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अध्ययन लेख 18

क्या आप यीशु की वजह से ठोकर खाएँगे?

क्या आप यीशु की वजह से ठोकर खाएँगे?

“सुखी है वह जो मेरी वजह से ठोकर नहीं खाता।”—मत्ती 11:6, फु.

गीत 54 “राह यही है!”

लेख की एक झलक *

1. कभी-कभी जब हम अपने दोस्तों और रिश्‍तेदारों को सच्चाई के बारे में बताते हैं, तो क्या होता है?

जब आपने बाइबल सीखना शुरू किया, तो आप समझ गए कि यही सच्चाई है। आपको बहुत खुशी हुई! आपको लगा कि अगर दूसरे भी बाइबल के बारे में सीखेंगे, तो उनकी ज़िंदगी अच्छी हो जाएगी और उन्हें नयी दुनिया की आशा भी मिलेगी। (भज. 119:105) इसलिए आपने अपने सभी दोस्तों और रिश्‍तेदारों को इसके बारे में बताना शुरू कर दिया। लेकिन जैसा आपने सोचा था, वैसा नहीं हुआ। उन्होंने आपकी बात सुनने से इनकार कर दिया।

2-3. यीशु के दिनों में ज़्यादातर लोगों ने क्या किया?

2 जब लोग हमारा संदेश नहीं सुनते, तो हमें हैरान नहीं होना चाहिए। यीशु के दिनों में भी ज़्यादातर लोगों ने उसकी नहीं सुनी, जबकि उसने बड़े-बड़े चमत्कार किए और यह साफ दिख रहा था कि परमेश्‍वर उसकी मदद कर रहा है। मिसाल के लिए, यहूदी धर्म गुरु इस बात से इनकार नहीं कर पाए कि लाज़र को यीशु ने ज़िंदा किया है, मगर वे यह नहीं मानना चाहते थे कि यीशु ही मसीहा है। ऊपर से वे लाज़र और यीशु दोनों को मार डालना चाहते थे।—यूह. 11:47, 48, 53; 12:9-11.

3 यीशु जानता था कि बहुत-से लोग उसे मसीहा नहीं मानेंगे। (यूह. 5:39-44) इसलिए उसने यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले के चेलों से कहा, “सुखी है वह जो मेरी वजह से ठोकर * नहीं खाता।” (मत्ती 11:2,3,6,फु.) लेकिन लोगों ने यीशु पर विश्‍वास क्यों नहीं किया?

4. इस लेख में क्या चर्चा की जाएगी?

4 इस लेख में और अगले लेख में कुछ वजहों पर चर्चा की जाएगी कि लोगों ने यीशु पर विश्‍वास क्यों नहीं किया। इस बात पर भी चर्चा होगी कि आज लोग यीशु के चेलों की क्यों नहीं सुनते। यह भी बताया जाएगा कि एक व्यक्‍ति यीशु पर अपना विश्‍वास कैसे मज़बूत कर सकता है, ताकि वह उसके पीछे चलता रहे।

(1) यीशु गरीब परिवार से और छोटे शहर से था

कई लोगों ने यीशु पर विश्‍वास नहीं किया क्योंकि वह छोटे शहर से था। आज भी लोग शायद इसी वजह से हमारी न सुनें (पैराग्राफ 5 देखें) *

5. कुछ लोगों को क्यों लगा कि यीशु, मसीहा नहीं हो सकता?

5 लोगों ने माना कि यीशु बहुत अच्छा शिक्षक है और बड़े-बड़े चमत्कार करता है। लेकिन उन्होंने उस पर विश्‍वास नहीं किया। क्यों? क्योंकि वह एक गरीब बढ़ई का बेटा था और नासरत से था। उनकी नज़र में नासरत एक छोटा शहर था। यीशु के चेले नतनएल ने भी कहा था, “भला नासरत से भी कुछ अच्छा निकल सकता है?” (यूह. 1:46) शायद उसे भी लगता था कि नासरत एक छोटा शहर है। या उसने सोचा होगा कि मीका 5:2 की भविष्यवाणी के मुताबिक मसीहा बेतलेहेम में पैदा होगा, नासरत में नहीं।

6. लोग किस तरह जान सकते थे कि यीशु ही मसीहा है?

