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अध्ययन लेख 19

दुष्ट दुनिया में प्यार और न्याय की अहमियत

दुष्ट दुनिया में प्यार और न्याय की अहमियत

“तू ऐसा परमेश्‍वर नहीं जो दुष्टता से खुश हो, जो बुरा है वह तेरे साथ नहीं रह सकता।”​—भज. 5:4.

गीत 142 अपनी आशा कसकर थामे रहें

लेख की एक झलक *

1-3. (क) भजन 5:4-6 के मुताबिक यहोवा दुष्ट कामों के बारे में कैसा महसूस करता है? (ख) यह क्यों कहा जा सकता है कि बाल यौन-शोषण ‘मसीह के कानून’ के खिलाफ है?

यहोवा परमेश्‍वर हर तरह के दुष्ट काम से नफरत करता है। (भजन 5:4-6 पढ़िए।) उसे खासकर बच्चों के साथ होनेवाले यौन-शोषण से घृणा है जो बहुत घिनौना अपराध है! उसके साक्षी होने के नाते हम भी इस अपराध से सख्त नफरत करते हैं और मसीही मंडली में इसे बिलकुल बरदाश्‍त नहीं करते।​—रोमि. 12:9; इब्रा. 12:15, 16.

2 बच्चों का यौन-शोषण ‘मसीह के कानून’ के पूरी तरह खिलाफ है! (गला. 6:2) हम ऐसा क्यों कहते हैं? जैसे हमने पिछले लेख में देखा, मसीह के कानून में वे सारी शिक्षाएँ आती हैं जो उसने अपनी बातों और मिसाल से लोगों को सिखायीं। यह कानून प्यार पर आधारित है और न्याय का बढ़ावा देता है। इस पर चलनेवाले सच्चे मसीही, बच्चों से इस तरह व्यवहार करते हैं, जिससे वे सुरक्षित महसूस करें और उन्हें एहसास हो कि लोग सच में उनसे प्यार करते हैं। लेकिन जो इंसान एक बच्चे के साथ घिनौनी हरकत करता है, वह अपना मतलब पूरा कर रहा होता है और बच्चे के साथ अन्याय कर रहा होता है। इस वजह से बच्चा असुरक्षित महसूस करता और उसे लगता है कि कोई उससे प्यार नहीं करता।

3 अफसोस की बात है कि बाल यौन-शोषण महामारी की तरह पूरी दुनिया में फैला हुआ है। इसका असर सच्चे मसीहियों पर भी हुआ है। वह कैसे? “दुष्ट और फरेबी” बढ़ते ही जा रहे हैं। इनमें से कुछ लोग शायद मंडली में आने की कोशिश करें। (2 तीमु. 3:13) इसके अलावा, कुछ लोग मंडली का हिस्सा होने का दावा करते हैं, मगर उन्होंने अपनी हवस पूरी करने के लिए बच्चों का इस्तेमाल किया है। आइए गौर करें कि बाल यौन-शोषण क्यों एक गंभीर पाप है। हम यह भी चर्चा करेंगे कि जब मंडली में बाल यौन-शोषण या गंभीर पाप के दूसरे मामले सामने आते हैं, तो प्राचीन क्या कदम उठाते हैं और माता-पिता अपने बच्चों की हिफाज़त कैसे कर सकते हैं। *

एक गंभीर पाप

4-5. बाल यौन-शोषण पीड़ित व्यक्‍ति के खिलाफ पाप क्यों है?

4 बाल यौन-शोषण के बुरे अंजाम काफी लंबे समय तक रहते हैं। ये अंजाम पीड़ित व्यक्‍ति को ही नहीं, बल्कि उससे प्यार करनेवाले उसके परिवारवालों और मसीही भाई-बहनों को भी भुगतने पड़ते हैं। सच में, बाल यौन-शोषण एक गंभीर पाप है।

5 बाल यौन-शोषण पीड़ित * व्यक्‍ति के खिलाफ पाप है। दूसरों को जानबूझकर तकलीफ पहुँचाना और दर्द देना एक पाप है। जैसे हम अगले लेख में देखेंगे, यौन-शोषण करनेवाला कई भयानक तरीकों से बच्चे को चोट पहुँचाता है। वह बच्चे का भरोसा तोड़ देता है, जिस वजह से बच्चा सुरक्षित महसूस नहीं करता। यौन-शोषण जैसे दुष्ट काम से बच्चों की हिफाज़त की जानी चाहिए और जो इसके पीड़ित हैं, उन्हें दिलासा और मदद दी जानी चाहिए।​—1 थिस्स. 5:14.

