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अध्ययन लेख 45

पवित्र शक्‍ति हमारी मदद कर सकती है!

पवित्र शक्‍ति हमारी मदद कर सकती है!

“जो मुझे ताकत देता है, उसी से मुझे सब बातों के लिए शक्‍ति मिलती है।”—फिलि. 4:13.

गीत 104 परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति का तोहफा

लेख की एक झलक *

1-2. (क) हम हर दिन मुश्‍किलों का सामना कैसे कर पाते हैं? समझाइए। (ख) इस लेख में हम क्या देखेंगे?

क्या आपने कभी किसी मुश्‍किल घड़ी का सामना किया है? हो सकता है, आपको कोई बड़ी बीमारी हो गयी थी। या फिर आपने किसी अपने की मौत का गम सहा हो। आपके लिए शायद एक-एक दिन काटना मुश्‍किल था, मगर यहोवा ने आपको सँभाला। उसने अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए आपको ‘वह ताकत दी जो आम इंसानों की ताकत से कहीं बढ़कर है।’ (2 कुरिं. 4:7-9) आज जब आप उस समय को याद करते हैं, तो आपको पूरा यकीन है कि आपने अपने दम पर नहीं, बल्कि यहोवा की पवित्र शक्‍ति की वजह से ही उस मुश्‍किल दौर का सामना किया। बेशक, कई भाई-बहन आपकी इस बात से सहमत होंगे।

2 मुश्‍किलों का सामना करने के अलावा, हमें इस दुष्ट दुनिया का भी कड़ा विरोध करना पड़ता है। (1 यूह. 5:19) यही नहीं, हमारी लड़ाई “शक्‍तिशाली दुष्ट दूतों” से भी है। (इफि. 6:12) आइए देखें कि इन सभी मुश्‍किलों का मुकाबला करने के लिए पवित्र शक्‍ति किन दो तरीकों से हमारी मदद करती है। हम यह भी चर्चा करेंगे कि हमें क्या करना होगा, ताकि पवित्र शक्‍ति हम पर ज़बरदस्त तरीके से काम करे।

पवित्र शक्‍ति हमें ताकत देती है

3. एक तरीका बताइए जिससे यहोवा मुश्‍किलों का सामना करने में हमारी मदद करता है।

3 एक तरीका क्या है जिससे यहोवा की पवित्र शक्‍ति हमारी मदद करती है? पवित्र शक्‍ति हमें ताकत देती है ताकि हम मुश्‍किलों के बावजूद अपनी ज़िम्मेदारियाँ पूरी कर सकें। प्रेषित पौलुस की ज़िंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उसने अनुभव किया कि “मसीह की ताकत” से ही वह यहोवा की सेवा कर पाया। (2 कुरिं. 12:9) उसने अपने दूसरे मिशनरी दौरे में लगन से प्रचार करने के साथ-साथ अपनी रोज़ी-रोटी के लिए भी काम किया। कुरिंथ में वह अक्विला और प्रिस्किल्ला के यहाँ रहा, जो तंबू बनाने का काम करते थे। पौलुस का भी यही पेशा था, इसलिए अपने खर्चे पूरे करने के लिए उसने कुछ दिनों तक उनके साथ यह काम किया। (प्रेषि. 18:1-4) पवित्र शक्‍ति ने पौलुस को अपना गुज़ारा चलाने और प्रचार करने की ताकत दी।

4. दूसरा कुरिंथियों 12:7ख-9 के मुताबिक पौलुस ने किस मुश्‍किल का सामना किया?

4 दूसरा कुरिंथियों 12:7ख-9 पढ़िए। इन आयतों में पौलुस कहता है कि उसके “शरीर में एक काँटा चुभाया गया” था। इसका क्या मतलब था? ज़रा सोचिए, अगर आपको कोई काँटा चुभ जाए, तो आपको कितना दर्द, कितनी तकलीफ होगी। शरीर के काँटे से शायद पौलुस का मतलब था कि वह किसी ऐसी मुश्‍किल से गुज़र रहा था, जो उसे बहुत तकलीफ दे रही थी। उसने इस मुश्‍किल को “शैतान के एक दूत जैसा” कहा, जो उसे बार-बार ‘थप्पड़ मार’ (या ‘पीट,’ फु.) रहा था। तो क्या इसका मतलब है कि पौलुस की मुश्‍किलों के पीछे शैतान या दुष्ट स्वर्गदूतों का हाथ था? हम सीधे-सीधे तो नहीं कह सकते, मगर जब उन्होंने उसके शरीर का “काँटा” देखा, तो उसकी तकलीफ बढ़ाने की ज़रूर कोशिश की होगी। ऐसे में पौलुस ने क्या किया?