6 शास्त्र में क्या लिखा था?  भविष्यवक्‍ता यशायाह ने पहले से बताया था कि यीशु के दुश्‍मन यह जानने की कोशिश नहीं करेंगे कि “वह कौन है, कहाँ से आया है।” (यशा. 53:8) अगर वे यीशु के बारे में पता करते, तो समझ जाते कि मसीहा के बारे में की गयी भविष्यवाणियाँ यीशु पर पूरी हुई हैं। उसका जन्म बेतलेहेम में हुआ था ठीक जैसे मीका 5:2 की भविष्यवाणी में लिखा था और वह दाविद का वंशज था। (लूका 2:4-7) लेकिन उन्होंने बिना जाँच-परख किए पहले से राय कायम कर ली और यीशु को मसीहा मानने से इनकार कर दिया।

7. आज क्यों कुछ लोग यहोवा के लोगों की नहीं सुनते?

7 क्या आज भी लोग ऐसे हैं?  हाँ हैं। कई लोगों को लगता है कि यहोवा के साक्षी अमीर नहीं हैं, “कम पढ़े-लिखे, मामूली” लोग हैं। (प्रेषि. 4:13) वे सोचते हैं, ‘ये बाइबल के बारे में हमें क्या सिखाएँगे। इन्होंने किसी धार्मिक स्कूल से पढ़ाई थोड़ी न की है।’ कुछ लोग कहते हैं कि यहोवा के साक्षियों का धर्म अमरीका से है, जबकि सच तो यह है कि ज़्यादातर साक्षी अमरीका से नहीं, दूसरे देशों से हैं। कुछ कहते हैं कि वे परिवार तोड़ते हैं या देश के लिए खतरा हैं। कुछ और लोगों ने सुना है कि यहोवा के साक्षी यीशु को नहीं मानते। इन सुनी-सुनायी बातों पर यकीन करने की वजह से बहुत-से लोग साक्षियों का संदेश नहीं सुनते।

8. प्रेषितों 17:11 के मुताबिक आप कैसे जान सकते हैं कि आज यहोवा के लोग कौन हैं?

8 आप क्या कर सकते हैं, ताकि आप ठोकर न खाएँ?  आपको अच्छी तरह जाँच-परख करनी चाहिए। लूका ने ऐसा ही किया। अपनी किताब लिखते वक्‍त उसने ‘शुरूआत से सारी बातें सही-सही पता लगायीं’ ताकि लोग पक्की तरह जान सकें कि उन्होंने यीशु के बारे में जो बातें सुनी हैं, “वे भरोसे के लायक हैं।” (लूका 1:1-4) बिरीया के यहूदी लोग भी लूका के जैसे थे। उन्होंने यीशु के बारे में जो सुना था, उसे इब्रानी शास्त्र से जाँचा कि वह सही है या नहीं। (प्रेषितों 17:11 पढ़िए।) जब यहोवा के लोग कुछ सिखाते हैं तो आपको भी उसे शास्त्र से जाँचना चाहिए। आपको साक्षियों के इतिहास के बारे में भी खोजबीन करनी चाहिए। जब आप अच्छी तरह जाँच-पड़ताल करेंगे, तो आप लोगों की सुनी-सुनायी बातों में नहीं आएँगे।

(2) यीशु ने दिखावे के लिए चमत्कार नहीं किए

कई लोगों ने यीशु पर विश्‍वास नहीं किया क्योंकि उसने दिखावे के लिए चमत्कार नहीं किए। आज भी लोग शायद इसी वजह से हमारी न सुनें (पैराग्राफ 9-10 देखें) *

9. जब यीशु ने स्वर्ग से कोई चिन्ह नहीं दिखाया, तो क्या हुआ?

9 यीशु जो सिखा रहा था, उससे कुछ लोग खुश नहीं थे। उन्हें और सबूत चाहिए था कि वह मसीहा है। इसलिए उन्होंने उससे कहा कि वह “स्वर्ग से एक चिन्ह दिखाए।” (मत्ती 16:1) उन्होंने दानियेल 7:13, 14 में जो पढ़ा था, शायद उस वजह से ऐसा कहा। लेकिन वह बात भविष्य में पूरी होनी थी। दरअसल यीशु जो सिखा रहा था, अगर वे उस पर ध्यान देते तो उन्हें यकीन हो जाता कि वही मसीहा है। लेकिन जब यीशु ने कोई चिन्ह नहीं दिखाया, तो उन्होंने उस पर विश्‍वास नहीं किया।—मत्ती 16:4.

10. यीशु ने यशायाह की भविष्यवाणी कैसे पूरी की?