6-7. बाल यौन-शोषण किस तरह मंडली और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ पाप है?

6 यह मंडली के खिलाफ पाप है। अगर मंडली में कोई बाल यौन-शोषण का दोषी पाया जाता है, तो वह मंडली का नाम खराब करता है। (मत्ती 5:16; 1 पत. 2:12) ज़रा सोचिए, लाखों वफादार मसीही अपने “विश्‍वास की खातिर जी-जान से” लड़ रहे हैं, ताकि यहोवा की महिमा हो। (यहू. 3) ऐसे में किसी एक की वजह से पूरी मंडली पर उँगली उठाना कितना गलत होगा! हम ऐसे लोगों को मंडली में रहने नहीं देते, जो दुष्ट काम करने पर कोई पछतावा नहीं करते और मंडली की बदनामी करते हैं।

7 यह सरकारी अधिकारियों के खिलाफ पाप है। मसीहियों से उम्मीद की जाती है कि वे “ऊँचे अधिकारियों के अधीन” रहें। (रोमि. 13:1) हम देश के नियम-कानून मानकर दिखाते हैं कि हम सरकारी अधिकारियों के अधीन हैं। अगर मंडली में कोई देश का कानून तोड़ता है, जैसे बच्चे का यौन-शोषण करता है, तो वह सरकार के खिलाफ अपराध करता है। (प्रेषितों 25:8 से तुलना करें।) हालाँकि प्राचीनों को यह अधिकार नहीं कि वे कानून तोड़नेवाले को सज़ा दें, फिर भी वे यौन-शोषण के दोषी को सज़ा से बचाने की कोशिश नहीं करते। (रोमि. 13:4) एक पापी जो बोता है, वह काटेगा भी।​—गला. 6:7.

8. इंसानों के खिलाफ किए गए पाप को यहोवा किस नज़र से देखता है?

8 सबसे बढ़कर यह यहोवा के खिलाफ पाप है। (भज. 51:4) जब एक इंसान दूसरे इंसान के खिलाफ पाप करता है, तो वह यहोवा के खिलाफ भी पाप करता है। इसे समझने के लिए इसराएलियों को दिए गए एक कानून पर ध्यान दीजिए। उसके मुताबिक जब एक आदमी अपने पड़ोसी की कोई चीज़ लूट लेता था या उसे ठगता था, तो वह “यहोवा का विश्‍वासयोग्य नहीं” रहता था। (लैव्य. 6:2-4) उसी तरह जब मंडली में कोई बच्चे का यौन-शोषण करता है, या यूँ कहें कि उस बच्चे की सुरक्षा छीनता है, तो वह परमेश्‍वर से विश्‍वासघात करता है। शोषण करनेवाला व्यक्‍ति यहोवा के नाम पर बहुत बड़ा कलंक लगाता है। इसीलिए यह मानना सही है कि बाल यौन-शोषण परमेश्‍वर के खिलाफ गंभीर पाप है और इसे किसी भी तरह बरदाश्‍त नहीं किया जाना चाहिए।

9. यहोवा के संगठन ने अब तक क्या जानकारी प्रकाशित की है और क्यों?

9 यहोवा के संगठन ने अब तक बाल यौन-शोषण के बारे में बाइबल पर आधारित काफी जानकारी प्रकाशित की है। जैसे, प्रहरीदुर्ग  और सजग होइए! के लेखों में बताया गया है कि जिनके साथ यौन-शोषण हुआ है, वे इस दर्द से कैसे उबर सकते हैं, दूसरे लोग किस तरह उनकी मदद कर सकते और उनका हौसला बढ़ा सकते हैं और माता-पिता अपने बच्चों की हिफाज़त कैसे कर सकते हैं। प्राचीनों को बाइबल पर आधारित काफी हिदायतें दी गयी हैं कि उन्हें बाल यौन-शोषण के मामले में कौन-से कदम उठाने चाहिए। समय-समय पर संगठन इन हिदायतों की जाँच करता है और ज़रूरत पड़ने पर उनमें फेरबदल करता है। ऐसा क्यों? वह इसलिए ताकि बाल यौन-शोषण के मामले में भी मंडली मसीह का कानून लागू करे।

गंभीर पाप के मामले में कौन-से कदम उठाए जाते हैं?

