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अध्ययन लेख 23

माता-पिताओ, अपने बच्चों को यहोवा से प्यार करना सिखाइए

माता-पिताओ, अपने बच्चों को यहोवा से प्यार करना सिखाइए

“तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान और अपने पूरे दिमाग से प्यार करना।”​—मत्ती 22:37.

गीत 134 बच्चे यहोवा की अमानत

एक झलक *

1-2. जब हमारे हालात बदलते हैं, तो बाइबल की कुछ आयतों के बारे में हमारा नज़रिया कैसे बदल जाता है?

 जब दो यहोवा के साक्षियों की शादी होती है, तो अकसर एक प्राचीन शादी का भाषण देता है। उस भाषण में पति-पत्नी के लिए कई सारी सलाहें और सिद्धांत बताए जाते हैं। दूल्हा-दुल्हन ने ये सारी बातें पहले भी सुनी होंगी, पर अब वे उन्हें और ध्यान से सुनते हैं क्योंकि अब से उन दोनों को ये सिद्धांत मानने हैं।

2 उसी तरह, एक पति-पत्नी ने सालों से बच्चों की परवरिश करने के बारे में कई भाषण सुने होंगे। लेकिन जब वे माता-पिता बनते हैं, तो उन बातों को और भी ध्यान से सुनते हैं। वे समझते हैं कि बच्चे को बड़ा करना एक भारी ज़िम्मेदारी है। इससे हम सीखते हैं कि जब हालात बदलते हैं, तो बाइबल की कुछ आयतों पर हम और भी ज़्यादा ध्यान देने लगते हैं। यह एक वजह है कि क्यों यहोवा के सेवक “हर दिन”  बाइबल पढ़ते हैं और उस पर मनन करते हैं, ठीक जैसे इसराएल के राजाओं को करने के लिए कहा गया था।​—व्यव. 17:19.

3. इस लेख में हम क्या जानेंगे?

3 माता-पिताओ, आपको एक खास ज़िम्मेदारी मिली है। आपको अपने बच्चों को यहोवा के बारे में सिखाना है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप सिर्फ उन्हें जानकारी दें बल्कि आपको उन्हें यहोवा से प्यार करना भी सिखाना है। इसके लिए आप क्या कर सकते हैं? इस लेख में बाइबल की चार सलाहें बतायी गयी हैं जिन्हें आप ध्यान में रख सकते हैं। (2 तीमु. 3:16) हम यह भी जानेंगे कि कुछ माता-पिताओं ने जब ये सलाहें मानीं, तो उन्हें क्या फायदा हुआ।

माता-पिताओं के लिए बाइबल से सलाह

अगर आप हमेशा यहोवा से मदद माँगेंगे और खुद एक अच्छी मिसाल रखेंगे, तो इसका बच्चों पर क्या असर होगा? (पैराग्राफ 4, 8)

4. बच्चों को यहोवा के बारे में सिखाते वक्‍त, माता-पिता कौन-सी सलाह याद रख सकते हैं? (याकूब 1:5)

4 पहली सलाह: यहोवा से मदद माँगिए।  उससे प्रार्थना कीजिए कि वह आपको बुद्धि दे ताकि आप अपने बच्चों के दिल में उसके लिए प्यार बढ़ा सकें। (याकूब 1:5 पढ़िए।) देखा जाए तो यहोवा ही सबसे अच्छी सलाह दे सकता है। ऐसा कहने के हमारे पास कई कारण हैं। एक है, यहोवा खुद भी एक पिता है और उसके पास सबसे ज़्यादा तजुरबा है। (भज. 36:9) दूसरा, वह सबसे बुद्धिमान है और वह जो भी सलाह देता है, उससे हमेशा हमारा भला होता है।​—यशा. 48:17.

5. (क) यहोवा के संगठन से माता-पिताओं को क्या मदद मिलती है? (ख) भाई और बहन अमोरिम के वीडियो से आपने बच्चों की परवरिश करने के बारे में क्या सीखा?

