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अध्ययन लेख 46

गीत 49 यहोवा का दिल खुश करें

भाइयो, क्या आप सहायक सेवक बनने के लिए आगे बढ़ रहे हैं?

भाइयो, क्या आप सहायक सेवक बनने के लिए आगे बढ़ रहे हैं?

“लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।”प्रेषि. 20:35.

क्या सीखेंगे?

जिन भाइयों का बपतिस्मा हो चुका है, वे सहायक सेवक बनने के लिए कैसे आगे बढ़ सकते हैं?

1. प्रेषित पौलुस सहायक सेवकों के बारे में कैसा महसूस करता था?

 सहायक सेवक मंडली में कई ज़रूरी काम सँभालते हैं। इन वफादार भाइयों की प्रेषित पौलुस बहुत कदर करता था। इसी वजह से जब उसने फिलिप्पी के मसीहियों को खत लिखा, तो उसने प्राचीनों के साथ-साथ सहायक सेवकों का भी ज़िक्र किया।—फिलि. 1:1.

2. भाई लुइस अपनी सेवा करने के बारे में कैसा महसूस करते हैं?

2 आज अलग-अलग उम्र के कई भाई, सहायक सेवक के तौर पर सेवा कर रहे हैं। उन्हें इस काम से बहुत खुशी मिलती है। जैसे, देवन को 18 साल की उम्र में सहायक सेवक नियुक्‍त किया गया। वहीं भाई लुइस करीब 50 साल की उम्र में सहायक सेवक बने। भाई लुइस इस सेवा के बारे में कैसा महसूस करते हैं? वे बताते हैं, “मंडली के भाई-बहनों की सेवा करके मुझे बहुत खुशी होती है। वे मुझसे बहुत प्यार करते हैं और यह सेवा करके मैं भी उनके लिए अपना प्यार ज़ाहिर कर सकता हूँ।” दुनिया-भर में सहायक सेवक ऐसा ही महसूस करते हैं।

3. इस लेख में हम किन सवालों के जवाब जानेंगे?

3 अगर आपका बपतिस्मा हो चुका है, लेकिन आप एक सहायक सेवक नहीं हैं, तो क्या आप इस तरह सेवा करने का लक्ष्य रख सकते हैं? क्या बात आपको ऐसा करने के लिए उभारेगी? और सहायक सेवक बनने के लिए आपको बाइबल में दी कौन-सी योग्यताएँ पूरी करनी होंगी? इस लेख में हम इन्हीं सवालों के जवाब जानेंगे। लेकिन सबसे पहले आइए जानें कि सहायक सेवक क्या-क्या ज़िम्मेदारी निभाते हैं।

सहायक सेवक कौन-सी ज़िम्मेदारियाँ निभाते हैं?

4. सहायक सेवक कौन-से काम सँभालते हैं? (तसवीर भी देखें।)

4 सहायक सेवक बपतिस्मा पाए हुए ऐसे भाई होते हैं, जिन्हें पवित्र शक्‍ति से नियुक्‍त किया जाता है। वे मंडली के कई सारे काम सँभालने में प्राचीनों का हाथ बँटाते हैं। जैसे, वे इस बात का ध्यान रखते हैं कि भाई-बहनों के पास प्रचार का इलाका और लोगों को देने के लिए किताबें-पत्रिकाएँ हों। वे राज-घर की साफ-सफाई और उसका रख-रखाव करने में भी हाथ बँटाते हैं। कुछ सहायक सेवक मददगार (अटेंडंट) का काम करते हैं और कुछ सभा के दौरान ऑडियो-वीडियो सँभालते हैं। लेकिन सबसे ज़रूरी बात, सहायक सेवक ऐसे भाई होते हैं जिनका यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता होता है। वे यहोवा से प्यार करते हैं और उसके नेक स्तरों के हिसाब से जीते हैं। और वे मंडली के भाई-बहनों से भी दिलो-जान से प्यार करते हैं। (मत्ती 22:37-39) तो एक भाई जिसका बपतिस्मा हो चुका है, वह सहायक सेवक बनने के लिए कैसे आगे बढ़ सकता है?

