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अध्ययन लेख 19

“अंत के समय में” उत्तर का राजा

“अंत के समय में” उत्तर का राजा

‘अंत के समय में दक्षिण का राजा उत्तर के राजा से भिड़ेगा।’—दानि. 11:40.

गीत 150 अपने बचाव के लिए यहोवा की खोज करें

लेख की एक झलक *

1. बाइबल की भविष्यवाणियों से हम क्या जान सकते हैं?

बाइबल से हम जान सकते हैं कि यहोवा के लोगों के साथ बहुत जल्द क्या होनेवाला है। इसकी भविष्यवाणियों से पता चलता है कि बहुत जल्द हम कौन-सी बड़ी-बड़ी घटनाएँ देखनेवाले हैं। इनमें से एक भविष्यवाणी से हम जान सकते हैं कि दुनिया की कुछ ताकतवर सरकारें जल्द ही क्या करेंगी। यह भविष्यवाणी दानियेल के अध्याय 11 में लिखी हुई है। इसमें दो राजाओं के बारे में बताया गया है जो एक-दूसरे से लड़ते हैं। एक को उत्तर का राजा कहा गया है और दूसरे को दक्षिण का राजा। इस भविष्यवाणी की ज़्यादातर बातें पूरी हो चुकी हैं, इसलिए हम यकीन के साथ कह सकते हैं कि बाकी बातें भी ज़रूर पूरी होंगी।

2. उत्पत्ति 3:15 और प्रकाशितवाक्य 11:7 और 12:17 में बतायी किन बातों को ध्यान में रखकर हमें दानियेल की भविष्यवाणी का अध्ययन करना चाहिए?

2 दानियेल के अध्याय 11 में दी गयी भविष्यवाणी को सही-सही समझने के लिए हमें एक बात याद रखनी होगी। वह यह कि इसमें बताया गया उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा सिर्फ उन शासकों और सरकारों को दर्शाते हैं जिन्होंने उस देश पर राज किया जहाँ यहोवा के ज़्यादातर लोग रहते थे या उन पर ज़ुल्म किया था। दुनिया की जनसंख्या की तुलना में यहोवा के लोगों की गिनती तो हमेशा से कम रही है, फिर क्यों दुनिया की सरकारों ने उन पर ज़ुल्म किए हैं? इसकी वजह यह है कि शैतान और उसकी दुनिया यहोवा के लोगों का नामो-निशान मिटा देना चाहते हैं। (उत्पत्ति 3:15 और प्रकाशितवाक्य 11:7; 12:17 पढ़िए।) दानियेल की उस भविष्यवाणी को सही-सही समझने के लिए हमें एक और बात का ध्यान रखना है। वह यह कि इस बारे में बाइबल की दूसरी भविष्यवाणियों में क्या बताया गया है। अगर हम दूसरी भविष्यवाणियों पर भी गौर करेंगे, तो ही हम दानियेल की इस भविष्यवाणी को ठीक-ठीक समझ पाएँगे।

3. (क) इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे? (ख) अगले लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

3 ऊपर बतायी बातों को ध्यान में रखकर हम दानियेल 11:25-39 पर चर्चा करेंगे। हम देखेंगे कि 1870 से लेकर 1991 तक उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा ने किन हुकूमतों को दर्शाया। हम यह भी देखेंगे कि इस भविष्यवाणी की कुछ आयतों का हम पहले जो मतलब समझते थे वह क्यों सही नहीं है और उनका सही मतलब क्या है। अगले लेख में हम दानियेल 11:40–12:1 पर चर्चा करेंगे और उन आयतों का सही मतलब जानेंगे। हम देखेंगे कि उन आयतों में 1991 से लेकर हर-मगिदोन तक के समय के बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी है। इन दो लेखों की तैयारी करते वक्‍त इस लेख के साथ दिया चार्ट भी देखिए ताकि आप इस भविष्यवाणी को समझ सकें। चार्ट का शीर्षक है, “उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा में तकरार।” मगर हम यह कैसे जान सकते हैं कि भविष्यवाणी में बताए गए दो राजा किन्हें दर्शाते हैं। आइए सबसे पहले इसी बात पर गौर करें।

उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा को हम कैसे पहचान सकते हैं?

4. उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा ने जिन हुकूमतों को दर्शाया, उनमें कौन-सी तीन बातें मिलती-जुलती थीं?

4 शुरू में “उत्तर के राजा” का मतलब वे हुकूमतें थीं जो इसराएल देश के उत्तर में राज करती थीं। “दक्षिण के राजा” का मतलब वे हुकूमतें थीं जो इसराएल देश के दक्षिण में राज करती थीं। ऐसा हम क्यों कहते हैं? दानियेल से एक स्वर्गदूत ने कहा था, ‘मैं तुझे यह समझाने आया हूँ कि तेरे लोगों पर  यानी इसराएलियों पर क्या बीतेगी।’ (दानि. 10:14) ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त तक पैदाइशी इसराएली ही परमेश्‍वर के लोग थे। लेकिन उसके बाद से यहोवा ने ज़ाहिर किया कि यीशु के वफादार चेले उसके लोग हैं। इसलिए दानियेल अध्याय 11 की भविष्यवाणी की ज़्यादातर बातें पैदाइशी इसराएलियों के बारे में नहीं बल्कि मसीह के चेलों के बारे में हैं। (प्रेषि. 2:1-4; रोमि. 9:6-8; गला. 6:15, 16) अलग-अलग दौर में उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा ने अलग-अलग हुकूमतों या सरकारों को दर्शाया। लेकिन जब भी यह साफ नज़र आया कि उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा कौन है, तो उनमें कुछ बातें मिलती-जुलती थीं। पहली बात, इन हुकूमतों ने उस देश पर राज किया जहाँ परमेश्‍वर के बहुत-से लोग रहते थे या उन पर ज़ुल्म किया। दूसरी बात, इन हुकूमतों ने परमेश्‍वर के लोगों के साथ जो सुलूक किया उससे पता चलता है कि उन्हें यहोवा से नफरत थी। तीसरी बात, दोनों राजाओं ने जिन हुकूमतों को दर्शाया वे एक-दूसरे से ऊपर उठने के लिए आपस में लड़ते रहे हैं।

5. दूसरी सदी से लेकर 1870 तक क्या कोई उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा था? समझाइए।

5 दूसरी सदी के दौरान बहुत-से झूठे मसीही सच्चे मसीहियों के संगठन में घुस आए। वे झूठी शिक्षाएँ सिखाने लगे, इसलिए समय के गुज़रते लोग परमेश्‍वर के वचन की सच्चाइयों को भूल गए। उस समय से झूठे मसीहियों की गिनती जंगली पौधों की तरह बढ़ने लगी, इसलिए यह जानना मुश्‍किल हो गया कि कौन सच्चे मसीही हैं। (मत्ती 13:36-43) दूसरी सदी से लेकर 1870 तक धरती पर परमेश्‍वर का कोई संगठन नहीं था। यह एक बहुत ही खास जानकारी है। इससे पता चलता है कि दूसरी सदी से लेकर 1870 तक जिन राजाओं और सरकारों ने हुकूमत किया, उनमें से कोई भी उत्तर का राजा या दक्षिण का राजा नहीं हो सकता। इसका कारण यह है कि उन सदियों के दौरान परमेश्‍वर के लोगों का कोई समूह या संगठन नहीं था जिस पर वे हमला करते। * लेकिन 1870 के बाद की कुछ हुकूमतों को उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा कहा जा सकता है। ऐसा क्यों?

