इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्ययन लेख 19

कोई भी बात उन्हें ठोकर नहीं खिला सकती

कोई भी बात उन्हें ठोकर नहीं खिला सकती

“भरपूर शांति उन्हें मिलती है जो तेरे कानून से प्यार करते हैं, कोई भी बात उन्हें ठोकर नहीं खिला सकती।”—भज. 119:165.

गीत 122 अटल रहें!

लेख की एक झलक *

1-2. (क) एक लेखक ने क्या कहा? (ख) इस लेख में क्या चर्चा की जाएगी?

लाखों लोग कहते तो हैं कि वे यीशु पर विश्‍वास करते हैं मगर उसकी शिक्षाओं पर नहीं चलते। (2 तीमु. 4:3, 4) एक लेखक ने कहा, ‘आज अगर यीशु  की तरह एक और आदमी आ जाए और उसी की बातें सिखाए, तब भी लोग उसकी नहीं मानेंगे जैसे दो हज़ार साल पहले लोगों ने यीशु की नहीं मानी।’

2 यीशु के दिनों में लोगों ने उसकी शिक्षाएँ सुनीं, उसे कई चमत्कार करते देखा। फिर भी उन्होंने उस पर विश्‍वास नहीं किया। पिछले लेख में इसकी चार वजह बतायी गयी थीं। इस लेख में चार और कारण बताए गए हैं। यह भी बताया गया है कि आज क्यों लोग यीशु के चेलों की नहीं सुनते और आप क्या कर सकते हैं ताकि आप ठोकर न खाएँ।

(1) यीशु ने भेदभाव नहीं किया

कई लोगों ने यीशु पर विश्‍वास नहीं किया क्योंकि वह सबसे मिलता-जुलता था। आज भी लोग शायद इसी वजह से यीशु पर विश्‍वास न करें (पैराग्राफ 3 देखें) *

3. कुछ लोगों को यीशु का व्यवहार क्यों गलत लगा?

3 यीशु सब तरह के लोगों के साथ मेल-जोल रखता था। वह अमीर और बड़े-बड़े लोगों के साथ खाता-पीता था। वह गरीब और बेसहारा लोगों के लिए भी वक्‍त निकालता था। वह उन पर भी दया करता था जिन्हें समाज ‘पापी’ समझता था। कुछ लोगों को यीशु का व्यवहार गलत लगा। उन्होंने उसके चेलों से पूछा, “तुम कर-वसूलनेवालों और पापियों के साथ क्यों खाते हो?” यीशु ने उन्हें जवाब दिया, “जो भले-चंगे हैं उन्हें वैद्य की ज़रूरत नहीं होती, मगर बीमारों को होती है। मैं धर्मियों को नहीं, पापियों को बुलाने आया हूँ कि वे पश्‍चाताप करें।”—लूका 5:29-32.

4. यहूदियों को मसीहा के बारे में क्या समझ जाना चाहिए था?

4 शास्त्र में क्या लिखा था?  यशायाह ने बताया था कि लोग मसीहा को स्वीकार नहीं करेंगे। उसने कहा, “लोगों ने उसे तुच्छ जाना, उससे किनारा किया। . . . उसका चेहरा मानो हमसे छिपा हुआ था। हमने उसे तुच्छ जाना और बेकार समझा।” (यशा. 53:3) भविष्यवाणी में बताया गया था कि “लोग” मसीहा से किनारा करेंगे। इसलिए जब यीशु के साथ ऐसा हुआ तो यहूदियों को समझ जाना चाहिए था कि वही हो रहा है, जो भविष्यवाणी में लिखा था।

5. आज कई लोग यीशु के चेलों को किस नज़र से देखते हैं?