सहायक सेवक यीशु की तरह खुशी-खुशी दूसरों की सेवा करने के लिए तैयार रहते हैं (पैराग्राफ 4)


5. सहायक सेवक बनने के लिए एक भाई को क्या करना होगा?

5 बाइबल में साफ-साफ बताया है कि अगर एक भाई सहायक सेवक बनना चाहता है, तो उसमें कौन-सी योग्यताएँ होनी चाहिए। (1 तीमु. 3:8-10, 12, 13) अगर आपकी भी इच्छा है कि आप एक सहायक सेवक बनें, तो इन योग्यताओं के बारे में अच्छी तरह अध्ययन कीजिए और इन्हें पूरा करने की जी-तोड़ कोशिश कीजिए। लेकिन सबसे पहले आपको सोचना चाहिए कि आप क्यों यह ज़िम्मेदारी पाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं, इसके पीछे आपका इरादा क्या है।

आप किस वजह से आगे बढ़ना चाहते हैं?

6. भाई-बहनों की सेवा करनी की क्या वजह होनी चाहिए? (मत्ती 20:28; तसवीर भी देखें।)

6 ज़रा यीशु पर ध्यान दीजिए। वह हमारे लिए सबसे अच्छी मिसाल है। वह अपने पिता यहोवा और लोगों से बहुत प्यार करता था। इसी वजह से उसने दूसरों के लिए कड़ी मेहनत की और ऐसे काम भी किए जो मामूली समझे जाते थे। (मत्ती 20:28 पढ़िए; यूह. 13:5, 14, 15) अगर आप भी प्यार की वजह से आगे बढ़ने की कोशिश करें, तो यहोवा आपको आशीष देगा और सहायक सेवक बनने का लक्ष्य पाने में आपकी मदद करेगा।—1 कुरिं. 16:14; 1 पत. 5:5.

यीशु ने अपने प्रेषितों के लिए अच्छी मिसाल रखी और इस तरह उन्हें सिखाया कि ऊँचा ओहदा पाने के बजाय उन्हें नम्र रहकर दूसरों की सेवा करनी चाहिए (पैराग्राफ 6)


7. एक भाई को क्यों बड़ा बनने के इरादे से आगे नहीं बढ़ना चाहिए?

7 आज दुनिया में जो लोग खुद को बड़ा दिखाते हैं, लोग उन्हीं की वाह-वाही करते हैं। लेकिन यहोवा के संगठन में ऐसा नहीं होता। एक भाई जो यीशु की तरह दूसरों से प्यार करता है, वह बड़ा ओहदा या दूसरों पर अधिकार पाने की कोशिश नहीं करेगा। और अगर एक ऐसे भाई को मंडली में नियुक्‍त किया जाए जिसमें बड़ा बनने की चाहत है, तो शायद वह उन मामूली कामों को करने से इनकार कर दे जो यहोवा की भेड़ों के लिए करने होते हैं। वह शायद सोचे कि ये काम उसकी शान के खिलाफ हैं। (यूह. 10:12) अगर कोई भाई घमंड की वजह से या खुद को बड़ा दिखाने के इरादे से आगे बढ़ने की कोशिश करता है, तो यहोवा कभी उसकी मेहनत पर आशीष नहीं देगा।—1 कुरिं. 10:24, 33; 13:4, 5.

8. यीशु ने प्रेषितों को क्या सलाह दी?