10 शास्त्र में क्या लिखा था?  यशायाह ने मसीहा के बारे में कहा, “वह न तो चिल्लाएगा, न शोर मचाएगा और न ही सड़कों पर अपनी आवाज़ ऊँची करेगा।” (यशा. 42:1, 2) यीशु ने कभी-भी लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश नहीं की। उसने न तो आलीशान मंदिर बनवाए, न ही कोई खास पोशाक पहनी। वह नहीं चाहता था कि लोग उसे संत-महात्मा बुलाएँ। अपनी ज़िंदगी की आखिरी घड़ी में भी उसने राजा हेरोदेस को खुश करने के लिए कोई चमत्कार नहीं किया। (लूका 23:8-11) हालाँकि दूसरे मौकों पर उसने कई चमत्कार किए थे पर उसके लिए सबसे ज़रूरी काम था प्रचार करना। तभी उसने कहा, “मैं इसीलिए आया हूँ।”—मर.1:38.

11. आज कुछ लोग क्या गलत सोच रखते हैं?

11 क्या आज भी लोग ऐसे हैं?  हाँ हैं। आज ज़्यादातर लोग बड़े-बड़े और आलीशान धार्मिक भवन पसंद करते हैं। उन्हें संत-महात्मा जैसी बड़ी-बड़ी उपाधियाँ रखनेवाले लोग पसंद हैं। वे ऐसे त्योहार मनाना पसंद करते हैं जो बाइबल के हिसाब से गलत हैं। उन्हें लगता है कि यह सब उन्हें परमेश्‍वर के करीब ले जाएगा। लेकिन हकीकत में वे अपनी धार्मिक सभाओं में परमेश्‍वर के बारे में कुछ नहीं सीखते। वहीं दूसरी तरफ, यहोवा के साक्षियों की सभाओं में परमेश्‍वर के बारे में बहुत कुछ सिखाया जाता है। उनके राज-घर आलीशान नहीं होते, मगर साफ-सुथरे होते हैं। जो लोग मंडली की अगुवाई करते हैं, वे कोई खास पोशाक नहीं पहनते। और वे यह नहीं चाहते कि लोग उन्हें किसी खास नाम से पुकारें। यहोवा के साक्षी जो सिखाते हैं, वे बाइबल से होती हैं। वे लोगों को खुश करने के लिए नहीं सिखाते और न ही उनकी उपासना में कोई चमक-दमक होता है। इस वजह से लोग उनकी नहीं सुनते।

12. इब्रानियों 11:1, 6 के मुताबिक आप अपना विश्‍वास बढ़ाने के लिए क्या कर सकते हैं?

12 आप क्या कर सकते हैं, ताकि आप ठोकर न खाएँ?  प्रेषित पौलुस ने रोम के मसीहियों से कहा, “संदेश सुनने के बाद ही विश्‍वास किया जाता है। और संदेश तब सुना जाता है जब कोई मसीह के बारे में प्रचार करता है।” (रोमि. 10:17) बाइबल का अध्ययन करने से ही विश्‍वास बढ़ता है, न कि झूठे रीति-रिवाज़ और त्योहारों में हिस्सा लेकर, भले ही वे मन को भानेवाले क्यों न लगें। मज़बूत विश्‍वास इसलिए ज़रूरी है क्योंकि “विश्‍वास के बिना परमेश्‍वर को खुश करना नामुमकिन है।” (इब्रानियों 11:1, 6 पढ़िए।) अगर आप बाइबल का अच्छे-से अध्ययन करें, तो आपको यकीन हो जाएगा कि यही सच्चाई है। आपको स्वर्ग से किसी चिन्ह की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

(3) यीशु ने कई यहूदी परंपराएँ नहीं मानीं

कई लोगों ने यीशु पर विश्‍वास नहीं किया क्योंकि उसने यहूदी परंपराएँ नहीं मानीं। आज भी लोग शायद इसी वजह से हमारी न सुनें (पैराग्राफ 13 देखें) *

13. कई लोगों ने यीशु पर विश्‍वास क्यों नहीं किया?

13 यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले के चेलों को यह समझ नहीं आ रहा था कि यीशु के चेले उपवास क्यों नहीं रखते। यीशु ने उन्हें समझाया कि जब तक वह ज़िंदा है उसके चेलों को उपवास रखने की ज़रूरत नहीं। (मत्ती 9:14-17) फरीसी और दूसरे लोग खुश नहीं थे कि यीशु उनके रीति-रिवाज़ और परंपराएँ नहीं मानता। वे इस बात से भी नाराज़ थे कि यीशु सब्त के दिन बीमारों को ठीक करता है। (मर. 3:1-6; यूह. 9:16) एक तरफ तो वे बड़ी-बड़ी बातें करते थे कि वे सब्त का कानून मानते हैं, वहीं दूसरी तरफ वे मंदिर में व्यापार होने देते थे। यीशु ने जब उन्हें इस बात के लिए धिक्कारा तो उन्हें बहुत गुस्सा आया। (मत्ती 21:12, 13, 15) फिर जब नासरत के सभा-घर में यीशु ने लोगों को प्रचार किया, तो उसने उनसे कहा कि वे बीते ज़माने के इसराएलियों की तरह हैं जो स्वार्थी थे और जिनमें विश्‍वास नहीं था। यह सुनकर वे आग-बबूला हो गए। (लूका 4:16, 25-30) यीशु ने हमेशा वैसा नहीं किया जैसा लोग चाहते थे, इसलिए उन्होंने यीशु पर विश्‍वास नहीं किया।—मत्ती 11:16-19.