5 क्या आज भी लोग ऐसे हैं?  हाँ हैं। आज धर्म गुरु उन लोगों को ज़्यादा इज़्ज़त देते हैं जो पैसेवाले हैं, जिनका बहुत नाम है और जिन्हें लोग पढ़े-लिखे और बुद्धिमान समझते हैं। धर्म गुरुओं को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि उन लोगों के नैतिक स्तर गिरे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ, यहोवा के लोग ऊँचे नैतिक स्तरों पर चलते हैं। फिर भी ये धर्म गुरु उन्हें कुछ नहीं समझते क्योंकि वे बहुत मामूली लोग हैं। भले ही दुनिया उन्हें “नीची नज़र से देखती है,” लेकिन यहोवा की नज़र में उसके सभी सेवक बहुत अनमोल हैं।—1 कुरिं. 1:26-29.

6. (क) मत्ती 11:25, 26 में यीशु ने क्या कहा? (ख) आप यीशु की तरह कैसे बन सकते हैं?

6 आप क्या कर सकते हैं, ताकि आप ठोकर न खाएँ?  (मत्ती 11:25, 26 पढ़िए।) परमेश्‍वर के लोगों के बारे में दुनिया की सोच मत अपनाइए। यहोवा नम्र लोगों के ज़रिए ही अपनी मरज़ी पूरी करवाता है। (भज. 138:6) ज़रा सोचिए, जिन्हें दुनिया कुछ नहीं समझती, उन्हीं लोगों से यहोवा ने कितने बड़े-बड़े काम करवाए हैं!

(2) यीशु ने झूठी शिक्षाओं का परदाफाश किया

7. (क) यीशु ने फरीसियों को क्यों धिक्कारा? (ख) यीशु की बातें सुनकर उन्हें कैसा लगा?

7 यीशु के दिनों में, कई मामलों में फरीसियों की सोच गलत थी। जैसे, वे हाथ धोने की परंपरा पर बहुत ज़ोर देते थे। लेकिन जब कोई अपने माँ-बाप की देखभाल नहीं करता था, तो वे उसे कुछ नहीं कहते थे। इसलिए यीशु ने उनकी गलत सोच को धिक्कारा। (मत्ती 15:1-11) यीशु के चेले हैरान रह गए और उन्होंने यीशु से कहा, “क्या तू जानता है कि फरीसियों को तेरी बात चुभ गयी है?” तब यीशु ने उनसे कहा, “हर वह पौधा जिसे स्वर्ग में रहनेवाले मेरे पिता ने नहीं लगाया, जड़ से उखाड़ दिया जाएगा। उन्हें रहने दो। वे खुद तो अंधे हैं, मगर दूसरों को राह दिखाते हैं। अगर एक अंधा अंधे को राह दिखाए, तो दोनों गड्‌ढे में जा गिरेंगे।” (मत्ती 15:12-14) हालाँकि यीशु की बात सुनकर धर्म गुरुओं को बहुत गुस्सा आया, मगर सच बोलने से यीशु पीछे नहीं हटा।

8. यीशु ने कैसे समझाया कि यहोवा हर शिक्षा से खुश नहीं होता?

8 यीशु ने धर्म गुरुओं की झूठी शिक्षाओं का भी परदाफाश किया। उसने बताया कि परमेश्‍वर हर शिक्षा से खुश नहीं होता। यह समझाने के लिए उसने दो रास्तों के बारे में बताया। एक खुला रास्ता है जो विनाश की तरफ ले जाता है। और उस पर बहुत-से लोग चलेंगे। और दूसरा तंग है, जो जीवन की ओर ले जाता है। और उस पर थोड़े लोग चलेंगे। (मत्ती 7:13, 14) उसने यह भी कहा कि कुछ लोग परमेश्‍वर की उपासना करने का दिखावा करेंगे। उनके बारे में उसने कहा, “झूठे भविष्यवक्‍ताओं से खबरदार रहो जो भेड़ों के भेस में तुम्हारे पास आते हैं, मगर अंदर से भूखे भेड़िए हैं। उनके फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।”—मत्ती 7:15-20.