5 यहोवा ने अपने संगठन के ज़रिए कई प्रकाशन दिए हैं, जो बाइबल पर आधारित हैं। (मत्ती 24:45) इनकी मदद से माता-पिता अपने बच्चों को यहोवा से प्यार करना सिखा सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप “परिवार के लिए मदद” शृंखला में दिए लेख पढ़ सकते हैं। ये लेख पहले सजग होइए!  में आते थे और अब हमारी वेबसाइट jw.org पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा, हमारी वेबसाइट पर कई सारे वीडियो भी हैं। कुछ वीडियो में माता-पिताओं के इंटरव्यू हैं और कुछ में दिखाया गया है कि माता-पिता कैसे यहोवा की सलाह मानकर अपने बच्चों की परवरिश कर सकते हैं। *​—नीति. 2:4-6.

6. यहोवा के संगठन से मिलनेवाली मदद के बारे में एक पिता ने क्या कहा?

6 यहोवा ने अपने संगठन के ज़रिए जो किताबें-पत्रिकाएँ और वीडियो दिए हैं, उनसे माता-पिताओं को बहुत मदद मिली है। इसका एक उदाहरण है जोसफ और उसकी पत्नी। उन्होंने बताया कि इन प्रकाशनों की वजह से उनके बच्चे यहोवा के करीब आ पाए हैं। जोसफ कहता है, “अपने तीन बच्चों को यहोवा के बारे में सिखाना आसान नहीं है। मैं और मेरी पत्नी हमेशा प्रार्थना करके यहोवा से मदद माँगते हैं। कई बार हमें समझ में नहीं आता कि हम क्या करें, पर ऐसे में यहोवा बहुत ही बढ़िया तरीके से हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है। वह अपने संगठन के ज़रिए सही वक्‍त पर हमें कोई वीडियो या लेख देता है। अगर यहोवा हमारी मदद नहीं करता, तो शायद ही हम अपनी ज़िम्मेदारी अच्छे-से निभा पाते।”

7. माता-पिताओं को क्यों एक अच्छी मिसाल रखनी चाहिए? (रोमियों 2:21)

7 दूसरी सलाह: खुद एक अच्छी मिसाल रखिए।  बच्चे अकसर अपने माता-पिता को देखकर सीखते हैं। हालाँकि माता-पिता परिपूर्ण नहीं हैं, फिर भी उन्हें बच्चों के लिए एक अच्छी मिसाल रखने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। (रोमियों 2:21 पढ़िए; रोमि. 3:23) एक पिता बताता है, “बच्चे स्पंज की तरह होते हैं। वे अपने आस-पास की सब बातें सोख लेते हैं। यही नहीं, अगर हम कहते कुछ हैं और करते कुछ और, तो वे तुरंत यह बात पकड़ लेते हैं।” इसलिए अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे यहोवा से प्यार करें, तो सबसे पहले हमें यह देखना होगा कि हम यहोवा से कितना प्यार करते हैं और क्या यह हमारी बातों और कामों से ज़ाहिर होता है।

8-9. आपने एंड्रू और एम्मा की बातों से क्या सीखा?

8 माता-पिता कई तरीकों से अपने बच्चों को यहोवा से प्यार करना सिखा सकते हैं। सत्रह साल का एक जवान भाई एंड्रू कहता है, “बचपन से ही मेरे मम्मी-पापा ने सिखाया कि प्रार्थना करना ज़रूरी है। हर रात सोने से पहले पापा आकर मेरे साथ प्रार्थना करते थे। कई बार मैं प्रार्थना कर चुका होता था, फिर भी वे मेरे साथ प्रार्थना करते थे। मम्मी-पापा हमेशा कहते थे, ‘तुम यहोवा से जितनी बार चाहे बात कर सकते हो।’ यह बात मेरे दिल में बैठ गयी। अब मैं यहोवा को अपना पिता मानता हूँ और खुलकर उनसे प्रार्थना करता हूँ।” माता-पिताओ याद रखिए, जितना ज़्यादा आप यहोवा से प्यार करेंगे उतना ज़्यादा आपके बच्चे यहोवा से प्यार करेंगे।

9 एम्मा के उदाहरण पर भी गौर कीजिए। जब उसके पिता ने परिवार को छोड़ दिया, तो उसकी माँ को वह सारा कर्ज़ चुकाना पड़ा जो उसके पिता ने लिया था। एम्मा कहती है, “कई बार हमारे पास पैसे नहीं होते थे, पर मम्मी हमें याद दिलाती रहती थीं कि यहोवा को अपने लोगों की बहुत परवाह है और वह उनकी हर ज़रूरत पूरी करता है। पर उन्होंने सिर्फ अपनी बातों से नहीं बल्कि अपने कामों से भी दिखाया कि उन्हें यहोवा पर कितना भरोसा है। सच में, मम्मी हमारे लिए एक अच्छी मिसाल थीं।” इससे पता चलता है कि माता-पिता मुश्‍किल हालात में भी अपने बच्चों के लिए अच्छी मिसाल रख सकते हैं।​—गला. 6:9.