14. यीशु ने कुछ परंपराओं को गलत क्यों कहा?

14 शास्त्र में क्या लिखा था?  यहोवा ने यशायाह के ज़रिए कहा, “ये लोग अपने मुँह और होंठों से तो मेरा आदर करते हैं, मगर इनका दिल मुझसे कोसों दूर रहता है। वे कहने को तो मेरा डर मानते हैं, मगर इंसानों की आज्ञाओं पर चलते हैं।” (यशा. 29:13) यीशु ने ऐसी परंपराओं और रीति-रिवाज़ों को गलत बताया जो शास्त्र के मुताबिक नहीं थे। लेकिन कुछ लोगों ने इन रीति-रिवाज़ों को शास्त्र में लिखी बातों से ज़्यादा ज़रूरी समझा। इस वजह से उन्होंने यहोवा और उसके बेटे को ठुकरा दिया।

15. आज कई लोग यहोवा के साक्षियों को क्यों पसंद नहीं करते?

15 क्या आज भी लोग ऐसे हैं?  हाँ हैं। आज कई लोग यहोवा के साक्षियों को पसंद नहीं करते, क्योंकि वे क्रिसमस और जन्मदिन नहीं मनाते। कुछ और लोग साक्षियों से इसलिए भी गुस्सा होते हैं, क्योंकि वे देश-भक्‍ति के कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं लेते, उन झूठे रीति-रिवाज़ों में शामिल नहीं होते, जो किसी की मौत के बाद रखे जाते हैं। ऐसे लोगों को लगता है कि इन रीति-रिवाज़ों को मानने से परमेश्‍वर खुश होगा। लेकिन हकीकत तो यह है कि परमेश्‍वर तभी खुश होगा, जब वे बाइबल के मुताबिक उसकी उपासना करेंगे।—मर. 7:7-9.

16. आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं? (भजन 119:97, 113, 163-165)

16 आप क्या कर सकते हैं, ताकि आप ठोकर न खाएँ?  आपको अपने दिल में यहोवा और उसके नियम-सिद्धांतों के लिए प्यार बढ़ाना होगा। (भजन 119:97, 113, 163-165 पढ़िए।) अगर यह प्यार होगा तो आप उन रीति-रिवाज़ों को नहीं मानेंगे, जिनसे परमेश्‍वर खुश नहीं होता। इस बात का ध्यान रखिए कि आप यहोवा से बढ़कर किसी और चीज़ से प्यार न करें।

(4) यीशु उस वक्‍त अपनी सरकार नहीं लाया

कई लोगों ने यीशु पर विश्‍वास नहीं किया क्योंकि वह निष्पक्ष रहा। आज भी लोग शायद इसी वजह से हमारी न सुनें (पैराग्राफ 17 देखें) *

17. लोगों ने और किन वजहों से यीशु पर विश्‍वास नहीं किया?

17 कुछ लोगों को लग रहा था कि मसीहा उन्हें रोमी सरकार के ज़ुल्मों से आज़ाद करेगा। लेकिन जब उन्होंने यीशु को राजा बनाने की कोशिश की, तो वह वहाँ से चला गया। (यूह. 6:14, 15) वहीं दूसरी तरफ, रोमी सरकार ने याजकों और दूसरे लोगों को कुछ अधिकार दिए थे। इन लोगों को डर था कि अगर यीशु की सरकार आ गयी, तो रोमी सरकार उनसे सारे अधिकार छीन लेगी। इन वजहों से कई लोगों ने यीशु पर विश्‍वास नहीं किया।

18. लोगों ने किन भविष्यवाणियों पर ध्यान नहीं दिया?