कई लोगों ने यीशु पर विश्‍वास नहीं किया क्योंकि वह झूठी शिक्षाओं और गलत कामों के खिलाफ था। आज भी लोग शायद इसी वजह से यीशु पर विश्‍वास न करें (पैराग्राफ 9 देखें) *

9. यीशु ने किन झूठी शिक्षाओं का परदाफाश किया?

9 शास्त्र में क्या लिखा था?  शास्त्र में बताया गया था कि मसीहा में यहोवा के भवन के लिए बहुत जोश होगा। (भज. 69:9; यूह. 2:14-17) इसी जोश की वजह से यीशु ने झूठी शिक्षाओं और गलत कामों का परदाफाश किया। मिसाल के लिए, फरीसियों ने सिखाया कि इंसान में आत्मा होती है जो उसके मरने के बाद भी ज़िंदा रहती है। लेकिन यीशु ने सिखाया कि जो इंसान मर जाता है वह गहरी नींद में होता है। यानी उसका अस्तित्व खत्म हो जाता है। (यूह. 11:11) सदूकी सिखाते थे कि एक व्यक्‍ति मरने के बाद ज़िंदा नहीं हो सकता। लेकिन यीशु ने लाज़र को ज़िंदा किया और उन्हें झूठा साबित किया। (यूह. 11:43, 44; प्रेषि. 23:8) फरीसी यह भी मानते थे कि हम वही करते हैं जो हमारी किस्मत में लिखा होता है या जो परमेश्‍वर हमसे करवाता है। लेकिन यीशु ने सिखाया कि एक व्यक्‍ति खुद फैसला कर सकता है कि वह परमेश्‍वर की सेवा करेगा या नहीं।—मत्ती 11:28.

10. कई लोग यहोवा के साक्षियों की क्यों नहीं सुनते?

10 क्या आज भी लोग ऐसे हैं?  हाँ हैं। कई लोग यहोवा के साक्षियों की नहीं सुनते, क्योंकि वे बाइबल से उनकी शिक्षाओं को झूठा साबित करते हैं। जैसे, कई धर्म गुरु सिखाते हैं कि परमेश्‍वर दुष्ट लोगों को नरक में डालता है। इस शिक्षा से वे लोगों को डरा-धमकाकर रखते हैं। लेकिन साक्षी जानते हैं कि यहोवा प्यार का परमेश्‍वर है, इसलिए वे इस झूठी शिक्षा का परदाफाश करते हैं। धर्म गुरु यह भी सिखाते हैं कि आत्मा अमर होती है। लेकिन ज़रा सोचिए, अगर यह शिक्षा सही है, तो फिर परमेश्‍वर मरे हुओं को ज़िंदा क्यों करेगा। यहोवा के लोग बाइबल से साबित करते हैं कि अमर आत्मा की शिक्षा झूठी है। कई धर्म यह भी सिखाते हैं कि एक इंसान वही करता है जो उसकी किस्मत में लिखा होता है या जो परमेश्‍वर उससे करवाता है। लेकिन साक्षी सिखाते हैं कि एक इंसान खुद चुन सकता है कि वह परमेश्‍वर की उपासना करेगा या नहीं। जब यहोवा के साक्षी धर्म गुरुओं की झूठी शिक्षाओं का परदाफाश करते हैं, तो उन्हें बहुत गुस्सा आता है।

11. यूहन्‍ना 8:45-47 के मुताबिक परमेश्‍वर अपने लोगों से क्या चाहता है?

11 आप क्या कर सकते हैं, ताकि आप ठोकर न खाएँ?  सच्चाई के लिए प्यार बढ़ाइए। इस तरह आप परमेश्‍वर की शिक्षाओं को मानेंगे और उन पर चलेंगे। (यूहन्‍ना 8:45-47 पढ़िए।) सच्चाई में टिके रहिए उसे मत ठुकराइए, जैसे शैतान ने ठुकराया था। (यूह. 8:44) परमेश्‍वर चाहता है कि उसके लोग “बुरी बातों से घिन” करें और “अच्छी बातों से लिपटे” रहें। यीशु ने भी ऐसा किया था।—रोमि. 12:9; इब्रा. 1:9.