6. यहोवा के लोगों का संगठन फिर से कब तैयार होने लगा? समझाइए।

6 सन्‌ 1870 से यहोवा के लोगों का एक संगठन तैयार होने लगा। उसी साल चार्ल्स टी. रसल और उनके कुछ साथी मिलकर बाइबल का अध्ययन करने लगे। वे उस दूत की तरह काम करने लगे जिसके बारे में मलाकी ने भविष्यवाणी की थी। उन्होंने मसीहा का राज शुरू होने से पहले ‘रास्ता तैयार करने’ का काम किया। (मला. 3:1) इस तरह यहोवा के लोगों का एक संगठन फिर से उभरकर आया जो उसकी मरज़ी के मुताबिक सेवा कर रहे थे। क्या उस दौरान ऐसी कुछ विश्‍व शक्‍तियाँ थीं जिन्होंने बाद में परमेश्‍वर के लोगों पर ज़ुल्म किए? आइए जानें।

दक्षिण का राजा कौन है?

7. पहले विश्‍व-युद्ध के दौरान दक्षिण का राजा कौन था?

7 सन्‌ 1870 के आते-आते ब्रिटेन पूरी दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्य बन गया। उसी के पास सबसे ताकतवर सेना थी। दानियेल की भविष्यवाणी में बताया गया था कि एक जानवर का छोटा-सा सींग बाकी तीन सींगों को उखाड़ देगा। ब्रिटेन साम्राज्य ही वह छोटा सींग था जिसने फ्रांस, स्पेन और नीदरलैंड्‌स को हरा दिया। (दानि. 7:7, 8) इस तरह पहले विश्‍व-युद्ध के दौरान यही साम्राज्य दक्षिण का राजा था। उसी दौर में संयुक्‍त राज्य अमरीका दुनिया का सबसे अमीर देश बन गया और ब्रिटेन से दोस्ती करने लगा।

8. आखिरी दिनों की शुरूआत से लेकर अब तक कौन दक्षिण का राजा रहा है?

8 पहले विश्‍व-युद्ध के दौरान अमरीका और ब्रिटेन ने साथ मिलकर दूसरे देशों से युद्ध किया और वे दोनों बहुत ताकतवर बन गए। उस समय ब्रिटेन और अमरीका (जो पहले ब्रिटेन का इलाका था) की जोड़ी ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति बन गयी। जैसे दानियेल ने भविष्यवाणी की थी, इस राजा ने यानी ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति ने “एक बहुत बड़ी और ताकतवर सेना” खड़ी कर ली थी। (दानि. 11:25) आखिरी दिनों की शुरूआत से लेकर अब तक यही विश्‍व शक्‍ति दक्षिण का राजा * बना हुआ है। मगर इस दौर में उत्तर का राजा कौन रहा है?

उत्तर का राजा कौन है?

9. (क) किस साल उत्तर का एक नया राजा उभरकर आया? (ख) दानियेल 11:25 की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?

9 जिस साल भाई रसल और उनके साथियों ने बाइबल का अध्ययन करने के लिए एक समूह बनाया, उसके अगले साल यानी 1871 में उत्तर का एक नया राजा उभरकर सामने आया। वह कौन था? वह जर्मनी था। सन्‌ 1871 में विलहेल्म प्रथम जर्मनी का पहला सम्राट बना। उसी साल उसने ऑटो वॉन बिसमार्क को जर्मनी का पहला चांसलर बनाया। * उस साल बिसमार्क ने कई इलाकों को मिलाकर एक किया। फिर उन सब इलाकों से मिलकर जर्मन साम्राज्य बन गया। अगले कुछ सालों के दौरान जर्मनी ने अफ्रीका और प्रशांत महासागर के कुछ देशों पर कब्ज़ा कर लिया और ब्रिटेन से ज़्यादा ताकतवर बनने की कोशिश करने लगा। (दानियेल 11:25 पढ़िए।) जर्मनी ने एक विशाल सेना खड़ी कर ली और अपनी नौसेना इतनी बढ़ा ली कि ब्रिटेन के बाद उसी की सेना सबसे ताकतवर बन गयी। जर्मनी अपनी इस विशाल सेना को लेकर पहले विश्‍व-युद्ध में दुश्‍मनों से लड़ा था।

10. दानियेल 11:25, 26 की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?

