहीं। लेकिन यहोवा की तारीफ में गीत गाना हरेक मसीही की ज़िम्मेदारी है। इसके लिए हम क्या कर सकते हैं? गीत गाते वक्‍त अपनी किताब ऊपर उठाइए, अपना सिर ऊँचा रखिए और पूरे जोश के साथ गाइए! (एज्रा 3:11; भजन 147:1 पढ़िए।) आजकल बहुत-से राज-घरों में टी.वी. या स्क्रीन पर गीतों के बोल दिखाए जाते हैं ताकि हम अच्छे से गा सकें। दिलचस्पी की बात है कि प्राचीनों के लिए रखे जानेवाले राज-सेवा स्कूल में भी अब से राज-गीत गाए जाएँगे। इससे साफ पता चलता है कि प्राचीनों को सभाओं में गीत गाने में अगुवाई करनी चाहिए।

10. अगर हम ज़ोर से गाने से डरते हैं, तो हमें क्या याद रखना चाहिए?

10 कई लोग ज़ोर से गाने से डरते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी आवाज़ इतनी अच्छी नहीं या फिर वे सोचते हैं कि अगर वे ऊँचा गाएँगे, तो दूसरों की आवाज़ दब जाएगी। लेकिन बाइबल बताती है, जब हम बात करते हैं तो “हम सब कई बार गलती करते हैं।” (याकू. 3:2) क्या इस वजह से हम बात करना बंद कर देते हैं? नहीं! तो फिर हम यह सोचकर यहोवा की तारीफ में गीत गाना क्यों बंद कर दें कि हमारी आवाज़ अच्छी नहीं?

11, 12. सही तरह गाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?

11 कभी-कभी हम गाने से शायद इसलिए डरते हैं क्योंकि हमें पता नहीं होता कि गाने का सही तरीका क्या है। आइए कुछ सुझावों पर ध्यान दें ताकि हम अच्छे से गा सकें।

12 सही तरह साँस लेना सीखिए। जैसे बिजली से बल्ब में ऊर्जा पैदा होती है और वह जलने लगता है वैसे ही, गहरी साँस लेने से अच्छी आवाज़ पैदा होती है और आप ऊँची और दमदार आवाज़ में गा पाते या बात कर पाते हैं। आपको उसी आवाज़ में गाना चाहिए जिस आवाज़ में आप बोलते हैं या फिर उससे ऊँचा गाना चाहिए। (परमेश्वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए किताब के पेज 181-184 पर दिए उपशीर्षक, “ठीक से साँस लीजिए” में बताए सुझाव देखिए।) दरअसल बाइबल की कुछ आयतें बताती हैं कि यहोवा के उपासकों को गाते वक्‍त ऊँची आवाज़ में “खुशी से जयजयकार” करना चाहिए।​—भज. 33:1-3.

13. समझाइए कि हम किस तरह बेझिझक गीत गाना सीख सकते हैं।

13 सभाओं में बेझिझक गाने के लिए पारिवारिक उपासना के दौरान या अकेले में गीत गाने की प्रैक्टिस कीजिए। अपना मनपसंद राज-गीत चुनिए और उसके बोल को ऊँची आवाज़ में पढ़िए। फिर एक ही साँस में और बुलंद आवाज़ में उसकी एक पंक्‍ति दोहराइए। इसके बाद उसी पंक्‍ति को जोश के साथ गाइए। (यशा. 24:14) इस तरह अभ्यास करने से आपकी आवाज़ में दम होगा और आप अच्छी तरह गा पाएँगे। यह सोचकर मत घबराइए कि आपकी आवाज़ से दूसरों की आवाज़ दब जाएगी।

14. (क) अच्छी तरह मुँह खोलकर गाने से क्या फायदा होता है? (बक्स, “ अच्छी तरह गाने के तरीके” देखिए।) (ख) आवाज़ की कमज़ोरियों पर काबू पाने में किन सुझावों ने आपकी मदद की है?

14 मुँह खोलकर गाइए। बातचीत करते वक्‍त आम तौर पर आप जितना मुँह खोलते हैं, गाते वक्‍त उससे ज़्यादा मुँह खोलिए। इससे आपके मुँह में ज़्यादा जगह बनेगी, आप खुलकर गा सकेंगे और आपकी आवाज़ में भी दम होगा। लेकिन अगर आपको लगता है कि आपकी आवाज़ बेजान या तीखी है, तब आपको क्या करना चाहिए? परमेश्वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए किताब के पेज 184 पर दिया बक्स “कुछ कमज़ोरियों पर काबू पाना” देखिए। इसमें कुछ सुझाव दिए गए हैं जिनसे आपको फायदा हो सकता है।

दिल से तारीफ के गीत गाइए

15. (क) सन्‌ 2016 की सालाना सभा में क्या घोषणा की गयी? (ख) नयी गीत किताब की ज़रूरत क्यों पड़ी?