(3) यीशु को सताया गया

कई लोगों ने यीशु पर विश्‍वास नहीं किया क्योंकि उसे काठ पर मार डाला गया था। आज भी लोग शायद इसी वजह से यीशु पर विश्‍वास न करें (पैराग्राफ 12 देखें) *

12. यहूदियों के लिए यह मानना क्यों मुश्‍किल था कि यीशु ही मसीहा है?

12 यीशु के दिनों में यहूदियों ने और किस वजह से उस पर विश्‍वास नहीं किया? पौलुस ने कहा, “हम काठ पर लटकाए गए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के लिए ठोकर की वजह है।” (1 कुरिं. 1:23) यीशु को एक अपराधी की तरह मार डाला गया था। इसलिए यहूदियों के लिए यह मानना मुश्‍किल था कि वह मसीहा है।—व्यव. 21:22, 23.

13. कुछ यहूदियों ने किस वजह से यीशु पर विश्‍वास नहीं किया?

13 जिन लोगों ने यीशु का मुकदमा सुना, उन्हें न्याय दिलाने की कोई परवाह नहीं थी। वे फटाफट इस मुकदमे को निपटा देना चाहते थे। (लूका 22:54; यूह. 18:24) वे खुद ही “यीशु को मार डालने के लिए उसके खिलाफ झूठी गवाही ढूँढ़” रहे थे। जब उनके हाथ कुछ नहीं लगा तो महायाजक ने यीशु को उसी की बातों में फँसाने की कोशिश की। यह कानून के मुताबिक बिलकुल गलत था। (मत्ती 26:59; मर. 14:55-64) बाद में जब यीशु ज़िंदा हुआ और उसकी कब्र खाली मिली, तब उन्हीं लोगों ने एक और घिनौना काम किया। उन्होंने रोमी सैनिकों को “घूस में बहुत चाँदी दी” और यह झूठ बोलने के लिए कहा कि यीशु के चेले उसकी लाश चुराकर ले गए। कुछ यहूदियों ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि यीशु बेकसूर था, उस पर झूठा आरोप लगाया गया था और उसके साथ नाइंसाफी हुई थी, इसलिए उन्होंने यीशु पर विश्‍वास नहीं किया।—मत्ती 28:11-15.

14. शास्त्र में मसीहा के बारे में क्या बताया गया था?

14 शास्त्र में क्या लिखा था?  कई यहूदियों ने यह नहीं सोचा था कि मसीहा को मार डाला जाएगा। लेकिन ध्यान दीजिए कि भविष्यवाणी में क्या लिखा था, “उसने अपनी जान कुरबान कर दी, वह अपराधियों में गिना गया, वह बहुतों का पाप उठा ले गया और अपराधियों की खातिर उसने बिनती की।” (यशा. 53:12) यहूदियों को इस बात से ठोकर नहीं खानी चाहिए थी कि यीशु को अपराधी की तरह मारा गया।

15. कुछ लोग किस वजह से यहोवा के साक्षियों की नहीं सुनते?

