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अध्ययन लेख 8

यह क्यों दिखाएँ कि हम एहसानमंद हैं?

यह क्यों दिखाएँ कि हम एहसानमंद हैं?

“दिखाओ कि तुम कितने एहसानमंद हो।”​—कुलु. 3:15.

गीत 46 तेरा एहसान मानते यहोवा

लेख की एक झलक *

1. एक सामरी आदमी ने कैसे ज़ाहिर किया कि वह एहसानमंद है?

दस आदमियों की हालत बहुत बुरी थी। वे कोढ़ से पीड़ित थे और ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं थी। फिर एक दिन उन्हें दूर से महान शिक्षक यीशु दिखायी दिया। उन्होंने सुना था कि यीशु हर तरह की बीमारी ठीक कर देता है और उन्हें यकीन था कि वह उन्हें भी ठीक कर देगा। इस वजह से वे ज़ोर से पुकारने लगे, “हे गुरु यीशु, हम पर दया कर!” यीशु ने उन सब कोढ़ियों को पूरी तरह ठीक कर दिया। इसमें कोई शक नहीं कि वे सब यीशु के इस उपकार के लिए एहसानमंद थे। लेकिन उनमें से एक ऐसा था, जिसके न सिर्फ दिल में  कदरदानी * थी, बल्कि उसने इसे यीशु के सामने ज़ाहिर  भी किया। उस सामरी आदमी के दिल ने उसे उभारा कि वह “ज़ोर-ज़ोर से परमेश्‍वर का गुणगान” करे।​—लूका 17:12-19.

2-3. (क) हम शायद दूसरों का धन्यवाद करने से क्यों चूक जाएँ? (ख) इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

2 उस सामरी आदमी की तरह हम भी यह दिखाना चाहते हैं कि हम उन लोगों के एहसानमंद हैं, जो हम पर कोई उपकार करते हैं। लेकिन कभी-कभी हम उनका धन्यवाद करना या एहसान मानना भूल जाते हैं।

3 इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि अपनी बातों और कामों से यह दिखाना क्यों ज़रूरी है कि हम एहसानमंद हैं। हम यह भी देखेंगे कि बाइबल में बताए उन लोगों से हम क्या सीख सकते हैं, जो कदरदान थे और जो नहीं थे। फिर हम गौर करेंगे कि हम किन तरीकों से दूसरों की कदर कर सकते हैं।

यह क्यों ज़ाहिर करें कि हम कदरदान इंसान हैं?

4-5. यह ज़ाहिर करना क्यों ज़रूरी है कि हमें दूसरों की कदर है?

4 दूसरों की कदर करने में यहोवा सबसे बढ़िया मिसाल है। जो लोग उसे खुश करते हैं, उन्हें आशीषें देकर वह ज़ाहिर करता है कि उसे उनकी कदर है। (2 शमू. 22:21; भज. 13:6; मत्ती 10:40, 41) बाइबल में हमें बढ़ावा दिया गया है कि हम “परमेश्‍वर के प्यारे बच्चों की तरह उसकी मिसाल पर” चलें। (इफि. 5:1) जी हाँ, दूसरों की कदर करने की खास वजह यह है कि हम यहोवा के जैसे बनना चाहते हैं।

5 इसकी एक और वजह पर ध्यान दीजिए। कदरदानी बढ़िया खाने की तरह है। अगर उसे मिल-बाँटकर खाया जाए, तो और भी मज़ा आता है। जब हमें पता चलता है कि दूसरे हमारी कदर करते हैं, तो हमें  खुशी होती है। लेकिन यह ऐसा है मानो हम अकेले बैठकर खाना खा रहे हों। वहीं जब हम दूसरों के लिए कदरदानी ज़ाहिर करते हैं, तो हम उन्हें  खुश करते हैं, मानो हम मिल-बाँटकर खा रहे हों। किसी व्यक्‍ति का धन्यवाद करने से उसे एहसास होता है कि उसने हमारे लिए जो किया उससे वाकई हमें फायदा हुआ है। इसका नतीजा यह होता है कि उससे हमारी दोस्ती गहरी हो जाती है।

6. कदरदानी-भरे शब्दों में और सोने के सेब में क्या समानताएँ हैं?