10-12. (क) जब प्राचीन गंभीर पाप का कोई मामला निपटाते हैं, तो वे क्या ध्यान में रखते हैं? (ख) उन्हें किन बातों की फिक्र रहती है? (ग) याकूब 5:14, 15 के मुताबिक प्राचीन क्या करने की कोशिश करते हैं?

10 गंभीर पाप के मामले निपटाते समय प्राचीन मसीह का कानून ध्यान में रखते हैं। यह कानून उनसे उम्मीद करता है कि वे परमेश्‍वर के झुंड के साथ प्यार से पेश आएँ और हमेशा वही करें, जो परमेश्‍वर की नज़र में सही है। इस वजह से जब गंभीर पाप का कोई मामला सामने आता है, तो प्राचीनों को कई बातों की फिक्र होती है। उन्हें खास तौर से इस बात की फिक्र रहती है कि परमेश्‍वर का नाम पवित्र रहे, उस पर कोई कलंक न लगे। (लैव्य. 22:31, 32; मत्ती 6:9) उन्हें इस बात की भी चिंता रहती है कि उस मामले की वजह से मंडली के बाकी भाई-बहनों का विश्‍वास कमज़ोर न पड़े। साथ ही, वे गंभीर पाप के पीड़ित व्यक्‍ति की भी मदद करना चाहते हैं।

11 जब पाप करनेवाला मंडली में से ही कोई होता है, तो प्राचीन यह जानने की कोशिश करते हैं कि क्या उसे अपने किए पर सच्चा पछतावा है। अगर हाँ, तो वे यहोवा के साथ उसका रिश्‍ता दोबारा जोड़ने में उसकी मदद करते हैं। (याकूब 5:14, 15 पढ़िए।) पाप करनेवाला मसीही एक बीमार व्यक्‍ति की तरह होता है। जिस तरह बीमार होने पर एक व्यक्‍ति की सेहत खराब हो जाती है, उसी तरह उस मसीही का यहोवा के साथ रिश्‍ता खराब हो जाता है। * ऐसे में प्राचीन डॉक्टर का काम करते हैं। वे “उस बीमार [इस मामले में, पाप करनेवाले] को अच्छा” करने की कोशिश करते हैं। वे उसे बाइबल पर आधारित सलाह देते हैं, जिससे वह यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता ठीक कर सकता है। लेकिन यह तभी हो सकता है जब उसे अपने किए पर सच्चा पश्‍चाताप हो।​—प्रेषि. 3:19; 2 कुरिं. 2:5-10.

12 इससे साफ ज़ाहिर होता है कि प्राचीनों पर भारी ज़िम्मेदारी है। परमेश्‍वर ने उन्हें जिस झुंड की देखभाल का ज़िम्मा सौंपा है, उसकी उन्हें बहुत परवाह है। (1 पत. 5:1-3) वे चाहते हैं कि उनके भाई-बहन मंडली में सुरक्षित महसूस करें। इस वजह से जब गंभीर पाप का कोई मामला सामने आता है, तो वे फौरन कदम उठाते हैं, फिर चाहे वह बाल यौन-शोषण का मामला हो या कोई और। ज़रा  पैराग्राफ 13,  15 और  17 की शुरूआत में दिए सवालों पर ध्यान दीजिए।

13-14. क्या प्राचीन बाल यौन-शोषण के बारे में पुलिस में रिपोर्ट करने का कानून मानते हैं? समझाइए।

 13 जब बाल यौन-शोषण का कोई मामला सामने आता है, तो कानून की माँग है कि इस बारे में पुलिस में रिपोर्ट की जानी चाहिए, क्या प्राचीन यह कानून मानते हैं? जी हाँ। जिन देशों में इस तरह का कानून है, वहाँ प्राचीन यह कानून मानते हैं। (रोमि. 13:1) ऐसा कानून परमेश्‍वर के कानून के खिलाफ नहीं है। (प्रेषि. 5:28, 29) इस वजह से जब प्राचीनों को इस अपराध की खबर मिलती है, तो वे फौरन शाखा दफ्तर से संपर्क करते हैं और यह पता करते हैं कि शिकायत दर्ज़ करवाने के मामले में उन्हें क्या कदम उठाने चाहिए।