5. यहोवा ने किस तरह पौलुस की प्रार्थना सुनी?

5 शुरू-शुरू में पौलुस चाहता था कि यहोवा उसके शरीर का “काँटा” निकाल दे। वह बताता है, “मैंने प्रभु [यहोवा] से तीन बार गिड़गिड़ाकर बिनती की थी कि यह काँटा निकाल दिया जाए।” इतनी मिन्‍नतें करने पर भी पौलुस के शरीर का काँटा नहीं निकाला गया। क्या इसका मतलब था कि यहोवा ने उसकी प्रार्थना नहीं सुनी? ऐसी बात नहीं है। भले ही यहोवा ने उसकी तकलीफ दूर नहीं की, लेकिन उसे सहने की ताकत दी। उसने पौलुस से कहा, “जब तू कमज़ोर होता है तब मेरी ताकत पूरी तरह दिखायी देती है।” (2 कुरिं. 12:8, 9) इस तरह यहोवा ने पौलुस की प्रार्थना सुनी। परमेश्‍वर की मदद से पौलुस अपनी खुशी और मन की शांति बनाए रख पाया।—फिलि. 4:4-7.

6. (क) यहोवा शायद किस तरह आपकी प्रार्थना सुने? (ख) पैराग्राफ में दी आयतों से आपको कैसे हिम्मत मिलती है?

6 क्या आपने भी कभी यहोवा से बिनती की है कि वह आपकी तकलीफ दूर कर दे? हो सकता है, आपने उसके सामने कई बार गिड़गिड़ाया हो, मगर आपकी तकलीफ दूर होने के बजाय और बढ़ गयी। आपको शायद लगा हो कि कहीं यहोवा मुझसे नाराज़ तो नहीं है। ऐसे में पौलुस की मिसाल याद कीजिए। जिस तरह यहोवा ने पौलुस की प्रार्थना सुनी, उसी तरह वह आपकी भी सुनेगा। यहोवा शायद आपकी तकलीफ दूर न करे, लेकिन पवित्र शक्‍ति के ज़रिए उसे सहने की ताकत ज़रूर देगा। (भज. 61:3, 4) भले ही तकलीफों की वजह से आप पस्त हो जाएँ, लेकिन यकीन रखिए, यहोवा आपको कभी नहीं त्यागेगा।—2 कुरिं. 4:8, 9; फिलि. 4:13.

पवित्र शक्‍ति यहोवा की सेवा करते रहने की हिम्मत देती है

7-8. (क) पवित्र शक्‍ति की तुलना किस तरह हवा से की जा सकती है? (ख) पवित्र शक्‍ति के काम के बारे में पतरस ने किस तरह समझाया?

7 पवित्र शक्‍ति और किस तरीके से हमारी मदद करती है? यह सही दिशा में जाने यानी यहोवा की सेवा करते रहने में हमारी मदद करती है। सही दिशा में बहती हवा, जहाज़ को अपनी मंज़िल तक पहुँचने में मदद करती है, फिर चाहे समुंदर में कितना ही तूफान उठ रहा हो। उसी तरह पवित्र शक्‍ति मुश्‍किलों के बावजूद हमें अपनी मंज़िल तक, यानी नयी दुनिया तक पहुँचने में मदद करती है।

8 प्रेषित पतरस ने लिखा, “कोई भी भविष्यवाणी इंसान की मरज़ी से कभी नहीं हुई, बल्कि इंसान पवित्र शक्‍ति से उभारे जाकर परमेश्‍वर की तरफ से बोलते थे।” जब पतरस ने पवित्र शक्‍ति के काम के बारे में यह बात लिखी, तो उसने एक ऐसा शब्द इस्तेमाल किया, जो हवा के बहाव के लिए इस्तेमाल होता है। इस आयत में जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “से उभारे जाकर” किया गया है, उसका शाब्दिक मतलब है, “के बहाव में,” यानी जिस तरह हवा के बहाव में जहाज़ आगे बढ़ता है। (2 पत. 1:21, फु.) यह बात जायज़ है क्योंकि पतरस एक मछुवारा था और जहाज़ चलाने के बारे में काफी कुछ जानता था।