10 यह बताने के बाद कि उत्तर का राजा यानी जर्मन साम्राज्य एक ताकतवर सेना खड़ी करेगा, दानियेल यह भी बताता है कि उस साम्राज्य का और उसकी सेना का क्या होगा। वह बताता है कि उत्तर का राजा “खड़ा नहीं रह पाएगा।” क्यों नहीं खड़ा रह पाएगा? ‘क्योंकि लोग  उसके खिलाफ साज़िशें रचेंगे। उसके साथ शाही खाना खानेवाले  ही उसे गिरा देंगे।’ (दानि. 11:25, 26) उत्तर के राजा के साथ शाही खाना खानेवाले किन्हें दर्शाते हैं? इसे समझने के लिए ध्यान दीजिए कि दानियेल के ज़माने में “राजा की सेवा” करनेवाले राज दरबारी भी शाही खाना खाते थे। (दानि. 1:5) इससे पता चलता है कि उत्तर के राजा के साथ शाही खाना खानेवाले जर्मन साम्राज्य के बड़े-बड़े अधिकारियों को दर्शाते हैं। जैसे, सम्राट के सेनापति और सेना के बड़े-बड़े अधिकारी। उन्होंने ऐसे-ऐसे काम किए कि उनकी वजह से बाद में जर्मनी के सम्राट की हुकूमत गिर गयी। * दानियेल ने बताया कि यह साम्राज्य बाद में गिर जाएगा और यह भी बताया कि जब वह दक्षिण के राजा से युद्ध करेगा, तो उसका क्या अंजाम होगा। उसने कहा, ‘उत्तर के राजा की सेना का सफाया कर दिया जाएगा और बहुत-से लोग मार डाले जाएँगे।’ (दानि. 11:26ख) यह भविष्यवाणी पहले विश्‍व-युद्ध के दौरान पूरी हुई। उस युद्ध में जर्मनी की सेना का सफाया हो गया और ‘बहुत से लोग मार डाले गए।’ उस युद्ध में जितने लोग मारे गए, उतने पहले कभी नहीं मारे गए थे।

11. उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा ने क्या किया?

11 दानियेल 11:27, 28 में उन घटनाओं के बारे में बताया गया है जो पहला विश्‍व-युद्ध होने से पहले घटी थीं। वहाँ लिखा है कि उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा “एक ही मेज़ पर बैठकर एक-दूसरे से झूठ बोलेंगे।” उसमें यह भी बताया गया है कि उत्तर का राजा “खूब सारा माल” जमा करेगा। ये दोनों बातें सच हुईं। जर्मनी और ब्रिटेन ने एक-दूसरे से कहा कि वे शांति चाहते हैं मगर यह एक झूठ था, इसीलिए 1914 में युद्ध छिड़ गया। और उत्तर के राजा जर्मनी ने वाकई खूब सारा माल बटोर लिया था। सन्‌ 1914 के आते-आते वह ब्रिटेन के बाद दुनिया का सबसे अमीर देश बन गया। फिर दानियेल 11:29 में और 30 की शुरूआत में जो लिखा है, वह भी पूरा हुआ। उत्तर के राजा जर्मनी ने दक्षिण के राजा ब्रिटेन से युद्ध किया मगर जर्मनी हार गया।

दोनों राजा परमेश्‍वर के लोगों पर हमला करते हैं

12. पहले विश्‍व-युद्ध के दौरान उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा ने क्या किया?

12 सन्‌ 1914 से दोनों राजाओं के बीच घमासान युद्ध होने लगा और उन दोनों ने परमेश्‍वर के लोगों को सताया। मिसाल के लिए, पहले विश्‍व-युद्ध के दौरान जर्मन सरकार और ब्रिटिश सरकार ने उन साक्षियों को सताया जिन्होंने युद्ध में हथियार उठाने से इनकार कर दिया था। अमरीका की सरकार ने उन भाइयों को जेल में डाल दिया जो प्रचार काम की अगुवाई करते थे। इस तरह प्रकाशितवाक्य 11:7-10 में दी गयी भविष्यवाणी पूरी हुई।

13. सन्‌ 1930 के बाद और दूसरे विश्‍व-युद्ध के दौरान उत्तर के राजा ने क्या किया?

