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सन्‌ 2012 में यूक्रेन के नीज़न्या आपशा में रखा गया ज़िला अधिवेशन

कटाई के लिए बहुत फसल है!

कटाई के लिए बहुत फसल है!

यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि अंत के समय के दौरान कटाई के लिए बहुत फसल होंगे और उसके चेले उसमें हिस्सा लेंगे। (मत्ती 9:37; 24:14) उसकी यह बात यूक्रेन के ट्रांसकारपाथिया इलाके में बड़े अनोखे तरीके से पूरी हुई है। वह कैसे? इस इलाके के सिर्फ तीन कसबों की बात लें, तो इनमें 50 मंडलियाँ हैं और 5,400 से ज़्यादा प्रचारक हैं। * इसका मतलब है कि इन तीन कसबों की कुल आबादी में से 25 प्रतिशत लोग यहोवा के साक्षी हैं!

इस इलाके में साक्षियों को किस तरह के लोग मिलते हैं? वासीले नाम का एक भाई कहता है, “यहाँ के लोग इंसाफ-पसंद हैं, बाइबल का आदर करते हैं, एक-दूसरे की मदद करने की कोशिश करते हैं और परिवारों में प्यार और एकता है।” वह यह भी कहता है, “भले ही लोग हमारे विश्‍वास से सहमत न हो, लेकिन जब हम उन्हें बाइबल से कुछ पढ़कर सुनाते हैं, तो वे बड़े ध्यान से सुनते हैं।”

जिन इलाकों में बहुत-से प्रचारक हैं, वहाँ प्रचार में भाई-बहनों को अलग किस्म की मुश्‍किलों का सामना करना होता है। मिसाल के लिए, एक मंडली में 134 प्रचारक हैं जबकि उनके इलाके में प्रचार के लिए सिर्फ 50 घर हैं। इन हालात में भाई-बहन क्या करते हैं?

कई भाई-बहन उन इलाकों में जाकर गवाही देते हैं जहाँ अब भी प्रचार करना बाकी है। नब्बे साल के एक भाई योनाश कहते हैं, “हमारी मंडली का इलाका ऐसा है कि हर प्रचारक के पास प्रचार करने के लिए सिर्फ दो घर होते हैं। इसलिए जब तक मेरी सेहत ठीक थी, तब तक मैं अपने गाँव में प्रचार करने के साथ-साथ 160 किलोमीटर दूर ऐसे इलाके में भी जाता था जहाँ पहले कभी प्रचार नहीं हुआ था। वहाँ मैं हंगेरियन भाषा के लोगों को गवाही देता था।” ऐसे इलाके में प्रचार करने के लिए भाई-बहनों को कई त्याग करने होते हैं। भाई योनाश कहते हैं, “ट्रेन पकड़ने के लिए मैं सुबह 4 बजे उठता था और शाम 6 बजे तक प्रचार करता था। फिर मैं ट्रेन पकड़कर वापस घर आता था। मैं हफ्ते में दो या तीन बार ऐसा करता था।” क्या भाई को लगता है कि उन्होंने जो मेहनत की, उसके लिए उन्हें आशीष मिली है? बिलकुल! वे कहते हैं, “मुझे इस तरह प्रचार करने से बहुत खुशी मिली है। मुझे खासकर यह देखकर खुशी हुई कि दूर-दराज़ इलाके में मैंने जिस परिवार के साथ अध्ययन किया था, वह आज सच्चाई में है।”

यह सच है कि इन मंडलियों में हर कोई दूर-दराज़ इलाकों में जाकर प्रचार नहीं कर सकता। लेकिन बूढ़े-जवान सभी प्रचारक अपने इलाके में अच्छी तरह गवाही दे सकते हैं। ऐसा करने के बढ़िया नतीजे निकलते हैं! सन्‌ 2017 में इन तीन कसबों में स्मारक की कुल हाज़िरी प्रचारकों की गिनती से लगभग दुगनी थी। दूसरे शब्दों में कहें तो इन कसबों की कुल आबादी में से आधी आबादी स्मारक के लिए आयी। इसमें कोई शक नहीं कि ‘प्रभु की सेवा में हमारे पास अब भी बहुत काम है’ फिर चाहे हम जहाँ भी रहें।​—1 कुरिं. 15:58.

^ पैरा. 2 इन कसबों के नाम हैं हिलबोकजी पोटीक, सेरेडन्या वोडयाना और नीज़न्या आपशा।