9. जब पतरस ने “बहाव” शब्द इस्तेमाल किया, तो पढ़नेवालों के मन में क्या खयाल आया होगा? समझाइए।

9 लूका ने प्रेषितों की किताब में जब एक ऐसे जहाज़ का ज़िक्र किया, जिसे हवा के रुख के साथ-साथ “बहने दिया” गया था, तो उसने वही यूनानी शब्द इस्तेमाल किया था जो पतरस ने किया था। (प्रेषि. 27:15) इसी को ध्यान में रखकर एक विद्वान कहता है कि जब पतरस ने “बहाव” शब्द इस्तेमाल किया, तो पढ़नेवालों के मन में एक समुद्री जहाज़ का खयाल आया होगा, जो हवा के बहाव के साथ चलता है। दूसरे शब्दों में कहें तो ठीक जैसे हवा के बहाव में एक जहाज़ अपनी मंज़िल तक पहुँचता है, वैसे ही पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में भविष्यवक्‍ताओं और बाइबल के लेखकों ने परमेश्‍वर का काम किया। यहोवा ने उनकी मदद के लिए “हवा” चलायी, यानी उन्हें पवित्र शक्‍ति दी और बाइबल के लेखक पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन के मुताबिक चले। उसी विद्वान का कहना है कि उन्होंने मानो अपने “पाल चढ़ा लिए थे,” ताकि हवा के बहाव के मुताबिक चल सकें।

पहला कदम: यहोवा ने हमें जो काम दिया है, उसे नियमित तौर पर कीजिए

दूसरा कदम: यहोवा के काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लीजिए (पैराग्राफ 11 देखें) *

10-11. पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलने के लिए हमें कौन-से दो कदम उठाने होंगे? उदाहरण देकर समझाइए।

10 आज बेशक यहोवा पवित्र शक्‍ति के ज़रिए लोगों को बाइबल लिखने के लिए नहीं उभारता, लेकिन वह इसी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए उनका मार्गदर्शन करता है। यहोवा आज भी अपने सेवकों की मदद करने के लिए जो ज़रूरी है, वह कर रहा है। लेकिन हमें भी अपनी तरफ से कुछ करना होगा। वह क्या?

11 एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। अगर एक नाविक हवा के सहारे अपनी नाव चलाना चाहता है, तो उसे दो कदम उठाने होंगे। पहला, उसे अपनी नाव को किनारे से निकालकर उस जगह तक ले जाना होगा जहाँ हवा चल रही है। दूसरा, उसे नाव के पाल पूरी तरह खोलने होंगे और उन्हें चढ़ाना होगा ताकि जो हवा चल रही है, उसकी मदद से नाव आगे बढ़ सके। कुछ इसी तरह, यहोवा की सेवा करते रहने के लिए हमें पवित्र शक्‍ति की ज़रूरत है, लेकिन अगर हम चाहते हैं कि यह शक्‍ति हम पर ज़बरदस्त तरीके से काम करे, तो हमें दो कदम उठाने होंगे। पहला, हमें परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक ऐसे काम करने होंगे, जिनसे हमें उसकी पवित्र शक्‍ति मिले। दूसरा, हमें अपने “पाल चढ़ाने होंगे,” यानी परमेश्‍वर की सेवा से जुड़े कामों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना होगा। (भज. 119:32) जब हम ये दो कदम उठाएँगे, तब हमारी ज़िंदगी में चाहे मुश्‍किलों और विरोध का तूफान क्यों न आए, पवित्र शक्‍ति हमें नयी दुनिया के आने तक यहोवा की सेवा करते रहने की ताकत देगी।

12. अब हम किस बारे में गौर करेंगे?

12 अब तक हमने दो तरीकों पर ध्यान दिया, जिनसे पवित्र शक्‍ति हमारी मदद करती है। एक, पवित्र शक्‍ति हमें ताकत देती है और दो, मुश्‍किलों के बावजूद यहोवा की सेवा करते रहने का बढ़ावा देती है। हमने यह भी देखा कि पवित्र शक्‍ति हमारा मार्गदर्शन करती है और उस राह पर बने रहने में हमारी मदद करती है, जो हमें हमेशा की ज़िंदगी की तरफ ले जाती है। आइए अब गौर करें कि हमें कौन-से चार काम करने होंगे, ताकि पवित्र शक्‍ति हम पर ज़बरदस्त तरीके से काम करे।

पवित्र शक्‍ति की पूरी-पूरी मदद लेने के लिए क्या करें?