18 शास्त्र में क्या लिखा था?  हालाँकि शास्त्र में ऐसी कई भविष्यवाणियाँ हैं, जिनमें बताया गया है कि मसीहा राजा बनेगा और जीत हासिल करेगा। मगर ऐसी भी भविष्यवाणियाँ हैं, जिनमें बताया गया है कि मसीहा को पहले इंसानों के पापों के लिए मरना पड़ेगा। (यशा. 53:9, 12) लेकिन लोगों ने इन भविष्यवाणियों पर ध्यान नहीं दिया। वे बस चाहते थे कि उनकी समस्याओं का हल तुरंत हो जाए।—यूह. 6:26, 27.

19. आज लोग साक्षियों के संदेश को क्यों ठुकरा देते हैं?

19 क्या आज भी लोग ऐसे हैं?  हाँ हैं। कई लोगों को इस बात से शिकायत है कि साक्षी वोट नहीं करते। लेकिन साक्षी जानते हैं कि अगर वे किसी इंसान को चुनेंगे तो वे यहोवा को ठुकरा रहे होंगे। (1 शमू. 8:4-7) वे राजनैतिक मामलों में निष्पक्ष रहते हैं, इसलिए लोग उनकी नहीं सुनते। इसके अलावा, लोगों को लगता है कि साक्षियों को स्कूल-अस्पताल बनाने चाहिए, समाज सेवा करनी चाहिए। लेकिन जब साक्षी, लोगों की समस्याएँ हल करने के बजाय प्रचार में लगे रहते हैं, तो वे उनका संदेश नहीं सुनते।

20. जैसा मत्ती 7:21-23 में बताया है, यीशु के चेलों को अपना ध्यान किस काम पर लगाना चाहिए?

20 आप क्या कर सकते हैं, ताकि आप ठोकर न खाएँ?  (मत्ती 7:21-23 पढ़िए।) यीशु ने अपने चेलों को बहुत ज़रूरी काम सौंपा है और वह है, प्रचार काम। (मत्ती 28:19, 20) वे अपना पूरा ध्यान इस काम में लगाते हैं, न कि दुनिया की समस्याओं का हल करने में। हालाँकि उन्हें लोगों से प्यार है और उनकी तकलीफें देखकर उन्हें दुख होता है, लेकिन वे जानते हैं कि सिर्फ परमेश्‍वर का राज ही लोगों की तकलीफें दूर कर सकता है। इसलिए वे उन्हें परमेश्‍वर और उसके राज के बारे में सिखाते हैं।

21. हम क्या फैसला करेंगे?

21 इस लेख में हमने चार कारण देखे, जिनकी वजह से कई लोगों ने यीशु की बात नहीं मानी। आज भी लोग इन्हीं चार कारणों से यीशु के चेलों की बात नहीं सुनते। लेकिन जैसा हमने इस लेख में चर्चा की, आइए हम फैसला करें कि हम हमेशा यीशु की बात मानेंगे और अपना विश्‍वास मज़बूत रखेंगे! अगले लेख में हम चार और कारणों पर चर्चा करेंगे जिनकी वजह से लोगों ने यीशु पर विश्‍वास नहीं किया।

गीत 56 सच्चाई को अपना बनाएँ

^ पैरा. 5 यीशु एक महान शिक्षक था, फिर भी ज़्यादातर लोगों ने उस पर विश्‍वास नहीं किया। इस लेख में इसके चार कारणों पर चर्चा की जाएगी। इस बात पर भी चर्चा होगी कि आज लोग यीशु के चेलों की क्यों नहीं सुनते। यह भी बताया जाएगा कि एक व्यक्‍ति अपना विश्‍वास कैसे मज़बूत कर सकता है, ताकि वह यीशु के पीछे चलता रहे। इस लेख और अगले लेख से उन लोगों को फायदा होगा जो यहोवा के साक्षी बनने से हिचकिचा रहे हैं, लेकिन इनमें बतायी बातों से साक्षियों को भी फायदा होगा।

^ पैरा. 3 इसका क्या मतलब है? इस लेख और अगले लेख में जहाँ कहीं यह बताया गया है कि एक व्यक्‍ति “ठोकर”  खाता है, तो उसका मतलब है कि वह किसी वजह से यीशु के पीछे नहीं चलता।

^ पैरा. 61 तसवीर के बारे में: फिलिप्पुस ने नतनएल से कहा कि यीशु से आकर मिले।

^ पैरा. 63 तसवीर के बारे में: यीशु खुशखबरी का प्रचार कर रहा है।

^ पैरा. 65 तसवीर के बारे में: यीशु ने एक आदमी को ठीक किया, जिसका एक हाथ सूखा हुआ था। यीशु के विरोधी उसे देख रहे हैं।

^ पैरा. 67 तसवीर के बारे में: यीशु अकेले पहाड़ पर जाता है।