15 क्या आज भी लोग ऐसे हैं?  हाँ हैं। जिस तरह यीशु पर झूठे इलज़ाम लगाकर उसे दोषी ठहराया गया था, आज भी साक्षियों के साथ ऐसा किया जाता है। मिसाल के लिए, 1930 से 1950 के बीच अमरीका में साक्षियों पर रोक लगाने की कोशिश की गयी, ताकि वे खुलकर उपासना न कर सकें। उस वक्‍त साक्षियों ने अपने हक के लिए कई मुकदमे लड़े। कुछ जजों ने उनके खिलाफ फैसले सुनाए। कनाडा के क्युबेक में, चर्च और सरकार ने मिलकर साक्षियों के प्रचार काम को रोकने की कोशिश की। कुछ साक्षियों को प्रचार करने की वजह से जेल में भी डाला गया। नात्ज़ी जर्मनी में, कई जवान साक्षियों को जान से मार दिया गया। हाल ही में रूस की सरकार ने साक्षियों के प्रचार काम पर रोक लगा दी। सरकार को लगता है कि इस काम से “देश को खतरा” है। कइयों पर मुकदमे चले और उन्हें जेल हुई। रूसी सरकार ने नयी दुनिया अनुवाद  बाइबल को पढ़ने और बाँटने पर भी रोक लगा दी, क्योंकि उसमें परमेश्‍वर का नाम यहोवा दिया हुआ है। सरकार का मानना है कि यह किताब “देश के लिए खतरा” है।

16. जब आप साक्षियों के बारे में झूठी बातें सुनते हैं, तो आपको उन पर यकीन क्यों नहीं करना चाहिए? (1 यूहन्‍ना 4:1)

16 आप क्या कर सकते हैं, ताकि आप ठोकर न खाएँ?  पता लगाइए कि सच क्या है। यीशु ने पहाड़ी उपदेश में बताया था कि ऐसे लोग आएँगे, जो “तरह-तरह की झूठी और बुरी बातें” कहेंगे। (मत्ती 5:11) इस तरह की बातों के पीछे शैतान का हाथ है। वह लोगों को उकसाता है कि वे परमेश्‍वर के लोगों के बारे में झूठ बोलें। (प्रका. 12:9, 10) आपको इनकी झूठी बातों में नहीं आना चाहिए। और न ही इन बातों से डरना चाहिए या परमेश्‍वर की सेवा में ढीले पड़ना चाहिए।—1 यूहन्‍ना 4:1 पढ़िए।

(4) यीशु के दोस्तों ने उसे छोड़ दिया

कई लोगों ने यीशु पर विश्‍वास नहीं किया क्योंकि यहूदा ने उसके साथ विश्‍वासघात किया था। आज भी लोग शायद इसी वजह से यीशु पर विश्‍वास न करें (पैराग्राफ 17-18 देखें) *

17. कुछ लोगों ने क्या देखकर यीशु पर विश्‍वास नहीं किया होगा?

17 यीशु की मौत से पहले, उसके एक प्रेषित ने उसे धोखा दिया। एक और प्रेषित ने उसे तीन बार जानने से इनकार कर दिया। और बाकी उसे अकेला छोड़कर भाग गए। (मत्ती 26:14-16, 47, 56, 75) यीशु को कोई हैरानी नहीं हुई, उसने तो भविष्यवाणी भी की कि ऐसा होगा। (यूह. 6:64; 13:21, 26, 38; 16:32) लेकिन यह सब देखकर शायद कुछ यहूदियों ने सोचा होगा, ‘अगर यीशु के प्रेषित ऐसे हैं, तो मैं उसका चेला नहीं बनना चाहता!’

18. यीशु की मौत से ठीक पहले, कौन-सी भविष्यवाणियाँ पूरी हुईं?

18 शास्त्र में क्या लिखा था?  यहोवा ने सदियों पहले बता दिया था कि मसीहा को चाँदी के 30 टुकड़ों के लिए बेच दिया जाएगा। (जक. 11:12, 13) और उसे धोखा देनेवाला उसका कोई करीबी होगा। (भज. 41:9) भविष्यवक्‍ता जकरयाह ने यह भी लिखा था, “चरवाहे को मार और झुंड को तितर-बितर होने दे।” (जक. 13:7) यह सब भविष्यवाणियाँ पूरी होते देखकर, नेकदिल लोगों का मसीहा पर विश्‍वास कमज़ोर नहीं, बल्कि मज़बूत होना चाहिए था।

19. नेकदिल लोग क्या जानते हैं?