13. (क) 2 तीमुथियुस 3:16, 17 के मुताबिक परमेश्‍वर का वचन हमारी मदद कैसे कर सकता है? (ख) लेकिन इसके लिए हमें क्या करना होगा?

13 पहला, परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन कीजिए।  (2 तीमुथियुस 3:16, 17 पढ़िए।) जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “परमेश्‍वर की प्रेरणा से” किया गया है, उसका शाब्दिक मतलब है, “ईश्‍वर-फूँक।” परमेश्‍वर ने पवित्र शक्‍ति के ज़रिए बाइबल के लेखकों के मन में मानो अपने विचार “फूँके।” जब हम बाइबल पढ़ते हैं और उस पर मनन करते हैं, तो परमेश्‍वर की बातें हमारे दिलो-दिमाग में घर कर जाती हैं। फिर उसकी बातें हमें उभारती हैं कि हम उसकी मरज़ी के मुताबिक अपने अंदर कुछ फेरबदल करें। (इब्रा. 4:12) लेकिन इसके लिए हमें हर दिन बाइबल पढ़ने और उस पर मनन करने के लिए वक्‍त निकालना होगा। नतीजा यह होगा कि हमारी बातें और हमारा व्यवहार परमेश्‍वर के वचन के मुताबिक होगा।

14. (क) हम क्यों कह सकते हैं कि मसीही सभाओं पर यहोवा की पवित्र शक्‍ति होती है? (ख) हम क्या करके मानो “अपने पाल पूरी तरह खोल” रहे होंगे?

14 दूसरा, परमेश्‍वर की उपासना के लिए इकट्ठा होइए।  (भज. 22:22) यहोवा की पवित्र शक्‍ति हमारी मसीही सभाओं पर होती है। (प्रका. 2:29) हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? क्योंकि जब हम मसीही भाई-बहनों के साथ इकट्ठा होते हैं, तो हम पवित्र शक्‍ति के लिए प्रार्थना करते हैं, परमेश्‍वर के वचन पर आधारित राज-गीत गाते हैं और बाइबल पर आधारित भाषण सुनते हैं, जिन्हें पवित्र शक्‍ति के ज़रिए नियुक्‍त भाई पेश करते हैं। यही पवित्र शक्‍ति बहनों की भी मदद करती है कि वे अपने भाग अच्छी तरह तैयार करें और उन्हें पेश करें। लेकिन हमें पवित्र शक्‍ति से पूरी-पूरी मदद तभी मिलेगी, जब हम सभाओं में जवाब देने की अच्छी तैयारी करेंगे। इस तरह हम मानो “अपने पाल पूरी तरह खोल” रहे होंगे।

15. प्रचार में हम किस तरह पवित्र शक्‍ति की मदद लेते हैं?

15 तीसरा, प्रचार कीजिए।  जब प्रचार में हम लोगों को बाइबल की आयतें दिखाते हैं, तो हम दरअसल पवित्र शक्‍ति की मदद ले रहे होते हैं। (रोमि. 15:18, 19) लेकिन पवित्र शक्‍ति से पूरी-पूरी मदद लेने के लिए ज़रूरी है कि हम नियमित तौर पर प्रचार करें और जब-जब मुमकिन हो, बाइबल का इस्तेमाल करें। मसीही ज़िंदगी और सेवा  सभा पुस्तिका  में दिए सुझाव आज़माकर हम लोगों से अच्छी तरह बात कर पाएँगे और उन्हें गवाही दे पाएँगे।

16. पवित्र शक्‍ति पाने का सबसे सीधा तरीका क्या है?

16 चौथा, यहोवा से प्रार्थना कीजिए।  (मत्ती 7:7-11; लूका 11:13) पवित्र शक्‍ति पाने का सबसे सीधा तरीका है, यहोवा से प्रार्थना करना। न जेल की दीवारें और न ही शैतान, हमारी प्रार्थनाओं को यहोवा तक पहुँचने से रोक सकता है। उसी तरह, परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति को हम तक पहुँचने से कोई नहीं रोक सकता। (याकू. 1:17) लेकिन सवाल है कि हमें किस तरह प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि हमें परमेश्‍वर से उसकी पवित्र शक्‍ति मिले? जवाब जानने के लिए आइए एक मिसाल पर ध्यान दें, जो सिर्फ लूका की खुशखबरी की किताब में दर्ज़ है। *

लगातार प्रार्थना कीजिए

17. लूका 11:5-9, 13 में दी यीशु की मिसाल से हम प्रार्थना के बारे में क्या सीखते हैं?