14 जब प्राचीन पीड़ित व्यक्‍ति और उसके माता-पिता या उस मामले की जानकारी रखनेवाले से बात करते हैं, तो वे उन्हें प्यार से बताते हैं कि पुलिस के पास शिकायत दर्ज़ करवाने का उन्हें पूरा हक है। लेकिन अगर यह खबर मिली हो कि मंडली के किसी व्यक्‍ति ने यौन-शोषण किया है और इस बारे में आस-पड़ोस के लोगों को पता चल गया हो, तब क्या? क्या खबर देनेवाले मसीही को यह सोचना चाहिए कि उसने यहोवा के नाम पर कलंक लगाया है? नहीं। यहोवा के नाम पर कलंक तो उसने लगाया है, जिसने यह अपराध किया है।

15-16. (क) 1 तीमुथियुस 5:19 के मुताबिक यह क्यों ज़रूरी है कि किसी अपराध के कम-से-कम दो गवाह हों, तभी प्राचीन न्याय-समिति बिठा सकते हैं? (ख) जब मंडली के किसी व्यक्‍ति पर बाल यौन-शोषण का आरोप लगाया जाता है, तो प्राचीन क्या कदम उठाते हैं?

 15 यह क्यों ज़रूरी है कि किसी गंभीर पाप के कम-से-कम दो गवाह हों, तभी मंडली के प्राचीन न्याय-समिति बिठा सकते हैं? यह माँग बाइबल में दिए न्याय के ऊँचे स्तरों के मुताबिक है। जब किसी पर गंभीर पाप का आरोप लगाया जाता है, लेकिन अगर वह अपना पाप कबूल नहीं करता, तो ऐसे में दो गवाहों का होना ज़रूरी है, तभी न्याय-समिति बिठायी जा सकती है। (व्यव. 19:15; मत्ती 18:16; 1 तीमुथियुस 5:19 पढ़िए।) क्या इसका मतलब यह है कि बाल यौन-शोषण के बारे में पुलिस को शिकायत करने से पहले भी दो गवाह होने चाहिए? नहीं। किसी अपराध  के बारे में शिकायत दर्ज़ करवाने से पहले दो गवाहों का होना ज़रूरी नहीं है, फिर चाहे प्राचीन दर्ज़ करवाएँ या कोई और।

16 जब प्राचीनों को पता चलता है कि मंडली के किसी व्यक्‍ति पर बाल यौन-शोषण का आरोप लगाया गया है, तो वे कानून के मुताबिक इस बारे में शिकायत दर्ज़ करवाते हैं। इसके बाद वे बाइबल के आधार पर मामले की जाँच-पड़ताल करते हैं। जिस पर आरोप लगा है, अगर वह अपराध कबूल नहीं करता, तो प्राचीन गवाहों के बयान पर गौर करते हैं। अगर आरोप लगानेवाला और कम-से-कम एक और गवाह कहते हैं कि इस व्यक्‍ति ने फलाँ बच्चे का या किसी और बच्चे का यौन-शोषण किया है, तो उन दोनों के बयान के आधार पर न्याय-समिति बिठायी जा सकती है। * अगर दूसरा गवाह नहीं है, तो इसका मतलब यह नहीं कि आरोप लगानेवाला झूठ बोल रहा है। भले ही किसी आरोप की सच्चाई दो गवाहों से साबित न हो, फिर भी प्राचीन मानते हैं कि शायद गंभीर पाप हुआ है, ऐसा पाप जिससे दूसरों को गहरा दुख पहुँचता है। इस तरह के पीड़ित लोगों को प्राचीन लगातार दिलासा देते हैं। वे इस बात से भी सतर्क रहते हैं कि जिस पर बाल यौन-शोषण का आरोप लगा है, उससे मंडली को आगे कोई खतरा न हो।​—प्रेषि. 20:28.

17-18. न्याय-समिति की क्या भूमिका होती है?