6 जब आप लोगों को बताते हैं कि आपको उनकी कितनी कदर है, तो आपके बोल उनके लिए बहुत अनमोल होते हैं। बाइबल में लिखा है, “जैसे चाँदी की नक्काशीदार टोकरी में सोने के सेब, वैसे ही सही वक्‍त पर कही गयी बात होती है।” (नीति. 25:11) ज़रा सोचिए, सोने का सेब चाँदी की टोकरी में रखा हो, तो कितना खूबसूरत दिखेगा! और-तो-और उसका मोल कितना ज़्यादा होगा! अगर कोई आपको ऐसा अनमोल तोहफा दे, तो आपको कैसा लगेगा? आप दूसरों से कदरदानी-भरे जो शब्द कहते हैं, उनका भी बहुत मोल होता है। इस बात पर भी ध्यान दीजिए: सोने का सेब बहुत लंबे समय तक टिका रह सकता है। उसी तरह किसी का शुक्रिया अदा करने के लिए आप जो कहते हैं, वह शायद उसे ज़िंदगी-भर याद रहे और उसे अपने दिल में सँजोकर रखे।

वे कदरदान थे

7. भजनों के कुछ लेखकों ने और भजन 27:4 के मुताबिक दाविद ने कैसे ज़ाहिर किया कि वे कदरदान हैं?

7 पुराने ज़माने में परमेश्‍वर के बहुत-से सेवकों ने ज़ाहिर किया कि वे कदरदान हैं। उनमें से एक था, दाविद। (भजन 27:4 पढ़िए।) वह सच्ची उपासना की बहुत कदर करता था। इसीलिए उसने मंदिर के निर्माण काम के लिए काफी तादाद में कीमती चीज़ें दान कीं। आसाप के वंशजों ने भजन या तारीफ के गीत लिखकर दिखाया कि वे यहोवा के एहसानमंद हैं। एक गीत में उन्होंने परमेश्‍वर का धन्यवाद किया और उसके “आश्‍चर्य के कामों” की तारीफ की। (भज. 75:1) वाकई, दाविद और आसाप के वंशज यहोवा से मिलनेवाली आशीषों के लिए कितने एहसानमंद थे! सोचिए कि आप भजन के इन लेखकों की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं।

रोम के मसीहियों को लिखी पौलुस की चिट्ठी से हम लोगों की कदर करने के बारे में क्या सीखते हैं? (पैराग्राफ 8-9 देखें) *

8-9. (क) प्रेषित पौलुस ने कैसे दिखाया कि उसे भाई-बहनों की कदर है? (ख) इसका क्या नतीजा हुआ होगा?

8 प्रेषित पौलुस को अपने भाई-बहनों की बहुत कदर थी। यह उसकी बातों से साफ पता चलता था। उसने हमेशा अपनी प्रार्थनाओं में उनके लिए परमेश्‍वर का धन्यवाद किया। यही नहीं, जब उसने उन्हें खत लिखा, तो उसमें भी जताया कि वह उन्हें कितना अनमोल समझता है। रोमियों की किताब के अध्याय 16 की पहली 15 आयतों में उसने 27 मसीहियों का नाम लेकर उनका ज़िक्र किया। पौलुस ने खासकर प्रिसका और अक्विला को याद किया, जिन्होंने उसकी खातिर “अपनी जान जोखिम में डाल दी।” उसने बहन फीबे की तारीफ में कहा कि वह उसकी और ‘बहुतों की मददगार साबित हुई है।’ उसने इन सभी प्यारे और मेहनती भाई-बहनों की दिल से सराहना की।​—रोमि. 16:1-15.