17 लूका 11:5-9, 13 पढ़िए। यीशु की इस मिसाल से हम सीखते हैं कि हमें यहोवा से किस तरह पवित्र शक्‍ति माँगनी चाहिए।  एक आदमी अपने दोस्त से मदद माँगने आता है। भले ही बहुत रात हो चुकी थी, फिर भी उसे जो चाहिए था, “वह बिना शर्म के माँगता” ही रहा। यही वजह थी कि उसे वह चीज़ मिल गयी। (लूका 11:8 का अध्ययन नोट देखें।) यीशु ने इस मिसाल से प्रार्थना के बारे में क्या सिखाया? उसने कहा, “माँगते रहो तो तुम्हें दिया जाएगा। ढूँढ़ते रहो तो तुम पाओगे। खटखटाते रहो तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा।” इससे हमें क्या सीख मिलती है? यही कि हमें यहोवा से पवित्र शक्‍ति माँगने में हार नहीं माननी चाहिए, हमें इसके लिए लगातार प्रार्थना करनी चाहिए। 

18. यीशु की मिसाल के मुताबिक हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमें पवित्र शक्‍ति देगा?

18 यीशु की मिसाल से हम यह भी समझ पाते हैं कि यहोवा हमें पवित्र शक्‍ति क्यों देगा।  मिसाल में बताए गए आदमी के यहाँ देर रात एक मेहमान आया और घर पर खाने के लिए कुछ नहीं था। मगर वह आदमी एक अच्छा मेज़बान बनना चाहता था, इसलिए अपने पड़ोसी से रोटी माँगने गया। यीशु ने कहा कि उसके पड़ोसी ने उसे रोटी इसलिए दी, क्योंकि वह बिना शर्म के उससे माँगता ही रहा। यीशु इससे क्या सीख देना चाहता था? यही कि जब एक अपरिपूर्ण इंसान अपने दोस्त की मदद कर सकता है, तो यहोवा ज़रूर उन लोगों की सुनेगा जो उससे लगातार पवित्र शक्‍ति माँगते हैं। हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि हमारे माँगने पर यहोवा हमें अपनी पवित्र शक्‍ति ज़रूर देगा।—भज. 10:17; 66:19.

19. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि शैतान हमसे जीत नहीं पाएगा?

19 जैसा कि हमने इस लेख में देखा, शैतान हम पर चाहे कितनी ही मुश्‍किलें लाए, वह हमसे जीत नहीं पाएगा। हमें इस बात का इतना यकीन क्यों है? क्योंकि यहोवा की पवित्र शक्‍ति दो तरीकों से हमारी मदद करती है। पहला, यह हमें अपनी तकलीफें सहने की ताकत देती है। दूसरा, इसकी मदद से हमारे पाल मानो “हवा से भर जाते हैं,” यानी हमें तब तक यहोवा की सेवा करते रहने की हिम्मत मिलती है, जब तक नयी दुनिया नहीं आ जाती। तो आइए, हम ठान लें कि हम यहोवा की पवित्र शक्‍ति की पूरी-पूरी मदद लेंगे!

गीत 41 मेरी प्रार्थना सुन

^ पैरा. 5 इस लेख में बताया गया है कि मुश्‍किलों का सामना करने में परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति किस तरह हमारी मदद करती है। हम इस बात पर भी गौर करेंगे कि अगर हम चाहते हैं कि पवित्र शक्‍ति हम पर ज़बरदस्त तरीके से काम करे, तो हमें क्या करना होगा।

^ पैरा. 16 खुशखबरी के बाकी लेखकों के मुकाबले लूका ने इस बात पर ज़्यादा ज़ोर दिया कि यीशु के लिए प्रार्थना बहुत अहमियत रखती थी।—लूका 3:21; 5:16; 6:12; 9:18, 28, 29; 18:1; 22:41, 44.

^ पैरा. 59 तसवीर के बारे में: पहला कदम: एक मसीही पति-पत्नी राज-घर आए हैं। वे भाई-बहनों के साथ सभा के लिए इकट्ठा हुए हैं, जहाँ यहोवा की पवित्र शक्‍ति होती है। दूसरा कदम: वे अच्छी तैयारी करके सभा में जवाब दे रहे हैं। ये दो कदम हमें तब भी उठाने चाहिए, जब हम दूसरे काम करते हैं, जैसे परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन, प्रचार और यहोवा से प्रार्थना।