 17 न्याय-समिति की क्या भूमिका होती है? न्याय-समिति यह तय करती है कि गंभीर पाप करनेवाला मंडली में रह सकता है या नहीं। वह यह फैसला नहीं करती कि पाप करनेवाले को कानून तोड़ने के लिए क्या सज़ा मिलनी चाहिए। कानून के मामले में प्राचीन कोई दखल नहीं देते, बल्कि यह फैसला अधिकारियों पर छोड़ देते हैं कि वे अपराधी को क्या सज़ा देंगे।​—रोमि. 13:2-4; तीतु. 3:1.

18 जब न्याय-समिति बैठती है, तो प्राचीन यह देखने की कोशिश करते हैं कि अपराध करनेवाले व्यक्‍ति का यहोवा के साथ रिश्‍ते पर और मसीही भाई-बहनों के साथ रिश्‍ते पर क्या असर हुआ है और उसे कैसे सुधारा जा सकता है। वे शास्त्र के आधार पर तय करते हैं कि यौन-शोषण करनेवाले व्यक्‍ति को सच्चा पछतावा है या नहीं। अगर उसे पछतावा नहीं है, तो उसका बहिष्कार कर दिया जाता है और इस बारे में मंडली में घोषणा की जाती है। (1 कुरिं. 5:11-13) लेकिन अगर उसे अपने किए पर पछतावा है, तो उसे मंडली से नहीं निकाला जाता। फिर भी प्राचीन उसे बताएँगे कि शायद वह फिर कभी मंडली में सेवा के खास मौके या ज़िम्मेदारियाँ नहीं पाएगा। जहाँ तक बच्चों की सुरक्षा की बात है, तो प्राचीन शायद मंडली में माता-पिताओं को निजी तौर पर बताएँ कि वे उस व्यक्‍ति के साथ अपने छोटे बच्चों के मेल-जोल पर कड़ी नज़र रखें। प्राचीन ध्यान रखते हैं कि वे माता-पिताओं को यह न बताएँ कि उस व्यक्‍ति ने किसके साथ गलत किया है।

अपने बच्चों की हिफाज़त कैसे करें?

माता-पिता अपने बच्चों की उम्र के हिसाब से उन्हें सेक्स के बारे में ज़रूरी जानकारी देकर यौन-शोषण से उनकी हिफाज़त करते हैं। वे परमेश्‍वर के संगठन से मिलनेवाली जानकारी की मदद से ऐसा करते हैं। (पैराग्राफ 19-22 देखें)

19-22. माता-पिता अपने बच्चों की हिफाज़त किस तरह कर सकते हैं? (बाहर दी तसवीर देखें।)

19 बच्चों की हिफाज़त करना किसकी ज़िम्मेदारी है? माता-पिता की। * माता-पिताओ, आपके बच्चे परमेश्‍वर की तरफ से तोहफा हैं, वे “यहोवा से मिली विरासत हैं।” (भज. 127:3) इस विरासत की हिफाज़त करने की ज़िम्मेदारी आपको दी गयी है। तो आप अपने बच्चों को यौन-शोषण से कैसे बचा सकते हैं?

20 पहला कदम, बाल यौन-शोषण के बारे में जानकारी लीजिए। जानिए कि किस तरह के लोग बच्चों के साथ गलत काम करते हैं और उन्हें फुसलाने के लिए वे क्या तरीके अपनाते हैं। ध्यान रखिए कि कहाँ या किन हालात में बच्चों को खतरा हो सकता है। (नीति. 22:3; 24:3) याद रखिए कि ज़्यादातर मामलों में यौन-शोषण करनेवाले वे लोग होते हैं, जिन्हें बच्चे जानते हैं और जिन पर भरोसा करते हैं।

21 दूसरा कदम, अपने बच्चों के साथ हमेशा खुलकर बातचीत कीजिए। (व्यव. 6:6, 7) इसका मतलब यह भी है कि आप उनकी बात ध्यान से सुनें। (याकू. 1:19) याद रखिए कि जिस बच्चे के साथ कोई गलत काम होता है, वह इस बारे में बताने से हिचकिचाता है। शायद उसे डर हो कि कोई उसका यकीन नहीं करेगा या चुप रहने के लिए उसे डराया-धमकाया गया हो। अगर आपको एहसास होता है कि आपके बच्चे के साथ कुछ गलत हुआ है, तो प्यार से उससे पूछिए कि क्या बात है। जब वह कुछ बताता है, तो सब्र से उसकी सुनिए।