15 सन्‌ 2016 की सालाना सभा में जब भाई स्टीवन लैट ने घोषणा की कि गीत की एक नयी किताब, सिंग आउट जौइफुली” टू जेहोवा निकाली जाएगी, तो हाज़िर सभी लोग खुशी से झूम उठे। भाई लैट ने कुछ वजह बतायीं कि हमें नयी गीत किताब की ज़रूरत क्यों पड़ी। एक वजह थी कि अँग्रेज़ी में पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद बाइबल का नया संस्करण निकाला गया था। इस नयी बाइबल में कुछ शब्द बदल दिए गए और इस वजह से गीत के बोल में भी फेरबदल करना ज़रूरी हो गया। इसके अलावा, गीत किताब में प्रचार और फिरौती के बारे में नए गीत जोड़े गए। गीत गाना हमारी उपासना का अहम हिस्सा है। इसी वजह से शासी निकाय ने फैसला किया कि एक नयी गीत किताब निकाली जाएगी जिसकी क्वालिटी नयी दुनिया अनुवाद बाइबल जैसी होगी और जो दिखने में भी उसकी तरह होगी।

16, 17. नयी गीत किताब में और क्या बदलाव किए गए हैं?

16 नयी गीत किताब में गीतों को विषय के हिसाब से बाँटा गया है ताकि इन्हें ढूँढ़ना आसान हो। मिसाल के लिए, इसके पहले 12 गीत यहोवा के बारे में हैं और अगले 8 गीत यीशु और फिरौती के बारे में हैं। किताब के शुरू के पन्नों में विषयों की सूची दी गयी है। इससे भाइयों को जन भाषण के लिए गीत चुनने में आसानी होगी।

17 कुछ गीतों के बोल में फेरबदल किए गए हैं ताकि वे गीत आसानी से समझ में आ सकें और लोग इन्हें पूरे दिल से गा सकें। कुछ शब्द जो अब इस्तेमाल में नहीं हैं उन्हें निकाल दिया गया है और उनकी जगह नए शब्द डाले गए हैं। कुछ गीत के शीर्षक भी बदले गए हैं। मिसाल के लिए शीर्षक, “दिल की हिफाज़त कर” को बदलकर “हम दिल की हिफाज़त करते हैं” कर दिया गया। यह फेरबदल क्यों सही था? क्योंकि पहले जब कोई यह गीत गाता था, तो उसे लगता था मानो वह दूसरों को आज्ञा दे रहा हो कि वे अपने दिल की हिफाज़त करें। सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों में नए लोगों को, दिलचस्पी रखनेवालों, नौजवानों और बहनों को यह गीत गाकर अजीब लगता था। इसी वजह से इसके शीर्षक में और इसके बोल में फेरबदल किए गए।

पारिवारिक उपासना के दौरान राज-गीतों की प्रैक्टिस कीजिए (पैराग्राफ 18 देखिए)

18. हमें राज-गीतों से अच्छी तरह वाकिफ क्यों होना चाहिए?

18 गीत किताब में ऐसे बहुत-से गीत हैं जो दरअसल प्रार्थनाएँ हैं। इन गीतों को गाकर हम यहोवा को बता सकते हैं कि हम कैसा महसूस करते हैं। कुछ ऐसे गीत भी हैं जो हमें “प्यार और भले काम करने का बढ़ावा” दे सकते हैं। (इब्रा. 10:24) इसलिए हमें राज-गीतों की धुन और गीत के बोल से अच्छी तरह वाकिफ होना चाहिए। जब आप घर में इन गानों की प्रैक्टिस करते हैं, तो आप सभाओं में इन्हें पूरे जोश के साथ और दिल से गा पाएँगे। *

19. मंडली में सभी लोग किस तरह यहोवा की उपासना कर सकते हैं?

19 इसमें कोई शक नहीं कि गीत गाना हमारी उपासना का एक अहम हिस्सा है। हम जोश के साथ गीत गाकर दिखाते हैं कि हमें यहोवा से प्यार है और हम उसके उपकारों के लिए बहुत एहसानमंद हैं। (यशायाह 12:5 पढ़िए।) आपको खुशी-खुशी राज-गीत गाते देखकर दूसरे भी इन्हें पूरे जोश के साथ गाएँगे। मंडली में जवान, बूढ़े, नए-पुराने सभी लोग गीत गाकर यहोवा की उपासना कर सकते हैं। इसलिए पूरे दिल से राज-गीत गाइए! भजन के लेखक की इस हिदायत को मानिए, “यहोवा के लिए गीत गाओ!” जी हाँ, खुशी से उसकी जयजयकार करो।​—भज. 96:1.

^ पैरा. 18 सम्मेलन और अधिवेशन में सुबह और दोपहर का कार्यक्रम शुरू होने से पहले दस मिनट के लिए संगीत के वीडियो दिखाए जाते हैं। ये वीडियो हमारे अंदर गीत गाने का जोश भर देते हैं और इनसे हम कार्यक्रम पर ध्यान देने के लिए अपने मन को तैयार कर पाते हैं। इसलिए संगीत का वीडियो शुरू होने से पहले हमें अपनी-अपनी जगह पर बैठ जाना चाहिए और इसका पूरा मज़ा लेना चाहिए।