9 पौलुस जानता था कि रोम के भाई-बहन अपरिपूर्ण हैं, फिर भी अपने खत के आखिर में उसने उनके अच्छे गुणों पर ध्यान दिया। क्या आप सोच सकते हैं कि जब पौलुस का खत मंडली में पढ़ा जा रहा था, तब भाई-बहनों का कितना हौसला बढ़ा होगा! इससे पौलुस और उनकी दोस्ती ज़रूर गहरी हुई होगी। आपकी मंडली के भाई-बहन आपके लिए जो कुछ करते हैं, क्या उसके लिए आप हर बार उनका शुक्रिया अदा करते हैं?

10. (क) यीशु ने कैसे दिखाया कि उसे अपने चेलों की कदर है? (ख) हम उससे क्या सीख सकते हैं?

10 यीशु ने पहली सदी की कुछ मंडलियों को जो संदेश दिया, उसमें उसने बताया कि वह अपने चेलों की मेहनत की कितनी कदर करता है। उदाहरण के लिए, उसने थुआतीरा की मंडली को दिए संदेश की शुरूआत में कहा, “मैं तेरे काम, प्यार, विश्‍वास, सेवा और धीरज के बारे में जानता हूँ। और यह भी जानता हूँ कि तूने हाल में जो काम किए हैं वे उन कामों से बढ़कर हैं जो तूने पहले किए थे।” (प्रका. 2:19) यीशु ने न सिर्फ उनके कामों का ज़िक्र किया, जो वे बढ़-चढ़कर कर रहे थे, बल्कि उन गुणों की भी तारीफ की, जिनकी वजह से वे अच्छे काम कर रहे थे। हालाँकि थुआतीरा के कुछ लोगों को यीशु ने फटकारा, फिर भी शुरूआत और आखिर में उसने हौसला बढ़ानेवाली बातें कहीं। (प्रका. 2:25-28) देखा जाए तो यीशु सभी मंडलियों का मुखिया है और उसे उन पर अधिकार दिया गया है। इस वजह से उसे हमारा शुक्रिया अदा करने की ज़रूरत नहीं है। फिर भी वह हमारे कामों की कदर करता है। प्राचीनों के लिए वह कितनी बढ़िया मिसाल है!

उन्होंने कदर नहीं की

11. जैसे इब्रानियों 12:16 में बताया गया है, पवित्र चीज़ों के बारे में एसाव का रवैया कैसा था?

11 दुख की बात है कि बाइबल में बताए गए कुछ लोगों ने दिखाया कि उन्हें अच्छी बातों की कदर नहीं है। एसाव की मिसाल लीजिए। उसके माता-पिता यहोवा से बहुत प्यार करते थे और उसका आदर करते थे, लेकिन उसे पवित्र चीज़ों की कदर नहीं थी। (इब्रानियों 12:16 पढ़िए।) यह बात कैसे ज़ाहिर हुई? एसाव ने बिना सोचे-समझे पहलौठे का अधिकार अपने छोटे भाई याकूब को बेच दिया, वह भी बस एक कटोरी दाल के लिए। (उत्प. 25:30-34) बाद में उसे अपने फैसले पर बहुत पछतावा हुआ। जब उसे पहलौठे की आशीषें नहीं मिलीं, तो वह शिकायत करने लगा। लेकिन ऐसा करना सही नहीं था, क्योंकि उसने कभी उन चीज़ों की कदर नहीं की, जो उसके पास थीं।

12-13. (क) इसराएलियों ने कैसे दिखाया कि वे यहोवा के एहसानमंद नहीं रहे? (ख) इसका अंजाम क्या हुआ?