10. इसराएली माता-पिता कब-कब अपने बच्चों को यहोवा के बारे में सिखा सकते थे? (व्यवस्थाविवरण 6:6, 7)

10 तीसरी सलाह: अपने बच्चों से बात करने के लिए वक्‍त निकालिए।  यहोवा ने इसराएलियों से कहा था कि वे अपने बच्चों को अलग-अलग मौकों पर उसके बारे में सिखाएँ। (व्यवस्थाविवरण 6:6, 7 पढ़िए।) उस वक्‍त जब माता-पिता काम करते थे, तो उनके बच्चे उनके साथ रहते थे। इसलिए वे लगातार उनसे बात करते रह सकते थे और यहोवा से प्यार करना सिखा सकते थे। जैसे, अगर एक पिता खेत में बीज बोता या फसल काटता था, तो उसका बेटा भी इस काम में उसका हाथ बँटाता था। और जब माँ घर में सिलाई-बुनाई और दूसरे काम करती थी, तो उसकी बेटी उसकी मदद करती थी। इस दौरान वे यहोवा के बारे में बात कर सकते थे, जैसे कि वह कितना भला है और वह कैसे उनके परिवार की मदद कर रहा है।

11. बच्चों से बात करने का एक अच्छा मौका कब होता है?

11 पर अब वक्‍त बदल गया है। कई माता-पिता अपने बच्चों के साथ पूरा दिन नहीं बिता पाते। उन्हें नौकरी पर जाना पड़ता है और बच्चों को स्कूल। इसलिए माता-पिताओं को अपने बच्चों से बात करने के लिए वक्‍त निकालना होगा। (इफि. 5:15, 16; फिलि. 1:10) ऐसा करने का एक अच्छा मौका है, जब सब मिलकर पारिवारिक उपासना करते हैं। एलैक्ज़ैंडर नाम का एक जवान भाई कहता है, “मेरे पापा ध्यान रखते हैं कि हर हफ्ते हमारी पारिवारिक उपासना हो और कोई भी काम इसके आड़े न आए। पारिवारिक उपासना के बाद हम सब बात करते हैं कि हमारी ज़िंदगी में क्या चल रहा है।”

12. पारिवारिक उपासना के बारे में एक पिता को कौन-सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए?

12 अगर आप एक पिता हैं, तो आप ऐसा क्या कर सकते हैं ताकि बच्चों को पारिवारिक उपासना करने में मज़ा आएँ? आप चाहें तो अपने बच्चों के साथ मिलकर नयी किताब खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!  से अध्ययन कर सकते हैं। इससे आपको बच्चों के साथ खुलकर बात करने के कई मौके मिलेंगे। आप ज़रूर चाहते होंगे कि आपके बच्चे खुलकर अपनी भावनाएँ और चिंताएँ बताएँ। इसलिए पारिवारिक उपासना के दौरान उन्हें भाषण मत दीजिए, ना ही उन्हें डाँटिए। अगर आपका बच्चा कोई ऐसी बात कहता है जो बाइबल के मुताबिक सही नहीं है, तो एकदम से गुस्सा मत हो जाइए। इसके बजाय इस बात पर ध्यान दीजिए कि उसने सच-सच बताया है। उसे बढ़ावा दीजिए कि वह आगे भी इस तरह खुलकर बात करे। जब आपको पता होगा कि आपके बच्चे के दिल में क्या है, तभी आप उसकी मदद कर पाएँगे।

माता-पिताओ, आप बच्चों को यहोवा की बनायी चीज़ें दिखाकर उसके बारे में कैसे सिखा सकते हैं? (पैराग्राफ 13)

13. माता-पिता और किन मौकों पर अपने बच्चों को यहोवा के करीब आने में मदद दे सकते हैं?