8 कभी-कभी यीशु के सबसे करीबी दोस्तों ने भी गलत इरादे से ज़िम्मेदारियाँ पाने की कोशिश की। ध्यान दीजिए कि एक बार प्रेषित याकूब और प्रेषित यूहन्‍ना ने क्या किया। उन्होंने यीशु से कहा कि वह उन्हें अपने राज में एक खास जगह दे। यीशु को यह बात पसंद नहीं आयी। उसने अपने सभी 12 प्रेषितों को सलाह दी, “तुममें जो बड़ा बनना चाहता है, उसे तुम्हारा सेवक होना चाहिए और जो कोई तुममें पहला होना चाहता है, उसे सबका दास होना चाहिए।” (मर. 10:35-37, 43, 44) जब एक भाई सही इरादे से, यानी भाई-बहनों की सेवा करने के इरादे से आगे बढ़ता है, तो वह मंडली के लिए एक आशीष साबित होता है।—1 थिस्स. 2:8.

आप अपने अंदर दूसरों की सेवा करने की इच्छा कैसे बढ़ा सकते हैं?

9. आप अपने अंदर दूसरों की सेवा करने की इच्छा कैसे बढ़ा सकते हैं?

9 बेशक आप यहोवा से प्यार करते हैं और दूसरों की सेवा करना चाहते हैं, पर हो सकता है आपमें वे काम करने की इच्छा ना हो जो सहायक सेवकों को करने होते हैं। ऐसे में आप क्या कर सकते हैं? आप अपने अंदर दूसरों की सेवा करने की इच्छा कैसे बढ़ा सकते हैं? सोचिए कि भाई-बहनों की सेवा करने से कितनी खुशी मिलती है। यीशु ने कहा था, “लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।” (प्रेषि. 20:35) और यीशु ने सिर्फ ऐसा कहा नहीं, बल्कि किया भी। उसने दूसरों की सेवा की और उसे बहुत खुशी मिली। और आपको भी यह खुशी मिल सकती है!

10. किस बात से पता चलता है कि यीशु को दूसरों की सेवा करने से खुशी मिलती थी? (मरकुस 6:31-34)

10 ज़रा एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए जिससे पता चलता है कि यीशु खुशी-खुशी दूसरों की सेवा करना चाहता था। (मरकुस 6:31-34 पढ़िए।) एक बार यीशु और उसके प्रेषित बहुत थक गए थे और वे आराम करने के लिए किसी एकांत जगह जा रहे थे। मगर भीड़ ने उन्हें जाते हुए देख लिया और वह उनसे पहले ही उस जगह पहुँच गयी। लोग यह उम्मीद लगाए थे कि वह उन्हें कुछ सिखाएगा। यीशु चाहता तो उन्हें मना कर सकता था। आखिर उसे और उसके साथियों को खाने तक की फुरसत नहीं मिली थी। या वह चाहता तो एक-दो बातें सिखाकर उन्हें वापस भेज सकता था। लेकिन उसके दिल में उन लोगों के लिए प्यार था, इसलिए वह “उन्हें बहुत-सी बातें सिखाने लगा” और “काफी वक्‍त” तक, यानी दिन ढलने तक सिखाता रहा। (मर. 6:35) उसने ऐसा इसलिए नहीं किया कि यह उसका फर्ज़ था, बल्कि वह सच में उन्हें सिखाना चाहता था, क्योंकि ‘वह उन्हें देखकर तड़प उठा था।’ सच में, दूसरों की सेवा करने से यीशु को बहुत खुशी मिलती थी।

11. यीशु ने और किस तरह लोगों की मदद की? (तसवीर भी देखें।)