12 अब इसराएलियों के बारे में सोचिए। उनके पास यह दिखाने की कई वजह थीं कि वे यहोवा के एहसानमंद हैं। यहोवा ने मिस्र पर दस विपत्तियाँ लाकर उन्हें गुलामी से आज़ाद किया था। फिर उसने मिस्र की पूरी सेना को लाल सागर में डुबो दिया और इसराएलियों को नाश होने से बचाया। इसराएलियों का दिल एहसान से इस कदर भर गया कि उन्होंने यहोवा की तारीफ में गीत गाया। लेकिन क्या वे आगे भी एहसानमंद रहे?

13 जब इसराएलियों पर नयी मुश्‍किलें आयीं, तो वे उन अच्छे कामों को भूल गए जो यहोवा ने उनकी खातिर किए थे। (भज. 106:7) उन्होंने कैसे दिखाया कि वे एहसानमंद नहीं रहे? “इसराएलियों की पूरी मंडली मूसा और हारून के खिलाफ कुड़कुड़ाने लगी।” ऐसा करके वे असल में यहोवा के खिलाफ कुड़कुड़ा रहे थे। (निर्ग. 16:2, 8) यहोवा यह देखकर बहुत दुखी हुआ कि उसके लोग कितनी जल्दी उसका एहसान भूल गए। बाद में उसने साफ-साफ बताया कि यहोशू और कालेब को छोड़ इसराएलियों की यह पूरी पीढ़ी वीराने में ही नाश हो जाएगी। (गिन. 14:22-24; 26:65) हम इस तरह की बुरी मिसालों पर न चलकर अच्छी मिसालों पर चलना चाहते हैं। आइए देखें कि हम यह कैसे कर सकते हैं।

दिखाइए कि आपको दूसरों की कदर है

14-15. (क) पति-पत्नी कैसे दिखा सकते हैं कि वे एक-दूसरे की कदर करते हैं? (ख) माता-पिता अपने बच्चों को दूसरों की कदर करना कैसे सिखा सकते हैं?

14 परिवारवालों की। जब परिवार में हर कोई यह ज़ाहिर करता है कि वे एक-दूसरे की कदर करते हैं, तो पूरे परिवार को फायदा होता है। पति-पत्नी जितना ज़्यादा दिखाते हैं कि वे एक-दूसरे के एहसानमंद हैं, उतना ही उनका रिश्‍ता गहरा होता है। यही नहीं, एक-दूसरे को माफ करना भी आसान हो जाता है। जो पति अपनी पत्नी की कदर करता है, वह न सिर्फ उसके अच्छे कामों और अच्छी बातों पर ध्यान देता है, बल्कि “उठकर उसके गुण गाता है,” उसकी तारीफ करता है। (नीति. 31:10, 28) वहीं एक अच्छी पत्नी अपने पति को खुलकर बताती है कि वह उसकी कौन-सी बातों की कदर करती है।

15 माता-पिताओ, आप अपने बच्चों को दूसरों की कदर करना कैसे सिखा सकते हैं? याद रखिए, आपके बच्चे वही करेंगे, जो वे आपको करते देखते हैं। इस वजह से उनके लिए एक अच्छी मिसाल रखिए। जब आपके बच्चे आपके लिए कुछ करते हैं, तो उनका धन्यवाद कीजिए। इसके अलावा अपने बच्चों को सिखाइए कि जब कोई उनके लिए कुछ करता है, तो वे उसका धन्यवाद करें। अपने बच्चों को समझाइए कि कदरदानी-भरे शब्द दिल से आने चाहिए और इन शब्दों का लोगों पर अच्छा असर होता है। उदाहरण के लिए, क्लैडी नाम की एक औरत कहती है, “जब मेरी माँ 32 साल की थीं, तब अचानक हालात ने कुछ ऐसा मोड़ लिया कि उन्हें अकेले ही तीन बच्चों की परवरिश करनी पड़ी। जब मैं 32 साल की हुई, तब मुझे समझ में आया कि उनके लिए यह कितना मुश्‍किल रहा होगा। मैंने माँ को बताया कि उन्होंने मेरी और मेरे भाइयों की परवरिश करने में जो त्याग किए, उनकी मैं बहुत कदर करती हूँ। हाल ही में उन्होंने मुझे बताया कि मेरी बातें उनके दिल को इतना छू गयीं कि वे आज भी उन्हें याद करके खुश होती हैं।”