19 क्या आज भी लोग ऐसे हैं?  हाँ हैं। हमारे समय में भी ऐसे कुछ साक्षियों ने परमेश्‍वर की सेवा करनी छोड़ दी, जिन्हें बहुत सारे भाई-बहन जानते थे। वे धर्मत्यागी बन गए और दूसरों को भी परमेश्‍वर की सेवा करने से रोकने लगे। उन्होंने टीवी, अखबार और इंटरनेट पर साक्षियों के बारे में झूठ फैलाए और गलत-गलत बातें कहीं। लेकिन नेकदिल लोग इन पर ध्यान नहीं देते, क्योंकि वे जानते हैं कि बाइबल में पहले से बता दिया गया था कि यह सब होगा।—मत्ती 24:24; 2 पत. 2:18-22.

20. आप क्या कर सकते हैं, ताकि आप धर्मत्यागियों की वजह से ठोकर न खाएँ? (2 तीमुथियुस 4:4, 5)

20 आप क्या कर सकते हैं, ताकि आप ठोकर न खाएँ?  बाइबल का अध्ययन कीजिए, लगातार प्रार्थना कीजिए और प्रचार काम में लगे रहिए। इस तरह आप अपना विश्‍वास मज़बूत कर पाएँगे। (2 तीमुथियुस 4:4, 5 पढ़िए।) अगर आपमें मज़बूत विश्‍वास होगा, तो आप साक्षियों के बारे में झूठी खबरें सुनकर घबराएँगे नहीं। (यशा. 28:16) अगर आपको यहोवा से, उसके वचन से और उसके लोगों से प्यार होगा, तो आप उन लोगों की वजह से ठोकर नहीं खाएँगे जो धर्मत्यागी बन गए हैं।

21. पहली सदी की तरह आज भी हमें किस बात का यकीन है?

21 पहली सदी में कई लोगों ने यीशु पर विश्‍वास नहीं किया। लेकिन ऐसे भी थे जिन्होंने उस पर विश्‍वास किया। जैसे, यहूदी महासभा का एक सदस्य उसका चेला बना और “बड़ी तादाद में याजक भी विश्‍वासी” बने। (प्रेषि. 6:7; मत्ती 27:57-60; मर. 15:43) आज भले ही बहुत-से लोग यीशु पर विश्‍वास नहीं करते, पर ऐसे लाखों लोग हैं जो उस पर विश्‍वास करते हैं। क्योंकि वे बाइबल में दी सच्चाइयाँ जानते हैं और उनसे प्यार करते हैं। बाइबल में लिखा है, “भरपूर शांति उन्हें मिलती है जो तेरे कानून से प्यार करते हैं, कोई भी बात उन्हें ठोकर नहीं खिला सकती।”—भज. 119:165.

गीत 124 हमेशा वफादार

^ पैरा. 5 पिछले लेख में चार कारणों पर चर्चा की गयी कि क्यों लोगों ने यीशु पर विश्‍वास नहीं किया और क्यों लोग आज यीशु के चेलों की नहीं सुनते। इस लेख में चार और कारणों पर चर्चा की जाएगी। इसमें यह भी बताया जाएगा कि जो लोग यहोवा से प्यार करते हैं, वे हर हाल में उसकी सेवा करते हैं और किसी भी बात से ठोकर नहीं खाते।

^ पैरा. 60 तसवीर के बारे में: यीशु मत्ती और कर-वसूलनेवालों के साथ खाना खा रहा है।

^ पैरा. 62 तसवीर के बारे में: यीशु व्यापारियों को मंदिर से भगा रहा है।

^ पैरा. 64 तसवीर के बारे में: यीशु अपना यातना का काठ उठा रहा है।

^ पैरा. 66 तसवीर के बारे में: यहूदा यीशु को चूमता है और उसके साथ विश्‍वासघात करता है।