11 यीशु ने भीड़ को सिखाने के साथ-साथ दूसरे तरीकों से भी उनकी मदद की। उसने चमत्कार करके लोगों के लिए खाने का इंतज़ाम किया और अपने चेलों से कहा कि वे उन्हें खाना बाँटें। (मर. 6:41) इस तरह उसने चेले को सिखाया कि वे कैसे दूसरों की सेवा कर सकते हैं और यह भी कि खाना बाँटने जैसा काम भी ज़रूरी काम है। आज सहायक सेवक भी कुछ इसी तरह के ज़रूरी काम करते हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि जब चेलों ने लोगों को खाना बाँटा होगा और यह देखा होगा कि “सब लोगों ने जी-भरकर खाया” है, तो उन्हें कितनी खुशी हुई होगी! (मर. 6:42) यीशु ने और भी कई मौकों पर खुद के बारे में सोचने के बजाय दूसरों के बारे में सोचा और उनकी मदद की। उसने अपनी पूरी ज़िंदगी दूसरों की सेवा में लगा दी। (मत्ती 4:23; 8:16) उसे दूसरों को सिखाकर और उनकी ज़रूरतें पूरी करके बहुत खुशी मिलती थी। बेशक अगर आप भी दूसरों के बारे में सोचें और सहायक सेवक बनने के लिए आगे आएँ, तो आपको भी बहुत खुशी मिलेगी।

अगर आपको यहोवा से प्यार होगा और आपमें दूसरों की सेवा करने की इच्छा होगी, तो आप मंडली में कुछ भी करने के लिए तैयार रहेंगे (पैराग्राफ 11) a


12. हमें ऐसा क्यों नहीं सोचना चाहिए कि हम मंडली के लिए ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते?

12 अगर आपको लगता है कि आपके पास कोई खास काबिलीयत नहीं है, तो निराश मत होइए। आपमें ज़रूर कुछ ऐसे गुण होंगे जिससे आप मंडली के बहुत काम आ सकते हैं। क्यों ना 1 कुरिंथियों 12:12-30 में दिए पौलुस के शब्द पढ़ें और उस बारे में प्रार्थना करें? पौलुस ने साफ-साफ बताया कि मंडली में हरेक की, आपकी भी अहमियत है और आप ज़रूर किसी-न-किसी तरह भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं। लेकिन अगर आप फिलहाल सहायक सेवकों के लिए बाइबल में दी योग्यताएँ पूरी नहीं कर सकते, तो हार मत मानिए। आपसे जितना हो सकता है, उतना यहोवा की सेवा में करते रहिए और भाई-बहनों की मदद कीजिए। भरोसा रखिए कि प्राचीन आपकी काबिलीयत को ध्यान में रखकर ही आपको काम सौंपेंगे।—रोमि. 12:4-8.

13. सहायक सेवकों के लिए दी योग्यताएँ पूरी करना क्यों मुश्‍किल नहीं है?

13 आपको सहायक सेवक बनने के लिए क्यों आगे आना चाहिए, इसकी एक और वजह पर ध्यान दीजिए। बाइबल में सहायक सेवकों के लिए जो योग्यताएँ दी गयी हैं, उनमें से ज़्यादातर तो सभी मसीहियों को पूरी करनी होती हैं। जैसे, हम सभी को यहोवा के करीब आना है, खुशी-खुशी दूसरों की मदद करनी है और एक ऐसी ज़िंदगी जीनी है जिससे यहोवा खुश हो। देखा जाए, तो इन योग्यताओं में से ज़्यादातर तो आप पहले से ही पूरी कर रहे हैं। तो फिर एक भाई आगे बढ़ने के लिए और क्या कर सकता है?

सहायक सेवक बनने के लिए क्या करें?

14. ‘गंभीर होने’ का क्या मतलब है? (1 तीमुथियुस 3:8-10, 12)

14 अब आइए 1 तीमुथियुस 3:8-10, 12 में दी योग्यताओं पर गौर करें। (पढ़िए।) एक सहायक सेवक को “गंभीर होना चाहिए।” इन शब्दों का अनुवाद “आदर के लायक” और “गरिमा से पेश आनेवाला” भी किया जा सकता है। इसका मतलब यह नहीं कि आप कभी हँसी-मज़ाक नहीं कर सकते। (सभो. 3:1, 4) असल में इसका मतलब है कि आपको जो भी ज़िम्मेदारी दी जाती है, आप उसे हलके में ना लें, बल्कि गंभीरता से पूरा करें। अगर आप हर काम अच्छे-से और समय पर पूरा करेंगे, तो मंडली में आपका अच्छा नाम होगा। भाई-बहन आप पर भरोसा करेंगे और आपकी इज़्ज़त करेंगे।

15. एक सहायक सेवक को ‘दोगली बातें बोलनेवाला’ और ‘बेईमानी की कमाई का लालची’ नहीं होना चाहिए, इसका क्या मतलब है?