13 सन्‌ 1930 के बाद के सालों में और दूसरे विश्‍व-युद्ध के दौरान, उत्तर के राजा जर्मनी ने परमेश्‍वर के लोगों को बहुत बेरहमी से सताया। जब जर्मनी में हिटलर की नात्ज़ी हुकूमत शुरू हुई, तो उसने और उसके लोगों ने साक्षियों का काम बंद करा दिया। इन विरोधियों ने सैकड़ों साक्षियों को मार डाला और हज़ारों को यातना शिविरों में भेज दिया। दानियेल ने पहले ही बताया था कि ऐसी घटनाएँ होंगी। उत्तर के राजा ने ‘पवित्र-स्थान को दूषित’ कर दिया और “नियमित बलियाँ बंद कर” दीं। कैसे? उसने प्रचार काम बंद करा दिया जिस वजह से यहोवा के लोग उसके नाम के बारे में सरेआम दूसरों को बता नहीं पाए। (दानि. 11:30, 31) जर्मनी के नेता हिटलर ने तो कसम खा ली थी कि वह जर्मनी से यहोवा के लोगों का नामो-निशान मिटा देगा।

उत्तर का एक नया राजा

14. दूसरे विश्‍व-युद्ध के बाद कौन उत्तर का राजा बन गया? समझाइए।

14 दूसरे विश्‍व-युद्ध के बाद सोवियत संघ की कम्यूनिस्ट सरकार ने उन बड़े-बड़े इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया जो पहले जर्मनी के थे। सोवियत संघ और उसके मित्र राष्ट्रों ने भी नात्ज़ियों की तानाशाही हुकूमत की तरह यहोवा के लोगों पर बहुत अत्याचार किया, क्योंकि वे सिर्फ उसकी उपासना करते थे। इस तरह सोवियत संघ और उसके मित्र राष्ट्र उत्तर का नया राजा बन गए।

15. दूसरा विश्‍व-युद्ध खत्म होने के बाद उत्तर के राजा ने क्या किया?

15 दूसरा विश्‍व-युद्ध खत्म होने के तुरंत बाद उत्तर के नए राजा सोवियत संघ और उसके मित्र राष्ट्रों ने परमेश्‍वर के लोगों पर ज़ुल्म करना शुरू कर दिया। प्रकाशितवाक्य 12:15-17 में इन ज़ुल्मों की तुलना “नदी” से की गयी है। उत्तर के राजा ने प्रचार काम पर रोक लगा दी और हज़ारों साक्षियों को देश-निकाला देकर साइबेरिया भेज दिया, जहाँ जीना बहुत मुश्‍किल था। देखा जाए तो जब से आखिरी दिन शुरू हुए हैं, तब से उत्तर का राजा यहोवा के लोगों पर ज़ुल्म करता रहा और यह दिनों-दिन बढ़ता गया। मगर वह हमारे काम को कभी पूरी तरह बंद नहीं करा सका। *

16. सोवियत संघ ने दानियेल 11:37-39 की भविष्यवाणी कैसे पूरी की?

16 दानियेल 11:37-39 पढ़िए। जैसे इस भविष्यवाणी में बताया गया था, उत्तर के राजा ने “अपने पिताओं के ईश्‍वर की कोई कदर नहीं” की। यह हम कैसे कह सकते हैं? सोवियत संघ ने धर्मों को ही मिटा देने की कोशिश की। उसने उन धर्मों का दबदबा खत्म करने की कोशिश की जो पिताओं या पुरखों के ज़माने से थे। मिसाल के लिए, 1918 में ही सोवियत सरकार ने स्कूलों को यह सिखाने का हुक्म दिया कि कोई ईश्‍वर नहीं होता। उत्तर के इस राजा ने “किलों के देवता की महिमा” कैसे की? सोवियत संघ ने खूब सारा पैसा लगाकर अपने सैनिकों की गिनती बढ़ा ली और हज़ारों परमाणु हथियार बनाए ताकि अपनी सत्ता मज़बूत कर सके। देखते-ही-देखते उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा दोनों ने घातक हथियारों का भंडार जमा कर लिया। अब उनके पास अरबों लोगों को मार डालने की ताकत थी।

दोनों दुश्‍मन मिल गए

17. “उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़” क्या है?