13 माता-पिताओ, सिर्फ बाइबल अध्ययन के दौरान ही नहीं, आप दूसरे मौकों पर भी अपने बच्चों से बात कर सकते हैं। सोचिए कि आप और कब अपने बच्चों को यहोवा के बारे में सिखा सकते हैं और उसके करीब आने में उनकी मदद कर सकते हैं। लीज़ा नाम की एक बहन कहती है, “हम अपने बच्चों के साथ कुदरत की चीज़ों के बारे में बात करते थे। जैसे, जब बच्चे हमारे डौगी को कुछ करता देखकर हँसते थे, तो हम उन्हें बताते थे कि इससे हम यहोवा के बारे में क्या सीखते हैं। यही कि वह खुश रहता है और चाहता है कि हम भी खुश रहें, हँसी-मज़ाक करें और ज़िंदगी का मज़ा लें।”

माता-पिताओ, क्या आप अपने बच्चों के दोस्तों को जानते हैं? (पैराग्राफ 14) *

14. माता-पिताओं को क्यों ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चों के अच्छे दोस्त हों? (नीतिवचन 13:20)

14 चौथी सलाह: अपने बच्चों की मदद कीजिए ताकि वे अच्छे दोस्त बना सकें।  बाइबल में साफ बताया गया है कि अगर हमारे अच्छे दोस्त होंगे तो उनका हम पर अच्छा असर होगा, लेकिन अगर हमारे बुरे दोस्त होंगे तो उनका हम पर बुरा असर होगा। (नीतिवचन 13:20 पढ़िए।) माता-पिताओ, क्या आप जानते हैं कि आपके बच्चों के दोस्त कौन हैं? क्या आप उनसे मिले हैं? क्या आपने उनके साथ कुछ वक्‍त बिताया है? अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे ऐसे लोगों से दोस्ती करें जो यहोवा से प्यार करते हैं, तो आप क्या कर सकते हैं? (1 कुरिं. 15:33) जब आपका परिवार साथ मिलकर कुछ करने की सोचता है, तो आप कुछ भाई-बहनों को बुला सकते हैं। इस तरह आपके बच्चे अच्छे दोस्त बना पाएँगे।​—भज. 119:63.

15. माता-पिता क्या कर सकते हैं ताकि उनके बच्चे अच्छे दोस्त बना सकें?

15 टोनी और उसकी पत्नी का उदाहरण लीजिए, जिन्होंने अपने बच्चों की मदद की है ताकि वे अच्छे दोस्त बना पाएँ। टोनी कहता है, “हम अलग-अलग उम्र और संस्कृति के भाई-बहनों को साथ में खाना खाने और पारिवारिक उपासना करने के लिए घर बुलाते हैं। इस तरह हम ऐसे भाई-बहनों को अच्छी तरह जान पाए हैं, जो यहोवा से प्यार करते हैं और खुशी-खुशी उसकी सेवा करते हैं। हम सर्किट निगरानों, मिशनरियों और दूसरे भाई-बहनों को घर पर भी रुकाते हैं। उनके अनुभव सुनकर, उनका जोश और उनकी मेहनत देखकर हमारे बच्चों ने बहुत कुछ सीखा है और वे यहोवा के करीब आ पाए हैं।” इसलिए माता-पिताओ, अपने बच्चों की मदद करते रहिए ताकि वे अच्छे दोस्त बना पाएँ।

उम्मीद मत छोड़िए!

16. अगर आपका एक बच्चा कहता है कि वह यहोवा की सेवा नहीं करना चाहता, तो आप क्या करेंगे?