22 तीसरा कदम, अपने बच्चों को सिखाइए। अपने बच्चों की उम्र का ध्यान रखते हुए उन्हें सेक्स के बारे में ज़रूरी जानकारी दीजिए। उन्हें सिखाइए कि अगर कोई उन्हें ऐसी जगह छूता है, जहाँ नहीं छूना चाहिए, तो उन्हें क्या कहना और करना चाहिए। परमेश्‍वर के संगठन ने बच्चों की हिफाज़त करने के बारे में जो जानकारी उपलब्ध करायी है, उससे फायदा पाइए।​—“ खुद सीखिए और बच्चों को सिखाइए” बक्स देखें।

23. (क) हम बाल यौन-शोषण को किस नज़र से देखते हैं? (ख) अगले लेख में किस सवाल का जवाब दिया जाएगा?

23 यहोवा के साक्षी होने के नाते हम बाल यौन-शोषण को एक गंभीर पाप और घिनौना अपराध समझते हैं। हम मसीह का कानून मानते हैं, इसलिए हमारी मंडलियाँ यौन-शोषण करनेवालों को बुरे अंजामों से बचाने की कोशिश नहीं करतीं। लेकिन जो लोग इस अपराध के शिकार हुए हैं, उनकी मदद हम कैसे कर सकते हैं? इस सवाल का जवाब अगले लेख में दिया जाएगा।

गीत 103 चरवाहे, आदमियों के रूप में तोहफे

^ पैरा. 5 इस लेख में समझाया जाएगा कि बच्चों को यौन-शोषण से कैसे बचाया जा सकता है। हम यह भी सीखेंगे कि इस मामले में मंडली की तरफ से प्राचीन क्या कदम उठाते हैं और माता-पिता अपने बच्चों की हिफाज़त कैसे कर सकते हैं।

^ पैरा. 3 इनका क्या मतलब है? जब कोई बड़ा व्यक्‍ति अपनी लैंगिक इच्छाएँ पूरी करने के लिए बच्चों के साथ घिनौने काम करता है, तो उसे बाल यौन-शोषण  कहा जाता है। इसमें यौन-संबंध, मुख मैथुन, गुदा मैथुन, बच्चे के गुप्त अंग, छाती या नितंब सहलाना या फिर दूसरी नीच हरकतें शामिल हैं। हालाँकि ज़्यादातर मामलों में यौन-शोषण के पीड़ित बच्चे  लड़कियाँ होती हैं, लेकिन कई मामलों में लड़के भी इसके शिकार हुए हैं। आम तौर पर शोषण करनेवाले  आदमी होते हैं, मगर कुछ औरतें भी बच्चों का यौन-शोषण करती हैं।

^ पैरा. 5 इसका क्या मतलब है? इसमें और अगले लेख में शब्द “पीड़ित” उसके लिए इस्तेमाल हुआ है, जिसका बचपन में यौन-शोषण हुआ था। हम यह शब्द इसलिए इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे यह साफ ज़ाहिर हो कि बच्चे को बहुत दुख पहुँचा है, उसका नाजायज़ फायदा उठाया गया है और उसके साथ जो हुआ, उसमें उसका कोई दोष नहीं है।

^ पैरा. 11 अगर एक व्यक्‍ति का यहोवा के साथ रिश्‍ता कमज़ोर हो गया है और वह गंभीर पाप कर बैठता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह अपने पाप के लिए ज़िम्मेदार नहीं है। पाप करनेवाला अपने गलत फैसलों और कामों के लिए पूरी तरह ज़िम्मेदार होता है और उसे यहोवा को हिसाब देना होगा।​—रोमि. 14:12.

^ पैरा. 16 जिस पर बाल यौन-शोषण का आरोप लगा है, उसके सामने बच्चे को लाना कभी-भी ज़रूरी नहीं होता। बच्चे की माँ या उसका पिता या फिर कोई और भरोसेमंद व्यक्‍ति प्राचीनों को बता सकता है कि बच्चे ने घटना के बारे में क्या-क्या बताया है। इस तरह बच्चे को और ज़्यादा तकलीफ नहीं पहुँचेगी।

^ पैरा. 19 यहाँ जो सलाह माता-पिताओं को दी गयी है, वह कानूनी अभिभावकों या ऐसे दूसरे लोगों पर भी लागू होती है, जिन पर छोटे बच्चों की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी है।