17 हालाँकि उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा के बीच लंबे समय से लड़ाई चल रही थी, फिर भी उत्तर के राजा ने एक अनोखा काम करने के लिए दक्षिण के राजा का साथ दिया। उन दोनों ने मिलकर एक “उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़ खड़ी” की। (दानि. 11:31) वह चीज़ है संयुक्‍त राष्ट्र।

18. संयुक्‍त राष्ट्र को “उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़” क्यों कहा गया है?

18 संयुक्‍त राष्ट्र को “घिनौनी चीज़” इसलिए कहा गया है क्योंकि यह पूरी दुनिया में शांति लाने का दावा करता है, जबकि यह काम सिर्फ परमेश्‍वर का राज कर सकता है। भविष्यवाणी में यह भी बताया गया है कि यह घिनौनी चीज़ उजाड़नेवाली है। यह सही बात है, क्योंकि भविष्य में संयुक्‍त राष्ट्र ही सभी झूठे धर्मों का नाश कर देगा।—“उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा में तकरार” नाम का चार्ट देखें।

इतिहास की यह जानकारी क्यों ज़रूरी है?

19-20. (क) इतिहास की यह जानकारी रखना क्यों ज़रूरी है? (ख) अगले लेख में किस सवाल का जवाब दिया जाएगा?

19 इतिहास की इन बातों को जानना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है। इससे हम समझ सकते हैं कि 1870 से 1991 तक उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा के बारे में भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई। इससे हमारा विश्‍वास बढ़ता है कि इन राजाओं के बारे में आगे जो बताया गया है, वह भी ज़रूर पूरा होगा।

20 सन्‌ 1991 में सोवियत संघ टूटकर बिखर गया था। तो फिर आज उत्तर का राजा कौन है? इस सवाल का जवाब अगले लेख में दिया जाएगा।

गीत 128 हमें अंत तक धीरज रखना है

^ पैरा. 5 दानियेल ने “उत्तर के राजा” और “दक्षिण के राजा” के बारे में जो भविष्यवाणी की थी, वह आज भी पूरी हो रही है। हम इस बात के सबूत साफ देख सकते हैं। लेकिन हम इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हैं कि यह भविष्यवाणी आज भी पूरी हो रही है? इस भविष्यवाणी को ठीक-ठीक समझना क्यों ज़रूरी है?

^ पैरा. 5 इस कारण से हम कह सकते हैं कि ईसवी सन्‌ 270-275 के दौरान रोमी सम्राट ऑरीलियन “उत्तर का राजा” नहीं था। और ईसवी सन्‌ 267-272 तक रानी ज़ॆनोबीया “दक्षिण का राजा” नहीं थी, जैसा कि हम पहले मानते थे और दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!  किताब के अध्याय 13 और 14 में भी बताया गया था।

^ पैरा. 9 सन्‌ 1890 में जर्मनी के राजा विलहेल्म द्वितीय ने बिसमार्क को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया।

^ पैरा. 10 जैसे, उन्होंने सम्राट की मदद करना छोड़ दिया, युद्ध में हुए नुकसान के बारे में गुप्त जानकारी दूसरों को दे दी और सम्राट को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया।

^ पैरा. 15 जैसे दानियेल 11:34 में बताया गया था, उत्तर के राजा के इलाकों में रहनेवालों को कभी-कभी ज़ुल्मों से थोड़ी राहत मिली। मिसाल के लिए, जब 1991 में सोवियत संघ टूटकर बिखर गया, तो उन्हें कुछ वक्‍त के लिए राहत मिली।