15 ‘दोगली बातें बोलनेवाला न हो।’ इसका मतलब आपको ईमानदार और भरोसेमंद होना चाहिए। आपको अपनी ज़बान का पक्का होना चाहिए और दूसरों को धोखा नहीं देना चाहिए। (नीति. 3:32) ‘बेईमानी की कमाई का लालची न हो,’ इसका मतलब है कि आपको कारोबार में और पैसों के लेन-देन में ईमानदार होना चाहिए। आपको भाई-बहनों का फायदा उठाकर पैसा बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

16. (क) ‘बहुत ज़्यादा दाख-मदिरा पीनेवाला न हो,’ इसका क्या मतलब है? (ख) “साफ ज़मीर” होने का क्या मतलब है?

16 ‘बहुत ज़्यादा दाख-मदिरा पीनेवाला न हो।’ इसका मतलब है आपको हद-से-ज़्यादा शराब नहीं पीनी चाहिए, ना ही लोगों के बीच आपका ऐसा नाम होना चाहिए कि आप बहुत ज़्यादा पीते हैं। “साफ ज़मीर” होने का मतलब है कि आप यहोवा के स्तरों के हिसाब से अपनी ज़िंदगी जीते हैं। भले ही कभी-कभी आपसे गलतियाँ हो जाती हैं, फिर भी परमेश्‍वर के साथ आपका एक अच्छा रिश्‍ता है और इस वजह से आपके पास मन की शांति है।

17. ‘परखा जाए कि वह योग्य हो,’ इसका क्या मतलब है? (1 तीमुथियुस 3:10; तसवीर भी देखें।)

17 ‘परखा जाए कि वह योग्य हो।’ इसका मतलब है कि आपने साबित किया है कि आप अपनी ज़िम्मेदारियाँ अच्छे-से पूरी करते हैं और आप पर भरोसा किया जा सकता है। इसलिए जब प्राचीन आपको कोई काम देते हैं, तो उनके निर्देशों और संगठन की हिदायतों के मुताबिक काम कीजिए। इस बात को भी अच्छे-से समझिए कि वह काम कैसे करना है और कब तक पूरा करना है। अगर आप दिल लगाकर अपनी हर ज़िम्मेदारी पूरी करेंगे, तो मंडली के भाई-बहन आपकी तरक्की देख पाएँगे। प्राचीनो, इस बात का ध्यान रखिए कि आप बपतिस्मा पाए हुए भाइयों को ट्रेनिंग दें। (1 तीमुथियुस 3:10 पढ़िए।) क्या आपकी मंडली में ऐसे भाई हैं जिनकी उम्र 10-14 साल के बीच है और जिनका बपतिस्मा हो चुका है? क्या उन्हें निजी अध्ययन करने की आदत है? क्या वे सभाओं की अच्छी तैयारी करते हैं और उनमें हिस्सा लेते हैं? और क्या वे लगातार प्रचार में जाते हैं? अगर हाँ, तो उनकी उम्र और हालात को ध्यान में रखते हुए उन्हें कुछ काम सौंपिए। इस तरह इन जवान भाइयों को ‘परखा जा सकता है कि वे योग्य हैं या नहीं।’ फिर जब वे 17-18 साल के होंगे, तो शायद वे सहायक सेवक बनने के लिए तैयार हो जाएँ।

बपतिस्मा पाए भाइयों को कोई काम देकर प्राचीन परख सकते हैं कि वे “योग्य हैं या नहीं” (पैराग्राफ 17)


18. ‘निर्दोष पाए जाने’ का क्या मतलब है?