अपने बच्चों को दूसरों की कदर करना सिखाइए (पैराग्राफ 15 देखें) *

16. जब हम दूसरों की कदर करते हैं, तो इससे उनका हौसला कैसे बढ़ सकता है? उदाहरण दीजिए।

16 मंडली के भाई-बहनों की। जब हम भाई-बहनों की कदर करते हैं, तो इससे उनका हौसला बढ़ता है। हौरहे नाम के एक प्राचीन का उदाहरण लीजिए, जो 28 साल का है। एक बार वह बहुत बीमार हो गया और एक महीने तक सभाओं में नहीं जा पाया। फिर जब वह सभाओं में जाने लगा, तब भी कोई भाग पेश नहीं कर पाता था। वह कहता है, “मैं ज़्यादा कुछ नहीं कर पा रहा था और मंडली में कोई ज़िम्मेदारी भी नहीं सँभाल पा रहा था, इसलिए मुझे लगने लगा कि अब मैं किसी लायक नहीं हूँ। लेकिन एक दिन सभा के बाद एक भाई ने मुझसे कहा, ‘आपने मेरे परिवार के लिए जो बढ़िया मिसाल रखी है, उसके लिए मैं आपका बहुत एहसानमंद हूँ। आपको अंदाज़ा नहीं होगा कि पिछले कुछ सालों में आपके भाषणों से हमें कितना फायदा हुआ है। उनसे हमारा विश्‍वास मज़बूत हुआ है।’ यह सुनकर मेरी आँखें भर आयीं। उसकी बातों से मेरा बहुत हौसला बढ़ा और उस वक्‍त मुझे इसी की ज़रूरत थी।”

17. कुलुस्सियों 3:15 के मुताबिक हम कैसे दिखा सकते हैं कि हमें यहोवा की दरियादिली की कदर है?

17 हमारे दरियादिल परमेश्‍वर की। यहोवा भरपूर मात्रा में हमें ऐसा भोजन देता है, जिससे उसके साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत होता है। जैसे, सभाओं, पत्रिकाओं और हमारी वेबसाइट के ज़रिए वह हमें ज़रूरी सलाह और हिदायतें देता है। क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपने कोई भाषण सुना, लेख पढ़ा या ब्रॉडकास्टिंग का कोई कार्यक्रम देखा और आपको लगा कि यह तो मेरे लिए ही था? हम कैसे दिखा सकते हैं कि हमें यहोवा की दरियादिली की कदर है? (कुलुस्सियों 3:15 पढ़िए।) एक तरीका है कि हम इन सभी अच्छे तोहफों के लिए यहोवा का एहसान मानें और लगातार अपनी प्रार्थनाओं में उसका धन्यवाद करें।​—याकू. 1:17.

राज-घर की साफ-सफाई करना यह दिखाने का सबसे बढ़िया तरीका है कि हमें उसकी कदर है (पैराग्राफ 18 देखें)

18. हम किन तरीकों से दिखा सकते हैं कि हमें अपने राज-घर की कदर है?

18 हम अपने राज-घर को साफ-सुथरा रखकर भी दिखाते हैं कि हम यहोवा के एहसानमंद हैं। हम नियमित तौर पर राज-घर की साफ-सफाई और उसका रख-रखाव करते हैं। मंडली में जो भाई टीवी, लैपटॉप या माइक जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सँभालते हैं, वे इनका बहुत सावधानी से इस्तेमाल करते हैं। राज-घरों की अच्छी देखरेख करने से उनकी ज़्यादा मरम्मत नहीं करनी पड़ती और वे लंबे समय तक अच्छी हालत में रहते हैं। इससे जो पैसा बचता है, वह किसी और राज-घर के निर्माण या मरम्मत में लगाया जा सकता है।

19. एक सर्किट निगरान और उनकी पत्नी के अनुभव से आपने क्या सीखा?