16 मान लीजिए कि आपने अपने बच्चों को यहोवा के बारे में सिखाने में बहुत मेहनत की, फिर भी आपका एक बच्चा कहता है कि वह यहोवा की सेवा नहीं करना चाहता। ऐसे में आप क्या करेंगे? खुद को दोष मत दीजिए। ऐसा मत सोचिए कि आपने अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह नहीं निभायी। यहोवा ने हम सबको यह फैसला लेने की आज़ादी दी है कि हम उसकी सेवा करेंगे या नहीं। अगर आपका बच्चा यहोवा की सेवा नहीं करने का फैसला करता है, तो हिम्मत मत हारिए। उम्मीद रखिए कि एक दिन वह ज़रूर लौट आएगा। आप खोए हुए बेटे की मिसाल भी याद रख सकते हैं। (लूका 15:11-19, 22-24) वह सही रास्ते से बहुत दूर चला गया था, मगर फिर वह लौट आया। लेकिन कुछ लोग शायद कहें, “वह तो एक कहानी थी। ऐसा सच में थोड़ी न होता है।” यकीन मानिए, ऐसा सच में भी होता है। ईली नाम के एक आदमी के साथ ऐसा ही हुआ।

17. ईली के उदाहरण से हम क्या सीखते हैं?

17 ईली अपने माता-पिता के बारे में बताता है, “उन्होंने मेरे अंदर यहोवा और उसके वचन बाइबल के लिए प्यार जगाने की जी-तोड़ कोशिश की। लेकिन जब मैंने जवानी में कदम रखा, तो मैं बगावत करने लगा।” ईली दोहरी ज़िंदगी जीने लगा। उसके माता-पिता ने बहुत कोशिश की कि वह यहोवा के करीब रहे, लेकिन उसने उनकी एक न सुनी। कुछ समय बाद ईली ने घर छोड़ दिया और गलत काम करने लगा। मगर इस दौरान वह बीच-बीच में अपने एक दोस्त को बाइबल के बारे में बताता था। ईली कहता है, “मैं जितना ज़्यादा अपने दोस्त को यहोवा के बारे में बताता, उतना ही ज़्यादा मैं यहोवा के बारे में सोचता। मेरे दिल में सच्चाई का जो बीज दबा हुआ था, वह बीज जो मेरे माँ-बाप ने बोया था, उसमें अब धीरे-धीरे अंकुर फूटने लगा।” कई सालों बाद ईली यहोवा के पास लौट आया। * ज़रा सोचिए, उसके माता-पिता को कितनी खुशी हुई होगी कि उन्होंने बचपन में उसे यहोवा के बारे में जो कुछ सिखाया था, वह उसे नहीं भूला।​—2 तीमु. 3:14, 15.

18. आप उन माता-पिताओं के बारे में क्या कहेंगे, जो बहुत मेहनत से अपने बच्चों को यहोवा से प्यार करना सिखाते हैं?

18 माता-पिताओ, आपको एक बहुत ही खास ज़िम्मेदारी दी गयी है। वह है आनेवाली पीढ़ी को यहोवा के बारे में सिखाना। (भज. 78:4-6) यह कोई छोटी-मोटी ज़िम्मेदारी नहीं है। इसमें बहुत मेहनत लगती है। इसलिए आप जो मेहनत कर रहे हैं, उसके लिए हम आपकी दिल से तारीफ करना चाहते हैं! अगर आप अपने बच्चों को सिखाते रहें कि वे यहोवा से प्यार करें और उसकी आज्ञाएँ मानें, तो आप यकीन रख सकते हैं कि यहोवा आपकी मेहनत से बहुत खुश होगा।​—इफि. 6:4.

गीत 135 यहोवा की प्यार-भरी गुज़ारिश: “मेरे बेटे, बुद्धिमान बन”

^ मसीही माता-पिता अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। इसलिए बच्चों की ज़रूरतें पूरी करने और उन्हें खुश रखने के लिए वे बहुत मेहनत करते हैं। मगर सबसे बढ़कर वे चाहते हैं कि उनके बच्चे यहोवा से प्यार करें। इसलिए वे उन्हें यहोवा के बारे में सिखाने के लिए और भी मेहनत करते हैं। ऐसा करते वक्‍त माता-पिता बाइबल की कुछ सलाहों को याद रख सकते हैं। इस लेख में हम ऐसी ही चार सलाहों पर चर्चा करेंगे।

^ जुलाई-सितंबर 2012 की प्रहरीदुर्ग  का लेख, “ज़िंदगी सँवार देती है बाइबल” पढ़ें।

^ तसवीर के बारे में: एक पिता अपने बेटे के दोस्त से जान-पहचान बढ़ाने के लिए उन दोनों के साथ बास्केटबॉल खेल रहा है।