18 ‘निर्दोष पाया जाए।’ इसका मतलब है कि कोई आप पर गंभीर पाप करने का आरोप ना लगा सके। हो सकता है कि एक मसीही पर झूठे इलज़ाम लगाए जाएँ। ऐसे में याद रखिए कि यीशु पर भी झूठे इलज़ाम लगाए गए थे और उसने कहा था कि उसके चेलों के साथ भी ऐसा होगा। (यूह. 15:20) लेकिन अगर यीशु की तरह आप अपना चालचलन शुद्ध बनाए रखें, तो मंडली में आपका एक अच्छा नाम होगा।—मत्ती 11:19.

19. एक शादीशुदा भाई “एक ही पत्नी का पति हो,” इसका क्या मतलब है?

19 “एक ही पत्नी का पति हो।” अगर आपकी शादी हो चुकी है, तो इस बारे में आपको यहोवा का स्तर मानना चाहिए जो उसने शुरू में ठहराया था, यानी एक आदमी को एक ही औरत से शादी करनी चाहिए। (मत्ती 19:3-9) एक मसीही को किसी के साथ नाजायज़ यौन-संबंध नहीं रखने चाहिए। (इब्रा. 13:4) लेकिन आपको कुछ और बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। आपको अपनी पत्नी का वफादार रहना चाहिए, कभी-भी किसी औरत को गलत नज़र से नहीं देखना चाहिए और उसके साथ नज़दीकियाँ नहीं बढ़ानी चाहिए।—अय्यू. 31:1.

20. एक भाई अपने परिवार की “अच्छी तरह से अगुवाई” कैसे कर सकता है?

20 “अपने बच्चों और परिवार की अच्छी तरह से अगुवाई करनेवाला हो।” अगर आप परिवार के मुखिया हैं, तो आपको अपनी ज़िम्मेदारी अच्छे-से पूरी करनी चाहिए। हर हफ्ते पारिवारिक उपासना कीजिए। परिवार में हरेक के साथ जितना हो सके प्रचार कीजिए। अपने बच्चों की मदद कीजिए ताकि यहोवा के साथ उनका खुद का एक मज़बूत रिश्‍ता हो। (इफि. 6:4) अगर आप अपने परिवार की अच्छी तरह देखभाल करेंगे, तो इससे पता चलेगा कि आप मंडली के भाई-बहनों की भी अच्छी तरह देखभाल कर पाएँगे।—1 तीमुथियुस 3:5 से तुलना करें।

21. अगर आप सहायक सेवक बनना चाहते हैं, तो आप क्या कर सकते हैं?

21 भाइयो, अगर आप सहायक सेवक बनना चाहते हैं, तो इस लेख को अच्छे-से पढ़िए और इस बारे में यहोवा से प्रार्थना कीजिए। बाइबल में सहायक सेवकों के लिए जो योग्यताएँ दी गयी हैं, उनके बारे में अध्ययन कीजिए और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कीजिए। इस बारे में भी सोचिए कि आप यहोवा से और अपने भाई-बहनों से कितना प्यार करते हैं। अपने अंदर दूसरों की सेवा करने की इच्छा और बढ़ाइए। (1 पत. 4:8, 10) फिर जब आप एक सहायक सेवक बनेंगे और भाई-बहनों की सेवा करेंगे, तो आपको बहुत खुशी मिलेगी। हमारी दुआ है कि आगे बढ़ने के लिए आप जो मेहनत कर रहे हैं, यहोवा उस पर आशीष दे!—फिलि. 2:13.

गीत 17 “मैं चाहता हूँ”

a तसवीर के बारे में: बाँयीं तरफ दिखाया गया है कि यीशु कितना नम्र है, वह अपने चेलों की मदद कर रहा है; दाँयीं तरफ दिखाया गया है कि एक सहायक सेवक एक बुज़ुर्ग भाई की मदद कर रहा है।