19 हमारी खातिर कड़ी मेहनत करनेवालों की। जब हम किसी की सराहना करते हैं, तो हमारी बातों का उस पर गहरा असर होता है। वह जिन मुश्‍किलों से गुज़र रहा है, उनके बारे में उसका नज़रिया बदल सकता है। एक सर्किट निगरान और उनकी पत्नी पर गौर कीजिए। एक बार कड़ाके की ठंड पड़ रही थी और वे पूरे दिन प्रचार में थे। जब वे वापस आए, तो बहुत थके हुए थे। ठंड की वजह से बहन अपना सर्दियोंवाला कोट पहने ही सो गयी। सुबह उसने अपने पति से कहा, “मुझे नहीं लगता कि मैं यह सेवा अब और कर पाऊँगी।” उसी दिन कुछ समय बाद उन्हें शाखा दफ्तर से एक खत मिला, जो उस बहन के लिए ही था। खत में इस बात के लिए उसकी तारीफ की गयी थी कि वह प्रचार में कितनी मेहनत करती है और कैसे धीरज रखते हुए सेवा कर रही है। उसमें लिखा था कि हर हफ्ते एक अलग बिस्तर पर सोना कितना मुश्‍किल होता होगा। भाई का कहना है, “वह खत मेरी पत्नी के दिल को छू गया और उसने फिर कभी सफरी काम छोड़ने की बात नहीं की। उलटा, जब मैंने कई बार इस काम को छोड़ने की बात की, तो उसने मेरी हिम्मत बँधायी।” यह पति-पत्नी करीब 40 साल तक सफरी काम करते रहे।

20. हमें हर दिन क्या करने की कोशिश करनी चाहिए और क्यों?

20 आइए हम हर दिन अपनी बातों और अपने कामों से दिखाएँ कि हम एहसानमंद हैं। इस एहसान-फरामोश दुनिया में एक-एक दिन काटना मुश्‍किल हो सकता है, मगर सच्चे दिल से कही गयी हमारी बातों से एक इंसान का बहुत हौसला बढ़ता है। जब हम दिखाते हैं कि हम किसी के एहसानमंद हैं, तो उससे हमारी दोस्ती गहरी होती है और सदा कायम रहती है। सबसे बढ़कर हम अपने दरियादिल और कदरदान पिता यहोवा की मिसाल पर चल रहे होते हैं।

गीत 20 तूने अपना अनमोल बेटा दिया

^ पैरा. 5 दूसरों की कदर करने के मामले में हम यहोवा, यीशु और एक सामरी कोढ़ी से क्या सीख सकते हैं? इस लेख में इन उदाहरणों और ऐसे ही दूसरे उदाहरणों पर चर्चा की जाएगी। हम यह भी सीखेंगे कि यह ज़ाहिर करना ज़रूरी क्यों है कि हम एहसानमंद हैं और ऐसा करने के कुछ तरीके क्या हैं।

^ पैरा. 1 इसका क्या मतलब है? किसी व्यक्‍ति या चीज़ की कदर करने का मतलब है, उसका मोल समझना। इस शब्द का मतलब दिल से एहसानमंद होना भी हो सकता है।

^ पैरा. 55 तसवीर के बारे में: पौलुस की चिट्ठी रोम की मंडली के सामने पढ़कर सुनायी जा रही है; अक्विला, प्रिस्किल्ला, फीबे और दूसरे मसीही अपने नाम सुनकर खुश हो रहे हैं।

^ पैरा. 57 तसवीर के बारे में: एक माँ अपनी बेटी के साथ एक बुज़ुर्ग बहन के लिए कुछ बना रही है। इस तरह वह अपनी बेटी को सिखा रही है कि वह बुज़ुर्ग बहन की अच्छी मिसाल की कैसे कदर कर सकती है।